*नागरिकता संशोधन बिल यानी गुरुवार को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून बना। इसके बाद से ही, खासकर जुमे की नमाज के बाद से दिल्ली, अलीगढ़, मुर्शिदाबाद, पटना से विरोध के नाम पर हिंसा करने पर अमादा समूहों की खबरें लगातार सामने आ रही है।*
*विरोध कर रहे लोगों का मानना है कि ये कानून देश के हर मुसलमान के मानवाधिकार उनसे छीन लेगा और भारत को हिंदुत्व राष्ट्र बना देगा…अब ऐसे में इस बात में कितनी सच्चाई है, इसके लिए जानना जरूरी है कि आखिर नागरिकता कानून है क्या? और आखिर क्यों मुसलमान इसे अपने खिलाफ़ मान रहे हैं? आखिर क्यों देश की धर्मनिरपेक्षता पर सवाल खड़ा किया जा रहा है? और क्यों पढ़ा-लिखा तबका भ्रम फैलाकर इसपर अपना प्रोपोगेंडा चला रहा है।*
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क्या है नागरिकता संशोधन कानून (CAA) ? |
*क्या है नागरिकता संशोधन कानून (CAA) ?*
*9 दिसंबर को लोकसभा, 11 दिसंबर को राज्यसभा और 12 दिसंबर को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद अस्तित्व में आए नागरिकता संशोधन कानून का मूल उद्देश्य केवल उन अल्पसंख्यक समुदाय (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) धर्म के लोगों को नागरिकता प्रदान करना है, जिन्हें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ्गानिस्तान में धार्मिक कारणों से प्रताड़ित किया गया। इसके अलावा इस कानून का दूसरा उद्देश्य घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें उनके मुल्क वापस भेजना भी है। इसके अलावा इस कानून का तीसरा कोई उद्देश्य नहीं है।*
*फिर विरोध के नाम पर हिंसा क्यों?*
*CAA के विरोध में सड़कों पर उतरा देश का एक निश्चित तबका मान चुका है कि ये कानून मुसलमानों का भारत में अस्त है। वास्तविकता में ऐसा कुछ नहीं है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में बार-बार दोहराया था कि इससे देश के मुसलमान को परेशान होने की कोई आवश्यकता नहीं है। परेशानी की बात सिर्फ़ उन लोगों के लिए है जो अवैध रूप से देश में दाखिल हुए।*
*हालाँकि, इसके बाद भी कुछ लोगों का कहना है कि जब अन्य समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जा रही है तो इसमें मुस्लिमों का नाम क्यों नहीं शामिल है? खुद सोचिए…तीन ऐसे देश, जहाँ पर पहले ही मुसलमान बहुसंख्यक हैं और वहाँ उन्हें कोई दिक्कत नहीं है, उनके मजहब को सम्मान से स्वीकारा जाता है, उन्हें इबादत के लिए रोका नहीं जाता, उनके धार्मिक स्थलों पर किसी मजहब का खतरा नहीं मंडराता और उनकी बहन-बेटियों का जबरन धर्म परिवर्तन नहीं किया जाता, तो फिर आखिर उनको भारत में किस आधार पर जगह दी जाए। क्या सिर्फ़ इसलिए कि घुसपैठियों को भी नागरिक होने का वैधानिक दर्जा मिल जाए?*
*सोचिए! क्या वाकई हमारे देश का पढ़ा-लिखा तबका इतना मूढ़ हो चुका है कि उसे लगता है कि घुसपैठियों को वापस भेजने से उन पर या देश की धर्मनिरपेक्षता पर खतरा मंडराएगा। क्या वाकई ये विरोध में उतरी भीड़ चाहती है कि 1 अरब 30 करोड़ की आबादी वाले देश में ऐसे घुसपैठियों को जगह दी जाए, जो बिना मजबूरी के भारत में घुस आए हैं और जो अब शरणार्थियों के नाम पर अपराधों को अंजाम दे रहे हैं? या फिर ये मान लिया जाए कि वामपंथी गिरोह की तरह ये लोग भी केवल देश के अन्य लोगों में भ्रम फैलाने का काम कर रहे हैं? या ये समझा जाए कि ये भीड़ शायद इस कानून के मूल उद्देश्यों से सचेत ही नहीं है?*
