Saturday, September 26, 2020

यह घटना पाकिस्तान नही हिंदुस्तान की है, जानिए हिंदू घटा वहाँ क्या हाल हुआ !

26 सितंबर 2020


सेक्युलर हिंदू बोलते रहते हैं कि कुछ हिंदू लोग हिंदू-मुस्लिम करते रहते हैं। उनके पास दूसरा कुछ काम नही है, इसलिए हिंदू-मुस्लिम करके अपनी रोटियां सेक रहे हैं। बाकी तो हम भाई-भाई हैं आपस मे मिलजुल कर रहते हैं और कही एक हिंदू की किसी अब्दुल कलाम जैसे अच्छे मुस्लिम ने मदद कर दी तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार करेंगे लेकिन वास्तविकता क्या है ये आपके सामने नही आने देंगे अगर वास्तविकता जाननी है तो पाकिस्तान बनाने में दलित नेता जोगेंद्र नाथ मंडल ने भूमिका निभाई थी उनकी आपबीती और कश्मीरी पंडितों की आपबीती पढ़ लेना, सेक्युलरिज्म का नशा अपने आप उतर जाएगा।




आपको यहाँ एक ताजा घटना बता रहे हैं उससे भी आपकी थोड़ी आँखे खुल जाएगी...

चौथी कक्षा के एक बच्चे ने अनजाने में एक फेसबुक पोस्ट किया। इस पोस्ट को लेकर सैकड़ों की संख्या में मुस्लिमों ने हिंदू परिवार पर दिनदहाड़े हमला कर दिया। घटना कानपुर के मकनपुर गाँव की है। 18 सितंबर को यह हमला हुआ। इस्लामी भीड़ ने तीन घंटे से ज्यादा बवाल किया। हिंदू परिवार के घर पर पथराव किया गया। सीढ़ियों के सहारे घर की छत पर चढ़कर तोड़फोड़ और लूटपाट की गई। परिवार के बुजुर्गों और महिलाओं को भी नहीं छोड़ा।

हमले में घर के मालिक आलोक गुप्ता गंभीर रूप से घायल हो गए। उनकी माँ और लकवाग्रस्त पिता को भी चोटें आई। बिल्होर थाने में इस संबंध में 58 लोगों के खिलाफ 21 सितंबर को एफआईआर दर्ज कराई गई।

घटना के बाद बजरंग दल के प्रदेश सचिव रामजी तिवारी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने इस घटना का उल्लेख करते हुए इलाके के हिंदुओं की दयनीय स्थिति से उन्हें अवगत कराया है।

ऑपइंडिया के पास इस पत्र की कॉपी है। इसमें बताया गया है कि ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान आलोक गुप्ता के नाबालिग बच्चे ने अनजाने में अपने पिता के फेसबुक प्रोफाइल से एक पोस्ट कर दी। इससे इलाके के कुछ कट्टरपंथी भड़क उठें।

अगली सुबह परिवार को इसका एहसास होता उससे पहले सैकड़ों की संख्या में इस्लामी कट्टरपंथी आलोक के घर के बाहर जुट गए। ‘मारो, काटो’ सहित अन्य भड़काऊ नारें लगाते हुए भीड़ ने उनके घर पर पथराव शुरू कर दिया।

पलक झपकते ही कुछ उन्मादी आलोक के घर पर चढ़ गए और लूटपाट तथा तोड़फोड़ शुरू कर दी। कोई भी बात सुने बिना उन्मादी भीड़ ने आलोक की बुजुर्ग माँ और लकवाग्रस्त पिता को एक कोने में धकेल दिया और आलोक की बुरी तरह से पिटाई शुरू कर दी। महिलाओं से गहने छीन लिए। घर में रखे पैसे ले गए और आलोक को लहूलुहान छोड़ दिया। रामजी तिवारी का कहना है कि यह सबकुछ दिनदहाड़े पुलिस की मौजूदगी में हुआ। घटना को फिल्मा रहे कुछ स्थानीय पत्रकारों और युवाओं के मोबाइल भी भीड़ ने तोड़ दिए। लवकुश कटियार नामक एक स्थानीय पत्रकार की भीड़ ने बुरी तरह पिटाई की। गंभीर चोटों के कारण कटियार को कानपुर के अस्पताल के आईसीयू में दाखिल कराना पड़ा।

तिवारी के अनुसार इस घटना से आसपास के हिंदू परिवार भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। उन्होंने भी मकनपुर छोड़ने का फैसला किया। इस इलाके में हिंदू पहले से अल्पसंख्यक हैं और डर के साए में जीते हैं। तिवारी ने मुख्यमंत्री से घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ, जिनका नाम एफआईआर में दर्ज हैं, पर सख्त कार्रवाई की माँग की है।

ऑपइंडिया के पास वे वीडियो भी हैं, जिसमें पीड़ित परिवार घटना की भयावहता बयाँ कर रहे हैं। आलोक की मॉं ने बताया कि सुबह 8 बजे अचानक से भीड़ उनके घर के पास जुट गई और वे समझ पाते कि क्या हुआ है, उससे पहले उनका घर लूट लिया गया। परिवार ने बताया, “पूरा तांडव तीन घंटे तक चलता रहा”। आलोक की मॉं ने बताया कि घर के भीतर घुसने वाली भीड़ ने उन्हें और उनके ​पति को धकेल दिया तथा उनके बेटे की बुरी तरह पिटाई की। घर के मंदिर और मूर्तियों को तोड़ दिया। उन्होंने बताया कि बंदूक की गोली जैसी आवाज भी अपने घर के बाहर से उन्होंने सुनी थी।

