Friday, June 2, 2023

गर्भपात से कितना नुकसना होता हैं ? कितना पाप लगता हैं ? जानिए.....

1 June 2023

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🚩गर्भ में बालक निर्बल और असहाय अवस्था में रहता है। वह अपने बचाव का कोई उपाय भी नहीं कर सकता तथा अपनी हत्या का प्रतिकार भी नहीं कर सकता। अपनी हत्या से बचने के लिए वह पुकार भी नहीं सकता, रो भी नहीं सकता। उसका कोई अपराध, कसूर भी नहीं है – ऐसी अवस्था में जन्म लेने से पहले ही उस निरपराध, निर्दोष, असहाय बच्चे की हत्या कर देना पाप की, कृतघ्नता की, दुष्टता की, नृशंसता की, क्रूरता की, अमानुषता की, अन्याय की आखिरी हद है - स्वामी रामसुखदासजी


🚩ब्रह्महत्या से जो पाप लगता है उससे दुगना पाप गर्भपाप करने से लगता है। इस गर्भपात  महापाप का कोई प्रायश्चित भी नहीं है, इसमें तो उस स्त्री का त्याग कर देने का ही विधान है। (पाराशर स्मृतिः 4.20)


🚩यदि अन्न पर गर्भपात करने वाले की दृष्टि भी पड़ जाय तो वह अन्न अभक्ष्य हो जाता है। (मनुस्मृतिः 4.208)


🚩गर्भस्थ शिशु को अनेक जन्मों का ज्ञान होता है। इसलिए 'श्रीमद् भागवत' में उसको ऋषि (ज्ञानी) कहा गया है। अतः उसकी हत्या से बढ़कर और क्या पाप होगा !


🚩संसार का कोई भी श्रेष्ठ धर्म गर्भपात को समर्थन नहीं देता है और न ही दे सकता है क्योंकि यह कार्य मनुष्यता के विरूद्ध है। जीवमात्र को जीने का अधिकार है। उसको गर्भ में ही नष्ट करके उसके अधिकार को छीनना महापाप है।


🚩श्रेष्ठ पुरुषों ने ब्रह्महत्या आदि पापों का प्रायश्चित बताया है, पाखण्डी और परनिन्दक का भी उद्धार होता है, किंतु जो गर्भस्थ शिशु की हत्या करता है, उसके उद्धार का कोई उपाय नहीं है। (नारद पुराणः पूर्वः 7.53)


🚩संन्यासी की हत्या करने वाला तथा गर्भ की हत्या करने वाला भारत में 'महापापी' कहलाता है। वह मनुष्य कुंभीपाक नरक में गिरता है। फिर हजार जन्म गीध, सौ जन्म सूअर, सात जन्म कौआ और सात जन्म सर्प होता है। फिर 60 हजार वर्ष विष्ठा का कीड़ा होता है। फिर अनेक जन्मों में बैल होने के बाद कोढ़ी मनुष्य होता है।

(देवी भागवतः 9.34.24,27.28)


🚩गर्भपात कराने वाली लड़कियों में से एक तिहाई लड़कियाँ ऐसी बीमारियों की शिकार हो जाती हैं कि फिर कभी वे संतान पैदा नहीं कर सकतीं।

(टोरंटो, कनाडा के 70 वाले अनुसंधान के अनुसार)



🚩विश्व में प्रतिवर्ष होने वाले 5 करोड़ गर्भपातों में से करीब आधे गैरकानूनी होते हैं, जिनमें करीब 2 लाख स्त्रियाँ प्रतिवर्ष मर जाती हैं और करीब 60 से 80 लाख पूरी उम्र के लिये रोगों की शिकार हो जाती हैं। हिन्दुस्तान में अनुमानतः करीब 5 लाख औरतें प्रतिवर्ष गैरकानूनी गर्भपातों द्वारा उत्पन्न हुई समस्याओं से मरती हैं।

(हिन्दुस्तान टाइम्स दिनांकः 15-7-1990)


🚩भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के अनुसार गैरकानूनी एवं असुरक्षित ढंग से कराये जाने वाले गर्भपात से लाखों महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। जो बचती है, उन्हें जीवन भर गहरी मानसिक यातना से गुजरना पड़ता है। साथ ही, लंबे समय तक संक्रमण, दर्द तथा बाँझपन जैसी जटिल समस्याओं का सामना करना पड़ता है।


🚩स्त्रियाँ गर्भपात के बाद पूरे जीवन पीड़ा पाती हैं। उनका शरीर रोगों का म्यूजियम बन जाता है। एक तिहाई स्त्रियाँ तो ऐसी बीमारी का शिकार बनती हैं कि फिर वे कभी संतान पैदा कर ही नहीं सकतीं।

गर्भपात कराने वाली स्त्रियों में से 30 % स्त्रियों को मासिक की कठिनाइयाँ हो जाती हैं।


🚩शास्त्रों में जगह-जगह गर्भपात को महापाप बताया है। कहा है कि गर्भहत्या करने वाले का देखा हुआ अन्न न खायें। (मनुस्मृतिः 4.208)


🚩लिंग परीक्षण करवाने से अपने आप गर्भपात होने व समयपूर्व-प्रसव होने की आशंका बढ़ जाती है, तथा कूल्हों के खिसकने एवं श्वास की बीमारी की भी संभावना रहती है। बार-बार अल्ट्रासाउंड कराने से शिशु के वजन पर दुष्प्रभाव पड़ता है। (देहली मिड डे दिनांकः 17-12-1993)


🚩असुरक्षित तरीके से गर्भपात कराने से प्रतिवर्ष 70,000 महिलाओं की मृत्यु होती है।


🚩गर्भपात निरीह जीव की हत्या है, महान पाप है, ब्रह्महत्या और गौहत्या से भी बड़ा पाप है। देश के साथ गद्दारी है। नियम लें और लिवायें कि गर्भपात नहीं करवायेंगे-स्वामी रामसुखदासजी महाराज


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वटसावित्री-व्रत इस व्रत का रहस्य जान लेंगे तो आप भी व्रत किया बिना नही रह पायेंगे,जानिए....

