Saturday, February 24, 2024

सिकंदर लोदी संत रविदास को बनाना चाहता मुसलमान, पीर खुद बन गया हिन्दू

 25  February 2024

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🚩सिकंदर लोदी के शासनकाल की बात है । सदना पीर उन दिनों एक जाना-माना पीर था । सिकंदर लोदी के दरबार में भी उसकी प्रसिद्धि हो चुकी थी । परंतु हिन्दू समाज में संत रविदास की बहुत प्रतिष्ठा थी।


🚩एक दिन सदना पीर ने सोचा कि ‘आजकल रविदास का बड़ा नाम हो रहा है… मीराबाई जैसी रानी भी इनको मानती हैैै । मैं इनको समझाऊँ कि काफिरों की परंपरा छोड़ दें और कुरानशरीफ पढ़ें, कलमा पढ़ें । यदि ये मान गये तो सिकंदर लोदी से इनका बहुमान करा दूँगा । फिर इनको माननेवाले हजारों हिन्दू मुसलमान बन जायेंगे, जिससे हमारी जमात बढ़ जायेगी ।’


🚩ऐसा सोचकर वह संत रविदास के पास गया और बोला : ‘‘आप काफिरों की तरह यह क्या बुतपरस्ती (मूर्तिपूजा) करते हैं ? पत्थर की मूर्ति के आगे बैठकर ‘राम-राम’ रटते रहते हैं ? आप हमारे साथ चलिये, कुरानशरीफ पढ़कर उसका फायदा उठाइये । हम आपको सुलतान से पीर की पदवी दिलवायेंगे ।’’

सदना पीर ने हिन्दू धर्म की निन्दा में कुछ और भी बातें कहीं । जब वह कह चुका तब रविदासजी ने कहा : ‘‘मैंने तेरी सारी बातें सुनीं, सदना पीर ! अगर तेरे में साधुताई है, पीरपना है तो तुझे मेरी बात सुननी ही चाहिए ।


🚩किसी व्यक्ति, किसी पीर-पैगंंबर या ईश्वर के बेटे द्वारा बनाया हुआ धर्म, धर्म नहीं एक संप्रदाय है । किंतु सनातन धर्म कोई संप्रदाय नहीं है । इसमें सभी मनुष्यों की भलाई के सिवाय कोई बात नहीं है ।


🚩खुदा कलाम कुरान बताओ, फिर क्यों जीव मारकर खाओ? खुदा नाम बलिदान चढ़ाओ, सो अल्लाह को दोष लगाओ ?दिनभर रोजा नमाज गुजारें, संध्या समय पुनः मुर्गी मारें ?भक्ति करे फिर खून बहावे, पामर किस विधि दोष मिटावे ?


🚩जिसमें जीव हिंसा लिखी, वह नहीं खुदा कलाम ।

दया करे सब जीव पर, सो ही अहले इसलाम ।।

आप कहते हैं कि ‘हिन्दू बुतपरस्ती करते हैं, मूर्तिपूजक हैं, मूर्ख हैं । खुदाताला निराकार है ।’ तो भाई ! सुन लो :


🚩निराकार तुम खुदा बताओ, कुरान खुदा का कलाम ठहराओ । कलाम कहै तो बनै साकारा, फिर कहाँ रहा खुदा निराकारा ? कलमा को खुदाताला के वचन कहते हो तो ये वचन तो साकार के हैं । निराकार क्या बोलेगा ?’’

