Friday, May 19, 2023

सिनेमा, वेब सीरीज आदि में मनोरंजन द्वारा हिंदू धर्म पर किया जा रहा है कुठाराघात

19  May 2023

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🚩सनातनी चेतना को खंडित करने के षड्यंत्र के अंतर्गत घात लगाकर हिन्दू समाज पर प्रहार किया जा रहा है। सनातनी वंशजों के मन मस्तिष्क को प्रभावित किया जा रहा है। आधुनिक युग के विस्मयकारी मोहित करने वाले वस्त्र में छुपा कर सनातनी संस्कृति की चेतना में विषयुक्त सुई निरंतर चुभोई जा रही है। जिससे धीमा-धीमा विष सारी सनातनी चेतना को जड़वत कर दे एवं घाव कभी न भर सके। अंततः प्रहार का प्रतिकार करने की योग्यता ही समाप्त कर दी जाए।

 

🚩इस षड्यंत्र में प्रहार के भिन्न-भिन्न रूप हैं। सबसे प्रमुख मनोरंजन जगत का घात है। सिनेमा आधुनिक जगत का विलासितापूर्ण उपभोग का साधन है। यह हमारे नाट्य कला एवं मंचन विधा से पूर्णता भिन्न है। आधुनिक सिनेमा भारतीय नाट्य कला एवं मंचन विधा का विकल्प कदापि नहीं हो सकता, क्योकि भारतीय कला एवं मंचन विधा के उद्देश्य, गुणसूत्र, नियम, आचार विहार, सैद्धांतिक मूल्य सभी कुछ भिन्न हैं।

 

🚩सिनेमा प्रमुख रूप से चार प्रकार के उत्पादों से जनमानस के विचार को प्रभावित करता है। 1. चलचित्र 2. धारावाहिक 3. विज्ञापन 4. आभासी लोक के मकड़जाल से निकले: यूट्यूब, प्राइम चैनल्स, नेटफिल्क्स आदि। सिनेमा के इन सभी माध्यमों का अपना अपना बड़ा दर्शक वर्ग है। बारम्बार एक ही प्रकार के विचार का दृश्यांकन हमारे मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालते हैं। हमारी दैनिक दिनचर्या, अचार-विचार में वह विशेष विचार प्रतिबिम्बित होने लगता है।

 


🚩एक प्रचलित कहावत है कि सिनेमा समाज का आइना होता है। सामान्य समझ से कहे तो समाज में जो होता है सिनेमा वो ही दिखाता है। परन्तु इस कहावत का प्रभाव ठीक इसके उल्टा है। यहाँ हमे यह समझने की आवश्कयता है कि प्रतिबिम्ब आभासी होता है न की वास्तविक। यह कहावत कुशलता के साथ प्रचारित की गई, जिससे आप विरोधियों द्वारा दिए गए झूठे विचार को सच्चाई समझकर, उसे ही सत्य समझे। आभास एवं वास्तविकता के मध्य दूरी सुप्त दृष्टि से देखने पर अदृश्य लगती है, परन्तु जागृत दृष्टि से देखने पर दोनों का भेद स्पष्ट रूप से समझ आता है।

 

🚩सिनेमा एक माध्यम मात्र है उसे संचालित एवं प्रभावित करने वाली शक्तियों में हिन्दू विरोधी, देश विरोधी तत्व बैठे हैं। वे सिनेमा के दर्पण को झूठे प्रतिबिम्ब खड़े करने के लिए प्रयोग कर रहे हैं। उन्ही झूठे प्रतिबिम्बों को हम हमारे समाज का प्रतिबिम्ब बता रहे हैं। यह अत्यंत जटिल षड्यंत्र है, जो हिन्दू समाज के मूल्यों को नष्ट करने के लिए रचा जा रहा है।

 

🚩चलचित्र में कथा, नायक, नायिका एवं खलनायक मूल स्तंभ होते हैं। आप स्वयं निरीक्षण कीजिए सिनेमा के प्रारंभिक काल से वर्तमान समय तक आए परिवर्तन का, तब से अब तक आधुनिकता के आवरण में छुपा कर किस प्रकार सनातनी मूल्यों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया गया है।


🚩सिनेमा जगत में हिंदुओ को भ्र्ष्टाचार में लिप्त ओर विधर्मियों को सेवाभावी बताया है,विदेशियों की फंडिंग से भारत में हिन्दू विरोधी फिल्मों को बनाया जाता रहा है कभी PK,तो कभी काली तो कभी पठान जैसी हिन्दू धर्म विरोधी फिल्में बनाई जाती आ रही है,ऐसी फिल्मों को सनातनी हिंदुओ को पुरजोर विरोध करते रहना चाहिए।

 

🚩परिवर्तन प्रकृति का नियम है। लेकिन परिवर्तन के नाम पर अपनी मूल पहचान एवं मूल्यों से समझौता कैसे किया जा सकता है। मूल पहचान एवं सनातनी मूल्यों को उसके मूल स्वरुप में ही अगली पीढ़ी को सौंपना हमारा दायित्व है। लिहाजा, कुछ उदाहरणों से समझते हैं कि कैसे मनोरजंन के नाम पर हमारे मूल्यों को निशाना बनाया जा रहा है।

 

🚩धारावाहिक: ये जादू है जिन्न का

 

🚩दृश्यांकन: शर्मा जी के लड़के का मित्र बंटी नायिका को छेड़ता है। हिंसा करने के उद्देश्य से उस पर धावा करता है। उसका पीछा करता है। परन्तु नायक आकर उससे बचा लेता है।

 

🚩सवाल: जब पूरा धारावाहिक एक विशेष पंथ की पृष्ठभूमि (जो की हिन्दू नहीं है) पर आधारित है, जिसमें हिन्दू का दूर-दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं। उसमें ‘शर्मा जी का लड़का’ चरित्र क्यों लेना पड़ा, वह भी नकारात्मक भूमिका से बंधा हुआ।

 

🚩साजिश: ब्राह्मण जाति को नकारात्मक दिखाना, एक विशेष पंथ को सकारात्मक दिखाना।

 

🚩धारावाहिक: कहाँ तुम, कहाँ हम

 

🚩दृश्यांकन: एक पागल प्रेमी विवाहित नायिका को अपना बनाने के लिए षड्यंत्र करता है। उस पागल प्रेमी का नाम ‘महेश’ है। उसके कंठ में रुद्राक्ष एवं हाथ पर ॐ का गोदना है। नायिका का मैनेजर जिसका नाम ‘अखिल खान’ है, वह स्त्रियों के साथ सभ्य आचरण करता हुआ दिखाया जाता है। वह एक वाक्य बोलता है “क्या करे अब पंजाबी मॉम को मुस्लिम डैड से प्यार हो गया तो इसलिए ऐसा नाम “अखिल खान”। एक हिन्दू अविवाहित युवती, एक विवाहित युवक के साथ अनैतिक सम्बन्ध रखती है।


