Saturday, October 3, 2020

क्या हाथरस की घटना केवल वोटबैंक का जरिया है?

02 अक्टूबर 2020


हाथरस में एक अमानवीय अपराध हुआ। जो किसी भी महिला के साथ नहीं होना चाहिए। ऐसे अपराध करने वालों को फांसी की सज़ा मिलनी चाहिए लेकिन हाथरस में पीड़ित दलित वर्ग से थी। हाथों में मुद्दा आया और मुद्दे मे रस नजर आया। कूद पड़े मैदान मे। क्या इनको सच में दलितों की चिंता है?




हाथरस वाली घटना के एक सप्ताह के भीतर यूपी के बलरामपुर जिले में दो युवकों– शाहिद पुत्र हबीबुल्ला निवासी गैंसड़ी और साहिल पुत्र हमीदुल्ला निवासी गैंसड़ी द्वारा सामूहिक बलात्कार की घटना सामने आई। दोस्ती के बहाने घर ले जाकर दोनों आरोपितों ने लड़की से सामूहिक दुष्कर्म किया और गंभीर हालत में एक रिक्शे पर बैठाकर घर भेज दिया। 22 वर्षीय पीड़िता युवती की अस्पताल ले जाते समय मौत हो गई।

वहाँ भी पीड़िता दलित है। वो भी उत्तर प्रदेश का ही हिस्सा है, जहाँ योगी आदित्यनाथ की ही सरकार है। लेकिन, राहुल गाँधी ने शायद सिर्फ एक वजह से बलरामपुर के पीड़ित परिवार की सुध नहीं ली है, क्योंकि वहाँ आरोपितों के नाम शाहिद और साहिल हैं। यहाँ उन्हें ‘वर्ग विशेष’ कह कर किसी हिन्दू जाति को निशाना बनाने का मौका नहीं मिलेगा। वहीं हाथरस में पूरा मीडिया जुटा हुआ है, कैमरा है और ड्रामा का स्कोप भी- इसलिए राहुल वहाँ जाने की जिद कर रहे हैं।


राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और बलात्कार के नित नए मामले सामने आ रहे हैं। बाँसवाड़ा में जहाँ एक लड़की की नग्न लाश हॉस्पिटल में मिली है, वहीं सिरोही में महज 6 साल की मासूम के साथ दरिंदगी की हदें पार की गईं। जयपुर में एक महिला से होटल में ही गैंगरेप किया गया। अजमेर में एक महिला को बंधक बना कर उसके साथ बलात्कार किया गया। जाहिर है, राहुल गाँधी बलरामपुर की तरह इन पीड़ित परिवारों की भी सुध नहीं लेंगे।

राजस्थान के भरतपुर जिले के कैथवाड़ा थाना क्षेत्र में एक 8 वर्षीय नाबालिग बच्ची के अपहरण और सामूहिक बलात्कार का मामला सामने आया है। पुलिस ने मामले में आरोपित सुबेदीन उर्फ इन्नस पुत्र काला खां को गिरफ्तार कर लिया है। फिलहाल, अन्य आरोपित फरार हैं। लेकिन इस पर भी सभी चुप हैं।

क्या आपको याद हैं कि 16 अप्रैल को पालघर (महाराष्ट्र) मे 2 साधुओं की निर्ममता से भीड़ ने हत्या कर दी थी। NDTV ने इसे केवल 1 मिनट दिया तो हाथरस मे चीखने वाले चुप रहे। 7 सितम्बर को कोर्ट मे राज्य सरकार ने CBI जांच का विरोध किया। बस अन्तर इतना ही है कि UP मे भाजपा सरकार है और महाराष्ट्र मे कांग्रेस गठबंधन सरकार।

जरा सोचिए, पालघर में संतों की लिंचिंग जैसी घटना अगर किसी समुदाय विशेष के या इसी गिरोह के किसी व्यक्ति के साथ घटी होती तो आज कितना हंगामा होता। अखलाक का उदाहरण तो आपको भी याद होगा। उस पर भी अगर महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार होती तो उनके रुदन का कोई पारावार नहीं रहता। पर, इस हैवानियत के शिकार भगवा धारण किए साधु थे। तो फिर उनकी अंतरात्मा क्यों ही जागृत हो? महाराष्ट्र के पालघर जिले के यह ऐसे कुछ इलाके हैं, जहाँ प्रायः कोंकणा, वारली और ठाकुर जनजाति के लोग रहते हैं। आधुनिक विकास से वंचित इन दूरदराज के गॉंवों में कई वर्षों से क्रिश्चियन मिशनरी और वामपंथियों ने अपना प्रभाव क्षेत्र बनाया हुआ है।

कुछ वर्षों में वामपंथी और मिशनरी प्रभावित जनजाति प्रदेशों में, जनजाति समुदाय के मतांतरित व्यक्तियों द्वारा अलग धार्मिक संहिता की माँग हो रही है। उन्हें बार-बार यह कह कर उकसाया जाता रहा है कि उनकी पहचान हिन्दुओं से अलग है।

निर्भया के बलात्कारी हत्यारे अफ़रोज को 10 हजार रूपए और सिलाई मशीन देने वालें केजरीवाल को भी हाथरस मे रस नजर आया। यही केजरीवाल निर्भया मामले मे प्रदर्शनकारियों मे शामिल था। महेश भट्ट की बेटी पूजा भट्ट जो पॉर्न अभिनेत्री सन्नी लियोनी को भारतीय सिनेमा मे लाई वह भी निर्भया केस मे प्रदर्शन कर रही थी। खुद उसकी पार्टी के लोग दिल्ली दंगों मे आरोपी हैं परंतु हाथरस के मुद्दे को हाथ से नहीं जाने देते। इसी महीने मे राजस्थान मे भी कई इससे घिनौने अपराध हुए परंतु आरोपी मुस्लिम थे और सरकार मे कांग्रेस। NCRB ( National Crime Records Bureau) के आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और केरल मे महिलाओं के प्रति अपराध की दर UP से लगभग 3 गुना है। तब भी केवल 1 मुद्दे को हाथ मे लेना केवल वोटबैंक की राजनीति है। केवल दलित पीड़ित होना इनके वोट बैंक के लिए महत्व नहीं रखता। यदि आरोपी मुस्लिम हो तो सभी चुप रहेंगे। यदि आरोपी सामान्य वर्ग का हिन्दू हो तभी इनको न्याय चाहिए। यदि आरोपी वोट बैंक हो तो मुलायम सिंह कहते हैं कि लड़कों से गलतियाँ हो जाती हैं।

कुछ नाम देखिए ( जो खबरों मे नहीं आए)

1. विष्णु गोस्वामी– 16 मई 2019 को यूपी के गोंडा जिले में इमरान, तुफैल, रमज़ान और निज़ामुद्दीन ने विष्णु गोस्वामी को पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया। विष्णु की गलती बस ये थी कि वे अपने पिता के साथ लौटते हुए सड़क के किनारे लगे नल पर पानी पीने लगा था। बस इसी दौरान इन्होंने विष्णु व उसके पिता से विवाद बढ़ाया और बात खिंचने पर उसे पेट्रोल डालकर आग के हवाले झोंक दिया।