सदना पीर व रविदास के बीच इस्लाम धर्म और सनातन धर्म की चर्चा लम्बे समय तक होती रही । सदना पीर की समझ में रविदास की बात आ गयी कि जीते-जी मुक्ति और अपना आत्मा-परमात्मा ही सार है । जिस सार को मंसूर समझ गये, उन्हें अनलहक की अनुभूति हुई, वही सनातन धर्म सर्वोपरि सत्य है ।


🚩संत रविदास की रहस्यमयी बातें सुनकर सदना पीर को सद्बुद्धि प्राप्त हुई । सदना पीर ने कहा : ‘‘मरने के बाद कोई हमारी खुशामद करेगा और बाद में हमें मुक्ति मिलेगी, यह हम मान बैठे थे । हम सदा मुक्तात्मा हैं, इस बात का हमें पता ही नहीं था । अब आप हमें सनातन धर्म की दीक्षा दीजिये ।’’उसने संत रविदास से दीक्षा ली और उसका नाम रखा गया – रामदास ।


🚩सिकंदर लोदी को जब इस बात का पता चला तो उसने संत रविदास को बुलवाकर पहले तो खूब डाँटा, फिर प्रलोभन देते हुए कहा : ‘‘अभी भी रामदास को फिर से सदना पीर बना दो तो हम आपको ‘रविदास पीर’ की ऊँची पदवी दे देंगे । सदना पीर आपका चेला और आप उनके गुरु । मेरे दरबार में आप दोनों का सम्मान होगा और हम आपको मुख्य पीर का दर्जा देंगे ।’’


🚩‘‘मुख्य पीर का दर्जा तुम दोगे तो हमें तो तुम्हारी आधीनता स्वीकारनी पड़ेगी । जो सारे विश्व को बना-बनाके, नचा-नचाके मिटा देता है उस परमेश्वर से तुम्हारा प्रताप ज्यादा मानना पड़ेगा तो यह मुक्ति हुई कि गुलामी ? सुन ले भैया !


🚩वेद धर्म है पूरन धर्मा, वेद अतिरिक्त और सब भर्मा ।

वेद धर्म की सच्ची रीता, और सब धर्म कपोल प्रतीता ।।

वेदवाक्य उत्तम धरम, निर्मल वाका ज्ञान ।

यह सच्चा मत छोड़कर, मैं क्यों पढ़ूँ कुरान ?


🚩और धर्म तो पीर-पैगंबरों ने बनाये हैं लेकिन वैदिक धर्म सनातन है । ऐसा धर्म छोड़कर मैं तुम्हारी खुशामद क्यों करूँगा ?


🚩तुम मुझे मुसलमान बनाना चाहते हो लेकिन मैं मनुष्य का बनाया हुआ मुसलमान क्यों बनूँ ? ईश्वर द्वारा बनाया हुआ मैं जन्मजात सनातन हिन्दू हूँ । ईश्वर के बनाये पद को छोड़कर मैं इंसान के बनाये पद पर क्यों गिरूँ ? नश्वर के लिए शाश्वत को क्यों छोड़ूँ ?


🚩श्रुति शास्त्र स्मृति गाई, प्राण जायँ पुनि धर्म न जाई ।

कुरान बहिश्त न चाहिए, मुझको हूर हजार ।।

वेद धर्म त्यागूँ नहीं, जो गल चलै कटार ।

वेद धर्म है पूरण धर्मा, करि कल्याण मिटावै भर्मा ।।

सत्य सनातन वेद हैं, ज्ञान धर्म मर्याद ।

जो ना जाने वेद को, वृथा करै बकवाद ।।

तुम चाहो तो मेरा सिर कटवा दो, पत्थर बाँधकर मुझे यमुनाजी में फिंकवा दो । ऐसा करोगे तो यह शरीर मरेगा लेकिन मेरा आत्मा-परमात्मा तो अमर है ।’’


🚩यह सुन सिकंदर लोदी आगबबूला होकर बोलाः ‘‘हद हो गयी, फकीर ! अब आखिरी निर्णय कर । या तो गला कटवाकर तेरा कीमा बनवा दूँ या तो मुसलमान बन जा तो पूजवा दूँ । सिकंदर तेरे भाग्य का विधाता है ।’’


🚩‘‘मैंने तुम्हारी बातें सुनीं, अब तुम मेरी बात भी सुनो : तुम्हारी धमकियों से मैं डरने वाला नहीं हूँ ।


