Friday, July 28, 2023

UCC के विरोध में मुस्लिम लीग की केरल में रैली

बोले ‘तुम्हें तुम्हारे ही मंदिरों में जिंदा लटका/जला देंगे’...

28 July 2023

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🚩हिन्दू समाज की हालत उसी के देश में जंजीरों से बंधे बकरे के जैसी है। जो दूसरे बकरे के हलाल होने पर खुश होता है। लेकिन कभी उसकी भी बारी आ सकती है , ये वो खुद भूल जाता है।


🚩आज कुछ इसी प्रकार की गलतफहमी हिन्दू समाज को हो गई है। ज्यादातर हिंदुओं को ऐसा लगता है कि वे सुरक्षित है और सदा रहेंगे। इस व्यवस्था पर उनकी पकड़ है, पहुँच है, इसलिए बाकी लोगों को परेशानी होगी भी,  तब भी उन्हें कुछ नहीं होगा।


🚩1947 में पाकिस्तान और बांग्लादेश से हिन्दुओं को भागना पड़ा। तब भी भारत के हिंदुओं को लगा कि वे सुरक्षित है। उन्हें कुछ नहीं होगा। कश्मीर से हिन्दू पंडितों को भागना पड़ा। देश के हिंदुओं ने कुछ नहीं किया। उन्हें लगा वे सुरक्षित है। उन्हें कुछ नहीं होगा। पूरा पूर्वोत्तर ईसाई बन गया। तब भी भारत के हिंदुओं को लगा कि वे सुरक्षित है। उनको* कुछ नहीं होगा। 


🚩छत्तीसगढ़,झारखण्ड, राजस्थान, गुजरात के गरीब आदिवासी ईसाई बन गए। तब भी भारत के हिंदुओं को लगा कि वे सुरक्षित है। उनका कुछ नहीं होगा। पंजाब के सिक्ख ( हिन्दू) और उत्तरांचल के पहाड़ी हिन्दू भी ईसाई बना दिए गए। तब भी भारत के हिंदुओं को लगा कि वे सुरक्षित है। उनका कुछ नहीं होगा। बंगाल और आसाम से हिंदुओं को बांग्लादेशी मुसलमानों ने आकर अल्पसंख्यक बना दिया। तब भी हिंदुओं को लगा कि वे सुरक्षित है। उनका कुछ नहीं होगा। उत्तर प्रदेश के कैराना,शामली, मेरठ, संभल, बिजनौर, मुरादाबाद, सहारनपुर, देवबंद आदि मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में लव जिहाद और दंगों से हिंदुओं का जीना दुर्भर हो गया। तब भी हिंदुओं को लगा कि वे सुरक्षित है। उनका कुछ नहीं होगा।


🚩हिंदू समाज को केरल की रैली से समझाना चाहिए क्योंकि उनका एजेंडा फिक्स है काफिरों को खत्म करना अब रैली के बारे में भी पढ़ लीजिए इससे काफी समझ में आ जायेगा।


🚩केरल में ‘समान नागरिक संहिता (UCC)’ के खिलाफ आयोजित एक रैली में हिन्दू विरोध नारेबाजी की गई है। ‘मुस्लिम यूथ लीग’ की रैली में इस तरह की हरकत की गई। संगठन ने अपने एक नेता के निलंबन का ऐलान किया है। भाजपा ने इस घटना की निंदा की है। कन्हागड़ निवासी अब्दुल सलाम को इसके लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है। MYL ने अब डैमेज कंट्रोल के लिए बयान जारी करते हुए कहा है कि ये एक अक्षम्य गलती है।


🚩घटना कासरगोड जिले की है। ‘मुस्लिम यूथ लीग’ ने UCC के खिलाफ एक रैली का आयोजन किया था। इसी में भड़काऊ नारे लगे। बता दें कि ये संगठन IUML का यूथ विंग है। IUML (इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग) केरल में कॉन्ग्रेस की गठबंधन साझीदार है। वायनाड लोकसभा क्षेत्र से राहुल गाँधी ने जब चुनाव लड़ा था, तब IUML का समर्थन मिला था और इसके चाँद-तारे वाले हरे रंग के झंडों के साथ मुस्लिम कैडर सड़क पर भी उनके समर्थन में उतरे थे। ये राजनीतिक दल विपक्षी गठबंधन ‘I.N.D.I.A’ का भी हिस्सा है।


🚩नारेबाजी के दौरान हिन्दुओं को धमकी दी गई कि उन्हें उनके मंदिरों के सामने ही फाँसी पर लटका दिया जाएगा और या जिंदा जला दिया जाएगा। भाजपा नेता अमित मालवीय ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि अगर केरल में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की सरकार का ऐसे तत्वों को समर्थन नहीं रहता, तो इस तरह के नारे नहीं लगते। उन्होंने पूछा कि, क्या केरल में हिन्दू और ईसाई सुरक्षित हैं? उन्होंने याद दिलाया कि कुछ ही महीनों पहले एक बच्चे ने अपने पिता के कंधे पर चढ़ कर नारा लगाया था कि हिन्दू-ईसाई अपने अंतिम संस्कार की तैयारी कर लें।


🚩अमित मालवीय ने कहा कि , केरल अब पूरी तरह कट्टरता की ओर अग्रसर है। ‘तुम्हें तुम्हारे मंदिरों में ही लटका देंगे’ और ‘तुम्हें जला देंगे’ जैसे नारों की निंदा करते हुए केरल भाजपा ने कहा कि राहुल गाँधी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। वहीं विवाद होने के बाद संगठन के जनरल सेक्रेटरी पीके फिरोज ने इसे संगठन की विचारधारा के खिलाफ बताते हुए एक सदस्य के निलंबन की घोषणा की। हालाँकि, रैली में कई लोग भड़काऊ नारेबाजी करते हुए देखा जा सकते हैं।


🚩पिछले 1200 वर्षों से हिन्दू समाज पहले मुसलमानों, फिर इसाईयों से पिटता आया। फिर भी हिंदुओं को कुछ पता नहीं क्यों कोई असर नहीं लग रहा। यही हाल रहा तो... अगले कुछ दशकों में श्री राम और श्री कृष्ण की संतानें अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष करेगी !!

जातिवाद, भाषावाद, प्रांतवाद, धार्मिक अन्धविश्वास, ऊँच-नीच के नाम पर विभाजित हिन्दू समाज को ईश्वर सदबुद्धि दे।

हिंदुओं अब तो संगठित हो जाओ!


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Thursday, July 27, 2023

बॉलीवुड ने भारत को इतना सब कुछ दिया है, तभी तो आज देश यहाँ है ......

