Monday, August 28, 2023

पत्रकार अमाना बेगम अंसारी ने पश्चिमी मीडिया को लिया आड़े हाथ

28 August 2023


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🚩पत्रकार अमाना बेगम अंसारी, बीबीसी इंटरव्यू भारत

बीबीसी के साथ इंटरव्यू में मुस्लिम पत्रकार अमाना बेगम अंसारी ने कहा पश्चिमी मीडिया भारत की गलत तस्वीर पेश कर रहा है।


🚩भारतीय शोधकर्ता एवं पत्रकार अमाना बेगम अंसारी ने पश्चिमी मीडिया को देश में मुस्लिमों के साथ भेदभाव पर नसीहत देने पर आड़े हाथों लिया है। उन्होंने बीबीसी को भी इस बात पर खरी-खरी सुनाई। दरअसल, बीबीसी ने भारत की खराब तस्वीर पेश करने के अपने रवैये के चलते हाल ही में मणिपुर हिंसा पर चर्चा के लिए एक इंटरव्यू की मेजबानी की थी।


🚩बीबीसी में इंटरव्यू लेने वाले शख्स ने मणिपुर प्रकरण का इस्तेमाल इस तरह की हिंसक घटनाओं पर भारत की छवि और कड़े कदम उठाने की उसकी काबिलियत पर सवाल खड़े करने के उद्देश्य से किया था। बीबीसी पत्रकार ने हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाओं का इस्तेमाल करके इस बात को बारीकी से आगे बढ़ाने का भी कोशिश की कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में भारत एक बहुसंख्यकवादी देश है, जो नियमित तौर से अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिमों पर जुल्म ढाता है।


🚩शोधकर्ता और नीति विश्लेषक अमाना बेगम अंसारी भी इस कार्यक्रम का हिस्सा थीं। इस दौरान उन्होंने भारत विरोधी प्रचार और दावों का भंडाफोड़ करते हुए बीबीसी को करारा जवाब दिया। बीबीसी के साथ इंटरव्यू वाली 2 घंटे 53 मिनट की क्लिप में अंसारी भारत के बारे में पक्षपाती धारणा के लिए पश्चिमी मीडिया पर निशाना साधती नजर आ रही हैं।


🚩अंसारी ने कहा कि हिंसा की कुछ अलग घटनाओं के आधार पर भारत के बारे में पश्चिमी मीडिया गलत धारणा बना रहा है। अंसारी ने तर्क दिया कि पश्चिमी देशों को कोई भी फैसला लेने से पहले भारत की जटिलताओं को समझना चाहिए। इसमें वह यूपी का उदाहरण देते हुए कहती हैं कि पिछले 10 साल में वहाँ अपराध दर में 60 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है।


🚩इंटरव्यू के दौरान अमाना अंसारी ने कहा, “पश्चिमी मीडिया में अधिकार की एक अजीब भावना है, जो उन्हें यह सोचने के लिए प्रेरित करती है कि उन्हें भारत के आंतरिक मामलों पर उपदेश देने और उसमें दखलअंदाजी करने का पूरा हक है।”


🚩उन्होंने कहा कि पश्चिमी मीडिया, भारत में कई प्रचार आउटलेटों और कॉन्ग्रेसी जैसे विपक्षी दलों के अटूट समर्थन के साथ भारत के मुस्लिमों के खिलाफ ‘भेदभावपूर्ण’ और ‘पूर्वाग्रह से युक्त’ होने की तस्वीर दिखाने की लगातार कोशिश करता रहा है। उन्होंने कहा कि यह काम बीते 10 साल से अधिक हो रहा है, जब से भाजपा सत्ता में आई हैं।


🚩उन्होंने आगे कहा कि ये अंतरराष्ट्रीय आउटलेट ‘डरा हुआ मुस्लिम’ की झूठी एवं मनगढ़ंत कहानी को बढ़ावा देते हुए अपने भारत विरोधी और हिंदू विरोधी पूर्वाग्रहों को आगे बढ़ाने के लिए हमेशा उतावले रहते हैं। हाल ही में मणिपुर में हुई हिंसा में अपने इस काम को आगे बढ़ाने के लिए इन्हें चारा मिल गया है।


🚩मणिपुर हिंसा के बारे में पूछे गए सवालों का दृढ़ता से जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “जब पश्चिमी दुनिया भारत की ओर देखती है तो उन्हें यह समझना चाहिए कि हम छह प्रमुख वैश्विक आस्थाओं (धर्मों) को समाहित करते हैं। पश्चिम यह समझ पाता कि विविधता क्या है, तब से हम विविधता में रहते आ रहे हैं।”


🚩अंसारी ने इस गलत धारणा की निंदा की कि भारतीय मुस्लिमों पर हमला हो रहा है या देश में मुस्लिम नरसंहार हो रहा है। दरअसल इस धारणा का इस्तेमाल पश्चिमी मीडिया लगातार भारत को बदनाम करने के लिए बढ़ावा देते आ रहा है। इस दौरान बीबीसी पत्रकार ने भाजपा सरकार के हिंदू राष्ट्रवाद के विचार पर सवाल उठाया।