🚩सवाल: पागल प्रेमी का नाम हिन्दुओं के देव महादेव के नाम पर ही क्यों रखा गया? उसे हिन्दू चिह्नों से चित्रित क्यों किया गया? अंतरपंथीय विवाह के रूप में, पागल प्रेमी की साधारण कहानी में लव जिहाद को प्रचारित क्यों किया गया? जौहर एवं सतीत्व वाली पतिव्रता स्त्री शक्ति के राष्ट्र में, एक हिन्दू युवती को ही क्यों अनैतिक सम्बन्ध में दिखाया गया? अगर आप इतने ही पंथनिरपेक्ष हैं तो वह लड़की “ग़ैर” हिन्दू क्यों नहीं हो सकती, जबकि एक समुदाय में एक साथ 4-4 बीबी रखने का रिवाज है।

 

🚩साजिश: लव जिहाद को प्रसारित करना। महादेव के प्रति हिन्दू आस्था पर प्रहार करना। हिन्दू कन्याओं के सनातनी मूल्यों पर प्रहार करना।

 

🚩धारावाहिक: बेहद

 

🚩दृश्यांकन: एक बड़ा हिन्दू व्यवसायी जो माँ दुर्गा का भक्त है, कम से कम 4-5 लड़कियों का शारीरिक शोषण करता है। एक श्री कृष्ण की भक्त, हिन्दू व्यवसायी द्वारा शोषित हिन्दू नायिका प्रतिशोध लेने के लिए षड्यंत्र करती है। नायिका हर अपराध का षडयंत्र रचते समय, गीता के श्लोक बोल कर स्वयं को सही जताने की कोशिश करती है। श्री कृष्ण की शनि देव जैसी काली प्रतिमा का पूजन मोमबत्ती से करती है। उस बड़े हिन्दू व्यवसायी से प्रतिशोध लेने के लिए, नायिका उसी के बड़े बेटे के साथ षड्यंत्र के अंतर्गत विवाह करती है और सच्चे प्रेम को दर्शाती है। बाद में उस हिन्दू व्यवसायी और नायिका के दृश्य, बहु एवं ससुर की भॉंति तो सहज नहीं होते। नायिका अपने देवर को भी प्रेम पाश में बाँधती है, उसे आत्महत्या पर विवश करती है। हिन्दू व्यवसायी की पत्नी सब कुछ जानती है, लेकिन उसके लिए मात्र पैसा और रुतबा मायने रखता है। हिन्दू व्यवसायी का सबसे विश्वासपात्र एक “ग़ैर” हिन्दू नाम वाला “आमिर” है।

 

🚩सवाल: हलाला जैसे प्रथा की पृष्ठभूमि वाली कहानी को हिन्दू आवरण क्यों पहनाया गया? गैर हिन्दू नाम “आमिर” ही विश्वासपात्र क्यों लिया गया? सतीत्व वाली पतिव्रता स्त्री एवं यशोदा माँ जैसे स्त्री शक्ति के राष्ट्र में, एक हिन्दू माँ एवं स्त्री को क्यों इतना “रुतबा” प्रेमी दिखाया गया, जो अनैतिक सम्बन्ध भी स्वीकार कर लेती है? श्री कृष्णा का पूजन दीपक के स्थान पर मोमबत्ती से कब से होने लगा, ये तो ग़ैर हिन्दू, जो क्रॉस को मानते हैं उनकी रीति है। यौन शोषक माँ दुर्गा का भक्त क्यों?

 

🚩साजिश: हलाला प्रथा की स्वीकारोक्ति बढ़ाना, हिन्दू मूल्यों के प्रति झूठ प्रचारित करना। माँ दुर्गा, श्री कृष्णा के प्रति हिन्दू आस्था पर प्रहार करना। हिन्दू स्त्रियों के सनातनी मूल्यों पर प्रहार करना। “आमिर” के समुदाय को सकारात्मक दिखाना।

 

🚩धारावाहिक: गुड्डन तुमसे ना हो पायेगा

 

🚩दृश्यांकन: फिल्म का अधेड़ नायक 18 वर्ष की एक कन्या का पिता है, लेकिन एक 21 वर्ष की नायिका से विवाह करता है। एक और अधेड़ हिन्दू चरित्र कलवा और रुद्राक्ष माला हाथ में पहन मदिरा पान करता है। नायक की 18 वर्षीया बेटी अपने ही परिवार के विरोध षड्यंत्र करती है। पिता के अधेड़ मित्र पर रेप का आरोप लगाकर उससे विवाह रचाती है। घर पर पत्रकार बुला कर परिवार का तिरस्कार करती है।

 

🚩सवाल: अपवाद को छोड़े तो सामान्य परिस्थिति में इतनी आयु अंतर का विवाह हिन्दू धर्मानुसार कदापि नहीं है। एक “ग़ैर” हिन्दू समुदाय विशेष में 12-13 वर्ष की बच्ची के साथ निकाह का प्रचलन जरूर है। हिन्दू चिह्नों के साथ नकारात्मक किरदार क्यों, जबकि हिन्दू नायक कभी ऐसे चिह्नों के साथ नहीं दिखता।

 

🚩साजिश: हिन्दू समाज और मूल्यों पर प्रहार करना। अतार्किक अनुपयुक्त अस्वीकार्य आयुभेद के विवाह का हिन्दू समाज में प्रचार करना।

 

🚩धारावाहिक: पटियाला बेब्स

 

🚩दृश्यांकन: पंजाबी पृष्ठभूमि की कहानी है। एक स्त्री को उसका पति धोखा देता है। विदेश में दूसरा विवाह कर लेता है। सम्बन्ध विच्छेद होता है, वो फिर स्वाभिमान से खड़ी होती है। इसमें एक नइबी नामक “ग़ैर” हिन्दू पड़ोसी दादी का चरित्र है। वह स्वभाव से बहुत अच्छी है और हरसंभव सहायता करती है। जबकि अपनी हिंदू सास पुत्र मोह में साथ देने में विलंब करती है। मोहल्ले की अन्य हिन्दू स्त्रियॉं भी नायिका पर ताने मारती रहती हैं।

 

🚩सवाल: जब पंजाबी पृष्ठभूमि की कहानी है, तो उसमे नइबी नामक “ग़ैर” हिन्दू चरित्र क्यों गढ़ा गया?

 

🚩साजिश: हिन्दू अवचेतन मस्तिष्क में “ग़ैर” हिन्दू चरित्र को सकारात्मकता के साथ जोड़ना।

 

🚩धारावाहिक: नाटी पिंकी की लम्बी लव स्टोरी

 

🚩दृश्यांकन: एक ब्राह्मण समाज का अध्यक्ष जो हर क्षण मर्यादा सम्मान की बात करता है, अपने परिवार की किसी भी स्त्री को अधिकार नहीं देता। यहाँ तक की अपनी माँ को भी नहीं। परिवार की स्त्रियों से अपेक्षा रखता है कि वो हमेशा एक प्रकार के बॅंधे हुए आचरण में ही जिए। अपनी बेटी का विवाह अपनी जाति के एक अवैध सम्बन्ध रखने वाले लालची परिवार के लड़के से करता है। अपनी बड़ी स्वर्गवासी बेटी को घर से निकालदेता है, जब वो एक दूसरी जाति के मद्रासी लड़के से प्रेम विवाह कर लेती है, कभी नहीं अपनाता।

 