*देश का मुसलमान क्यों नहीं है खतरे में…*
*देश का हर व्यक्ति जिसके पास भारत की नागरिकता है। उसे कानून रूप से कोई भी देश से अलग नहीं भेज सकता। फिर चाहे वो मोदी सरकार हो या फिर उनका लाया नागरिकता संशोधन कानून।*
*कौन है देश का नागरिक?*
*नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत नागरिकता हासिल करने के चार तरीके हैं:*
●जन्म से नागरिकता (धारा 3)
●वंश द्वारा नागरिकता (धारा 4)
●पंजीकरण द्वारा नागरिकता (धारा 5)
●प्राकृतिकिकरण द्वारा नागरिकता। (धारा 6)
*जन्म के आधार पर नागरिकता*
*अधिनियम की धारा 3 जन्म से संबंधित नागरिकता है। इस कानून को पहली बार 1955 में बनाया गया था। जिसके अनुसार 1 जनवरी 1950 को या उसके बाद भारत में पैदा हुए लोग भारतीय नागरिक होंगे। हालाँकि कुछ समय बाद इसमें एक संशोधन हुआ और इस प्रकार की नागरिकता को उन लोगों के लिए सीमित किया गया जो 1 जनवरी 1950 और 1 जनवरी 1987 के बीच भारत में पैदा हुए। इसके बाद पैदा हुए लोगों के लिए अनिवार्य किया गया कि नागरिकता के लिए माता-पिता में से किसी एक का भारतीय होना जरूरी है। इसके बाद साल 2003 में इस प्रकार की नागरिकता देने वाले कानून को और कठोर किया गया और जिसमें कहा गया है कि 3 दिसंबर, 2004 के बाद पैदा हुए वो लोग, जिनके माता-पिता में से एक भारतीय हो और दूसरा अवैध प्रवासी न हो, वे भारतीय नागरिकता के पात्र होंगे।*
*वंश के आधार पर नागरिकता*
*भारत के बाहर पैदा हुआ ऐसा व्यक्ति जिसके माता-पिता उसके जन्म के समय भारत के नागरिक थे, तो वह वंश के आधार पर भारत का नागरिक होगा। हालाँकि इसमें एक शर्त है कि 1 वर्ष के भीतर भारतीय वाणिज्य दूतावास में उसके पंजीयन होना चाहिए, साथ ही एक घोषणा हो कि वह किसी अन्य देश का पासपोर्ट नहीं रखता है।*
*पंजीकरण द्वारा नागरिकता*
*यह साधन उन विदेशी नागरिकों के लिए भारतीय नागरिकता का द्वार खोलता है, जो विवाह या कुल के माध्यम से भारतीय नागरिक के साथ संबंध रखते हैं। आवेदक को इसके लिए भारत में रहने की निर्धारित अवधि की शर्तों को पूरा करना होता है। कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसी तरीके से भारतीय नागरिकता प्राप्त की थी।*
*प्राकृतिकिकरण द्वारा नागरिकता*
*इस तरह से उन व्यक्तियों को भारतीय नागरिकता मिलती है- जिनका रक्त, मिट्टी या विवाह के माध्यम से भारत के साथ कोई संबंध नहीं है। अधिनियम की तीसरी अनुसूची में प्राकृतिककरण की शर्तों का उल्लेख किया गया है। गौरतलब है इसी प्रकार से दलाई लामा और अदनान सामी ने भारतीय नागरिकता हासिल की है।*
*यहाँ स्पष्ट कर दें कि भारत किसी भी व्यक्ति को एक साथ दोहरी नागरिकता रखने का अधिकार नहीं देता है और न ही कुछ समय पहले तक अवैध प्रवासियों को भारत में टिकने का अधिकार देता था। लेकिन कुछ दिन पहले आए संशोधन कानून के बाद गैर-मुस्लिम प्रवासियों के लिए ये शर्त समाप्त कर दी गई। जिसके बाद अब हिंदू, सिख ,जैन, बौद्ध, पारसी, ईसाई अवैध प्रवासी नहीं माने जाएँगे।*
