Monday, March 16, 2020

कोरोना से डर है या उससे निर्भय हैं तो ये पढ़ लीजिये, क्या करना है अब ?

16 मार्च 2020

*🚩विश्‍वभर में जिस विषाणु ने उत्पात मचाया है, वह कोरोना विषाणु अब भारत में भी प्रवेश कर चुका है तथा दिल्ली, कर्नाटक, केरल, साथ ही महाराष्ट्र इन राज्यों में कोरोना ग्रस्त रोगी दिखाई दिए हैं । कोरोना विषाणु के कारण होनेवाला रोग संक्रमणकारी होने से नागरिकों में भय का वातावरण है । प्रसार माध्यम भी नागरिकों का भय बढाने का काम कर रहे हैं । इस विषाणु ने वैश्‍विक स्तर पर अर्थव्यवस्था, व्यापार, उद्योग, शिक्षा क्षेत्र आदि क्षेत्रों को भी प्रभावित किया है तथा विश्‍व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना को महामारी घोषित किया है । इस पृष्ठभूमि पर कोरोना जैसे संकट के मूल में विद्यमान कारण और उसका मूलरूप से समाधान पर टिप्पणी करना आवश्यक होता है ।*

*🚩वास्तव में कोरोना विषाणु के फैलाव की गति भले ही अधिक हो; परंतु उसके कारण होनेवाली मृत्यु दर अधिक नहीं है; इसलिए नागरिकों को भयग्रस्त होने की आवश्यकता नहीं है । विश्‍व स्वास्थ्य संगठन के मतानुसार यह मृत्युदर केवल 3.5 प्रतिशत है । जिस देश में इस विषाणु की उत्पत्ति हुई, वह चीन भले ही भारत से सटा हुआ हो; परंतु विश्‍व के अन्य देशों की अपेक्षा भारत में कोरोना का संक्रमण इतने अधिक अनुपात में नहीं हुआ है, यह वास्तविकता है । इसका एक कारण भारत की भौगोलिक स्थिति हो; किंतु उसका प्रमुख कारण भारतीय संस्कृति के आचरण में भी है । सनातन हिन्दू धर्म ने जो धर्माचरण के कृत्य करने के लिए कहा है, वो कृत्य आध्यात्मिक, सामाजिक, साथ ही व्यक्तिगत स्तर पर लाभदायक है और वो विज्ञान की कसौटी पर भी खरे उतर रहे हैं । हाथ न मिलाकर हाथ जोडकर नमस्कार करने की अभिवादन की पद्धति उसी का एक अंग है ! कोरोना के भय के कारण से ही क्यों न हो; परंतु अभिवादन की इस पद्धति की वैश्‍विक स्तरपर प्रशंसा की जा रही है । केवल अभिवादन की पद्धति ही नहीं, अपितु भोजन की आदतें, भोजन बनाते समय उपयोग किए जानेवाले घटक, सोने की, दांत मांजने की और स्नान करने की पद्धति जैसे अनेक कृत्यों की नियमावली को आधुनिक भाषा में बताना हो, तो हिन्दू धर्म ने एस्ओपी#ज (मानक कार्यप्रणाली) बताई हैं । उनके आचरण में केवल व्यक्तिगत ही नहीं, अपितु सामाजिक और अंततः राष्ट्रीय हित भी समाहित है ।*