27 July 2023

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🚩1. बलात्कार गैंग रेप करने के तरीके।

2. विवाह किये बिना लड़का लड़की का शारीरिक सम्बन्ध बनाना।

3. विवाह के दौरान लड़की को मंडप से भगाना।

4. चोरी डकैती करने के तरीके।

5. भारतीय संस्कारों का उपहास उड़ाना।

6. लड़कियो को छोटे कपडे पहने की सीख देना....जिससे फैशनेबुल और मॉडर्न दिखा सकें खुद को ।

7. दारू, सिगरेट, चरस ,गांजा कैसे पिया और लाया जाये।

8. गुंडागर्दी कर के हफ्ता वसूली करना।

9. हिन्दुओं के भगवान / संतों का मजाक बनाना और अपमानित करना।

10. पूजा पाठ यज्ञ करना पाखण्ड है व नमाज पढ़ना ईश्वर की सच्ची पूजा है।

11. भारतीयों को अंग्रेज बनाना।बोलचाल, उठना बैठना सभी में भारतीय तरीको को पुराने दकियानूसी बता कर , विदेशी अंधानुकरण करना।

12. भारतीय संस्कृति को मूर्खता पूर्ण बताना और पश्चिमी संस्कृति को श्रेष्ठ बताना।

13. बूढ़े माँ बाप को वृद्धाश्रमों में छोड़ के ,खुद चैन से मनमाना जीवन जीना।

14.  दुःखी, चिंतित, व्यथित, परेशान हो तो...नशा करना,उसी में डूब जाना।

15. दाल,रोटी खाना ओल्ड फैशन्ड, बल्कि रेस्टोरेंट में पिज़्ज़ा बर्गर कोल्ड ड्रिंक और नॉन वेज खाना श्रेष्ठ है।

16. पंडित जनों को जोकर के रूप में दिखाना, चोटी रखना या यज्ञोपवीत पहनना मूर्खता है। मगर बालो के अजीबोगरीब स्टाइल (गजनी) रखना व क्रॉस पहनना श्रेष्ठ है उससे आप सभ्य लगते है।


🚩हमारे देश की युवा पीढ़ी बॉलीवुड को और उसके अभिनेता और अभिनेत्रियों का अपना आदर्श मानती है।


🚩अगर यही बॉलीवुड देश की संस्कृति व सभ्यता की महानता दिखाए ..तो सत्य मानिये हमारी युवा पीढ़ी अपने रास्ते से कभी नही भटकेगी...


🚩समझिये ..जानिए और आगे बढिए...


🚩ये संदेश उन हिन्दू लड़कों के लिए है... जो फिल्में देखने के बाद गले में क्रॉस , मुल्ले जैसी छोटी सी दाड़ी रख कर खुद को मॉडर्न समझते हैं। हिन्दू नौजवानौं के रगो में धीमा जहर भरा जा रहा है इस फिल्मी जेहाद के द्वारा।


🚩विरोधाभास के जरिए हिन्दूधर्म को नीचा दिखाने हुए अन्य को श्रेष्ठ साबित किया जाता रहा है।



🚩सलीम - जावेद की जोड़ी की लिखी हुई फिल्मो को देखे, तो उसमें आपको अक्सर बहुत ही चालाकी से हिन्दू धर्म का मजाक बनाकर व बुरा साबित करके, मुस्लिम व इसाई समुदाय को महान दिखाया जाता था। इनकी लगभग हर फिल्म में एक महान मुस्लिम चरित्र अवश्य होता है और हिन्दू मंदिर का मजाक तथा संत के रूप में पाखंडी ठग देखने को मिलते हैं।


🚩"हरे रामा हरे कृष्णा"

में जीनत अमान रुद्राक्ष की माला पहनकर गाँजा फूंकती दिखाई देती हैं।

वो तथाकथित नायिका महिलाओं को नशे के लिए प्रेरित नहीं करती तो और क्या कर रही हैं उस दृश्य के माध्यम से !? और रूद्राक्ष का अपमान वो भी फ्री में । 😰


🚩"शोले" 

इसमें धर्मेन्द्र मंदिर में भगवान् शिव की प्रतिमा की आड़ लेकर "हेमा मालिनी" को प्रेमजाल में फंसाना चाहता है। जिसका मकसद यह साबित करना है कि - मंदिर में लोग लडकियां छेड़ने जाते हैं। इसी फिल्म में ए. के. हंगल इतना पक्का नमाजी है कि - बेटे की लाश को छोड़कर, यह कहकर नमाज पढने चल देता है। कि- उसे अल्लाह ने और बेटे क्यों नहीं दिए कुर्बान होने के लिए। 


🚩"दीवार" 

का अमिताभ बच्चन नास्तिक है और वो भगवान् का प्रसाद तक नहीं खाना चाहता ह। लेकिन 786 लिखे हुए बिल्ले को हमेशा अपनी जेब में रखता है और वो बिल्ला भी बार बार अमिताभ बच्चन की जान बचाता है।


🚩"जंजीर" 

में भी अमिताभ नास्तिक है और जया भगवान से नाराज होकर गाना गाती है । लेकिन शेरखान एक सच्चा इंसान है।


🚩"शान" 

में अमिताभ बच्चन और शशिकपूर साधू के वेश में जनता को ठगते हैं। लेकिन इसी फिल्म में "अब्दुल" जैसा सच्चा इंसान है, जो सच्चाई के लिए जान दे देता है।


🚩"क्रान्ति" 

में माता का भजन करने वाला राजा (प्रदीप कुमार) गद्दार है और करीमखान (शत्रुघ्न सिन्हा) एक महान देशभक्त, जो देश के लिए अपनी जान दे देता है।


🚩अमर-अकबर-एन्थोनी में तीनों बच्चो का बाप किशनलाल एक खूनी स्मग्लर है । लेकिन उनके बच्चों अकबर और एन्थोनी को पालने वाले दो किरदार, जो कि एक मुस्लिम और दूसरा इसाई ... दोनो बड़े महान इंसान हैं।


🚩फिल्म "हाथ की सफाई" में चोरी - ठगी को महिमामंडित करने वाली प्रार्थना भी आपको याद ही होगी।


🚩कुल मिलाकर आपको इनकी फिल्म में हिन्दू नास्तिक मिलेगा और इनमें धर्म का उपहास करता हुआ कोई न कोई दृश्य जरूर दिखेगा।

...और इसके साथ साथ आपको शेरखान पठान, DSP डिसूजा, अब्दुल, पादरी, माइकल, डेबिड, आदि जैसे आदर्श चरित्र देखने को मिलेंगे ही.....