🚩मैं नहीं दब्बू बाल गँवारा, गंगत्याग महूँ ताल किनारा ।।

प्राण तजूँ पर धर्म न देऊँ । तुमसे शाह सत्य कह देऊँ ।।

चोटी शिखा कबहुँ नहीं त्यागूँ । वस्त्र समान देह भल त्यागूँ ।।

कंठ कृपाण का करौ प्रहारा । चाहै डुबावो सिंधु मंझारा ।।

तुम भले मुझे गंगा में डलवा दो या पत्थर बाँधकर तालाब में फिंकवा दो ।’’

‘‘इतना बेपरवाह ! इतना निर्भीक ! तू मौत को बुला रहा है ? सिपाहियो ! इसके पैरों में जंजीरें और हाथों में हथकड़ियाँ डालकर इसे कैदखाने में ले जाओ । इसका कीमा बनवायें या जल में डुबवायें, इसका निर्णय बाद में करेंगे ।’’


🚩रविदासजी को कैद किया गया पर उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी । वे तो हरिनाम जपते रहे, अपने अमर आत्मा के भाव में मस्त रहे और सब कुछ प्रभु के भरोसे छोड़ते हुए बोले : ‘प्रभु ! यदि तेरी यही मर्जी है तो तेरी मर्जी पूरण हो ।’ शरीर तो उनका कैदखाने में है लेकिन मन है प्रभु में !भगवान ने सोचा कि ‘जिसने मेरी मर्जी में अपनी मर्जी को मिला दिया है, उसको अगर सिकंदर लोदी कुछ कष्ट पहुँचायेगा तो सृष्टि के नियम में गड़बड़ हो जायेगी ।’


🚩सिकंदर लोदी सुबह-सुबह नमाज पढ़ने गया तो उसने देखा कि सामने रविदास खड़े हैं । वह बोला : ‘ऐ काफिर ! तू यहाँ कहाँ से आ गया ?’ उसने मुड़कर देखा तो रविदास ! दो-दो रूप ! फिर तीसरी ओर देखा तो वहाँ भी रविदास ! जिस भी दिशा में देखता, रविदास-ही-रविदास दिखायी देते । वह घबरा गया ।


🚩उसने आदेश दिया : ‘‘सिपाहियों ! संत रविदास को बाइज्जत ले आओ ।’’

संत रविदास की जंजीरें खोल दी गयीं । सिकंदर उनके चरणों में गिरकर, गिड़गिड़ाकर माफी माँगने लगा : ‘‘ऐ फकीर !* *गुस्ताखी माफ करो । अल्लाह ने आपको बचाने के लिए अनेकों रूप ले लिये थे । मैं आपको नहीं पहचान पाया, मैंने बड़ी गलती की । आप मुझे बख्श दें ।’’

संत रविदास : ‘‘कोई बात नहीं, भैया ! ईश्वर की ऐसी ही मर्जी होगी ।’’


🚩जिसने जंजीरों में जकड़कर कैदखाने में डाल दिया, उसी के प्रति महापुरुष के हृदय से आशीर्वाद निकल पड़े कि ‘भगवान तुम्हारा भला करे ।’

कैसे हैं सनातन हिन्दू धर्म के संत।

(स्त्रोत: संत श्री आशारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से )


🚩आज जो राष्ट्रविरोधी ताकतों द्वारा राजनीति फायदा के लिए जो नये नेता उभर रहे हैं और दलितों के मसीहा बोलते हैं और संत रविदास के नाम लेकर दलितों को हिन्दू धर्म से दूर कर रहे हैं उनको संत रविदास की आत्मा धिक्कार दे रही होगी, संत रविदास जी की आत्मा बोल रही होगी कि हमने तो सनातन हिन्दू धर्म को बचाने के लिए अनेक यातनाएं सही लेकिन हिन्दू धर्म का त्याग नहीं किया लेकिन आज कुछ नेता अपने फायदे के लिए जो हिन्दू धर्म में बंटवारा करके देश के टुकड़े करना चाहते हैं उनको तो नर्क में भी जगा नही मिल पायेंगी।