2.वी.रामलिंगम– तमिलनाडु में दलितों के इलाके में धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया को चलता देख वी राम लिंगम ने पीएफआई के कुछ लोगों का विरोध किया था। जिसके बाद 7 फरवरी को पट्टाली मक्कल काची के नेता की घर से खींचकर हत्या कर दी गई । इस मामले में पुलिस ने पाँच लोगों को हिरासत में लिया था- निजाम अली, सरबुद्दीन, रिज़वान, मोहम्मद अज़रुद्दीन और मोहम्मद रैयाज़।

3. ध्रुव त्यागी– बेटी के साथ छेड़खानी का विरोध करने पर 51 वर्षीय ध्रुव त्यागी को सरेआम सबके सामने मोहम्मद आलम और जहाँगीर खान ने धारधार हथियारों से राष्ट्रीय राजधानी के मोती नगर में मौत के घाट उतारा था। इसके बाद इन हत्यारों ने ध्रुव त्यागी के बेटे पर भी हमला किया था। हालाँकि, उस समय पुलिस ने दोनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया था। मगर बाद में पुलिस को पड़ताल से पता चला कि उस दिन उन्हें 11 लोगों ने घेर कर मारा था।

4. चन्दन गुप्ता– कासगंज में तिरंगा यात्रा के दौरान हुई हिंसा में मारे गए अभिषेक उर्फ़ चंदन गुप्ता की हत्या शायद ही किसी के जेहन से निकले। अभी हाल ही में दिल्ली में हुए प्रदर्शनों में इनका नाम एक बार फिर सामने आया था। चंदन का जुर्म सिर्फ़ ये था कि वे 26 जनवरी के मौके पर विहिप और एबीवीपी की तिरंगा यात्रा में शामिल थे। जहाँ मुस्लिम बहुल इलाके में उनपर छत से गोली चला दी गई। घटना में चंदन की मौत हो गई और बाद में पुलिस ने मुख्य आरोपित सलीम को गिरफ्तार किया।

5 बन्धु प्रकाश – बंगाल के मुर्शिदाबाद इलाके में आरएसएस कार्यकर्ता बंधु प्रकाश पाल, उनकी सात माह की गर्भवती पत्नी, तथा आठ साल के बेटे की 8 अक्टूबर 2019 को धारदार हथियार से गला काटकर हत्या कर दी गई थी। जिसने सबको हिलाकर रख दिया था। पहले पुलिस ने इसे निजी कारणों से हुई हत्या बताया था। बाद में इसके पीछे 24000 रुपए का एंगल जोड़ दिया था।

6. रतन लाल– 24-25 फरवरी को उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में वीरगति को प्राप्त हुए रतन लाल का नाम शायद ही आने वाले समय में कोई भूल पाए। एक ऐसा वीर जिसने दिल्ली को जलने से रोकने के लिए खुद को इस्लामिक भीड़ का बलि बना दिया। उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स से पता चला था कि पत्थरबाजी के कारण नहीं बल्कि रतन लाल की मौत गोली लगने के कारण हुई थी।

7 प्रीति रेड्डी– हैदराबाद का वो मामला जिसने पिछले साल नवंबर महीने के खत्म होते-होते सबको झकझोर दिया। शमसाबाद के टोल प्लाजा के पास घटी घटना में मुख्य आरोपित मोहम्मद पाशा था। जिसने अपने अन्य तीन साथियो के साथ मिलकर उस महिला डॉक्टर का गैंगरेप किया। फिर उसे पेट्रोल डालकर जलने को छोड़ दिया।

हाथरस केस में एक ऑडियो वायरल हुआ उसमें इंडिया टुडे की पत्रकार तनुश्री पांडेय मृतका के भाई संदीप से बातचीत कर रही थीं। इसमें संदीप से तनुश्री ऐसा स्टेटमेंट देने के लिए बोल रही थीं, जिसमें मृतका के पिता आरोप लगाए कि उनके ऊपर प्रशासन की ओर से बहुत दबाव था।

वामपंथी मीडिया ओर कोंग्रेस पार्टी और वामपंथी राजनीति गिद्ध है, ये लोग अपने फायदे के लिए मरे हुए भी राजनीति करते है जहाँ उनको वोटबैंक में और टीआरपी में फायदा होता है वे बाकी इनके पिछले 70 साल में दलितों के किये कुछ किया है तो बताये आज भी वे वही जिंदगी जी रहे है ये लोग राष्ट्र हित की बात नही करते है न्याय तो इनके अंदर है ही नही अगर न्याय के लिए आगे आना होता तो आजतक जितने भी लोग पीड़ित हो चाहे किसी भी जाति के हो उनके सभी के साथ होना चाहिए था लेकिन ये लोग वोटबैंक के लिए कर रहे है ऐसे लोगो से सावधान रहें और अपराध करने वालो को कड़ी सजा मिले और पीड़ितों को न्याय शीघ्र मिले यही जनता की मांग हैं।

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Friday, October 2, 2020

पादरी जेवियर्स के रक्त रंजित इतिहास को बहुत कम लोग जानते है

02 अक्टूबर 2020


इतिहास की एक अनजानी पर हृदय द्रावक घटना है 500 साल पहले गोवा में कुमुद राजा का शासन चलता था। राजा कुमुद को जबरजस्ती से हटा कर पोर्तुगीज ने गोवा को अपने कब्जे में कर दिया। 




पुर्तगल सेना के साथ केथलिक पादरी भी धर्मान्तरण करने के लिए बड़ी संख्या में हमला किया। हर गाँव में लोगो को धमकी और जबरन ईसाई बनाते पादरी गोवा के पूरे शहर पर कब्जा किया। जो लोग चलने के लिए तैयार नहीं होते उनको क्रूरता से मार दिया जाता। 

जैनधर्मी राजा कुमुद और गोवा के सारे 22 हजार जैनों को भी धर्म परिवर्तन करने के लिए ईसाई ने धमकी दे दी कि 6 महीनों में जैन धर्म छोड़ कर ईसाई धर्म स्वीकार कर दो अथवा मरने के लिए तैयार हो जाओ राजा कुमुद और भी जैन मरने के लिए तैयार थे परंतु धर्म परिवर्तन के लिए हरगिज राजी नहीं थे।

छः महीने के दौरान ईसाई जेवियर्स ने जैनों का धर्म परिवर्तन करने के लिए साम-दाम, दंड-भेद जैसे सभी प्रयत्न कर देखे । तब एक जैन ईसाई बनने के लिए तैयार नहीं हुआ। तब क्रूर जेवियर्स पोर्तुगीझ लश्कर को सभी का कत्ल करने के लिए सूचन किया। एक बड़े मैदान में राजा कुमुद और जसिं धर्मी श्रोताओं, बालक-बालिकाओं को बांध कर खड़ा कर दिया गया। एक के बाद एक को निर्दयता से कत्ल करना शुरू किया। ईसाई  जेवियर्स हस्ते मुख से संहरलीला देख रहा था। ईसाई बनने के लिए तैयार न होनेवालों के ये हाल होंगे। यह संदेश जगत को देने की इच्छा थी। बदले की प्रवृति को वेग देने के लिए ऐसी क्रूर हिंसा की होली जलाई थी। 

