Monday, March 13, 2023

भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना क्यों आवश्यक है ?

13  March 2023

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🚩मौलाना तौकीर रज़ा इत्तेहाद मिल्लत काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तौकीर रज़ा ने कहा कि अगर हिन्दू राष्ट्र की माँग जायज है तो खालिस्तान की भी माँग सही है। तौकीर ने सरकार से हिन्दू राष्ट्र की माँग करने वाले लोगों पर केस दर्ज करने की भी माँग की।


🚩हिंदु राष्ट्र क्यों आवश्यक?


🚩विश्व में ईसाइयों के 157, मुसलमानों के 52, बौद्धों के 12 जबकि यहूदियों का 1 राष्ट्र है । हिन्दूओं का राष्ट्र इस सौरमंडल में कहा है ? लेकिन विश्व में 1 भी हिन्दू राष्ट्र नही है। 



🚩स्वतंत्रता के समय का एवं आज का भारत !


🚩1947 में जहाँ 1 पैसे का भी ऋण नहीं था, उस भारत में आज प्रत्येक नागरिक अपने सिर पर 32,812 रुपयों के ऋण का भार ढो रहा है ।


🚩1947 में 33 प्रतिशत से अधिक निर्यात करनेवाला भारत आज 1 प्रतिशत से भी अल्प निर्यात कर रहा है ।


🚩जहाँ अधिक से अधिक 10 से 20 विदेशी प्रतिष्ठान थे, उस भारत में आज 5,000  से भी अधिक विदेशी प्रतिष्ठानों को सिर पर उठाया जा रहा है ।


🚩जहाँ एक भी संवेदनशील जनपद (जिला) नहीं था, उस भारत में आज 300 से भी अधिक जनपद संवेदनशील बन गए हैं ।


🚩जहाँ प्रति नागरिक के पास एक-दो गाय होती थीं, उस भारत में अबाध गोहत्या के कारण आज 12 व्यक्तियों पर एक गाय है ।


🚩विदेश में जाकर अत्याचारी कर्जन वाइली, ओडवायर जैसे शासकों को ईसावासी करने वाला भारत आज संसद पर आक्रमण करनेवाले अफजल को फांसी देने में कई साल लगा रहा है !


🚩देशाभिमान जागृत रखने वाले भारत से, देशाभिमान गिरवी रखने वाला भारत, निम्नतम भ्रष्टाचार करने वाले भारत से भ्रष्टाचार की उच्चतम सीमा तक पहुंचा भारत, सीमा पार झंडा फहराने वाले भारत से आज नहीं तो कल, कश्मीर से हाथ धो बैठने की प्रतीक्षा करनेवाला भारत… यह सूची लिखते समय भी मन आक्रोशित हो रहा है; परंतु ‘गण की तो दूर, मन की भी लज्जा न रखनेवाले’ शासनकर्ता सर्वत्र गर्व से सीना तानकर घूम रहे हैं ।


🚩मुसलमान आक्रमणकारियों एवं धूर्त ब्रिटिशों ने भी भारतीय जनता को जितना त्रस्त नहीं किया, उससे सैकडों गुना लोकतंत्र द्वारा उपहार स्वरूप मिले इन शासनकर्ताओं ने मात्र 6 दशकों में कर दिया है !


🚩‘लोगों द्वारा, लोगों के लिए, लोगों का शासन’, लोकतंत्र की ऐसी व्याख्या, भारत जैसे विश्व के सब से बडे देश के लिए ‘स्वार्थांधों द्वारा स्वार्थ के लिए चयनित (निर्वाचित) स्वार्थी शासनकर्ताओं का शासन’, ऐसी हो चुकी है ।


🚩इस लेखमालिका में भारत की अनेक समस्याएं वर्णित हैं । ये समस्याएं पढकर कुछ लोगों के मन में संदेह उत्पन्न होगा कि ‘हिन्दू राष्ट्र’में ये समस्याएं दूर कैसे होंगी ? क्या इतिहास में ऐसा कभी हुआ है ? ऐसा समझनेवाले लोग यह समझ लें कि – हां, इतिहास में ऐसा हुआ है ! छत्रपति शिवाजी महाराज का ‘हिन्दू राष्ट्र (हिन्दवी स्वराज्य)’ स्थापित होते ही ऐसी तत्कालीन समस्याएं दूर हुई हैं !


🚩छत्रपति शिवाजी महाराज का ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित होते ही सबकुछ कुशल-मंगल हुआ था !


🚩छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म होने के पूर्व भी आज के समान ही हिन्दू स्त्रियों का शील सुरक्षित नहीं था, प्रत्यक्ष जीजामाता की जिठानी को ही पानी लाते समय यवन सरदार ने अगवा कर लिया था । उस समय भी मंदिर भ्रष्ट किए जाते थे एवं गोमाता की गर्दन पर कब कसाई का छुरा चल जाएगा, यह कोई बता नहीं सकता था । छत्रपति शिवाजी महाराज का ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित होते ही मंदिर ढहाना बंद हुआ, इतना ही नहीं; अपितु मंदिर ढहाकर बनाई मस्जिदों का रूपांतरण पूर्ववत मंदिरों में हुआ ।


🚩मौन रहकर क्रंदन करनेवाली गोमाताएं आनंदित होकर रंभाने लगीं । ‘गोहत्या बंद की जाए !’, ऐसी मांग के लिए कभी शासन के पास लाखों हस्ताक्षर नहीं भेजे गए अथवा छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी कोई ‘गोहत्या प्रतिबंधक विधेयक’ मंत्रीमंडल में प्रस्तुत नहीं किया,हिन्दू राष्ट्र घोषित होते ही गौमाता की पूजा होने लग गई ।


🚩आज हमें महंगाई दिखती है । क्या कभी पढा है कि छत्रपति  शिवाजी ‘महाराज के शासनकाल में प्रजा महंगाई से त्रस्त थी’ ?


🚩‘जय जवान, जय किसान’की घोषणा करनेवाले शासनकर्ता आज जवान एवं किसान, दोनों की नृशंस हत्या करवा रहे हैं । छत्रपति शिवाजी महाराज को तो केवल कृषकों के (किसानों के) प्राण ही नहीं, अपितु उनके द्वारा उपजाई फसल भी अमूल्य लगती थी । उन्होंने ऐसी आज्ञा ही दी थी कि ‘कृषकों द्वारा उपजाई फसल के डंठल को भी कोई हाथ न लगाए ।’ छत्रपति शिवाजी महाराज ने ‘किसानों’ की ही भांति ‘जवानों को’भी संभाला था ।

🚩छत्रपति शिवाजी महाराज लडाई में घायल हुए अनेक सैनिकों को पुरस्कार के साथ सोने के आभूषण देकर सम्मानित करते थे । कारगिल युद्ध में वीरगति प्राप्त करनेवाले सैनिकों की विधवाओं के लिए वर्ष 2010 में ‘आदर्श’ सोसाइटी बनाई गई; परंतु उसमें एक भी सैनिक की विधवा को सदनिका (फ्लैट) नहीं मिली । भ्रष्टासुरों ने ही वे सभी सदनिकाएं हडप लीं !