उन्होंने आगे बताया कि पुलिस मूकदर्शक बनी रही और उन्हें बचाने की कोशिश नहीं की। आलोक की बुरी तरह पिटाई होने के बाद दो पुलिस कॉन्स्टेबल घर के अंदर गए और उन्हें बाहर निकाला। परिवार के एक अन्य सदस्य ने कहा कि बिल्होर पुलिस स्टेशन के अधिकारी, निरीक्षक हर कोई वहाँ मौजूद था लेकिन किसी ने मदद नहीं की। घटना के बाद वे आलोक को ले गए उसे भी कुछ दिन पुलिस हिरासत में रखा।

वहीं वीडियो में मौजूद तीसरे व्यक्ति ने पुष्टि की कि घटना को रिकॉर्ड करने का प्रयास करने वाले लोगों को भी पीटा गया था और उन्मादी इस्लामी भीड़ द्वारा उनके मोबाइल को भी तोड़ दिया गया था।

ऑपइंडिया ने की पीड़ित के भांजे से बात

ऑपइंडिया ने आलोक के भांजे कुणाल से भी बात की तो उन्होंने बताया कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के लगातार दबाव बनाने के बाद आरोपितों को बचाने की कोशिश के आरोप में बिल्होर थाने के एसएचओ संतोष कुमार अवस्थी और मकनपुर थाने के प्रभारी वेद प्रकाश मिश्रा का ट्रांसफर कर दिया गया है। कुणाल के अनुसार एक सप्ताह बाद भी उपद्रवियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। बिल्होर पुलिस ने मामले में कुछ गिरफ्तारी की थी, लेकिन उनके खिलाफ आईपीसी की धाराएँ इतनी कमजोर थीं कि उन्हें तुरंत जमानत मिल गई।

उन्होंने यह भी पुष्टि की कि थाने लाए गए कुछ और उपद्रवियों को बिना सवाल पूछे ही जाने दिया गया। कुणाल ने आरोप लगाया कि भीड़ में शामिल लोगों ने पुलिस को रिश्वत दी थी, जिसके कारण उनके खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई।

यह घटना कोई पाकिस्तान की नही बल्की हिंदुस्तान की है, आप सोचो एक बच्चे से गलती से पोस्ट शेयर हो गई उसके कारण एक हिंदू परिवार को कितना नुकसान भुगतना पड़ा अगर पुलिस नही होती तो हत्या भी हो सकती थी, जहाँ भी हिंदू घटा अथवा जाती में बंटा वहाँ यही हाल होगा, अभी भी समय है एक बने रहे जब तक जनसंख्या नियंत्रण कानून नही आये तब तक कम से कम हिंदुओं को 4 बच्चें तो पैदा करने ही चाहिए।

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Thursday, September 24, 2020

पाकिस्तान में हिंदुओं को जबरन इस्लाम कबूल करवाया जा रहा है !

24 सितंबर 2020


भारत में किसी एक मुस्लिम को थप्पड़ भी मार दिया जाए तो तथाकथित बुद्धिजीवी, सेक्युलर, मानव संगठन, मीडिया हल्ला करने लगते हैं और साथ में सरकार व न्यायालय तुरंत कार्यवाही करते हैं, पर बड़ी विडंबना है कि पाकिस्तान में लाखों हिन्दू भयंकर अत्याचार से गुजर रहे हैं, पर किसी के पेट का पानी तक नहीं हिल रहा है।




पाकिस्तान के सिंध प्रांत में 171 हिंदुओं को रविवार (सितंबर 20, 2020) को इस्लाम में धर्मांतरित करवाया गया। पाकिस्तान के ही मानवाधिकार कार्यकर्ता राहत ऑस्टिन ने ये दावा किया है। राहत ऑस्टिन ने सोमवार (सितंबर 21, 2020) को टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि हिंदू पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का धर्म परिवर्तन पाकिस्तान के सिंध प्रांत में मदरसा अहसान-उल-तालीम (Ahsan-ul-Taleem), कराची के संगर में आयोजित एक सामूहिक धर्मान्तरण समारोह में किया गया था। उन्होंने दावा किया कि इस्लामिक आइडियोलॉजी काउंसिल के पूर्व सदस्य नूर अहमद तशर ने उन्हें इस्लाम कबूल करवाया।

रिपोर्ट में बताया गया कि विभिन्न प्रलोभन देकर हिंदू भील समुदाय के लोगों का धर्मांतरण कराया गया। बता दें कि इन्हें पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों में सबसे कमजोर और हाशिए पर रखा गया समुदाय माना जाता है।

इससे पहले जून में, सिंध प्रांत के बाडिन जिले में सौ से अधिक हिंदुओं को इस्लाम में धर्मांतरित किया गया था। कथित तौर पर, एक स्थानीय मंदिर में रखी हिंदू देवताओं की सभी मूर्तियों को नष्ट कर दिया गया और परिसर को एक मस्जिद में बदल दिया गया। 17 मई को सिंध प्रांत में हिंदुओं ने दावा किया था कि तब्लीगी जमात के लोगों ने उन्हें प्रताड़ित किया, उनके घरों में तोड़फोड़ की और इस्लाम कबूल नहीं करने पर एक हिंदू लड़के का अपहरण भी कर लिया।

