Sunday, September 1, 2019

हिमाचल सरकार का सरहानीय कदम : धर्मपरिवर्तन कराने पर होगी कड़ी सजा

01 सितंबर 2019
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🚩धर्म-परिवर्तन की समस्या हिंदुस्तान एवं हिंदु धर्म पर अनेक सदियों से पर विधर्मियों द्वारा होनेवाला धार्मिक आक्रमण हैं ! इतिहास में अरबीयों से लेकर अंग्रेजों तक अनेक विदेशियों ने हिंदुस्तान पर आक्रमण किए । साम्राज्य विस्तार के साथ ही स्वधर्म का प्रसार, यही इन सभी आक्रमणों का सारांश था । आज भी इन विदेशियों के वंशज यही ध्येय सामने रखकर हिंदुस्तानमें नियोजनबद्धरूपसे कार्यरत हैं । पर अभी कुछ राज्य सरकारें जाग रही हैं जो अब दबाव, लालच, शादी या धोखाधडी से जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर सजा का प्रावधान ला रहे है ये एक अच्छी पहल है।

🚩हिमाचल प्रदेश की सरकार ने पहले गाय को राष्ट्रमाता घोषित किया था अब धर्मपरिवर्तन पर कैची चलाई है।
🚩हिमाचल प्रदेश में अब जबरन धर्मांतरण पर रोक लगेगी ! इस बिल को गुरुवार को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन के पटल पर रखा था। मानसून सत्र के दौरान शुक्रवार को सदन में धर्म की स्वतंत्रता विधेयक-2019 को पारित कर दिया गया। शुक्रवार को विपक्षी दल कांग्रेस के विरोध के बीच पारित कर दिया गया है !
🚩चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि नया कठोर कानून इसलिए जरुरी हो गया था क्योंकि खासकर रामपुर और किन्नौर में जबरन धर्मांतरण बढ़ता जा रहा है। यह विधेयक हिमाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम-2006 का स्थान लेगा। नए कानून के तहत सात साल तक की कैद का प्रावधान है, जबकि पुराने कानून में तीन साल की कैद की सजा की व्यवस्था थी। अलग-अलग वर्गों और जातियों के लिए यह प्रावधान किए गए हैं !
🚩यह विधेयक बहकाने, जबरन, अनुचित तरीके से प्रभावित करने, दबाव, लालच, शादी या किसी भी धोखाधड़ी के तरीके से धर्म परिवर्तन पर रोक लगाता है। यदि कोई भी शादी बस धर्मांतरण के लिए होती है तो वह इस विधेयक की धारा 5 के तहत इसे अमान्य माना जाएगा !
🚩मूल धर्म में वापसी के लिए कोई शर्त नहीं:
इस विधेयक के अनुसार, अगर कोई शख्स अपना मजहब बदलना चाहता है तो उसे कम से कम एक महीने पहले जिलाधिकारी को लिखकर देना होगा ! उसे यह बताना होगा कि, वह स्वेच्छा से ऐसा कर रहा है ! धर्मांतरण करानेवाले पुरोहित/पादरी या किसी धर्माचार्य को भी एक महीने पहले इसकी सूचना देनी होगी ! अपने मूल धर्म में वापस आनेवाले व्यक्ति पर ऐसी कोई शर्त नहीं होगी। अगर दलित, महिला या नाबालिग का जबरन धर्मांतरण कराया जाता है तो दो से सात साल तक की जेल की सजा मिल सकती है ! स्त्रोत : ऑप इंडिया