🚩हो सकता है, आपने पहले कभी इस पर ध्यान न दिया हो लेकिन अबकी बार ज़रा ध्यान से देखियेगा....

केवल सलीम / जावेद की ही नहीं बल्कि, कैफ़ी आजमी, महेश भट्ट, आदि की फिल्मो का भी यही हाल है....

🚩हमारी फिल्म इंडस्ट्री पर शुरू से दाउद जैसों का नियंत्रण रहा है। इसमें अक्सर अपराधियों का महिमामंडन किया जाता है और पंडित को धूर्त, ठाकुर को जालिम, बनिए को सूदखोर, सरदार को मूर्ख कामेडियन, आदि ही दिखाया जाता है।


🚩"फरहान अख्तर" की फिल्म "भाग मिल्खा भाग" में "हवन करेंगे" का आखिर क्या मतलब था ?


🚩"PK" में भगवान् का राँग नंबर बताने वाले आमिर खान क्या कभी अल्ला के राँग नंबर 786 पर भी कोई फिल्म बनायेंगे !?


यह सब महज इत्तेफाक नहीं है , बल्कि सोची समझी साजिश है । एक चाल है ।


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Wednesday, July 26, 2023

कारगिल विजय दिवस पर शहीदों को शत-शत नमन.....


26 July 2022

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🚩कारगिल विजय दिवस स्वतंत्र भारत के सभी देशवासियों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिवस है। भारत में प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को यह दिवस मनाया जाता है। इस दिन भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध हुआ था, जो लगभग 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई के दिन उसका अंत हुआ और इसमें भारत विजय हुआ। कारगिल विजय दिवस युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान हेतु यह दिवस मनाया जाता है।


🚩26 जुलाई को कारगिल युद्ध के वीरों को हम याद करते है,हमें भूल नही पाए कि किस तरह से पाकिस्तान ने हमारी पीठ में छूरा खोंपने का प्रयास किया था, लेकिन फिर दुनिया ने हमारे सैनिकों और भारत की ताकत को देखा।



🚩आज ही के दिन 23 साल पहले हमारी सेना ने भारत की जीत का झंडा फहराया था, कारगिल का युद्ध जिस परिस्थितियों में हुआ था,उसे भारत कभी नहीं भूल सकता है।


🚩कारगिल विजय दिवस हमारे सशस्त्र बलों की निडरता, दृढ़ संकल्प और असाधारण वीरता का प्रतीक है,हम उन सैनिकों को नमन करते है , जिन्होंने दुश्मन का मुकाबला किया और भारत माता की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। राष्ट्र सदा के लिए उनका और उनके परिवारजनों का कृतज्ञ है।


🚩कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Divas) के 26 जुलाई 2022 को 23 साल पूरे हो गए हैं, साल 1999 में आज ही के दिन भारतीय सेना ने इस युद्ध में विजय हासिल की थी, देशवासियों ने आज वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।


🚩इस युद्ध में सेना के लगभग 527 जवान शहीद हुए और लगभग 1363 घायल हुए थे, यह युद्ध करीब 16 हज़ार फीट की ऊंचाई पर लड़ा गया जो कि विश्व में भारतीय सेना के साहस का परिचय है,कारगिल युद्ध को कारगिल संघर्ष के नाम से भी जाना जाता है।



🚩पाकिस्तानी सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने साल 1999 में कारगिल में नियंत्रण रेखा पार कर भारत के नियंत्रण वाले क्षेत्र पर कब्ज़ा करने की कोशिश की थी,भारत के नियंत्रण वाले क्षेत्र पर कब्ज़ा करने की कोशिश के दौरान दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ गया,यह युद्ध लगभग 60 दिनों तक चला, भारत ने इस युद्ध में 26 जुलाई को ऐतिहासिक जीत हासिल की,उसी दिन से 26 जुलाई के दिन कारगिल शहीदों को पूरे देश में श्रद्धांजलि दी जाती है, इस दिन को कारगिल विजय दिवस के रूप में भी याद किया जाता है।


🚩देशवासियों ने आज सभी शहीदों को श्रद्धाजंलि दी।


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Tuesday, July 25, 2023

मणिपुर में आखिर किस विवाद पर इतनी हिंसा हो रही है !? सच जानना बहुत जरूरी है....

25 July 2023
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🚩मणिपुर में मैतेई (हिंदुओं) के अस्तित्व का युद्ध चल रहा है । वहां 10% एरिया मैदानी है और 90% एरिया पहाड़ी । जिसमें 90% एरिया में नागा और कुकी जनजातियां रहते हैं, जो या तो ईसाई हैं या फिर मुस्लिम । 10 % एरिया में मैतेई (हिन्दू) रहते हैं । पूर्व की कांग्रेस सरकार ने वहाँ के लिए ऐसा कानून बनाया है , कि कुकी (ईसाई और मुस्लिम) मैदानी एरिया में तो जाकर जमीन खरीद सकते हैं, लेकिन मैतेई (हिन्दू) पहाड़ी एरिया में जाकर जमीन नहीं खरीद सकते। जबकि मैतेई ही मणिपुर के मूलनिवासी हैं । 

🚩नागा + कुकी (कसाई + चुस्लिम) जाति भाजपा सरकार बनने के पूर्व पूरे राज्य में अवैध रूप से अफीम की खेती करते थे । भाजपा सरकार बनते ही इसपर रोक लगा दी गई । ये कुकी तब से भाजपा सरकार से नाराज थे, जिनकी नाराजगी को हवा देने का काम वहाँ के 26 उग्रवादी संगठनों और उन राजनीतिक दलों ने दिया जो चुसलमानो और कसाईयों को अपना वोट बैंक मानते हैं । कुकी और नागा समुदाय में भी ज्यादा संख्या ईसाईयों की है और उन्हें अपरोक्ष समर्थन मिलता है दिल्ली में बैठे वेटिकन सिटी के सबसे बड़े एजेंट एन.जी.ओज़ और उनके सहयोगियों से ।

🚩चुसलमानों और कसाईयों के अंदर सुलग रही इस आग में घी का काम किया, वहाँ के उच्च न्यायालय के उस निर्णय ने,जिसमें राज्य सरकार को मैतेई लोगो (हिंदुओं ) को अनुसूचित जनजाति में डालने के लिए केंद्र सरकार से सिफारिश करने को कहा गया । 