🚩छत्रपति शिवाजी  महाराज ने सिंहगढ के युद्ध में वीरगति प्राप्त करनेवाले तानाजी के पुत्र का विवाह कर उनके परिजनों को सांत्वना दी थी !


🚩‘हिन्दू राष्ट्र’ में भारत को त्रस्त करने वाली बाह्य समस्याएं भी दूर होंगी !


🚩‘हिन्दू राष्ट्र’ में आंतरिक समस्याएं दूर होंगी, उसी प्रकार बाह्य समस्याएं भी दूर होंगी । इन समस्याओं में मुख्य हैं :-पाकिस्तान एवं चीन द्वारा भारत पर संभावित आक्रमण ।


🚩 शिवकाल में भी ऐसी ही स्थिति थी । औरंगजेब ‘शिवा’का छोटासा राज्य नष्ट करने को तुला था; परंतु ‘महाराज का राज्याभिषेक और विधिवत ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित हुआ’, यह सुनते ही उसके पैरोंतले की भूमि खिसक गई ! तदनंतर आगे महाराज के स्वर्गारोहणतक वह मात्र महाराष्ट्र में ही नहीं; अपितु दक्षिण में भी नहीं आया ! एक बार ‘हिन्दू राष्ट्र’की स्थापना हुई कि हमारे सर्व पडोसी अपनेआप सीधे हो जाएंगे !


🚩‘हिन्दू राष्ट्र’का विषय निकलते ही एक निरर्थक प्रश्न तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावादियों द्वारा पूछा जाता है, ‘हिन्दूराष्ट्र’में मुसलमानों के साथ कैसा व्यवहार किया जाएगा ? वास्तव में यह प्रश्न मुसलमानों को पूछना चाहिए । वे नहीं पूछते । वे तो यही कहते हैं, ‘हस के लिया पाकिस्तान, लड के लेंगे हिन्दूस्तान !’


🚩तथापि इस प्रश्नका भी उत्तर है । आगामी ‘हिन्दू राष्ट्र’में मुसलमानों से ही नहीं; अपितु सभी पंथियों से वैसा ही व्यवहार किया जाएगा जैसा शिवराज्य में किया गया था !


🚩संक्षेप में, सूर्योदय होने से पूर्व सर्वत्र अंधकार छाया रहता है, दुर्गंध आती है; परंतु सूर्य के उगते ही अंधकार अपनेआप नष्ट हो जाता है, सर्व दुर्गंध वातावरण में लुप्त हो जाती है । अंधकार अथवा दुर्गंध से कोई नहीं कहता, ‘दूर हटो, सूर्य उग रहा है !’ यह अपनेआप ही होता है । उसी प्रकार आज भारत में फैला विविध समस्यारूपी अंधकार एवं दुर्गंध ‘हिन्दू राष्ट्र’के स्थापित होते ही अपनेआप नष्ट हो जाएगी । धर्माचरणी शासनकर्ताओं के कारण भारत की सर्व समस्याएं दूर होंगी तथा सदाचार के कारण सर्व जनता भी सुखी होगी !


🚩किन्हीं एक-दो समस्याओं के विरोध में लडने की अपेक्षा ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करना आवश्यक है। मात्र भारत के लोगों के लिए ही नहीं; अपितु अखिल मानवजाति के कल्याण हेतु हिन्दू राष्ट्र स्थापित किया जाना चाहिए।


🚩पांडव मात्र पांच गांव चाहते थे, वे भी उन्हें सहजता से नहीं मिल सके । हमें तो कश्मीर से कन्याकुमारीतक अखंड ‘हिन्दू राष्ट्र’ चाहिए । इसके लिए बडा संघर्ष करना होगा । भारत की किन्हीं एक-दो समस्याओं के (उदा. गोहत्या, धर्मांतरण, गंगा नदी का प्रदूषण, कश्मीर, मंदिर, स्वभाषारक्षा आदि के) विरोध में पृथक-पृथक लडने की अपेक्षा सर्व समविचारी व्यक्ति एवं संस्थाएं मिलकर ‘हिन्दू राष्ट्र-स्थापना’का ही ध्येय रखकर कार्य करेंगे, तो यह संघर्ष थोडा सुलभ होगा ।


🚩स्वामी विवेकानंद, योगी अरविंद, वीर सावरकर, प.पू. गोळवलकर गुरुजी जैसे हिन्दू धर्म के महान योद्धाओं को अपेक्षित धर्माधारित ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित होने हेतु आवश्यक शारीरिक, मानसिक, बौदि्धक एवं आध्याति्मक सामथ्र्य हिन्दूनिष्ठों को मिले। - स्त्रोत: सनातन समिति


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Sunday, March 12, 2023

सृष्टि का निर्माण हुआ था वही दिन आने वाला है, वही नूतन वर्ष है, सभी तैयारी शुरू करें

12  March 2023

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🚩सृष्टि का जिस दिन निर्माण हुआ वह दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा था इसलिए भारतीय नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही माना जाता है और इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है। इस साल 22 मार्च 2023 से नूतनवर्ष प्रारंभ होगा।


🚩चैत्र नूतन वर्ष का प्रारम्भ आनंद-उल्लासमय हो इस हेतु प्रकृति माता भी सुंदर भूमिका बना देती है । चैत्र ही एक ऐसा महीना है, जिसमें वृक्ष तथा लताएँ पल्लवित व पुष्पित होती हैं।


🚩अंग्रेजी नूतन वर्ष में शराब-कबाब, व्यसन, दुराचार करते हैं लेकिन भारतीय नूतन वर्ष संयम, हर्षोल्लास से मनाया जाता है । जिससे देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य, शांति से जन-समाज का जीवन मंगलमय हो जाता है ।



🚩इस साल 23 मार्च को नूतन वर्ष मनाना है, भारतीय संस्कृति की दिव्यता को घर-घर पहुँचाना है ।


🚩हम भारतीय नूतन वर्ष व्यक्तिगतरूप और सामूहिक रूप से भी मना सकते हैं ।


🚩कैसे मनाये ?


