Monday, September 21, 2020

खालिस्तान की मांग करने वालें सिखों की जान लीजिए सच्चाई क्या है?

21 सितंबर 2020


पिछले कुछ समय से खालिस्तान मुद्दे पर बहस दोबारा ज़ोर पकड़ चुकी है। सोशल मीडिया पर अक्सर ऐसी वीडियो और तस्वीरें सामने आती हैं, जिसमें खालिस्तानी समर्थक नज़र आ जाते हैं। खालिस्तान का पाकिस्तान से संबंध भी छुपा नहीं रह गया है। इसका सबसे पुख्ता सबूत है “Khalistan: A Project of Pakistan” (खालिस्तान: पाकिस्तान का एक प्रोजेक्ट) नाम की रिपोर्ट। मैकडोनाल्ड लौरियर इंस्टिट्यूट (MLI) द्वारा प्रकाशित इस रिपोर्ट में पाकिस्तान और खालिस्तानी समर्थकों के बीच संबंधों पर विस्तार से चर्चा की गई है। इस रिपोर्ट पर चर्चा करने के लिए 18 सितंबर 2020 को एक वेबिनार आयोजित कराया गया था। इसका शीर्षक था – “Khalistani Terrorism & Canada” यानी कनाडा में बढ़ते खालिस्तानी आतंकवाद पर चर्चा।




इसका आयोजन नई दिल्ली की थिंक टैंक लॉ एंड सोसाइटी अलायन्स ने कराया था। वेबिनार में शामिल होने वाले मुख्य 4 लोगों ने सिलसिलेवार तरीके से इस मुद्दे पर अपना विचार रखा। इसमें शामिल होने वाले 4 लोग टेरी मिलेव्सकी, रमी रेंजर, सुखी चहल और मेजर गौरव आर्य थे। सबसे पहले MIL की रिपोर्ट के लेखक टेरी मिलेव्सकी ने कहा:

“मैंने 15 अगस्त को ऐसे कई इवेंट देखें, जिसमें खालिस्तान का समर्थन किया जा रहा था। इस बात में कोई संदेह नहीं है ऐसे आयोजनों के पीछे कोई और नहीं बल्कि मिशन पाकिस्तान का हाथ है। कुछ ही सिख ऐसे हैं, जो पाकिस्तान का साथ दे रहे हैं बाकी असली सिखों के साथ पाकिस्तान में अत्याचार किया जा रहा है। उनका धर्म परिवर्तन कराया जाता है, उनके गुरुद्वारों पर हमले होते हैं, उनकी बेटियों के साथ बलात्कार किया जाता है। यही मूल कारण है कि पाकिस्तान में सिखों की आबादी घट रही है।”

इसके बाद उन्होंने कहा कि वो हाल ही में खालिस्तानियों द्वारा तैयार किया गया एक नक्शा देखे। इसमें भारत के कई हिस्सों को शामिल किया गया था, यहाँ तक की दिल्ली के एक बड़े हिस्से पर भी दावा किया गया था।

सच यही है कि भारत कनाडा के खालिस्तानी समर्थकों पर कार्रवाई नहीं कर सकता है। इसका पहला कारण है कि वह कनाडा के नागरिक हैं। दूसरा भारत के पास केवल इस बात के सबूत हैं कि वह आतंकवाद का समर्थन करते हैं न कि आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हैं। भारत के लिए यह स्थिति वॉर ऑफ़ इनफॉर्मेशन जैसी है।

इसके बाद लार्ड रमी रेंजर ने भी इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखा। उन्होंने गुरु गोविंद सिंह की बात का उल्लेख करके अपनी बात शुरू की। उन्होंने कहा, “गुरु गोबिंद सिंह ने कहा था कि विविधता को स्वीकार किया जाना चाहिए। इसका सम्मान होना चाहिए और ज़रूरत पड़ने पर इसकी रक्षा भी करनी चाहिए।”

खालसा पंथ को किसी एक क्षेत्र के लिए नहीं बनाया गया था बल्कि भारत की धार्मिक विविधता को बरकरार रखने के लिए इसका गठन हुआ था। सिखों के धर्म गुरु पूरे भारत देश को अपनी माता की तरह मानते थे। गुरु गोविंद सिंह खुद पटना में पैदा हुए थे और महाराष्ट्र में आगामी कुछ साल बिताए।

उन्होंने बताया कि पंज प्यारे भी भारत के अलग-अलग इलाकों से आते हैं। असल मायनों में खालिस्तानी समर्थक उस देश को ही नुकसान पहुँचा रहे हैं, जिन्होंने उनको शरण दी।

खालिस्तानी समर्थकों को अगर अलग क्षेत्र चाहिए तो उन्हें सबसे पहले पाकिस्तान स्थित गुरु ननकाना साहिब के जन्मस्थल से शुरुआत करनी चाहिए। उसके बाद महाराजा रणजीत सिंह का लाहौर स्थित साम्राज्य अलग शामिल करना चाहिए। पाकिस्तान के 350 गुरुद्वारे आज़ाद कराए जाएँ। भारत तो ऐसा देश है, जिसने हाल ही में गुरु गोविंद सिंह का 350वाँ जन्मदिन मनाया और गुरुनानक का 550वाँ जन्मदिन मनाया।

इसके बाद खालसा टुडे के संस्थापक सुखी चहल ने भी कई अहम बातें कहीं। उन्होंने गुरु गोविंद सिंह के कथन का ज़िक्र करते हुए अपनी बात शुरू की – “देह शिवा वर मोहे एहे।” उन्होंने कहा कि खालिस्तानी समर्थक आतंकवादियों की तस्वीरें सिखों के धर्म गुरुओं के साथ लगाते हैं।

सिखों को यह समझना चाहिए कि पंजाब का सबसे ज़्यादा नुकसान पाकिस्तान ने किया है और खालिस्तानी सिख उनका ही समर्थन कर रहे हैं। हाल ही में पाकिस्तान में एक ग्रंथी की बेटी का अपहरण किया गया था। इसके बाद उसे जबरन इस्लाम कबूल कराया गया और निकाह भी हुआ। उनका कहना था कि हैरानी की बात यह थी कि किसी भी खालिस्तानी समर्थक ने इस घटना का विरोध नहीं किया। खालिस्तानियों को अगर अपना क्षेत्र चाहिए तो उन्हें इसकी शुरुआत पाकिस्तान से करनी चाहिए। इसके बाद उन्हें चीन और अफग़ानिस्तान के इलाकों को भी शामिल करना चाहिए।