तब्लीगी जमात के अपहरणकर्ता उक्त लड़के को छोड़ने के लिए रुपए-पैसे की माँग नहीं कर रहे थे। उनका कहना था कि अगर अपहृत लड़के का परिवार इस्लाम अपना लेता है तो उसे छोड़ दिया जाएगा। लेकिन, परिवार इसके लिए तैयार नहीं था। वहीं 15 अगस्त को 204 अल्पसंख्यक हिंदुओं का पाकिस्तान में धर्म परिवर्तन करवाया गया। धर्म परिवर्तन करने वाले अधिकांश हिंदू भील समाज के थे। इनमें से कुछ अभी हाल में धार्मिक वीजा से हिंदुस्तान से लौटे थे। बताया गया था कि 194 हिंदू सादिकाबाद में रहने वाले हैं जबकि 10 (एक ही परिवार के) रहिमयारखान के निवासी हैं। इस धर्मपरिवर्तन की सूचना जोधपुर में रहने वाले लोक संगठन के प्रेमचंद भील ने दी थी। वह लगातार हिंदुओं के संपर्क में हैं और उनके साथ ज्यादतियों को साझा करते रहते है।

पिछले दिनों राहत ऑस्टिन ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर बताया था कि सिमरन का कुछ समय पहले घोटकी-सिंध के मीरपुर इलाके से कट्टरपंथियों ने अपहरण किया था। फिर बलात्कार कर उसे इस्लाम कबूल करवा दिया गया। परिवार ने इंसाफ के लिए कोर्ट में अर्जी लगाई। लेकिन कोर्ट ने उसे यह कहकर खारिज कर दिया कि एक इस्लाम मानने वाले का गैर-इस्लामी परिवार से कोई संबंध नहीं होता। अगर उन्हें उनसे मिलना है तो उन्हें भी इस्लाम कबूल करना होगा।

मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि बीते 50 सालों में पाकिस्तान में बसे 90 प्रतिशत हिंदू देश छोड़ चुके हैं। धीरे-धीरे उनके पूजा स्थल और मंदिर भी नष्ट किए जा रहे हैं। 95 प्रतिशत हिंदू मंदिर नष्ट कर दिए गए हैं। हिंदुओं की संपत्ति पर जबरन कब्जे के कई मामले सामने आ रहे हैं। हिंदुओं की नाबालिग लड़कियों को जबरदस्ती उठाकर शादी कर लेते हैं और उनका धर्म परिवर्तन करवा देते हैं।

पाकिस्तान में हिन्दू मंदिर तोड़े जाते हैं। हिन्दू महिलाओं के साथ दुष्कर्म किये जाते हैं। यहाँ तक कि उठाकर मुस्लिम बना दिया जाता है, श्मशान घाट तक नहीं है, हिन्दुओं की हत्याएं की जाती हैं। हिन्दुओं पर इतना अत्याचार किया जाता है फिर भी उनके लिए कोई आवाज उठाने के लिए तैयार नहीं है।

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Wednesday, September 23, 2020

विश्वविद्यालयों में अब भगवद्गीता में बताए गए विज्ञान पर होगी पढ़ाई।

23  सितंबर 2020


भारत में अपने देश के महान ग्रंथो व वेदों का आदर नही किया लेकिन विदेश के लोग श्रीमद्भगवद्गीता व वेदों से प्रभावित हो रहे हैं और अपने स्कूलों-कॉलेजों में इसकी पढ़ाई भी करवा रहे हैं। अभी कुछ भारतीय भी अपनी प्राचीन संस्कृति की तरफ लौट रहे हैं क्योंकि जो भारत के वेदों में है वो पाश्चात्य संस्कृति में नही है।




आपको बता दें कि मेरठ की सीसीयू यूनिवर्सिटी की अकादमिक परिषद की बैठक में एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। 2021 से स्नातक में बहुविषय की सुविधा दी जाएगी मेरठ की सीसीयू यूनिवर्सिटी छात्र - छात्राओं को जल्द ही रामचरित मानस और श्रीमद्भगवत गीता में लिखे हुए विज्ञान की पढ़ाई कराएगी।इसका सिलेबस तैयार करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है। विवि की अकादमिक परिषद (एकेडमिक काउंसिल) की बैठक ने सोमवार को निर्णय लिया है, कि सीसीयू यूनिवर्सिटी इन दोनों पाठ्यक्रमों में दो वर्षीय डिप्लोमा और सर्टिफ़िकेट देगी।

इस बैठक में हुए कई महत्वपूर्ण निर्णय, रामचरित मानस और श्रीमद्भागवत गीता में ऐसी बहुत सारी बातें हैं जो वाकई वैज्ञानिक हैं, जिसे आधुनिक विज्ञान भी स्वीकारता है। विवि की कमेटी उसी विज्ञान को लेकर पाठ्यक्रम तैयार करेगी। कमेटी में प्रो .एचपी गौतम, कला के संकायाध्यक्ष प्रो.नवीन चंद्र लोहानी, विज्ञान के संकायाध्यक्ष एमके गुप्ता को रखा गया है, जो सिलेबस तैयार करेंगे, सिलेबस बनने के बाद इसे कार्यपरिषद में रखा जाएगा। उम्मीद है की अगले साल तक पाठयक्रम शुरू हो जाए। एकेडमिक काउंसिल ने नई शिक्षा के अनुसार एमफिल पाठयक्रम को समाप्त करने पर अपनी सहमति दे दी है। इसके अलावा नई शिक्षा नीति को स्वीकार कर लिया गया है। 2021 से विवि में स्नातक स्तर पर बहुविषय पाठयक्रम करने के लिए भी कहा गया है। अगले शैक्षणिक सत्र से स्नातक प्रथम वर्ष में छात्रों को बहुविषय पढ़ने को मिलेगा। इसमें पाँच से छह विषय हो सकते हैं। स्नातक के तीसरे साल में विषय कम होंगे, स्नातक चौथे साल में एक विषय रह सकता है।

आपको बता दें कि अमेरिका के न्यूजर्सी में स्थापित कैथोलिक सेटन हॉ यूनिवर्सिटी में गीता को अनिवार्य पाठ्यक्रम के रूप में शामिल किया है ।