🚩1 – भारतीय नूतनवर्ष के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें । संभव हो तो चर्मरोगों से बचने के लिए तिल का तेल लगाकर स्नान करें ।


🚩2 – नववर्षारंभ पर पुरुष धोती-कुर्ता / पजामा, तथा स्त्रियां नौ गज/छह गज की साडी पहनें ।


🚩3 – मस्तक पर तिलक करके भारतीय नववर्ष का स्वागत करें।


🚩4 – सूर्योदय के समय भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य देकर भारतीय नववर्ष का स्वागत करें ।


🚩5 – सुबह सूर्योदय के समय शंखध्वनि करके भारतीय नववर्ष का स्वागत करें ।


🚩6 – हिन्दू नववर्षारंभ दिन की शुभकामनाएं हस्तांदोलन (हैंडशेक) कर नहीं, नमस्कार कर स्वभाषा में दें ।


🚩7 –  भारतीय_नूतनवर्ष के प्रथम दिन ऋतु संबंधित रोगों से बचने के लिए नीम, कालीमिर्च, मिश्री या नमक से युक्त चटनी बनाकर खुद खाये और दूसरों को खिलायें ।


🚩8 – मठ-मंदिरों, आश्रमों आदि धार्मिक स्थलों पर, घर, गाँव, स्कूल, कॉलेज, सोसायटी, अपने दुकान, कार्यालयों तथा शहर के मुख्य प्रवेश द्वारों पर भगवा ध्वजा फहराकर भारतीय नववर्ष का स्वागत करें  और बंदनवार या तोरण (अशोक, आम, पीपल, नीम आदि का) बाँध के भारतीय नववर्ष का स्वागत करें । हमारे ऋषि-मुनियों का कहना है कि बंदनवार के नीचे से जो व्यक्ति गुजरता है उसकी  ऋतु-परिवर्तन से होनेवाले संबंधित रोगों से रक्षा होती है ।  पहले राजा लोग अपनी प्रजाओं के साथ सामूहिक रूप से गुजरते थे ।


🚩9 – भारतीय नूतन वर्ष के दिन सामूहिक भजन-संकीर्तन व प्रभातफेरी का आयोजन करें ।


🚩10 – भारतीय संस्कृति तथा गुरु-ज्ञान से, महापुरुषों के ज्ञान से सभी का जीवन उन्नत हो ।’ – इस प्रकार एक-दूसरे को बधाई संदेश देकर नववर्ष का स्वागत करें । एस.एम.एस. भी भेजें ।


🚩11 – अपनी गरिमामयी संस्कृति की रक्षा हेतु अपने मित्रों-संबंधियों को इस पावन अवसर की स्मृति दिलाने के लिए आप बधाई-पत्र भेज सकते हैं । दूरभाष करते समय उपरोक्त सत्संकल्प दोहरायें ।


🚩12 – ई-मेल, ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्सअप, इंस्टाग्राम आदि सोशल मीडिया के माध्यम से भी बधाई देकर लोगों को प्रोत्साहित करें ।


🚩13 – नूतन वर्ष से जुड़े ऐतिहासिक प्रसंगों की झाकियाँ, फ्लैक्स भी लगाकर प्रचार कर सकते हैं ।


🚩14  – सभी तरह के राजनितिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक संगठनों से संपर्क करके सामूहिक रुप से सभा आदि के द्वारा भी नववर्ष का स्वागत कर सकते हैं ।


🚩15 – नववर्ष संबंधित पेम्पलेट बाँटकर, न्यूज पेपरों में डालकर भी समाज तक संदेश पहुँचा सकते हैं ।


🚩सभी भारतवासियों को प्रार्थना हैं कि रैली के द्वारा कलेक्टर, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति को भी भारतीय नववर्ष को सरकार के द्वारा सामूहिक रूप में मनाने हेतु ज्ञापन दें और व्यक्तिगत रूप में भी पत्र लिखें ।


🚩सैकड़ों वर्षों के विदेशी आक्रमणों के बावजूद अपनी सनातन संस्कृति आज भी विश्व के लिए आदर्श बनी है । परंतु पश्चिमी कल्चर के प्रभाव से भारतीय पर्वों का विकृतिकरण होते देखा जा रहा है । भारतीय संस्कृति की रक्षा एवं संवर्धन के लिए भारतीय पर्वो को बड़ी विशालता से जरूर मनाए ।


🚩समस्त भारतवासियों को आने वाले नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।



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मंत्री प्रताप बोले : 1 लाख से ज्यादा मामले लव जिहाद के रोक लगानी चाहिए, अब नहीं होने देंगे श्रद्धा जैसी कोई हत्या....

11  March 2023

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🚩हिन्दू समाज के साथ 1200 वर्षों से मजहब के नाम पर अत्याचार होता आया है। सबसे खेदजनक बात यह है कि कोई इस अत्याचार के बारे में हिन्दुओं को बताये तो हिन्दू खुद ही उसे गंभीरता से नहीं लेते क्यूंकि उन्हें सेकुलरिज्म के नशे में रहने की आदत पड़ गई है। रही सही कसर हमारे पाठ्यक्रम ने पूरी कर दी जिसमें अकबर महान, टीपू सुल्तान देशभक्त आदि पढ़ा-पढ़ा कर इस्लामिक शासकों के अत्याचारों को छुपा दिया गया। अब भी कुछ बचा था तो संविधान में ऐसी धारा डाल दी गई जिसके अनुसार सार्वजनिक मंच अथवा मीडिया में इस्लामिक अत्याचारों पर विचार करना धार्मिक भावनाओं को भड़काने जैसा करार दिया गया। इस सुनियोजित षड़यंत्र का परिणाम यह हुआ कि हिन्दू समाज अपना सत्य इतिहास ही भूल गया और लव जिहाद जैसे में फसकर अपना जीवन बर्बाद कर लेते है।




🚩महाराष्ट्र में 100000 से ज्यादा लव जिहाद के मामला


🚩महाराष्ट्र के महिला एवं बाल विकास मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा (Mangal Prabhat Lodha) ने लव जिहाद (Love Jihad) पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने बुधवार (8 मार्च 2023) को विधानसभा में दावे के साथ कहा कि महाराष्ट्र में लव जिहाद के 1 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। श्रद्धा वॉकर हत्या जैसे मामले को रोकने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। प्रभात लोढ़ा ने अपने ट्विटर हैंडल पर भी इसका वीडियो साझा किया है।


🚩महिला एवं बाल विकास मंत्री ने अपनी बात को जारी रखते हुए आगे कहा, “हम महिलाओं के उत्थान की बात तो करते हैं। पर जब इसमें लव जिहाद का विषय आ जाता है। महिलाओं पर होने वाले क्रूर अत्याचार की बात आती है, राज्य की नाराज जनता हो जाती है। इसके खिलाफ महाराष्ट्र के कई जिलों में 50-50 हजार की भीड़ में मोर्चे निकल रहे हैं। क्या ये मोर्चे अपने आप निकल रहे हैं? लोगों के अंदर काफी गुस्सा है।”


🚩मंत्री ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में लव जिहाद के 1 लाख से ज्यादा मामले सामने आए, उससे समाज कहीं न कहीं व्यथित है। राज्य में किसी और श्रद्धा की हत्या ना हो इसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। और इसीलिए इंटर फेथ मैरिज कमिटी बनाई है। हर उस बच्ची का जिसका शादी के बाद अपने घर से संपर्क टूट चुका है, उनको सुरक्षा प्रदान करना सरकार और महिला विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी है ।