🚩मैतेई (हिन्दू) समुदाय अभी तक पूर्णतया शांत था । बहुसंख्यक होते हुए भी, कांग्रेसियों के तुष्टिकरण की राजनीति से पीड़ित होते हुए भी शांत था । लेकिन अप्रैल महीने के अंत की एक रात उनके लिए बहुत पीड़ादायक थी । जब वो रात्रि के अंधेरे में अपने परिजनों के साथ सो रहे थे तभी पहाड़ों से हजारों की संख्या में कसाइयों और चुसलमानों ने हथियारों से लैश होकर उनके घरों पर हमला कर दिया । उनके घरों को जला दिया, उनको मारा-पीटा, उनकी बहन बेटियों के साथ उसी प्रकार की दरिंदगी की, जिस प्रकार से मैतेई समुदाय के कुछ लड़कों द्वारा वायरल वीडियो में दो महिलाओं के साथ करते हुए देखी गई । करीब 200 मैतेई लोगों को जला दिया गया, मंदिरों को जला दिया गया । उन ऑफिसो को लूटकर जला दिया गया , जिनमें अफीम से संबंधित जानकारी थी। पुलिस चौकियों को न सिर्फ जलाया गया, बल्कि वहां के हथियारों को भी कुकी समुदाय के लोगों ने लूटा ।

🚩यहाँ स्पष्ट कर दें, कि हम किसी भी तरह से वायरल वीडियो में दिख रहे बर्बरता का समर्थन नही करते। सभ्य समाज में ऐसी बर्बरता का कोई स्थान नही और सभ्य समाज का कोई भी व्यक्ति ऐसी बर्बरता का समर्थन नहीं कर सकता,फिर चाहे वह किसी भी समुदाय द्वारा की जाए...क्योंकि यह अमानवीय है।

🚩उस रात कुकी समुदाय (कसाई + चुसलमान) के लोगो ने मैती (हिन्दू) समुदाय के लोगो के साथ भी वही बर्बरता की थी, जो वायरल वीडियो में दिख रहे मैती युवकों ने किया । लेकिन उस रात अचानक हुए हमलों में मैती (हिन्दू) अपने और अपने परिवार के लोगो की जान बचाने में लगे थे, न कि वीडियो बनाने में । इसलिए यह बर्बरता वायरल नहीं हो सकी।
लेकिन ...... उस रात की घटना ने वहां के सोए हुए मैतेई (हिंदुओं) को जगा जरूर दिया । 

🚩फिर क्या ! जवाबी कार्यवाही शुरू हुई मैतेई (हिंदुओं) के तरफ से । वहाँ का हिन्दू अब अपने अस्तित्व को बचाने के लिए युद्ध मे कूद पड़ा । अस्तित्व होता क्या है, यह शायद उन पिछड़ी प्रजाति के हिंदुओं को कभी पता ही नही चलता , यदि यह बर्बरता उनपर न हुई होती तो। 


🚩केंद्र सरकार मणिपुर की हिंसा पर अब तक ज्यादा एक्टिव इसलिए नही थी क्योंकि वहां का हिन्दू अब जाग गया था और अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करने लगा था । यह विशिष्ट युद्धकाल है जहां हिन्दू पूरे हिन्दुस्तान में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है । केंद्र सरकार अब तक अपने तरीके से इस युद्ध को हैंडल कर रही थी । क्योंकि कुकी को उग्रवादियों और missionaries का भारी समर्थन है । लेकिन इस युद्धकाल मे विपक्ष भी तो युद्ध कर रहा है, वो भी खासतौर से कांग्रेस पार्टी वहां कुकी को समर्थन कर रही है , क्योंकि कुकी उसका वोट बैंक है । अब तक सबकुछ सही चल रहा था, केंद्र सरकार का मौन मैतेई (हिंदुओं) को युद्ध में अपरोक्ष सहायता प्रदान कर रहा था। लेकिन तभी .....

🚩जब मणिपुर में मैतेई (हिन्दू) समुदाय के लगभग 200 लोगो को जला दिया गया, उनकी बहन बेटियों के साथ बर्बरताएँ की गईं, तब यह कुकी समुदाय आक्रोशित नही हुआ । लेकिन जैसे ही इसे ज्ञात हुआ , कि 4 मई की घटना का वायरल वीडियो (उस समय प्रायोजित तरीके से प्रसारित किया गया जब मानसून सत्र शुरू होने वाला था) में बर्बरता करने वाले युवक मैतेई समाज के हैं और वो दो महिलाए इसाई समुदाय से हैं , तो इनके पेट मे भी दर्द होने लगा ।
🚩बड़े ही पूर्वनियोजित तरीके से 4 मई की घटना का वीडियों मानसून सत्र शुरू होने के ठीक एक दिन पहले सोशल मीडिया पर रिलीज कर दिया गया। देश मे बवाल मच गया, अचानक से केंद्र सरकार बैकफुट पर दिखने लगी ।
... लेकिन वहां तो अस्तित्व का युद्ध चल रहा है हिंदुओं के लिए । उनके साथ तो बड़ी भारी बर्बरता हुई हैं । लेकिन अफसोस यह है , कि अब तक उसका वीडियो सोशल मीडिया में नहीं आ सका । यह अस्तित्व की लड़ाई है , इसमे ऐसी बर्बरताएँ अभी और हो सकती हैं यदि ठोस कदम न उठाए गए तो । अब और तबाही जानमाल की न हो तो ज्यादा बेहतर है। हां एक बात ये भी है , कि जहाँ अस्तित्व को बचाए रखने का युद्ध चल रहा हो, वहाँ भावुकता का कोई स्थान नही होता !! 
साभार

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Monday, July 24, 2023

मूताबिक खालिद बोला हिंदू लड़कियों का धर्मांतरण कराने के बदले में मिलते हैं पैसे...


24 July 2023

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🚩सोशल मीडिया में लव जिहाद की भयंकर घटनाओं को देखकर जागरूकता आई और लव जिहाद में हिंदू युवतियां फसने में कमी आने लगी अब मुस्लिम लड़के अपना नाम हिंदू बताकर हिंदू युवतियों को लव जिहाद में फसाने लगे है। इसलिए हिन्दू युवतियों को सावधान रहना चाहिए अपने माता पिता के अनुसार ही शादी करके अपना सुखमय जीवन बिताए नही तो समाज में झूठे प्रेमजाल में फसाने के लिए कई गिद्ध बैठे , प्रेम में फसाने के बाद ये गिद्ध आपकी जिंदगी नरकमय बना देंगे फिर आपकी समाज में कोई इज्जत नही रहेगी आपके माता पिता सर ऊंचा करके नही बोल पाएंगे और आपका कैरियर भी नही बन पाएगा इसलिए सावधान रहे।