2 June 2023

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🚩वर्ष में दो बार वट सावित्री व्रत रखा जाता है, पहला ज्येष्ठ अमावस्या और दूसरा ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन। दोनों व्रत में पूजा-पाठ करने का विधान, कथा, नियम और महत्व एक जैसे ही होते हैं। महाराष्ट्र, गुजरात और मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट सावित्री व्रत रखा जाता है।

 

🚩पतिके सुख-दुःखमें सहभागी होना, उसे संकटसे बचानेके लिए प्रत्यक्ष ‘काल’को भी चुनौती देनेकी सिद्धता रखना, उसका साथ न छोडना एवं दोनोंका जीवन सफल बनाना, ये स्त्रीके महत्त्वपूर्ण गुण हैं । 

 

🚩सावित्रीमें ये सभी गुण थे । सावित्री अत्यंत तेजस्वी तथा दृढनिश्चयी थीं । आत्मविश्वास एवं उचित निर्णयक्षमता भी उनमें थी । राजकन्या होते हुए भी सावित्रीने दरिद्र एवं अल्पायु सत्यवानको पतिके रूपमें अपनाया था; तथा उनकी मृत्यु होनेपर यमराजसे शास्त्रचर्चा कर उन्होंने अपने पतिके लिए जीवनदान प्राप्त किया था । जीवनमें यशस्वी होनेके लिए सावित्रीके समान सभी सद्गुणोंको आत्मसात करना ही वास्तविक अर्थोंमें वटसावित्री व्रतका पालन करना है ।

 

🚩वृक्षों में भी भगवदीय चेतना का वास है, ऐसा दिव्य ज्ञान वृक्षोपासना का आधार है । इस उपासना ने स्वास्थ्य, प्रसन्नता, सुख-समृद्धि, आध्यात्मिक उन्नति एवं पर्यावरण संरक्षण में बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है ।

 


🚩वातावरण में विद्यमान हानिकारक तत्त्वों को नष्ट कर वातावरण को शुद्ध करने में वटवृक्ष का विशेष महत्त्व है । वटवृक्ष के नीचे का छायादार स्थल एकाग्र मन से जप, ध्यान व उपासना के लिए प्राचीन काल से साधकों एवं महापुरुषों का प्रिय स्थल रहा है । यह दीर्घ काल तक अक्षय भी बना रहता है । इसी कारण दीर्घायु, अक्षय सौभाग्य, जीवन में स्थिरता तथा निरन्तर अभ्युदय की प्राप्ति के लिए इसकी आराधना की जाती है ।

 

🚩वटवृक्ष के दर्शन, स्पर्श तथा सेवा से पाप दूर होते हैं; दुःख, समस्याएँ तथा रोग जाते रहते हैं । अतः इस वृक्ष को रोपने से अक्षय पुण्य-संचय होता है । वैशाख आदि पुण्यमासों में इस वृक्ष की जड़ में जल देने से पापों का नाश होता है एवं नाना प्रकार की सुख-सम्पदा प्राप्त होती है । 


🚩इसी वटवृक्ष के नीचे सती सावित्री ने अपने पातिव्रत्य के बल से यमराज से अपने मृत पति को पुनः जीवित करवा लिया था । तबसे ‘वट-सावित्री’ नामक व्रत मनाया जाने लगा । इस दिन महिलाएँ अपने अखण्ड सौभाग्य एवं कल्याण के लिए व्रत करती हैं।

व्रत-कथा :-

 

🚩सावित्री मद्र देश के राजा अश्वपति की पुत्री थी । द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान से उसका विवाह हुआ था । विवाह से पहले देवर्षि नारदजी ने कहा था कि सत्यवान केवल वर्ष भर जीयेगा । किंतु सत्यवान को एक बार मन से पति स्वीकार कर लेने के बाद दृढ़व्रता सावित्री ने अपना निर्णय नहीं बदला और एक वर्ष तक पातिव्रत्य धर्म में पूर्णतया तत्पर रहकर अंधेे सास-ससुर और अल्पायु पति की प्रेम के साथ सेवा की । वर्ष-समाप्ति  के  दिन  सत्यवान  और  सावित्री समिधा लेने के लिए वन में गये थे । वहाँ एक विषधर सर्प ने सत्यवान को डँस लिया । वह बेहोश  होकर  गिर  गया । यमराज आये और सत्यवान के सूक्ष्म शरीर को ले जाने लगे । तब सावित्री भी अपने पातिव्रत के बल से उनके पीछे-पीछे जाने लगी । 

 

🚩यमराज द्वारा उसे वापस जाने के लिए कहने पर सावित्री बोली :

‘‘जहाँ जो मेरे पति को ले जाय या जहाँ मेरा पति स्वयं जाय, मैं भी वहाँ जाऊँ यह सनातन धर्म है । तप, गुरुभक्ति, पतिप्रेम और आपकी कृपा से मैं कहीं रुक नहीं सकती । तत्त्व को जाननेवाले विद्वानों ने सात स्थानों पर मित्रता कही है । मैं उस मैत्री को दृष्टि में रखकर कुछ कहती हूँ, सुनिये । लोलुप व्यक्ति वन में रहकर धर्म का आचरण नहीं कर सकते और न ब्रह्मचारी या संन्यासी ही हो सकते हैं । 

 

🚩विज्ञान (आत्मज्ञान के अनुभव) के लिए धर्म को कारण कहा करते हैं, इस कारण संतजन धर्म को ही प्रधान मानते हैं । संतजनों के माने हुए एक ही धर्म से हम दोनों श्रेय मार्ग को पा गये हैं ।’’

 

🚩सावित्री के वचनों से प्रसन्न हुए यमराज से सावित्री ने अपने ससुर के अंधत्व-निवारण व बल-तेज की प्राप्ति का वर पाया । 

 

🚩सावित्री बोली : ‘‘संतजनों के सान्निध्य की सभी इच्छा किया करते हैं । संतजनों का साथ निष्फल नहीं होता, इस कारण सदैव संतजनों का संग करना चाहिए ।’’

 

🚩यमराज : ‘‘तुम्हारा वचन मेरे मन के अनुकूल, बुद्धि और बल वर्धक तथा हितकारी है । पति के जीवन के सिवा कोई वर माँग ले ।’’🚩सावित्री ने श्वशुर के छीने हुए राज्य को वापस पाने का वर पा लिया ।

 

🚩सावित्री : ‘‘आपने प्रजा को नियम में बाँध रखा है, इस कारण आपको यम कहते हैं । आप मेरी बात सुनें । मन-वाणी-अन्तःकरण से किसीके साथ वैर न करना, दान देना, आग्रह का त्याग करना – यह संतजनों का सनातन धर्म है । संतजन वैरियों पर भी दया करते देखे जाते हैं ।’’

 

🚩यमराज बोले : ‘‘जैसे प्यासे को पानी, उसी तरह तुम्हारे वचन मुझे लगते हैं । पति के जीवन के सिवाय दूसरा कुछ माँग ले ।’’

 