🚩आपको बता दें कि नागभूमि में (नागालैंड में) ईसाइयों के धार्मिक दिवस रविवार के दिन अन्य कार्यक्रम प्रतिबंधित हैं । उस दिन बसें भी बंद रहती हैं । कृषक अपने खेतों में रविवारको काम नहीं कर सकते । यदि वे करें, तो उन्हें 5 सहस्र रुपए दंड भरना पड़ता है एवं 25 कोड़े खाने पड़ते हैं ।
🚩नागालैंडमें ‘Nagaland belongs to Jesus Christ ! Bloody Indian dogs get lost !’ !’ अर्थात् ‘नागालैंड ईसा मसीह की भूमि है ।
मूर्ख भारतीय कुत्तों, यहांसे निकल जाओ !’ इस प्रकारकी घोषणाएं जगह-जगहपर लिखी हुई मिलती हैं ।’
🚩मिजोरम में, मिजो राजा के ढोल जैसा परंपरागत वाद्य बजाने पर वहां के ईसाई संगठनों ने प्रतिबंध लगा दिया है । वहांके ईसाइयोंने धमकी दी है, ‘यदि राजा ने यह परंपरा जारी रखी, तो इसके परिणाम गंभीर होंगे’ ।
🚩तमिलनाडु राज्य में ईसाई बने मछुआरे समाज ने स्वामी विवेकानंद का स्मारक बनाने का विरोध किया ।
🚩कालडी (केरल) नामक आदिगुरु शंकराचार्य के इस गांव में उनके नाम से अभ्यास केंद्र बनानेका ईसाई बने वहांके ग्रामीणोंने विरोध किया है ।
🚩आज मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और मणिपुर का पर्वतीय भाग एवं अरुणाचल प्रदेश के कुछ भागों में धर्मांतरित जनजातियों में राष्ट्रविरोधी भावना तीव्र है ।’ – श्री. विराग श्रीकृष्ण पाचपोर
🚩‘स्वतंत्र ईसाई राज्य मिलनेके पश्चात् फुटीरतावादी ईसाइयोंने स्वतंत्र नागालैंड राष्ट्रकी मांग करनेके लिए देशके विरुद्ध सशस्त्र विद्रोहकी घोषणा की ।’
– डॉ. नी.र. व हाडपांडे (दैनिक ‘तरुण भारत’, 15.6.2008)
🚩सुप्रसिद्ध हस्तियों के उद्गार-
स्वातंत्र्यवीर सावरकरने अनेक वर्ष जनजाग्रति करते समय चेतावनी दी, ‘धर्म-परिवर्तन राष्ट्र परिवर्तन है ।
🚩‘हिंदु समाज का एक व्यक्ति मुसलमान अथवा ईसाई बनता है, तो इसका अर्थ इतना ही नहीं होता कि एक हिंदु घट गया; इसके विपरीत हिंदु समाज का एक शत्रु और बढ़ जाता है ।’ – स्वामी विवेकानंद
🚩‘विश्वमें अबतक हुए युद्धों में जितना रक्तपात नहीं हुआ होगा, उससे कहीं अधिक रक्तपात ईसाई और मुसलमान इन दो धर्मियों द्वारा किए गए धर्म-परिवर्तनके कारण हुआ ।’ – श्री. अरविंद विठ्ठल कुळकर्णी, ज्येष्ठ पत्रकार, मुंबई
🚩इस धर्मपरिवर्तन रोकने के लिए केंद्र सरकार को कानून बनाना चाहिए और जनता को जागरूक रहना चाहिए जो भी लालच-भय से धर्मपरिवर्तन करवाता है उनका कानूनी तरीके से विरोध करें।
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Thursday, August 29, 2019