रोमानिया देश में कक्षा 11 की पाठ्यपुस्तकों में रामायण और महाभारत के अंश हैं।

हॉलंड की कुछ पाठशालाओं में 5वी कक्षा से ही जागतिक शिक्षण अनिवार्य करने के उद्देश्य से श्रीमदभगवदगीता तथा उपनिषदों के समान हिन्दू धर्मग्रंथों का अभ्यास अंतर्भूत किया गया है।

रामायण, महाभारत एवं श्रीमद्भगवद्गीता ग्रंथों की बहुउपयोगिता के कारण ही विदेश के कई स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, प्रबंधन संस्थानो ने इस ग्रंथ की सीख व उपदेश को पाठ्यक्रम में शामिल किया है ।

केंद्र सरकार को चाहिए कि सभी स्कूलों-कॉलेजों में गीता-रामायण, वेद आदि की शिक्षा को शामिल कर दिया जाए जिससे विद्यार्थियों का चहुमुखी विकास हो पाए।

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Tuesday, September 22, 2020

आईपीएस अधिकारियों का क्या कहना है आशाराम बापू के बारे में?

22 सितंबर 2020


मीडिया के माध्यम से तो हिंदू धर्मगुरु संत आशाराम बापू के बारे में आपने काफी  सुना होगा और आपको यह भी पता चला होगा कि मीडिया में जो बताया जाता है वो सब सच नही होता हैं, आजकल सोशल मीडिया का जमाना है उसमे इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया की भी सच्चाई बाहर लाई जाती है।




आईपीएस अधिकारी उसमे भी देशभक्त हो तो कहना ही क्या और आईपीएस अधिकारी में भी बससे ज्यादा नाम चर्चा में रहा है तो डीजी वंजारा जी का और इनके बाद दूसरा नाम आता है उत्तर प्रदेश के पूर्व महानिदेशक सुव्रत त्रिपाठी जी का तो इन दोनों से जानते हैं कि क्या राय है आशारामजी बापू को लेकर।

आईपीएस अधिकारी रहे डीजी वंजारा जी ने बताया कि संत आसारामजी बापू के खिलाफ जो केस दर्ज हुआ है वो केस झूठा है वो मैं पहले से ही कह चुका हूँ । इसका investigation भी झूठा है और इसका जो evidence कलेक्शन हुआ है, चार्जशीट कलेक्शन हुआ है वो भी झूठा है।

एक साजिश, एक conspiracy संत आसारामजी बापू के खिलाफ चल रही है। उस साजिश के अंतर्गत दूसरे केस दर्ज किये गए हैं और एक बहुत बड़ा अन्याय और अत्याचार हिंदुस्तान के महान स्तंभ संत के ऊपर हो रहा हैं। इस बात की मुझे बहुत पीड़ा है।

उत्तर प्रदेश के पूर्व महानिदेशक सुव्रत त्रिपाठी जी ने ट्वीटर के माध्यम से बताया कि संत आशारामजी बापू केस में...
- FIR की वीडियो रिकॉर्डिंग को गायब कर दिया
- FIR और उसकी कार्बन कॉपी में अंतर पाया गया
- रजिस्टर के कई पन्ने फाड़ें गए
- बर्थ सर्टिफिकेट में लड़की की अलग-अलग उम्र
- मेडिकल में नहीं मिला एक भी खरोंच का निशान*
क्या ये उनको फंसाने की साजिश नहीं..??

दूसरी ट्वीट के माध्यम से बताया कि संत आशारामजी बापू ने लाखों हिंदुओं की घर वापसी करवाई।
करोड़ों लोगों को सनातन धर्म के प्रति आस्थावान बनाया।
वैदिक गुरुकुल और बाल संस्कार केंद्र खोलकर बच्चों को दिव्य संस्कार दिए।
कत्लखाने जाती हजारों गायों को बचाकर गौशालाएं खोल दी।
वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन शुरू करवाया।

जोधपुर के डीसीपी रहे अजय पाल लांबा ने मीडिया में स्पष्ट बताया था कि आशारामजी बापू पर बलात्कार की कोई भी धारा नही लगी है। लड़की की FIR में बलात्कर का कोई उल्लेख नही है और न ही मेडिकल में कोई पुष्टि हुई है। केवल छेड़छाड़ का आरोप लगाया है।

आपको बता दें कि दिग्गज नेता डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने बयान में कई बार बताया कि मेरे को एक बार फ्लाइट में आसाराम बापू मिले उनसे मैंने बातचीत करते समय बताया कि आप जो धर्मांतरण रोकने का कार्य पुरजोर से कर रहे हैं ईससे आपके ऊपर वेटिकन सिटी बहुत नाराज है और वे लोग सोनिया गांधी को बोलकर आपको जेल भिजवाने की तैयारी में लगे हैं लेकिन बापू आशारामजी निश्चित थे उन्होंने बोला कि भगवान जो करेगा अच्छा ही होगा। ये बात आसाराम बापू को जेल भेजने से पहले की हैं।

आपको बता दें कि जिस केस में हिंदू संत आशारामजी बापू को सेशन कोर्ट ने सजा सुनाई है लेकिन जब उनके केस पढ़ते है तो उसमें साफ है कि जिस समय आरोप लगाने वाली लड़की ने तथाकथित घटना बताई है उससे तो साफ होता है कि वो उस समय अपने मित्र से फोन पर बात कर थी उसकी कॉल डिटेल भी हैं और आशारामजी बापू एक कार्यक्रम में थे वहां पर 50-60 लोग भी मौजूद थे उन्होंने भी गवाही दी है और मेडिकल रिपोर्ट में भी लड़की को एक खरोच तक नही आई है और एफआईआर में भी बलात्कार का कोई उल्लेख नही है केवल छेड़छाड़ का आरोप है।