🚩सावित्री ने अपने निपूत पिता के सौ औरस कुलवर्धक पुत्र हों ऐसा वर पा लिया ।

 

🚩सावित्री बोली : ‘‘चलते-चलते मुझे कुछ बात याद आ गयी है, उसे भी सुन लीजिये । आप आदित्य के प्रतापी पुत्र हैं, इस कारण आपको विद्वान पुरुष ‘वैवस्वत’ कहते हैं । आपका बर्ताव प्रजा के साथ समान भाव से है, इस कारण आपको ‘धर्मराज’ कहते हैं । मनुष्य को अपने पर भी उतना विश्वास नहीं होता जितना संतजनों में हुआ करता है । इस कारण संतजनों पर सबका प्रेम होता है ।’’ 


🚩यमराज बोले : ‘‘जो तुमने सुनाया है ऐसा मैंने कभी नहीं सुना ।’’

प्रसन्न यमराज से सावित्री ने वर के रूप में सत्यवान से ही बल-वीर्यशाली सौ औरस पुत्रों की प्राप्ति का वर प्राप्त किया । फिर बोली : ‘‘संतजनों की वृत्ति सदा धर्म में ही रहती है । संत ही सत्य से सूर्य को चला रहे हैं, तप से पृथ्वी को धारण कर रहे हैं । संत ही भूत-भविष्य की गति हैं । संतजन दूसरे पर उपकार करते हुए प्रत्युपकार की अपेक्षा नहीं रखते । उनकी कृपा कभी व्यर्थ नहीं जाती, न उनके साथ में धन ही नष्ट होता है, न मान ही जाता है । ये बातें संतजनों में सदा रहती हैं, इस कारण वे रक्षक होते हैं ।’’

 

🚩यमराज बोले : ‘‘ज्यों-ज्यों तू मेरे मन को अच्छे लगनेवाले अर्थयुक्त सुन्दर धर्मानुकूल वचन बोलती है, त्यों-त्यों मेरी तुझमें अधिकाधिक भक्ति होती जाती है । अतः हे पतिव्रते और वर माँग ।’’ 

 

🚩सावित्री बोली : ‘‘मैंने आपसे पुत्र दाम्पत्य योग के बिना नहीं माँगे हैं, न मैंने यही माँगा है कि किसी दूसरी रीति से पुत्र हो जायें । इस कारण आप मुझे यही वरदान दें कि मेरा पति जीवित हो जाय क्योंकि पति के बिना मैं मरी हुई हूँ । पति के बिना मैं सुख, स्वर्ग, श्री और जीवन कुछ भी नहीं चाहती । आपने मुझे सौ पुत्रों का वर दिया है व आप ही मेरे पति का हरण कर रहे हैं, तब आपके वचन कैसे सत्य होंगे ? मैं वर माँगती हूँ कि सत्यवान जीवित हो जायें । इनके जीवित होने पर आपके ही वचन सत्य होंगे ।’’

 

🚩यमराज ने परम प्रसन्न होकर ‘ऐसा ही हो’ यह  कह  के  सत्यवान  को  मृत्युपाश  से  मुक्त कर दिया ।

 

🚩व्रत-विधि :-

 

🚩इसमें वटवृक्ष की पूजा की जाती है । विशेषकर सौभाग्यवती महिलाएँ श्रद्धा के साथ ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी से पूर्णिमा तक अथवा कृष्ण त्रयोदशी से अमावास्या तक तीनों दिन अथवा मात्र अंतिम दिन व्रत-उपवास रखती हैं । यह कल्याणकारक  व्रत  विधवा,  सधवा,  बालिका, वृद्धा, सपुत्रा, अपुत्रा सभी स्त्रियों को करना चाहिए ऐसा ‘स्कंद पुराण’ में आता है । 

 

🚩प्रथम दिन संकल्प करें कि ‘मैं मेरे पति और पुत्रों की आयु, आरोग्य व सम्पत्ति की प्राप्ति के लिए एवं जन्म-जन्म में सौभाग्य की प्राप्ति के लिए वट-सावित्री व्रत करती हूँ ।’

वट के  समीप भगवान ब्रह्माजी,  उनकी अर्धांगिनी सावित्री देवी तथा सत्यवान व सती सावित्री के साथ यमराज का पूजन कर ‘नमो वैवस्वताय’ इस मंत्र को जपते हुए वट की परिक्रमा करें । इस समय वट को 108 बार या यथाशक्ति सूत का धागा लपेटें । फिर निम्न मंत्र से सावित्री को अर्घ्य दें ।

 

🚩अवैधव्यं च  सौभाग्यं देहि  त्वं मम  सुव्रते । पुत्रान् पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तु ते ।।

निम्न श्लोक से वटवृक्ष की प्रार्थना कर गंध, फूल, अक्षत से उसका पूजन करें । 

वट  सिंचामि  ते  मूलं सलिलैरमृतोपमैः । यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोऽसि त्वं महीतले ।

तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पन्नं कुरु मां सदा ।। 

 

🚩भारतीय संस्कृति वृक्षों  में  भी  छुपी  हुई भगवद्सत्ता का ज्ञान करानेवाली, ईश्वर  की सर्वश्रेष्ठ कृति- मानव के जीवन में आनन्द, उल्लास एवं चैतन्यता भरनेवाली है । (स्त्रोत्र : संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित ऋषि प्रसाद पत्रिका से)


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Wednesday, May 31, 2023

वीरता की गाथा बच्चों को घरों और स्कूलों में सुनाई/पढ़ाई जानी चाहिए

 छत्रपति शिवाजी महाराज के वीर सुपुत्र शंभाजी राजे जैसे शूरवीरों की वीरता की गाथा बच्चों को घरों और स्कूलों में सुनाई/पढ़ाई जानी चाहिए। तो हर घर से वीर शंभाजी, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज , महारानी लक्ष्मीबाई जैसे सपूत जन्मेंगे...


31  May 2023

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🚩शंभाजी राजे ने अपनी अल्पायु में जो अलौकिक कार्य किए, उससे पूरा हिन्दुस्तान प्रभावित हुआ। इसलिए प्रत्येक हिन्दू को उनके प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए। उन्होंने साहस एवं निडरता के साथ औरंगजेब के आठ लाख सैनिकों का सामना किया तथा अधिकांश मुगल सरदारों को युद्ध में पराजित कर उन्हें भागने के लिए विवश कर दिया।


🚩24 से 32 वर्ष की आयु तक शंभुराजे ने मुगलों की पाशविक शक्ति से लड़ाइयाँ लड़ीं एवं एक बार भी यह योद्धा पराजित नहीं हुआ। जदपि औरंगजेब दीर्घकाल तक महाराष्ट्र में युद्धरत रहा तदापि उसके दबाव से संपूर्ण उत्तर भारत मुक्त रहा। इसे शंभाजी महाराज का सबसे बडा कार्य कहना पड़ेगा...