🚩इस पर भाजपा सरकार का जोरदार बचाव करते हुए अंसारी ने कहा, “यह बहुआयामी नजरिया है। जब हम हिंदुओं के बारे में बात करते हैं तो हम हिंदू संस्कृति के बारे में भी बात करते हैं। भारत हिंदू संस्कृति का प्रतीक है। मेरे जैसे कई भारतीय मुसलमान, कभी हिंदू थे और बाद में परिवर्तित हो गए थे। हमें इस वास्तविकता को स्वीकार करना चाहिए।”

https://twitter.com/Amana_Ansari/status/1689658502233374720?t=rQwd4r9KlnlnO_s65PSXYw&s=19


🚩उन्होंने गैर-धर्मनिरपेक्ष इस्लामी देशों के मुकाबले भारत में मिलने वाली आजादी का हवाला देते हुए कहा कि वह अपनी भारतीय मुस्लिम पहचान को अहमियत देती हैं। पत्रकार अंसारी ने इस इंटरव्यू के दौरान कहा, “मैं भारत में जन्म लेकर धन्य महसूस कर रही हूँ। मैं एक मुस्लिम-बहुल देश में पैदा होने की कल्पना करूँ तो मैं भारत में जो आजादी को महसूस कर रही हूँ वह वहाँ संभव नहीं हो पाएगी।”


🚩साल 2022 में कर्नाटक में छिड़ी बुर्का बहस के दौरान अमाना अंसारी उन बहुत कम महिलाओं में से एक थीं, जिन्होंने इस प्रथा के खिलाफ जोरदार ढंग से अपनी बात रखी थी। इस घटना का सेक्युलरों और इस्लामवादियों ने पूरे दिल से बचाव और समर्थन किया और इसे निजी आजादी का मुद्दा बना डाला था।


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Saturday, August 26, 2023

मदर टेरेसा का सच जानकर कांप जाएगी आपकी रूह

26 August 2023


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🚩1910 में 26 अगस्त को अल्बेनिया के स्काप्जे में एक लड़की पैदा हुई। नाम रखा गया- गोंझा बोयाजिजू। दुनिया ने जाना ‘मदर टेरेसा’ के नाम से। उसे करुणा और सेवाभाव की मूर्ति के तौर पर वैसे ही प्रचारित किया गया, जैसे संत वेलेंटाइन को प्रेम का मसीहा बताया जाता है।


🚩इसकी आड़ में मदर टेरेसा का ‘चावल के बोरों’ वाला परिचय छिपा लिया गया। यह नहीं बताया गया कि टेरेसा ‘मदर’ नहीं, कलकत्ता की ‘पिशाच’ थी। भोपाल गैस त्रासदी का समर्थन किया था। करोड़ों रुपयों की हेराफेरी की थी। उसकी मिशनरी में बच्चे बाँध कर रखे जाते थे। नन खुद को कोड़े मारती थीं। वह एक ऐसे पादरी की ‘रक्षक’ थी, जिस पर एक बच्ची के यौन शोषण का आरोप था।


🚩मदर टेरेसा की दिल का दौरा पड़ने के कारण 5 सितंबर 1997 को मौत हो गई थी। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि उसकी मौत के बाद यह सिलसिला बंद हो गया। उसकी ‘मिशनरी ऑफ चैरिटी’ पर बच्चों के खरीद-फरोख्त का आरोप है। ‘मदर टेरेसा वेलफेयर ट्रस्ट’ के शेल्टर होम में बच्चियों के यौन शोषण की खबर तो पिछले साल ही सामने आई थी। दिसंबर 2021 में गुजरात में ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ के बाल गृह पर धर्म परिवर्तन का आरोप लगा था। आरोप था कि यहाँ पर लड़कियों को गले में क्रॉस बाँध जबरन बाइबल पढ़ने के लिए मजबूर किया जाता है। उन्हें ईसाई धर्म अपनाने का लालच दिया जाता है। हिंदू लड़कियों को मांसाहारी भोजन दिया जाता है।


🚩‘The Turning: The Sisters Who Left’ नामक पॉडकास्ट में मदर टेरेसा के ऐसे ही डार्क साइड को दिखाया गया है। इसमें एक महिला की कहानी है, जो अपने समाज की मजहबी व्यवस्था से बाहर निकलना चाहती है और मदर टेरेसा की मिशनरी में फँस जाती है।


🚩सबसे ज्यादा अत्याचार तो मिशनरी में ननों के साथ होता था। इस पॉडकास्ट में दिखाया गया है कि ननों को मरीजों और बच्चों को छूने तक की मनाही थी और न ही वो किसी से दोस्ती कर सकती थीं। जिन बच्चों की वो देखभाल करती थीं, उन्हें ही छूने की इजाजत नहीं थी। इन ननों को खुद पर ही कोड़े बरसाने का निर्देश दिया जाता था और 10 साल में 1 बार ही वो अपने परिवार से मिलने घर जा सकती थीं। ननों को काँटों वाली चेन से खुद को बाँध कर मात्र एक मग पानी से स्नान करना होता था। ननों की भर्ती के बाद उनके बाल शेव कर के जला डाला जाता था।


