4 March 2023
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होली के दिन
शराब अथवा भांग आदि नशा करने की कुप्रथा है, हुड़दंग मचाते
है, हंसी मजाक के नाम पर दुसरों को परेशान करना। इस उत्सव के साथ हलकी
मति के लोग जुड़ गये । इस उत्सव में गंदगी फेंकना, गंदी हरकतें
करना, गालियाँ देना, शराब पीना और वीभत्स कर्म करना – यह उत्सव
की गरिमा को ठेस पहुँचाना है ।
दुष्ट
प्रवृत्तिके लोगो द्वारा बहनों के साथ छेड़छाड़ करना - स्त्रियाँ सिर्फ स्त्रियों के संग ही होली
मनायें । स्त्रियाँ यदि अपने घर परिवार या सोसायटी में ही होली मनायें
खेलने व रंग
छुड़ाने में पानी की महाबर्बादी
मानसिक प्रसन्नता
व आध्यात्मिक लाभ की उपेक्षा
बापूजी द्वारा पुनरुत्थान कैसे ?
यह होली
रंगोत्सव हमारे ऋषियों की दूरदर्शिता है यह उत्सव शरीर तंदुरुस्त, मन
प्रसन्न और बुद्धि में बुद्धि दाता का ज्ञान प्रविष्ट हो – ऐसा करने के लिए है और
इस उत्सव को इसी उद्देश्य से मनाना चाहिए । होली त्योहार आध्यात्मिक लाभ के
साथ-साथ शारीरिक, मानसिक, सामाजिक कई ढंग से लोगों को उन्नत करता है ।
संत श्री
आशारामजी ने वैदिक होली की महिमा बताई केमिकल रंगों को छोड़कर पलाश के फूलों की
होली खिलाई और वास्तविक होली के महत्व को समझाया है सन 2000 से सुरत आश्रम
में लाखों लोगों के साथ पलाश के रंगों से सामूहिक होली व बाद में अन्य आश्रमों में
भी पलाश के रंगों की होली का आयोजन होता रहा है यह रुझान आश्रम के साधकों के बीच
हर वर्ष बढ़ रहा है ।
सामाजिक
व्यवहारिक लाभ
होली उत्सव समाज
के लोगों के बीज जाति-पाती, गरीब-अमीर, बड़ा छोटा अनेक
विषमताओं के बीच भी भेदभाव, लड़ाई – झगड़ा भुलकर मिटाकर हंसते
खेलते पारस्परिक प्रेम व सद्भाव प्रकट करने का एक अवसर है । यह समाज में व्यवहारिक
ढंग से एकत्व का संचार करता है तथा परस्पर छुपे हुए प्रभुत्व को, आनंद
को, सहजता को, निरहंकारिता और सरल सहजता के सुख को उभारने का उत्सव है ।
शारीरिक मानसिक
स्वास्थ्य लाभ
प्राचीन समय में
लोग पलाश के फूलों से बने रंग अथवा अबीर-गुलाल, कुमकुम– हल्दी
से होली खेलते थे । आयुर्वेद के ग्रंथों के पलाश-पुष्पों के गुणों का वर्णन है।
गर्मी आते ही खिन्नता चिड़चिड़ापन ,डिप्रेशन तनाव तथा अनिद्रा की कई लोगों
को शिकायत हो जाती है। ऐसे में आप यदि पलाश के फूल अर्थात प्राकृतिक रंगों को होली
पर इस्तेमाल करें तो इन बीमारियों से आपकी रक्षा होती है इनके रंग आँखों की जलन,
शरीर-दाह,
पित्त
की तकलीफें, चर्म रोग, जलन, अधिक प्यास लगना, रक्त-विकार, अधिक पसीना आना
तथा मूत्रकृच्छ (रुक-रुक कर पेशाब आना) एलर्जी, अनिद्रा, उद्वेग, अवसाद
(डिप्रेशन), त्वचा रोग जैसे रोगों और कालसर्प योग जैसी दुःसाध्य समस्याओं से
रक्षा होती है। स्वास्थ्य, सहृदयता, शरीर की सप्त
धातुओं एवं सप्त रंगों का संतुलन आदि विलक्षण लाभ होते हैं।
होली पर