🚩सवाल: इसकी पृष्ठभूमि ब्राह्मण ही क्यों चुनी गई। क्या सामाजिक सम्मान “ग़ैर” ब्राह्मण या “ग़ैर” हिन्दू समुदाय में प्रतिष्ठा विषय नहीं होता। मद्रास में ब्राह्मण नहीं होते हैं क्या। “ग़ैर” हिन्दू पंथ में जहाँ फ़ोन पर सन्देश से ही तलाक दे दिया जाता है, उस पर चुप्पी क्यों। यहाँ तक की बहु बेगम धारवाहिक में दो निकाह को भावुकता के आवरण से सिद्ध किया गया है।

 

🚩साजिश: ब्राह्मण समाज को नकारात्मक रूप में दिखाना। उत्तर भारत–दक्षिण भारत में जाति के नाम पर द्वेष बढ़ाना। पितृसत्ता का भ्रम बनाना।

 

🚩धारावाहिक: दिल जैसे धड़के धड़कने दो

 

🚩दृश्यांकन: देवगुरु नामक चरित्र देवी को तलाश रहा। उसे अपनी देवी एक छोटी बच्ची में मिलती है। वह देवी मंत्र का छाती पर गोदना बनाकर घूमता है। एक चालाक स्त्री उसकी अनुयायी है, जो दान का दुरुपयोग करती है। उसके अधिकतर भक्त पढ़े लिखे उच्च पद के लोग हैं। देवगुरु मासिकस्त्राव वाली स्त्री को पारम्परिक नियमों को तोड़ने के लिए बढ़ावा देता है। एक मित्र उस देवगुरु को मानसिक बीमार मानता हैं। देवगुरु छोटी बच्ची को सन्यांसी देवी बनाने को आतुर है। छोटे बच्चों का एक जोड़ा ऐसे दर्शाया जा रहा है जैसे बचपन से प्रेम का अंकुर फूट रहा है।

 

🚩सवाल: देवगुरु का चरित्र सद्गुरु से मिलता जुलता ही क्यों लिया गया। हमारे तप साधना के नियम, अचार विहार आदि को इतने निम्न स्तर पर चालाकी से दिखाया गया कि ज्ञान के आभाव में दर्शक उन्हें ही सत्य मान ले। बालरूप में देवी बनाने की प्रथा जो अब समाप्त हो चुकी है उसे क्यों दिखाया जा रहा है, उस परंपरा के मूल सिद्धांत को समझे बिना ही। बच्चों के जोड़े में भाई बहन का प्रेम क्यों नहीं दिखाया जा सकता? हिन्दू मंत्रों के उच्चारण का नियम तरीका होता है, उन्हें “पॉप” गीत की भॉंति क्यों बजाना?

 

🚩साजिश: हिन्दू संत गुरुजन को मानसिक बीमार दिखाना। चालक चोर या राजनीति करनेवाला बता कर हिन्दू समाज में भ्रम बढ़ाना। भारतीय मूल्यों–परम्पराओं को उल्टा-सीधा प्रस्तुत कर उनका महत्व कम करना।

 

🚩ये तो महज कुछ उदाहरण हैं सनातनी समाज की चेतना पर घात करने के। इस मानसिक युद्ध का प्रतिकार बेहद जरूरी है, क्योंकि हमारे हिन्दू समाज के एक अत्यंत छोटे धड़े में इसके लक्षण स्पष्ट दिखाई देने लगे हैं। नासूर बनने से पूर्व ही समय पर इसकी चिकित्सा अत्यंत आवश्यक है। लेखक : चैतन्य हिन्दू


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Thursday, May 18, 2023

भारत असली इतिहास छुपा दिया, इसको पढना आपके लिए बेहद आवश्यक है

17  May 2023

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🚩जब हम भारत के इतिहास की बात करते हैं तो बात कुछ अंग्रेजों के समय पर आकर रुक जाती है । कुछ लोग थोडा ज्यादा जानने का प्रयास करते हैं तो उनको भारत के मुस्लिम शासन तक की ही जानकारी मिल पाती है । भारत में मुस्लिम शासन और अंग्रेजी शासन ही भारत का इतिहास नहीं है ! असल में भारत के सच्चे इतिहास को हमारी पुस्तकों से हटा दिया गया है । किताबों में जो लिखा गया है वह केवल और केवल मुस्लिम लुटेरों और अंग्रेजी लुटेरों तक ही सीमित है !

तो आज हम आपको भारत का इतिहास बताने वाले हैं, जो आपने पढा ही नहीं होगा परंतु इसको पढना आपके लिए बेहद आवश्यक है . . .


🚩भारत का इतिहास – भारत व्यापार में सबका बाप था !


🚩1840 तक का भारत जो था उसका विश्व व्यापार में हिस्सा 33% था । अंग्रेजों से पहले जब मुस्लिम आये थे तो भी भारत मसालों का विश्व में सबसे बडा निर्यातक था । दुनिया के कुल उत्पादन का 43% भारत में उत्पन्न होता था और दुनिया के कुल कमाई में भारत का हिस्सा 27% था । यह बात अंग्रेजों को काफी बुरी लगी थी और भारत को बर्बाद करने के लिए कई तरह के टैक्स भारत पर लगाए गये थे ! 



🚩अंग्रेजों ने सबसे पहला कानून बनाया Central Excise Duty Act और टैक्स तय किया गया 350 प्रतिशत यानी 100 रूपये का उत्पादन होगा तो 350 रुपया Excise Duty देना होगा ! फिर अंग्रेजों ने सामान के बेचने पर Sale Tax लगाया और वो तय किया गया 120 प्रतिशत यानी 100 रुपया का माल बेचो, तो 120 रुपया CST दो ! फिर एक और टैक्स आया Income Tax और वो था 97 प्रतिशत यानी 100 रुपया कमाया तो 97 रुपया अंग्रेजों को दो !


🚩भारत का इतिहास – भारत पर मुस्लिम आक्रमण


🚩बाप्पा रावल के आक्रमणों से मुसलमान इतने भयक्रांत हुए की अगले 300 सालों तक वे भारत से दूर रहे । परंतु भारत माता की सच्चा इतिहास हमको पढाया ही नहीं जाता है । मुस्लिम लुटेरों को कई हिन्दू योद्धाओं ने कई सालों तक लगातार हराया था । महमूद गजनवी ने 1002 से 1017 तक भारत पर कई आक्रमण किये पर हर बार उसे भारत के हिन्दू राजाओ से कडा उत्तर मिला था । महमूद गजनवी ने सोमनाथ पर भी कई आक्रमण किये और इसको 17 वे युद्ध में सफलता मिली थी!


🚩भारतीय राजाओ के निरंतर आक्रमण से वह वापिस गजनी लौट गया और अगले 100 सालो तक कोई भी मुस्लिम आक्रमणकारी भारत पर आक्रमण नहीं कर पाया था !


🚩भारत का इतिहास – भारत माता इसलिए थीं सोने की चिडिया


🚩भारत माता को सोने की चिडिया इसलिए बोलते थे क्योकि भारत का हर घर तब खुद का व्यापार करता था । हमारे यहां पर नौकरियां नहीं होती थीं और सभी मालिक होते थे । जो भी लोग भारत में व्यापार करने आते थे, वह यहाँ सोना लेकर आते थे । तो तब भारत में सोने का अपार भंडार हो गया था । सबसे हैरान करनेवाली तब यह थी कि यह सोना सरकार के पास नहीं बल्कि जनता के पास हुआ करता था !