केथलिक ईसाई धर्म के मुख्य पॉप पोल ने ईसाई पादरी जेवियर्स के बदले के कार्य की प्रसंशा की और उसके लिए उसने बहाई हुई खून की नदियों के समाचार मिलते पॉप की खुशी का अंत नहीं रहा। जेवियर्स को विविध इलाक़ा देकर सम्मान किया। जेवियर्स ने सेंट जेवियर्स के नाम से घोषित किया और भारत में शुरू हुई अंग्रेजी स्कूल और कॉलेजों की श्रेणी में सेंट जेवियर्स का नाम जोड़ने में आया। आज भारत में सबसे बड़ा स्कूल नेटवर्क में सेंट जेवियर्स है।


हजारों जैनों और हिंदुओं के खून से पूर्ण एक क्रूर ईसाई पादरी के नाम से चल रही स्कूल में लोग तत्परता से डोनेशन की बड़ी रकम दे कर अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेज रहें है। कैसे करुणता है। और जेवियर्स कि बदले की वृत्ति  को पूर्ण समर्थन दे रहे पाटुगिझो को पॉप ने पूरे एशिया खंड के बदले की वृत्ति के सारे हक दे दिए। धर्म परिवर्तन प्राण की बलि देकर भी नहीं करने वाले गोवा के राजा कुमुद और बाईस हजार धर्मनिष्ठ जैनों का ये इतिहास जानने के बाद हम इससे बोध पाठ लेने जैसा है। आज की रहन-सहन में पश्चिमीकरण ईसाईकरण का प्रभाव बढ़ रहा है। भारत की तिथि-मास भूलते जा रहें है। अंग्रेजी तारीख पर ही व्यवहार बढ़ रहा है। भारतीय पहेरवेश घटता जा रहा है ।पश्चिमीकरण की दीमक हमें अंदर से कमज़ोर कर रही है। धर्म और संस्कृति रक्षा के लिए फनाहगिरी संभाले । स्त्रोत : ह्रदय परिवर्तन  दिसम्बर 2017

ईसाई धर्म तो ऊपर से देखने पर एक सभ्य, सुशिक्षित एवं शांतिप्रिय समाज लगता हैं।  जिसका उद्देश्य ईसा मसीह की शिक्षाओं का प्रचार प्रसार एवं निर्धनों व दीनों की सेवा-सहायता करना हैं। इस मान्यता का कारण ईसाई समाज द्वारा बनाई गई छवि है।

भारत में तो ईसाई मिशनरियां खुल्लेआम धर्मान्तरण करवा रही है, हिन्दू देवी-देवताओं को गालियां बोल रही है, हिन्दू साधु-संतों को जेल में भिजवा रही है, कान्वेंट स्कूलों में भारत माता की जय बोलने से मना कर रही है, मेहंदी नही लगाने देती, हिन्दू त्यौहार मनाने को मना करती है, यहाँ तक कि हिन्दू त्यौहारों पर भी छुट्टियां नही दी जाती हैं और भारत माता की जय बोलने और हिन्दू त्यौहार मनाने पर उनको स्कूल से बाहर किया जाता है फिर भी सरकार उनपर कोई कार्यवाही नही करती है ।

मीडिया में भी ईसाई मिशनरियों का भारी फंडिग रहता है इसलिए मीडिया चर्च के पादरी कितने भी दुष्कर्म करें, उनके खिलाफ नही दिखाती जबकि कोई हिन्दू साधु-संत पर झूठा आरोप भी लग जाता है तो उसपर 24 घण्टे खबरें चलाती है।

भारत मे हिन्दुओं के खिलाफ इतना अत्याचार ईसाई मिशनरियां द्वारा हो रहा फिर भी कोई हिन्दू कुछ बोल नही रहा है और ये मिशनरियां ट्रंप के सामने घुटने टेकने लगी हैं की उनपर ही अत्याचार हो रहा है।

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Thursday, October 1, 2020

समलैंगिकता अपराध है? इसके बारे में वेदों में क्या बताया गया है?

01 अक्टूबर 2020


सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिकता को धारा 377 के अंतर्गत अपराध की श्रेणी से हटा दिया है। अपने आपको सामाजिक कार्यकर्ता कहने वाला, आधुनिकता का दामन थामने वाला एक विशेष बुद्धिजीवी वर्ग सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर बहुत प्रसन्न है। उनका कहना है कि अंग्रेजों द्वारा 1861 में बनाया गया कानून आज अप्रासंगिक है। धारा 377 को यह जमात सामाजिक अधिकारों में भेदभाव और मौलिक अधिकारों का हनन बताती है। समलैंगिकता का समर्थन करने वालो का कहना है कि इससे HIV कि रोकथाम करने में रुकावट होगी क्यूंकि समलैगिंक समाज के लोग रोक लगने पर खुलकर सामने नहीं आते।




अधिकतर धार्मिक संगठन धारा 377 के हटाने के विरोध में हैं। उनका कहना है कि यह करोड़ो भारतीयों का जो नैतिकता में विश्वास रखते हैं उनकी भावनाओं का अनादर हैं। आईये समलैंगिकता को प्रोत्साहन देना क्यों गलत है इस विषय की तार्किक विवेचना करें।