*••★अग्निहोत्र की आवश्यकता*

*🚩अधिकांश भारतीय शाकाहारी हैं । भारतीय खाद्य पदार्थों में हल्दी,आले जैसे संक्रमणविरोधी, साथ ही अन्य आयुर्वेदीय घटक समाहित होते हैं । खुलेपन के नाम पर पाश्‍चात्य लोग एक-दूसरे के बरतनों में स्थित बाईट (निवाला) लेने में भले ही स्वयं को धन्य मानते हों; परंतु भारतीय संस्कृति ने जूठा अन्न खाना अनुचित माना है । भोजन के पश्‍चात अथवा शौचकर्म के पश्‍चात टिश्यू पेपर से हाथ पोंछने की अपेक्षा भारतीयों को पानी से हाथ धोने की आदत है । बीच के एक कालखंड में आयुर्वेद, साथ ही भारतीय ज्ञान-परंपरा की बहुत उपेक्षा की गई; परंतु भारतीय समाज में आज भी धर्माचरण से जुडी कुछ पारंपरिक आदतें और पद्धतियां देखने को मिलती हैं । यदि सनातन हिन्दू धर्म द्वारा निर्देशित पद्धतियों के अनुसार तनिक भी आचरण करने से यदि इतना लाभ मिलता हो, तो संपूर्ण जीवनशैली को ही धर्माधिष्ठित बनाने का प्रयास किया, तो उससे कितना लाभ मिलेगा ? हिन्दू धर्म में वातावरण शुद्धि हेतु अग्निहोत्र बताया गया है । इस अग्निहोत्र में परमाणु विकिरण के संकट को भी टालने का सामर्थ्य है; परंतु अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति जैसे संगठन अभी भी अग्निहोत्र को अंधविश्‍वास कर उसका उपहास करते हैं । इससे बुद्धिवाद के ढोल पीटनेवाले अंनिसवालों का बौद्धिक दिवालियापन ही दिखाई देता है; परंतु उससे उनका कोई लेना-देना नहीं होता । जैसे किसी अंध व्यक्ति ने ‘सूरज नहीं है’, ऐसा कितना भी चिल्लाकर कहा, तो उससे वास्तविकता में कोई बदला नहीं होता, उसी प्रकार अंनिस जैसे स्वयं को आधुनिकतावादी माननेवाले संगठनों ने भारतीय संस्कृति पर चाहे कितना भी कीचड़ उछाला, तब भी उससे भारतीय संस्कृति में दोष उत्पन्न नहीं हो सकता । हिन्दू धर्म द्वारा बताई गई सभी बातें अनुभवजन्य हैं । उनका श्रद्धापूर्वक आचरण करनेवालों को उसका फल तो मिलता ही है । आजतक करोडों लोगों ने इसकी अनुभूति की है । भारतीय संस्कृति का प्रसार करने की, साथ ही विश्‍व को उसका महत्त्व विशद करने का यह एक अवसर पर है । कोरोना को एक हितकारी संकट मानकर भारत को इसका लाभ उठाना चाहिए ।*

*🚩ऐसी स्थिति में साधना ही तारणहार अनेक द्रष्ट संतों में आगामी काल में अनेक प्राकृतिक, साथ ही मनुष्यनिर्मित आपत्तियों की पहाड टूटने की भविष्यवाणी की है । ‘कोरोना’ का संक्रमण इसी की एक झलक है । इस संकटकाल का आरंभ होते ही सभी उपलब्ध तंत्रों के वेंटिलेटर पर जाने की स्थिति बनी है । इसलिए आगे भी जब इससे अधिक संकट आएंगे, तब क्या स्थिति होगी, इसकी केवल कल्पना ही की जा सकती है । किसे स्वीकार हो अथवा न हो; परंतु इस संकटकाल से पार होने हेतु केवल साधना ही तारणहार सिद्ध होगी, यह निश्‍चित है ! आजकल समाज में दिखाई देनेवाले संक्रामक रोग, महंगाई, युद्धजन्य स्थिति, बढता अपराधीकरण इनके तात्कालीन कारण प्रत्येक बार मिलेंगे ही; परंतु ‘कालचक्र’ ही इन सभी समस्याओं का वास्तविक मूल और उत्तर भी है ! स्थिर रहकर स्थिति का सामना करना संभव होने हेतु, साथ ही मन की स्थिरता को अखंडित बनाए रखने हेतु साधना ही महत्त्वपूर्ण होती है । साधना का बल हो, तो उससे व्यक्ति का आत्मिक बल तो बढता ही है; किंतु उसके साथ-साथ ईश्‍वर अथवा गुरु के प्रति की श्रद्धा किसी भी संकट का सामना करने का बल प्रदान कर व्यक्ति को निर्भय बनाती है । हिन्दुओं के पुराणों में दी गई कथाएं भी यही संदेश देते हैं । हिरण्यकशिपू द्वारा भक्त प्रह्लाद को बिना किसी कारण उबलते तेल में डाला जाना, उंची पहाडी से फेंका जाना तो प्रह्लाद के लिए भयावह स्थिति ही थी; परंतु भक्त प्रह्लाद के ईश्‍वरस्मरण में संलिप्त रहने से उन्हें इस संकट का दंश नहीं झेलना पडा । अतः इसी प्रकार से हमारे लिए भी ईश्‍वरभक्ति बढाना ही सभी समस्याओं का समाधान है ।*