अभी सबसे बड़ी माँग यही है कि विदेशों में रहने वाले मॉडरेट सिख खालिस्तानी समर्थकों का विरोध करें। जब किसी दूसरे देश में रहने वाला सिख भारत आता है तो सबसे पहले इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरता है। जिन्होंने सिख पर इतना अत्याचार किया, उसके नाम पर हवाई अड्डे! नाम तो गुरु तेगबहादुर के नाम पर होना चाहिए, जो दिल्ली में शहीद हुए थे। अंत में पूर्व मेजर गौरव आर्या ने भी इस मुद्दे पर अपने विचार रखें। उन्होंने कहा अगर मैं आज हिन्दू हूँ तो सिखों की वजह से हूँ। हमारे अस्तित्व में एक अहम भूमिका सिख धर्म गुरुओं की है। उन्होंने हमारी सुरक्षा के लिए अपना जीवन क़ुर्बान कर दिया। हम विदेशों में भारतीय सीईओ को देख कर खुश होते हैं लेकिन पाकिस्तान के लोगों के साथ ऐसा कुछ नहीं है। वह ऐसे किसी शीर्ष पद पर बैठे व्यक्ति को देख कर कहते हैं कि उसमें इतनी योग्यता ही नहीं है कि वह उस मुकाम तक पहुँचे।
उनके मुताबिक़ अमेरिका सिर्फ और सिर्फ इसलिए सुरक्षित है क्योंकि अमेरिका की सेना देश के बाहर लड़ाई लड़ती है उसे देश के भीतर नहीं लड़ना पड़ता है। - स्त्रोत : ऑप इंडिया

हम रामायण के सिद्धांतों पर चल महाभारत की लड़ाई नहीं लड़ सकते हैं। भारत सरकार को कुछ मुद्दों पर अपना मत स्पष्ट करके कठोर बनना पड़ेगा। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह सब कठिन हो सकता हैं लेकिन भारत के पास क्षमता है और भारत यह सब कुछ नियंत्रित कर सकता है।

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Sunday, September 20, 2020

नेटफ्लिक्स बन चुका है एंटी हिन्दू, वेब सीरीज में हिंदू बच्ची से पढ़वाई नमाज।

20 सितंबर 2020


सीरियलों, सिनेमा, मीडिया आदि में तो हिंदू विरोधी कटेंट परोसा जाता था लेकिन अब वेब सीरीज़ द्वारा भी हिंदू विरोधी कंटेट परोसे जा रहे हैं, काफी फिल्में ऐसे आई कि हिंदुओं का अपमान किया गया, हिंदुत्व पर प्रहार किया गया ।




इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री इन दिनों दर्शकों को रिझाने के लिए अपने मनोरंजन का काम छोड़ लोगों के बीच प्रोपेगैंडा फैलाने पर ज्यादा ध्यान देने लग गई है। आए दिन अलग-अलग सीरीज के जरिए हिंदू धर्म का अपमान और हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का काम किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर तुलनात्मक रूप से इस्लाम धर्म का महिमामंडन किया जा रहा है।

इसी तरह के हिंदू धर्म के प्रति अपमान को लक्षित कर एक चर्चित साइट नेटफ्लिक्स में अनुराग बसु द्वारा रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी काबुलीवाला पर आधारित एक वेब सीरीज में दिखाया गया है। हालाँकि, यह सीरीज नेटफ्लिक्स का ओरिजनल कंटेंट नहीं लग रहा है। इसे पहले Epic On पर उपलब्ध कराया गया था। लेकिन लोगों की नजर इस पर नेटफ्लिक्स पर आने के बाद पड़ी।

सीरीज की कहानी के एक दृश्य में (मिनी) नाम की एक लड़की नमाज अदा करते हुए दिखाई देती है क्योंकि उसका दोस्त काबुलीवाला कुछ दिनों के लिए उससे मिलने नहीं आया था। सीन में छोटी बच्ची को काबुलीवाले के लिए अल्लाह से प्रार्थना करते हुए दिखाया गया है। ताकि उसका दोस्त जल्द ही उससे मिलने आए।

इसमें यह बात ध्यान देने वाली है कि टैगोर की मूल कहानी (जिसके आधार पर यह शो बनाया गया है) में नमाज अदा करने वाली हिंदू लड़की के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं किया गया है। शो के निर्माताओं ने इसे अपने प्रोपेगेंडा के अनुसार डाला है। इस दृश्य में राजनीतिक एजेंडे के अलावा, मूल कहानी से बिल्कुल अलग इस तरह के कथानक को दिखाने के लिए कोई अन्य औचित्य नजर नहीं आ रहा है।

गौरतलब है कि प्रोपेगेंडा हमेशा मनोरंजन उद्योग का एक अभिन्न अंग रहा है। आधुनिक प्रोपेगैंडा के जनक एडवर्ड बर्नेज़ ने एक बार टिप्पणी की थी, “अमेरिकन मोशन पिक्चर आज दुनिया में प्रोपेगेंडा का सबसे बड़ा अचेतन वाहक है।” हालाँकि, यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है कि भारतीय मनोरंजन उद्योग भी प्रोपेगैंडा का एक अचेतन वाहक है।

जिस तरह रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी में नमाज़ अदा करने वाली हिंदू बच्ची को चित्रित कर दिया गया वैसे ही नेटफ्लिक्स पर जल्द ही रिलीज़ होने वाली फिल्मों में से एक में फर्जी ब्राह्मण विरोधी कोटेशन का आविष्कार किया गया है। और इसका श्रेय इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति को दिया गया है।

वहीं नेटफ्लिक्स पर Ghoul और Leela जैसे शो भी उपलब्ध है, जिसमें हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं पर खुले तौर पर निशाना साधा गया है। सांप्रदायिक सौहार्द की खातिर, हिंदू समुदाय की भावनाओं को अक्सर रौंदने की अनुमति दे दी जाती है। लेकिन पारस्परिक सहिष्णुता को दिखाते हुए अन्य धर्मो के खिलाफ शायद ही कोई शो कभी नेटफ्लिक्स आदि पर आते हैं। हिंदू समुदाय को उपदेश जारी करना और एक पक्षीय सहिष्णुता का प्रचार प्रसार करना मनोरंजन उद्योग की एक खास विशेषता बन चुकी है।

यह पहली बार नहीं है, जब नेटफ्लिक्स ने हिन्दू भावनाओं से खिलवाड़ किया है या उनकी छवि को नकारात्मक तरीके से पेश किया गया हो। एंटी हिन्दू नैरेटिव को स्थापित करने का प्रयास नेटफिक्स लगातार कर रहा है। ‘Ghoul’ और  ‘Sacred Games’ के बाद ‘लैला’ के रूप में यह तीसरा प्रयास है। इसका निर्देशन दीपा मेहता, शंकर रमन और पवन कुमार ने किया है। शो प्रयाग अकबर के नॉवेल पर आधारित है।

अमेरिकन कंपनी के वेब सीरिज के माध्यम से लगातार एंटी-हिन्दू सामग्री दिखाने पर लोगों ने Netflix को है Boycott करना शुरू किया है। सोशल मीडिया के जरिए लोग नेटफ्लिक्स को (#BanNetflixInIndia) देश में बैन करने की मांग कर रहे हैं।

अभिनेत्री पायल रोहतगी ने ट्विट कर पूछा है कि क्या नेटफिल्स जिहाद पर भी फिल्म बनाएगा ? जहां पर बहुत सारे स्क्रिप्ट को लेकर विचार हैं लेकिन दुर्भाग्य से यह सनातन धर्म से संबंधित नहीं है। लेकिन शायद आप भारत में अच्छा व्यवसाय करें। इसके साथ ही अभिनेत्री ने भी नेटफ्लिक्स पर बैन लगाने का समर्थन किया है।

आपको बता दें कि नेटफ्लिक्स की नई वेब सीरिज मैंगो ड्रीम्स में भारत के नक्शे को गलत दिखाया गया था जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया था। भारत का गलत नक्शा देख लोगों का गुस्सा भी फुटा था।

नेटफ्लिक्स हिंदू विरोधी तो है साथ में देशविरोधी भी है। देशवासियों को इसका बहिष्कार करना चाहिए और भारत सरकार को इस पर तुरंत प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए।

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Saturday, September 19, 2020

सुप्रीम कोर्ट ने कहा मीडिया किसी एक समुदाय को निशाना नहीं बनायें, क्या हिंदू विरोधी अब रुकेंगे?