🚩दलित समाज से विनती है कि आप किसी भी नेता के बहकावे न आएँ । महान संत रविदास जी के मार्ग पर चलकर अपना कल्याण करें और देश व सनातन धर्म की अखंडता बनाये रखें यही बड़ी सेवा है ।


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Friday, February 23, 2024

ब्रिटेन के स्कूलों में मोबाइल फोन पर लगेगा बैन, सरकार ला रही सख्त कानून

23 February 2024

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🚩ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने स्कूलों में मोबाइल फोन पर रोक लगाने जा रही है। यूके सरकार ने इंग्लैंड के सभी स्कूलों को स्कूल के घंटों के दौरान मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर बैन लागू करने की सलाह देते हुए कड़े नए दिशानिर्देश जारी किए हैं।


🚩नए दिशानिर्देश के मुताबिक, स्कूल के प्रिंसिपल इन कानून के जरिए पूरी तरह से बैन लगाए बिना स्कूलों के अंदर फोन के उपयोग को सीमित करने की आजादी देते हैं। सरकार के सुझाए गए तरीकों में स्कूल के भीतर फोन पर पूर्ण प्रतिबंध, स्कूल के घंटों के दौरान फोन जमा करना या फोन रखने के लिए खास लॉकर बनाना शामिल है।


🚩शिक्षा विभाग (DfE) ने स्कूलों में मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल, जैसे साइबरबुलिंग, पढ़ाई में रुकावट और सीखने के समय का नुकसान पर चिंताएं उठाई हैं। यूनाइटेड किंगडम के अलावा कई अन्य यूरोपीय देश जैसे फ्रांस, इटली और पुर्तगाल में भी स्कूलों में मोबाइल फोन को बैन कर दिया है।


🚩ऑफकॉम के आंकड़ों के मुताबिक 97 फीसदी बच्चों के पास 12 साल की उम्र तक मोबाइल फोन होता है। यूके के शिक्षा सचिव गिलियन कीगन ने बीबीसी बताया, "आप सीखने, संबंध विकसित करने, साथियों और शिक्षकों के साथ बातचीत करने के लिए स्कूल जाते हैं न कि लगातार अपने फोन पर स्क्रॉल करने के लिए।"


🚩एक तरफ जहां एसोसिएशन ऑफ स्कूल एंड कॉलेज लीडर्स के नेता इसे एक गैर-मौजूद समस्या का गैर जरूरी समाधान बताते हैं, वहीं कुछ शिक्षकों ने इसका स्वागत किया है। एसेक्स के पासमोर्स अकादमी के प्रधानाध्यापक विक गोडार्ड ने कहा, "स्कूल सभी छात्रों के फायदे के लिए इस नीति में बदलाव करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।"


🚩युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य और विकास पर सोशल मीडिया के प्रभाव पर बढ़ती चिंताओं के मद्देनजर छात्रों के फोन के इस्तेमाल को बैन करने के लिए कार्रवाई करने का आग्रह करने वाले माता-पिता, वकीलों और डिजिटल सेफ्टी ग्रुप्स की बढ़ती कॉल के बीच ये निर्देश आए हैं।


🚩यूके सरकार का तर्क है कि फोन के उपयोग को प्रतिबंधित करने से एकाग्रता, शारीरिक गतिविधि और एक दूसरे के बीच बातचीत बढ़ सकती है। कई माता-पिताओं ने हाल ही में टेक कंपनियों और स्कूलों से 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए स्मार्टफोन की रीच को सीमित करने का अनुरोध किया, जिसे बाल आयुक्त राचेल डी सूजा ने जोरदार समर्थन दिया।