आपको ये भी बता दें कि बापू आशारामजी आश्रम में एक फेक्स भी आया था उसमें उन्होंने साफ लिखा था कि 50 करोड़ दो नही तो लड़की के केस में जेल जाने के लिए तैयार रहो।

बता दें कि उन्होंने स्वामी विवेकानंद जी के 100 साल बाद शिकागो में विश्व धर्मपरिषद में भारत का नेतृत्व किया था। बच्चों को भारतीय संस्कृति के दिव्य संस्कार देने के लिए देश में 17000 बाल संस्कार खोल दिये थे, वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन शुरू करवाया, क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन शूर करवाया, वैदिक गुरुकुल खोलें, करोड़ो लोगो को व्यसनमुक्त किया, ऐसे अनेक भारतीय संस्कृति के उत्थान के कार्य किये हैं जो विस्तार से नहीं बता पा रहे हैं। इसके कारण आज वे जेल में हैं।

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Monday, September 21, 2020

खालिस्तान की मांग करने वालें सिखों की जान लीजिए सच्चाई क्या है?

21 सितंबर 2020


पिछले कुछ समय से खालिस्तान मुद्दे पर बहस दोबारा ज़ोर पकड़ चुकी है। सोशल मीडिया पर अक्सर ऐसी वीडियो और तस्वीरें सामने आती हैं, जिसमें खालिस्तानी समर्थक नज़र आ जाते हैं। खालिस्तान का पाकिस्तान से संबंध भी छुपा नहीं रह गया है। इसका सबसे पुख्ता सबूत है “Khalistan: A Project of Pakistan” (खालिस्तान: पाकिस्तान का एक प्रोजेक्ट) नाम की रिपोर्ट। मैकडोनाल्ड लौरियर इंस्टिट्यूट (MLI) द्वारा प्रकाशित इस रिपोर्ट में पाकिस्तान और खालिस्तानी समर्थकों के बीच संबंधों पर विस्तार से चर्चा की गई है। इस रिपोर्ट पर चर्चा करने के लिए 18 सितंबर 2020 को एक वेबिनार आयोजित कराया गया था। इसका शीर्षक था – “Khalistani Terrorism & Canada” यानी कनाडा में बढ़ते खालिस्तानी आतंकवाद पर चर्चा।




इसका आयोजन नई दिल्ली की थिंक टैंक लॉ एंड सोसाइटी अलायन्स ने कराया था। वेबिनार में शामिल होने वाले मुख्य 4 लोगों ने सिलसिलेवार तरीके से इस मुद्दे पर अपना विचार रखा। इसमें शामिल होने वाले 4 लोग टेरी मिलेव्सकी, रमी रेंजर, सुखी चहल और मेजर गौरव आर्य थे। सबसे पहले MIL की रिपोर्ट के लेखक टेरी मिलेव्सकी ने कहा:

“मैंने 15 अगस्त को ऐसे कई इवेंट देखें, जिसमें खालिस्तान का समर्थन किया जा रहा था। इस बात में कोई संदेह नहीं है ऐसे आयोजनों के पीछे कोई और नहीं बल्कि मिशन पाकिस्तान का हाथ है। कुछ ही सिख ऐसे हैं, जो पाकिस्तान का साथ दे रहे हैं बाकी असली सिखों के साथ पाकिस्तान में अत्याचार किया जा रहा है। उनका धर्म परिवर्तन कराया जाता है, उनके गुरुद्वारों पर हमले होते हैं, उनकी बेटियों के साथ बलात्कार किया जाता है। यही मूल कारण है कि पाकिस्तान में सिखों की आबादी घट रही है।”

इसके बाद उन्होंने कहा कि वो हाल ही में खालिस्तानियों द्वारा तैयार किया गया एक नक्शा देखे। इसमें भारत के कई हिस्सों को शामिल किया गया था, यहाँ तक की दिल्ली के एक बड़े हिस्से पर भी दावा किया गया था।

सच यही है कि भारत कनाडा के खालिस्तानी समर्थकों पर कार्रवाई नहीं कर सकता है। इसका पहला कारण है कि वह कनाडा के नागरिक हैं। दूसरा भारत के पास केवल इस बात के सबूत हैं कि वह आतंकवाद का समर्थन करते हैं न कि आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हैं। भारत के लिए यह स्थिति वॉर ऑफ़ इनफॉर्मेशन जैसी है।

इसके बाद लार्ड रमी रेंजर ने भी इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखा। उन्होंने गुरु गोविंद सिंह की बात का उल्लेख करके अपनी बात शुरू की। उन्होंने कहा, “गुरु गोबिंद सिंह ने कहा था कि विविधता को स्वीकार किया जाना चाहिए। इसका सम्मान होना चाहिए और ज़रूरत पड़ने पर इसकी रक्षा भी करनी चाहिए।”

खालसा पंथ को किसी एक क्षेत्र के लिए नहीं बनाया गया था बल्कि भारत की धार्मिक विविधता को बरकरार रखने के लिए इसका गठन हुआ था। सिखों के धर्म गुरु पूरे भारत देश को अपनी माता की तरह मानते थे। गुरु गोविंद सिंह खुद पटना में पैदा हुए थे और महाराष्ट्र में आगामी कुछ साल बिताए।

उन्होंने बताया कि पंज प्यारे भी भारत के अलग-अलग इलाकों से आते हैं। असल मायनों में खालिस्तानी समर्थक उस देश को ही नुकसान पहुँचा रहे हैं, जिन्होंने उनको शरण दी।

