Thursday, February 22, 2024

कर्नाटक में हिंदू मंदिरों से कर वसूलने का बिल हुआ पास

23  February 2024

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🚩कर्नाटक सरकार ने हाल में ‘कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक 2024’ पारित किया है। यह विधेयक सरकार को अधिकार देता है कि वह मंदिरों से टैक्स वसूल सकें।


🚩इस बिल के अनुसार अगर किसी हिंदू मंदिर का राजस्व 1 करोड़ है तो सरकार उनसे 10 फीसद टैक्स ले सकती है और जिनका राजस्व 1 करोड़ से कम है लेकिन 10 लाख रुपए से ज्यादा है तो उनसे सरकार 5 प्रतिशत कर ले सकती है।


🚩बताया जा रहा है कि इस बिल में ये भी कहा गया है कि एक निगमित निकाय के मामले में सदस्यों को हिंदू और अन्य धर्मों दोनों से नियुक्त किया जा सकता है।


🚩इस विधेयक के पारित होने के बाद प्रदेश के भाजपा नेताओं ने इसका जमकर विरोध किया। कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष विजयेंद्र येदियुरप्पा ने कहा कि कॉन्ग्रेस सरकार हिंदू विरोधी नीतियाँ अपनाकर अपना खाली खजाना भरना चाहती है।


🚩उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा कि कॉन्ग्रेस सरकार राज्य में लगातार हिंदू विरोधी नीतियाँ अपना रही है। अब उसकी हिंदू मंदिरों के राजस्व पर टेढ़ी नजर है। सरकार ने अपने खाली खजाने को भरने के लिए हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक पारित किया है। सरकार हिंदू मंदिरों से धन जुटाकर अपने दूसरे उद्देश्य पूरा करेगी।

https://twitter.com/BYVijayendra/status/1760332970232303660?t=NjbbNlFe_SYWGzaRvWM-4g&s=19


🚩विजयेंद्र ने कहा कि सरकार 1 करोड़ से अधिक कमाई वाले मंदिरों से आय का 10% टैक्स लेगी। भक्तों द्वारा भगवान को चढ़ाए गए धन का इस्तेमाल मंदिर और भक्तों की सुविधा के लिए होना चाहिए। यदि इसे किसी अन्य उद्देश्य के लिए आवंटित किया जाता है, तो यह लोगों के साथ हिंसा और धोखाधड़ी होगी। येदियुरप्पा ने आश्चर्य जताया कि कर्नाटक सरकार केवल हिंदू मंदिरों को ही क्यों निशाना बना रही है। अन्य धर्मों को क्यों नहीं?


🚩स्वतंत्र भारत में केवल हिन्दू समुदाय है जिसे अपने धार्मिक-शैक्षिक-सांस्कृतिक संस्थान चलाने का वह अधिकार नहीं, जो अन्यों को है। यह अन्याय हिन्दू समुदाय को अपने धर्म और धार्मिक संस्थाओं का, अपने धन से अपने धार्मिक कार्यों, विश्वासों का प्रचार-प्रसार करने से वंचित करता है। उलटे, हिन्दुओं द्वारा श्रद्धापूर्वक चढ़ाए गए धन का हिन्दू धर्म के शत्रु मतवादों को मदद करने में दुरुपयोग करता है। यह हमारी राज्यसत्ता द्वारा और न्यायपालिका के सहयोग से होता रहा है– इस अन्याय को कौन खत्म करेगा?



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Wednesday, February 21, 2024

मौलवी मोहम्मद छात्राओं से करवाता था मालिश और शिक्षिका से किया रेप

22  February 2024

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🚩सुदर्शन न्यूज़ चैनल के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके जी ने कई बार बताया है, कि अधिकतर मीडिया को ईसाई मिशनरियों की वेटिकन सिटी और मुस्लिम देश जैसे अरब, दुबई आदि से फंडिग होती है, जिससे वे हिन्दू संस्कृति तोड़ने के लिए हिन्दुओं के आस्था स्वरूप हिन्दू साधु-संतों के प्रति भारत की जनता के मन में नफरत पैदा करने का काम करते हैं । वे हिन्दुओं के मन में ये डालने का प्रयास करते हैं कि आपके धर्मगुरु तो अपराधी हैं। आप हिन्दू धर्म छोड़कर हमारे धर्म में आ जाओ । ये उनकी थ्योरी है, जबकि वे मौलवी और ईसाई पादरियों के कुकर्म नहीं बताते ।


 🚩आज वही बात आई है, मौलवी पकड़ा गया पर कोई खबर नही जबकि कोई हिंदू साधु संत पर झूठा केस भी लग जाता है , तो अब तक मीडिया वाले गला फाड़कर चिल्लाते दिखते।