*••★नमस्कार करें कोरोना से बचें !*

*🚩भारतीय संस्कृति के अनुसार व्यक्ति का अभिवादन दोनों हाथ जोडकर किया जाता है । हाथ मिलाकर (हैंडशेक कर) अभिवादन करने की पद्धति पश्‍चिमी है । नमस्कार करने से विषाणुओं के फैलने की संभावना बहुत घट जाती है ।*
*विश्‍व अब भारतीय संस्कृति के अनुसार नमस्कार करने का महत्त्व समझने लगा है । भारतीय भी अपनी संस्कृति का अनुसरण करें !*

*••★कोरोना विषाणु की बाधा से बचने के लिए ये करें !*

*🚩खांसते समय, छींकते समय चेहरे को टिश्यू पेपर अथवा रुमाल अथवा कुर्ते की बांह से ढंकें । (हाथ से बिलकुल स्पर्श न करें ।*

*🚩प्रयुक्त टिश्यू पेपर तुरंत कूडेदान में डालकर उसे ढंक दें ।*

*🚩रोगी की सेवा करनेवाले व्यक्ति को खांसी अथवा छींक आने पर वह हाथ को साबुन-पानी अथवा अल्कोहल मिश्रित घोल (सैनिटाइजर) से स्वच्छ करें ।*

*••★कोरोना विषाणुओं की बाधा से बचें !*

*🚩विषाणुओं से प्रदूषित परदेशगमन कक्ष में और टिकट कक्ष में जाने से बचें !*

*🚩सीढियों या उद्वाहक (लिफ्ट) के हैंडल्स को छूनेे के पश्‍चात बिना हाथ धोए चेहरा, आंखें अथवा नाक को स्पर्श न करें !*


*••★शंखध्वनि से कोरोना का खात्मा*

*🚩शंख की आकृति और पृथ्वी की संरचना समान है। नासा के अनुसार शंख बजाने से खगोलीय ऊर्जा का उत्सर्जन होता है, जो जीवाणु का नाश कर लोगों में ऊर्जा व शक्ति का संचार करता है। जहां तक शंख ध्वनि जाती है वहाँ तक हानिकारक बैक्टीरिया मूर्छित हो जाते हैं इसलिए अपने इलाके में शंख ध्वनि अवश्य करें।*

*🚩देशी गाय के गोबर में घी, कूपर आदि डालकर धूप करे जिससे वातावरण की शुद्धि होगी और हानिकारक बैक्टीरिया पनप नहीं पाएंगे।*

*🚩तुलसी, नीम और गिलोय के काढा भी जरूर पियें जिससे रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ेगी और कोरोना जैसे वायरस आप पर हमला नही कर पाएंगे।*


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Sunday, March 15, 2020

अपने घर पर 25 मार्च को ध्वजा फहराने से मिलेगा यश, कीर्ति और विजय

*🚩अपने घर पर 25 मार्च को ध्वजा फहराने से मिलेगा यश, कीर्ति और विजय*

15 मार्च 2020

*🚩 चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा ही वर्षारंभ दिवस है; क्योंकि यह सृष्टि की उत्पत्ति का पहला दिन है । इस दिन प्रजापति देवता की तरंगें पृथ्वी पर अधिक आती हैं । इसी दिन से काल गणना शुरू हुई थी ।*

*🚩भारतीय नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से ही माना जाता है और इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है ।*

*🚩इस दिन भूलोक के वातावरण में रजकणों का प्रभाव अधिक मात्रा में होता है, इस कारण पृथ्वी के जीवों का क्षात्रभाव भी जागृत रहता है । इस दिन वातावरण में विद्यमान अनिष्ट शक्तियों का प्रभाव भी कम रहता है ।*