🚩यदि उन्होंने औरंगजेब के साथ समझौता किया होता अथवा उसका आधिपत्य स्वीकारा होता तो वह दो-तीन वर्षों में ही पुन: उत्तर भारत में आ धमकता । परंतु शंभाजी राजे के संघर्ष के कारण औरंगजेब को 27 वर्ष दक्षिण भारत में ही रुकना पड़ा । इससे उत्तर में बुंदेलखंड, पंजाब और राजस्थान में हिन्दुओं की नई सत्ताएं स्थापित होकर हिन्दू समाज को सुरक्षा मिली।


🚩कुछ कुत्सित मानसिकता से ग्रस्त लोग वीर शिवाजी के पुत्र वीर शम्भाजी को अयोग्य आदि की संज्ञा देकर  बदनाम करते हैं। जबकि सत्य ये है कि अगर वीर शम्भाजी कायर होते तो वे औरंगजेब की दासता स्वीकार कर इस्लाम ग्रहण कर लेते। वह न केवल अपने प्राणों की रक्षा कर लेते अपितु अपने राज्य को भी बचा लेते।



🚩वीर शम्भाजी का जन्म 14 मई 1657 को हुआ था। आप वीर शिवाजी के साथ अल्पायु में औरंगजेब की कैद में आगरे के किले में बंद भी रहे थे। आपने 11 मार्च 1689 को वीरगति प्राप्त की थी। इस लेख के माध्यम से हम शम्भाजी के जीवन बलिदान की घटना से धर्मरक्षा की प्रेरणा ले सकते हैं। इतिहास में ऐसे उदाहरण विरले ही मिलते हैं।


🚩जब औरंगजेब के जासूसों ने सूचना दी कि शम्भाजी इस समय अपने पांच-दस सैनिकों के साथ वारद्वारी से रायगढ़ की ओर जा रहे हैं। बीजापुर और गोलकुंडा की विजय में औरंगजेब को शेख निजाम के नाम से एक सरदार भी मिला जिसे उसने मुकर्रब की उपाधि से नवाजा था। मुकर्रब अत्यंत क्रूर और मतान्ध था। शम्भाजी के विषय में सूचना मिलते ही उसकी बांहे खिल उठी। वह दौड़ पड़ा रायगढ़ की ओर। शम्भाजी अपने मित्र कवि कलश के साथ इस समय संगमेश्वर पहुँच चुके थे। वह एक बाड़ी में बैठे थे कि उन्होंने देखा कवि कलश भागे चले आ रहे है और उनके हाथ से रक्त बह रहा है। कलश ने शम्भाजी से कुछ भी नहीं कहा बल्कि उनका हाथ पकड़कर उन्हें खींचते हुए बाड़ी के तलघर में ले गए परन्तु उन्हें तलघर में घुसते हुए मुकर्रब खान के पुत्र ने देख लिया था। शीघ्र ही मराठा रणबांकुरों को बंदी बना लिया गया। शम्भाजी व कवि कलश को लोहे की जंजीरों में जकड़ कर मुकर्रब खान के सामने लाया गया। वह उन्हें देखकर खुशी से नाच उठा। दोनों वीरों को बोरों के समान हाथी पर लादकर मुस्लिम सेना बादशाह औरंगजेब की छावनी की ओर चल पड़ी।


🚩औरंगजेब को जब यह समाचार मिला तो वह ख़ुशी से झूम उठा। उसने चार मील की दूरी पर उन शाही कैदियों को रुकवाया। वहां शम्भाजी और कवि कलश को रंग बिरंगे कपडे और विदूषकों जैसी घुंघरूदार लम्बी टोपी पहनाई गयी। फिर उन्हें ऊंट पर बैठा कर गाजे बाजे के साथ औरंगजेब की छावनी पर लाया गया। औरंगजेब ने बड़े ही अपशब्दों में उनका स्वागत किया। शम्भाजी के नेत्रों से अग्नि निकल रही थी परन्तु वह शांत रहे। उन्हें बंदीगृह भेज दिया गया। औरंगजेब ने शम्भाजी का वध करने से पहले उन्हें इस्लाम कबूल करने का न्योता देने के लिए रूहल्ला खान को भेजा।


🚩नर केसरी लोहे के सींखचों में बंद था। कल तक जो मराठों का सम्राट था। आज उसकी दशा देखकर करुणा को भी दया आ जाये। फटे हुए चिथड़ों में लिपटा हुआ उनका शरीर मिट्टी में पड़े हुए स्वर्ण के समान दैदिप्यमान हो रहा था ।

ऐसा प्रतीत हुआ मानो , उन्हें दिव्य रूप में खड़े हुए छत्रपति शिवाजी महाराज टकटकी बांधे हुए देख रहे थे।

पिताजी !... पिताजी !  वे सहसा चिल्ला उठे- मैं आपका पुत्र हूँ। निश्चिंत रहिए। मैं मर जाऊँगा लेकिन…


🚩लेकिन क्या शम्भा जी …रूहल्ला खान ने एक ओर से प्रकट होते हुए कहा-

तुम मरने से बच सकते हो शम्भाजी परन्तु एक शर्त पर।


🚩शम्भाजी ने उत्तर दिया- मैं उन शर्तों को सुनना ही नहीं चाहता। शिवाजी का पुत्र मरने से कब डरता है।


🚩लेकिन जिस प्रकार तुम्हारी मौत यहाँ होगी उसे देखकर तो खुद मौत भी थर्रा उठेगी शम्भाजी- रुहल्ला खान ने कहा।

🚩कोई चिंता नहीं, उस जैसी मौत भी हम हिन्दुओं को नहीं डरा सकती। संभव है कि तुम जैसे कायर ही उससे डर जाते होगे । – शम्भाजी ने उच्च स्वर में उत्तर दिया।


🚩लेकिन… रुहल्ला खान बोला, वह शर्त है बड़ी मामूली। तुझे बस इस्लाम कबूल करना है। तेरी जान बक्श दी जाएगी। शम्भाजी बोले- बस रुहल्ला खान आगे एक भी शब्द मत निकालना मलेच्छ। रुहल्ला खान अट्टहास लगाते हुए वहाँ से चला गया।


🚩उस रात लोहे की तपती हुई सलाखों से शम्भाजी की दोनों आँखे फोड़ दी गयी उन्हें खाना और पानी भी देना बंद कर दिया गया।