हमें इस तथ्य पर विचार करने की आवश्यकता है कि अप्राकृतिक सम्बन्ध समाज के लिए क्यों अहितकारक है। अपने आपको आधुनिक बनाने की हौड़ में स्वछन्द सम्बन्ध की पैरवी भी आधुनिकता का परिचायक बन गया है। सत्य यह है कि इसका समर्थन करने वाले इसके दूरगामी परिणामों की अनदेखी कर देते हैं। प्रकृति ने मानव को केवल और केवल स्त्री-पुरुष के मध्य सम्बन्ध बनाने के लिए बनाया है। इससे अलग किसी भी प्रकार का सम्बन्ध अप्राकृतिक एवं निरर्थक है। चाहे वह पुरुष-पुरुष के मध्य हो या स्त्री-स्त्री के मध्य हो। वह विकृत मानसिकता को जन्म देता है। उस विकृत मानसिकता कि कोई सीमा नहीं है। उसके परिणाम आगे चलकर बलात्कार (Rape) , सरेआम नग्न होना (Exhibitionism), पशु सम्भोग (Bestiality), छोटे बच्चों और बच्चियों से दुष्कर्म (Pedophilia), हत्या कर लाश से दुष्कर्म (Necrophilia), मार पीट करने के बाद दुष्कर्म (Sadomasochism) , मनुष्य के शौच से प्रेम (Coprophilia) और न जाने किस-किस रूप में निकलता हैं। अप्राकृतिक सम्बन्ध से संतान न उत्पन्न हो सकना क्या दर्शाता है? सत्य यह है कि प्रकृति ने पुरुष और नारी के मध्य सम्बन्ध का नियम केवल और केवल संतान की उत्पत्ति के लिए बनाया था। आज मनुष्य अपने आपको उन नियमों से ऊपर समझने लगा है। जिसे वह स्वछंदता समझ रहा है। वह दरअसल अज्ञानता है। भोगवाद मनुष्य के मस्तिष्क पर ताला लगाने के समान है। भोगी व्यक्ति कभी भी सदाचारी नहीं हो सकता। वह तो केवल और केवल स्वार्थी होता है। इसीलिए कहा गया है कि मनुष्य को सामाजिक हितकारक नियम पालन का करने के लिए बाध्य होना चाहिए। जैसे आप अगर सड़क पर गाड़ी चलाते हैं तब आप उसे अपनी इच्छा से नहीं अपितु ट्रैफिक के नियमों को ध्यान में रखकर चलाते हैं। वहाँ पर क्यों स्वछंदता के मौलिक अधिकार का प्रयोग नहीं करते? अगर करेंगे तो दुर्घटना हो जायेगी। जब सड़क पर चलने में स्वेच्छा की स्वतंत्रता नहीं है। तब स्त्री पुरुष के मध्य संतान उत्पत्ति करने के लिए विवाह व्यवस्था जैसी उच्च सोच को नकारने में कैसी बुद्धिमत्ता है?

कुछ लोगो द्वारा समलैंगिकता के समर्थन में खजुराहो की नग्न मूर्तियाँ अथवा वात्सायन के कामसूत्र को भारतीय संस्कृति और परम्परा का नाम दिया जा रहा है। जबकि सत्य यह है कि भारतीय संस्कृति का मूल सन्देश वेदों में वर्णित संयम विज्ञान पर आधारित शुद्ध आस्तिक विचारधारा हैं।

भौतिकवाद अर्थ और काम पर ज्यादा बल देता हैं। जबकि अध्यातम धर्म और मुक्ति पर ज्यादा बल देता हैं । वैदिक  जीवन में दोनों का समन्वय हैं। एक ओर वेदों में पवित्र धनार्जन करने का उपदेश है। दूसरी ओर उसे श्रेष्ठ कार्यों में दान देने का उपदेश है। एक ओर वेद में सम्बन्ध केवल और केवल संतान उत्पत्ति के लिए है। दूसरी तरफ संयम से जीवन को पवित्र बनाये रखने की कामना है। एक ओर वेद में बुद्धि की शांति के लिए धर्म की और दूसरी ओर आत्मा की शांति के लिए मोक्ष (मुक्ति) की कामना है। धर्म का मूल सदाचार है। अत: कहां गया है कि आचार परमो धर्म: अर्थात सदाचार परम धर्म है। आचारहीन न पुनन्ति वेदा: अर्थात दुराचारी व्यक्ति को वेद भी पवित्र नहीं कर सकते। अत: वेदों में सदाचार, पाप से बचने, चरित्र निर्माण, ब्रह्मचर्य आदि पर बहुत बल दिया गया है।

जैसे-

★ यजुर्वेद ४/२८ – हे ज्ञान स्वरुप प्रभु! मुझे दुश्चरित्र या पाप के आचरण से सर्वथा दूर करो तथा मुझे पूर्ण सदाचार में स्थिर करो।
★ ऋग्वेद ८/४८/५-६ – वे मुझे चरित्र से भ्रष्ट न होने दे।
★ यजुर्वेद ३/४५ – ग्राम, वन, सभा और वैयक्तिक इन्द्रिय व्यवहार में हमने जो पाप किया हैं उसको हम अपने से अब सर्वथा दूर कर देते हैं।
★ यजुर्वेद २०/१५-१६ – दिन, रात्रि, जागृत और स्वप्न में हमारें अपराध और दुष्ट व्यसन से हमारे अध्यापक, आप्त विद्वान, धार्मिक उपदेशक और परमात्मा हमें बचाए।
★ ऋग्वेद १०/५/६ – ऋषियों ने सात मर्यादाएं बनाई हैं. उनमें से जो एक को भी प्राप्त होता हैं, वह पापी है। चोरी, व्यभिचार, श्रेष्ठ जनों की हत्या, भ्रूण हत्या, सुरापान, दुष्ट कर्म को बार बार करना और पाप करने के बाद छिपाने के लिए झूठ बोलना।
★ अथर्ववेद ६/४५/१ – हे मेरे मन के पाप! मुझसे बुरी बातें क्यों करते हो? दूर हटों. मैं तुझे नहीं चाहता।
★ अथर्ववेद ११/५/१० – ब्रह्मचर्य और तप से राजा राष्ट्र की विशेष रक्षा कर सकता है।
★ अथर्ववेद११/५/१९ – देवताओं (श्रेष्ठ पुरुषों) ने ब्रह्मचर्य और तप से मृत्यु (दुःख) का नष्ट कर दिया है।
★ ऋग्वेद ७/२१/५ – दुराचारी व्यक्ति कभी भी प्रभु को प्राप्त नहीं कर सकता।

इस प्रकार अनेक वेद मन्त्रों में संयम और सदाचार का उपदेश हैं।

खजुराहो आदि की व्यभिचार को प्रदर्शित करने वाली मूर्तियाँ , वात्सायन आदि के अश्लील ग्रन्थ एक समय में भारत वर्ष में प्रचलित हुए वाममार्ग का परिणाम हैं। जिसके अनुसार मांसाहार, मदिरा एवं व्यभिचार से ईश्वर प्राप्ति है। कालांतर में वेदों का फिर से प्रचार होने से यह मत समाप्त हो गया पर अभी भी भोगवाद के रूप में हमारे सामने आता रहता है।

मनु स्मृति में समलैंगिकता के लिए दंड एवं प्रायश्चित का विधान होना स्पष्ट रूप से यही दिखाता है कि हमारे प्राचीन समाज में समलैंगिकता किसी भी रूप में मान्य नहीं थी। कुछ कुतर्की यह भी कह रहे हैं कि मनुस्मृति में अत्यंत थोड़ा सा दंड है। उनके लिए मेरी सलाह है कि उसी मनुस्मृति में ब्रह्मचर्य व्रत का नाश करने वाले के लिए मनु स्मृति में दंड का क्या विधान है, जरा देख लें।

इसके अतिरिक्त बाइबिल, क़ुरान दोनों में इस सम्बन्ध को अनैतिक, अवांछनीय, अवमूल्यन का प्रतीक बताया गया हैं।