🚩दरसअल, महाराष्ट्र विधानसभा में इस समय बजट सत्र चल रहा है, जो 26 मार्च तक चलेगा। इस बजट में महिलाओं के हितों को ध्यान में रखा गया है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर सदन में महिला नीति पर भी बहस शुरू की गई। इसके जवाब में लोढ़ा ने कहा कि राज्य सरकार महिलाओं के कल्याण, सुरक्षा और सशक्तीकरण के संबंध में विधायकों की ओर से दिए गए सभी सुझावों पर गौर करेगी।


🚩बता दें कि पिछले साल दिसंबर में महाराष्ट्र सरकार ने घोषणा की थी कि अंतर-जातीय और अंतर-धार्मिक विवाहों के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है। राज्य महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 13 दिसंबर 2022 को जारी एक सरकारी प्रस्ताव (जीआर) में कहा गया है, “अंतर-जाति/अंतर-धार्मिक विवाह-परिवार समन्वय समिति (राज्य स्तर) मुख्य रूप से विवाहों की संख्या पर डेटा सारणीबद्ध करेगी। इसके अलावा किसी अन्य धर्म या जाति के व्यक्ति से शादी के बाद अपने परिवार से अलग हो गई महिलाओं के मुद्दों पर ध्यान दिया जाए।” जनवरी तक, राज्य सरकार की इंटरफेथ मैरिज फैमिली कोऑर्डिनेशन कमेटी को इंटरफेथ मैरिज के 152 मामलों की जानकारी मिली। कमेटी के सदस्यों के जरिए 152 मामले प्रकाश में आए हैं।


🚩श्रद्धा वॉकर हत्याकांड:गौरतलब है कि आफताब अमीन पूनावाला ने 18 मई 2022 को अपनी लिव-इन-पार्टनर श्रद्धा वॉकर की हत्या कर दी थी। इसके बाद उसने शव के 35 टुकड़े कर दिल्ली के महरौली व अलग-अलग इलाकों में फेंक दिए थे। श्रद्धा की हत्या के बाद किसी को उस पर शक न हो इसलिए वह लगातार ऑफिस जाता रहा। यही नहीं, हत्या के बाद श्रद्धा के परिवार वालों और फ्रेंड्स की नजरों में श्रद्धा को जिंदा दिखाने के लिए आफताब उसके इंस्टाग्राम अकाउंट को यूज करता रहा। यहाँ तक कि उसने उसके इंस्टाग्राम से कुछ पोस्ट्स भी किए थे। मामले का खुलासा नवंबर में हुआ था। 12 नवम्बर, 2022 को श्रद्धा की हत्या के आरोप में पुलिस ने आफताब को गिरफ्तार किया था।


🚩दरअसल मुस्लिम शासकों में हिंदुओं की लड़कियों को उठाने, उन्हें अपनी हवस का शिकार बनाने, अपने हरम में भरने की होड़ थी। उनके इस व्यसन के चलते हिन्दू प्रजा सदा आशंकित और भयभीत रहती थी। ध्यान दीजिये- किस प्रकार हिन्दू समाज ने अपना देश, धन, सम्पति आदि सब त्याग कर दर-दर की ठोकरें खाना स्वीकार किया मगर अपने धर्म से कोई समझौता नहीं किया। अगर ऐसी शिक्षा, ऐसे त्याग और ऐसे


प्रेरणादायक इतिहास को हिन्दू समाज आज अपनी लड़कियों को दूध में घुटी के रूप में दे तो कोई हिन्दू लड़की कभी लव जिहाद का शिकार न बने।



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Friday, March 10, 2023

अचानक इतने सारे लोग घर वापसी क्यों कर रहे हैं ?

10 March 2023

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🚩भारत में वर्तमान में प्रत्येक राज्य में बड़े पैमाने पर ईसाई धर्मप्रचारक मौजूद है जो मूलत: ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में सक्रिय हैं। अरुणालच प्रदेश में वर्ष 1971 में ईसाई समुदाय की संख्या 1 प्रतिशत थी जो वर्ष 2011 में बढ़कर 30 प्रतिशत हो गई है। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि भारतीय राज्यों में ईसाई प्रचारक किस तरह से सक्रिय हैं। इसी तरह नगालैंड में ईसाई जनसंख्‍या 93 प्रतिशत, मिजोरम में 90 प्रतिशत, मणिपुर में 41 प्रतिशत और मेघालय में 70 प्रतिशत हो गई है। चंगाई सभा और धन के बल पर भारत में ईसाई धर्म तेजी से फैल रहा है।



🚩वर्ष 2011 में भारत की कुल आबादी 121.09 करोड़ है। जारी जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक देश में ईसाइयों की आबादी 2.78 करोड़ है। जो देश की कुल आबादी का 2.3% है। ईसाइयों की जनसंख्या वृद्धि दर 15.5% रही, जबकि सिखों की 8.4%, बौद्धों की 6.1% और जैनियों की 5.4% है। ध्यान दीजिये ईसाईयों की वृद्धि दर का कारण केवल ईसाई समाज में बच्चे अधिक पैदा होना नहीं हैं। अपितु हिन्दुओं का ईसाई मत को स्वीकार करना भी हैं।


🚩गुजरात के गाँव में 20 ईसाई परिवारों की घर वापसी



🚩अग्निवीर की गुजरात टीम ने वलसाड जिले के धरमपुर तालुका के नड़गधरी गाँव में दिनाँक 25-26 फरवरी 2023 को सामूहिक विवाह का आयोजन किया। इस दौरान 61 जनजातीय जोड़े मंडप में बैठे और पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर परिणय सूत्र में बँधे। इस दौरान 20 क्रिश्चियन परिवारों ने सनातन धर्म में घरवापसी भी की।


🚩असम में 142 लोगों ने घर वापसी कर ली। इन सभी ने ईसाइयत छोड़ सनातन धर्म को अपनाया है।


🚩मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, घर-वापसी का यह कार्यक्रम सोमवार (27 फरवरी, 2023) को मोरीगाँव जिले के जागीरोड़ के तिवासोंग गाँव में हुआ। यहाँ सनातन धर्म संस्कृति के अनुसार यज्ञ तथा अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के बाद सभी लोगों ने हिंदू धर्म अपना लिया।


🚩इस घर-वापसी को लेकर गोबा देवराजा राज परिषद के महासचिव जुरसिंह बोरदलोई का कहना है कि इस घर-वापसी कार्यक्रम में जनजाति समुदाय के 142 लोगों ने अपनी इच्छा से घर वापसी की है। स्थानीय तिवा जनजाति के लोगों ने प्रलोभन व अन्य कारणों के चलते ईसाई मजहब अपना लिया था। लेकिन। अब इन लोगों ने गोबा देवराजा राज परिषद संस्था से संपर्क किया था। इसके बाद यह कार्यक्रम आयोजित कर घरवापसी कराई गई।