कोई जज जिहाद चला रहा है तो कोई भ्रष्टाचार कर रहा है

29 अगस्त 2019
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🚩 भारत देश के लोकतंत्र बचाने के लिए चार स्तंभ है उसमें सबसे ज्यादा ताकतवर न्यायपालिका है लेकिन कानुन के रखवाले आज जिस तरह कार्य कर रहे है उससे देश और समाज को भयंकर हानि पहुँच रही है।
🚩 आजतक कई न्यायधीश भ्रष्टाचार करते पकड़े गये है और कई उच्चत्तम न्यायालय के जजों ने भी कहा है कि कई न्यायाधीश भ्रष्टाचार करते है। पूर्व चीफ जस्टिस संतोष हेगड़े ने तो यहाँ तक कह दिया है कि पैसे नही है तो न्याय मिलने की आश भी नही रखनी चाहिए ।
🚩अभी दो मामले सामने आए है एक में तो हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने बताया है कि न्यायालय ही भ्रष्टाचार का संरक्षण कर रहा है दूसरा मामले में तो एक मुस्लिम जज ने तो हिंदुओं को हत्या करने की सलाह दे दी ।

🚩जज फखरुद्दीन-
जिला बार एसोसिएशन, चरखी दादरी, हरियाणा के वकीलों के एक समूह द्वारा लिखा गया एक पत्र सामने आया है, जिसमें उन्होंने पीठासीन अधिकारी फखरुद्दीन पर आरोप लगाया है कि उन्होंने एक मामले की सुनवाई के दौरान मुस्लिम याचिकाकर्ताओं को हिन्दुओं के खिलाफ उकसाने वाली बातें कही।
🚩वकीलों का आरोप है कि, 20 अगस्त को राज्य बनाम परविंदर मामले की सुनवाई चल रही थी, जिसमें शिकायतकर्ता और गवाह दोनों उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले मुस्लिम थे। भारतीय दंड संहिता की धारा- 365 (अपहरण और गलत कारावास), धारा-379 बी (चोरी) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
🚩गवाहों से दुश्मनी निभाने के एवज में न्यायाधीश ने वकीलों से इस मामले के प्रत्येक गवाह को 1000 रुपए देने के लिए कहा।
🚩सुनवाई के दौरान, पीठासीन अधिकारी ने यह कहकर गवाहों को डाँटा कि दूसरे (हिन्दू) समुदाय के सदस्यों द्वारा पीटे जाने पर वो (मुस्लिम) मुस्लिम समुदाय पर एक धब्बा हैं। जज ने गुस्से में सवाल किया कि उन्होंने अपने विरोधी (जो इस मामले में हिन्दू थे) को गोली क्यों नहीं मार दी ?
🚩पीठासीन न्यायाधीश फखरुद्दीन ने हिन्दुओं पर तीखा हमला करते हुए गवाहों से कहा कि वे अगली बार पिस्तौल के साथ न्यायालय में आएँ।
🚩पत्र के अनुसार, न्यायाधीश ने हिन्दुओं के बारे में कहा कि उनके पास ऐसी कोई ताकत नहीं है जिससे वो मुसलमानों के सामने टिक सकें। उन्होंने कहा, “आप एक पिस्तौल के साथ आएँ। मैं यहीं हूँ। हर बात की जिम्मेदारी मैं लूँगा।”
🚩पत्र लिखने वाले वकीलों ने इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई का अनुरोध किया है। साथ ही उन्होंने लंबित मामलों के ट्रांसफर भी की माँग की क्योंकि उन्हें विशेष अदालत में न्याय की कोई उम्मीद नहीं है। इस शिक़ायती पत्र की कॉपी CJI रंजन गोगोई, कानून और न्याय मंत्री- रवि शंकर प्रसाद, बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा और बार काउंसिल इंडिया के अध्यक्ष को भेजी गई है। स्त्रोत : ऑपइंडिया
🚩न्यायमूर्ति राकेश कुमार-
उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश राकेश कुमार ने वरिष्ठ न्यायाधीशों और उच्च न्यायालय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया था और उन्होंने बुधवार को एक टिप्पणी में कहा कि राज्य की निचली अदालतों के भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों की रक्षा की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया था कि जिस अधिकारी को भ्रष्टाचार के मामले में बर्खास्त किया जाना चाहिए, उस अधिकारी को थोड़ी सी सजा देकर रिहा किया जा रहा है। माना जा रहा है कि जस्टिस राकेश कुमार की भद्दी टिप्पणियों के मद्देनजर उन्हें नोटिस जारी किया गया है और कोर्ट ने उनके खिलाफ यह कदम उठाया है। पूर्व आईएएस अधिकारी केपी रमैया को दी गई जमानत पर नाराजगी व्यक्त करते हुए, पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कुमार ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि मेरे सहयोगी न्यायाधीशों ने भी भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरे द्वारा उठाई गई आवाज को नजरअंदाज किया है।
🚩एक बड़ा आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि जब से हमने न्याय की शपथ ली है, मैं देख रहा हूं कि वरिष्ठ न्यायाधीश मुख्य न्यायाधीश को घेरने की कोशिश में लगे हुए हैं, ताकि वे उनसे एक पक्ष ले सकें और भ्रष्टाचारियों को भी राहत दे सकें।
http://nayabihar.com/2019/08/senior-judge-of-patna-high-court-raised-the-court-in-the-dock/
🚩संविधान की रक्षा और जनता को न्याय दिलवाने के लिए न्यायाधीश को चुना जाता है और उनपर जनता का भरोसा भी होता है लेकिन जब यही जज हिंदुओं को मारने की बात करते है इससे तो साफ यही लगता है कि जितने भी मुसलमान उच्चपद पर बैठे है वे कट्टरपंथी है और उनको तुरंत निलबिंत करना चाहिए नही तो यही लोग जिहाद की शुरुआत करेंगे और जनता को आपस मे खून-खराबा करवा देंगे।
🚩दूसरा की कुछ जजों द्वारा भ्रष्टाचार इतना व्यापक होता जा रहा है कि आम नागरिक को न्याय ही नही मिल पाता है। निर्दोष साधु-संतों के साथ भी ऐसा ही हो रहा है सालों तक जेल में रखते है। जबकि किसी पादरी या मौलवी को तुरंत रिहा किया जाता है ऐसे पक्षपाती न्यायप्रणाली के कारण कानून से जनता का विश्वास उठता जा रहा है। ऐसे भ्रष्टाचारी और जिहाद मानसिकता वाले जजों को तुरंत निलंबित करना चाहिए।
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Wednesday, August 28, 2019