19 सितंबर 2020


सुदर्शन न्यूज़ के मुस्लिम अभ्यर्थियों के यूपीएससी में चुने जाने को लेकर दिखाए जा रहे कार्यक्रम पर सुप्रीम कोर्ट ने एतराज़ जताते हुए बचे हुए एपिसोड दिखाने पर रोक लगा दी थी। शुक्रवार (सितम्बर 18, 2020) को इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मीडिया को सख्त संदेश दिया है कि किसी एक समुदाय को निशाना नहीं बनाया जा सकता है।




सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “एक संदेश मीडिया में जाने देना चाहिए कि किसी विशेष समुदाय को लक्षित नहीं किया जा सकता है। हमें एक ऐसे राष्ट्र के भविष्य के बारे में देखना चाहिए, जो सामंजस्यपूर्ण और विविधतापूर्ण हो। हम राष्ट्रीय सुरक्षा को मान्यता देते हैं, लेकिन हमें व्यक्तिगत सम्मान भी करना चाहिए।”

लेकिन जस्टिस चंद्रचूड़ जिस ‘समुदाय’ को निशाना ना बनाए जाने को लेकर संदेश देना चाह रहे थे उन्होंने उसका नाम तक नहीं लिया। यानी इसका अर्थ यह लगाया जा सकता है कि मीडिया में बैठे हुए प्रोपेगेंडा प्रतिनिधि बीबीसी, शेखर गुप्ता का ‘दी प्रिंट’, दी वायर, एनडीटीवी और ऐसे ही न जाने कितने ही हिन्दूफोबिया से ग्रसित पत्रकारिता के समुदाय विशेषों को हिन्दुओं और उनकी आस्था को निशाना बनाने के बारे में सोचना चाहिए।

जिस तरह का बर्ताव मीडिया का यह गिरोह हिन्दू समुदाय से करता आया है, यह कहा जा सकता है कि जस्टिस चंद्रचूड़ ने हिन्दूफोबिक चैनलों को इशारा किया है कि उनके द्वारा हिन्दुओं की आस्था पर आक्रमण भविष्य के भारत के लिए खतरा है और न्यायपालिका उसे बचाने के लिए प्रतिबद्ध है।

वास्तव में, हमने ऐसे अनगिनत उदाहरण देखे, जब किसी दूसरे समुदाय विशेष द्वारा किए गए अपराधों को भ्रामक तरीके से हिन्दुओं द्वारा किए जाने वाले अपराध साबित करने के प्रयास किए गए। हिन्दुओं की आस्था को लगातार खास तरह के चैनलों और पोर्टलों द्वारा नीचा दिखाया जाता रहा है। जस्टिस चंद्रचूड द्वारा दिए गए इस संदेश के बाद तो अब यही लगता है कि अब किसी रेपिस्ट ‘असलम’ को ‘बाबा’ लिख कर, कार्टून में भगवा पहनाने वालों की खैर नहीं।

शेखर गुप्ता के दी प्रिंट ने पिछले साल ही एक लेख प्रकाशित किया था जिसमें दावा किया गया था कि दिल्ली में मौजूद हनुमान जी की विशाल प्रतिमा से समुदाय विशेष के लोगों में दहशत का माहौल है।

इससे पहले सभी लोगों ने सिर्फ यही सुना था कि हनुमान जी का नाम सिर्फ भूत-पिशाचों में ही दहशत पैदा करता है, लेकिन दी प्रिंट के इस लेख में खुलासा किया गया था कि यह भूत-पिशाच कोई और नहीं बल्कि समुदाय विशेष के लोग थे।

यह एक ऐसा ही प्रमुख उदाहरण था जब पत्रकारिता के समुदाय विशेष द्वारा हिन्दू प्रतीकों को अपमानित करने का नैरेटिव खुलकर चलाया गया। तब शायद ही किसी हिन्दू ने शेखर गुप्ता के खिलाफ कोर्ट जाने का फैसला लिया होगा। यही हिन्दू धर्म की सहिष्णुता भी है।

इंडिया टुडे ने एक ऐसी ही खबर प्रकाशित करते हुए समुदाय विशेष के लोगों में बाल विवाह को लेकर सवाल उठाए गए थे। लेकिन शातिर तरीके से इंडिया टुडे ने अज्ञात कारणों से इस लेख में किसी समुदाय विशेष की बच्ची की तस्वीर के बजाए एक हिन्दू बच्ची की तस्वीर इस्तेमाल की थी। शायद इंडिया टुडे जानता था कि उसे किन लोगों से खतरा मोल नहीं लेना है। इंडिया टुडे यह तक कह चुका है कि श्रीराम नाम के नारों से माहौल दूषित हुआ है।

ऐसे ही कई उदाहरण हैं जब मीडिया में हिन्दू धर्म को निशाना बनाते हुए इसे अपमानित और इसके दुष्प्रचार का एजेंडा चलाया जाता है। इन्हीं में से सबसे प्रचलित एजेंडा क्राइम रिपोर्ट्स में अपनाया जाता है। जब पत्रकारिता के समुदाय विशेष द्वारा किसी ढोंगी को, जो कि अक्सर कोई अब्दुल या असलम होता है, भूत-प्रेत या फिर जिन-जिन्नात भगाने के लिए महिलाओं का शोषण या उन पर अत्याचार करते हुए पकड़ा जाता है लेकिन मीडिया का यह गिरोह इसे ‘तांत्रिक’ ‘ओझा‘ या फिर NDTV जैसे समूह ‘बाबा’ लिखकर हिन्दू धर्म को अपमानित करता है और कोई ‘आह’ तक नहीं करता।

खैर, जस्टिस चंद्रचूड़ का यह सन्देश वास्तव में व्यापक है। मीडिया यदि वास्तव में किसी एक समुदाय के खिलाफ एजेंडा चलाने से बाज आए, तो हिन्दू धर्म मीडिया के इस गिरोह का बहुत आभारी रहेगा।

आज तक मीडिया "भगवा आतंकवाद" के नाम से हिंदुओं को बदनाम किया, हिंदू देवी-देवताओं, हिंदू साधु-संतों, हिंदू मंदिरों, हिंदू त्यौहार का खूब अपमान किया अंतराष्ट्रीय स्तर पर हिंदू संस्कृति को बदनाम किया अब इस संदेश से मीडिया को रुकना चाहिए नही तो सुप्रीम कोर्ट को इस पर सख्त कार्यवाही करनी चाहिए सिर्फ एकतरफ फैसले से तो नुकसान ही होगा।

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Friday, September 18, 2020

बॉलीवुड में ड्रग्स का आरोप कोई नया नहीं है, पहले भी कई हीरो-हीरोइन शामिल रहे हैं...