🚩बोरदलोई ने यह भी कहा कि घर-वापसी करने वाले इन सभी लोगों ने हमेशा हिंदू धर्म में आस्था और विश्वास रखने का वचन दिया है। घर-वापसी करने वाले तिवा जनजाति के ये लोग जन्म से हिंदू थे। लेकिन इनके दादा-दादी ने गरीबी तथा शिक्षा की कमी के चलते भ्रमित होकर ईसाई बन गए थे। बोरदलोई ने यह भी कहा है कि वह और उनका संगठन घरवापसी करने वाले सभी लोगों का हरसंभव सहयोग करेंगे।



🚩छत्तीसगढ़ में 250 लोगों ने की घर वापसी


🚩कई हिन्दुओं को अपने मूल धर्म में ला चुके ‘अखिल भारतीय घर वापसी’ प्रमुख प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने एक बार फिर से धर्मांतरित हुए 250 लोगों की घर वापसी करवाई है। ईसाई बन चुके ये सभी लोग 36 अलग-अलग परिवारों से थे। मंगलवार (21 फरवरी, 2023) को आयोजित घर वापसी का यह कार्यक्रम बुढ़ीमाई धाम, चिकनीपाली के इमलीपारा (बागबहार, जशपुर) छत्तीसगढ़ में हुआ। इस अवसर पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ का भी आयोजन किया गया।


🚩जानकारी के मुताबिक, प्रबल प्रताप ने घर वापसी करने वाले सभी लोगों के पैरों को गंगाजल से धुला। इस अवसर पर मौजूद धर्म जागरण समन्वय विभाग एवं आर्य समाज से जुड़े लोग भी मौजूद थे। बाद में वैदिक मंत्रो के साथ हुए हवन में घर वापसी करने वाले सभी सदस्यों ने हिस्सा लिया। बाद में सभी ने एक स्वर में हिन्दू देवी देवताओं में आस्था जताते हुए भविष्य में हिन्दू धर्म में ही रहने का संकल्प लिया।


🚩इस अवसर पर बोलते हुए प्रबल प्रताप ने धर्मांतरण की साजिश को राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए खतरा बताया। उन्होंने कहा कि मिशनरी हमारी सनातन संस्कृति को खत्म करना चाह रहे हैं।


🚩गौरतलब है कि प्रबल प्रताप जूदेव इस से पहले भी घर वापसी के कई कार्यक्रम आयोजित करवा चुके हैं। इसी साल जनवरी 2023 में जूदेव ने छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दौरान करीब 1100 ईसाई बने हिन्दुओं की समूहिक घर वापसी करवाई थी। अक्टूबर 2022 में प्रबल प्रताप जूदेव की मौजूदगी में उड़ीसा सुंदरगढ़ जिले में ईसाई बने 173 परिवारों के लगभग 500 लोगों ने हिन्दू धर्म में घर वापसी की थी। प्रबल प्रताप जूदेव ने मार्च 2022 में छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में एक अन्य घर वापसी का कार्यक्रम करवाया था। तब उन्होंने ईसाई बने 1250 लोगों की घर वापसी करवाई थी।

🚩इतने लोग घर वापसी कर रहे है इससे साफ होता है की अन्य मजहब में जो नही है वो केवल सनातन धर्म मिलता है इसलिए भ्रमित हो गए थे वे लोग फिर से घर वापसी कर रहे हैं।


🚩गांधी जी ने क्रिश्चियन मिशन पुस्तक में कहा है कि “भारत में ईसाईयत अराष्ट्रीयता एवं यूरोपीयकरण का पर्याय बन चुकी है।”(क्रिश्चियम मिशन्स, देयर प्लेस इंडिया, नवजीवन, पृष्ठ-32)। उन्होंने यह भी कहा कि ईसाई पादरी अभी जिस तरह से काम कर रहे हैं उस तरह से तो उनके लिए स्वतंत्र भारत में कोई भी स्थान नहीं होगा। वे तो अपना भी नुकसान कर रहे हैं। वे जिनके बीच काम करते हैं उन्हें हानि पहुंचाते हैं और जिनके बीच काम नहीं करते उन्हें भी हानि पहुंचाते हैं। सारे देश को वे नुकसान पहुंचाते हैं। गाधीजी धर्मांतरण (कनवर्जन) को मानवता के लिए भयंकर विष मानते थे। गांधी जी ने बार -बार कहा कि धर्मांतरण महापाप है और यह बंद होना चाहिए।”


🚩उन्होंने कहा कि “मिशनरियों द्वारा बांटा जा रहा पैसा तो धन पिशाच का फैलाव है।“ उन्होंने कहा कि “ आप साफ साफ सुन लें मेरा यह निश्चित मत है, जो कि अनुभवों पर आधारित हैं, कि आध्यात्मिक विषयों पर धन का तनिक भी महत्व नहीं है। अतः आध्य़ात्मिक चेतना के प्रचार के नाम पर आप पैसे बांटना और सुविधाएं बांटना बंद करें।”



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Thursday, March 9, 2023

हाईकोर्ट : गाय बेहद पवित्र, गौहत्या करने वाले नरक में सड़ते हैं, गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए....

9 March 2023

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🚩उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Allahabad High Court) ने शुक्रवार (3 मार्च 2023) को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि देश में गोहत्या रोकने (Ban on Cow Slaughter) के लिए केंद्र सरकार को प्रभावी कदम उठाना चाहिए। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने गाय को संरक्षित राष्ट्रीय पशु घोषित करने की जरूरत बताई।



🚩इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति शमीम अहमद की एकल पीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि गाय की महिमा वैदिक काल से चली आ रही है। इसके साथ ही न्यायमूर्ति शमीम ने बाराबंकी के देवा थाना क्षेत्र के मोहम्मद अब्दुल खलीक की याचिका खारिज कर दी। खलीक को पुलिस ने गोवंश के मांस के साथ गिरफ्तार किया था और उसके खिलाफ यूपी गोवध निवारण कानून के तहत आरोप था।


🚩कोर्ट ने कहा, “आशा है कि केंद्र सरकार देश में गोहत्या रोकने के लिए उचित निर्णय लेगी और इसे संरक्षित राष्ट्रीय जीव घोषित करेगी।” कोर्ट ने आगे कहा, “गाय को हिंदू धर्म में सभी जानवरों में सबसे पवित्र माना गया है। इसे कामधेनु या दिव्य गाय और सभी इच्छाओं की पूर्ति करने वाली के रूप में जाना जाता है।”


🚩इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाय को भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा बताते हुए कहा, “हम एक धर्मनिरपेक्ष देश में रह रहे हैं और सभी धर्मों के लिए सम्मान होना चाहिए। हिंदू धर्म का यह मत है कि गाय दैवीय और प्राकृतिक भलाई की प्रतिनिधि है। इसलिए इसकी रक्षा और पूजा की जानी चाहिए।”