रासायनिक रंगों का दुष्प्रभाव - मेडिकल डाक्टरों के अनुसार केमिकल रंग कैंसर तक कर
सकते हैं. अन्य नुकसान निम्न हैं ।
घर में ही आसानी से अलग- अलग प्राकृतिक रंग कैसे
बनायें व रासायनिक रंगों का दुष्प्रभाव – देखें विडियो
https://www.youtube.com/watch?v=M4WSkIg2sbg
आध्यात्मिक लाभ
चार
महारात्रियाँ हैं - जन्माष्टमी, होली, दिवाली और
शिवरात्रि। इस दिन ग्रह-नक्षत्रों आदि का ऐसा मेल होता है कि हमारा मन नीचे के
केन्द्रों से ऊपर आये। शरीरों में होते हुए भी निर्विकार नारायण का आनंद-माधुर्य
पाकर अपने आपको जन्म मरण से मुक्त कर सकते हैं । भक्त प्रह्लाद के जीवन में विरोध,
प्रतिकुलताएँ
आयीं पर वह उन विरोधों और प्रतिकुलताओं में गिरा नहीं, ऐसे ही जिसको
ईश्वर की सर्वव्यापकता पर विश्वास है उसको परिस्थितियों की विपरीतता अपने पथ से
गिरा नहीं सकती।
मनुष्यों के
संकल्पों में कितनी शक्ति है इस बात की की स्मृति देता है और उसके साथ-साथ सज्जनता
की रक्षा करने के लिए लोगों को शुभ संकल्प करना चाहिए यह सकेत भी देता है । भले
दुष्ट व्यक्ति के पास राज्य-सत्ता अथवा वरदान का बल है, जैसे होलिका के
पास था, फिर भी दुष्ट को अपनी दुष्ट प्रवृत्ति का परिणाम देर-सवेर भुगतना ही
पड़ता है ।
पानी की महाबचत
केमिकल रंगों से
होली खेलने में प्रति व्यक्ति 35 से 300 लीटर पानी खर्च
होता है। केवल मुँह का रंग निकालने में ही कितना पानी खर्च होता है ! जबकि
प्राकृतिक रंगों से होली खेलने पर इसका 10वाँ हिस्सा भी खर्च नहीं होता। और देश
की जल-सम्पदा की सुरक्षा होती है । आश्रम में लाखों लोगो के साथ पलाश के रंगों से
सामुहिक होली में प्रति व्यक्ति मात्र 30 से 60 मि.ली. (आधे
गिलास से भी कम) पानी इस्तेमाल हुआ। इस प्रकार सामूहिक होली के एक कार्यक्रम
द्वारा एक करोड़ लीटर से भी अधिक पानी की बचत होती है।
आर्थिक लाभ
ʹऐसोसियेटिड
चैंबर ऑफ कामर्स एंड इन्डस्ट्रीज ऑफ इंडियाʹ के सर्वेक्षण के
अनुसार, भारत में गत वर्षों में होली के रंगों तथा पिचकारी, गुब्बारे
एवं खिलौनों के 15000 करोड़ रूपये के व्यापार के अधिकांश हिस्से पर चीन अधिकार जमा चुका
है। उदाहरण के तौर पर पिचकारियों के व्यापार में चीन का 95 प्रतिशत कब्जा
है। इस कारण भारत में लघु व मध्यम उद्योगों के क्षेत्र में 75
प्रतिशत लोगों की रोजी रोटी छिन गयी है। लाखों लोग बेरोजगार हुए हैं और अधिकांश
पैसा चीन जा रहा है। जबकि प्राकृतिक होली के द्वारा पलाश के फूल इकट्ठे करने वाले
देश के असंख्य गरीबों, वनवासियों एवं आदिवासियों को रोजगार मिल रहा है। भारत के लघु एवं
मध्यम उद्योगों को पुनर्जीवन मिल रहा है।
दुर्भाग्य से इस
उत्सव के साथ हल्की मति के लोग जुड़ गये, इस उत्सव में गंदगी फेंकना, गंदी
हरकतें करना, गालियाँ देना, शराब पीना और वीभत्स कर्म करना – यह
उत्सव की गरिमा को ठेस पहुँचाना है ।
होली में
सावधानीयाँ
रंग खेलने से