फिरोजशाह कोटला स्टेडियम का नाम बदल रहा है, फिरोजशाह का जानिए सच

28 अगस्त 2019
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🚩दिल्ली के फ़िरोज़शाह कोटला मैदान का नाम स्वर्गीय अरुण जेटली के नाम पर किया जा रहा है। कुछ लोगों के पेट में इस कदम से दर्द हो रहा हैं हालाँकि बहुत कम लोगों को यह मालूम है कि फ़िरोज़शाह कौन था? फिरोजशाह तुगलक खानदान से था जिसने दिल्ली पर राज किया था। तुग़लको का राज ऐसा था कि आज भी तुग़लक़ शब्द अकर्मयता और नीतिगत अदूरदृष्टि का प्राय: समझा जाता हैं। इस खानदान के कुछ कारनामों से आपको परिचय होना होगा।

🚩खिलजी वंश के पतन के पश्चात्‌ तुगलकों ग्यासुद्‌दीन तुगलक (1320-25) मौहम्मद बिन तुगलक (1325-1351 ई.) एवं फ़िरोज शाह तुगलक(1351-1388) का राज्य आया। तीनों एक से बढ़कर एक अत्याचारी थे। इस लेख में फिरोजशाह के कारनामों पर प्रकाश डालेंगे। उसकी माँ- बीबी जैजैला (भड़ी) राजपूत सरदार रजामल की पुत्री थी। फिरोजशाह, मुहम्मद बिन तुगलक का चचेरा भाई एवं सिपहसलार ‘रजब’ का पुत्र था। मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु के बाद ही फिरोज शाह का राज्याभिषेक दिल्ली में अगस्त, 1351 में हुआ था।
🚩इतिहासकारों के अनुसार, फिरोजशाह द्वारा हिन्दुओं पर जुर्म और बर्बरता करने का एक यह भी कारण था कि उसे एक राजपूत माँ से पैदा होने के कारण अपने समय के उलेमाओं के सामने अपनी कट्टर मुस्लिम छवि को बनाए रखना था। यही वजह है कि इतिहास में उसे एक धर्मांध शासक के रूप में जाना गया। उसने अपनी हूकूमत के दौरान कई हिन्दूओं को इस्लाम अपनाने पर मजबूर किया।
🚩फिरोज तुगलक ने उलेमाओं का सहयोग पाने के लिए कट्टर धार्मिक नीति अपनाई, उलेमाओं को विशेषाधिकार पुनः प्राप्त किए तथा शरीयत को न केवल प्रशासन का आधार घोषित किया बल्कि व्यवहार में भी उसे लागू किया। ऐसा करने वाला वह सल्तनत का पहला शासक था।
🚩इसी फिरोजशाह तुगलक ने शरीयत के अनुसार जनता से 4 तरह के कर वसूले थे- जकात, सिंचाई कर (यह अपवाद था, क्योंकि यह शरियत में नहीं है), खम्स (युद्ध से प्राप्त लूट तथा भूमि में दबा खजाना तथा खानों से प्राप्त आय का बँटवारा) जिसके अनुपात को शरीयत के आधार पर वसूला।
🚩फ़िरोज तुगलक ने जब जाजनगर (उड़ीसा) पर हमला किया तो वह राज शेखर के पुत्र को पकड़ने में सफल हो गया। उसने उसको मुसलमान बनाकर उसका नाम शकर रखा।
🚩सुल्तान फ़िरोज तुगलक अपनी जीवनी ‘फतुहाल-ए-फिरोजशाही’ में लिखता है-‘मैं प्रजा को इस्लाम स्वीकारने के लिये उत्साहित करता था। मैंने घोषणा कर दी थी कि इस्लाम स्वीकार करने वाले पर लगा जिजिया माफ़ कर दिया जायेगा।
🚩यह सूचना जब लोगों तक पहुँची तो लोग बड़ी संख्या में मुसलमान बनने लगे। इस प्रकार आज के दिन तक वह चहुँ ओर से चले आ रहे हैं। इस्लाम ग्रहण करने पर उनका जिजिया माफ कर दिया जाता है और उन्हें खिलअत तथा दूसरी वस्तुएँ भेंट दी जाती है। [धर्मान्तरण का मुख्य कारण प्राणरक्षा था-लेखक ]