🚩बिहार के पूर्णिया जिले में एक मदरसा टीचर पर छात्राओं के साथ छेड़खानी और सहकर्मी महिला शिक्षिका से रेप का आरोप लगा है। आरोपित टीचर का नाम मोहम्मद तहसीन है। तहसीन पर कड़ी कार्रवाई की माँग को ले कर ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया है। मोहम्मद तहसीन मदरसे में बने एक कमरे में छात्राओं को ले जा कर मालिश भी करवाता था। इन आरोपों के उलट मदरसे के हेड मौलवी मोहम्मद तहसीन की हिमायत कर रहे हैं। हालाँकि, तहसीन और हेड मौलवी रिश्तेदार बताए जा रहे हैं।


🚩‘न्यूज़ 18’ के मुताबिक, मामला पूर्णिया के श्रीखंड प्रखंड का है। यहाँ के रहीकपुर में मदरसा मिफ्ताऊल ऊलूम है जहाँ मोहम्मद तहसीन सहायक शिक्षक के तौर पर काम करता है। अब इस मदरसे की महिला रसोइया और गाँव के दर्जनों निवासियों ने तहसीन के खिलाफ कार्रवाई की आवाज बुलंद की है। ग्रामीणों का आरोप है कि मोहम्मद तहसीन का मदरसे में ही पढ़ाने वाली एक महिला शिक्षिका के साथ गलत संबंध है। तहसीन के किसी आपत्तिजनक वीडियो के भी वायरल होने का दावा किया जा रहा है।


🚩ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि मदरसे में बड़ी उम्र की लड़कियाँ पढ़ने जाती हैं। पढ़ाई के दौरान ही सहायक टीचर मोहम्मद तहसीन उन लड़कियों को मदरसे के ऊपर बने कमरे में ले जाता है और वहाँ उनसे मालिश करवाता है। कई ग्रामीण इसकी शिकायत जिला शिक्षा पदाधिकारी, मदरसा बोर्ड और मदरसे के हेड मौलवी तक को कर चुके हैं। शिकायत में उन्होंने मोहम्मद तहसीन को फ़ौरन हटाने और कानूनी कार्रवाई की माँग उठाई है।


🚩गाँव के मरकूब आलम के मुताबिक, तहसीन की छात्राओं से गलत हरकत की 4-5 बार शिकायतें मिल चुकी हैं। उनका कहना है कि मोहम्मद तहसीन की हरकतों से पढ़ाई का माहौल बिगड़ रहा है और अगर हालत न सुधरे तो लड़कियाँ पढ़ने ही आना बंद कर देंगी


🚩बिकाऊ मीडिया का एक ही लक्ष्य रहता है, ईसाई धर्मगुरु हो या मुस्लिम धर्मगुरु उनके ऊपर कोई आरोप लगता है अथवा अपराध सिद्ध भी हो जाये तो उसको इस तरीके से दिखाएंगे की जैसे कोई हिन्दू साधु-संत है क्योंकि उनका उद्देश्य है हिन्दू संस्कृति के स्तम्भ साधु-संतों को बदनाम करके हिन्दू धर्म को नीचा दिखाना और कुछ भोले हिन्दू उनकी बातों में आ जाते हैं । बिकाऊ मीडिया की बात को सच मानकर अपने धर्मगुरुओं को गलत बोलने लग जाते हैं।


 🚩मुस्लिमपरस्ती में कुछ मीडिया वाले इस कदर मदमस्त हैं कि उसे गलती से कहीं कोई अपराधी मुस्लिम समुदाय का या कई बार ईसाई भी दिख गया तो ये पूरा गिरोह चटपट येन-केन प्रकारेण दर्शकों/पाठकों के सामने मामले को ऐसा स्पिन देने की कोशिश में लग जाएगा कि समुदाय विशेष का अपराध भी ढक जाए और कोई निरपराध समुदाय या व्यक्ति खास तौर पर हिन्दू धर्म प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सवालों के घेरे में भी आ जाए। इसलिए बिकाऊ मीडिया से सावधान रहें।


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Tuesday, February 20, 2024

महासमाधी लेने वाले कौन हैं जैन धर्मगुरु आचार्य विद्यासागर जी महाराज ?