🚩भारत का इतिहास – हैरान करने वाली बातें


🚩कुछ बुद्धिजीवियों का मानना हैं की भारत की सभ्यता कुछ 8000 साल पुरानी बताते हैं लेकिन भारतीय संस्कृति सनातन संस्कृति हैं। इतनी पुरानी सभ्यता आजतक अपना वजूद बचाए हुए है । इसमें जरूर कुछ बात है ! 


🚩सनातनी सभ्यता ने विश्व का मार्गदर्शन किया है । हमारे शास्त्रों से ही विश्व ने चलना सीखा है । भारत माता के वेद हजारों-लाखों साल पुराने हैं और पूरे विश्व ने इन्हीं वेदों का अनुसरण किया है । विज्ञान हो या फिर ब्रह्माण्ड, तकनीक हो या फिर धर्म, सभी बातें आपको भारत माता के इतिहास में सबसे पहले मिल जायेंगी !


🚩विज्ञान की बात करें तो जहाज जैसी चीजें रामायण और महाभारत में मिलती हैं । परमाणु अस्त्र-शस्त्र भी आपको वेदों में मिलते हैं । परंतु निराशाजनक बात यह है कि किताबों में भारत माता को गरीब और अनपढ बताया गया है । भारत माता का झूठा इतिहास किताबों में लिखा गया है !


🚩भारत का इतिहास – वामपंथियों का झूठा इतिहास


🚩भारत को वामपंथियों ने सांप और नट-जादूगरों का देश बताया है । परंतु असल में भारत माता का सच्चा इतिहास चाणक्य, मनु और कौटिल्य पर आधारित है । यहां सपेरों का इतिहास नहीं बल्कि मंगल, सूरज और चांद तारों की हैरान करनेवाली रहस्यमयी बातें बताई गयी हैं । भारत माता ने ‘शुन्य’ का आविष्कार किया है । सौर-ऊर्जा की बातें हजारों सालों पहले भारत में बताई गयी हैं ।


🚩असल में अब आवश्यकता है कि भारत माता के सच्चे इतिहास को फिर से एक किया जाये और हमारी आनेवाली पीढियों को पढाया जाये ताकि भारत एक बार फिर से विश्व का गुरु बन सके !

🚩भारत अभी भी महान है लेकिन देश विरोधी ताकतों द्वारा इतने षडयंत्र किये जा रहे है कि जो हिन्दूत्व संस्कृति के लिए कार्य करते है उनको मीडिया द्वारा बदनाम करके जेल भेजा जाता है या हत्या करवा दी जाती है और हिन्दू भी इतने सेक्युलर बन गए है कि बिकाऊ मीडिया में आकर सही व्यक्ति को ही गलत बोलने लग जाते है जिससे वे सही कार्य नही कर पाते है क्यो की कोई भी बाहरी शक्तियों से तो लड़ लेगा लेकिन अंदर के सेक्यूलर और गद्दारों से लड़ना मुश्किल हो जाता है ।


🚩अतः हिन्दू एक बने रहे और विधर्मी किसी भी हिन्दू संस्कृति, हिन्दू देवी-देवता और हिन्दू साधु-संतों के खिलाफ आलोचना करते है उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही करें जिससे अपनी महान संस्कृति टिकी रहे और पुनः भारत विश्वगुरु बनें।


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रूह कंपाने वाली लव जिहाद की घटना : 4 राज्य-4 हिंदू युवती, पीड़ा एक जैसी

18  May 2023

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🚩लव जिहाद का खतरा केवल केरल तक ही सीमित नही है। हर जगह हिंदू लड़कियाँ लव जिहादी का शिकार हो रहीं हैं। हरियाणा में किसी से बंदूक के बल पर निकाह किया जा रहा है तो बिहार का मोहम्मद तालिक उत्तर प्रदेश की लड़की का दुबई में धर्मांतरण करवाता है और फिर छोड़ देता है। मध्य प्रदेश के ग्वालियर का अमन शाह हिंदू पहचान रखकर लड़की फँसाता है तो यूपी के आगरा की लड़की को उसकी मुस्लिम सहेली इस ट्रैप में धकेल देती है।

🚩ग्वालियर: हिंदू बनकर प्यार फिर इस्लाम कबूलने का दबाव


🚩ग्वालियर में अमन शाह ने अमन वाल्मिकी नाम रखकर हिंदू लड़की से दोस्ती की। फिर शादी का झाँसा देकर उसके साथ संबंध बनाए। इसके बाद धर्मांतरण का दबाव बनाने लगा। लड़की ने दूरी बनाने की कोशिश की। पर अमन शाह ने पीछा नहीं छोड़ा। आरोप है कि उसने लड़की के साथ मारपीट की। एक मुस्लिम सहेली के जरिए उसका ब्रेनवॉश करवाने की कोशिश की। बात नहीं बनी तो उसने अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी दी। पीड़िता ने कंपू थाना में शिकायत दर्ज कराई है। अमन को गिरफ्तार कर लिया गया है।

🚩आगरा: अरमान ने दोस्तों से रेप करवाया



🚩आगरा की एक हिंदू युवती की दोस्ती फिरोजाबाद के अरमान से उसकी मुस्लिम सहेली ने करवाई। युवती की माँ को जब इसका पता चला तो बेटी को समझाने की कोशिश की। माँ की फटकार से नाराज युवती घर छोड़कर चली गई। अरमान ने युवती के साथ शादी कर ली और हिंदू बनकर किराए के मकान मे रहने लगा। कुछ दिन बाद अरमान के दोस्त भी उससे दुष्कर्म करने लगे। विरोध करने पर युवती के साथ मारपीट की जाती। बुधवार (10 मई 2023) को पुलिस ने मामले की शिकायत पुलिस से की।

🚩उत्तर प्रदेश की लड़की-बिहार का लड़का, दुबई में धर्मांतरण

🚩बिहार के मोतिहारी के तुरकौलिया थाना क्षेत्र के सेमरा बेलवतिया के मोहम्मद तालिक ने नोएडा में पढ़ाई के दौरान एक युवती को प्रेम जाल में फँसाया। युवती यूपी के बुलंदशहर की रहने वाली है। दोनों के बीच दोस्ती हुई। तालिक साल 2018 में दुबई चला गया। साल 2019 में युवती भी दुबई पहुँच गई। धर्मांतरण के बाद उसने युवती से निकाह कर लिया। युवती इसके बाद इलाज के सिलसिले में नोएडा लौटी। साल 2022 में जब वह दुबई पहुँची तो तालिक गायब था। संपर्क करने की कोशिश पर युवती को जान से मारने की धमकी दी। मामला तब खुला जब तालिक की तलाश में लड़की उसके मोतिहारी के घर पहुँच गई। तालिक के परिजनों को हिरासत में लेकर बिहार पुलिस मामले की जाँच कर रही है।