🚩1360 ई. में फिरोज़शाह तुगलक ने जगन्नाथपुरी के मंदिर को ध्वस्त किया। अपनी आत्मकथा में यह सुल्तान हिन्दू प्रजा के विरुद्ध अपने अत्याचारों का वर्णन करते हुए लिखता है-‘जगन्नाथ की मूर्ति तोड़ दी गयी और पृथ्वी पर फेंक कर अपमानित की गई। दूसरी मूर्ति खोद डाली गई और जगन्नाथ की मूर्ति के साथ मस्जिदों के सामने सुन्नियों के मार्ग में डाल दी गई जिससे वह मुस्लिमों के जूतों के नीचे रगड़ी जाती रहें।
🚩इस सुल्तान के आदेश थे कि जिस स्थान को भी विजय किया जाये, वहाँ जो भी कैदी पकड़े जाये; उनमें से छाँटकर सर्वोत्तम सुल्तान की सेवा के लिये भेज दिये जायें। शीघ्र ही उसके पास 180000 (एक लाख अस्सी हजार) गुलाम हो गये।
🚩‘उड़ीसा के मंदिरों को तोड़कर फिरोजशाह ने समुद्र में एक टापू पर आक्रमण किया। वहाँ जाजनगर से भागकर एक लाख शरणार्थी स्त्री-बच्चे इकट्‌ठे हो गये थे। इस्लाम के तलवारबाजों ने टापू को काफिरों के रक्त का प्याला बना दिया। गर्भवती स्त्रियों, बच्चों को पकड़-पकड़कर सिपाहियों का गुलाम बना दिया गया।'
🚩नगर कोट कांगड़ा में ज्वालामुखी मंदिर का यही हाल हुआ। फरिश्ता के अनुसार मूर्ति के टुकड़ों को गाय के गोश्त के साथ तोबड़ों में भरकर ब्राहमणों की गर्दनों से लटका दिया गया। मुख्य मूर्ति बतौर विजय चिन्ह के मदीना भेज दी गई।
🚩यह फ़िरोज़शाह के अत्याचारों की छोटी से सूची है। वास्तविक रूप से वह क्रूर, अत्याचारी, मज़हबी संकीर्णता से ग्रस्त शासक था। विडंबना यह है कि ऐसे शासक के नाम पर दिल्ली के एक एक मैदान का होना क्या दर्शाता हैं?  क्या देश के पूर्व कर्णधारों को ऐसे अत्याचारी ही नामकरण के लिए मिलते हैं? अथवा यह जानकर की गई बदमाशी है। ताकि हिन्दू समाज सदा पराजय बोध से पीड़ित रहे अथवा इन क्रूर अत्याचारियों की काल्पनिक सेक्युलर छवि निर्मित की जाये।  दिल्ली की सड़कों का नाम अत्याचारी औरंगज़ेब, अकबर के नाम पर ,कोलकाता की सड़क का नाम 1947 में कोलकाता में भीष्म दंगे में हिन्दुओं का अहित करने करने वाले सुहरावर्दी के नाम पर, नालंदा के रेलवे स्टेशन का नाम नालंदा के विध्वंश करने वाले खिलजी के नाम पर होना यही दर्शाता हैं कि यह एक भयानक षड़यंत्र हैं। पूर्व में आये इस विकार को दूर करना अत्यंत आवश्यक हैं। -  डॉ विवेक आर्य
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Tuesday, August 27, 2019

धर्मान्तरण का विरोध करना मतलब जेल या मौत, जानिए कैसे करवाते हैं हत्या

27 अगस्त 2019
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🚩हिंदु धर्म और भारत को सबसे बड़ा खतरा अगर किसी से है तो वे है ईसाई मिशनरियों से क्योंकि ये लोग भारत में स्लो पोइजन की तरह काम कर रहे है, नीचे लगी दीमक की तरह काम कर रहे हैं जो हरे भरे पेड़ को सुखाने की कोशिश कर रहे हैं, देशवासियों को इनसे बहुत सावधान रहने की आवश्यकता है नही तो ये लोग देश की संस्कृति खत्म करके अपना आधिपत्य जमाना चाह रहे है।