18 सितंबर 2020


सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जॉंच आगे बढ़ने के बाद बॉलीवुड में ड्रग्स का प्रभाव चर्चा में है। रिया चकवर्ती की गिरफ्तारी के बाद से मीडिया रिपोर्टों में लगातार दावा किया जा रहा है कि उन्होंने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के सामने सारा अली खान, रकुल प्रीत सिंह और सिमोन खंबोटा जैसों का नाम लिया है। अब बताया जा रहा है कि एनसीबी की जॉंच में एक और हीरोइन का नाम सामने आया है। हालॉंकि यह नाम अब तक स्पष्ट नहीं है।




वैसे बॉलीवुड में ड्रग्स समस्या कोई नई चीज नहीं है। फिल्मी दुनिया के कई सितारें पहले भी ड्रग लेने की बात कबूल चुके हैं। जाहिर है कि फ़िल्म इंडस्ट्री में ड्रग्स बेहद ही गंभीर समस्या पहले भी थी और अब भी है।

बता दें रणबीर कपूर से लेकर संजय दत्त जैसे कई सितारे इस पर खुल कर अपनी बात रख चुके हैं। वहीं गौरी खान, ममता कुलकर्णी, हनी सिंह से लेकर रणबीर कपूर तक के टॉप सेलिब्रिटीज पर ड्रग्स सेवन का आरोप लग चुका है।

फरदीन खान :: दिग्गज अभिनेता फ़िरोज़ खान के बेटे फरदीन का बॉलीवुड करियर बहुत ही कम समय का था। उन्हें 5 मई 2001 में मुंबई पुलिस ने कोकीन के साथ गिरफ्तार किया था। इस लत को छुड़ाने के लिए उन्होनें डिटॉक्सिफिकेशन कोर्स भी किया था। 2012 में टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ एक साक्षात्कार में, फरदीन ने कहा, “कोई भी मन-परिवर्तन करने वाला पदार्थ, चाहे वह मादक पदार्थ हो या शराब या नशे की गोलियाँ, एक घातक निर्भरता पैदा करती है। इससे पहले कि आप इसके बारे में जाने यह आपको ले डूबता है।” नारकोटिक्स डिपार्टमेंट इस मामले में उन्हें चार्ज करने में 10 साल लग गए थे। जिसके बाद उन्हें जमानत दे दी गई थी।

संजय दत्त :: अनुभवी अभिनेता सुनील दत्त के बेटे संजय दत्त को 1982 में ड्रग रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और इस मामले में उन्हें पाँच महीने जेल में बिताने पड़े थे। दत्त का नाम कई हाई-प्रोफाइल मामलों में शामिल था। जिसमें 1993 में मुंबई में हुए सीरियल ब्लास्ट भी शामिल थे। इंडिया टुडे के साथ एक साक्षात्कार में दत्त ने अपनी ड्रग्स लत की समस्याओं के बारे में विस्तार से बात की थी।

उन्होंने बताया कि ड्रग्स का वो फेज उनकी नौ साल की जिंदगी का सबसे बुरा समय था। दत्त ने ड्रग्स समस्या से छुटकारा पाने के लिए अमेरिका में एक रिहैबिलिटेशन केंद्र में समय बिताया। दत्त ने एक बार कहा था, “कोकीन से हेरोइन तक, हर तरह का ड्रग्स मैंने लिया है।”

उन्होंने अपने बॉयोपिक में (जिसमें रणबीर कपूर ने अभिनय किया था) इस बात का खुलासा किया था कि वे एक ड्रग्स के नशे में 2 दिन तक सोते रहे थे। जब वे दो दिन बाद उठे तो उन्हें बहुत भूख लगी थी। उस दिन के बाद उन्होंने अपने पिता कॉन्ग्रेस नेता रहे सुनील दत्त के मदद से ड्रग्स से बाहर निकलने का फैसला किया था।

ममता कुलकर्णी :: 90 के दशक में ममता कुलकर्णी बी-टाउन से शुरुआती जीवन में बड़े सितारों में एक थी। अभिनेत्री पर ड्रग्स मामलों में लिप्त पाए जाने के बाद 2014 केन्या में मामला दर्ज किया गया था। उन्हें केन्या पुलिस ने पति विक्की गोस्वामी और एक अन्य भारतीय नागरिक कुलम हुसैन के साथ गिरफ्तार किया था। कुलकर्णी ने 2000 के दशक में बॉलीवुड छोड़ दिया था। उन्होंने कथित तौर पर कुख्यात अंतरराष्ट्रीय ड्रग लॉर्ड गोस्वामी से शादी की थी। गोस्वामी ड्रग मामले के आरोप में 10 साल दुबई जेल में बंद था। जिसके बाद उन्होंने केन्या आकर रियल एस्टेट में कारोबार शुरू किया था।

हनी सिंह :: अपने रैप और पंजाबी संगीत के लिए जाने जाने वाले रैपर-कम-स्टार गायक हनी सिंह का शराब के नशे का लंबा इतिहास रहा है। हनी सिंह ने 2016 में एक इंटरव्यू के दौरान अपनी लत की समस्या का खुलासा किया था। जिसके कारण 18 महीने तक इंडस्ट्री से गायब रहे थे। जब वह बिना किसी सूचना के गायब हो गए थे तो यह अफवाहें सामने आई थी कि वह अपनी ड्रग्स की समस्या के लिए रिहैब केंद्र में समय बिता रहे है।

टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में उन्होंने सभी अफवाहों से इनकार करते हुए कहा था कि वह शराब की लत छुड़ाने के लिए इलाज करवा रहे थे। उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें बाइपोलर डिसऑर्डर है और वे एक शराबी है।

गीतांजलि नागपाल :: फैशन इंडस्ट्री को फॉलो करने वालों को गीतांजलि नागपाल के बारे में पता होगा। सुष्मिता सेन और अन्य प्रसिद्ध मॉडलों के साथ रैंप साझा करने वाली सफल मॉडलों में उन्हें जाना जाता है। नशे की लत ने उनसे काफी कुछ छीन लिया। एक फोटो जर्नलिस्ट ने सितंबर 2007 में उन्हें दिल्ली की सड़कों पर भीख माँगते हुए देखा था। हालाँकि किसी को नहीं पता था कि एक पूर्व-नौसेना अधिकारी की बेटी सड़कों पर रहने के लिए क्यों मजबूर हो गई थी। इस घटना से पहले वह एक ब्रिटिश नागरिक के साथ रिश्ते में थी।