🚩रेवाड़ी: प्रेम बनकर फँसाया, बंदूक के बल पर निकाह


🚩हरियाणा के रेवाड़ी में मौसम खान ने प्रेम बनकर धारूहेड़ा की लड़की से दोस्ती की। 18 नवंबर 2020 को उसने लड़की को भगाया और हरिद्वार पहुँच गया। यहाँ उसने लड़की के साथ दुष्कर्म किया। 20 नवंबर को ताहिर खान, समेत कई लोगों ने लड़की का अपहरण कर लिया और उसे नूँह के ऊटोन गाँव ले गए। यहाँ युवती का जबरन धर्म बदला गया और प्रेम बने मौसम खान के साथ बंदूक के बल पर निकाह करवाया गया। पीड़िता को घर में बंधक बनाकर रखा गया। इस दौरान मौसम खान के छोटे भाई ने भी उसके साथ कई बार दुष्कर्म भी किया। करीब 3 साल तक प्रताड़ित होने के बाद मौका देखकर पीड़िता भागने में कामयाब हुई। मौसम खान और उसके परिजनों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है।


🚩लव जिहाद द्वारा हिन्दू युवतियों को छल करके प्रेम जाल में फँसाने की अनेक घटनाएँ सामने आई हैं, बाद में वही लड़कियां बहुत पश्चाताप करती हैं क्योंकि वहाँ उनकी जिंदगी नर्क जैसी हो जाती है, धर्मपरिवर्तन करने का दबाव बनाया जाता है, उसकी अनेक पत्नियां होती हैं, गौमाँस खिलाया जाता है, दर्जनों बच्चे पैदा करते हैं, पिटाई करते हैं, तलाक भी दिया जाता है, यहाँ तक कि लव जिहाद में फंसाकर उनको आतंकवादियों के पास भेजने की भी अनेक घटनाएं सामने आई हैं ।

 

🚩लव जिहाद होने की नौबत तब आती है जब अपनी बेटियों को धर्म की शिक्षा नहीं दी जाती है और उनको सनातन संस्कृति की महानता नहीं बताई जाती है उस अनुसार उनको कार्य करने को प्रेरित न करने के कारण आज हिन्दू बेटियां लव जिहाद में फंस रही हैं उसके लिए जिम्मेदार उनके माता-पिता भी ही हैं, माता-पिता का प्रथम कर्तव्य है कि अपने बच्चों को सनातन धर्म की महिमा से अवगत जरूर कराएं।


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Tuesday, May 16, 2023

1400 वर्ष का हिंदू इतिहास उठाकर देख लो आज जो हो रहा है समझ में आ जायेगा...

16  May 2023
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🚩ईसाई मिशनरियों वाले करोड़ो रूपये का खर्च करके न जाने हिन्दू साधु-संतो को कितना बदनाम कर रहे हैं न जाने कितने झूठे केस लगा रहे हैं, न जाने कितने करोड़ो रूपये खर्च करके हिन्दू साधु-संतों का बदनाम करने के लिए झूठी कहानियां बना रहे ,न जाने कितने लोगों को पैसे देकर खरीदा जा रहा है ओर उनसे हिन्दू संतो को ही टारगेट करते हुए उनकी छबि को खराब करने की साजिस चलायी जा रही हैं।

🚩बड़े बड़े संतो को भी नही छोड़ा और उनको जेल भिजवा दिया गया । गुरुनानक देव जी को जेल भिजवाया था, बंदा बैरागी जी जेल गए थे, भगवान बुद्ध की बदनामी हुई ,महावीर स्वामी की बदनामी हुई,कबीरदास जी के लिए बदनामी हुई पिछले 1400 वर्षो से हिन्दू संतो को बदनामी करके उन्हें सताया जा रहा है।

🚩स्वामी विवेकानंदजी पर चारित्रिक आरोप लगाकर उन्हें खूब बदनाम किया गया। संत नरसिंह मेहताजी को बदनाम करने व फँसाने के लिए वेश्या को भेजा गया। संत कबीर जी पर शराबी, कबाबी, वेश्यागामी होने के घृणित आरोप लगाये गये। भक्तिमती मीराबाई पर चारित्रिक लांछन लगाये गये एवं जान से मारने के कई दुष्प्रयास हुए। संत ज्ञानेश्वर जी और उनके भाईयों व बहन को निंदकों द्वारा समाज - बहिष्कृत किया गया था। 

🚩संत तुकाराम जी को बदनाम करने हेतु उन पर जादू टोना और पाखण्ड करने के झूठे आरोप लगाये गये व वेश्या भेजी गयी। इतना परेशान किया कि उन्हें अपने अभंगों की बही नदी में डालनी पड़ी और उपराम हो के 13 दिनों तक उपवास करना पड़ा।

🚩गीताप्रेस गोरखपुर के रामसुखदास जी महाराज के लिए साजिशकर्ताओ ने उन्हीं के समाज के लोगों को पिट्ठू बनाया और इतना गन्दा कुप्रचार हुआ रामसुखदास महाराज के लिए की रामसुखदास महाराज को अन्न जल छोड़ना पड़ा।


🚩कांची पीठ के शंकराचार्य जी जयंत सरस्वती जी को दिवाली की आधी रात को झूठा आरोप लगवाकर जेल में डाला गया।

🚩वर्तमान में संतों को षड्यंत्र में श्री फँसाकर झूठे आरोप लगा के गिरफ्तार किया गया, प्रताड़ित किया गया, अधिकांश मीडिया द्वारा झूठे आरोपों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया परंतु जीत हमेशा सत्य की ही होती रही है और होगी।

🚩वर्तमान में हिंदू संत आशाराम बापू के खिलाफ दुष्प्रचार करने और जेल भेजने का मुख्य कारण यही है की...

🚩1). लाखों धर्मांतरित ईसाईयों को पुनः हिंदू बनाया व करोड़ों हिन्दुओं को अपने धर्म के प्रति जागरूक किया व आदिवासी इलाकों में जाकर धर्म के संस्कार, मकान, जीवनोपयोगी सामग्री दी, जिससे धर्मान्तरण करने वालों का धंधा चौपट हो गया ।

🚩2). कत्लखाने में जाती हज़ारों गौ-माताओं को बचाकर, उनके लिए विशाल गौशालाओं का निर्माण करवाया।

🚩3). शिकागो विश्व धर्मपरिषद में स्वामी विवेकानंदजी के 100 साल बाद जाकर हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया।

🚩4). विदेशी कंपनियों द्वारा देश को लूटने से बचाकर आयुर्वेद/होम्योपैथिक के प्रचार-प्रसार द्वारा एलोपैथिक दवाईयों के कुप्रभाव से असंख्य लोगों का स्वास्थ्य और पैसा बचाया ।

🚩5). लाखों-करोड़ों विद्यार्थियों को सारस्वत्य मंत्र देकर और योग व उच्च संस्कार का प्रशिक्षण देकर ओजस्वी- तेजस्वी बनाया ।

🚩6). लंदन, पाकिस्तान, चाईना, अमेरिका और बहुत सारे देशों में जाकर सनातन हिंदू धर्म का ध्वज फहराया ।

🚩7). वैलेंटाइन डे का कुप्रभाव रोकने हेतु “मातृ-पितृ पूजन दिवस” का प्रारम्भ करवाया।

🚩8). क्रिसमस डे के दिन प्लास्टिक के क्रिसमस ट्री को सजाने के बजाय तुलसी पूजन दिवस मनाना शुरू करवाया।