🚩टेरेसा पर आम जनता का ध्यान शायद 1969 में आई बीबीसी ( BBC )की एक डाक्यूमेंट्री फिल्म (समथिंग वंडरफुल फॉर गॉड) से शुरू हुआ था। उनका कोलकाता स्थित संस्थान पीड़ितों का इलाज नहीं करता था, बल्कि उन्हें बताता था कि उन्हें पापों के लिए ईश्वरीय दंड मिला है, जिसे उन्हें बिना शिकायत झेलना चाहिए। नॉबेल पुरस्कार लेते वक्त टेरेसा ने 1979 में कहा था कि आज के दौर में शांति के लिए सबसे बड़ा ख़तरा गर्भपात है।



🚩‘टेरेसा शोषित और वंचित वर्ग की हितैषी थीं’ – ऐसी तमाम कहानियों के विपरीत तानाशाहों के साथ भी उसके बहुत अच्छे संबंध थे। अपने जीवन के दौरान, उसने अक्सर क्रूर तानाशाहों का समर्थन किया और इस तरह अपने अत्याचार को वैधता का लिबास देने का प्रयास किया। 1971-86 के बीच पुलिस राज्य के रूप में हैती पर शासन करने वाले दुवैलियर के साथ टेरेसा के अच्छे संबंध थे। 1981 में अपनी यात्रा के दौरान, उन्होंने शासन को ‘गरीबों का दोस्त’ बताया, वही शासन जिसके शासकों ने 1986 के विद्रोह के बाद लाखों डॉलर के लिए हैतियों को लूट लिया था। स्त्रोत : ऑपइंडिया


🚩जेसुइट पादरी डोनल्ड जे मग्वायर मदर टेरेसा का आध्यात्मिक सलाहकार था। उसने 11 साल के एक बच्चे का यौन शोषण किया – एक बार नहीं, हजारों बार। उसके खिलाफ यौन संबंधों के बारे में जब रिपोर्ट आई थी, तब मदर टेरेसा ने सभी आरोपों को असत्य बताया था। इसलिए आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि जब इंदिरा गाँधी सरकार ने इमरजेंसी लगाई थी, तब मदर टेरेसा ने कहा था, “लोग इससे खुश हैं। उनके पास ज्यादा रोजगार है और हड़तालें भी कम हो रही हैं।


🚩भारत के वास्तविक पवित्र सच्चे साधु संतों को छोड़कर अपराधी नकली बनाये हुए संत को मानना ये बुद्धि का दिवालापन है। भारत के सच्चे हिन्दू संतों की ही पूजा करना चाहिए।


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Friday, August 25, 2023

बॉलीवुड का स्लो पॉइजन..

 स्लो पॉइजन दे रहा है बॉलीवुड.....


25 August 2023

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🚩पिछले कुछ दशकों से चारों तरफ से सनातन हिन्दू धर्म और भारतीय संस्कृति को नष्ट करने के लिए अनेकों प्रकार की साजिशें रची जा रही हैं। विधर्मियों का उद्देश्य है, कि येन केन प्रकारेण, कैसे भी करके सनातन हिन्दू धर्म को खत्म कर दिया जाए।

.......और ऐसा करने लिए सबसे पहले सनातनधर्म के आधार स्तंभ , सनातनधर्म के रक्षक और पोषक हिन्दू साधु संतों को खत्म करने ,उनके प्रभाव को खत्म करने के प्लान बनाये जाते हैं।


🚩हिन्दूधर्म का अपमान, हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान, हिन्दू साधु संतों एवं हिन्दूधर्म के प्रति नफरत फैलाने तथा हिन्दूधर्म को नीचा दिखानें में अगर सबसे बड़ा किसी का रोल है तो वो बॉलीवुड का रहा है।

ये लोग ऐसी फिल्में बनाते हैं जिससे हिन्दू देवी देवताओं, साधु-संतों, ब्राह्मणों, पर्व-त्योहारों , मंदिरों, मठों और आश्रमों आदि पर सीधे कुठाराघात होता है। ये लोग ऐसी फिल्में बनाकर जनता को गुमराह करते हैं, और कुछ इस प्रकार की काल्पनिक कहानियां बनाते हैं , कि जैसे सारी बुराइयाँ सनातन हिन्दू धर्म में ही हैं

चर्चों में पादरी क्या काण्ड करते हैं, मस्जिदों में मौलाना क्या क्या दुष्कर्म करते हैं इस पर कभी कोई फिल्म बनाने की सोच भी नहीं सकता ! क्योंकि इनको पता है , कि ऐसा करने पर कमलेश तिवारी की तरह इनकी हत्या भी हो सकती है !!

जबकि हिंदू समाज तो सहिष्णु है , तो सोशल मीडिया पर थोड़ा हल्ला करके चुप हो जाएगा.....


🚩अभी कुछ हिन्दुओं में तो जागरूकता आई है, पर सभी को जागना होगा और बॉलीवुड के इस हिन्दू विरोधी रवैये को उखाड़कर फेंकना ही होगा ! नहीं तो ये लोग दीमक की तरह भारतीय संस्कृति को खोखला कर देंगे !!