गौरी खान :: भारतीय फिल्म उद्योग के सबसे सफल अभिनेताओं में से एक शाहरुख खान की पत्नी गौरी खान पर आरोप लगा था कि गौरी खान को बर्लिन एयरपोर्ट पर मारिजुआना के साथ पकड़ा गया था। हालाँकि पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ दिया गया था। हालाँकि बर्लिन या भारत में हवाई अड्डे के अधिकारियों द्वारा सार्वजनिक रूप से उनका नाम जारी नहीं किया गया था। केवल यह बात सामने आई थी कि एक अभिनेता की पत्नी बर्लिन में पकड़ी गई थी।

सुज़ैन खान :: प्रसिद्ध इंटीरियर डिजाइनर और ऋतिक रोशन की पूर्व पत्नी सुज़ैन खान को लेकर एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि नशे की लत उनके तलाक के पीछे के प्राथमिक कारणों में से एक थी। एक साक्षात्कार में सुज़ैन के पिता अनुभवी अभिनेता संजय खान ने इनडाइरेक्ट तरीके से अपनी बेटी के ड्रग्स की लत के बारे में कहा था। सुज़ैन खान फरदीन खान की चचेरी बहन हैं।

रणबीर कपूर :: दिग्गज अभिनेता ऋषि कपूर और नीतू सिंह के बेटे रणबीर कपूर फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने लोगों में से एक है। उन्हें भी एक मामले में मादक द्रव्यों के सेवन से भी जोड़ा गया था। डेक्कन क्रॉनिकल के साथ अपने एक साक्षात्कार में, उन्होंने कॉलेज के समय में ड्रग्स के सेवन को स्वीकार किया था।

उन्होंने कहा, “मैंने ड्रग्स का इस्तेमाल किया है जब मैं फिल्म स्कूल में था और उस समय बुरे प्रभाव में आ गया था। लेकिन मुझे एहसास हुआ कि अगर मैं ड्रग्स का सेवन जारी रखता हूँ तो मैं जीवन में कुछ नहीं कर पाऊँगा।” हालाँकि उन्होंने कॉलेज के बाद हार्ड ड्रग्स का सेवन नहीं किया लेकिन उन्हें निकोटिन की लत है।

विजय राज :: अपनी कॉमिक भूमिकाओं के लिए जाने जाने वाले विजय राज को 2005 में अबू धाबी पुलिस ने DJ अकील के साथ ड्रग्स रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था। राज ने एक सप्ताह जेल में बिताया था। विजय ने दावा किया कि वह निर्दोष थे और उन्हें समझ में नहीं आया कि हवाई अड्डे के अधिकारी अरबी में क्या बता रहे थे। उन्होंने दावा किया था कि वे कोई नशीला पदार्थ नहीं ले जा रहे थे।

कंगना रनौत :: कंगना रनौत विवादों से घिरे रहने वालों में कोई नया नाम नहीं हैं। कुछ दिनों पहले ही उन्होंने दावा किया था कि 90 प्रतिशत बॉलीवुड ड्रग एडिक्ट है। हालाँकि, उन पर पिछले दिनों आरोप लगे थे कि वह ड्रग्स की आदी थी। उन्होंने मार्च में एक IGTV वीडियो अपलोड किया था। जिसमें उन्होंने अपने जीवन के एक समय में ड्रग एडिक्ट होने की बात स्वीकार की थी। उनके पूर्व-प्रेमी अध्यायन सुमन ने भी एक साक्षात्कार के दौरान यह आरोप लगाया था कि वह ड्रग एडिक्ट हैं।

परवीन बॉबी :: हिंदी फिल्मों में 70 और 80 के दशक की सबसे ग्लैमरस एक्ट्रेस रहीं परवीन बॉबी की जिंदगी भी ड्रग्स के चलते बर्बाद हो गई थी। जानलेवा ड्रग्स और शराब की लत की वजह से उनकी मानसिक हालात बिगड़ गई थी। नशे की लत से मजबूर वह अपने सहयोगियों पर संदेह करने लगी थी। कथित तौर पर उन्होंने दावा किया था कि उनके पास 1993 में हुए मुंबई बम विस्फोट मामले में संजय दत्त के शामिल होने का सबूत है। वह फिल्म निर्माता महेश भट्ट के साथ भी रिश्ते में थीं।

मनीषा कोइराला :: बॉलीवुड में अपनी अदाओं से सबको दीवाना बनाने वाली मनीषा कोइराला को कथित तौर पर एक ड्रग एडिक्ट बताया गया था। कथित तौर पर इसके कारण ही उन्हें कैंसर हुआ था। रिपोर्ट के अनुसार अपने करियर के चरम पर वह ड्रग्स की आदी हो गई थीं। हालाँकि ड्रग्स के नशे को लेकर मनीषा ने कभी खुलकर बात नहीं कि लेकिन ड्रग्स की लत ने ही उनकी पर्सनल जिंदगी और करियर को भी चौपट कर दिया था।

बॉलीवुड, पार्टी और ड्रग्स

यदि कोई बॉलीवुड में सफल होना चाहता है, तो उसे पार्टियों में शामिल होना पड़ता है। यह फ़िल्म इंडस्ट्री में स्थापित नामों से जुड़ने का सबसे अच्छा तरीका है। हालाँकि, ये पार्टियाँ केवल नेटवर्क बिल्डिंग के लिए ही नहीं हैं। उद्योग के सूत्रों का कहना है कि ऐसी पार्टियों के दौरान ड्रग्स का खुल कर सेवन भी किया जाता है। पार्टी में हर तरीके का ड्रग्स इस्तेमाल होते हुए देखा जा सकता है। कोई ऐसा कोना नहीं बचता, जहाँ नशीली दवाइयाँ पड़ी न हो। उद्योग के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि कोकीन और अन्य हार्ड ड्रग्स मुश्किल से ही देख सकते हैं। लेकिन अगर आप पॉट धूम्रपान करना चाहते हैं, तो बॉलीवुड पार्टी में हर तीसरे व्यक्ति के पास कुछ न कुछ मिलेगा ही।

भारतीय संस्कृति को नष्ट करने में सबसे बड़ा हाथ बॉलीवुड का रहा है, चोरी, डकैती, बलात्कार, हत्या, आत्महत्या, साधु-संतों व देवी-देवताओं के अपमान करना, हिंदुओं व हिंदू के खिलाफ फिल्में बनाना, हिन्दू त्यौहार का मजाक उड़ाना, अश्लीलता फैलना आदि बहुत सारे कार्य है जो बॉलीवुड ने किया है जिसके कारण भारतीय संस्कृति को आघात पहुँचा हैं। अभी धीरे धीरे इनकी असलियत सामने आ रही है काफी लोग इनका बहिष्कार करने लगे हैं।

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Thursday, September 17, 2020