जो लोग यह कुतर्क देते हैं कि समलैंगिकता पर रोक से AIDS कि रोकथाम होती है। उनके लिए विशेष रूप से यह कहना चाहूँगा कि समाज में जितना सदाचार बढ़ेगा, उतना समाज में अनैतिक सम्बन्धों पर रोकथाम होगी। आप लोगों का तर्क कुछ ऐसा है कि आग लगने पर पानी कि व्यवस्था करने में रोक लगने के कारण दिक्कत होगी, हम कह रहे हैं कि आग को लगने ही क्यूँ देते हो? भोग रूपी आग लगेगी तो नुकसान तो होगा ही होगा। कहीं पर बलात्कार होंगे, कहीं पर पशुओं के समान व्यभिचार होगा, कहीं पर बच्चों को भी नहीं बक्शा जायेगा। इसलिए सदाचारी बनो, ना कि व्यभिचारी।

एक कुतर्क यह भी दिया जा रहा है कि समलैंगिक समुदाय अल्पसंख्यक है, उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए उन्हें अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए। मेरा इस कुतर्क को देने वाले सज्जन से प्रश्न है कि भारत भूमि में तो अब अखंड ब्रह्मचारी भी अल्प संख्यक हो चले हैं। उनकी भावनाओं का सम्मान रखने के लिए मीडिया द्वारा जो अश्लीलता फैलाई जा रही हैं उस पर लगाम लगाना भी तो अल्पसंख्यक के हितों की रक्षा के समान है।

एक अन्य कुतर्की ने कहा कि पशुओं में भी समलैंगिकता देखने को मिलती हैं। मेरा उस बंधू से एक ही प्रश्न हैं कि अनेक पशु बिना हाथों के केवल जिव्हा से खाते हैं, आप उनका अनुसरण क्यूँ नहीं करते? अनेक पशु केवल धरती पर रेंग कर चलते हैं आप उनका अनुसरण क्यूँ नहीं करते ? चकवा चकवी नामक पक्षी अपने साथी कि मृत्यु होने पर होने प्राण त्याग देता हैं, आप उसका अनुसरण क्यूँ नहीं करते?

ऐसे अनेक कुतर्क हमारे समक्ष आ रहे हैं जो केवल भ्रामक सोच का परिणाम हैं।

जो लोग भारतीय संस्कृति और प्राचीन परम्पराओं को दकियानूसी और पुराने ज़माने कि बात कहते हैं वे वैदिक विवाह व्यवस्था के आदर्शों और मूलभूत सिद्धांतों से अनभिज्ञ हैं। चारों वेदों में वर-वधु को महान वचनों द्वारा व्यभिचार से परे पवित्र सम्बन्ध स्थापित करने का आदेश है। ऋग्वेद के मंत्र के स्वामी दयानंद कृत भाष्य में वर वधु से कहता है- हे स्त्री! मैं सौभाग्य अर्थात् गृहाश्रम में सुख के लिए तेरा हस्त ग्रहण करता हूँ और इस बात की प्रतिज्ञा करता हूँ कि जो काम तुझको अप्रिय होगा उसको मैं कभी ना करूँगा। ऐसे ही स्त्री भी पुरुष से कहती है कि जो कार्य आपको अप्रिय होगा वो मैं कभी न करूँगी और हम दोनों व्यभिचारआदि दोषरहित हो के वृद्ध अवस्था पर्यन्त परस्पर आनंद के व्यवहार करेंगे। परमेश्वर और विद्वानों ने मुझको तेरे लिए और तुझको मेरे लिए दिया हैं, हम दोनों परस्पर प्रीति करेंगे तथा उद्योगी हो कर घर का काम अच्छी तरह और मिथ्याभाषण से बचकर सदा धर्म में ही वर्तेंगे। सब जगत का उपकार करने के लिए सत्यविद्या का प्रचार करेंगे और धर्म से संतान को उत्पन्न करके उनको सुशिक्षित करेंगे। हम दूसरे स्त्री और दूसरे पुरुष के साथ मन से भी व्यभिचार ना करेंगे।

एक और गृहस्थ आश्रम में इतने उच्च आचार और विचार का पालन करने का मर्यादित उपदेश हैं , दूसरी ओर पशु के समान स्वछन्द अमर्यादित सोच हैं। पाठक स्वयं विचार करें कि मनुष्य जाति कि उन्नति उत्तम गृहस्थी बनकर समाज को संस्कारवान संतान देने में हैं अथवा पशुओं के समान कभी इधर कभी उधर मुँह मारने में हैं। https://www.facebook.com/288736371149169/posts/3705781369444635/

समलैंगिकता एक विकृत सोच है, मनोरोग है, बीमारी है। इसका समाधान इसका विधिवत उपचार है। ना कि इसे प्रोत्साहन देकर सामाजिक व्यवस्था को भंग करना है। इसका समर्थन करने वाले स्वयं अंधेरे में हैं, ओरो को भला क्या प्रकाश दिखायेंगे। कभी समलैंगिकता का समर्थन करने वालो ने भला यह सोचा है कि अगर सभी समलैंगिक बन जायेंगे तो अगली पीढ़ी कहाँ से आयेगी? सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिकता को दंड की श्रेणी से बाहर निकालने का हम पुरजोर असमर्थन करते हैं। - डॉ विवेक आर्य


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Wednesday, September 30, 2020

अब देश के वैज्ञानिकों को भी फंसा रहे हैं सैक्स रैकेट के झूठे केसों में!

23 सितंबर 2020


देश में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधो को रोकने के लिए कड़े कानून बनाये गए लेकिन इन कानूनों का भयंकर दुरुपयोग भी किया जा रहा हैं इसमे पैसा ऐंठने अथवा बदला लेने की भावना से पुरुषों पर झूठे केस किये जा रहे हैं जिसकी वजह से निर्दोष पुरुषों की जिंदगी बर्बाद हो रही है और झूठे केस बढ़ने के कारण वास्तव में जो महिलाएं पीड़ित हैं उनको न्याय नही मिल रहा है।




वैसे तो हजारों घटनाएं हैं जिसमे निर्दोष पुरुषों को फंसाया गया हैं पर यहाँ आपको 2 घटनाएं बता रहे हैं कैसे निर्दोष पुरुषों को फंसाया जा रहा हैं यहाँ तक कि देश के वैज्ञानिक भी चपेट में आ रहे हैं।

वैज्ञानिक का अपहरण, हनी ट्रैप में फंसाया।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के नोएडा में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के जूनियर वैज्ञानिक का अपहरण करके हनी ट्रैप में फंसा लिया गया और परिवार वालों से 10 लाख की फिरौती मांगी।

सूचना मिलते ही कमिश्नर के नेतृत्व में इस मामले में छह टीमें बनाई गईं और रविवार की देर रात वैज्ञानिक को सकुशल बरामद कर महिला सहित तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।

पुलिस ने बताया कि शनिवार को मसाज सेंटर का एक आदमी आया और वह उसके साथ नोएडा में ही एक होटल में मसाज के लिए चले गए। थोड़ी ही देर में तीन-चार लोग वहां पहुंचे और वैज्ञानिक को धमकाने लगे। उन पर सेक्स रैकेट में शामिल होने का आरोप लगाया और खुद को पुलिस अधिकारी बताने लगे। फिर उन्हें होटल के कमरे में बंधक बना लिया। फिर परिवार वालों से 10 लाख रुपयों की डिमांड कर डाली।