🚩अगर बात साधु-संतों की करें तो सभी सनातन धर्म को मानने वाले जानते ही हैं कि उन महापुरुषों ने घोर तपस्याएं करके जो कुछ पाया होता है, उसे वो मानवमात्र की भलाई के लिए लगाते हैं। समाज में आकर सभी को सही मार्ग दिखाते हैं, समाज को व्यसनमुक्त बनाने का प्रयास करते हैं। संयमी और सदाचारी समाज बनाते हैं, गरीबों-आदिवासियों और जरूरतमंदों की सहायता करते हैं। गौशालाएं बनाकर गौ माता की रक्षा करते हैं। बच्चों, युवाओं व महिलाओं के उत्थान के लिए केंद्र खोलते हैं। धर्मान्तरण पर रोक लगाते हैं। चिंता, तनाव, अवसाद ( Depression/ Tension ) में रह रहे लोगों को शांति देते हैं। स्वदेशी का प्रचार करते हैं, सभी को स्वस्थ, सुखी और सम्मानित जीवन जीने की कला सिखाते हैं। राष्ट्र व धर्म की रक्षा के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर देते हैं।


🚩पर बॉलीवुड वाले इस वास्तविकता पर फ़िल्म कभी भी नहीं बनायेंगे। बल्कि इसके उलट ये हिन्दू धर्म के विरोधी प्रकाश झा , मनोज बाजपेई जैसे लोग हिन्दूधर्म को बदनाम करने के लिए झूठी कहानियां बनाकर जनता में परोसते हैं । और विवेकहीन , भोले-भाले लोग इन झूठी कहानियों पर विश्वास कर लेते हैं और अपने ही धर्म व धर्मगुरुओं पर शंका करने लगते हैं।


🚩विचार कीजिए....... बॉलीवुड ने समाज को क्या दिया है !?


🚩शादी करती हुई लड़की को मंडप से उठा लेना, बलात्कार, चोरी, डकैती करना , छोटे कपड़े पहनना, मां-बाप को वृद्धाश्रम छोड़ देना, लव जिहाद को बढ़ावा देना, भारतीय संस्कृति को हीन बताना, हिन्दू साधु-संतों, देवी देवताओं, मदिरों और पंडितों का मजाक उड़ाना तथा पाश्चात्य संस्कृति को महान बताना !!

यही तो अधिकांश फिल्म निर्देशक करते आये हैं ।


🚩साधु संतों , मंदिरों और भगवान को अपमानित करने वाली फिल्में और वेब सीरीज बनाने के पीछे कहीं न कहीं हिन्दूधर्म व भारतीय संस्कृति को तोड़ने वाली ताकतें लगी हुई हैं। क्योंकि साधु, संतों , भगवान और मंदिरों पर करोड़ों लोग श्रद्धा करते हैं, वहाँ पर जाकर शांति पाते हैं। इसके कारण धर्मांतरण कराने वाली मिशनरीज और विदेशी प्रोडक्ट बेचने वाली कंपनियों को भारी नुकसान हो रहे हैं।

अब क्योंकि साधु-संतों के प्रति श्रद्धा रखने वाले आश्रम में जाते हैं और वहाँ उनको भारतीय संस्कृति के अनुसार जीने का सही तरीका मिलता है, फिर वे हिन्दू धर्म के प्रति आस्थावान हो जाते हैं, जिसके कारण वे ईसाई मिशनरियों के चंगुल में नहीं आते हैं औऱ वे विदेशी प्रोडक्ट भी नहीं खरीदते।


🚩इस कारण ईसाई मिशनरियों का लक्ष्य है - भारत में धर्मांतरण करके अपना वोटबैंक बढ़ाकर सत्ता हासिल करना । अब संतों के कारण उसमें भी बाधा उत्पन्न होती है और विदेशी कंपनियों के सामान नहीं बिकने पर उनको अरबों-खरबों रूपयों का घाटा भी होता है।

इन सभी बातों से बौखलाए और झल्लाए सनातन विरोधी अनेक प्रकार के षड्यंत्र रचकर हिन्दुओं की मठ- मन्दिरों , आश्रमों और साधु-संतों के प्रति आस्था को नष्ट करने लगे रहते हैं ।

.......और प्रकाश झा, मनोज बाजपेई जैसे जयचंद गद्दारी करके अपने ही धर्म के खिलाफ फिल्में बनाते हैं।


🚩सर्वे किया जाय तो चर्चों से बलात्कार के हजारों किस्से आ चुके हैं । मदरसों में भी यौन शोषण के हजारों किस्से सामने आते रहते हैं पर अभी तक इस विषय पर तो कोई फिल्म नहीं बनी और न ही कोई हिम्मत करेगा । क्योंकि उसके लिए अलग से फंडिंग तो मिलेगी नहीं और ऊपर से सर तन से जुदा की न सिर्फ धमकियां मिलेंगी बल्कि सर तन से जुदा हो भी जाएं... क्या पता !!!

इसलिए वास्तव में जहाँ पर गड़बड़ियां हो रही हैं, उधर से ये बॉलीवुड वाले उदासीन ही रहते हैं।


🚩हिन्दू सहिष्णु हैं और उनके खिलाफ षड्यंत्र रचने के लिए भारी फंडिंग भी मिलती रहती है, इस कारण विधर्मियों के टुकड़ों पर पलने वाले जयचंद हिन्दू विरोधी फिल्में बनाते हैं...