21 February 2024

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 🚩जैन मुनि विद्यासागर जी महाराज जैन धर्म के प्रमुख गुरु थे, उन्होंने शनिवार की रात करीब 2:30 बजे छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़-राजनंदगाँव में अपना देह त्याग दिया। रविवार (18 फरवरी 2024) को उनका अंतिम संस्कार पूरा हो गया। उन्होंने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरि तीर्थ में आचार्य पद का त्याग करने के बाद 3 दिन का उपवास और मौन धारण कर लिया था।


🚩मुनि जी का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को शरद पूर्णिमा के दिन कर्नाटक के बेलगाँव जिले के सदलगा गाँव में हुआ था। दीक्षा के पहले भी उनका नाम विद्यासागर ही था। उन्होंने 22 साल की उम्र में घर-परिवार छोड़ दी थी। इसके बाद 30 जून 1968 को राजस्थान के अजमेर में अपने गुरु आचार्य श्रीज्ञानसागर जी महाराज से दीक्षा ली थी। दीक्षा के बाद उन्होंने कठोर तपस्या की।


🚩मुनि जी दिन भर में सिर्फ एक बार एक अंजुली पानी पीते थे। वे खाने में सीमित मात्रा में सादी दाल और रोटी लेते थे। उन्होंने आजीवन नमक, चीनी, फल, हरी सब्जियाँ, दूध, दही, सूखे मेव, अंग्रेजी दवाई, तेल, चटाई का त्याग किया। इसके अलावा उन्होंने थूकने का भी त्याग रखा। उन्होंने आजीवन सांसारिक एवं भौतिक पदार्थों का त्याग कर दिया। वे हर मौसम में बिना चादर, गद्दे, तकिए के शख्त तख्त पर सिर्फ एक करवट में शयन करते थे।


🚩मुनि जी ने पैदल ही पूरे देश में भ्रमण किया। उनकी तपस्या को देखते हुए श्रीज्ञानसागर जी महाराज ने 22 नवम्बर 1972 को उन्हें आचार्य पद सौंपा था। आचार्य विद्यासागर के पिता का नाम श्री मल्लप्पा था, जो बाद में संन्यास लेकर मुनि मल्लिसागर बने। उनकी माता का नाम श्रीमंती था, जो आगे चलकर संन्यास ले लीं और आर्यिका समयमति बनीं। मुनि उत्कृष्ट सागर जी दिवंगत विद्यासागर जी के बड़े भाई हैं।


🚩वहीं, उनके भाई अनंतनाथ और शांतिनाथ ने भी आचार्य विद्यासागर जी से दीक्षा ग्रहण कर लिया है। शांतिनाथ जी अब मुनि योगसागर जी हैं और शांतिनाथ जी अब मुनि समयसागर जी के नाम से जाने जाते हैं। आचार्य विद्यासागर के चार भाई और दो बहने भी थीं। विद्यासागर जी महाराज पूरे भारत के संभवत: ऐसे अकेले आचार्य रहे, जिनका पूरा परिवार संन्यास ले चुका है।


🚩आचार्य जी संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, मराठी और कन्नड़ में पारंगत थे। उन्होंने जैन धर्म एवं दर्शन का गहन अध्ययन किया। उन्होंने हिन्दी और संस्कृत में कई ग्रंथ लिखे हैं। 100 से अधिक शोधार्थियों ने उनके कार्य पर PhD किया है। उनके कार्यों में निरंजना शतक, भावना शतक, परीषह जाया शतक, सुनीति शतक और शरमाना शतक शामिल हैं। उन्होंने काव्य मूकमाटी की भी रचना की है। इसे कई संस्थानों में स्नातकोत्तर के हिन्दी पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है।


🚩वे कभी भी और कहीं भी यात्रा के लिए निकल पड़ते थे। इसके लिए उन्होंने पहले से योजना नहीं बनाई। वे अक्सर नदी, झील, पहाड़ जैसे प्राकृतिक जगहों पर ठहरते और वहाँ साधना करते थे। यहीं, आचार्य विद्यासागर महाराज अकेले ऐसे मुनि हैं, जिन्होंने संभवत: पूरे भारत में अकेले सबसे अधिक दीक्षा दी है। उन्होंने 350 से अधिक लोगों को दीक्षा दी है।


🚩आचार्य विद्यासागर जी धन संचय करने के खिलाफ थे। उन्होंने दान-दक्षिणा में भी कभी किसी से पैसे नहीं लिए। उन्होंने आज तक ना ही कोई बैंक अकाउंट खुलवाया और ना ही कोई ट्रस्ट भी नहीं बनाया। लोगों का तो यहाँ तक कहना है कि आचार्य ने पैसे को कभी हाथ भी नहीं लगाया। उनके नाम पर यदि कोई दान देता भी था तो उसे वे समाज सेवा के लिए दे देते थे।


🚩आचार्यश्री ने भारत के पिछड़े बुन्देलखण्ड क्षेत्र में शिक्षा एवं सामाजिक कल्याण हेतु कई कार्यों को बढ़ावा दिया। उनके प्रयासों से इन सूखे इलाके में स्कूलों, अस्पतालों और सामुदायिक केंद्रों की स्थापना हुई। इसके कारण वहाँ के अनगिनत व्यक्तियों के जीवन में बदलाव आया।


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Monday, February 19, 2024

वसंत ऋतु शुरू हो गई है, सालभर निरोग रहना है तो इतना जरुर करें ......