🚩हालांकि, सरकार स्पेशलाइज्ड अंडर-16 मोबाइल फोन को आगे नहीं बढ़ाएगी, प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए प्रतिबद्धता जताई। सुनक ने एक प्रेस ब्रीफिंग में टिप्पणी की, "ऑनलाइन युवाओं की सुरक्षा करना हमेशा हमारी प्राथमिकता होगी। मेरी सरकार टेक कंपनियों के साथ बात रही है और बच्चों के लिए नुकसानदायक सामग्री तक पहुंच को प्रतिबंधित करने वाले सभी तरीकों पर विचार कर रही है।"


 🚩मोबाइल फोन से होने खतरें 


🚩मोबाइल फोन से निकलने वाले विकिरण आपकी सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचाने में सक्षम है। इतना ही नहीं यह आपको कई तरह की बीमारियों को शि‍कार बना सकता है। जानिए इसके अधि‍क प्रयोग से होती है कौन से नुकसान - 

 

🚩1 मोबाइल फोन के रेडिएशन से उत्पन्न खतरों में सबसे बड़ा खतरा है कैंसर। अगर आप अपने मोबाइल फोन को पूरा दिन अपनी जेब में या शरीर से चिकाकर रखते हैं तो संबंधि‍त स्थान पर ट्यूमर होने की आशंका बढ़ जाती है और आप आसानी से कैंसर के शि‍कार हो सकते हैं।

 

🚩2 रात के समय मोबाइल फोन को शरीर से सटाकर या सीने पर रखकर सोने की आदत है तो यह आदत आपके लिए बेहद खतरनाक ही नहीं जानलेवा भी हो सकती है। इसके अलावा इसके रेडिएशन का प्रभाव आपके मस्तिष्क पर भी नकारात्मक पड़ता है।

 

🚩3 ज्यादातर पुरुषों में आदत होती है कि वे अपना मोबाइल फोन बेल्ट के पास बने पॉकेट में रखते हैं। पूरा दिन मोबाइल फोन को इस तरह से रखना आपके लिए बेहद हानिकारक है। मोबाइल फोन के इलेक्ट्रोमेगनेटिक विकिरणों का प्रभाव आपकी हड्डियों पर भी पड़ता है और उनमें मौजूद मि‍नरल लिक्विड समाप्त हो सकता है।

 

🚩4 पुरुषों में कमर के पास मोबाइल फोन को रखना और भी खतरनाक हो सकता है। दरअसल मोबाइल के रेडिएशन का नकारात्मक प्रभाव शुक्राणुओं में कमी के रूप में भी देखा जा सकता है।

 

🚩5 वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के एक शोध के अनुसार मोबाइल फोन का अत्यधि‍क इस्तेमाल मस्तिष्क के कैंसर के लिए जिम्मेदार होता है। इसके विकिरणों के प्रभाव के चलते ब्रेन में ट्यूमर हो सकता है।

 

🙏🏻6 मोबाइल फोन से निकलने वाले इलेक्ट्रोमेगनेटिक विकिरणों से आपका डीएनए तक क्षतिग्रस्त हो सकता है। इसके अलावा इसका अधि‍क इस्तेमाल आपको मानसिक रोगी भी बना सकता है।

 

🚩7 तनाव और डि‍प्रेशन के कारणों में एक प्रमुख कारण मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडिएशन के खतरनाक प्रभाव भी हैं। यह आपके दिमाग की कोशि‍काओं को संकुचित करती हैं, जिससे ब्रेन में ऑक्सीजन की सही मात्रा नहीं पहुंच पाती। 

 

🚩8 गर्भवती महलाओं द्वारा मोबाइल फोन का अधि‍क इस्तेमाल, गर्भस्थ शि‍शु को प्रभावित कर सकता है। इससे शि‍शु के दिमाग पर नकारात्मक असर पड़ सकता है जिससे उसका विकास प्रभावित होता है।

 

🚩9 मोबाइल फोन के हानिकारक विकिरण न केवल कैंसर जैसी बीमारी को जन्म देते हैं, बल्कि यह डाइबिटीज और हृदय रोगों की संभावनाओं को भी कई गुना बढ़ा देती हैं। 