🚩ईसाई मिशनरियों के काले चिट्ठे का जो पर्दाफाश करते हैं, उनसे सचेत करते है और जिनको लालच या धमकी देकर जो लोगो को धर्मान्तरण करवाया उनकी घर वापसी करवाते है उनकी हत्या कर दी जाती है या जेल भेज दिया जाता है।
🚩इसके कई उदाहरण है ओडिसा में स्वामी लक्ष्मणानंद जी की हत्या कर दी गई, शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती और हिंदू संत आसाराम बापू को मीडिया में बदनाम करके जेल भिजवा दिया। शांति कालिदास की भी हत्या करवा दी थी।
🚩हिंदू संत शान्ति काली जी महाराज का जन्म पूर्वोत्तर भारत के त्रिपुरा के सुब्रुम जिले में हुआ, इन्होंने त्रिपुरा में मिशनरियों के ईसाई बनाने के नंगे नाच को स्वीकार करने से इंकार कर दिया। त्रिपुरा में फाल्गुन मास 1979 में शांति काली आश्रम की स्थापना की । यहाँ इन्होने सनातन धर्म से दूर हो रहे जनमानस और जनजातीय इलाकों में गरीब लोगों के लिए विद्यालय, अस्पताल खुलवाए । इन्होंने गरीब लोगों की भरपूर मदद की ताकि जनजातीय लोग ईसाई मिशनरी के चंगुल में ना फंसे।
🚩27 अगस्त 2000 को स्वामी जी अपने आश्रम में अपने कुछ अनुयायियों के साथ बैठे थे। वहां धर्म आदि के प्रचार और प्रसार की चर्चा चल ही रही थी कि अचानक ही उन पर मिशनरी समर्थित NLFT के आतंकियों ने हमला कर दिया। स्वामी जी का शरीर गोलियों से बिंध गया। रात 8 बजे इन पर निकट से गोलियां चलाई गई। इन्हें तत्काल होस्पिटल लेजाया गया। जहाँ रात 11 बजे इन्होने अंतिम सांस ली।
🚩इन्हें क्यों मारा गया--
क्योंकि ये ईसाई मिशनरियों के उस विष वृक्ष की जड़ खोदने में लगे हुए थे जो पूर्वोत्तर भारतीयों को उनकी संस्कृति से काटने की कोशिश कर रहा है। मिशनरी और कौमनष्ट लम्बे समय से यह बता रहे हैं कि त्रिपुरा भारत का हिस्सा नहीं है। ये उन गरीब हिन्दू वनवासियों की सहायता कर रहे थे जो मिशनरी के लिए कच्चा माल हैं। बस यही बात मिशनरियों को चुभ गई।
🚩वैर केवल व्यक्ति से नहीं उनके कार्यों से भी था-
ईसाई आतंकी जिनका सम्बन्ध NLFT से था यहीं नहीं रूके। उनकी हत्या के 4 महीने बाद 4 दिसम्बर 2000 को शान्ति काली आश्रम ( चाचू बाजार निकट सिद्धाई पुलिस स्टेशन) में घुस गए। इस तरह NLFT ने 11 आश्रम, स्कूल और अनाथालय बंद करवाए।
🚩मीडिया इस तरह की जानकारी को दबा जाता है। क्योंकि इन महान पुण्यात्माओ का कोई वोट बैंक नहीं होता इस लिए कोई सरकार कोई संस्था इनके लिए कदम नहीं उठाती। ध्यान रखिए यदि हम चुप रहे तो कल हमारी भी बारी आएगी।
http://www.tripura.org.in/shantikali.htm
🚩गांधी जी का स्पष्ट मानना था कि ईसाई मिशनरियों का मूल लक्ष्य उद्देश्य भारत की संस्कृति को समाप्त कर भारत का यूरोपीयकरण करना है। उनका कहना था कि भारत में आम तौर पर ईसाइयत का अर्थ है भारतीयों को राष्ट्रीयता से रहित बनाना और उसका यूरोपीयकरण करना।
🚩भारत में वर्तमान में प्रत्येक राज्य में बड़े पैमाने पर ईसाई धर्मप्रचारक मौजूद है जो मूलत: ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में सक्रिय हैं।
🚩भारत में ईसाई मिशनरियां विदेशी फडिंग से भारत में धर्मान्तरण का धंधा जोरो शोरो से चला रही हैं इसके कारण हिंदूओं की जनसंख्या घटती जा रही और मीडिया हिन्दू विरोधी एजेंडा चला रही है ये अत्यंत चिंताजनक स्थिति है, इसपर रोक लगाने के लिए विदेश की फंडिग बंद करना जरूरी है और धर्मांतरण पर रोक लगाना अत्यंत जरूरी है।
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Monday, August 26, 2019