*🚩 नूतनवर्षारंभ पर ध्वजा खड़ी करने का शास्त्रीय महत्व...*

*🚩देवासुर संग्राम में भगवान श्री विष्णु ने देव सैनिकों को युद्ध के प्रत्येक स्तर पर लाभान्वित करने के लिए युद्ध में जाने से पूर्व, युद्ध के समय एवं युद्ध समाप्ति पर विविध प्रकार की ध्वजा ले जाने की सलाह दी । देवताओं के विजयी होने पर देव सैनिकों ने सोने की लाठी पर रेशमी वस्त्र लगाकर उस पर सोने का कलश रखा । इस प्रकार ध्वजा खड़ी करने से ध्वजा द्वारा संपूर्ण वातावरण में चैतन्य प्रक्षेपित होता है । इस चैतन्य का उस वातावरण में विद्यमान जीवों पर भी प्रभाव पड़ता है । स्वर्ग लोक का वातावरण सात्त्विक एवं चैतन्यमय होता है । इस कारण धर्मध्वजा पर केवल वस्त्र लगाने से ही धर्मध्वजा में उच्च लोकों से प्रक्षेपित तरंगें आकृष्ट होती हैं । इनसे देवताओं को लाभ होता है । धर्मध्वजा में विद्यमान देवतातत्त्व का सम्मान करने के लिए कभी-कभी उसे पुष्पमाला अर्पण करते हैं ।*

*🚩पृथ्वी का वातावरण रज-तमात्मक होता है । साथ ही पृथ्वीवासियों में ईश्वर के प्रति भाव भी अल्प होता है । उन्हें धर्मध्वजा का लाभ मिले, इसलिए धर्मध्वजा को नीम के पत्ते एवं शक्कर के पदकों की माला लगाई जाती हैं । स्वर्गलोक की धर्मध्वजा में पृथ्वी की गुड़ी की अपेक्षा 20 प्रतिशत अधिक मात्रा में चैतन्य ग्रहण होता है । उसके प्रक्षेपण की मात्रा भी 10 से 15 प्रतिशत अधिक होती है ।*

*🚩सैकड़ों वर्षों के विदेशी आक्रमणों के बावजूद भी अपनी सनातन संस्कृति आज भी विश्व के लिए आदर्श बनी है । परंतु पश्चिमी कल्चर के प्रभाव से भारतीय पर्वों का विकृतिकरण होते देखा जा रहा है । भारतीय संस्कृति की रक्षा एवं संवर्धन के लिए भारतीय पर्वों को बड़ी विशालता से जरूर मनाएं ।*

*🚩 घर के ऊपर झंडा या ध्वज पताका अवश्य लगाएं:*

*🚩हमारे शास्त्रों में झंडा या पताका लगाने का विधान है । पताका यश, कीर्ति, विजय , घर में सुख समृद्धि , शान्ति एवं पराक्रम का प्रतीक है । जिस जगह पताका या झंडा फहरता है उसके वेग से नकारात्मक उर्जा दूर चली जाती है ।*

*🚩हिन्दू समाज में अगर सभी घरों में चैत्री नूतनवर्ष के दिन भगवा स्वास्तिक या ॐ लगा हुआ झंडा फहरेगा तो हिन्दू समाज का यश, कीर्ति, विजय एवं पराक्रम दूर दूर तक फैलेगा ।*

*🚩 पहले के जमाने में जब युद्ध में या किसी अन्य कार्य में विजय प्राप्त होती थी तो ध्वजा फहराई जाती थी। ध्वजा का जहां सनातन धर्म में विशेष महत्व एवं आस्था रही है वहीं ध्वज की छत्र छाया में हो रहे पर्यावरण की शुद्धिकरण से सभी को लाभ मिलेगा ।*

*🚩शास्त्रों में भी ध्वजारोहण का विशेष महत्व बताया गया है झंडे या पताका आयताकार या तिकोना होता है ।  जो भवनों, मंदिरों, आदि पर फहराया जाता है ।*