20  February 2024

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🚩प्रत्येक मनुष्य के जीवन में इन तीन बातों की अत्यधिक आवश्यकता होती है – स्वस्थ जीवन, सुखी जीवन तथा सम्मानित जीवन। सुख का आधार स्वास्थ्य है तथा सुखी जीवन ही सम्मान के योग्य है।


🚩उत्तम स्वास्थ्य का आधार है यथा योग्य आहार-विहार एवं विवेकपूर्वक व्यवस्थित जीवन। बाह्य चकाचौंध की ओर अधिक आकर्षित होकर हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं इसलिए हमारा शरीर रोगों का घर बनता जा रहा है।


🚩‘चरक संहिता’ में कहा गया हैः

आहाराचारचेष्टासु सुखार्थी प्रेत्य चेह च।

परं प्रयत्नमातिष्ठेद् बुद्धिमान हित सेवने।।

'इस संसार में सुखी जीवन की इच्छा रखने वाले बुद्धिमान व्यक्ति आहार-विहार, आचार और चेष्टाएँ हितकारक रखने का प्रयत्न करें।'


🚩वसंत ऋतु में क्या करें?

वसंत ऋतु 19 फरवरी 19 अप्रैल तक है वसंत ऋतु में कफ को कुपित करने वाले पौष्टिक और गरिष्ठ पदार्थों की मात्रा धीरे-धीरे कम करते हुए गर्मी बढ़ते हुए ही बन्द कर के सादा सुपाच्य आहार लेना शुरु कर देना चाहिए। चरक के सादा सुपाच्य आहार लेना शुरु कर देना चाहिये। चरक के अनुसार इस ऋतु में भारी, चिकनाईवाले, खट्टे और मीठे पदार्थों का सेवन व दिन में सोना वर्जित है। इस ऋतु में कटु, तिक्त, कषारस-प्रधान द्रव्यों का सेवन करना हितकारी है। 

वसंत ऋतु में 15-20 नीम की नई कोंपलें चबा-चबाकर खायें। इस प्रयोग से वर्षभर चर्मरोग, रक्तविकार और ज्वर आदि रोगों से रक्षा करने की प्रतिरोधक शक्ति पैदा होती है।


🚩यदि वसन्त ऋतु में आहार-विहार के उचित पालन पर पूरा ध्यान दिया जाय और बदपरहेजी न की जाये तो वर्त्तमान काल में स्वास्थ्य की रक्षा होती है। साथ ही ग्रीष्म व वर्षा ऋतु में स्वास्थ्य की रक्षा करने की सुविधा हो जाती है। प्रत्येक ऋतु में स्वास्थ्य की दृष्टि से यदि आहार का महत्व है तो विहार भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है।


🚩इस ऋतु में उबटन लगाना, तेलमालिश, धूप का सेवन, हल्के गर्म पानी से स्नान, योगासन व हल्का व्यायाम करना चाहिए। देर रात तक जागने और सुबह देर तक सोने से मल सूखता है, आँख व चेहरे की कान्ति क्षीण होती है अतः इस ऋतु में देर रात तक जागना, सुबह देर तक सोना स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद है। हरड़े के चूर्ण का नियमित सेवन करने वाले इस ऋतु में थोड़े से शहद में यह चूर्ण मिलाकर चाटें।


🚩इस ऋतु में कड़वे नीम के फूलों का रस 7 से 15 दिन तक पीने से त्वचा के रोग एवं मलेरिया जैसे ज्वर से भी बचाव होता है।


🚩धार्मिक ग्रंथों के वर्णनानुसार चैत्र मास के दौरान 'अलौने व्रत' (बिना नमक के व्रत) करने से रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है एवं त्वचा के रोग, हृदय के रोग, उच्च रक्तचाप (हाई बी.पी.), गुर्दा (किडनी) आदि के रोग नहीं होते। स्त्रोत : आरोग्य निधि साहित्य