🚩9). करोड़ों लोगों को अधर्म से धर्म की ओर मोड़ दिया।

🚩10). नशामुक्ति अभियान के द्वारा लाखों लोगों को व्यसनमुक्त कराया।

🚩11). वैदिक शिक्षा पर आधारित अनेकों गुरुकुल खुलवाए।

🚩12). मुश्किल हालातों में कांची कामकोटि पीठ के “शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वतीजी” बाबा रामदेव, मोरारी बापूजी, साध्वी प्रज्ञा एवं अन्य संतों का साथ दिया।

🚩13. बच्चों के लिए “बाल संस्कार केंद्र”, युवाओं के लिए “युवा सेवा संघ”, महिलाओं के लिए “महिला उत्थान मंडल” खोलकर उनका जीवन धर्ममय व उन्नत बनाया।

🚩कहा जाता है कि हिन्दू संत आशारामजी बापू का बहुत बड़ा साधक-समुदाय है। लगभग करीब 8 करोड़ लोग देश-विदेश में हैं और इतने सालों से जेल में होते हुए भी उनके अनुयायियों की श्रद्धा टस से मस नहीं हुई है। उन करोड़ों भक्तों का एक ही कहना है कि हमारे गुरुदेव (संत आशारामजी बापू) निर्दोष हैं उन्हें षड़यंत्र के तहत फंसाया गया है। वे जल्द से जल्द निर्दोष छूटकर हमारे बीच शीघ्र ही आयेंगे।
http://ashram.org/Pujya-Bapuji


🚩मिशनरियों और विदेशी कम्पनियों के खरबों में घाटा हो रहा हैं। कुछ करोड रूपए लगाकर बापू को जेल में रखवाना जा रहा है लेकिन विजय तो सत्य की ही होगी...।

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Monday, May 15, 2023

विदेशी जमीन की देन साबूदाना, साबूदाने खाने से व्रत-उपवास टूट जाते है

15 मई 2023

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🚩साबूदाना मूल रूप से पूर्वी अफ़्रीका का पौधा है।


🚩साबूदाने विदेशी जमीन की देन है,विदेशियों ने भारतीयों के व्रत-उपवास को तोड़ने के लिए साबुदानो को भारत में पैदा करवाया।


🚩साबूदाने खाने से पाचनतंत्र बिगड़ता है,लिवर,किडनी पर बुरा असर पड़ता है,इसलिए भूलकर भी साबूदाने न खायें।



🚩साबूदाना टैपिओका नामक स्टार्च से बनाया जाता है। जब साबूदाने को बनाते है तो सबसे टैपिओका के गूदे को निकालकर किसी बड़े टैंकों में डाल लेते है,फिर कई दिनों तक उसे सड़ाते है, फिर उसमें लगातार केमिकल वाला पानी डाला जाता है,फिर कई तरह के केमिकल डालते है,जो शरीर के लिए नुकसान पहुचाते है, इसे सुखाने के लिए बाद इन पर ग्लूकोज और स्टार्च से बने पाउडर की इस पर पॉलिश की जाती है,उसके बाद साबूदाना बनकर तैयार हो जाता है।


🚩साबूदाना छोटे-छोटे मोती की तरह सफ़ेद और गोल होते हैं। भारत मे यह कसावा/टेपियोका की जडों से व अन्य अफ्रीकी देशों मे सैगो पाम नामक पेड़ के तने के गूदे से बनता है। सागो, ताड़ की तरह का एक पौधा होता है।


🚩भारत में साबूदाना केवल टेपियोका की जड से बनाया जाता है, जिसे कसावा कहते है।


🚩भारत में साबूदाने का उत्पादन सबसे पहले तमिलनाडु के सेलम में हुआ था।


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Sunday, May 14, 2023

बांग्लादेश में करोड़ो हिंदू गायब हो गए, आखिर गए कहा ???

14  May 2023

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🚩भारत में सबसे सम्पन्न और सक्षम होते हुए भी हिन्दू चुप है। अभी कुछ दिन पहले राजस्थान सरकार ने पाकिस्तान से आए हिंदुओं की झोपड़ियों पर बुलडोजर चलवा दिया। केरल में लव जिहाद ,केरल की हिन्दू लड़कियों को निगल रहा  हैं। रामनवमी की शोभा यात्रा पर पत्थरबाजी रुकने का नाम नही ले रही हैं।


🚩एक साल पहले बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई ओक्या परिषद के चटगांव दक्षिण के उपाध्यक्ष जितेंद्र कांति गुहा को चटगांव के पटिया उपजिला में हैदगांव संघ में एक पेड़ से बांधकर पीटा गया। श्री गुहा स्थानीय अवामी लीग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।


🚩इससे पहले मुंसिगंज सदर मे एक विज्ञान अध्यापक हृदय वनिक को यह कहने पर परेशान किया गया कि विज्ञान कुरान से नहीं निकला और अधिकांश वैज्ञानिक यहूदी हैं।



🚩इससे पहले मार्च 2021 मे बंग्लादेश में दुर्गा पाण्डाल मे हनुमान जी की मूर्ति के पैरों मे जानबूझ कर कुरान रख कर दंगा करवाया गया।

18 मार्च 2021 को बांग्लादेश में  एक इस्लामी समूह के सैकड़ों समर्थकों द्वारा पूर्वोत्तर में स्थित सिलहट डिवीजन में हिंदुओं के 70-80 घरों पर बर्बतापूर्ण हमला करने का मामला सामने आया।


🚩ढाका ट्रिब्यून अखबार के मुताबिक हिफाजत ए इस्लाम के नेता मामुनुल हक के हजारों अनुयायियों ने सिलहट डिवीजन के सुनामगंज जिले के शल्ला उप जिले में एक हिंदू गाँव पर हमला किया। बताया गया कि काशीपुर, नाचनी, चाँदीपुर और कुछ अन्य मुस्लिम बहुल गाँवों से हक के समर्थक, नवागाँव में एकत्र हुए और उन्होंने स्थानीय हिंदुओं के घरों पर डंडों और देसी हथियारों से हमला किया व 70 से 80 घर तोड़ डाले।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लगभग 70 से 80 हिंदुओं के घरों में तोड़फोड़ की गई थी, लेकिन एक स्थानीय पत्रकार ने दावा किया है कि कम से कम 500 हिंदू घरों में तोड़फोड़ की गई और उन्हें जला दिया गया । इसके अलावा इस्लामी चरमपंथियों ने 8 से अधिक मंदिरों में भी तोड़फोड़ की। इस हमले को फेसबुक पर लाइव किया गया था।


🚩आजादी के वक्त 13.50% हिंदू थे। 2011 की जनगणना के अनुसार अब 8.54% हिन्दू ही बचे हैं। बांग्लादेश में पहली जनगणना में (जब वह पूर्वी पाकिस्तान था) मुस्लिम आबादी 3 करोड़ 22 लाख थी जबकि हिन्दुओं की जनसंख्या 92 लाख 39 हजार थी। 70 वर्षों बाद हिन्दुओं की संख्या केवल 1 करोड़ 20 लाख है जबकि मुस्लिमों की संख्या 12 करोड़ 62 लाख से अधिक हो गई है। पिछले कुछ वर्षों में यहां हिन्दुओं पर हमलों की कई घटनाएं हुई हैं। हिन्दुओं की संपत्तियों को लूटा गया, घरों को जला दिया गया तथा मंदिरों की पवित्रता को भंग कर उसे आग के हवाले कर दिया गया और ये हमले बेवजह किए गए।