और बड़े अफसोस और शर्म की बात है कि हम हिन्दू ही ऐसी फिल्मों , सीरीजों को न सिर्फ देखते हैं साथ ही सहमत भी होते हैं । हम ही तो हैं , जो इन आधुनिक जयचंदों की हौसलाअफजाई करते हैं और उन्हें फाइनेंशियली भी मजबूत बनाते हैं ।

विश्वास कीजिए अगर हमसब मिलकर इनका बहिष्कार करें तो , बेशक इनकी कमर टूट जाएगी , क्योंकि हम विधर्मियों के धर्मांतरण और जिहाद के बावजूद भी अभी तक तो बहुसंख्यक हैं । तो हमें जरूरत है सिर्फ एकजुट और एकमत होने की ।


🚩उपाय सिर्फ एक... " सभी सनातनी हिन्दू ऐसी फिल्मों का पुरजोर बहिष्कार करें और अपने अपने स्तर पर कानूनी कार्यवाही भी करें। "


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Thursday, August 24, 2023

अकबर ने संत तुलसीदास जी को माफी मांगकर क्यों रिहा करना पड़ा ?

 अकबर ने संत तुलसीदास जी को भेज दिया था जेल, दूसरे दिन डर से माफी मांगकर किया रिहा....


24 August 2023


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🚩बात 1600 ईस्वी की है, यह काल अकबर और तुलसीदासजी के समय का काल था। एक बार तुलसीदासजी मथुरा जा रहे थे, रात होने से पहले उन्होंने अपना पड़ाव आगरा में डाला, लोगों को पता लगा कि तुलसीदासजी आगरा में पधारे हैं। यह सुनकर उनके दर्शनों के लिए लोगों का ताँता लग गया। जब यह बात बादशाह अकबर को पता चली तो उसने बीरबल से पूछा कि यह तुलसीदास कौन हैं।


🚩तब बीरबल ने बताया- इन्होंने ही रामचरित मानस की रचना की है, यह रामभक्त तुलसीदासजी हैं, मैं भी इनके दर्शन करके आया हूँ। अकबर ने भी उनके दर्शन की इच्छा व्यक्त की और कहा- मैं भी उनके दर्शन करना चाहता हूँ।


🚩बादशाह अकबर ने अपने सिपाहियों की एक टुकड़ी तुलसीदासजी के पास भेजा जिसने तुलसीदासजी को बादशाह का पैगाम सुनाया कि आप लालकिले में हाजिर हों। यह पैगाम सुनकर तुलसीदासजी ने कहा कि मैं भगवान श्रीराम का भक्त हूँ, बादशाह और लालकिले से मुझे क्या लेना-देना और लालकिले जाने से साफ मना कर दिया। जब यह बात बादशाह अकबर तक पहुँची तो उसे बहुत बुरी लगी और बादशाह अकबर गुस्से में लालताल हो गया और उसने तुलसीदासजी को जंज़ीरों से जकड़वा कर लालकिला लाने का आदेश दिया। जब तुलसीदासजी जंजीरों से जकड़े लालकिला पहुंचे तो अकबर ने कहा कि आप कोई करिश्माई व्यक्ति लगते हो, कोई करिश्मा करके दिखाओ। तुलसीदास ने कहा- मैं तो सिर्फ भगवान श्रीरामजी का भक्त हूँ, कोई जादूगर नही हूँ जो आपको कोई करिश्मा दिखा सकूँ। अकबर यह सुन कर आगबबूला हो गया और आदेश दिया की इनको जंजीरों से जकड़ कर काल कोठरी में डाल दिया जाये।


🚩पूरी पोस्ट पढ़े👇🏻


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Wednesday, August 23, 2023

औरंगजेब को मंदिर के गर्भगृह से भागना पड़ा

एक मंदिर जिसे ध्वस्त करने आए औरंगजेब को गर्भगृह से भागना पड़ा था......पूरा लेख अवश्य पढ़ें:-



23 August 2023

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🚩माँ नर्मदा की गोद में बसे मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में कई ऐसे मंदिर हैं जिनके इतिहास की गणना करना बहुत कठिन है। इनमें से कई मंदिर दूर-दराज के इलाकों में स्थित हैं। ऐसा ही एक मंदिर नर्मदा से थोड़ी दूर पर लगभग 70 फुट ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। विश्व प्रसिद्ध भेड़ाघाट के नजदीक स्थित चौसठ योगिनी मंदिर सभवतः भारत का इकलौता मंदिर है, जहाँ भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की प्रतिमा स्थापित है। कहा जाता है कि इस मंदिर के लिए नर्मदा ने भी अपनी दिशा बदल दी थी। हालाँकि देश के कई अन्य मंदिरों की तरह यह भी औरंगजेब के इस्लामिक कट्टरपंथ की भेंट चढ़ा, लेकिन वह मंदिर के गर्भगृह में स्थापित प्रतिमा का कोई नुकसान नहीं कर पाया।


🚩इतिहास


🚩कई मान्यताओं के अनुसार जब एक बार भगवान शिव और माता पार्वती भ्रमण के लिए निकले तो उन्होंने भेड़ाघाट के निकट एक ऊँची पहाड़ी पर विश्राम करने का निर्णय किया। इस स्थान पर सुवर्ण नाम के ऋषि तपस्या कर रहे थे जो भगवान शिव को देखकर प्रसन्न हो गए और उनसे प्रार्थना की कि जब तक वो नर्मदा पूजन कर वापस न लौटें तब तक भगवान शिव उसी पहाड़ी पर विराजमान रहें। नर्मदा पूजन करते समय ऋषि सुवर्ण ने विचार किया कि यदि भगवान हमेशा के लिए यहाँ विराजमान हो जाएँ तो इस स्थान का कल्याण हो और इसी के चलते ऋषि सुवर्ण ने नर्मदा में समाधि ले ली।