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🚩पुराणों और महाभारत आदि ग्रंथों का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा, “पुराण कहते हैं कि गायों के दान/उपहार से अधिक धार्मिक और कुछ भी नहीं है। भगवान राम के विवाह में भी गायों को उपहार के रूप में दिया गया था। महाभारत में भीष्म पितामह का मानना है कि गाय जीवन भर मानव को दूध प्रदान करके एक सरोगेट माँ के रूप में कार्य करती है। इसलिए वह वास्तव में दुनिया की माँ है।”


🚩गाय के महत्व को बताते हुए हाईकोर्ट ने आगे कहा, “किंवदंतियों में यह भी कहा गया है कि ब्रह्मा ने एक ही समय में पुजारियों और गायों को जीवन दिया, ताकि पुजारी धार्मिक ग्रंथों का पाठ कर सकें और गाय अनुष्ठानों के लिए प्रसाद के रूप में घी दे सकें।” कोर्ट ने कहा कि गाय के चारों पैरों को चार वेद कहा गया है।


🚩कोर्ट ने आगे कहा, “जो कोई भी गायों को मारता है या दूसरों को मारने की अनुमति देता है, माना जाता है कि उसे तब तक नरक में सड़ता रहेगा जब तक कि उसके शरीर पर बाल हैं। इसी तरह बैल को भगवान शिव के वाहन के रूप में दर्शाया गया है। यह नर मवेशियों के सम्मान का प्रतीक है।”


🚩हाईकोर्ट ने कहा कि गाय को अन्य देवताओं के साथ भी जोड़ा गया है, विशेष रूप से भगवान शिव, भगवान इंद्र, भगवान कृष्ण और देवी (कई के मातृ गुणों के कारण) के साथ। कोर्ट ने कहा कि हिंदू धर्म में गाय को सबसे पवित्र जानवर माना गया है। कोर्ट ने कहा कि गोवंश का वैदिक काल से लेकर मनुस्मृति, महाभारत, रामायण में वर्णित धार्मिक महत्व के साथ ही व्यापक अर्थिक महत्व भी है। गाय से मिलने वाले पदार्थों से पंचगव्य तक बनता है।


🚩इसके पहले सितंबर 2021 में भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाय को संरक्षित राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव दिया था। उस वक्त विश्व हिंदू परिषद ने स्वागत किया था। वीएचपी (VHP) के अंतराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा था कि गाय सदियों से गाय इस देश की प्राणवायु की तरह रही है। इसलिए केंद्र और राज्य सरकारों को न्यायाधीश के सुझाव का पालन करते हुए गोहत्या पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा देना चाहिए।


🚩विश्व के लिए वरदानरूप : गोपालन


🚩देशी गाय का दूध, दही, घी, गोबर व गोमूत्र सम्पूर्ण मानव-जाति के लिए वरदानरूप हैं । दूध स्मरणशक्तिवर्धक, स्फूर्तिवर्धक, विटामिन्स और रोगप्रतिकारक शक्ति से भरपूर है । घी ओज-तेज प्रदान करता है । इसी प्रकार गोमूत्र कफ व वायु के रोग, पेट व यकृत (लीवर) आदि के रोग, जोड़ों के दर्द, गठिया, चर्मरोग आदि सभी रोगों के लिए एक उत्तम औषधि है । गाय के गोबर में कृमिनाशक शक्ति है । जिस घर में गोबर का लेपन होता है वहाँ हानिकारक जीवाणु प्रवेश नहीं कर सकते । पंचामृत व पंचगव्य का प्रयोग करके असाध्य रोगों से बचा जा सकता है । ये हमारे पाप-ताप भी दूर करते हैं । गाय से बहुमूल्य गोरोचन की प्राप्ति होती है ।


🚩देशी गाय के दर्शन एवं स्पर्श से पवित्रता आती है, पापो का नाश होता है । गोधूलि (गाय की चरणरज) का तिलक करने से भाग्य की रेखाएँ बदल जाती हैं । ‘स्कंद पुराण’ में गौ-माता में सर्व तीर्थों और सभी देवताओं का निवास बताया गया है ।

Wednesday, March 8, 2023

किसके लिए विश्व महिला दिवस पर देशभर में रैलियां निकाली और ज्ञापन दिए ? जानिए.....

8 March 2023

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🚩अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर जगह-जगह पर महिलाओं के सम्मान में समारोह हो रहा था लेकिन महिलाओं के लिए विकास के कार्य करने वाली संस्था "महिला उत्थान मंडल" ने आज कुछ अलग ही अंदाज में महिला दिवस मनाया ।


🚩आज ट्वीटर, फेसबुक, वेबसाइट आदि पर देखा गया तो महिला उत्थान मंडल द्वारा देशभर में बापू आशारामजी की शीघ्र रिहाई की मांग करते हुए विभिन्न स्थानों पर रैलियां निकाली गई, धरने दिए गए तथा कलेक्टर को राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के नाम से ज्ञापन दिए गए ।



🚩महिला मंडल के सदस्यों ने बातचीत के दौरान बताया कि निर्भया कांड के बाद नारियों की सुरक्षा हेतु बलात्कार-निरोधक नये कानून बनाये गये । परंतु दहेज विरोधी कानून की तरह इनका भी भयंकर दुरुपयोग हो रहा है ।


🚩जैसे दहेज विरोधी अधिनियम में संशोधन किया गया ऐसे ही POCSO कानून में भी संशोधन की सख्त आवश्यकता है।


🚩कलेक्टर को ज्ञापन देते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दू संत आशारामजी बापू सदा हर वर्ग, हर प्राणी को ईश्वरीय सुख-शांति, आत्मिक निर्विकारी आनंद पहुँचाने का अथक प्रयास करते रहे हैं । समाज, संस्कृति और विश्वसेवा के दैवीकार्य में बापू आशारामजी का योगदान अद्वितीय रहा है ।


🚩बापू आसारामजी के ओजस्वी जीवन एवं उपदेशों से असंख्य लोगों ने व्यसन, मांस आदि बड़ी सहजता से छोड़कर संयम-सदाचार का रास्ता अपनाया है ।


🚩87 वर्षीय वयोवृद्ध संत, जिनको करोड़ों लोगों के जीवन में संयम-सदाचार लाने व उन्हें सत्मार्ग के रास्ते चलाने तथा करोड़ों दुःखियों के चेहरों पर मुस्कान लाने का श्रेय जाता है, उनको सह-सम्मान रिहा किया जाना चाहिये ।


🚩सम्पादक, राजनेता, फिल्म स्टार, आतंकवादी आदि को भी न्यायालय द्वारा जमानत मिल जाती है लेकिन संत आशारामजी बापू को न आजतक एक दिन की भी पैरोल दी गई न जमानत जबकि उनके जोधपुर केस में आये फैसले में साफ लिखा है कि बापू के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य ( Direct Evidence) नहीं है और POCSO कानून के अंतर्गत चल रहे इस केस में लड़की के उम्र संबंधी अलग-अलग सरकारी दस्तावेजों में भी विवधता पाई गई है।


🚩एक आतंकवादी के साथ भी उदारता का व्यवहार करने वाला हमारा कानून सिर्फ आरोप के आधार पर एक सच्चे संत को कबतक जेल में रखेगा ??