आखिर 11 मार्च को वीर शम्भा जी के बलिदान का दिन आ गय। सबसे पहले शम्भाजी का एक हाथ काटा गया, फिर दूसरा, फिर एक पैर को काटा गया और फिर दूसरा पैर। शम्भाजी का करपाद विहीन धड़ दिन भर खून की तलैय्या में तैरता रहा। फिर सांयकाल में उनका सर काट दिया गया और उनका शरीर कुत्तों के आगे डाल दिया गया। फिर भाले पर उनके सिर को टांगकर सेना के सामने उसे घुमाया गया और बाद में कचरे में फेंका गया।


🚩मराठों ने अपनी छातियों पर पत्थर रखकर अपने सम्राट के शौर्यशाली मस्तक का इंद्रायणी और भीमा के संगम पर तुलापुर में दाह-संस्कार किया। आज भी उस स्थान पर शम्भाजी की समाधि है , जो पुकार पुकार कर वीर शम्भाजी की याद दिलाती है कि हम सर कटा सकते हैं पर अपना प्यारा वैदिक धर्म कभी नहीं छोड़ सकते ।


🚩मित्रों, शिवाजी के तेजस्वी पुत्र शंभाजी के अमर बलिदान की यह गाथा हिन्दू माताएं अपनी लोरियों में बच्चों को सुनायें तो हर घर से महाराणा प्रताप और शिवाजी जैसे महान वीर जन्मेंगे। इतिहास के इन महान वीरों के बलिदान के कारण ही आज हम गर्व से अपने आपको श्री राम और श्री कृष्ण की संतान कहने को सज्ज हैं। आइए, आज हम प्रण लें- हम उन्हीं वीरों के पथ के अनुगामी बनेंगे।


🚩शायर योगेश के शब्दों में …


🚩‘देश धरम पर मिटनेवाला शेर शिवा का छावा था ।

महापराक्रमी परम प्रतापी एक ही शंभू राजा था ।।१।।


🚩तेजपुंज तेजस्वी आंखें निकल गईं पर झुका नहीं।

दृष्टि गई पर राष्ट्रोन्नति का दिव्य स्वप्न तो मिटा नहीं।।२।।


🚩दोनों पैर कटे शंभू के ध्येय मार्गसे हटा नहीं।

हाथ कटे तो क्या हुआ सत्कर्म कभी भी छुटा नहीं।।३।।


🚩जिह्वा काटी रक्त बहाया धरम का सौदा किया नहीं।।

शिवाजी का ही बेटा था वह गलत राहपर चला नहीं।।४।।


🚩रामकृष्ण, शालिवाहन के पथ से विचलित हुआ नहीं।।

गर्व से हिन्दू कहलाने में वह कभी किसी से डरा नहीं।।


🚩वर्ष तीन सौ बीत गए अब शंभू के बलिदान को ।

कौन जीता कौन हारा पूछ लो संसार को।।५।।


🚩कोटि-कोटि कंठों में तेरा आज गौरवगान है।

अमर शंभू तू अमर हो गया तेरी जय जयकार है।।६।।


🚩भारतभूमि के चरणकमल पर जीवन पुष्प चढाया था।

है दूजा दुनिया में कोई, जैसा शंभू राया था ।।७।।’


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Tuesday, May 30, 2023

भारत के अलावा पूरे विश्व में ऐसा देश नहीं जहाँ बहुसंख्यक समुदाय की अवहेलना कर अल्पसंख्यक समुदाय को सरकारी सुविधाओं का लाभ दिया जाता हो

 उत्तर कोरिया में 70,000 इसाई , जेलों में तरह-तरह की प्रताड़ना झेलने को मजबूर...

चीन में 10 लाख मुस्लिम देश विरोधी गतिविधियों के चलते जेलों में ठूँस दिए गए...


भारत के अलावा पूरे विश्व में दूसरा कोई भी देश ऐसा नहीं है , जहाँ बहुसंख्यक समुदाय की अवहेलना कर के अल्पसंख्यक समुदाय को सरकारी सुविधाओं का लाभ दिया जाता हो। जबकि यहाँ तो आए दिन हिन्दुओं को अपने मौलिक अधिकारों के लिए भी संघर्ष करने पड़ते हैं ।


30  May 2023

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🚩भारत देश हिन्दू बाहुल्य देश है , फिर भी यहाँ अन्य मजहबों व पंथों के लोगों को हिन्दुओं की अपेक्षाकृत सरकारी योजनाओं का लाभ प्राथमिकता पर मिलता है। यहां तक कि ये इसाई मिशनरीज भारत में हिन्दुओं का धर्मांतरण करते हैं , फिर भी उनपर कोई कड़ी कार्यवाही नहीं होती है । इतना ही नहीं किसी दोषी अल्पसंख्यक को यदि कोई थप्पड़ भी मार दे , तो मीडिया, तथाकथित समाज सेवक , सेक्युलर बुद्धिजीवी , वामपंथी आदि शोर मचाना शुरू कर देते हैं ।


🚩लेकिन चीन में 10 लाख मुस्लिमों को जेल में रखकर प्रताड़ित किया जा रहा है। उत्तर कोरिया में भी 70,000 इसाई समुदाय के लोगों को जेल में रखा गया है , फिर भी उसपर चूं तक करने की हिम्मत किसी की भी नहीं होती है।



🚩भारतीय सनातन संस्कृति महान है और विधर्मी किसी भी कीमत पर इसे नष्ट-भ्रष्ट करके भारत को गुलाम बनाना चाहते हैं । हिन्दू स्वभाव से ही सहिष्णु होते हैं, इसलिए उसका फायदा उठाकर भारतीयों की संस्कृति के प्रति आस्था व विश्वास को तोड़ने के लिए राष्ट्र विरोधी ताकतें भारत में कार्यरत हैं।


🚩एक अंतरराष्ट्रीय जाँच रिपोर्ट में सामने आया है, कि उत्तर कोरिया में इसाइयों पर अत्याचार हो रहा है। एक बच्चे को सिर्फ इसलिए आजीवन कारावास की सज़ा दे दी गई, क्योंकि उसके माता-पिता के पास बाइबिल मिली थी। अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट के ‘इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम रिपोर्ट’ में ये तथ्य सामने आए हैं।

इसी क्रम में एक 2 साल के बच्चे को परिवार सहित जेल में ठूँस दिया गया। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार... उत्तर कोरिया में इसाई मजहब का अनुसरण करने वालों को ( धर्मांतरित होने वालों को ) मार डालते हैं।


