07 अगस्त 2019
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सच्चाई इसके बिलकुल विपरीत है । सभी भाषाओं में अनेकार्थी शब्द होते हैं । वर्ण शब्द भी अनेकार्थी है । यहाँ वर्ण शब्द का अर्थ है चुनाव । गुण, कर्म और स्वभाव से वर्ण निश्चित होता था । जन्म से नहीं ।
इतिहास लेखन का निमित्त उद्देश्य विशेष की प्राप्ति
जब भारत पर अंग्रेजों ने छल से, बल से और कूटनीति से पूरी तरह से कब्जा कर लिया तो उन्हें उस कब्जे को स्थाई बनाने की चिन्ता हुई। भारत में अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए उन्हें तलवार के बल की अपेक्षा यह मार्ग सरल लगा कि इस देश का इतिहास, भाषा और धर्म बदल दिया जाए। उनका दृढ़ विश्वास था कि संस्कृति के बदले हुए परिवेश में जन्मे, पले और शिक्षित भारतीय कभी भी अपने देश और अपनी संस्कृति की गौरव-गरिमा के प्रति इतने निष्ठावान, अपनी सभ्यता की प्राचीनता के प्रति इतने आस्थावान और अपने साहित्य की श्रेष्ठता के प्रति इतने आश्वस्त नहीं रह सकेंगे।
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स्वामीजी के अनुसार किसी संस्कृत ग्रन्थ में यह इतिहास में नहीं लिखा कि आर्य लोग ईरान से आये और यहाँ के जंगलियों से लड़कर, जय पाकर, निकालकर इस देश के राजा हुए
(सन्दर्भ-सत्यार्थप्रकाश 8 सम्मुलास)
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अनार्य अथवा दस्यु के लिए 'अयज्व’ विशेषण वेदों में (ऋग्वेद १|३३|४) आया है अर्थात् जो शुभ कर्मों और संकल्पों से रहित हो और ऐसा व्यक्ति पाप कर्म करने वाला अपराधी ही होता है। अतः यहां राजा को प्रजा की रक्षा के लिए ऐसे लोगों का वध करने के लिए कहा गया है। सायण ने इस में दस्यु का अर्थ चोर किया है।
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यजुर्वेद 30/ 5 में कहा हैं- तप से शुद्रम अर्थात शुद्र वह हैं जो परिश्रमी, साहसी तथा तपस्वी हैं।
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बात कुछ पुरानी है । भारत में पहला उपग्रह बना । महान भारतीय गणितज्ञ के नाम पर इसका नामकरण किया गया आर्यभट्ट । तमिलनाडू के राजनेताओं ने यह कह कर विरोध किया कि आर्य भट्ट तो विदेशी ब्राह्मण था । उसके नाम को प्रयोग ना किया जाए ।
इसे पढ़ कर लगा कि तिरुक्कुल और मनुस्मृति आदि वैदिक ग्रन्थों में बहुत अधिक समानता है । इसका समय 300 इस्वी पूर्व (300 BC) माना जाता है । कुछ लोग इसका समय इतना पुराना नहीं मानते परन्तु इस बात पर सभी सहमत हैं कि यह तमिल की प्राचीनतम रचनाओं में से एक है । मनु स्मृति इससे बहुत प्राचीन है । आश्चर्य है वेद की तरह इसमें भी कोई पाठभेद नहीं है ।
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संन्यास और ब्राह्मण
तिरुक्कुल- सदाचार पर चलकर संन्यास ग्रहण करना सर्वश्रेष्ठ है । (21 ) मुक्ति के लिए संन्यास ग्रहण करे (22)
संन्यास और ब्राह्मण
तिरुक्कुल- सदाचार पर चलकर संन्यास ग्रहण करना सर्वश्रेष्ठ है । (21 ) मुक्ति के लिए संन्यास ग्रहण करे (22)
तिरुक्कुल- गृहस्थ अन्य 3 आश्रमों के धर्माकुल जीवन जीने में सहायक होता है । (41) धन करते समय पाप से बचे और खर्च करते समय बाँट कर प्रयोग करे ।(44) नियमानुसार गृहस्थ जीवन जीने वाला सभी आश्रमों से श्रेष्ठ है ।(46)
यह केवल दिग्दर्शन मात्र है । इस विषय पर पूरी पुस्तक लिखी जा सकती है ।
हमारा उद्देश्य केवल यह दिखाना है कि तमिल साहित्य का आधार संस्कृत साहित्य है । इसलिए तमिल भाषा और साहित्य, संस्कृत से प्रेरित है ।
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