खालिस्तानी समर्थकों को अगर अलग क्षेत्र चाहिए तो उन्हें सबसे पहले पाकिस्तान स्थित गुरु ननकाना साहिब के जन्मस्थल से शुरुआत करनी चाहिए। उसके बाद महाराजा रणजीत सिंह का लाहौर स्थित साम्राज्य अलग शामिल करना चाहिए। पाकिस्तान के 350 गुरुद्वारे आज़ाद कराए जाएँ। भारत तो ऐसा देश है, जिसने हाल ही में गुरु गोविंद सिंह का 350वाँ जन्मदिन मनाया और गुरुनानक का 550वाँ जन्मदिन मनाया।

इसके बाद खालसा टुडे के संस्थापक सुखी चहल ने भी कई अहम बातें कहीं। उन्होंने गुरु गोविंद सिंह के कथन का ज़िक्र करते हुए अपनी बात शुरू की – “देह शिवा वर मोहे एहे।” उन्होंने कहा कि खालिस्तानी समर्थक आतंकवादियों की तस्वीरें सिखों के धर्म गुरुओं के साथ लगाते हैं।

सिखों को यह समझना चाहिए कि पंजाब का सबसे ज़्यादा नुकसान पाकिस्तान ने किया है और खालिस्तानी सिख उनका ही समर्थन कर रहे हैं। हाल ही में पाकिस्तान में एक ग्रंथी की बेटी का अपहरण किया गया था। इसके बाद उसे जबरन इस्लाम कबूल कराया गया और निकाह भी हुआ। उनका कहना था कि हैरानी की बात यह थी कि किसी भी खालिस्तानी समर्थक ने इस घटना का विरोध नहीं किया। खालिस्तानियों को अगर अपना क्षेत्र चाहिए तो उन्हें इसकी शुरुआत पाकिस्तान से करनी चाहिए। इसके बाद उन्हें चीन और अफग़ानिस्तान के इलाकों को भी शामिल करना चाहिए।

अभी सबसे बड़ी माँग यही है कि विदेशों में रहने वाले मॉडरेट सिख खालिस्तानी समर्थकों का विरोध करें। जब किसी दूसरे देश में रहने वाला सिख भारत आता है तो सबसे पहले इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरता है। जिन्होंने सिख पर इतना अत्याचार किया, उसके नाम पर हवाई अड्डे! नाम तो गुरु तेगबहादुर के नाम पर होना चाहिए, जो दिल्ली में शहीद हुए थे। अंत में पूर्व मेजर गौरव आर्या ने भी इस मुद्दे पर अपने विचार रखें। उन्होंने कहा अगर मैं आज हिन्दू हूँ तो सिखों की वजह से हूँ। हमारे अस्तित्व में एक अहम भूमिका सिख धर्म गुरुओं की है। उन्होंने हमारी सुरक्षा के लिए अपना जीवन क़ुर्बान कर दिया। हम विदेशों में भारतीय सीईओ को देख कर खुश होते हैं लेकिन पाकिस्तान के लोगों के साथ ऐसा कुछ नहीं है। वह ऐसे किसी शीर्ष पद पर बैठे व्यक्ति को देख कर कहते हैं कि उसमें इतनी योग्यता ही नहीं है कि वह उस मुकाम तक पहुँचे।
उनके मुताबिक़ अमेरिका सिर्फ और सिर्फ इसलिए सुरक्षित है क्योंकि अमेरिका की सेना देश के बाहर लड़ाई लड़ती है उसे देश के भीतर नहीं लड़ना पड़ता है। - स्त्रोत : ऑप इंडिया

हम रामायण के सिद्धांतों पर चल महाभारत की लड़ाई नहीं लड़ सकते हैं। भारत सरकार को कुछ मुद्दों पर अपना मत स्पष्ट करके कठोर बनना पड़ेगा। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह सब कठिन हो सकता हैं लेकिन भारत के पास क्षमता है और भारत यह सब कुछ नियंत्रित कर सकता है।

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Sunday, September 20, 2020

नेटफ्लिक्स बन चुका है एंटी हिन्दू, वेब सीरीज में हिंदू बच्ची से पढ़वाई नमाज।

20 सितंबर 2020


सीरियलों, सिनेमा, मीडिया आदि में तो हिंदू विरोधी कटेंट परोसा जाता था लेकिन अब वेब सीरीज़ द्वारा भी हिंदू विरोधी कंटेट परोसे जा रहे हैं, काफी फिल्में ऐसे आई कि हिंदुओं का अपमान किया गया, हिंदुत्व पर प्रहार किया गया ।




इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री इन दिनों दर्शकों को रिझाने के लिए अपने मनोरंजन का काम छोड़ लोगों के बीच प्रोपेगैंडा फैलाने पर ज्यादा ध्यान देने लग गई है। आए दिन अलग-अलग सीरीज के जरिए हिंदू धर्म का अपमान और हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का काम किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर तुलनात्मक रूप से इस्लाम धर्म का महिमामंडन किया जा रहा है।

इसी तरह के हिंदू धर्म के प्रति अपमान को लक्षित कर एक चर्चित साइट नेटफ्लिक्स में अनुराग बसु द्वारा रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी काबुलीवाला पर आधारित एक वेब सीरीज में दिखाया गया है। हालाँकि, यह सीरीज नेटफ्लिक्स का ओरिजनल कंटेंट नहीं लग रहा है। इसे पहले Epic On पर उपलब्ध कराया गया था। लेकिन लोगों की नजर इस पर नेटफ्लिक्स पर आने के बाद पड़ी।