🚩गाजीबाद की घटना से सबक लेना चाहिए 


🚩गाजियाबाद अब धर्मांतरण के खेल का अड्डा जैसा बन गया है। कविनगर और खोड़ा में धर्मांतरण कराने वाले गिरोहों के खुलासे के बाद अब विजयनगर में एक युवती के धर्मांतरण का मामला सामने आया है। युवती का आरोप है कि खालिद चौधरी ने न सिर्फ उसे दिल्ली की मस्जिद में ले जाकर उसका धर्मांतरण कराया, बल्कि उसे गोमांस खाने के लिए भी मजबूर किया था। विजयनगर पुलिस ने आरोपी खालिद चौधरी के खिलाफ धर्मांतरण, रेप, और ब्लैकमेलिंग का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।


🚩दिल्ली की रहने वाली पीड़ित युवती ने बताया कि वर्ष 2020 में फेसबुक पर दीपक चौधरी नाम के एक युवक से उसकी मुलाकात और दोस्ती हुई थी, और फिर दोनों एक दूसरे से मोबाइल पर बातें करने लगे। दीपक ने अपना परिचय पत्रकार के रूप में दिया था। युवती के मुताबिक, दीपक चौधरी ने उसे प्रेम जाल में फंसाकर उसके साथ रेप किया और इस दौरान उसकी अश्लील वीडियो बनाने के साथ और फोटो भी खींच लिए। कुछ समय बाद जब युवती को पता चला कि दीपक का असली नाम खालिद चौधरी है और वह मुसलमान है, तो दूसरे धर्म का होने के चलते युवती ने उसे संबंध खत्म करना चाहा। इस पर खालिद चौधरी ने युवती के अश्लील फोटो और वीडियो वायरल करने की धमकी देकर उसे ब्लैकमेल करने लगा और खुद के पत्रकार होने का रौब झाड़ते हुए उस अंजाम भुगतने की धमकी देने लगा।


🚩प्रेग्नेंसी में बार-बार जबरन शारीरिक संबंध बनाकर किया गर्भपात

पीड़िता का कहना है कि खालिद चौधरी विजय नगर थाना क्षेत्र के मिर्जापुर का रहने वाला है। आरोपी के साथ रिलेशन से जब वह गर्भवती हो गई तो खालिद चौधरी उस पर गर्भपात कराने का दबाव डाला। आरोप है कि युवती द्वारा गर्भपात से इनकार करने पर खालिद चौधरी ने उसके साथ बार-बार लगातार शारीरिक संबंध बनाए, जिससे उसका गर्भपात हो गया। युवती के मुताबिक, खालिद चौधरी ने उसके शरीर पर अपने नाम का टैटू भी गुदवा दिया था।


🚩दिल्ली की मस्जिद में ले जाकर धर्मांतरण कराया 

युवती का कहना है कि उसने खालिद चौधरी के परिजनों को इस बारे में बताया तो उन्होंने भी उस पर धर्मांतरण का दबाव डाला। इसके बाद खालिद उसे निजामुद्दीन की एक मस्जिद में ले गया और वहां जबरन उसका धर्मांतरण करा दिया। इसके बाद खालिद ने उसे गोमांस खाने के लिए भी मजबूर किया।


🚩आरोपी बोला -हिंदू लड़कियों का धर्मांतरण कराने के बदले में मिलते हैं पैसे

युवती के मुताबिक, खालिद चौधरी ने उसका नाम बदलकर मुस्लिम नाम रखवा दिया था। इतना ही नहीं उसने यह भी कहा कि हिंदू लड़कियों का धर्मांतरण कराने के लिए उन्हें ऊपर से हुक्म दिया जाता है और इसके बदले में उन्हें पैसे भी मिलते हैं। खालिद चौधरी का सच सामने आने पर युवती ने पुलिस अधिकारियों से मदद और इंसाफ की गुहार लगाई है, जिसके बाद विजयनगर थाना पुलिस ने उसके खिलाफ धर्मांतरण, रेप और अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है। डीसीपी सिटी निपुण अग्रवाल का कहना है कि केस दर्ज कर आगामी कार्रवाई की जा रही है।


🚩हिन्दू समाज के साथ 1200 वर्षों से मजहब के नाम पर अत्याचार होता आया है। सबसे खेदजनक बात यह है कि कोई इस अत्याचार के बारे में हिन्दुओं को बताये तो हिन्दू खुद ही उसे गंभीरता से नहीं लेते क्यूंकि उन्हें सेकुलरिज्म के नशे में रहने की आदत पड़ गई है। रही सही कसर हमारे पाठ्यक्रम ने पूरी कर दी जिसमें अकबर महान, टीपू सुल्तान देशभक्त आदि पढ़ा-पढ़ा कर इस्लामिक शासकों के अत्याचारों को छुपा दिया गया। अब भी कुछ बचा था तो संविधान में ऐसी धारा डाल दी गई जिसके अनुसार सार्वजनिक मंच अथवा मीडिया में इस्लामिक अत्याचारों पर विचार करना धार्मिक भावनाओं को भड़काने जैसा करार दिया गया। इस सुनियोजित षड़यंत्र का परिणाम यह हुआ कि हिन्दू समाज अपना सत्य इतिहास ही भूल गया और लव जिहाद जैसे में फसकर अपना जीवन बर्बाद कर लेते है।


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Sunday, July 23, 2023

काशी विश्‍वनाथ मंदिर का निर्माण कब हुआ ?

 काशी विश्‍वनाथ मंदिर का निर्माण कब हुआ?

कितनी बार विधर्मियों द्वारा ध्वस्त किया गया? 

और फिर कितनी बार पुनर्निर्मित हुआ...???

जानिए विस्तार से...


23 July 2023

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🚩अखंड भारत सोने की चिड़िया कहलाता था, इसलिए अनेक विदेशी आक्रांताओं की नजर भारत की संपत्ति पर थी। विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत को आकर लुटा लेकिन साथ में भारतीय सनातन संस्कृति को विकृत भी कर दिया और हिंदुओं का कत्ल भी किया,महिलाओं के साथ बलात्कार भी किये और भारत के मंदिरों को तोड़कर वहां मस्जिदें भी बनवा दी।

 

🚩भारत में कितने लाखों या अधिक मंदिर तोड़े गए कोई नहीं बता सकता !

लेकिन तीन मुख्य मंदिर,जो अधिक चर्चित रहे...