🚩पाकिस्तान का जबरन हिस्सा बन गए बंगालियों ने जब विद्रोह छेड़ दिया तो इसे कुचलने के लिए पश्‍चिमी पाकिस्तान ने अपनी पूरी ताकत लगा दी।


🚩 पाकिस्तान की सत्ता में बैठे लोगों की पहली प्रतिक्रिया उन्हें 'भारतीय एजेंट' कहने के रूप में सामने आई और उन्होंने चुन-चुनकर शिया और हिन्दुओं का कत्लेआम करना शुरू कर दिया। 24 साल के भीतर ही यह दूसरा क्रूर विभाजन था जिसमें लाखों बंगालियों की मौत हुई। हजारों बंगाली औरतों का बलात्कार हुआ। एक गैरसरकारी रिपोर्ट के अनुसार लगभग 30 लाख से ज्यादा हिन्दुओं का युद्ध की आड़ में कत्ल कर दिया गया। 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ 9 महीने तक चले बांग्लादेश के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान हिन्दुओं पर अत्याचार, बलात्कार और नरसंहार के आरोपों में दिलावर को दोषी पाया गया था।

1988 में संविधान संशोधन कर इस्लाम को बांग्लादेश का राजकीय मजहब बना दिया गया। इससे हिंदुओं की स्थिति कानूनन भी नीची हो गई। उनके विरुद्ध हिंसा, जबरन मतांतरण, संपत्ति छीनने, दुष्कर्म आदि के मामले बढ़ गए। इन्हीं हथकंडों का वर्णन प्रसिद्ध लेखिका तसलीमा नसरीन ने अपनी पुस्तक ‘लज्जा’ में किया, जिससे उन पर मौत का फतवा आया। तबसे उन्हें बाहर भागकर छिप कर रहना पड़ा रहा है। उन्हें कोसा गया, जबकि वह वामपंथी लेखिका रही हैं। उन्हें इसीलिए कोसा गया कि सावधानी से छिपाई गई लज्जा को उन्होंने बाहर ला दिया। 


🚩उनके बाद अमेरिकी शोधकर्ता रिचर्ड बेंकिन की पुस्तक ‘ए क्वाइट केस आफ एथनिक क्लींसिंग-द मर्डर आफ बांग्लादेशी हिंदू’ ने उसका प्रामाणिक आकलन किया।

सतत संहार एवं उत्पीड़न से ही बांग्लादेश की हिंदू आबादी नाटकीय रूप से गिरी है। उस क्षेत्र में करीब 30 प्रतिशत हिंदू थे, जो 1971 तक 20 प्रतिशत हो गए। आज वे मात्र 8 प्रतिशत बचे हैं। इस लुप्त आबादी का एक-दो प्रतिशत ही भागकर बाहर गया। शेष मारे गए या छल-बल से मतांतरित करा लिए गए। यह केवल इस्लामी संगठनों, पड़ोसियों, बदमाशों, राजनीतिक दलों द्वारा ही नहीं, सरकारी नीतियों से भी हुआ। कल्पना कीजिए कि भारत सरकार गैर हिंदुओं की संपत्ति लेकर उसे हिंदुओं को दे सकने का कानून बनाए। तब पूरी दुनिया में आलोचना की कैसी आंधी उठेगी, लेकिन ठीक ऐसा ही कानून बांग्लादेश में मजे से चल रहा है, जबकि उसके दुष्प्रभाव से वहां हिंदुओं का विनाश प्रामाणिक तथ्य है। ढाका विवि के प्रो. अब्दुल बरकत की पुस्तक ‘इंक्वायरी इंटू काजेज एंड कांसीक्वेंसेस आफ डिप्राइवेशन आफ हिंदू माइनारिटीज इन बांग्लादेश’ में इसके विवरण हैं।


🚩अगर हिन्दू संगठित होकर एक दूसरे के दुःख  को दूर करने लग जाये तो सारे हिंदुओ के दुःख समाप्त हो जायेगे,इसलिए सभी हिन्दू मिलजुलकर रहें और भारत को विश्व की सबसे बड़ी शक्ति के रूप में स्थापित करें।


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Saturday, May 13, 2023

शम्भाजी राजे ने अपने शासनकाल में 120 युद्ध किये और एक भी युद्ध में पराभूत नहीं हुए

13  May 2023

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🚩शंभाजी राजा ने अपनी अल्पायु में जो अलौकिक कार्य किए, उससे पूरा हिंदुस्थान प्रभावित हुआ। इसलिए प्रत्येक हिंदू को उनके प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए। उन्होंने साहस एवं निडरताके साथ औरंगजेब की आठ लाख सेना का सामना किया तथा अधिकांश मुगल सरदारों को युद्ध में पराजित कर उन्हें भागने के लिए विवश कर दिया। 24 से 32 वर्ष की आयु तक शंभुराजा ने मुगलों की पाशविक शक्ति से लड़ाई की एवं एक बार भी यह योद्धा पराजित नहीं हुआ। इसलिए औरंगजेब दीर्घकाल तक महाराष्ट्र में युद्ध करता रहा । उसके दबाव से संपूर्ण उत्तर हिंदुस्थान मुक्त रहा। इसे शंभाजी महाराज का सबसे बडा कार्य कहना पड़ेगा। यदि उन्होंने औरंगजेब के साथ समझौता किया होता अथवा उसका आधिपत्य स्वीकार किया होता तो वह दो-तीन वर्षों में ही पुन: उत्तर हिंदुस्थान में आ धमकता; परंतु शंभाजी राजा के संघर्ष के कारण औरंगजेब को 27 वर्ष दक्षिण भारत में ही रुकना पडा । इससे उत्तर में बुंदेलखंड, पंजाब और राजस्थान में हिंदुओं की नई सत्ताएं स्थापित होकर हिंदू समाज को सुरक्षा मिली ।


🚩वीर शिवाजी के पुत्र वीर शम्भाजी को अयोग्य आदि की संज्ञा देकर बदनाम करते हैं। जबकि सत्य ये है कि अगर वीर शम्भाजी कायर होते तो वे औरंगजेब की दासता स्वीकार कर इस्लाम ग्रहण कर लेते। वह न केवल अपने प्राणों की रक्षा कर लेते अपितु अपने राज्य को भी बचा लेते। वीर शम्भाजी का जन्म 14 मई 1657 को हुआ था। आप वीर शिवाजी के साथ अल्पायु में औरंगजेब की कैद में आगरे के किले में बंद भी रहे थे। आपने 11 मार्च 1689 को वीरगति प्राप्त की थी। इस लेख के माध्यम से हम शम्भाजी के जीवन बलिदान की घटना से धर्मरक्षा की प्रेरणा ले सकते हैं। इतिहास में ऐसे उदाहरण विरले ही मिलते हैं।