बदमाशों ने खुद को पुलिस अधिकारी बताते हुए वैज्ञानिक को धमकाया अगर पैसे नहीं मिले तो उसे गिरफ्तार दिखाया जाएगा। जिससे न सिर्फ उसकी नौकरी जाएगी बल्कि बदनामी अलग होगी।

पुलिस ने लगातार छापेमारी शुरू की और देर रात उन्हें सफलता मिली और वैज्ञानिक को सकुशल मुक्त करा कर परिवार वालों को सौंप दिया। पुलिस अब इस के अन्य साथियों को तलाश में जुट गई है। जिससे यह पता चल सके कि यह गैंग अब तक कितने लोगों को ऐसे ठग चुका।

सुप्रीम कोर्ट ने पलटा HC का फैसला, किया दोष मुक्त।

बलात्कार के मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति को दोषमुक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में दिलचस्प टिप्पणी की है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि चाकू की नोक पर यौन प्रताड़ना का शिकार होने वाली महिला आरोपी को न तो प्रेम पत्र लिखेगी और न ही उसके साथ चार सालों तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहेगी। खबर के मुताबिक कोर्ट ने 20 साल पुराने रेप एवं धोखाधड़ी के एक मामले में आरोपी व्यक्ति को दोष मुक्त करते हुए यह टिप्पणी की। बताया जा रहा है कि इस मामले में व्यक्ति को निचली अदालत और झारखंड हाई कोर्ट ने दोषी ठहराया था।

शिकायतकर्ता ने दावा किया कि वह यौन उत्पीड़न की घटना के बाद चार सालों तक चुप रही। महिला ने शिकायत में कहा कि आरोपी व्यक्ति ने उससे शादी करने और उसके परिजनों को काम दिलाने का वचन दिया था। महिला का यह भी कहना है कि वे इन दिनों 'पति-पत्नी की तरह रहे।' इस बात की जानकारी होने पर कि वह दूसरी महिला से शादी करने जा रहा है तब उसने व्यक्ति के खिलाफ धोखाधड़ी एवं रेप का केस दर्ज कराया। 

SC ने व्यक्ति को सभी आरोपों से किया मुक्त

सालों पुराने मामले की सुनवाई करते समय पीठ ने साक्ष्यों को देखने के बाद पाया कि आरोपी व्यक्ति और महिला दोनों अलग-अलग धर्म से जुड़े हैं और शादी न होने के बीच यही मुख्य वजह रही। लड़की का परिवार चाहता था कि शादी चर्च में हो जबकि लड़के के परिजन विवाह मंदिर में करना चाहते थे। अपना फैसला लिखते हुए जस्टिस सिन्हा ने कहा, 'व्यक्ति अनुसूचित जनजाति से ताल्लुक रखता है जबकि लड़की ईसाई समुदाय से है। दोनों के बीच पत्रों का जो व्यवहार हुआ है उससे जाहिर होता है कि समय गुजरने के साथ-साथ  दोनों के बीच एक-दूसरे के प्रति प्रेम बढ़ा।' कोर्ट ने आरोपी व्यक्ति को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया है।

यह तो केवल दो घटनाएं है लेकिन न जाने ऐसे कितने झूठे केस होते हैं जिससे निर्दोष लोगों की जिदंगी खराब होती है ।

महिलाओं कि सुरक्षा के लिए कानून जरूरी है परंतु आज साजिश या प्रतिशोध की भावनाओं से निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए बलात्कार के आरोप लगाकर कानून का भयंकर दूरुपयोग हो रहा है।

न्यायाधीश निवेदिता शर्मा ने बताया कि पुरूषों के खिलाफ रेप के झूठे मामलों से बचाने के लिए ऐसे कानून बनाये जाये जो उन्हें बचा सके।

निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए बलात्कार के नये कानूनों का व्यापक स्तर पर हो रहा इस्तेमाल आज समाज के लिए एक चिंतनीय विषय बन गया है । राष्ट्रहित में क्रांतिकारी पहल करनेवाली सुप्रतिष्ठित हस्तियों, संतों-महापुरुषों एवं समाज के आगेवानों के खिलाफ इन कानूनों का राष्ट्र एवं संस्कृति विरोधी ताकतों द्वारा कूटनीतिपूर्वक अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है । इसको रोकने के लिए कानून में संशोधन करना अत्यंत जरूरी है ।

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Tuesday, September 29, 2020

थम नहीं रही हैं साधु-संतों की हत्याएं, एक ओर साधु की हुई हत्या..

29 सितंबर 2020


भारतीय संस्कृति महान एवं प्राचीन है, राष्ट्र विरोधी ताकतों ने देखा कि अगर भारतीय संस्कृति को खत्म करना है तो सबसे पहले उनके रक्षक साधु-संतों के प्रति लोगों की श्रद्धा खत्म करो जिसके लिए मीडिया द्वारा बदनाम कराओ या झूठे केस द्वारा जेल भिजवा दो अथवा हत्या कर दो जिससे आसानी से हिन्दू संस्कृति को खत्म करके धर्मान्तरण कर सकें एवं जिहाद फैला सकें और मंदिर की जगह चर्च या मस्जिद बनाकर उनका धर्म आसानी से फैला सकें।




आपको बता दें कि मध्यप्रदेश के जिला हरदा के तहसील खिड़किया, ग्राम बारंगी में 80 वर्षीय महंत नारायण गिरीजी की गुरुवार को (24 सितंबर) को बेरहमी से हत्या कर दी गई। महंत नारायण गिरी जी बस स्टैंड के पास पंचमुखी हनुमान मंदिर में लगभग 20 साल से रहते आ रहे है यह घटना पालघर की घटना की तरह फिर से दोहराई गयी लेकिन किसी मीडिया ने ये खबर अब तक कही नही दिखाई।

जो मीडिया किसी साधु-संत पर झूठे आरोप लगने पर 24 घण्टे गला फ़ाड़कर चिल्लाती रहती है वो मीडिया एक निर्दोष बुर्जुग संत की हत्या पर चुप है।

आजकल साधु-संतों की हत्या व उनके ऊपर झूठे केस दायर करना, उनको मीडिया द्वारा बदनाम करना, उनके खिलाफ झूठी कहानियां बनाकर फिल्में बनाना ये कार्य जोरो से चल रहा है पर सरकार इस पर ध्यान नही दे रही है, जनता की तीव्र मांग है कि साधु-संतों के हत्यारों को फाँसी का प्रावधान होना चाहिए जिसके कारण आगे कोई भी किसी साधु की हत्या न करें और साधुओं की सुरक्षा के लिए भी व्यवस्था करनी चाहिए, साधु-संतो पर जो झुठे केस दायर किये जा रहे हैं उनके खिलाफ भी कार्यवाही करनी चाहिए ऐसी जनता की मांग हैं।