अयोध्या में श्री रामजन्मभूमि मंदिर , मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान एवं काशी में बाबा विश्वनाथ धाम मंदिर

इन तीर्थ धामों को भी इस्लामी आक्रमणकारियों ने तोड़कर कब्जा कर लिया। आपने गत वर्षों में अयोध्या का इतिहास तो भली-भांति जान लिया होगा। फिर कभी किसी पोस्ट में हम मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर भी चर्चा अवश्य करेंगे।

तो अब आज आपके साथ काशी विश्वनाथ के इतिहास के बारे में कुछ जानकारी साझा कर रहे हैं।

 

🚩द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख काशी विश्वनाथ मंदिर अनादिकाल से काशी में है। यह स्थान शिव और पार्वती का आदि स्थान है, इसीलिए आदिलिंग के रूप में अविमुक्तेश्वर को ही प्रथम लिंग माना गया है। इसका उल्लेख महाभारत और उपनिषद में भी किया गया है। ईसा पूर्व 11वीं सदी में राजा हरीशचन्द्र ने जिस विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था,कालान्तर में उसी का सम्राट विक्रमादित्य ने भी जीर्णोद्धार करवाया था। उसी हिन्दुओ के पवित्रतम पुण्य तीर्थ, ज्योतिर्लिंग धाम को 1194 में मुहम्मद गौरी ने लूटने के बाद तोड़वा दिया था।

 

🚩इतिहासकारों के अनुसार इस भव्य मंदिर को प्रथम बार सन् 1194 में मुहम्मद गौरी द्वारा तोड़ा गया था। इसे फिर से बनवाया गया ।

लेकिन एक बार फिर इसे सन् 1447 में जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह द्वारा तोड़ दिया गया। पुन: सन् 1585 ई. में राजा टोडरमल की सहायता से पं. नारायण भट्ट द्वारा इस स्थान पर फिर से एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया।

फिर कालान्तर में इस भव्य मंदिर को सन् 1632 में शाहजहां ने आदेश पारित कर तोड़ने के लिए सेना भेज दी। हिन्दुओं के प्रबल प्रतिरोध के कारण वह सेना विश्वनाथ मंदिर परिसर के मुख्य केंद्रीय मंदिर को तो तोड़ नहीं सकी, लेकिन काशी के अन्य 63 मंदिर तोड़ दिए ।


🚩डॉ. एएस भट्ट ने अपनी किताब 'दान हारावली' में इसका जिक्र किया है कि टोडरमल ने मंदिर का पुनर्निर्माण 1585 में करवाया था। 18 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने एक फरमान जारी कर काशी विश्वनाथ मंदिर ध्वस्त करने का आदेश दिया। यह फरमान एशियाटिक लाइब्रेरी, कोलकाता में आज भी सुरक्षित है। उस समय के लेखक साकी मुस्तइद खां द्वारा लिखित 'मासीदे आलमगिरी' में इस ध्वंस का वर्णन है। औरंगजेब के आदेश पर यहां विश्वनाथ ( ज्ञानवापी कूए के समीप स्थित होने से स्थान का नाम आज भी ज्ञानवापी ही है ) मंदिर तोड़कर एक मस्जिद (नाम दिया ज्ञानवापी मस्जिद) बनाई गई। 2 सितंबर 1669 को औरंगजेब को मंदिर तोड़ने का कार्य पूरा होने की सूचना दी गई थी। औरंगजेब ने प्रतिदिन हजारों ब्राह्मणों को मुसलमान बनाने का आदेश भी पारित किया था।तभी तो आज के उत्तर प्रदेश के 90 प्रतिशत मुसलमानों के पूर्वज ब्राह्मण हैं।

 

🚩सन् 1752 से लेकर सन् 1780 के बीच मराठा सरदार दत्ताजी सिंधिया व मल्हारराव होल्कर ने मंदिर मुक्ति के प्रयास किए। 7 अगस्त 1770 ई. में महादजी सिंधिया ने दिल्ली के बादशाह शाह आलम से मंदिर तोड़ने की क्षतिपूर्ति वसूल करने का आदेश जारी करा लिया, परंतु तब तक काशी पर ईस्ट इंडिया कंपनी का राज हो गया था इसलिए मंदिर का नवीनीकरण रुक गया। 1777-80 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई द्वारा इस मंदिर का पुनः जीर्णोद्धार करवाया गया था।

 

🚩अहिल्याबाई होलकर ने इसी परिसर में विश्वनाथ मंदिर बनवाया और जिस पर पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने सोने का छत्र बनवाया। ग्वालियर की महारानी बैजाबाई ने ज्ञानवापी का मंडप बनवाया और महाराजा नेपाल ने वहां विशाल नंदी प्रतिमा स्थापित करवाई।

 

🚩सन् 1809 में काशी के हिन्दुओं ने जबरन बनाई गई मस्जिद पर कब्जा कर लिया था, क्योंकि यह संपूर्ण क्षेत्र ज्ञानवापी मं‍डप का क्षेत्र है जिसे आजकल ज्ञानवापी मस्जिद कहा जाता है। 30 दिसंबर 1810 को बनारस के तत्कालीन जिला दंडाधिकारी मि. वाटसन ने 'वाइस प्रेसीडेंट इन काउंसिल' को एक पत्र लिखकर ज्ञानवापी परिसर हिन्दुओं को हमेशा के लिए सौंपने को कहा था, लेकिन यह कभी संभव नहीं हो पाया।


🚩मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर के बीच 10 फिट का गहरा कुआं है,जिसे ज्ञानवापी कुआं कहा जाता है। मुस्लिम आक्रांताओं ने कब्जा कर , इस कुएं के नाम पर मस्जिद का नाम कर दिया।🚩स्कंद पुराण में कहा गया है, कि भगवान शिव ने स्वयं लिंगाभिषेक के लिए अपने त्रिशूल से ये कुआं बनाया था। ज्ञानवापी मंदिर भगवान शिव का प्राचीन मंदिर था। मुस्लिम आक्रांता औरंगजेब ने 1669 में मंदिर तोड़कर वहां पर मस्जिद बनवाई।

वैसे तो ऐसे अनगिनत जगह है जहां मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनाई हुई हैं। इस घटना का वर्णन इसिहास में मिलता है तथा सर्वे के दौरान मस्जिद में मूर्तियों के अवशेष भी मिले हैं।


🚩अब सत्य को कोई कितना ही दबाए छुपाए , पर वह उजागर होकर ही रहता है। ज्ञानवापी परिसर के अंदर ही बाबा नंदी की प्रतिमा मौजूद है,यह प्रतिमा मस्जिद या ढांचे की तरफ देख रही है । इतिहासकारों ने दावा किया है कि, उस ढाँचे के अंदर हनुमान जी और गणेश जी की भी प्रतिमाएं हैं। ......और जिसे ज्ञानवापी का तहखाना कहा जा रहा है , दरअसल वो पुराने तोड़े गए विश्वनाथ मंदिर का गर्भगृह है । विश्वनाथ मंदिर के पक्षकार विजय शंकर रस्तोगी जी ने दावा किया है, कि मस्जिद में एक तहखाना है और तहखाने में अत्यंत विशाल शिवलिंग आज भी विद्यमान है।