सीरीज की कहानी के एक दृश्य में (मिनी) नाम की एक लड़की नमाज अदा करते हुए दिखाई देती है क्योंकि उसका दोस्त काबुलीवाला कुछ दिनों के लिए उससे मिलने नहीं आया था। सीन में छोटी बच्ची को काबुलीवाले के लिए अल्लाह से प्रार्थना करते हुए दिखाया गया है। ताकि उसका दोस्त जल्द ही उससे मिलने आए।

इसमें यह बात ध्यान देने वाली है कि टैगोर की मूल कहानी (जिसके आधार पर यह शो बनाया गया है) में नमाज अदा करने वाली हिंदू लड़की के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं किया गया है। शो के निर्माताओं ने इसे अपने प्रोपेगेंडा के अनुसार डाला है। इस दृश्य में राजनीतिक एजेंडे के अलावा, मूल कहानी से बिल्कुल अलग इस तरह के कथानक को दिखाने के लिए कोई अन्य औचित्य नजर नहीं आ रहा है।

गौरतलब है कि प्रोपेगेंडा हमेशा मनोरंजन उद्योग का एक अभिन्न अंग रहा है। आधुनिक प्रोपेगैंडा के जनक एडवर्ड बर्नेज़ ने एक बार टिप्पणी की थी, “अमेरिकन मोशन पिक्चर आज दुनिया में प्रोपेगेंडा का सबसे बड़ा अचेतन वाहक है।” हालाँकि, यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है कि भारतीय मनोरंजन उद्योग भी प्रोपेगैंडा का एक अचेतन वाहक है।

जिस तरह रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी में नमाज़ अदा करने वाली हिंदू बच्ची को चित्रित कर दिया गया वैसे ही नेटफ्लिक्स पर जल्द ही रिलीज़ होने वाली फिल्मों में से एक में फर्जी ब्राह्मण विरोधी कोटेशन का आविष्कार किया गया है। और इसका श्रेय इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति को दिया गया है।

वहीं नेटफ्लिक्स पर Ghoul और Leela जैसे शो भी उपलब्ध है, जिसमें हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं पर खुले तौर पर निशाना साधा गया है। सांप्रदायिक सौहार्द की खातिर, हिंदू समुदाय की भावनाओं को अक्सर रौंदने की अनुमति दे दी जाती है। लेकिन पारस्परिक सहिष्णुता को दिखाते हुए अन्य धर्मो के खिलाफ शायद ही कोई शो कभी नेटफ्लिक्स आदि पर आते हैं। हिंदू समुदाय को उपदेश जारी करना और एक पक्षीय सहिष्णुता का प्रचार प्रसार करना मनोरंजन उद्योग की एक खास विशेषता बन चुकी है।

यह पहली बार नहीं है, जब नेटफ्लिक्स ने हिन्दू भावनाओं से खिलवाड़ किया है या उनकी छवि को नकारात्मक तरीके से पेश किया गया हो। एंटी हिन्दू नैरेटिव को स्थापित करने का प्रयास नेटफिक्स लगातार कर रहा है। ‘Ghoul’ और  ‘Sacred Games’ के बाद ‘लैला’ के रूप में यह तीसरा प्रयास है। इसका निर्देशन दीपा मेहता, शंकर रमन और पवन कुमार ने किया है। शो प्रयाग अकबर के नॉवेल पर आधारित है।

अमेरिकन कंपनी के वेब सीरिज के माध्यम से लगातार एंटी-हिन्दू सामग्री दिखाने पर लोगों ने Netflix को है Boycott करना शुरू किया है। सोशल मीडिया के जरिए लोग नेटफ्लिक्स को (#BanNetflixInIndia) देश में बैन करने की मांग कर रहे हैं।

अभिनेत्री पायल रोहतगी ने ट्विट कर पूछा है कि क्या नेटफिल्स जिहाद पर भी फिल्म बनाएगा ? जहां पर बहुत सारे स्क्रिप्ट को लेकर विचार हैं लेकिन दुर्भाग्य से यह सनातन धर्म से संबंधित नहीं है। लेकिन शायद आप भारत में अच्छा व्यवसाय करें। इसके साथ ही अभिनेत्री ने भी नेटफ्लिक्स पर बैन लगाने का समर्थन किया है।

आपको बता दें कि नेटफ्लिक्स की नई वेब सीरिज मैंगो ड्रीम्स में भारत के नक्शे को गलत दिखाया गया था जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया था। भारत का गलत नक्शा देख लोगों का गुस्सा भी फुटा था।

नेटफ्लिक्स हिंदू विरोधी तो है साथ में देशविरोधी भी है। देशवासियों को इसका बहिष्कार करना चाहिए और भारत सरकार को इस पर तुरंत प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए।

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Saturday, September 19, 2020

सुप्रीम कोर्ट ने कहा मीडिया किसी एक समुदाय को निशाना नहीं बनायें, क्या हिंदू विरोधी अब रुकेंगे?

19 सितंबर 2020


सुदर्शन न्यूज़ के मुस्लिम अभ्यर्थियों के यूपीएससी में चुने जाने को लेकर दिखाए जा रहे कार्यक्रम पर सुप्रीम कोर्ट ने एतराज़ जताते हुए बचे हुए एपिसोड दिखाने पर रोक लगा दी थी। शुक्रवार (सितम्बर 18, 2020) को इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मीडिया को सख्त संदेश दिया है कि किसी एक समुदाय को निशाना नहीं बनाया जा सकता है।




सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “एक संदेश मीडिया में जाने देना चाहिए कि किसी विशेष समुदाय को लक्षित नहीं किया जा सकता है। हमें एक ऐसे राष्ट्र के भविष्य के बारे में देखना चाहिए, जो सामंजस्यपूर्ण और विविधतापूर्ण हो। हम राष्ट्रीय सुरक्षा को मान्यता देते हैं, लेकिन हमें व्यक्तिगत सम्मान भी करना चाहिए।”