*अब इसके बाद जिन लोगों को ऐसा लग रहा है कि केंद्र सरकार इस कानून को लाकर उनपर हमलावर है, उन्हें ये जानने की आवश्यकता है कि सरकार के दबाव में या किसी ऐसे कानून के कारण कोई भी आपसे नागरिक होने का तमगा नहीं छीनता।*
*नागरिकता सिर्फ़ तीन कारणों से जाती है*
*त्याग (सेक्शन 8): जब तक देश का नागरिक किसी निर्धारित प्राधिकरण के पास ये घोषणा-पत्र न दें कि वो भारतीय नागरिकता का त्याग कर रहा है, तब तक उससे उसकी नागरिकता आधिकारिक रूप से नहीं छीनी जा सकती।*
*समाप्ति (धारा 9): ऊपर बताया कि भारत दोहरी नागरिकता को मान्यता नहीं देता है। इसलिए दूसरे देश की नागरिकता पाते ही उसके पास से भारत की नागरिकता समाप्त हो जाती है।*
*वंचन (धारा 9): पंजीकरण या प्राकृतिककरण के जरिए प्राप्त की गई नागरिकरता को ही भारत सरकार रद्द कर सकती है। वो भी केवल तब जब निम्नलिखित बिंदु परिस्थिति पर प्रभाव डालते हों।*
जैसे:
●पंजीकरण या प्राकृतिककरण का प्रमाण-पत्र धोखाधड़ी, गलतबयानी या छिपाव के माध्यम से प्राप्त किया गया था।
●नागरिकता लेने वाले शख्स ने भारत के संविधान के प्रति अरुचि या अप्रसन्नता दिखाई ।
●व्यक्ति ने युद्ध के दौरान दुश्मन के साथ संवाद किया ।
●उस व्यक्ति को भारत की नागरिकता प्राप्त करने के पांच साल के भीतर किसी देश में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
●व्यक्ति 7 वर्षों की निरंतर अवधि के लिए भारत के बाहर एक साधारण निवासी रहा है (जब तक कि निवास का उद्देश्य अकादमिक या सरकारी सेवा नहीं था)
*नागरिकता संशोधन बिल यानी CAB गुरुवार को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून यानी CAA बना। इसके बाद से ही, खासकर जुमे की नमाज के बाद से दिल्ली, अलीगढ़, मुर्शिदाबाद, पटना… से विरोध के नाम पर हिंसा करने पर अमादा समूहों की खबरें लगातार सामने आ रही है। विरोधियों का कहना है कि यह कानून मुसलमानों का मानवाधिकार छीन लेगा। यह भारत को हिंदू राष्ट्र बना देगा। इसे आरएसएस का एजेंडा थोपने की साजिश भी बता रहे।*
*लेकिन, अब आप जान गए होंगे कि इस कानून का किसी भी सूरत में भारत के नागरिकों से कोई सरोकार नहीं है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। यह कानून इस्लामी मुल्क पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ना झेलने वाले अल्पसंख्यकों को शरणार्थियों की पीड़ा से छुटकारा दिलाने का एक जरिया मात्र है। बावजूद इसके यह हंगामा बताता है कि नागरिकता संशोधन कानून तो महज बहाना है, इसके पीछे की साजिशें गहरी हैं। इन साजिशों का पता लगाया जाना वक्ती जरूरत है। -जयन्ती मिश्रा*
https://hindi.opindia.com/national/what-is-citizenship-amendment-bill-and-why-people-are-protesting/
*CAA का नारा लेकर कोई विरोध करता है तो हमारा भी कर्तव्य है कि उसका समर्थन करें क्योंकि ये क़ानून होगा तभी हम सुरक्षित रहेंगे, सरकार देश हित के लिए कार्य कर रही है तो हमारा भी कर्तव्य बनता है कि हम भी उसका समर्थन करें।*
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