अभी भी यहां देवी देवताओं के मूर्ति के चिन्ह व सनातन धर्म संबंधी अनेको चिन्ह(जैसे कमल , कलश आदि) मिलते हैं । इससे साफ होता है, कि ज्ञानवापी मस्जिद नहीं मंदिर है।

 

🚩इतिहास की किताबों में 11 से 15वीं सदी के कालखंड में मंदिरों का जिक्र और उसके विध्वंस की बातें भी सामने आती हैं। मोहम्मद तुगलक (1325) के समकालीन लेखक जिनप्रभ सूरी ने किताब 'विविध कल्प तीर्थ' में लिखा है कि "बाबा विश्वनाथ धाम" को "देव क्षेत्र" कहा जाता था। लेखक फ्यूरर ने भी लिखा है, कि फिरोजशाह तुगलक के समय कुछ मंदिर मस्जिदों में तब्दील हुए थे। 1460 में वाचस्पति ने अपनी पुस्तक 'तीर्थ चिंतामणि' में वर्णन किया है, कि अविमुक्तेश्वर और विश्वेश्वर एक ही लिंग हैं ।


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Saturday, July 22, 2023

सुभाष चन्द्र बोस ने अपने मित्र को लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी के बारे में जो लिखा,वो हर नागरिक को पढ़ना चाहिए...

22 July 2023

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🚩नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को जब बरहमपुर जेल से मांडले जेल के लिए स्थानांतरित करने का आदेश मिला तब उन्होंने अपने मित्र केलकर को माँ भारती के सपूत लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी बारे में पत्र लिखकर जो कुछ बताया...वो प्रत्येक भारतीय नागरिक को पढ़ना चाहिए । आज जो हम आजादी की,चैन की सांसे ले रहे हैं, उसके पीछे महापुरुषों ने कितने बलिदान दिए हैं...इसकी भी हमें जानकारी होना जरूरी है।


🚩 तिलक जी के बारे में उक्त पत्र में लिखे गए नेता जी के विचार पढ़े...


🚩प्रिय श्री केलकर


🚩मैं पिछले कई महीनों से आपको पत्र लिखने की सोच रहा था। जिसका कारण केवल यह रहा हैं, कि आप तक ऐसी जानकारी पहुंचा दूँ, जिसमें आपको रुचि होगी। मैं नहीं जानता आपको मालूम हैं या नहीं कि मैं यहाँ गत जनवरी से कारावास में हूँ। जब बरहमपुर जेल से मुझे मांडले जेल के लिए स्थानांतरित करने का आदेश मिला , तब मुझे यह स्मरण नहीं आया कि लोकमान्य तिलक ने अपने कारावास का अधिकतर समय मांडले जेल में ही गुजारा था। इस चार- दीवारी में, यहाँ के बहुत हतोत्साहित कर देने वाले परिवेश में, स्वर्गीय लोकमान्य तिलक ने सुप्रसिद्ध ‘गीता भाष्य ग्रन्थ’ लिखा था। जिसने मेरी नम्र राय में उन्हें शंकर और रामानुजन जैसे प्रकांड भाष्यकारों की श्रेणी में स्थापित कर दिया है। 


🚩जेल के जिस वार्ड में लोकमान्य तिलक रहते थे, वह आज तक सुरक्षित है। यद्यपि उसमें फेरबदल किया गया है और उसे बड़ा बनाया गया है। हमारे अपने जेल वार्ड की तरह, वह लकड़ी के तख्तों से बना हुआ है।  जिससे गर्मी में लूँ और धुप से, वर्षा में पानी से, शीत में सर्दी तथा सभी मौसम में धूल-भरी आंधियों से बचाव नहीं हो पाता था। मेरे यहाँ पहुँचने के कुछ ही क्षण बाद मुझे वार्ड का परिचय दिया गया।  मुझे यह बात बहुत अच्छी नहीं लग रही थी कि मुझे भारत से निष्कासित किया था। लेकिन मैंने भगवान को धन्यवाद दिया कि मांडले में अपनी मातृभूमि और स्वदेश से बलात अनुपस्थिति के बावजूद मुझे तिलक जी की वह पवित्र स्मृतियाँ राहत व प्रेरणा देगी। मथुरा की जेल की तरह यह भी एक ऐसा तीर्थ स्थल हैं, क्योकि वहां श्रीकृष्ण अवतरित हुए थे और यहां भारत का एक महानतम सपूत छ: वर्षों तक रहा था। 


🚩हम सिर्फ इतना ही जानते हैं, कि लोकमान्य ने कारावास में छ वर्ष बिताए हैं।  मुझे विश्वास है, कि बहुत कम लोगों को यह पता होगा कि उस अवधि में उन्हें किस हद तक शारीरिक और मानसिक यातनाओं से गुजरना पड़ा था।  वे वहां एकदम अकेले रहे उन्हें उनके बौद्धिक स्तर का कोई साथी नहीं मिला था।  मुझे विश्वास हैं, कि उनको किसी अन्य बंदी से भी मिलने-जुलने नहीं दिया जाता था।  उनको सांत्वना देने वाली एकमात्र वस्तु किताबें थी।  और वे एक कमरे में बिलकुल एकांकी रहते थे।  यहाँ रहते हुए उन्हें दो या तीन से अधिक मुलाकात का भी अवसर नहीं दिया गया था।  ये भेट भी जेल और पुलिस अधिकारियों के साथ हुआ करती थी। जिससे वे कभी खुलकर हार्दिकता से बात नहीं कर पाए होंगे।  उन तक कोई भी अख़बार नहीं पहुँचने दिया जाता था। उनकी जैसे प्रतिष्ठित नेता को बाहरी दुनिया के घटनाचक्र से एकदम अलग कर देना ,एक तरह की घोर यातना ही है और इस यंत्रणा को जिसने भुगता है,  वही जान सकता है। इसके अलावा उनके कारावास की अधिकांश अवधि में देश का राजनैतिक जीवन मंद गति से खिसक रहा था और इस विचार ने उन्हें कोई संतोष नहीं दिया होगा कि जिस उद्देश्य को उन्होंने अपनाया था ,वह उनकी अनुपस्थिति में किस गति से आगे बढ़ रहा है। उनकी शारीरिक यंत्रणा के बारे में जितना ही कम कहा जाए, बेहतर होगा। 


🚩वे दंड संहिता के अंतर्गत बंदी थे और इस प्रकार आज के राजबंदियो की अपेक्षा कुछ मायनों में उनकी दिनचर्या कही अधिक कठोर रही होगी| इसके अलावा उन्हें मधुमेह की बीमारी थी | जब लोकमान्य यहाँ थे ,मांडले का मौसम तब भी प्रायः ऐसा रहा होगा जैसा वह आजकल है और अगर आज नौजवानों को शिकायत है कि वहां की जलवायु शिथिल कर देने वाली और मन्दाग्नि तथा गठिया को जन्म देने वाली है और धीरे -धीरे वह व्यक्ति की जीवनी शक्ति को सोख लेती है । तो लोकमान्य ने ,जो वयोवृद्ध थे ,कितना कष्ट झोला होगा...!!