🚩औरंगजेब के जासूसों ने सूचना दी कि शम्भाजी इस समय अपने पांच-दस सैनिकों के साथ वारद्वारी से रायगढ़ की ओर जा रहे हैं। बीजापुर और गोलकुंडा की विजय में औरंगजेब को शेख निजाम के नाम से एक सरदार भी मिला जिसे उसने मुकर्रब की उपाधि से नवाजा था। मुकर्रब अत्यंत क्रूर और मतान्ध था। शम्भाजी के विषय में सूचना मिलते ही उसकी बांहे खिल उठी। वह दौड़ पड़ा रायगढ़ की ओर। शम्भाजी अपने मित्र कवि कलश के साथ इस समय संगमेश्वर पहुँच चुके थे। वह एक बाड़ी में बैठे थे कि उन्होंने देखा कवि कलश भागे चले आ रहे है और उनके हाथ से रक्त बह रहा है। कलश ने शम्भाजी से कुछ भी नहीं कहा बल्कि उनका हाथ पकड़कर उन्हें खींचते हुए बाड़ी के तलघर में ले गए परन्तु उन्हें तलघर में घुसते हुए मुकर्रब खान के पुत्र ने देख लिया था। शीघ्र ही मराठा रणबांकुरों को बंदी बना लिया गया। शम्भाजी व कवि कलश को लोहे की जंजीरों में जकड़ कर मुकर्रब खान के सामने लाया गया। वह उन्हें देखकर खुशी से नाच उठा। दोनों वीरों को बोरों के समान हाथी पर लादकर मुस्लिम सेना बादशाह औरंगजेब की छावनी की और चल पड़ी।



🚩औरंगजेब को जब यह समाचार मिला तो वह ख़ुशी से झूम उठा। उसने चार मील की दूरी पर उन शाही कैदियों को रुकवाया। वहां शम्भाजी और कवि कलश को रंग बिरंगे कपडे और विदूषकों जैसी घुंघरूदार लम्बी टोपी पहनाई गयी। फिर उन्हें ऊंट पर बैठा कर गाजे बाजे के साथ औरंगजेब की छावनी पर लाया गया। औरंगजेब ने बड़े ही अपशब्दों में उनका स्वागत किया। शम्भाजी के नेत्रों से अग्नि निकल रही थी परन्तु वह शांत रहे। उन्हें बंदीगृह भेज दिया गया। औरंगजेब ने शम्भाजी का वध करने से पहले उन्हें इस्लाम कबूल करने का न्योता देने के लिए रूहल्ला खान को भेजा।


🚩नर केसरी लोहे के सींखचों में बंद था। कल तक जो मराठों का सम्राट था। आज उसकी दशा देखकर करुणा को भी दया आ जाये। फटे हुए चिथड़ों में लिप्त हुआ उनका शरीर मिट्टी में पड़े हुए स्वर्ण के समान हो गया था। उन्हें स्वर्ग में खड़े हुए छत्रपति शिवाजी टकटकी बांधे हुए देख रहे थे। पिताजी, पिताजी वे चिल्ला उठे- मैं आपका पुत्र हूँ। निश्चित रहिये। मैं मर जाऊँगा लेकिन…..


🚩लेकिन क्या शम्भा जी …रूहल्ला खान ने एक ओर से प्रकट होते हुए कहा-

तुम मरने से बच सकते हो शम्भाजी परन्तु एक शर्त पर।


🚩शम्भाजी ने उत्तर दिया- मैं उन शर्तों को सुनना ही नहीं चाहता। शिवाजी का पुत्र मरने से कब डरता है।


🚩लेकिन जिस प्रकार तुम्हारी मौत यहाँ होगी उसे देखकर तो खुद मौत भी थर्रा उठेगी शम्भाजी- रुहल्ला खान ने कहा।


🚩कोई चिंता नहीं, उस जैसी मौत भी हम हिन्दुओं को नहीं डरा सकती। संभव है कि तुम जैसे कायर ही उससे डर जाते हों। – शम्भाजी ने उत्तर दिया।


🚩लेकिन… रुहल्ला खान बोला, वह शर्त है बड़ी मामूली। तुझे बस इस्लाम कबूल करना है। तेरी जान बक्श दी जाएगी। शम्भाजी बोले- बस रुहल्ला खान आगे एक भी शब्द मत निकालना मलेच्छ। रुहल्ला खान अट्टहास लगाते हुए वहाँ से चला गया।

🚩उस रात लोहे की तपती हुई सलाखों से शम्भाजी की दोनों आँखे फोड़ दी गयी उन्हें खाना और पानी भी देना बंद कर दिया गया।


🚩आखिर 11 मार्च को वीर शम्भा जी के बलिदान का दिन आ गय। सबसे पहले शम्भाजी का एक हाथ काटा गया, फिर दूसरा, फिर एक पैर को काटा गया और फिर दूसरा पैर। शम्भाजी का करपाद विहीन धड़ दिन भर खून की तलैय्या में तैरता रहा। फिर सांयकाल में उनका सर काट दिया गया और उनका शरीर कुत्तों के आगे डाल दिया गया। फिर भाले पर उनके सर को टांगकर सेना के सामने उसे घुमाया गया और बाद में कूड़े में फेंक दिया गया।


🚩मराठों ने अपनी छातियों पर पत्थर रखकर अपने सम्राट के सर का इंद्रायणी और भीमा के संगम पर तुलापुर में दाह-संस्कार किया। आज भी उस स्थान पर शम्भाजी की समाधि है जो पुकार पुकार कर वीर शम्भाजी की याद दिलाती है कि हम सर कटा सकते हैं पर अपना प्यारा वैदिक धर्म कभी नहीं छोड़ सकते।


🚩मित्रों, शिवाजी के तेजस्वी पुत्र शंभाजी के अमर बलिदान की यह गाथा हिन्दू माताएं अपनी लोरियों में बच्चों को सुनायें तो हर घर से महाराणा प्रताप और शिवाजी जैसे महान वीर जन्मेंगे। इतिहास के इन महान वीरों के बलिदान के कारण ही आज हम गर्व से अपने आपको श्री राम और श्री कृष्ण की संतान कहने का गर्व करते हैं। आईये, आज हम प्रण लें- हम उन्हीं वीरों के पथ के अनुगामी बनेंगे।


🚩शाहीर योगेश के शब्दो में कहना है, तो…


🚩‘देश धरम पर मिटनेवाला शेर शिवा का छावा था ।

महापराक्रमी परम प्रतापी एक ही शंभू राजा था ।।१।।


🚩तेजपुंज तेजस्वी आंखें निकल गईं पर झुका नहीं।

दृष्टि गई पर राष्ट्रोन्नति का दिव्य स्वप्न तो मिटा नहीं।।२।।


🚩दोनों पैर कटे शंभू के ध्येय मार्गसे हटा नहीं।

हाथ कटे तो क्या हुआ सत्कर्म कभी भी छूटा नहीं।।३।।


🚩जिह्वा काटी रक्त बहाया धरम का सौदा किया नहीं।।

शिवाजी का ही बेटा था वह गलत राहपर चला नहीं।।४।।


🚩रामकृष्ण, शालिवाहनके पथसे विचलित हुआ नहीं।।

गर्व से हिंदू कहने में कभी किसीसे डरा नहीं।।


🚩वर्ष तीन सौ बीत गए अब शंभू के बलिदानको ।

कौन जीता कौन हारा पूछ लो संसारको।।५।।


🚩कोटि-कोटि कंठों में तेरा आज गौरवगान है।

अमर शंभू तू अमर हो गया तेरी जय जयकार है।।६।।


🚩भारतभूमि के चरणकमल पर जीवन पुष्प चढाया था।

है दूजा दुनिया में कोई, जैसा शंभू राजा था ।।७।।



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