🚩इसके बाद से कहा जाता है कि आज भी उस पहाड़ी पर भगवान शिव की कृपा भक्तों को प्राप्त होती है। माना जाता है कि नर्मदा को भगवान शिव ने अपना मार्ग बदलने का आदेश दिया था ताकि मंदिर पहुँचने के लिए भक्तों को कठिनाई का सामना न करना पड़े। इसके बाद संगमरमर की कठोरतम चट्टानें मक्खन की तरह मुलायम हो गई थीं जिससे नर्मदा को अपना मार्ग बदलने में किसी भी तरह की कठिनाई नहीं हुई।


🚩चौसठ योगिनी मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी के दौरान कल्चुरी शासक युवराजदेव प्रथम के द्वारा कराया गया। उन्होंने भगवान शिव और माता पार्वती समेत योगिनियों का आशीर्वाद लेने के उद्देश्य से इस मंदिर का निर्माण कराया था। युवराजदेव के बाद 12वीं शताब्दी के दौरान शैव परंपरा में पारंगत गुजरात की रानी गोसलदेवी ने चौसठ योगिनी मंदिर में गौरी-शंकर मंदिर का निर्माण कराया।


🚩मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर की तरह यह मंदिर भी तंत्र साधना का एक महान स्थान हुआ करता था। यह मंदिर काल गणना और पंचांग निर्माण का सर्वश्रेष्ठ स्थान माना जाता था जहाँ ज्योतिष, गणित, संस्कृत साहित्य और तंत्र विज्ञान का अध्ययन करने के लिए देश और विदेश से छात्र आया करते थे। 10वीं शताब्दी का यह मंदिर उस समय का आयुर्वेद कॉलेज हुआ करता था। खुले आसमान के नीचे ग्रह और नक्षत्रों की गणना के साथ आयुर्वेद की शिक्षा भी दी जाती थी।


🚩संरचना और इस्लामिक आक्रमण

पत्थरों से निर्मित चबूतरे पर इस मंदिर का निर्माण किया गया है। त्रिभुजाकार कोणों पर योगिनियों की प्रतिमाएँ स्थापित हैं। मंदिर परिसर की गोलाकार संरचना के केंद्र में गर्भगृह में गौरीशंकर की प्रतिमा स्थापित है। नंदी पर विराजमान भगवान शिव और माता पार्वती की विवाह प्रतिमा संभवतः पूरे भारत में कहीं नहीं है। मुख्य मंदिर के सामने नंदी प्रतिमा है और एक छोटे चबूतरे पर शिवलिंग स्थापित है, जहाँ श्रद्धालुओं द्वारा विभिन्न तरह के अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है।


🚩हालाँकि मंदिर में योगिनियों की प्रतिमाओं को खंडित कर दिया गया है और यह कार्य किसी और ने नहीं बल्कि इस्लामी आक्रांता औरंगजेब ने किया, जिसने अपने शासनकाल में हजारों हिन्दू मंदिरों को अपना निशाना बनाया। कहा जाता है कि औरंगजेब ने अपनी तलवार से एक-एक योगिनी की प्रतिमा को खंडित किया, लेकिन जब वह गर्भगृह में स्थापित गौरीशंकर की प्रतिमा को खंडित करने गया तो दैवीय चमत्कार के कारण उसे भयभीत होकर वहाँ से भागना पड़ा था। - ओम द्विवेदी


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Tuesday, August 22, 2023

CJI चंद्रचूड़ :हमें न्याय देने की कोर्ट की क्षमता में विश्वास पैदा करना होगा

 चीफ जस्टिस बोले : सभी को मिलना चाहिए न्याय, 'मनमाने ढंग से गिरफ्तारियों' का भी किया जिक्र...


22 August 2023


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🚩DY Chandrachud , भारत के चीफ जस्टिस (CJI) ने स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम के मौके पर न्यायपालिका से जुड़ी कई बातें लोगों के सामने रखीं।


🚩उन्होंने मंगलवार (15 अगस्त) को अपने भाषण के दौरान 'मनमाने ढंग से गिरफ्तारियों और संपत्तियों के विध्वंस' मुद्दे का भी जिक्र किया और साथ ही यह भी कहा , कि लाइन में खड़े हर एक व्यक्ति तक न्याय पहुंचना जरूरी है। साथ ही उन्होंने देश में न्यायिक बुनियादी ढांचे में व्यापक बदलाव की जरूरत पर भी जोर डाला।


🚩चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "न्याय प्रणाली की ताकत न्याय प्रदान करना है। किसी व्यक्ति की मनमाने ढंग से गिरफ्तारी, विध्वंस की धमकी, संपत्तियों को अवैध रूप से कुर्क किया गया है तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जजों से सांत्वना मिलनी चाहिए।'' 


🚩क्या कुछ बोले चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ?