लेकिन इस कारागार की चहारदीवारियों में उन्होंने क्या यातनाएँ सही ,इसके विषय में लोगों को बहुत कम जानकारी है ।


🚩कितने लोगों को पता होता है, उन अनेक छोटी -छोटी बातों का ,जो किसी बंदी के जीवन में सुइयों की-सी चुभन बन जाती है और जीवन को दुर्भर बना देती है। वे गीता की भावना में मग्न रहते थे और शायद इसलिए दुःख और यंत्रणाओं से ऊपर रहते थे । यहीं कारण है , कि उन्होंने उन यंत्रणाओं के बारे में किसी से कभी एक शब्द भी नहीं कहा । समय -समय पर मैं इस सोच में डूबता रहा हूँ, कि कैसे लोकमान्य को अपनेबहुमूल्य जीवन के छह लंबे वर्ष इन परिस्थितियों में बिताने के लिए विवश होना पड़ा होगा।


🚩हर बार मैंने अपने आपसे पूछा ‘अगर नौजवानों को इतना कष्ट महसूस होता है, तो महान लोकमान्य को अपने समय में कितनी पीड़ा सहनी पड़ी होगी । जिसके विषय में उनके देशवासियों को कुछ भी पता नहीं !?

यह विश्व भगवान की कृति है , लेकिन जेलें मानव के कृतित्व की निशानी हैं। उनकी अपनी एक अलग दुनिया है और सभ्य समाज ने जिन विचारो और संस्कारों को प्रतिबद्ध होकर स्वीकार किया है। वे जेलों पर लागू नहीं होते हैं। अपनी आत्मा के हास्य के बिना, बंदी जीवन के प्रति अपने आपको अनुकूल बना पाना आसान नहीं है। इसके लिए हमें पिछली आदतें छोड़नी होती हैं और फिर भी स्वास्थ्य और स्फूर्ति बनाए रखनी पड़ती है। सभी नियमों के आगे नत होना होता है और फिर भी आंतरिक प्रफुल्लता अक्षुण्ण रखनी होती है। केवल लोकमान्य जैसा दार्शनिक ही, उस यन्त्रणा और दासता के बीच मानसिक संतुलन बनाए रख सकता था और भाष्य जैसे विशाल एवं युग निर्माणकारी ग्रन्थ का प्रणयन कर सकता था। मैं जितना ही इस विषय पर चिन्तन करता हूँ। उतना ही उनके प्रति आस्था और श्रद्धा में डूब जाता हूँ। आशा करता हूँ, कि मेरे देशवासी लोकमान्य की महत्ता को आंकते हुए इन सभी तथ्यों को भी दृष्टि पथ में रखेंगे...💐🙏 


🚩जो महापुरुष मधुमेह से पीड़ित होने के बावजूद इतने सुदीर्घ कारावास को झेलता गया और जिसने उन अन्धकारमय दिनों में अपनी मातृभूमि के लिए ऐसी अमूल्य भेंट तैयार की, उसे विश्व के महापुरुषों की श्रेणी में प्रथम पंक्ति में स्थान मिलना चाहिए...


🚩लोकमान्य ने प्रकृति के जिन अटल नियमों से अपने बंदी जीवन के दौरान टक्कर ली थी।  उनको अपना बदला लेना ही था। अगर मैं कहूँ तो मेरा विश्वास है,कि लोकमान्य ने जब मांडले को अंतिम नमस्कार किया था। तो उनके जीवन के दिन गिने चुने ही रह गये थे। निःसंदेह यह एक गंभीर दुःख का विषय है,कि हम अपने महानतम पुरुषों को इस प्रकार खोते रहे। लेकिन मैं यह भी सोचता हूँ,कि क्या वह दुखद दुर्भाग्य किसी न किसी प्रकार टाला नहीं जा सकता था !?


🚩आपको बता दें, कि लोकमान्य तिलक जी ने हिन्दी भाषा को खूब प्रोत्साहित किया ।

वे कहते थे : ‘‘ अंग्रेजी शिक्षा देने के लिए बच्चों को सात-आठ वर्ष तक अंग्रेजी पढ़नी पड़ती है । जीवन के ये आठ वर्ष कम नहीं होते । ऐसी स्थिति विश्व के किसी और देश में नहीं है । ऐसी शिक्षा-प्रणाली किसी भी सभ्य देश में नहीं पायी जाती ।’’


🚩जिस प्रकार बूँद-बूँद से घड़ा भरता है, उसी प्रकार समाज में कोई भी बड़ा परिवर्तन लाना हो तो किसी-न-किसी को तो पहला कदम उठाना ही पड़ता है और फिर धीरे-धीरे एक कारवां बन जाता है व उसके पीछे-पीछे पूरा समाज चल पड़ता है ।


🚩हमें भी अपनी राष्ट्रभाषा को उसका खोया हुआ सम्मान और गौरव दिलाने के लिए व्यक्तिगत स्तर से पहल चालू करनी चाहिए ।एक-एक मति के मेल से ही बहुमति और फिर सर्वजनमति बनती है । हमें अपने दैनिक जीवन में से अंग्रेजी को तिलांजलि देकर विशुद्ध रूप से मातृभाषा अर्थात् हिन्दी का प्रयोग करना चाहिए । राष्ट्रीय अभियानों, राष्ट्रीय नीतियों व अंतराष्ट्रीय आदान-प्रदान हेतु अंग्रेजी नहीं राष्ट्रभाषा हिन्दी ही साधन बननी चाहिए ।


🚩बात दें, कि सन् 1893 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने सार्वजनिक तौर पर गणेशोत्सव की शुरूआत की। 


🚩तिलकजी ने गणेशोत्सव को सार्वजनिक महोत्सव का रूप देते समय उसे महज धार्मिक कर्मकांड तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि आजादी की लड़ाई, छुआछूत दूर करने, समाज को संगठित करने के साथ ही उसे एक आंदोलन का स्वरूप दिया, जिसका ब्रिटिश साम्राज्य की नींव को हिलाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा...!!


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