*🚩घर पर ध्वजा लगाने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश तो होता ही है साथ ही घर को बुरी नजर से भी बचाव होता है। घर पर किसी भी प्रकार की बाहरी हवा नहीं लगती है। घर में भूत, प्रेत आदि का प्रवेश नहीं होता । ध्वजा पर हनुमान जी का स्थान होता है, स्वयं हनुमान जी सम्पूर्ण प्रकार से घर की, घर के सम्पूर्ण सदस्यों की रक्षा करते हैं । सभी प्रकार के अनिष्टों से बचा जा सकता है ।*

*🚩सभी हिन्दू घरों में वायव्य कोण यानि उत्तर पश्चिम दिशा में झंडा या ध्वजा जरूर लगाना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उत्तर-पश्चिम कोण यानि वायव्य कोण में राहु का निवास माना गया है। ध्वजा या झंडा लगाने से घर में रहने वाले सदस्यों के रोग, शोक व दोष का नाश होता है और घर में सुख व समृद्धि बढ़ती है।*

*🚩 सभी हिन्दू अपने घरों में पीले, सिंदूरी, लाल या केसरिया रंग के कपड़े पर स्वास्तिक या ॐ लगा हुआ झंडा अवश्य लगाएं। मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति मंदिर के ऊपर लहराता हुआ झंडा देखे तो कई प्रकार के रोग का शमन हो जाता है ।*

*🚩अतः भारतीय नववर्ष रविवार 25 अप्रैल को अपने घर पर ध्वज पताका अवश्य लगाए ।*

*🚩‘नववर्षारंभ’ त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाये और अपनी संस्कृति की रक्षा करेंगे ऐसा प्रण करें।*

*🚩आप सभी भारतवासी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.!!*

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Friday, March 13, 2020

रिपोर्ट : दंगे के लिए हथियारों को पिछले कई दिनों से जमा किया जा रहा था !!

13 मार्च 2020

*🚩हिन्दूओं को खत्म करने की साजिश... एक तरफ ईसाई मिशनरी धर्मान्तरण का धंधा चलाकर पुरजोर से कर रही हैं तो दूसरी तरफ जिहादी बलपूर्वक हिंदुओं को खत्म करना चाहते हैं तो तीसरी तरफ वामपंथी और मीडिया है जो हिंदुओं के खिलाफ जहर उगल रही है इन सबके पीछे उनका उद्देश्य एक है कि हिंदुत्व खत्म हो तो उनका वोटबैंक बने जिसे वे अपनी वोटबैंक के जरिये देश की सत्ता को अपने हाथ मे ले लें। इन सबके पीछे एक ही कारण है इसलिए सबसे पहले अपने धर्म की रक्षा करनी जरूरी है क्योंकि धर्म नहीं रहेगा तो देश की स्वतंत्रता भी खतरे में है।*

*🚩जिस तरफ से दिल्ली दंगे की प्लानिंग पूर्व तैयारी से की थी और हिंदुओं को सुनियोजित तरीके से मारा गया और उनकी सम्पत्ति जला दी गई ऐसा देश में वे किसी भी इलाके में कर सकते हैं। इसके लिए हिंदुओं को शास्त्र के साथ कानूनी मान्यता अनुसार शस्त्र भी अपने साथ रखने चाहिए क्योंकि दिल्ली दंगे में पुलिस भी बचा नहीं पाई भले हम किसी पर हमला न करें पर कम से कम हमारी और परिवार की रक्षा के लिए हथियार तो रखने चाहिए।*

*••● दिल्ली दंगों पर GIA की रिपोर्ट में खुलासा*

*🚩उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के मामले में ग्रुप ऑफ इंटेलेक्चुअल एंड एकेडमिशियन (GIA) ने अपनी फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी को सौंप दी। इस रिपोर्ट में बेहद चौंका देने वाले खुलासे हुए हैं ! रिपोर्ट के अनुसार, ‘नॉर्थ ईस्ट दिल्ली दंगा एक सुनियोजित षडयंत्र था। वामपंथी-जिहादी गुट की एक सुनियोजित तथाकथित क्रांति जिसे दूसरे जगहों पर दोहराने की साजिश रची जा रही है। शहरी नक्सल और जिहादी गुट के जाल ने इस दंगे की योजना रची और उसे अमली जामा पहनाया। पिछले कई वर्षों से मुस्लिम समुदाय में कट्टरता को जिस तरह से बढ़ाया गया वो दंगे की एक वजह रही है !’*