पहले अपने शरीर को नारियल अथवा सरसों के तेल से अच्छी प्रकार लगा लेना चाहिए
। ताकि तेल युक्त त्वचा पर रंग का
दुष्प्रभाव न पड़े और साबुन लगाने मात्र से ही शरीर पर से रंग छूट जाये । रंग
आंखों में या मुँह में न जाये इसकी विशेष सावधानी रखनी चाहिए । इससे आँखों तथा
फेफड़ों को नुकसान हो सकता है ।
यदि किसी ने आप
पर ऐसा रंग लगा दिया हो तो तुरन्त ही बेसन, आटा, दूध,
हल्दी
व तेल के मिश्रण से बना उबटन रंगो हुए अंगों पर लगाकर रंग को धो डालना चाहिये ।
यदि उबटन करने से पूर्व उस स्थान को नींबु से रगड़कर साफ कर लिया जाए तो रंग छूटने
में और अधिक सुगमता आ जाती है । वर्तमान समय में होली के दिन शराब अथवा भांग पीने
की कुप्रथा है । नशे से चूर व्यक्ति विवेकहीन होकर घटिया से घटिया कुकृत्य कर
बैठते हैं । अतः नशीले पदार्थ से तथा नशा करने वाले व्यक्तियों से सावधान रहना
चाहिये । पुरुष सिर्फ पुरुषों से तथा स्त्रियाँ सिर्फ स्त्रियों के संग ही होली
मनायें । स्त्रियाँ यदि अपने घर में ही होली मनायें तो अच्छा है ताकि दुष्ट
प्रवृत्ति के लोगों कि कुदृष्टि से बच सकें ।
संदर्भ-
ऋषि प्रसादः अंक 244 व अन्य, अप्रैल 2013
(https://www.hariomgroup.org/articles/category/rishiprasad/244-%E0%A4%8B%E0%A4%B7%E0%A4%BF-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%83-%E0%A4%85%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%88%E0%A4%B2-2013/)
अन्य References
लिंक
घर में ही आसानी से अलग- अलग प्राकृतिक रंग
कैसे बनायें – देखें विडियो
https://www.youtube.com/watch?v=M4WSkIg2sbg
औषधीय गुणों से
भरपूर ब्रह्मवृक्ष पलाश फूलों के भारी लाभ व भारी महिमा
HD । Mangalmay Digital
https://www.youtube.com/watch?v=f0XUYatTnJQ
https://www.youtube.com/watch?v=YpHbuIxlfsQ
https://www.youtube.com/watch?v=_oe_fs9jvOc
https://www.youtube.com/watch?v=1wUb6OKKdNs
Advantage Of Palash
Colour
https://www.youtube.com/watch?v=PrbWoLsqSwI
https://www.youtube.com/watch?v=SkaN5T9G0kQ
Problems with Chemical
holi
https://www.thehindu.com/news/national/other-states/beware-of-toxic-colours-this-holi/article8382747.ece
https://timesofindia.indiatimes.com/city/kanpur/beware-of-chemical-colours-this-holi-experts/articleshow/12180970.cms
http://www.cancercross.in/press-and-media/beware-toxic-colours-holi/
https://www.deccanchronicle.com/lifestyle/health-and-wellbeing/220316/holi-increases-risk-of-skin-cancer-miscarriage-in-pregnant-women-experts.html
https://memumbai.com/hazards-of-holi-colours/
Doctors view on Problems
with Chemical holi
https://drvikasgoswamioncologist.blogspot.com/2016/03/expert-views-about-holi-in-popular.html#more
https://www.drshehnazarsiwala.in/skin-hazards-during-holi-festival/