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Sunday, February 18, 2024

धर्म परिवर्तन के पीछे इटली की संस्था, राजस्थान के कई गाँव में चल रहे सेंटर

19 February 2024

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🚩राजस्थान के भरतपुर में 20 हजार लोगों का धर्म परिवर्तन कराया जा चुका है। धर्म परिवर्तन के लिए पार्थना सभाओं का आयोजन किया जाता। इन प्रार्थना सभाओं में आने वालों को राशन दिया जाता। छोटी-मोटी बीमारियों को दूर किया जाता। वहाँ पहुँचने वाले लोगों की अन्य आर्थिक परेशानियाँ भी दूर की जाती। गरीबों के खाते में हजारों-लाखों की मदद भेज दी जाती। और फिर छोटी-छोटी प्रार्थना सभाओं से शुरू होकर ये खेल बड़े-बड़े फार्म हाउसों, रिजॉर्ट, होटलों तक जाता, जहाँ सामूहिक धर्म परिवर्तन कराया जाता। अब इस पूरे मामले से जुड़े चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं, उसमें न सिर्फ विदेशी एंगल सामने आ रहा है, बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग का भी मामला सामने आ सकता है। वैसे, इसकी जाँच शुरू हो गई है, जिसके लिए एसआईटी बनाई गई है।


🚩राजस्थान के भरतपुर में जिस ईसाई धर्मांतरण के जाल का खुलासा हुआ है, उसे चंडीगढ़ में बैठा बजिंदर सिंह चला रहा था। वो लोगों के खातों में सीधे पैसे भेजता था। भरतपुर में उसके लिए काम करने वाले अजय सिंह और उसका पूरा परिवार इसी काम में लगा हुआ है। अजय सिंह मूलत: रूपवास के श्रीनगर का रहने वाला है, लेकिन धर्मांतरण के खेल को चलाने के लिए वो पीपला गाँव में बस गया। यहीं पर उसके घर पर सप्ताह में दो दिन सत्संग यानी ईसाई प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाता है। यही नहीं, पीपला गाँव में एक महिला भी अपने घर में प्रार्थना सभाएँ चलाती हैं। ये सारा खुलासा हुआ, भास्कर की ग्राउंड रिपोर्ट में…


🚩इस रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय लोगों ने बताया है कि लोगों को धर्म परिवर्तन कराने पर दो लाख रुपए से लेकर पाँच लाख रुपए तक दिए जाते हैं। पूर्व सरपंच तूहीराम ने बताया कि उन्होंने अजय सिंह को पहले भी धर्मांतरण से जुड़े काम को लेकर चेतावनी दी थी, लेकिन वो नहीं माना। अजय सिंह के बारे में बताया जा रहा है कि वो खुद अब पादरी बन चुका है और उसके पास से पुलिस को इसका सर्टिफिकेट तक मिला है।


🚩धर्मांतरण का इटली कनेक्शन

भरतपुर में चल रहे ईसाई मिशनरी के खेल में लभाना मिनिस्ट्री का नाम सामने आ रहा है, जिसके द्वारा जारी किए गए धर्मांतरण के सर्टिफिकेट भी मिले हैं। लभाना मिनिस्ट्री इटली की संस्था है। वो ईसाईयों की संख्या को बढ़ाने के पीछे लगी है, जिसमें मूल काम लोगों को तमाम तरह के प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराना होता है। ऐसे धर्मांतरण सेंटर सिर्फ पीपला गाँव में ही नहीं, बल्कि भरतपुर के कंजोली, गुँडवा, बझेरा, नोंह बहामदी, बहनेरा, रुपवास, गघीना और बयाना जैसी जगहों पर भी चल रहे हैं।



🚩भरतपुर में धर्मांतरण के काम को कंपनी के जरिए फंडिंग

भरतपुर में धर्मांतरण के खेल में मौके से गिरफ्तार किए गए दो लोग कुँवर सिंह और शैलेंद्र सिंह का नाम एलएमएन कंपनी से जुड़ रहा है। ये कंपनी ऐसे कार्यक्रमों के लिए फंडिंग करती थी। ये कंपनी लोगों को बाइबिल भी गिफ्ट करती है। भरतपुर में पकड़े गए कुँवर सिंह को चंडीगढ़ से प्रोफेट बजिंदर सिंह हर महीने 1 लाख रुपए बैंक खाते में भेजा करता था। इससे वो छोटे-मोटे काम खुद के खर्च पर ही कर लेता था।


🚩भरतपुर जिला पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा ने बताया कि धर्म परिवर्तन के दो मामले सामने आए हैं। एक मामला निजी होटल में सामने आया, जहाँ कार्यक्रम के दौरान लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करते हुए और दूसरे धर्म का अपमान किया जा रहा था। दूसरा मामला एक गाँव में सामने आया है। हमने मामले की जाँच के लिए एसआईटी का गठन किया है।


🚩पादरी बजिंदर मुख्य अभियुक्त, या खेल बड़ा?