धर्म व शील की रक्षा के लिए रानी पद्मावती ने 16,000 क्षत्राणियों के साथ जौहर किया

26 अगस्त 2019
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🚩भारत की नारियों का स्वरूप और पवित्रता ही वो पराकाष्ठा है जो संसार में हर सर को भारत की नारियों के सम्मान में झुका गया था। वो सर आज भी झुका है भले ही अपना ईमान और कलम एक ही परिवार में बेच चुके चाटुकार इतिहासकार कुछ भी लिख लें और कुछ भी कह लें पर क्रूरतम इस्लामिक आतंक से लड़ कर तन और धन के भूखे भेड़ियों से अंत समय में अपनी जान दे कर अपनी रक्षा करते हुए जो जौहर भारत की नारियों ने दिखाया था वो इतिहास सृष्टि के अनंत काल तक अमर हो चुका है जो अमिट भी रहेगा।

🚩जौहर की गाथाओं से भरे पृष्ठ भारतीय इतिहास की अमूल्य धरोहर हैं। ऐसे अवसर एक नहीं, कई बार आये हैं, जब हिन्दू ललनाओं ने अपनी पवित्रता की रक्षा के लिए ‘जय हर-जय हर’ कहते हुए हजारों की संख्या में सामूहिक अग्नि प्रवेश किया था। यही उद्घोष आगे चलकर ‘जौहर’ बन गया। जौहर की गाथाओं में सर्वाधिक चर्चित प्रसंग चित्तौड़ की रानी पद्मिनी का है, जिन्होंने 26 अगस्त, 1303 को 16,000 क्षत्राणियों के साथ जौहर किया था तथा मलेक्ष खिलजी की परछाईं तक तो अपने शरीर पर नहीं पड़ने दिया था।

🚩माँ पद्मिनी(पद्मावती) सिंहलद्वीप के राजा गन्धर्वसेन की पुत्री तथा चित्तौड़ ने राजा महारावल रतन सिंह की रानी थी। एक बार चित्तौड़ के चित्रकार चेतन राघव ने सिंहलद्वीप से लौटकर राजा रतनसिंह को माँ पद्मिनी एक सुंदर चित्र बनाकर दिया। इससे प्रेरित होकर राजा रतनसिंह सिंहलद्वीप गया और वहां स्वयंवर में विजयी होकर उन्हें अपनी पत्नी बनाकर ले आया। इस प्रकार माँ पद्मिनी चित्तौड़ की रानी बन गयी। वो रानी जिनके चरित्र और शौर्य के आस पास भी सोचने की क्षमता ना रखने वाले तथाकथित फिल्मकारों ने उनके जीवन पर मनगढ़ंत कहानियां गढ़कर फिल्म बनाने का कुत्सित प्रयास किया था, जिसके विरोध में पूरा देश सड़कों पर आ गया था, जिसके कारण फिल्मकार को फिल्म में वास्तविक इतिहास दिखाना पड़ा था।

🚩माँ पद्मिनी की सुंदरता की ख्याति अलाउद्दीन खिलजी ने भी सुनी थी। वह उन्हें किसी भी तरह अपने हरम में डालना चाहता था। उसने इसके लिए चित्तौड़ के राजा के पास धमकी भरा संदेश भेजा, पर राव रतनसिंह ने उसे ठुकरा दिया। अब वह धोखे पर उतर आया। कहा जाता उसने रतनसिंह को कहा कि वह तो बस पद्मिनी को केवल एक बार देखना चाहता है, उन्हें बहन मानता है। रतनसिंह ने खून-खराबा टालने के लिए यह बात मान ली। एक दर्पण में रानी पद्मिनी का चेहरा अलाउद्दीन को दिखाया गया। वापसी पर रतनसिंह उसे छोड़ने द्वार पर आये। इसी समय उसके सैनिकों ने धोखे से रतनसिंह को बंदी बनाया और अपने शिविर में ले गये। अब यह शर्त रखी गयी कि यदि पद्मिनी अलाउद्दीन के पास आ जाए, तो रतनसिंह को छोड़ दिया जाएगा।