🚩गौरतलब है कि वहाँ इसाई मजहब का अनुसरण करने वालों को एक विशेष प्रकार का ‘Pigeon Torture’ की सज़ा दी जा रही है। इसके तहत उनके दोनों हाथों को ऊपर उनकी पीठ की तरफ कर के बाँध दिया जाता है और कई दिनों तक उन्हें खड़ा रखा जाता है। एक पीड़ित ने बताया , कि ये सब इतना दर्दनाक था , कि उसे मौत को गले लगाना इससे बेहतर लगा। 2020 में एक महिला को तो जेल में सोने ही नहीं दिया गया । अंततः उसे आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ा।


🚩उत्तर कोरिया में इसाइयों की जनसंख्या 4 लाख बताई जा रही है, जिनमें से 70,000 को अब तक जेल में बंद किया जा चुका है। इसाइयों को अपने बच्चों से भी अपना मजहब छुपाना पड़ रहा है। ‘Open Door USA (ODUSA)’ नामक NGO ने कहा कि देश में इसाई सुरक्षित नहीं हैं । ‘कोरिया फ्यूचर’ नामक संस्था ने कहा , कि बच्चों को स्कूलों में इसाई मिशनरियों की करतूतों के बारे में पढ़ाया जाता है । जैसे – बलात्कार, खून पीना, मानव अंगों की तस्करी, हत्या और जासूसी आदि ।


🚩पुस्तकों के जरिए बच्चों को बताया जा रहा है , कि कैसे पादरी चर्च के एक गुप्त हिस्से में ले जाकर बच्चों का खून निकाल लेते हैं। ऐसा सब इसलिए हो रहा है कि , इसाइयों को किम जोंग उन की सत्ता के लिए खतरे के रूप में देखा जा रहा है। चर्च के पास से गुजरने वालों को भी नहीं छोड़ा जाता है। चर्च का संगीत सुनने वालों को गिरफ्तार कर लिया जाता है। चर्च में केवल बुजुर्ग ही दिखते हैं। इसाई संस्थाओं का कहना है कि इस मजहब के लोग उत्तर कोरिया में खतरे में हैं और खत्म हो सकते हैं। बता दें , कि नॉर्थ कोरिया मुख्यतः नास्तिक देश है।


🚩विश्व में भारत के सिवाय ऐसा कोई देश नहीं है , जो बहुसंख्यक समुदाय को छोड़कर अल्पसंख्यक समुदाय को सरकारी सुविधा का लाभ पहले देता हो ।


🚩विड़बना यह है , कि भारत में तो आए दिन हिन्दू अपने ही मूलभूत अधिकारों के लिए संघर्ष करता हुआ दिख जाता है। कभी वह मंदिरों को सरकार के चंगुल से मुक्त कराने के लिए लड़ाई लड़ता है । तो कभी वह अपनी बेटियों को लव या यूँ कहें कि ग्रूमिंग जिहाद से बचाने के लिए संघर्ष करता हुआ नज़र आता है।

कभी वह कश्मीर से भगा दिया जाता है, कभी बंगाल से, तो कभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वह मारा जाता है। वह छोटी-छोटी बातों के लिए सरकार का मुंह ताकता है और फिर उसे ही भगवा आतंकी और असहिष्णु दोनों साबित कर दिया जाता है।


🚩 बहुसंख्यक समुदाय के मन की बात...

भारत में हिन्दुओं को ज्यादा ना सही पर कम से कम सभी धर्मावलम्बियों के समान अधिकार तो मिलें ऐसा कानून तो ज़रूर और जल्द से जल्द आना चाहिए ।


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Monday, May 29, 2023

गंगा दशहरा का महत्व क्या है और क्यों मनाया जाता हैं ? जानिए

29  May 2023

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🚩गंगाजी की वंदना करते हुए कहा गया है :

संसारविषनाशिन्यै जीवनायै नमोऽस्तु ते । तापत्रितयसंहन्त्र्यै प्राणेश्यै ते नमो नमः ।।

‘देवी गंगे ! आप संसाररूपी विष का नाश करनेवाली हैं। आप जीवनरूपा हैं। आप आधिभौतिक,आधिदैविक और आध्यात्मिक तीनों प्रकार के तापों का संहार करनेवाली तथा प्राणों की स्वामिनी हैं। आपको बार-बार नमस्कार है।’


🚩भारतीयों के लिये गंगा केवल जलस्त्रोत नहीं ब्लिक इससे बढ़कर है। गंगाजल को बहुत पवित्र माना जाता है और इसका उपयोग सभी हिंदू अनुष्ठानों के लिए करते हैं। गंगा नदी पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक और आर्थिक रूप से भारतीयों के लिए बहुत अधिक मूल्य रखती है।



🚩क्यूँ मनाया जाता है गंगा दशहरा... 


🚩देवी गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए ऋषि भागीरथ को ध्यान में कई साल लग गए। यह वह दिन है जिस दिन गंगा नदी स्वर्ग से पृथ्वी पर ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को हस्त नक्षत्र में उतरी थी। इसलिए इस त्योहार को गंगा दशहरा के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ है गंगा का अवतरण।


🚩गंगा दशहरा कब आता है


🚩यह त्यौहार अमावस्या से शुरू होता और दस दिनों के लिए मनाया जाता है यानि शुक्ल दशमी पर समाप्त होता है। यह ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मई या जून के महीने से मेल खाता है। गंगा जिसे स्वर्ग से उतरने वाली आकाशीय नदी के रूप में माना जाता है, भारत में सबसे पवित्र नदी है और गंगा में एक पवित्र डुबकी सभी प्रकार के पापों को मिटा सकती है। यह त्यौहार बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्यों में बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है।


🚩गंगा दशहरा का महत्व -


🚩गंगा दशहरा के महत्व की गाथा अनंत है। ऐसा कहा जाता है कि गंगा में एक डुबकी का बाद, आपका मन स्पष्ट और शांत हो जाता है। और आजकल की तेज रफ्तार जीवन में यह आवश्यक हो चुका है।  अधिकांश तीर्थयात्री हमेशा इस भावना को घर वापस ले जाते हैं। हिंदुओं की पवित्र नदी गंगा भारतीय के लिए एक विशेष स्थान रखती है। गंगा को भारत में सबसे पवित्र नदी माना जाता है। इस नदी की पूजा इस विश्वास के साथ की जाती है कि देवी गंगा मानव जाति के सभी पापों को धो सकती हैं। दशहरा नाम दश से आता है जिसका अर्थ है दस और हारा जो हार को जीतता है।