बता दें कि राजस्थान के भरतपुर स्थित एक होटल में रविवार (11 फरवरी, 2024) को ईसाई मिशनरी धर्मांतरण का भंडाफोड़ हुआ था। उस कार्यक्रम में 350 से 500 लोग शामिल हुए थे। इस कार्यक्रम में चंडीगढ़ से पादरी बजिंदर सिंह को लाइव जुड़ा हुआ था, जो लोगों का धर्मांतरण करवा रहा था। कार्यक्रम में दावे किए गए कि वो मरे हुए बच्चे तक को ज़िंदा कर सकता है और कैंसर जैसी भयंकर बीमारी का भी इलाज कर सकता है। कार्यक्रम के आयोजकों कुँवर सिंह और शैलेन्द्र सिंह को राजस्थान पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।


🚩बजिंदर सिंह खुद को प्रोफेट कहता है। उसके कई ऐसे वीडियो इंटरनेट पर मौजूद हैं, जहाँ वो चमत्कारी दावे करता है और अजीबोगरीब हरकतें करवाता है। गिरफ्तार दोनों आरोपित कह रहे हैं कि वो तो सिर्फ माध्यम हैं। बजिंदर सिंह चंडीगढ़ से ही लोगों का लाइव धर्मांतरण करा रहा था। माइक और स्पीकर समेत 5 एलईडी की व्यवस्था कार्यक्रम स्थल पर की गई थी। दोनों आरोपित 2020 से ही बजिंदर सिंह से जुड़े हुए थे। अकेले भरतपुर में 20,000 से अधिक लोगों का वो धर्मांतरण करा चुका है। वकील संदीप सिंह ने इस आयोजन को लेकर खुलासा किया, जो दोस्त की शादी के लिए मैरिज हॉल बुक करने ‘सोनार हवेली’ पहुँचे थे। वहाँ करीब 400 लोग मौजूद थे। 15 लोग मंच पर थे। येशु की कसम दिला कर धर्म-परिवर्तन कराया जा रहा था।


🚩महान विचारक वीर सावरकर धर्मान्तरण को राष्ट्रान्तरण मानते थे। आप कहते थे "यदि कोई व्यक्ति धर्मान्तरण करके ईसाई या मुसलमान बन जाता है तो फिर उसकी आस्था भारत में न रहकर उस देश के तीर्थ स्थलों में हो जाती है जहाँ के धर्म में वह आस्था रखता है, इसलिए धर्मान्तरण यानी राष्ट्रान्तरण है।



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Saturday, February 17, 2024

भारत के ही सन्देशखाली में हिंदुओं पर अत्याचार सुनकर आप भी रो पड़ेंगे

18 February 2024*

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🚩आप गृहस्थ हैं,रात के नौ बजे, घर का दरवाजा ज़ोर से पीटने की आवाज़ से आप आतंकित हो जाते हैं... जब दरवाज़ा टूटने की नौबत आ जाती है तो मजबूर होकर आप दरवाज़ा खोल खोलते हैं.... कई TMC के टोपीवाले कारकुन आपके 4 थप्पड़ मार के कहते हैं कि तेरी बड़ी बेटी कहाँ हैं.... आप कांप उठते हैं.... कारकुन अंदर नहीं घुसता ,सिर्फ ऑर्डर सुनाता है कि " अमुक जगह पर अपनी बेटी और अपनी पत्नी को खुद लेकर आ जाना.... सुबह तेरी बीवी और बेटी को वापस कर दिया जाएगा .... वरना मौत के लिए तैयार रह "....


 🚩आप खुद अपनी बेटी और बीवी को 'अमुक जगह' पर छोड़ कर आते हैं.... सुबह आपकी बीवी लूटी-पिटी मुँह छिपाए वापस आ जाती हैं.... लेकिन बेटी कई दिन बाद वापस आएगी क्योकि कुछ दरिंदों की हवस की प्यास अभी शांत नहीं हुई ! आप पुलिस के पास जाते है...एक पार्टी के दफ्तर में नाक रगड़ते हैं...मगर कोई आपकी नहीं सुनता... वहां सनातनी बेटी जो अधिकतर दलित सनातनी हिंदू हैं....इस कृत्य को झेलने के लिए अभिशप्त हैं ! कोई सुनने वाला नहीं,केंद्र भी नहीं....

          " मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ है,

           क्या मेरे हक में फैसला देगा "....