 

🚩10 मोबाइल फोन का जरूरी और सीमि‍त इस्तेमाल ही इलेक्ट्रोमेगनेटि‍क विकिरणों के दुष्प्रभाव को कम कर सकता है। इसके अलावा इसे अपने शरीर से सटाकर न रखते हुए, पर्स में या फिर अन्य स्थान पर रखना ज्यादा सही होगा।


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Thursday, February 22, 2024

कर्नाटक में हिंदू मंदिरों से कर वसूलने का बिल हुआ पास

23  February 2024

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🚩कर्नाटक सरकार ने हाल में ‘कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक 2024’ पारित किया है। यह विधेयक सरकार को अधिकार देता है कि वह मंदिरों से टैक्स वसूल सकें।


🚩इस बिल के अनुसार अगर किसी हिंदू मंदिर का राजस्व 1 करोड़ है तो सरकार उनसे 10 फीसद टैक्स ले सकती है और जिनका राजस्व 1 करोड़ से कम है लेकिन 10 लाख रुपए से ज्यादा है तो उनसे सरकार 5 प्रतिशत कर ले सकती है।


🚩बताया जा रहा है कि इस बिल में ये भी कहा गया है कि एक निगमित निकाय के मामले में सदस्यों को हिंदू और अन्य धर्मों दोनों से नियुक्त किया जा सकता है।


🚩इस विधेयक के पारित होने के बाद प्रदेश के भाजपा नेताओं ने इसका जमकर विरोध किया। कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष विजयेंद्र येदियुरप्पा ने कहा कि कॉन्ग्रेस सरकार हिंदू विरोधी नीतियाँ अपनाकर अपना खाली खजाना भरना चाहती है।


🚩उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा कि कॉन्ग्रेस सरकार राज्य में लगातार हिंदू विरोधी नीतियाँ अपना रही है। अब उसकी हिंदू मंदिरों के राजस्व पर टेढ़ी नजर है। सरकार ने अपने खाली खजाने को भरने के लिए हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक पारित किया है। सरकार हिंदू मंदिरों से धन जुटाकर अपने दूसरे उद्देश्य पूरा करेगी।

https://twitter.com/BYVijayendra/status/1760332970232303660?t=NjbbNlFe_SYWGzaRvWM-4g&s=19


🚩विजयेंद्र ने कहा कि सरकार 1 करोड़ से अधिक कमाई वाले मंदिरों से आय का 10% टैक्स लेगी। भक्तों द्वारा भगवान को चढ़ाए गए धन का इस्तेमाल मंदिर और भक्तों की सुविधा के लिए होना चाहिए। यदि इसे किसी अन्य उद्देश्य के लिए आवंटित किया जाता है, तो यह लोगों के साथ हिंसा और धोखाधड़ी होगी। येदियुरप्पा ने आश्चर्य जताया कि कर्नाटक सरकार केवल हिंदू मंदिरों को ही क्यों निशाना बना रही है। अन्य धर्मों को क्यों नहीं?


🚩स्वतंत्र भारत में केवल हिन्दू समुदाय है जिसे अपने धार्मिक-शैक्षिक-सांस्कृतिक संस्थान चलाने का वह अधिकार नहीं, जो अन्यों को है। यह अन्याय हिन्दू समुदाय को अपने धर्म और धार्मिक संस्थाओं का, अपने धन से अपने धार्मिक कार्यों, विश्वासों का प्रचार-प्रसार करने से वंचित करता है। उलटे, हिन्दुओं द्वारा श्रद्धापूर्वक चढ़ाए गए धन का हिन्दू धर्म के शत्रु मतवादों को मदद करने में दुरुपयोग करता है। यह हमारी राज्यसत्ता द्वारा और न्यायपालिका के सहयोग से होता रहा है– इस अन्याय को कौन खत्म करेगा?