आपको बता दें कि हिन्दू साधू-सन्तो द्वारा धर्मांतरण पर रोक लगाना, गौहत्या रोकना, गौमाता की महिमा बताना, श्री राम मंदिर बनाना, हिन्दुओं को अपनी संस्कृति के प्रति जागरूक करना, विदेशी प्रोडक्ट खरीदने से रोकना, स्वदेशी का प्रचार करना, व्यसन मुक्त भारत बनाना, सिनेमा आदि से दूर रखने का प्रयास करना, अपनी प्राचीन संस्कृति की ओर हमें मोड़ना, वेद व शास्त्र सम्मत कार्य करने के लिए प्रेरित करना, विदेशी त्यौहार के बदले अपने त्यौहारों को मनाने को प्रेरित करना आदि आदि अनेक दिव्य कार्य करने के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं, अधर्म से लड़ते हैं और हमें जगाते हैं। जिसके कारण आज हिन्दू साधु-संतों की हत्या हो रही है और मीडिया द्वारा बदनाम करवाकर जेल भिजवाया जा रहा है।

जैसे कि साध्वी प्रज्ञा, स्वामी असीमानन्द, शंकराचार्य अमृतानंद, स्वामी केशवानंद जी आदि अनेक संतों को बिना सबूत सालों से जेल में रखा गया। उड़ीसा के स्वामी लक्ष्मणानन्द जी, पालघर में आदि अनेक संतो की हत्या करवा दी, आज भी धर्मांतरण को रोकने वाले हिंदू संत आशारामजी बापू 7 साल से जेल में बंद है, कई आतंकवादियों को जमानत मिली लेकिन बापू आशारामजी को 7 साल से अभी तक एकबार जमानत तक नही मिल पाई।

साधु-संत राष्ट्र एवं सनातन संस्कृति की रक्षा करने के लिए जेल जा सकते हैं, अपने प्राण तक दे सकते हैं तो हिंदुओं का भी कर्तव्य है कि उनके ऊपर हो रहे षड्यंत्रों को संगठित होकर कानूनी कार्यवाही से रोकें।

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Monday, September 28, 2020

अभी का भारत तो बहुत छोटा रह गया है, भारतवर्ष के हो चुके हैं इतने टुकड़े

27 सितंबर 2020


कभी जम्बूद्वीप, भारतवर्ष और आर्यावर्त के नाम से पहचाना जाने वाले हमारे देश का नाम आज भारत और अंग्रेजों की भाषा मे इंडिया है। लेकिन आज का जो भारत हमारे पास है वो भारतवर्ष का महज एक छोटा टुकड़ा मात्र है। क्योंकि अभी जितनी भूमि भारत देश में है, उससे कई गुना ज्यादा भूमि पर अलग देश बन चुके हैं। हम आपको बता रहे हैं कैसे प्राचीन काल में विश्वगुरू रहा भारत खंड-खंड होता गया और आज सिकुड़ कर छोटा सा रह गया।




★ अफगानिस्तान-

गांधार और कंबोज प्राचीन काल के राज्य थे जहां हिंदू शासक राज करते थे। उसके बाद यहां पारसी और बौद्ध धर्म के राजाओं ने शा​सन किया। लेकिन बाद में इन भागों को मिलाकर अफगानिस्तान बना। इस देश ने अपना राष्ट्र धर्म इस्लाम बना लिया।

★ पाकिस्तान-

1947 से पहले देश भारत का ही हिस्सा था और सिंध के नाम जाना जाता था। लेकिन बाद में यह अलग देश बना जिसमें पंजाब, मुल्तान, पेशावर, बलुचिस्तान आदि भाग मिले। पाकिस्तान ने अपने देश का धर्म इस्लाम रखा। आज भारत का सबसे बड़ा दुश्मन यही देश है जो आतंक की फैक्ट्री चलाता है।

★ बांग्लादेश

1947 भारत के विभाजन के बाद बंगाल से कटकर पूर्वी पाकिस्तान बना।1949 में अवामी लीग की स्थापना हुई जिसका उद्देश्य पूर्वी पाकिस्तान को स्वायत्तता दिलाना था। 1971 - शेख़ मुजीब और अवामी लीग ने 26 मार्च को स्वतंत्रता की घोषणा कर दी। नए देश का नाम रखा गया बांग्लादेश ।

★ नेपाल-

आज नेपाल एक स्वतंत्र राष्ट्र है। कुछ सालों पहले तक यह हिंदू राष्ट्र हुआ करता था, लेकिन अब यह भी सेकुलर राष्ट्र घोषित हो चुका है। प्राचीन भारतवर्ष में नेपाल भारत का ही अखंड भाग था जिसे देवघर कहा जाता था। इसी देश में भगवान श्रीराम की पत्नी सीता का जन्म स्थल मिथिला है।

★ भूटान-

प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर भूटान भी कभी भारतीय महाजनपदों के अंतर्गत एक जनपद था और अखंड भारतवर्ष का हिस्सा था। भूटान संस्कृत के भू-उत्थान से बना शब्द है।

★ तिब्बत-

तिब्बत को त्रिविष्टप कहा जाता था जहां रिशिका और तुशारा नामक राज्य थे। आज चीन द्वारा कब्जा किया हुआ यह देश भी भारतवर्ष का अभिन्न अंग था। तिब्बत में पहले हिन्दू फिर बाद में बौद्ध धर्म प्रचारित हुआ और यह बौद्धों का प्रमुख केंद्र बन गया।

★ म्यांमार-

म्यांमार को प्राचीन भारत वर्ष में ब्रह्मदेश के नाम से पुकारा जाता था। यह देश म्यांमार प्राचीनकाल से ही भारत का ही एक उपनिवेश रहा है। हालांकि मुस्लिम शासनकाल में म्यांमार शेष भारत से कटा रहा और यहां पर स्वतंत्र राजसत्ताएं कायम हो गईं। इसके बाद ब्रिटिशों ने 1935 ई. के भारतीय शासन विधान के अंतर्गत म्यांमार को भारत से अलग कर दिया।

★ श्रीलंका-

श्रीलंका भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिण में हिन्द महासागर में स्थित एक बड़ा द्वीप है। यह भारत के चोल और पांड्य जनपद के अंतर्गत आता था। कालांतर में यहां के सिंहल राजा ने बौद्ध धर्म अपनाकर इसे राजधर्म घोषित कर दिया। आज श्रीलंका भारत से अलग देश है।

★ मलेशिया-

वर्तमान के मुख्‍य 4 देश मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड, वियतनाम और कंबोडिया प्राचीन भारत के मलय प्रायद्वीप के जनपद हुआ करते थे। आज ये सब देश अलग-अलग स्वतंत्र राष्ट्र हैं।

★ सिंगापुर-

प्राचीन काल भारत के ​इस हिस्से का नाम सिंहपुर था जो आज सिंगापुर हो गया। बाद में 9 अगस्त 1965 को अंग्रेजों ने सिंगापुर को एक स्वतंत्र गणतंत्र देश बना दिया।