🚩मार्च 8 को महिला दिवस पर महिला उत्थान मंडल की करोडों महिलाओं न्यायालय एवं सरकार से निवेदन करती है कि विश्व में भारतीय संस्कृति की ध्वजा फहरानेवाले, आध्यात्मिक क्रांति के प्रणेता, संयममूर्ति संत आसारामजी बापू की समाज को अत्यंत आवश्यकता है । उनको जल्द रिहा किया जाए ।


🚩मंडल ने आगे बताया कि आज भी देश की असंख्य महिलाएँ उनकी निर्दोषता के समर्थन में सड़कों पर आकर उनकी रिहाई की माँग कर रही हैं तो आपको इस बात पर अवश्य विचार करना चाहिए कि आरोप लगानेवाली दो महिलाएँ सच्ची हैं या हम करोड़ों महिलाओं का अनेक वर्षों का अनुभव सच्चा है ।


🚩उन्होंने आगे कहा कि हिन्दू संत आसाराम बापू केस में आज तक न कोई ठोस सबूत मिला है और न ही कोई मेडिकल आधार है...!! बल्कि उन्हें षड़यंत्र करके फंसाने के सैकड़ों प्रमाण सामने आये हैं ।


🚩आरोप लगानेवाली लड़की की मेडिकल जाँच करनेवाली डॉ. शैलजा वर्मा ने अपने बयान में स्पष्ट रूप से कहा कि “लड़की के शरीर पर जरा सा भी खरोंच का निशान नहीं था और न ही प्रतिरोध के कोई निशान थे ।”


🚩प्रसिद्ध न्यायविद् डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने केस अध्ययन कर बताया कि ‘‘लड़की के फोन रिकॉर्ड्स से पता लगा कि जिस समय पर वह कहती है कि वह कुटिया में थी, उस समय वह वहाँ थी ही नहीं और बापू आसारामजी भी उस समय अपनी कुटिया में न होकर अपने भक्तों के बीच सत्संग कर रहे थे।


🚩‘अखिल भारतीय नारी रक्षा मंच’ की अध्यक्षा श्रीमती रुपाली दुबे ने कहा : ‘‘ हिन्दू संत आसाराम बापू से लाभान्वित हुए लोगों में महिलाओं की संख्या भी करोड़ों में है लेकिन विडम्बना है कि जिन बापू आसारामजी ने नारी सशक्तिकरण एवं महिला जागृति के लिए महिला उत्थान मंडलों की स्थापना की, गर्भपात रोको अभियान चलवाया, नारियों के शोषण के खिलाफ हमेशा आवाज उठायी, उन्हीं साजिशकर्ताओं का मोहरा बनी एक-दो महिलाओं के झूठे आरोपों के आधार पर सालों से एक निर्दोष संत को जेल में रखा गया है ।


🚩हिन्दू संत आसारामजी बापू पर लगे आरोपों में से एक भी आरोप सिद्ध नहीं हुआ और न ही किसी जाँच में ऐसा कुछ सामने आया कि जिसके आधार पर 87 वर्ष की उम्र में ‘ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया’ की भयंकर बीमारी होने के बावजूद उनको जेल में रखा जाये। पिछले दस वर्षों से उन्हें जमानत और पैरोल ना देना उनके संवैधानिक मौलिक अधिकारों का हनन है, जोकि बड़ा अपवाद और आपत्तिकारक है ।

🚩गौरतलब है कि जब से हिन्दू संत आसाराम बापू जेल में गए हैं तबसे उनके करोड़ों भक्त समय-समय पर न्यायालय और सरकार से उनकी रिहाई की माँग कर रहे हैं । कभी POCSO  कानून के विरुद्ध रैली निकाल कर तो कभी सोशल मीडिया का सहारा लेकर ट्विटर पर ट्रेंड चलाकर।


🚩अब देखना ये है कि एक लड़की के कहने पर विश्वविख्यात् हिन्दू संत आसारामजी बापू को जेल में रखने वाली सरकार इन लाखों लड़कियों की गुहार कब सुनेगी ?


🚩जिनकी सिर्फ एक ही मांग है कि.. ‘निर्दोष हिन्दू संत आसारामजी बापू की शीघ्र रिहाई हो सह-सम्मान।'

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Tuesday, March 7, 2023

सावधान !! हिन्दू त्यौहारों के खिलाफ हो रहा है षडयंत्र ||

7 March 2023

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🚩होली अर्थात आपसी झगड़ा भूलकर रंग-गुलाल का त्योहार मानना। हिन्दू त्योहार। अब चूँकि त्योहार हिन्दुओं का है, इसीलिए इस पर हंगामा मचाया जाना और इसके प्रति घृणा फैलाई जानी तो स्वाभाविक है। ऐसा करने वाले वामपंथी होते हैं, जिनका साथ कट्टर इस्लामी लोग बखूबी देते हैं। हिन्दू त्योहारों के खिलाफ प्रोपेगंडा में मीडिया, बुद्धिजीवी और सेलेब्रिटीज का एक पूरा का पूरा गठबंधन शामिल रहता है। होली को लेकर भी समय-समय पर ज्ञान दिए जाते रहे हैं।



🚩ये कोई नई बात भी नहीं है। होली को लेकर पहले भी ज्ञान दिया जाता रहा है। जैसे, होली आते ही सब ‘वॉटर एक्टिविस्ट’ बन जाते हैं और पानी बचाने की बातें करने लगते हैं। ऐसे सेलेब्रिटी जो अपने घर में स्विमिंग पूल में नहा-नहा कर रोज हजारों लीटर पानी बर्बाद करते हैं, वो भी होली पर पानी बचाने का ज्ञान देते नजर आते हैं। कभी ‘सूखी होली’ खेलने को कहा जाता है तो कभी केवल फूलों का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।

🚩जब रंग ही गायब हो जाए तो होली कैसी? ‘दैनिक जागरण’ के एक विज्ञापन वायरल हो रहा है। ये स्पष्ट नहीं है कि ये विज्ञापन कब का है, लेकिन ये होलिका दहन को लेकर ही है। ‘दैनिक जागरण की पहल’ के नाम पर अख़बार ‘एक मोहल्ला, एक होलिका’ नाम से एक विज्ञापन लेकर आ गया। इसमें उसने लिखा, “इस बार होली पर प्रयास करें कि थोड़ी दूर पर अलग-अलग होलिका जलाने की जितना जगह हो सके, एक मोहल्ले में एक ही होलिका जलाएँ। इससे प्रदूषण घटेगा, अपमापन बढ़ेगा।” साथ ही कुछ ‘दिशानिर्देश’ भी दिए गए।

🚩ईद-क्रिसमस पर जम कर बधाइयाँ देने वाली मीडिया होली पर जम कर हिन्दुओं को नीचा दिखाती है। ‘दैनिक जागरण’ ने भी हिन्दुओं को ये सलाह दिया – यातायात बाधित न करें, इससे हमें और आपको ही परेशानी होगी, हाईटेंशन व अन्य तारों को बचाएँ, लकड़ी की जगह उपलों का प्रयोग करें, ताकि बचे रहें हमारे पेड़, ऐसा कोई सामान न जलाएँ जिससे पर्यावरण में प्रदूषण पैदा हो। क्या ईद-क्रिसमस पर ऐसे ज्ञान निकलते हैं?