लेकिन जस्टिस चंद्रचूड़ जिस ‘समुदाय’ को निशाना ना बनाए जाने को लेकर संदेश देना चाह रहे थे उन्होंने उसका नाम तक नहीं लिया। यानी इसका अर्थ यह लगाया जा सकता है कि मीडिया में बैठे हुए प्रोपेगेंडा प्रतिनिधि बीबीसी, शेखर गुप्ता का ‘दी प्रिंट’, दी वायर, एनडीटीवी और ऐसे ही न जाने कितने ही हिन्दूफोबिया से ग्रसित पत्रकारिता के समुदाय विशेषों को हिन्दुओं और उनकी आस्था को निशाना बनाने के बारे में सोचना चाहिए।

जिस तरह का बर्ताव मीडिया का यह गिरोह हिन्दू समुदाय से करता आया है, यह कहा जा सकता है कि जस्टिस चंद्रचूड़ ने हिन्दूफोबिक चैनलों को इशारा किया है कि उनके द्वारा हिन्दुओं की आस्था पर आक्रमण भविष्य के भारत के लिए खतरा है और न्यायपालिका उसे बचाने के लिए प्रतिबद्ध है।

वास्तव में, हमने ऐसे अनगिनत उदाहरण देखे, जब किसी दूसरे समुदाय विशेष द्वारा किए गए अपराधों को भ्रामक तरीके से हिन्दुओं द्वारा किए जाने वाले अपराध साबित करने के प्रयास किए गए। हिन्दुओं की आस्था को लगातार खास तरह के चैनलों और पोर्टलों द्वारा नीचा दिखाया जाता रहा है। जस्टिस चंद्रचूड द्वारा दिए गए इस संदेश के बाद तो अब यही लगता है कि अब किसी रेपिस्ट ‘असलम’ को ‘बाबा’ लिख कर, कार्टून में भगवा पहनाने वालों की खैर नहीं।

शेखर गुप्ता के दी प्रिंट ने पिछले साल ही एक लेख प्रकाशित किया था जिसमें दावा किया गया था कि दिल्ली में मौजूद हनुमान जी की विशाल प्रतिमा से समुदाय विशेष के लोगों में दहशत का माहौल है।

इससे पहले सभी लोगों ने सिर्फ यही सुना था कि हनुमान जी का नाम सिर्फ भूत-पिशाचों में ही दहशत पैदा करता है, लेकिन दी प्रिंट के इस लेख में खुलासा किया गया था कि यह भूत-पिशाच कोई और नहीं बल्कि समुदाय विशेष के लोग थे।

यह एक ऐसा ही प्रमुख उदाहरण था जब पत्रकारिता के समुदाय विशेष द्वारा हिन्दू प्रतीकों को अपमानित करने का नैरेटिव खुलकर चलाया गया। तब शायद ही किसी हिन्दू ने शेखर गुप्ता के खिलाफ कोर्ट जाने का फैसला लिया होगा। यही हिन्दू धर्म की सहिष्णुता भी है।

इंडिया टुडे ने एक ऐसी ही खबर प्रकाशित करते हुए समुदाय विशेष के लोगों में बाल विवाह को लेकर सवाल उठाए गए थे। लेकिन शातिर तरीके से इंडिया टुडे ने अज्ञात कारणों से इस लेख में किसी समुदाय विशेष की बच्ची की तस्वीर के बजाए एक हिन्दू बच्ची की तस्वीर इस्तेमाल की थी। शायद इंडिया टुडे जानता था कि उसे किन लोगों से खतरा मोल नहीं लेना है। इंडिया टुडे यह तक कह चुका है कि श्रीराम नाम के नारों से माहौल दूषित हुआ है।

ऐसे ही कई उदाहरण हैं जब मीडिया में हिन्दू धर्म को निशाना बनाते हुए इसे अपमानित और इसके दुष्प्रचार का एजेंडा चलाया जाता है। इन्हीं में से सबसे प्रचलित एजेंडा क्राइम रिपोर्ट्स में अपनाया जाता है। जब पत्रकारिता के समुदाय विशेष द्वारा किसी ढोंगी को, जो कि अक्सर कोई अब्दुल या असलम होता है, भूत-प्रेत या फिर जिन-जिन्नात भगाने के लिए महिलाओं का शोषण या उन पर अत्याचार करते हुए पकड़ा जाता है लेकिन मीडिया का यह गिरोह इसे ‘तांत्रिक’ ‘ओझा‘ या फिर NDTV जैसे समूह ‘बाबा’ लिखकर हिन्दू धर्म को अपमानित करता है और कोई ‘आह’ तक नहीं करता।

खैर, जस्टिस चंद्रचूड़ का यह सन्देश वास्तव में व्यापक है। मीडिया यदि वास्तव में किसी एक समुदाय के खिलाफ एजेंडा चलाने से बाज आए, तो हिन्दू धर्म मीडिया के इस गिरोह का बहुत आभारी रहेगा।

आज तक मीडिया "भगवा आतंकवाद" के नाम से हिंदुओं को बदनाम किया, हिंदू देवी-देवताओं, हिंदू साधु-संतों, हिंदू मंदिरों, हिंदू त्यौहार का खूब अपमान किया अंतराष्ट्रीय स्तर पर हिंदू संस्कृति को बदनाम किया अब इस संदेश से मीडिया को रुकना चाहिए नही तो सुप्रीम कोर्ट को इस पर सख्त कार्यवाही करनी चाहिए सिर्फ एकतरफ फैसले से तो नुकसान ही होगा।

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