जान लीजिए रेप केस में कैसे निर्दोष पुरुषों को फँसाया जाता है, आप भी रहिये सावधान

17 सितंबर 2020


भारतीय संस्कृति में नारी को नारायणी कहा गया है, और परस्त्री को माता बहन बेटी समान बताया है, अपनी पत्नी के अलावा किसी भी महिला के प्रति बुरी नजर न रखना ये भारतीय संस्कृति है लेकिन , टीवी, सिनेमा, नॉवेल, अखबार, इंटरनेट आदि ने अश्लीलता दिखाकर महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण बदल दिया, महिला को एक भोग्या समझने लगे, समाज में विचारधारा बदलने पर रेप केस बढ़ने लगे और रेप बढ़ने के कारण कड़े कानून बनाये गये लेकिन उसके बाद भी बलात्कार की संख्या बढ़ती जा रही है क्योंकि भारतीय संस्कृति की उपेक्षा की जा रही है और पाश्चात्य संस्कृति अपना रहे हैं ये हाल होना स्वाभाविक है ।




अब चिंताजनक यह बात है कि जो वास्तव में दोषी है वे तो आराम से बाहर घूमते हैं और निर्दोष पुरुष इन केस में फँसाए जाते हैं जिसके कारण निर्दोष पुरुषों की जिंदगी बर्बाद हो रही है, ऐसे सैंकड़ों उदाहरण हैं । अभी एक ताजा उदाहरण आपको दे रहे हैं ।

पिछले साल दिसम्बर में उन्नाव में दर्ज गैंगरेप (Gangrape) के मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है । पुलिस (Police) ने कहा है कि पीड़ित महिला ने अपने पिता और भाई पर झूठा आरोप लगाया था । जांच में खुलासा हुआ है कि शादी के 17 दिन बाद मां बनी महिला ने अपने गुनाहों को छिपाने के लिए पिता और भाई पर रेप और देह व्यापार में धकेलने का झूठा आरोप लगाया था । इतना ही नहीं, DNA टेस्ट में यह बात भी पता चली है कि बच्चा उसके प्रेमी का है । महिला ने यह बात कबूली है कि प्रेमी दिलीप के कहने पर ही आरोपी ने अपनों को झुठे मुकदमे में फंसाया था ।

दरअसल, पूरा मामला 29 दिसंबर 2019 का है जब लखनऊ के बंथरा में रहने वाली एक महिला ने तत्कालीन एसपी विक्रांतवीर के समक्ष पिता और सगे चचेरे भाई पर तीन वर्षों से रेप करने का आरोप लगाया था ।

देह व्यापर करवाने का भी आरोप लगाया गया था । इसके बाद 7 माह के गर्भ ठहरने की जानकारी पर आनन-फानन में 19 अप्रैल 2019 को उसकी शादी उन्नाव के सदर कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में करा दी गई थी । शादी के 17 दिन बाद 6 मई को प्रसव पीड़ा शुरू हुआ तो महिला को ससुरालियों को सच बताना पड़ा । इसके बाद आरोप लगाने वाली महिला को एक नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया, जहां उसने बेटे को जन्म दिया ।

पिता समेत 10 लोगों पर दर्ज हुआ था केस:

पीड़ि‍ता की शिकायत पर एसपी ने पिता समेत 10 लोगों के खिलाफ केस दर्ज करवाया था । मंगलवार को मामले का खुलासा करते हुए महिला थाने के एसओ इन्द्रपाल सिंह सेंगर ने बताया कि शादी से दो साल पहले से ही महिला के लखनऊ के बंथरा निवासी दिलीप नाम के युवक से अवैध संबंध थे । इस बीच जब वह प्रेग्नेंट हो गई और जानकारी परिजनों को लगी तो उसकी शादी कर दी गई । बेटे को जन्म देने के बाद अपने गुनाह को छिपाने के लिए महिला ने प्रेमी के कहने पर पिता समेत अन्य लोगों को झूठे मुक़दमे में फंसाया । डीएनए जांच में भी यह बात पता चली है कि दिलीप ही बच्‍चे का पिता है । आरोपी महिला व उसके प्रेमी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है ।

आप देख सकते हैं ऐसे झूठे रेप के आरोप आपके ऊपर लगे तो आपकी स्थिति क्या होगी ? इज्जत, पैसे और समय सब बर्बाद हो जाएगा समाज मे मुँह दिखाने लायक भी रहेंगे । एक तरफा कानून के कारण कितने सज्जन पुरुषों की ज़िन्दगी दाँव पर लगी है ।

महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून जरूरी है परंतु आज साजिश या प्रतिरोध की भावनाओं से निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए बलात्कार के कानूनों का दुरुपयोग हो रहा है । राष्ट्रहित में काम करने वाले सुप्रतिष्ठित हस्तियों एवं संतों के खिलाफ इन कानूनों का राष्ट्र विरोधी ताकतों द्वारा अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है ।

जनता यह भी मांग कर रही है कि जैसे महिला आयोग है वैसे पुरुष आयोग भी होना चाहिए जिसके कारण रेप का झूठा आरोप लगाने वाली महिलाओं पर भी कार्यवाही होनी चाहिए और निर्दोष पुरुषों को न्याय मिलना चाहिए नहीं तो एक के बाद एक निर्दोष पुरुष फँसते जाएंगे ।

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Wednesday, September 16, 2020

बॉलीवुड का संबंध आतंकियों, हत्या, आत्महत्या, कास्टिंग काउच तक का...

16 सितंबर 2020


समाजवादी पार्टी नेता व अभिनेत्री जया बच्चन ने आरोप लगाया कि सोशल मीडिया पर फिल्म इंडस्ट्री को बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केवल मुट्ठी भर लोगों के कारण आप पूरे बॉलीवुड को ड्रग्स एडिक्टेड नहीं बता सकते, उनकी छवि नहीं खराब कर सकते। 




बॉलीवुड की अगर बात बदनामी की ही है, तो आतंकियों से सम्बन्ध रखने, उनकी मदद करने से ज्यादा बदनामी की बात क्या होगी? बॉलीवुड के जाने-माने नाम महेश भट्ट और उनके परिवार के सदस्यों पर यही आरोप था। मुंबई हमलों (26/11) की साजिश रचने वाले डेविड हेडली ने स्वीकारा था कि उसने भट्ट को 26/11 को दक्षिणी मुंबई की तरफ ना जाने की सलाह दी थी।

डेविड हेडली को मुंबई घुमा-घुमा कर दिखाने का आरोप महेश भट्ट के बेटे पर ही रहा है। मगर नहीं इनसे तो बदनामी नहीं होती, बदनामी तो तब होती है जब कोई इस बारे में बोल बैठे?