🚩यह समाचार पाते ही चित्तौड़ में हाहाकार मच गया; पर पद्मिनी ने हिम्मत नहीं हारी। उसने कांटे से ही कांटा निकालने की योजना बनाई। अलाउद्दीन के पास समाचार भेजा गया कि पद्मिनी रानी हैं। अतः वह अकेले नहीं आएंगी। उनके साथ पालकियों में 800 सखियां और सेविकाएं भी आएंगी। अलाउद्दीन और उसके साथी यह सुनकर बहुत प्रसन्न हुए। उन्हें पद्मिनी के साथ 800 हिन्दू युवतियां अपने आप ही मिल रही थीं। पर उधर पालकियों में पद्मिनी और उसकी सखियों के बदले महाबली गोरा तथा बादल के नेतृत्व में सशस्त्र हिन्दू वीर बैठाये गये। हर पालकी को चार कहारों ने उठा रखा था। वे भी सैनिक ही थे। पहली पालकी के मुगल शिविर में पहुंचते ही रतनसिंह को उसमें बैठाकर वापस भेज दिया गया और फिर सब योद्धा अपने शस्त्र निकालकर शत्रुओं पर टूट पड़े।

🚩कुछ ही देर में शत्रु शिविर में हजारों सैनिकों की लाशें बिछ गयीं। इससे बौखलाकर अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर हमला बोल दिया। इस युद्ध में राव रतनसिंह ने अनगिनत मुगलों को मार गिराया तथा अंत में बलिदान दे दिया। जब रानी पद्मिनी ने देखा कि राजा रतन सिंह ने बलिदान दे दिया तथा अब हिन्दुओं के जीतने की आशा नहीं है, तो उसने जौहर का निर्णय किया। रानी पद्मिनी ने संकल्प लिया कि वह जीते जी तो क्या मरने के बाद मलेक्ष खिलजी की परछाईं तक को अपने शरीर पर नहीं पड़ने देंगी। रानी और किले में उपस्थित सभी नारियों ने सम्पूर्ण श्रृंगार किया। हजारों बड़ी चिताएं सजाई गयीं।

🚩‘जय हर-जय हर’ का उद्घोष करते हुए सर्वप्रथम वीरांगना महारानी पद्मिनी ने चिता में छलांग लगाई और फिर क्रमशः सभी हिन्दू वीरांगनाएं यहां तक बच्चियां भी अग्नि प्रवेश कर गयीं। माँ पद्मिनी के अनेकानेक भारतीय वीरांगनाओं ने धर्मरक्षा के लिए हँसते हँसते अपना बलिदान दे दिया था। इसके बाद चित्तौड़ के सभी पुरुषों ने साका प्रदर्शन करने का निश्चय किया, जिसमें प्रत्येक सैनिक केसरी वस्त्र तथा पगड़ी पहनकर तब तक लड़े जब तक वो सभी ख़त्म नहीं हो गये। इसके बाद खिलजी तथा उसकी सेना ने जब किले में प्रवेश किया तो उसको राख तथा जली हुई हड्डियों कला ढेर ही दिखाई दिया। इससे खिलजी दांत भींचकर रह गया।

🚩पवित्रता की उस चरम पराकाष्ठा, त्याग की उस सर्वोच्च प्रतिमूर्ति महारानी पद्मावती को आज उनके बलिदान अर्थात जौहर दिवस पर नमन  वन्दन और अभिनन्दन है।
🚩भारत की नारी महान है,धर्म और शील की रक्षा के लिए प्राण दे सकती है। पर आज की नारियां पाश्चात्य संस्कृति के पीछे अंधी दौड़ में अपनी महानता भूल गई है। लव जिहाद आदि में फस जाती है। भारत की नारियों को फिर से अपनी महानता को पहचानना चाहिए।
🚩लज्जावासो भूषणं शुद्धशीलं पादक्षेपो धर्ममार्गे च यस्या।
नित्यं पत्युः सेवनं मिष्टवाणी धन्या सा स्त्री पूतयत्येव पृथ्वीम्।।
🚩'जिस स्त्री का लज्जा ही वस्त्र तथा विशुद्ध भाव ही भूषण हो, धर्ममार्ग में जिसका प्रवेश हो, मधुर वाणी बोलने का जिसमें गुण हो वह पतिसेवा-परायण श्रेष्ठ नारी इस पृथ्वी को पवित्र करती है।' भगवान शंकर महर्षि गर्ग से कहते हैः 'जिस घर में सर्वगुणसंपन्ना नारी सुखपूर्वक निवास करती है, उस घर में लक्ष्मी निवास करती है। हे वत्स ! कोटि देवता भी उस घर को नहीं छोड़ते।'
🚩भारतीय नारी को ऐसी महानता अपनाकर समाज-देश और धर्म का नाम रोशन करना चाहिए।
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