01 सितंबर 2019
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धर्म-परिवर्तन की समस्या हिंदुस्तान एवं हिंदु धर्म पर अनेक सदियों से पर विधर्मियों द्वारा होनेवाला धार्मिक आक्रमण हैं ! इतिहास में अरबीयों से लेकर अंग्रेजों तक अनेक विदेशियों ने हिंदुस्तान पर आक्रमण किए । साम्राज्य विस्तार के साथ ही स्वधर्म का प्रसार, यही इन सभी आक्रमणों का सारांश था । आज भी इन विदेशियों के वंशज यही ध्येय सामने रखकर हिंदुस्तानमें नियोजनबद्धरूपसे कार्यरत हैं । पर अभी कुछ राज्य सरकारें जाग रही हैं जो अब दबाव, लालच, शादी या धोखाधडी से जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर सजा का प्रावधान ला रहे है ये एक अच्छी पहल है।
हिमाचल प्रदेश की सरकार ने पहले गाय को राष्ट्रमाता घोषित किया था अब धर्मपरिवर्तन पर कैची चलाई है।
हिमाचल प्रदेश में अब जबरन धर्मांतरण पर रोक लगेगी ! इस बिल को गुरुवार को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन के पटल पर रखा था। मानसून सत्र के दौरान शुक्रवार को सदन में धर्म की स्वतंत्रता विधेयक-2019 को पारित कर दिया गया। शुक्रवार को विपक्षी दल कांग्रेस के विरोध के बीच पारित कर दिया गया है !
चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि नया कठोर कानून इसलिए जरुरी हो गया था क्योंकि खासकर रामपुर और किन्नौर में जबरन धर्मांतरण बढ़ता जा रहा है। यह विधेयक हिमाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम-2006 का स्थान लेगा। नए कानून के तहत सात साल तक की कैद का प्रावधान है, जबकि पुराने कानून में तीन साल की कैद की सजा की व्यवस्था थी। अलग-अलग वर्गों और जातियों के लिए यह प्रावधान किए गए हैं !
यह विधेयक बहकाने, जबरन, अनुचित तरीके से प्रभावित करने, दबाव, लालच, शादी या किसी भी धोखाधड़ी के तरीके से धर्म परिवर्तन पर रोक लगाता है। यदि कोई भी शादी बस धर्मांतरण के लिए होती है तो वह इस विधेयक की धारा 5 के तहत इसे अमान्य माना जाएगा !
मूल धर्म में वापसी के लिए कोई शर्त नहीं:
इस विधेयक के अनुसार, अगर कोई शख्स अपना मजहब बदलना चाहता है तो उसे कम से कम एक महीने पहले जिलाधिकारी को लिखकर देना होगा ! उसे यह बताना होगा कि, वह स्वेच्छा से ऐसा कर रहा है ! धर्मांतरण करानेवाले पुरोहित/पादरी या किसी धर्माचार्य को भी एक महीने पहले इसकी सूचना देनी होगी ! अपने मूल धर्म में वापस आनेवाले व्यक्ति पर ऐसी कोई शर्त नहीं होगी। अगर दलित, महिला या नाबालिग का जबरन धर्मांतरण कराया जाता है तो दो से सात साल तक की जेल की सजा मिल सकती है ! स्त्रोत : ऑप इंडिया
आपको बता दें कि नागभूमि में (नागालैंड में) ईसाइयों के धार्मिक दिवस रविवार के दिन अन्य कार्यक्रम प्रतिबंधित हैं । उस दिन बसें भी बंद रहती हैं । कृषक अपने खेतों में रविवारको काम नहीं कर सकते । यदि वे करें, तो उन्हें 5 सहस्र रुपए दंड भरना पड़ता है एवं 25 कोड़े खाने पड़ते हैं ।
नागालैंडमें ‘Nagaland belongs to Jesus Christ ! Bloody Indian dogs get lost !’ !’ अर्थात् ‘नागालैंड ईसा मसीह की भूमि है ।
मूर्ख भारतीय कुत्तों, यहांसे निकल जाओ !’ इस प्रकारकी घोषणाएं जगह-जगहपर लिखी हुई मिलती हैं ।’
मूर्ख भारतीय कुत्तों, यहांसे निकल जाओ !’ इस प्रकारकी घोषणाएं जगह-जगहपर लिखी हुई मिलती हैं ।’
मिजोरम में, मिजो राजा के ढोल जैसा परंपरागत वाद्य बजाने पर वहां के ईसाई संगठनों ने प्रतिबंध लगा दिया है । वहांके ईसाइयोंने धमकी दी है, ‘यदि राजा ने यह परंपरा जारी रखी, तो इसके परिणाम गंभीर होंगे’ ।
तमिलनाडु राज्य में ईसाई बने मछुआरे समाज ने स्वामी विवेकानंद का स्मारक बनाने का विरोध किया ।
कालडी (केरल) नामक आदिगुरु शंकराचार्य के इस गांव में उनके नाम से अभ्यास केंद्र बनानेका ईसाई बने वहांके ग्रामीणोंने विरोध किया है ।
आज मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और मणिपुर का पर्वतीय भाग एवं अरुणाचल प्रदेश के कुछ भागों में धर्मांतरित जनजातियों में राष्ट्रविरोधी भावना तीव्र है ।’ – श्री. विराग श्रीकृष्ण पाचपोर
‘स्वतंत्र ईसाई राज्य मिलनेके पश्चात् फुटीरतावादी ईसाइयोंने स्वतंत्र नागालैंड राष्ट्रकी मांग करनेके लिए देशके विरुद्ध सशस्त्र विद्रोहकी घोषणा की ।’
– डॉ. नी.र. व हाडपांडे (दैनिक ‘तरुण भारत’, 15.6.2008)
– डॉ. नी.र. व हाडपांडे (दैनिक ‘तरुण भारत’, 15.6.2008)
सुप्रसिद्ध हस्तियों के उद्गार-
स्वातंत्र्यवीर सावरकरने अनेक वर्ष जनजाग्रति करते समय चेतावनी दी, ‘धर्म-परिवर्तन राष्ट्र परिवर्तन है ।
‘हिंदु समाज का एक व्यक्ति मुसलमान अथवा ईसाई बनता है, तो इसका अर्थ इतना ही नहीं होता कि एक हिंदु घट गया; इसके विपरीत हिंदु समाज का एक शत्रु और बढ़ जाता है ।’ – स्वामी विवेकानंद
‘विश्वमें अबतक हुए युद्धों में जितना रक्तपात नहीं हुआ होगा, उससे कहीं अधिक रक्तपात ईसाई और मुसलमान इन दो धर्मियों द्वारा किए गए धर्म-परिवर्तनके कारण हुआ ।’ – श्री. अरविंद विठ्ठल कुळकर्णी, ज्येष्ठ पत्रकार, मुंबई
इस धर्मपरिवर्तन रोकने के लिए केंद्र सरकार को कानून बनाना चाहिए और जनता को जागरूक रहना चाहिए जो भी लालच-भय से धर्मपरिवर्तन करवाता है उनका कानूनी तरीके से विरोध करें।
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