आतंकियों से सम्बन्ध रखने का ये पहला मामला भी नहीं था। फ़िल्मी सितारों में से कइयों की तस्वीरें भारत से भागे हुए आतंकी दाउद इब्राहीम के साथ दिखी थीं। दाउद के दिए हुए ए.के. 56 के साथ ही संजय दत्त पकड़ा गया था।

इससे क्या बदनामी हुई? नहीं, बिलकुल नहीं। बल्कि उल्टा बॉलीवुड के सितारे प्ले-कार्ड लिए हुए संजय दत्त के समर्थन में खड़े नजर आए। उस पर फिल्म बनाने वाले राजकुमार हिरानी ने इंडिया टुडे के साथ एक इंटरव्यू में बताया था कि संजय दत्त 308 लड़कियों को अपने बिस्तर तक ले जाने के लिए एक अनोखा तरीका इस्तेमाल करता था। वो एक नकली कब्र पर उन्हें ले जाता और कहता कि वहाँ वो उन्हें अपनी माँ से मिलवाने लाया है! ऐसी चीज़ों को जब फिल्मों में दिखाया गया, तब भी बदनामी नहीं हुई थी।

बॉलीवुड के एक दूसरे पोस्टर-बॉय पर तो तारिकाओं से मारपीट करने का अभियोग लगातार लगता रहा है। खुद जया बच्चन की बहु, ऐश्वर्या राय बच्चन भी उसकी शिकार हो चुकी हैं।

इसके अलावा सलमान पर काले हिरण मारने का अभियोग रहा। बिश्नोई लोगों का विरोध ना झेलना पड़ता, तो अपने कुकृत्य में वो कामयाब भी होते। मुंबई में, संभवतः नशे में धुत्त होकर गाड़ी फुटपाथ पर सोए अल्पसंख्यक समुदाय के मजदूरों पर चढ़ा देने का भी उस पर मामला रहा है। पत्रकारों से मारपीट तो सलमान के लिए आम बात है, लेकिन इन सब से बदनामी कहाँ होती है? बदनामी तो तब होती है जब कोई इस बारे में बोल बैठे!

कुछ वर्षों पहले जिया खान नाम की एक युवा अभिनेत्री की आत्महत्या का मामला आया था। ऐसा तो बिलकुल नहीं है कि आत्महत्या बॉलीवुड के लिए कोई नई बात हो, मगर ये मामला इसलिए प्रकाश में आया क्योंकि जिया खान अपना लम्बा सा सुसाइड नोट छोड़ गई थी। इस नोट में आदित्य पंचोली के बेटे सूरज पंचोली का नाम साफ़-साफ़ आता है।

लेकिन किसी को आत्महत्या की कगार तक पहुँचा देना भी कोई बदनामी की बात थोड़ी है? वैसे इस मामले में भी जिया खान की माँ ने आरोप लगाए थे कि महेश भट्ट ने जिया खान को अवसाद ग्रस्त और मानसिक समस्याओं से पीड़ित स्वीकारने के लिए धमकाया था।

बॉलीवुड में “कास्टिंग काउच” पर एक स्टिंग ऑपरेशन हुआ था, जिसे कई लोगों ने देखा होगा। इस मामले में जाने-माने खलनायक शक्ति कपूर भी फँसे थे। मगर इसके उजागर होने पर मामला थमा हो, “कास्टिंग काउच” बंद हो गया हो, ऐसा भी नहीं। जानी-मानी हस्ती सरोज खान ने इस मसले पर कहा था “वो कम से कम रोटी तो देती है। रेप करके छोड़ तो नहीं देते?”

वैसे तो जिस्म बेच कर रोटी का इंतजाम करना भारतीय कानूनों के हिसाब से वेश्यावृति होगा लेकिन संविधान और कानूनों को मान लें तो फिर बॉलीवुड का सेलेब्रिटी कैसा? और हाँ, ध्यान रहे कि इनसे भी कोई बदनामी नहीं होती।

असली मामला तो “तुम्हारा कुत्ता कुत्ता और मेरा कुत्ता टॉमी” वाला है। इस देश में रहकर, यहीं के नागरिकों द्वारा सर पर बिठाए जाने के कारण जो लोग खुद को सेलेब्रिटी मानते हैं, वो जब इसी देश के बारे में कहते हैं कि यहाँ रहने में डर लगता है, या ये कि यहाँ असहिष्णुता का माहौल है, तब तो वो “जिस थाली में खाया, उसी में छेद करना” भी नहीं होता। जिस थाली में खाया, उसी में छेद करना तब हो जाता है, जब बॉलीवुड में काम कर चुका कोई बोल दे कि यहाँ नशे के व्यापार और अपराधी-आतंकी तत्वों से जान पहचान रखने वालों का बोलबाला है।


बाकी हमें उम्मीद है कि जया बच्चन जी के घर में आइना भी होगा। कभी सजते-संवरते उसमें अपनी आँखों से आंखें मिला कर देखिएगा। हो सकता है कुछ शर्म बाकी हो तो वो आँखों में उतर आए। देश का क्या है, तुम्हारा कुत्ता कुत्ता और हमारा कुत्ता टॉमी सुनने के बाद भी जिस थाली में खाया उसमें छेद करने वालों को ढूँढ ही लेगा।

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Tuesday, September 15, 2020

जाने सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध क्यों करना चाहिए, क्या-क्या लाभ होंगे?

15 सितंबर 2020


हिन्दू धर्म का व्यक्ति अपने जीवित माता-पिता की सेवा तो करता ही है, उनके देहावसान के बाद भी उनके कल्याण की भावना करता है एवं उनके अधूरे शुभ कार्यों को पूर्ण करने का प्रयत्न करता है । 'श्राद्ध-विधि' इसी भावना पर आधारित है। इस साल सर्वपितृ अमावस्या 17 सितंबर को है।




पुराणों में आता है कि आश्विन (गुजरात-महाराष्ट्र के मुताबिक भाद्रपद) कृष्ण पक्ष की अमावस (पितृमोक्ष अमावस) के दिन सूर्य एवं चन्द्र की युति होती है । सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है । इस दिन हमारे पितर यमलोक से अपना निवास छोड़कर सूक्ष्म रूप से मृत्युलोक (पृथ्वीलोक) में अपने वंशजों के निवास स्थान में रहते हैं । अतः उस दिन उनके लिए विभिन्न श्राद्ध करने से वे तृप्त होते हैं ।

गरुड़ पुराण में लिखा है कि "अमावस्या के दिन पितृगण वायुरूप में घर के दरवाजे पर उपस्थित रहते हैं और अपने स्वजनों से श्राद्ध की अभिलाषा करते हैं। जब तक सूर्यास्त नहीं हो जाता, तब तक वे भूख-प्यास से व्याकुल होकर वहीं खड़े रहते हैं। सूर्यास्त हो जाने के पश्चात वे निराश होकर दुःखित मन से अपने-अपने लोकों को चले जाते हैं। अतः अमावस्या के दिन प्रयत्नपूर्वक श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। यदि पितृजनों के पुत्र तथा बन्धु-बान्धव उनका श्राद्ध करते हैं और गया-तीर्थ में जाकर इस कार्य में प्रवृत्त होते हैं तो वे उन्ही पितरों के साथ ब्रह्मलोक में निवास करने का अधिकार प्राप्त करते हैं। उन्हें भूख-प्यास कभी नहीं लगती। इसीलिए विद्वान को प्रयत्नपूर्वक यथाविधि शाकपात से भी अपने पितरों के लिए श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।

राजा रोहिताश्व ने मार्कण्डेयजी से प्रार्थना की : ‘‘भगवन् ! मैं श्राद्धकल्प का यथार्थरूप से श्रवण करना चाहता हूँ।

मार्कण्डेयजी ने कहा : ‘‘राजन् ! इसी विषय में आनर्त-नरेश ने भर्तृयज्ञ से पूछा था । तब भर्तृयज्ञ ने कहा था : ‘राजन् ! विद्वान पुरुष को अमावस्या  के दिन श्राद्ध अवश्य करना चाहिए । क्षुधा से क्षीण हुए पितर श्राद्धान्न की आशा से अमावस्या तिथि आने की प्रतीक्षा करते रहते हैं । जो अमावस्या को जल या शाक से भी श्राद्ध करता है, उसके पितर तृप्त होते हैं और उसके समस्त पातकों का नाश हो जाता है।

आनर्त-नरेश बोले : ‘ब्रह्मन् ! मरे हुए जीव तो अपने कर्मानुसार शुभाशुभ गति को प्राप्त होते हैं, फिर श्राद्धकाल में वे अपने पुत्र के घर कैसे पहुँच पाते हैं?