🚩इस प्रकार, यह माना जाता है इस दिन गंगा में स्नान, अन्न-वस्त्रादि का दान, जप-तप-उपासना और उपवास किया जाय तो 10 प्रकार के पाप (3 प्रकार के कायिक, चार प्रकार के वाचिक और तीन प्रकार के मानसिक) से मुक्ति मिलती हैं।


🚩गंगा नदी उत्तर भारत की केवल जीवनरेखा नहीं, अपितु हिंदू धर्म का सर्वोत्तम तीर्थ है। ‘आर्य सनातन वैदिक संस्कृति’ गंगा के तट पर विकसित हुई, इसलिए गंगा हिंदुस्तान की राष्ट्ररूपी अस्मिता है एवं भारतीय संस्कृति का मूलाधार है। इस कलियुग में श्रद्धालुओं के पाप-ताप नष्ट हों, इसलिए ईश्वर ने उन्हें इस धरा पर भेजा है। वे प्रकृति का बहता जल नहीं; अपितु सुरसरिता (देवनदी) हैं। उनके प्रति हिंदुओं की आस्था गौरीशंकर की भांति सर्वोच्च है। गंगाजी मोक्षदायिनी हैं इसीलिए उन्हें गौरवान्वित करते हुए पद्मपुराण में (खण्ड ५, अध्याय ६०, श्लोक ३९) कहा गया है, ‘सहज उपलब्ध एवं मोक्षदायिनी गंगाजी के रहते विपुल धनराशि व्यय (खर्च) करनेवाले यज्ञ एवं कठिन तपस्या का क्या लाभ ?’ नारदपुराण में तो कहा गया है, ‘अष्टांग योग, तप एवं यज्ञ, इन सबकी अपेक्षा गंगाजी का निवास उत्तम है । गंगाजी भारत की पवित्रता का सर्वश्रेष्ठ केंद्र बिंदु हैं, उनकी महिमा अवर्णनीय है।’


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Sunday, May 28, 2023

पाकिस्तान में 14000 हिन्दू लड़कियों का अपहरण, आत्महत्या को मजबूर हुए हिन्दू....

28  May 2023

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🚩पाकिस्तान वहाँ के हिंदुओं के लिए नर्क से कम नहीं है। हिंदू समुदाय की लड़कियों का अपहरण और उनका इस्लाम में धर्मांतरण रोजमर्रा की बात हो गई है। इससे तंग आकर हिंदू समुदाय के लोग किसी कीमत पर पाकिस्तान छोड़ना चाहते हैं। हालाँकि, भारत का वीजा नहीं मिलने के कारण हिंदू समुदाय के कई लोगों द्वारा आत्महत्या कर ली गई।


🚩सिंध में गड़िया लुहार सहायता कमेटी के चेयरमैन मांजी लुहार उर्फ काका का कहना है कि पिछले छह माह में उनके चार परिचित हिंदुओं ने आत्महत्या कर ली। ये लोग भारत आना चाह रहे थे, लेकिन उन्हें वीजा नहीं दिया जा रहा हथा। पाकिस्तान में ऐसे सैकड़ों हिंदू परिवार हैं, जिन्हें भारत आने का वीजा नहीं मिल रहा और पाकिस्तान में उनके परिवार की अस्मत खतरे में पड़ गई है।



🚩भास्कर की खबर के मुताबिक, सिंध स्थित मीरपुर खास के मोहन भारत के जैसलमेर आना चाहते थे, लेकिन तीन साल से उन्हें वीजा नहीं मिल रहा है। इससे तंग आकर उन्होंने जहर खा लिया। ऐसे ही कच्छभूरी की एक हिंदू बुजुर्ग महिला ने फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली।


🚩पाकिस्तान से विस्थापित होकर राजस्थान के जयपुर में रह रहे गणेश रीको में कपड़ों की कटिंग करने का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि उनके मौसा पाकिस्तान के रहीमयार खान में मजदूरी करते हैं। उनकी 6 बेटियाँ हैं। उनमें से तीन बेटियों का कट्टरपंथी मुस्लिमों ने जबरन इस्लाम में धर्मांतरित कर दिया, जबकि एक की हत्या कर दी। गणेश 10 साल पहले मौका पाकर भारत आ गए।



🚩पाकिस्तान के ही कोटगुलाम में रहने वाले विष्णुराम की बेटी 9वीं में पढ़ती थी। इलाके के कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम उसे उठा ले गए। पिता के बहुत भागदौड़ करने के बाद भी उनकी बेटी नहीं मिली। ऐसे कई लोग हैं, जिनकी बहन-बेटियों को कट्टरपंथियों द्वारा जबरन उठा लिया गया। ये आवाज तो उठाते हैं, लेकिन पुलिस से लेकर न्यायपालिका तक में उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया जाता।


🚩कुछ ऐसी ही कहानी राव परिवार की है। मीरपुर खास के रहने वाला राव परिवार तीन माह पहले ही पाकिस्तान से मारवाड़ पहुँचा है। राव परिवार का कहना है कि उनकी बहन का भी जबरन धर्म परिवर्तन कर दिया गया। इससे परिवार इतना डर गया कि अपना सब कुछ छोड़कर भारत आ गया।


🚩राव परिवार के लोगों का कहना है कि उनकी बहन अब किस हालत में है, यह उन्हें या उनके परिवार के किसी को पता नहीं है। सामाजिक कार्यकर्ता रोशन भील कहते हैं कि ऐसा हर परिवार अतीत भूलना चाहता है, पर ऐसा होता नहीं है। पाकिस्तान में पिछले 12 सालों में 14,000 हिंदू लड़कियों का अपहरण, जबरन धर्मांतरण और गैंगरेप की घटनाएँ सामने आई हैं।


🚩पाकिस्तानी कट्टरपंथियों के अत्याचारों से परेशान वहाँ के हिंदुओं ने भारत सरकार से शरण देने की अपील की है। उन्होंने भारत आने वाले हिंदू परिवारों को वीसा उपलब्ध कराने का आग्रह किया है। इसके साथ ही जो परिवार भारत में हैं, उन्हें पाकिस्तान नहीं भेजने की भी अपील की है।


🚩बताते चलें कि पाकिस्तान से भारत आने वाले इन हिंदुओं की समस्याएँ कम नहीं हुई हैं। जैसलमेर की कलेक्टर टीना डाबी के आदेश पर 16 मई 2023 को प्रशासन ने पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों के घरों को गिरा दिया। इसकी हर तरफ आलोचना तीखी आलोचना हुई। इसके बाद टीना डाबी ने इन विस्थापितों के पुनर्वास के लिए 40 बीघा जमीन आवंटित किया।