🚩अब जरा सोचिए। क्या ईद पर मीडिया लोगों को ये सलाह देती है कि एक मोहल्ले में एक ही बकरा काटें, क्योंकि जीव-जंतुओं की हत्या करना ठीक नहीं है? क्या ऐसे सलाह दिए जाते हैं कि जानवरों के खून को सड़क पर न बहाया जाए और बचे हुए मांस के टुकड़ों को सड़क पर न फेंका जाए? इससे तो बीमारी पैदा ही होती ही है। इस्लामी मुल्कों में सड़क पर खून की नदियाँ बहती दिखती हैं। ऐसे ही, ईद पर कभी ये ज्ञान नहीं दिया जाता कि सड़क जाम कर के नमाज न पढ़ें, इससे तो सचमुच यातायात बाधित होता है।


🚩इसी तरह क्रिसमस और ईसाई नववर्ष के मौके पर कभी ये ज्ञान नहीं दिया जाता कि पटाखे न जलाएँ। दीवाली खत्म होते ही इस तरह का ज्ञान देने की तारीख़ एक्सपायर हो जाती है। क्रिसमस पर कभी आर्टिफिसियल पेड़ों को घर पर न लाने की सलाह नहीं दी जाती। कभी ये नहीं कहा जाता कि पार्टियों में पानी और भोजन बर्बाद न करें। उलटा और खुल कर जश्न मनाने की सलाह दी जाती है, क्योंकि सारे पर्यावरण का ठेका हिन्दुओं ने ही ले रखा है जो प्रकृति की पूजा करते हैं।

https://twitter.com/JitendraStv/status/1632092076476334080?t=QI5XbwN3PVjXjTxID7G8gA&s=19


🚩क्या हम ‘दैनिक जागरण’ से ये पूछ सकते हैं कि अख़बारों के लिए कागज कैसे बनता है? इसके लिए पेड़ काटे जाते हैं या नहीं? क्या ‘दैनिक जागरण’ लोगों को ये सलाह देते हुए खबर प्रकाशित करेगा कि आप अखबर न खरीदें, क्योंकि इसके लिए जो कागज आता है वो पेड़ काट कर बनाया जाता है। लेकिन नहीं, जिन्हें ‘एक मोहल्ला, एक बकरा’ और ‘एक मोहल्ला, एक क्रिसमस ट्री’ लिखने की हिम्मत नहीं है, वो एक मोहल्ला, एक होलिका’ लिख रहे हैं।

🚩होलिका दहन एक ऐसा त्योहार है, जिसे भक्त प्रह्लाद के राक्षसों के अत्याचार के बावजूद ज़िंदा बच जाने की कहानी कहता है। अब देखिए, एक यूट्यूबर और कथित महिला एक्टिविस्ट ने तो होलिका दहन को ही महिला विरोधी त्योहार बताते हुए पूछ दिया कि एक सभ्य समाज में स्त्री को ज़िंदा जलाना कहाँ तक उचित है? ऐसी बातें वही करते हैं, जिन्हें न तो हमारे पर्व-त्योहारों के पीछे का कॉन्सेप्ट पता है और न इसका इतिहास और इसकी कथा।

🚩होलिका दहन के बारे में हिन्दुओं को पता है कि होलिका अपने मासूम भतीजे प्रह्लाद को ज़िंदा जलाने के लिए आग में बैठ गई थी, लेकिन वो जल गई और भक्त प्रह्लाद बच गए। अगर होलिका जलाना स्त्री-विरोधी है तो क्या हर साल रावण को दशहरा के मौके पर जलाए जाने को पुरुष विरोधी बता कर आंदोलन खड़ा कर दिया जाना चाहिए? स्त्रियों की जहाँ पूजा होती है, उस हिन्दू धर्म में इस तरह के पाश्चात्य वोक एक्टिविज्म की ज़रूरत ही नहीं है।

🚩होली रंगों का त्योहार है। रंग और पानी के बिना इसे हम क्यों मनाए? ऐसे ही, महाशिवरात्रि पर दूध बचाने का ज्ञान दिया जाता है। दीवाली पर कहा जाता है कि दीये मत जलाओ और पटाखे मत उड़ाओ। दुर्गा पूजा कर हिन्दुओं को ये कह कर नीचा दिखाया जाता है कि भारत में बलात्कार होते हैं। गणेश चतुर्थी के मौके पर प्रतिमा जल में न विसर्जित करने को कहा जाता है। अर्थात, जितने हिन्दू त्योहार उतने ही किस्म के नए-नए ज्ञान।

🚩त्योहार हमेशा से वैसे ही मनाए जाने चाहिए जैसा हमारे शास्त्रों पर वर्णित है और जैसे हमारे पूर्वज पूरे उत्साह के साथ मनाते रहे हैं। हिन्दू त्योहारों में न तो हिंसा के लिए कोई जगह है और न ही किसी और को नुकसान पहुँचाया जाता है। उत्सव के दौरान सब जश्न में डूबे रहते हैं, एक-दूसरे से मिलते हैं और ईश्वर की पूजा-अर्चना करते हैं। इसमें लिबरल गिरोह के ज्ञान के लिए कोई जगह नहीं है। ज्ञान की ज़रूरत जिन्हें है, उन्हें देने में इनकी हालत पस्त हो जाती है क्योंकि वो ‘सिर तन से जुदा’ कर देते हैं।

🚩इसीलिए, खूब अच्छे से होली मनाइए। रंग लगाइए एक-दूसरे को। पानी में रंग घोल कर एक-दूसरे पर उड़ेलिए। हाँ, बस हमें ऐसे रंगों का प्रयोग नहीं करना है जिससे हमारा नुकसान हो जाए। ब्रज में फूलों की होली खेलिए, काशी में चिताभस्म की होली खेलिए और मोहल्ले में अबीर-गुलाल सबका प्रयोग कर के होली खेलिए। पकवान खाइए, पूजा-पाठ कीजिए और ज्ञान देने वाले को दिखा-दिखा कर ये सब कीजिए। कोई ‘दैनिक जागरण’ या फिर कोई ‘निर्देश सिंह’ ये डिसाइड नहीं कर सकते कि हिन्दू अपने त्योहार कैसे मनाएँ।

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