★ थाईलैंड-

थाईलैंड का प्राचीन भारतीय नाम श्‍यामदेश है। बौद्ध धर्मावलंबियों की जनसंख्या वाला यह भू-भाग भी आज भारत से अलग राष्ट्र है।

★ इंडोनेशिया-

मलेशिया और ऑस्ट्रेलिया के बीच हजारों द्वीपों पर फैले इंडोनेशिया में मुसलमानों की सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है। हिंदू मंदिरों पटा पड़ा यह देश आज इस्लामिक राष्ट्र और भारत से अलग है। यहीं विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर भी हैं जिसे प्रम्बानन मंदिर कहते हैं।

★ कंबोडिया-

इस देश को पौराणिक काल का कंबोज देश आज कंबोडिया कहलाता है जो कभी भारत का हिस्सा था। यह पहले हिन्दू राष्ट्र रहा और फिर बौद्ध हो गया। विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर परिसर तथा विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक कंबोडिया में स्थित है।*

★ वियतनाम-

प्राचीन भारतवर्ष में वियतनाम को चम्पा कहकर पुकारा जाता था। चम्पा के लोग चाम कहलाते थे। वर्तमान समय में चाम लोग वियतनाम और कंबोडिया के सबसे बड़े अल्पसंख्यक हैं। आज यह अपने आप में एक स्वतंत्र राष्ट्र है।

भारतीय इतिहास के अनुसार भारत के सम्राट विक्रमादित्य ने सम्पूर्ण अरब को जीतकर अपने साम्राज्य में मिलाया था।

भारत में आज जिस तरह जाति-पाति में बंट रहे हैं उससे हमारे देश को खतरा है क्योंकि हमारे देश पर राष्ट्र विरोधी ताकतों की बुरी नजरे हैं और वे हमें आपस में लड़ा रहे हैं। इनसे सावधन रहना नहीं तो बाद में हमें पछतावा होगा।

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Sunday, September 27, 2020

श्रीराम मंदिर के बाद अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि खाली कराने की उठी मांग।

27 सितंबर 2020


भारत का प्राचीन इतिहास केवल सनातन धर्म का ही रहा है लेकिन इस्लामी आक्रमणकारियों ने जिस प्रकार से अयोध्या की श्रीराम जन्मभूमि को बलपूर्वक ले लिया था वैसे ही मथुरा का श्रीकृष्ण जन्मस्थान एवं काशी के विश्वनाथ मंदिर को भी बलपूर्वक ले लिया था, यह तो महत्वपूर्ण मंदिर की ही केवल बात कर रहे है बाकी तो हजारों-लाखों हिन्दू मंदिर तोड़कर मस्जिदें बना दी गई हैं।




राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय को 1 वर्ष होने को आया हैं। अब यूपी के मथुरा की अदालत में 13.37 एकड़ की श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर सिविल सूट याचिका दायर की गई है। इसमें शाही ईदगाह मस्जिद को हटा कर श्रीकृष्ण जन्मभूमि की मथुरा में स्थित पूरी भूमि को खाली कराने की माँग की गई है। इस याचिका को ‘श्रीकृष्ण विराजमान’ की तरफ से विनीत जैन ने दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि कटरा केशव देव की पूरी भूमि के प्रति हिन्दुओं की आस्था है।

याचिका में कहा गया है कि कटरा केशव देव वही क्षेत्र है, जहाँ राजा कंस के कारागार में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था और मस्जिद के नीचे ही वो पवित्र स्थल स्थित है। साथ ही मथुरा में स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर को ध्वस्त करने के लिए मुग़ल बादशाह औरंगजेब को जिम्मेदार ठहराया गया है। इसमें लिखा है कि औरंगजेब कट्टर इस्लामी था और उसने ही सन 1669-70 में इस मंदिर को ध्वस्त करने का आदेश जारी किया था।

याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकीलद्वय हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन ने TOI को बताया कि इस याचिका में माँग की गई है कि मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाया जाए और वहाँ स्थित ढाँचे को भी हटाया जाए। बता दें कि अयोध्या जजमेंट के बाद से ही काशी विश्वनाथ और मथुरा को रिक्लेम करने के लिए अभियान शुरू हो गया है। काशी में भी विश्वनाथ मंदिर को नुकसान पहुँचा कर औरंगजेब ने ही मस्जिद बनवायी थी।

अगस्त में ‘श्रीकृष्ण जन्मभूमि निर्माण न्यास’ का गठन करके इसे मुक्त कराने की दिशा में प्रयास तेज कर दिया गया था। 14 राज्यों से 80 संतों ने साथ आकर इस अभियान के लिए एकता जताई थी, जिनमें 11 वृन्दावन के संत थे। हालाँकि, इस्लामी आक्रांताओं द्वारा किए गए ऐसे अतिक्रमण की राह में ‘प्लेसेज़ ऑफ़ वर्शिप (स्पेशल प्रोविज़न) एक्ट, 1991’ की बाधा है। इसके तहत धार्मिक स्थलों पर यथास्थिति बरक़रार रखी गई है।

सितम्बर के पहले सप्ताह में ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की अध्यक्षता में हुई बैठक में माँग की गई थी कि अब जब अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन हो गया है तो काशी में बाबा विश्वनाथ और मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर को मुक्त कराने की ओर प्रयास किया जाए। काशी-मथुरा को मुक्त कराने के लिए प्रस्ताव पारित करते हुए अखाड़ा परिषद ने इस कार्य में विश्व हिन्दू परिषद का भी सहयोग माँगा था।

पिछले दिनों ‘हिंदू आर्मी’ नामक एक संगठन ने भी मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि की मुक्ति के लिए सोशल मीडिया पर मुहिम छेड़ रखी थी। वे लोगों से मथुरा पहुँचने की अपील कर रहे थे। लेकिन 20 सितंबर की रात इस संगठन से जुड़े 22 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था। हिन्दू आर्मी का कहना है कि वह कृष्ण जन्मभूमि के पास से इस्लामी ढाँचे को हटवाकर वह जमीन कृष्ण जन्मभूमि के नाम पर सौंपना चाहते हैं।

आक्रमणकारी मुग़लों ने भारत मे आकर अनेकों मंदिर तोड़ दिए, अनेक जगह तो मंदिर की जगह मस्जिदें खड़ी कर दी गई, हिंदुस्तानियों को तलवार की धार पर इस्लाम कबूलने पर मजबूर किया, जो डर गए उन्होंने हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम कबूल कर लिया और जो निडर रहें वे आज भी हिंदू बन रहें हैं और वे सनातन धर्म की रक्षा कर रहे हैं। भारत मे जो भी आक्रमणकारियों ने मंदिर तोड़े हैं उनका जीर्णोद्धार होना चाहिए और जिन मदिरों की जगह मस्जिदें बना दी गई है उनको वह जगह वापिस हिंदुओं को देनी चाहिए ऐसी जनता की मांग है।

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