🚩मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि बीते 50 सालों में पाकिस्तान में बसे 90 प्रतिशत हिंदू देश छोड़ चुके हैं। धीरे-धीरे उनके पूजा स्थल और मंदिर भी नष्ट किए जा रहे हैं। 95 प्रतिशत हिंदू मंदिर नष्ट कर दिए गए हैं। हिंदुओं की संपत्ति पर जबरन कब्जे के कई मामले सामने आ रहे हैं। हिंदुओं की नाबालिग लड़कियों को जबरदस्ती उठाकर शादी कर लेते हैं और उनका धर्म परिवर्तन करवा देते हैं।

 

🚩पाकिस्तान में हिन्दू मंदिर तोड़े जाते हैं। हिन्दू महिलाओं के साथ दुष्कर्म किये जाते हैं। यहाँ तक कि उठाकर मुस्लिम बना दिया जाता है, श्मशान घाट तक नहीं है, हिन्दुओं की हत्याएं की जाती हैं। हिन्दुओं पर इतना अत्याचार किया जाता है फिर भी उनके लिए कोई आवाज उठाने के लिए तैयार नहीं है।


🚩भारत में किसी एक मुस्लिम को थप्पड़ भी मार दिया जाए तो तथाकथित बुद्धिजीवी, सेक्युलर, मानव संगठन, मीडिया हल्ला करने लगते हैं और साथ में सरकार व न्यायालय तुरंत कार्यवाही करते हैं, पर बड़ी विडंबना है कि पाकिस्तान में लाखों हिन्दू भयंकर अत्याचार से गुजर रहे हैं, पर किसी के पेट का पानी तक नहीं हिल रहा है।


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Friday, May 26, 2023

UP में 4000 मदरसों को मिल रहे विदेशी फंड

 कट्टरपंथ का पोषण कर आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले 4000 मदरसों को , बांग्लादेश से लेकर अरब के कई देश तक कर रहे हैं फंडिंग...

चौंकाने वाला तथ्य यह है , कि ये आंकड़े पूरे भारत के नहीं सिर्फ उत्तर प्रदेश के मदरसों के हैं , जो विदेशी फंडिंग से संचालित होते हैं।


26  May 2023

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🚩देश को बाहरी आतंकवादियों से इतना खतरा नही जितना इन कट्टरपंथियों से है ।  विदेशी फंड से जितने भी मदरसे और मस्जिदें चल रहे हैं उसमें कट्टरपंथ की शिक्षा दी जाती है ।



🚩उत्तर प्रदेश के 4000 मदरसों को विदेशी फंडिंग मिलने की बात सामने आई है। बता दें कि नवंबर 2022 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की सरकार ने मदरसों का सर्वेक्षण कराया था, जिसमें 8441 मदरसे अवैध मिले थे। अब परीक्षाएँ खत्म हो गई हैं, ऐसे में राज्य का अल्पसंख्यक विभाग कार्रवाई करने में जुट गया है। अधिकतर मदरसा संचालकों ने जकात ( यानी मुस्लिमों द्वारा दिया जाने वाला दान ) को ही अपनी आय का प्रमुख स्रोत बताया था।



🚩अब शुरुआती जाँच में सामने आया है कि नेपाल और बांग्लादेश के अलावा अरब के मुल्कों से भी फंडिंग आ रही है।

" गरीब मुस्लिमों को मुख्य धारा से जोड़ने की बात करते हुए अल्पसंख्यक विभाग के मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि मौलवी बनने से उनका भला नहीं होगा । उन्हें NCERT की किताबें पढ़नी पड़ेगी । उन्होंने कहा कि इससे मुस्लिमों के बच्चे भी अधिकारी बनेंगे । "


🚩बता दें कि पिछले साल 10 सितंबर से लेकर 15 नवंबर तक मदरसों का सर्वे हुआ था, जिसे 30 नवंबर तक बढ़ा दिया गया था। 2017 से मदरसों को मान्यता देनी भी बंद कर दी गई है ।

इसका कारण है , उनका मानकों पर खड़ा न उतरना...



🚩यूपी में वर्तमान समय में 15,613 मदरसे संचालित हैं। जिनमें से कइयों का कहना है , कि कागज देने के बावजूद मान्यता न मिलने के कारण वो दीनी तालीम देने के लिए मदरसे चला रहे हैं। खासकर सीमावर्ती जिलों के मदरसों में फंडिंग में यह गड़बड़ी हो रही है।


🚩ये जिले हैं – महाराजगंज, पीलीभीत, लखीमपुर, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर और सिद्धार्थनगर। इन मदरसों के पास आय के स्रोत को लेकर कोई स्पष्ट कागज़ात नहीं हैं । मदरसों को कह दिया गया है , कि भले ही वो उर्दू में पढ़ाएँ, लेकिन NCERT पढ़ाना ही पड़ेगा। अब ऐसे मदरसों पर क़ानूनी शिकंजा कसा जाएगा ।


🚩सर्वे में मुख्यतः 12 सवाल पूछे गए थे। जिन पर पूरा स्पष्टीकरण नहीं मिला है । मदरसों को कम्प्यूटर से जोड़ने को लेकर भी योगी सरकार प्रयासरत है और जो मदरसे मानकों को पूरा कर रहे हैं उन्हें मान्यता देने में कोई परहेज भी नहीं किया जाएगा ।


🚩उत्तर प्रदेश सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर प्राथमिक मदरसों को बंद करने को कहा था । वसीम रिज़वी ने लिखा था कि , “मदरसों में बच्चों को बाकियों से अलग कर कट्टरपंथी सोच के तहत तैयार किया जाता है । यदि प्राथमिक मदरसे बंद ना हुए तो 15 साल में देश का आधे से ज्यादा मुसलमान ISIS का समर्थक हो जाएगा । उन्‍होंने इसके बजाय हाई स्कूल के बाद धार्मिक तालीम के लिए मदरसे जाने के विकल्प का सुझाव दिया । कोई भी मिशन आगे बढ़ाने के लिए बच्चों का सहारा लिया जाता है और हमारे यहां भी ऐसा ही हो रहा है ! ये देश के लिए भी खतरा है । "



🚩देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इन मदरसों और मस्जिदों को बंद कर देना चाहिए । प्रदेश की जनता उत्तर प्रदेश सरकार को इस कार्यवाई की शुरुआत के लिए धन्यवाद देती है और शीघ्रातीशीघ्र यह लागू हो ऐसी मांग करती है ।


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