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Wednesday, February 21, 2024

मौलवी मोहम्मद छात्राओं से करवाता था मालिश और शिक्षिका से किया रेप

22  February 2024

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🚩सुदर्शन न्यूज़ चैनल के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके जी ने कई बार बताया है, कि अधिकतर मीडिया को ईसाई मिशनरियों की वेटिकन सिटी और मुस्लिम देश जैसे अरब, दुबई आदि से फंडिग होती है, जिससे वे हिन्दू संस्कृति तोड़ने के लिए हिन्दुओं के आस्था स्वरूप हिन्दू साधु-संतों के प्रति भारत की जनता के मन में नफरत पैदा करने का काम करते हैं । वे हिन्दुओं के मन में ये डालने का प्रयास करते हैं कि आपके धर्मगुरु तो अपराधी हैं। आप हिन्दू धर्म छोड़कर हमारे धर्म में आ जाओ । ये उनकी थ्योरी है, जबकि वे मौलवी और ईसाई पादरियों के कुकर्म नहीं बताते ।


 🚩आज वही बात आई है, मौलवी पकड़ा गया पर कोई खबर नही जबकि कोई हिंदू साधु संत पर झूठा केस भी लग जाता है , तो अब तक मीडिया वाले गला फाड़कर चिल्लाते दिखते।


🚩बिहार के पूर्णिया जिले में एक मदरसा टीचर पर छात्राओं के साथ छेड़खानी और सहकर्मी महिला शिक्षिका से रेप का आरोप लगा है। आरोपित टीचर का नाम मोहम्मद तहसीन है। तहसीन पर कड़ी कार्रवाई की माँग को ले कर ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया है। मोहम्मद तहसीन मदरसे में बने एक कमरे में छात्राओं को ले जा कर मालिश भी करवाता था। इन आरोपों के उलट मदरसे के हेड मौलवी मोहम्मद तहसीन की हिमायत कर रहे हैं। हालाँकि, तहसीन और हेड मौलवी रिश्तेदार बताए जा रहे हैं।


🚩‘न्यूज़ 18’ के मुताबिक, मामला पूर्णिया के श्रीखंड प्रखंड का है। यहाँ के रहीकपुर में मदरसा मिफ्ताऊल ऊलूम है जहाँ मोहम्मद तहसीन सहायक शिक्षक के तौर पर काम करता है। अब इस मदरसे की महिला रसोइया और गाँव के दर्जनों निवासियों ने तहसीन के खिलाफ कार्रवाई की आवाज बुलंद की है। ग्रामीणों का आरोप है कि मोहम्मद तहसीन का मदरसे में ही पढ़ाने वाली एक महिला शिक्षिका के साथ गलत संबंध है। तहसीन के किसी आपत्तिजनक वीडियो के भी वायरल होने का दावा किया जा रहा है।


🚩ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि मदरसे में बड़ी उम्र की लड़कियाँ पढ़ने जाती हैं। पढ़ाई के दौरान ही सहायक टीचर मोहम्मद तहसीन उन लड़कियों को मदरसे के ऊपर बने कमरे में ले जाता है और वहाँ उनसे मालिश करवाता है। कई ग्रामीण इसकी शिकायत जिला शिक्षा पदाधिकारी, मदरसा बोर्ड और मदरसे के हेड मौलवी तक को कर चुके हैं। शिकायत में उन्होंने मोहम्मद तहसीन को फ़ौरन हटाने और कानूनी कार्रवाई की माँग उठाई है।


🚩गाँव के मरकूब आलम के मुताबिक, तहसीन की छात्राओं से गलत हरकत की 4-5 बार शिकायतें मिल चुकी हैं। उनका कहना है कि मोहम्मद तहसीन की हरकतों से पढ़ाई का माहौल बिगड़ रहा है और अगर हालत न सुधरे तो लड़कियाँ पढ़ने ही आना बंद कर देंगी