🚩डीवाई चंद्रचूड़ ने नई दिल्ली में "स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम" के अवसर पर वकीलों और अन्य अतिथियों/आगंतुकों के मध्य अपनी ये बातें रखीं। गौरतलब है कि , इस कार्यक्रम में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी मौजूद थे। CJI ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट बार, देश के अग्रणी बार के रूप में कानून के शासन की सुरक्षा के लिए खड़ा है।


🚩" अदालती बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करने की जरूरत "


🚩CJI ने कहा, "हमारा संविधान यह सुनिश्चित करने के लिए न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका की परिकल्पना करता है कि शासन की संस्थाएं परिभाषित संवैधानिक सीमाओं के अंदर काम करें। न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौती न्याय तक पहुंचने में बाधाओं को खत्म करना है । इसके लिए अदालती बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करने की जरूरत है।"


🚩" ...हर एक व्यक्ति को इंसाफ मिले "


🚩CJI चंद्रचूड़ ने कहा, "हमें न्याय देने की कोर्ट की क्षमता में विश्वास पैदा करना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर एक व्यक्ति को इंसाफ मिले। हमें अदालत के बुनियादी ढांचे में सुधार करने की जरूरत है। सभी तीन अंग, न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका राष्ट्रीय निर्माण के लिए सामान्य कार्य में जुड़े हुए हैं। "


🚩गुस्ताख़ी माफ़ हो... पर एक बात तो तय है कि , न्यायपालिका के इस बेढंगे तौर के चलते कितने ही बेगुनाह सालों तक कैद में ही भगवान की दी हुई अपनी अनमोल जिंदगी के दिन गँवाने को मजबूर हैं ।

हजारों बेगुनाह तो सालो तक चलते केस के बीच ही , बिना अपराध सिद्ध हुए, जेल मे ही आख़िरी सांसे गिन लेते हैं...


🚩उस पर विडंबना ये कि हमारी न्यायपालिका का मुख्य सूत्र है कि चाहे सौ मुजरिम छूट जाएं ... पर एक बेकसूर को सजा कभी नही होनी चाहिए !

बावजूद इसके , आए दिन तो हम देखते/सुनते ही हैं , कि फलां हाई प्रोफाइल व्यक्ति पर बड़ी ही संगीन धाराओं के तहत वारंट जारी हुआ है...

अब क्या होता है कि पहले तो उसको अरेस्ट ही नहीं किया जाता ( बेशक किसी न किसी दबाव या स्वार्थवश) और अगर गिरफ़्तार हो भी गया तो , कुछ न कुछ ऊटपटांग कारणों/परिस्थितियों ( किसी को BP बढ़ जाता है तो किसी के परिजनों की शादी पार्टी में जाना अत्यावश्यक होता है तो किसी को अधूरी बनी फिल्म पूरी करने के लिए) को सामने रखकर जमानत और या पैरोल मिल जाती है। कभी कभी तो एक दो दिन में ही , या कभी हफ्ते - दस दिन में वह घोर अपराधी बाहर खुली हवा में न सिर्फ सांस ले रहा होता है बल्कि अपनी आपराधिक गतिविधियों को निर्बाध रूप से अंजाम दे रहा होता है।


🚩वहीं दूसरी ओर किसी बेकसूर मासूम इन्सान जो कि मध्यमवर्गीय हो , उस पर एक छोटा-सा आरोप लगने भर की देर है , उसे अरेस्ट से लेकर जेल मे सड़ाने तक की प्रक्रिया बड़ी शीघ्रता से अंजाम दी जाती है।


🚩उससे भी अधिक आश्चर्यजनक और दुखपूर्ण परिस्थितियों का सामना उन्हें करना पड़ता है, जो देश समाज और संस्कृति की रक्षा और सेवा में जीवन समर्पित किए रहते हैं।फिर चाहे वो हाई-प्रोफाइल व्यक्तित्व हों या सर्वसाधारण नागरिक। उन पर एक झूठा आरोप ही काफी होता है कि , गहरी नींद मे सोई हमारी पुलिस, मीडिया और न्यायपालिका...सभी अचानक से अटेंशन मोड में आ जाते हैं।


🚩बात तब और खास हो जाती है यदि वह आरोपी हिन्दू समुदाय से हुआ तो.... तब तो उसे किसी भी कीमत पर बेल और या पैरोल मिलना नामुमकिन हो जाता है। आइए आज ऐसे ही चंद उदाहरण देखते हैं...


🚩शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती जी पर आरोप लगे , तो उन्हे दिवाली की रात ही अर्जेंटली अरेस्ट किया गया और कोरोना फैलाने वाला मौलाना साद आराम से आजाद घूमता रहा।


🚩साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर जी पर बम विस्फोट और हिंसा के आरोप लगे तो उन्हे 9 साल तक कैद मे रखकर बुरी तरह प्रताड़ित किया गया और अंततः वो भी बाइज्जत बरी हुईं। पर उन्होंने करावास में जो कष्ट सहे और जीवन के 9 साल उनसे छीने गए, उसकी भरपाई कौन करेगा।


🚩नित्यानंद जी पर झूठे आरोप लगे ,उनके विरुद्ध षड्यंत्रों की आंधी चली ,तो उन्हें देश छोड़कर जाना पड़ा , इस केस की निष्पक्ष जांच में विलंब का खामियाजा स्वामी जी ने ही भुगता । और बाद में निर्दोष साबित हुए। 