 🚩 सन्देशखाली... वह जगह है जो सुंदरबन और 24 परगना के नज़दीक है .... एक बांग्लादेशी शख्स खुल्लमखुल्ला घोषणा करता है कि वह बांग्लादेशी है, मगर चुनाव जीत जाता है ...अब तो भारत की सीनियर मिनिस्टर स्मृति ईरानी बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके उसका नाम शेख शाहजहाँ बताती हैं.... शेख शाहजहाँ को गिरफ्तार करने ID जाती है तो IG सहित पूरी ID टीम की भयंकर पिटाई होती है.... 


 🚩 ज़ुल्म की इंतेहा देखिये...  उधर बलात्कार की शिकायत लेकर गए... 111 पीड़ितों पर ही FIR दर्ज हो जाती है !


 🚩गूगल पर संदेशखाली टाइप कीजिये... यूट्यूब पर यह नाम डालिये....आंखें गीली न हो जाएं तो कहिएगा !! इस क्षेत्र के हिंदुओं को अपने रीति रिवाज, त्योहार, शादी-ब्याह भी इन्ही कादर भाई, शेख शाहजहाँ  जैसों से अनुमति लेकर मनाने पड़ते हैं.... यह सब कुछ अपने भारत मे हो रहा है.... 


 🚩किस्सा कितना दर्दनाक है... इसका अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि कराची में भी बिल्कुल हिन्दू स्त्रियों के साथ यही सब कुछ होता है....लगातार होता है.... वहां भी अत्याचारी उसी मज़हब के हैं... महिलाएं भी भील और अनुसूचित जाति की हैं... मुसलसल बलात्कारों से उत्पन्न बच्चों को भी इन्ही स्त्रियों और इनके निरीह पतियों को पालना पड़ता है ! अक्सर स्त्रियों को पता ही नहीं होता कि नवागंतुक बच्चे का पिता कौन है .... किसने कल्पना की थी कि कथित आज़ादी के बाद यह सब भारत के कथित 'बहुसंख्यकों' की स्त्रियों के साथ भी होगा..... । - Source facebook


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Friday, February 16, 2024

क्या आप इतने महान क्रांतिकारी वासुदेव बलवंत फड़के के बारे में जानते हैं ?

17 February 2024*

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🚩अगर बात करे भारतीय स्वतंत्रता की क्रांति और उन क्रांतिकारियों की जिनकी वजह से देश को आजादी मिली तो इतिहास की रेत में शायद हज़ारों नाम दबे मिले। पर हम सिर्फ कुछ नामों से ही रु-ब-रु हुए हैं। वैसे तो भारत माँ के इन सभी सपूतों के बारे में जानकारी सहेजने की कोशिश जारी है ताकि आने वाली हर पीढ़ी इनके बलिदान को जान-समझ सके।

ऐसा ही एक महान क्रांतिकारी और भारत माँ का सच्चा बेटा था वासुदेव बलवंत फड़के! फड़के ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह का संगठन करने वाले भारत के प्रथम क्रान्तिकारी थे। उनका जन्म 4 नवंबर, 1845 को महाराष्ट्र के रायगड जिले के शिरढोणे गांव में हुआ था।


🚩साल 1857 की क्रांति की विफलता के बाद एक बार फिर भारतीयों में संघर्ष की चिंगारी फड़के ने ही जलाई थी।


🚩वासुदेव बलवन्त फड़के बचपन से ही बड़े तेजस्वी और बहादुर बालक थे। उन्हें वनों और पर्वतों में घूमने का बड़ा शौक़ था। कल्याण और पुणे में उनकी शिक्षा पूरी हुई। फड़के के पिता चाहते थे कि वह एक व्यापारी की दुकान पर दस रुपए मासिक वेतन की नौकरी कर लें। लेकिन फड़के ने यह बात नहीं मानी और मुम्बई आ गए।


🚩उन्होंने 15 साल पुणे के मिलिट्री एकाउंट्स डिपार्टमेंट में नौकरी की। इस सबके दौरान फड़के लगातार अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के सम्पर्क में रहे। उन पर खास प्रभाव महादेव गोविन्द रानाडे का था। फड़के के मन में पहले ही ब्रिटिश राज के खिलाफ बग़ावत के बीज पड़ चुके थे।


🚩ऐसे में एक और घटना हुई और इस घटना ने फड़के के पुरे जीवन को ही बदल दिया। साल 1871 में, एक शाम उनकी माँ की तबियत खराब होने का तार उनको मिला। इसमें लिखा था कि ‘वासु’ (वासुदेव बलवन्त फड़के) तुम शीघ्र ही घर आ जाओ, नहीं तो माँ के दर्शन भी शायद न हो सकेंगे।