*••● CAA के विरोध के नाम पर हुई हिंसा की शुरुआत !!*

*🚩रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में नागरिकता कानून के खिलाफ विरोधी प्रदर्शनवाली जगहों से दंगे की शुरूआत हुई । सभी विरोध-प्रदर्शनों की जगहों पर महिलाओं को एक ढाल की तरह उपयोग किया गया। घटना स्थलों पर चल रहे लगातार नारेबाजी की वजह से स्थानीय लोग काफी चिन्तित और भयभीत थे। सड़कों, गलियों और बाजारों के पास आयोजित प्रदर्शनों की वजह हमेशा वहां अफरा-तफरी का माहौल रहा। शाहीन बाग मॉडल की वजह से भी एक तनाव जैसा माहौल बनता रहा !*

*••● जिहादी भीड़ ने चुन-चुन कर लोगों को निशाना बनाया*

*🚩रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, ये विरोध प्रदर्शन हिन्दू विरोधी, भारत-विरोधी, पुलिस-विरोधी और सरकार -विरोधी रहा है। जिहादी भीड़ ने टारगेट हत्याएं , चुन-चुन कर लोगों को लूटना और खास तबके की दुकानों को निशाना बनाया गया। दंगे के लिए हथियारों को पिछले कई दिनों से जमा किया जा रहा था।  इन दंगों के तार विदेशी ताकतों से जुड़ी हुई है। जिस नृशंसता से आईबी आफिसर अंकित शर्मा और नेगी की हत्या की गई उससे यही लगता है कि, इन दंगाईयों के तार ISIS जैसे संगठनों से जुड़े हुए हैं !*

*••● ज्यादातर दंगाई बाहरी थे...!*

*🚩रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं को हिंसा की कई वारदातों का सामना करना पड़ा। पीड़ितों में ज्यादा तादाद अनुसूचित और जनजाति के लोगों की है।* *दंगाईयों की पहचान होना जरूरी है। ज्यादातर दंगाई बाहरी थे। पीड़ितों का कहना है। जेएनयू जैसे विश्वविद्यालयों के छात्रों ने भी बढ़-चढ़ कर इस में हिस्सा लिया और वो लोगों को उकसाते हुए पाए गए। सीएए -विरोधी प्रदर्शन शुरूआत से ही हिंसक रहा। दंगों की शुरुआत से पहले कई थानों में हिंसक प्रदर्शन के मामले दर्ज हुए !’*
*~स्त्रोत : जी न्यूज*

*••● बांग्लादेशी भी शामिल थे हिंसा में*

*🚩बता दें कि पिछले साल दिसंबर में CAA-NRC के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान दक्षिण दिल्ली में आगजनी, पथराव और मारपीट की कई घटनाएं हुई थीं।*

*🚩जांच-पड़ताल में दिल्ली पुलिस के विशेष जांच दल (Special Investigation Team) ने जांच में पाया था कि दक्षिण दिल्ली के जामिया नगर के अलावा उत्तर पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर, जाफराबाद, सीमापुरी और दरियागंज में हुए दंगों में बांग्लादेशी भी शामिल थे।*

*🚩एसआइटी से जुड़े अधिकारियों की मानें तो सीसीटीवी फुटेज और खुफिया सूचना पर ऐसे दंगाइयों की पहचान हो चुकी है। इनमें से कई का संबंध पीएफआई से भी है। इसके लिए अब सबूतों को जुटाया जा रहा है। स्त्रोत : जागरण*

*🚩रिपोर्ट को जानकर आप समझ गए होंगे की किस तरीके से हिंदुओं को खत्म करने की साजिश चल रही है और ये भी देखा कि दिल्ली दंगों में अधिक नुकसान दलितों को हुई है फिर भी राष्ट्र विरोधी ताकतों द्वारा बिके कुछ लोग हिंदुओं को आपस मे जाति में बांट रहे हैं, भीम आर्मी बना रहे हैं। हिंदुओं को आपस में तोड़ने के लिए अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। उनसे सावधान आपस में एक बने रहें।*

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