🚩संत आशाराम जी बापू पर झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाकर उन्हें आज 10 साल से कैद में रखा गया है। कई बार गंभीर अस्वस्थ होने पर भी उन्हें अच्छे इलाज तक के लिए परोल नहीं मिली । इसी बीच उनकी पत्नी बुरी तरह बीमार हुईं पर 1 दिन की भी बेल नहीं मिली।

बावजूद इसके कि आरोपो के विरुद्ध सभी साक्ष्य कोर्ट में पेश किए गए, जिससे षड़यंत्र का खुलासा भी हो गया ।आज देश विदेश में तकरीबन हर व्यक्ति इस सच्चाई को जान/समझ चुका है...फिर भी उन्हें आज तक मिल रही हैं तो सिर्फ तारीख पर तारीख।


🚩हिन्दू धर्म और संस्कृति के प्रबल समर्थक और रक्षक दारासिंह जी को हिंसक प्रवृत्तियों के झूठे आरोप लगे और आज वो 25+ साल से जेल में हैं।उन्हें भी 1 दिन की बेल नहीं दी गई। यहां तक कि उनकी मां की अन्त्येष्टी तक के लिए उन्हे जमानत नहीं मिली...जैसे कि वो कोई खूंखार आतंकी हो।


🚩वहीं एक अभिनेत्री का बिजनेसमैन पति पॉर्न फिल्में बनाकर देश के युवाधन को खोखला करने के घृणित अपराध करता है और आराम से पैरोल मिल जाती है उसे। आखिर क्यों !?


🚩आखिर क्यों , क्यों ऐसी पक्षपातपूर्ण और संभ्रम है हमारी न्यायिक प्रणाली !?


🚩ये तो कुछेक ही उदाहरण दिए हैं अजीबोगरीब फैसलों के... ऐसे तो हजारों -लाखों सुने-अनसुने केसेज दफन होंगे हमारे देश के न्यायालयों की इमारतों में ।

.....और हजारों बेगुनाहों के साथ उनके परिजन भी घुट-घुट कर जीते/मरते होंगे !!


🚩मानना ही होगा कि , हमारी न्यायिक व्यवस्था में अंदर तक घुन लग चुका है।इस दिशा में शीघ्रातिशीघ्र ठोस कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि अब और निर्दोषों की जिंदगियां बली न चढ़ें और देश में अमन-चैन का महौल बने।


🚩जय हिन्द ! जय भारत !!🚩


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Monday, August 21, 2023

गुलाम नबी आजाद के भीतर अपने अपमानित पुरखों का कोई अंश ही होगा, जो सच सबके सामने कह गए....


21 August 2023

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🚩पश्चिम की दुनिया ने तो इस सदी में 9/11 का स्वाद चखा और इस्लामी आतंक की शक्ल ठीक से देखी। मगर भारत का चप्पा-चप्पा ऐसे अनगिनत 9/11 से भरा हुआ है। एक ही शहर में कई-कई 9/11 हैं। ये हजार साल में इतनी-इतनी बार हुए हैं कि इंसानी याददाश्त ही चकरा जाए।

🚩जिस समय यह अंधड़ चल रहे थे उसी समय 50 से ज्यादा लेखकों के लिखे दस्तावेजों में इनकी भयावहता दर्ज है और इन लेखकों में सारे ही मुस्लिम थे। ये दस्तावेज अनेक बार पढ़े-पलटे हैं और इन घटनाओं को रेखांकित किया है।

🚩धर्मांतरण के ब्यौरे ऐसे अपमानजनक हैं कि आज कोई भी आत्मसम्मान वाला व्यक्ति अपने अतीत में झाँकने भर से खुदकुशी कर ले। इसलिए कश्मीर में गुलाम नबी आजाद ने जो कहा है, उसे इतिहास की रोशनी में देखिए, किंतु राजनीति की आँख से नहीं।

🚩 9 अगस्त 2023 को डोडा के चिरल्ला गाँव में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि “मैं संसद में भी यह बात कह चुका हूँ। लेकिन बहुत सारी चीजें आप तक नहीं पहुँचती है… हमारे हिंदुस्तान में इस्लाम तो वैसे भी 15 सौ साल पहले ही आया है। हिंदू धर्म बहुत पुराना है। जो लोग (मुस्लिम) बाहर से आए होंगे, वो केवल 10-20 होंगे और वो भी उस वक्त मुगलों की फौज में थे। बाकी तो सब यहाँ (भारत) हिंदू से कन्वर्ट हुए मुसलमान हैं।600 साल पहले कश्मीर में कोई मुस्लिम नहीं था। सब कश्मीरी पंडित थे। सब इस्लाम अपनाकर मुस्लिम बने हैं।”

🚩आप सच से भाग नहीं सकते। सच को दबा नहीं सकते। सच ज्ञानवापी की दीवारों से झाँक-झाँककर अपना पता देगा और तहखानों में चीख-चीखकर पुकारेगा। गुलाम नबी आजाद के भीतर अपने अपमानित पुरखों का कोई अंश ही होगा, जो वे साहसपूर्वक एक सच सबके सामने कह गए! सच को स्वीकार करना चाहिए, किंतु तथ्यों की रोशनी में और तथ्य अब किसी से छिपे हुए नहीं हैं!

🚩वैसे एक प्यारे जंतु के रूप में हम शुतुरमुर्गों का भी सम्मान करते हैं! - विजय मनोहर तिवारी

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