🚩इस तार को पढ़कर वे विचलित हो गये और अपने अंग्रेज़ अधिकारी के पास अवकाश का प्रार्थना-पत्र देने के लिए गए। किन्तु अंग्रेज़ तो भारतीयों को अपमानित करने के लिए तैयार रहते थे। उस अंग्रेज़ अधिकारी ने उन्हें छुट्टी नहीं दी, लेकिन फड़के दूसरे दिन अपने गांव चले आए।

पर गांव जाकर देखा कि माँ तो अपने प्यारे वासु को देखे बिना ही इस दुनिया को छोड़ गयीं। इस बात का उनके मन पर बहुत आघात हुआ और उन्होंने तभी वह अंग्रेजी नौकरी छोड़ दी।


🚩देश में स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर उन्होंने भी ब्रिटिश राज के खिलाफ जंग की तैयारी शुरू कर दी। उन्हें देशी राज्यों से कोई सहायता नहीं मिली तो फड़के ने शिवाजी का मार्ग अपनाकर आदिवासियों की सेना संगठित करने की कोशिश शुरू की।


🚩साल 1879 में उन्होंने अंग्रेज़ों के विरुद्ध विद्रोह की घोषणा कर दी। उन्होंने पूरे महाराष्ट्र में घूम-घूमकर नवयुवकों से विचार-विमर्श किया, और उन्हें संगठित करने का प्रयास किया।  महाराष्ट्र की कोळी, भील तथा धांगड जातियों को एकत्र कर उन्होने ‘रामोशी’ नाम का क्रान्तिकारी संगठन खड़ा किया। अपने इस मुक्ति संग्राम के लिए धन एकत्र करने के लिए उन्होने धनी अंग्रेज साहुकारों को लूटा।


🚩महाराष्ट्र के सात ज़िलों में वासुदेव फड़के की सेना का ज़बर्दस्त प्रभाव फैल चुका था। जिससे अंग्रेज़ अफ़सर डर गए थे। इस कारण एक दिन बातचीत करने के लिए वे विश्राम बाग़ में इकट्ठा हुए। वहाँ पर एक सरकारी भवन में बैठक चल रही थी।


🚩13 मई, 1879 को रात 12 बजे वासुदेव बलवन्त फड़के अपने साथियों सहित वहाँ आ गए। अंग्रेज़ अफ़सरों को मारा तथा भवन को आग लगा दी। उसके बाद अंग्रेज़ सरकार ने उन्हें ज़िन्दा या मुर्दा पकड़ने पर पचास हज़ार रुपए का इनाम घोषित किया। किन्तु दूसरे ही दिन मुम्बई नगर में वासुदेव के हस्ताक्षर से इश्तहार लगा दिए गए कि जो अंग्रेज़ अफ़सर ‘रिचर्ड’ का सिर काटकर लाएगा, उसे 75 हज़ार रुपए का इनाम दिया जाएगा। अंग्रेज़ अफ़सर इससे और भी बौखला गए।


🚩फड़के की सेना और अंग्रेजी सेना में कई बार मुठभेड़ हुई, पर उन्होंने अंग्रेजी सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। लेकिन फड़के की सेना का गोला-बारूद धीरे-धीरे खत्म होने लगा। ऐसे में उन्होंने कुछ समय शांत रहने में ही समझदारी मानी और वे पुणे के पास के आदिवासी इलाकों में छिप गये।


🚩20 जुलाई, 1879 को फड़के बीमारी की हालत में एक मंदिर में आराम कर रहे थे। पर किसी ने उनके यहाँ होने की खबर ब्रिटिश अफसर को दे दी। और उसी समय उनको गिरफ्तार कर लिया गया। उनके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया और उन्हें फांसी की सजा सुनाई गयी।


🚩लेकिन एक बहुत ही विख्यात वकील महादेव आप्टे ने उनकी पैरवी की। जिसके बाद उनकी मौत की सजा को कालापानी की सजा में बदल दिया गया और उन्हें अंडमान की जेल में भेजा गया। 17 फरवरी, 1883 को कालापानी की सजा काटते हुए जेल के अंदर ही देश का यह वीर सपूत बलिदान हो गया।


🚩साल 1984 में भारतीय डाक सेवा ने उनके सम्मान में एक पोस्टल स्टैम्प भी जारी की। दक्षिण मुंबई में उनकी एक मूर्ति की स्थापना भी की गयी।

देश के इस महान क्रांतिकारी को कोटि-कोटि नमन!


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