भर्तृयज्ञ : ‘राजन् ! जो लोग यहाँ मरते हैं उनमें से कितने ही इस लोक में जन्म लेते हैं, कितने ही पुण्यात्मा स्वर्गलोक में स्थित होते हैं और कितने ही पापात्मा जीव यमलोक के निवासी हो जाते हैं । कुछ जीव भोगानुकूल शरीर धारण करके अपने किये हुए शुभ या अशुभ कर्म का उपभोग करते हैं ।

राजन् ! यमलोक या स्वर्गलोक में रहनेवाले पितरों को भी तब तक भूख-प्यास अधिक होती है, जब तक कि वे माता या पिता से तीन पीढ़ी के अंतर्गत रहते हैं । जब तक वे मातामह, प्रमातामह या वृद्धप्रमातामह और पिता, पितामह या प्रपितामह पद पर रहते हैं, तब तक श्राद्धभाग लेने के लिए उनमें भूख-प्यास की अधिकता होती है ।

पितृलोक या देवलोक के पितर श्राद्धकाल में सूक्ष्म शरीर से श्राद्धीय ब्राह्मणों के शरीर में स्थित होकर श्राद्धभाग से तृप्त होते हैं, परंतु जो पितर कहीं शुभाशुभ भोग हेतु स्थित हैं या जन्म ले चुके हैं, उनका भाग दिव्य पितर लेते हैं और जीव जहाँ जिस शरीर में होता है, वहाँ तदनुकूल भोगों की प्राप्ति कराकर उसे तृप्ति पहुँचाते हैं ।

ये दिव्य पितर नित्य और सर्वज्ञ होते हैं । पितरों के उद्देश्य से शक्ति के अनुसार सदा ही अन्न और जल का दान करते रहना चाहिए । जो नीच मानव पितरों के लिए अन्न और जल न देकर आप ही भोजन करता है या जल पीता है, वह पितरों का द्रोही है । उसके पितर स्वर्ग में अन्न और जल नहीं पाते हैं । श्राद्ध द्वारा तृप्त किये हुए पितर मनुष्य को मनोवांछित भोग प्रदान करते हैं ।

आनर्त-नरेश : ‘ब्रह्मन् ! श्राद्ध के लिए और भी तो नाना प्रकार के पवित्रतम काल हैं, फिर अमावस्या को ही विशेषरूप से श्राद्ध करने की बात क्यों कही गयी है ?

भर्तृयज्ञ : ‘राजन् ! यह सत्य है कि श्राद्ध के योग्य और भी बहुत-से समय हैं । मन्वादि तिथि, युगादि तिथि, संक्रांतिकाल, व्यतीपात, चंद्रग्रहण तथा सूर्यग्रहण - इन सभी समयों में पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध करना चाहिए । पुण्य-तीर्थ, पुण्य-मंदिर, श्राद्धयोग्य ब्राह्मण तथा श्राद्धयोग्य उत्तम पदार्थ प्राप्त होने पर बुद्धिमान पुरुषों को बिना पर्व के भी श्राद्ध करना चाहिए । अमावस्या को विशेषरूप से श्राद्ध करने का आदेश दिया गया है, इसका कारण है कि सूर्य की सहस्रों किरणों में जो सबसे प्रमुख है उसका नाम ''अमा'' है । उस "अमा'' नामक प्रधान किरण के तेज से ही सूर्यदेव तीनों लोकों को प्रकाशित करते हैं । उसी "अमा" में तिथि विशेष को चंद्रदेव  निवास  करते  हैं,  इसलिए  उसका  नाम अमावस्या है । यही कारण है कि अमावस्या प्रत्येक धर्मकार्य के लिए अक्षय फल देनेवाली बतायी गयी है । श्राद्धकर्म में तो इसका विशेष महत्त्व है ही ।

श्राद्ध की महिमा बताते हुए ब्रह्माजी ने कहा है : ‘यदि मनुष्य पिता, पितामह और प्रपितामह के उद्देश्य से तथा मातामह,  प्रमातामह और वृद्धप्रमातामह के उद्देश्य से श्राद्ध-तर्पण करेंगे तो उतने से ही उनके पिता और माता से लेकर मुझ तक सभी पितर तृप्त हो जायेंगे ।

जिस अन्न से मनुष्य अपने पितरों की तुष्टि के लिए श्रेष्ठ ब्राह्मणों को तृप्त करेगा और उसीसे भक्तिपूर्वक पितरों के निमित्त पिंडदान भी देगा, उससे पितरों को सनातन तृप्ति प्राप्त होगी ।

पितृपक्ष में शाक के द्वारा भी जो पितरों का श्राद्ध नहीं करेगा, वह धनहीन चाण्डाल होगा । ऐसे व्यक्ति से जो बैठना, सोना, खाना, पीना, छूना-छुआना अथवा वार्तालाप आदि व्यवहार करेंगे, वे भी महापापी माने जाएंगे । उनके यहाँ संतान की वृद्धि नहीं होगी । किसी प्रकार भी उन्हें सुख और धन-धान्य की प्राप्ति नहीं होगी ।

यदि श्राद्ध करने की क्षमता, शक्ति, रुपया-पैसा नहीं है तो श्राद्ध के दिन पानी का लोटा भरकर रखें फिर भगवदगीता के सातवें अध्याय का पाठ करें और 1 माला द्वादश मंत्र "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" और एक माला "ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा" की करें और लोटे में भरे हुए पानी से सूर्यं भगवान को अर्घ्य दे फिर 11.36  से 12.24 के बीच के समय (कुतप वेला) में गाय को चारा खिला दें । चारा खरीदने का भी पैसा नहीं है, ऐसी कोई समस्या है तो उस समय दोनों भुजाएँ ऊँची कर लें, आँखें बंद करके सूर्यनारायण का ध्यान करें : ‘हमारे पिता को, दादा को, फलाने को आप तृप्त करें, उन्हें आप सुख दें, आप समर्थ हैं । मेरे पास धन नहीं है, सामग्री नहीं है, विधि का ज्ञान नहीं है, घर में कोई करने-करानेवाला नहीं है, मैं असमर्थ हूँ लेकिन आपके लिए मेरा सद्भाव है, श्रद्धा है । इससे भी आप तृप्त हो सकते हैं । इससे आपको मंगलमय लाभ होगा ।


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