🚩बिकाऊ मीडिया का एक ही लक्ष्य रहता है, ईसाई धर्मगुरु हो या मुस्लिम धर्मगुरु उनके ऊपर कोई आरोप लगता है अथवा अपराध सिद्ध भी हो जाये तो उसको इस तरीके से दिखाएंगे की जैसे कोई हिन्दू साधु-संत है क्योंकि उनका उद्देश्य है हिन्दू संस्कृति के स्तम्भ साधु-संतों को बदनाम करके हिन्दू धर्म को नीचा दिखाना और कुछ भोले हिन्दू उनकी बातों में आ जाते हैं । बिकाऊ मीडिया की बात को सच मानकर अपने धर्मगुरुओं को गलत बोलने लग जाते हैं।


 🚩मुस्लिमपरस्ती में कुछ मीडिया वाले इस कदर मदमस्त हैं कि उसे गलती से कहीं कोई अपराधी मुस्लिम समुदाय का या कई बार ईसाई भी दिख गया तो ये पूरा गिरोह चटपट येन-केन प्रकारेण दर्शकों/पाठकों के सामने मामले को ऐसा स्पिन देने की कोशिश में लग जाएगा कि समुदाय विशेष का अपराध भी ढक जाए और कोई निरपराध समुदाय या व्यक्ति खास तौर पर हिन्दू धर्म प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सवालों के घेरे में भी आ जाए। इसलिए बिकाऊ मीडिया से सावधान रहें।


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Tuesday, February 20, 2024

महासमाधी लेने वाले कौन हैं जैन धर्मगुरु आचार्य विद्यासागर जी महाराज ?

21 February 2024

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 🚩जैन मुनि विद्यासागर जी महाराज जैन धर्म के प्रमुख गुरु थे, उन्होंने शनिवार की रात करीब 2:30 बजे छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़-राजनंदगाँव में अपना देह त्याग दिया। रविवार (18 फरवरी 2024) को उनका अंतिम संस्कार पूरा हो गया। उन्होंने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरि तीर्थ में आचार्य पद का त्याग करने के बाद 3 दिन का उपवास और मौन धारण कर लिया था।


🚩मुनि जी का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को शरद पूर्णिमा के दिन कर्नाटक के बेलगाँव जिले के सदलगा गाँव में हुआ था। दीक्षा के पहले भी उनका नाम विद्यासागर ही था। उन्होंने 22 साल की उम्र में घर-परिवार छोड़ दी थी। इसके बाद 30 जून 1968 को राजस्थान के अजमेर में अपने गुरु आचार्य श्रीज्ञानसागर जी महाराज से दीक्षा ली थी। दीक्षा के बाद उन्होंने कठोर तपस्या की।


🚩मुनि जी दिन भर में सिर्फ एक बार एक अंजुली पानी पीते थे। वे खाने में सीमित मात्रा में सादी दाल और रोटी लेते थे। उन्होंने आजीवन नमक, चीनी, फल, हरी सब्जियाँ, दूध, दही, सूखे मेव, अंग्रेजी दवाई, तेल, चटाई का त्याग किया। इसके अलावा उन्होंने थूकने का भी त्याग रखा। उन्होंने आजीवन सांसारिक एवं भौतिक पदार्थों का त्याग कर दिया। वे हर मौसम में बिना चादर, गद्दे, तकिए के शख्त तख्त पर सिर्फ एक करवट में शयन करते थे।


🚩मुनि जी ने पैदल ही पूरे देश में भ्रमण किया। उनकी तपस्या को देखते हुए श्रीज्ञानसागर जी महाराज ने 22 नवम्बर 1972 को उन्हें आचार्य पद सौंपा था। आचार्य विद्यासागर के पिता का नाम श्री मल्लप्पा था, जो बाद में संन्यास लेकर मुनि मल्लिसागर बने। उनकी माता का नाम श्रीमंती था, जो आगे चलकर संन्यास ले लीं और आर्यिका समयमति बनीं। मुनि उत्कृष्ट सागर जी दिवंगत विद्यासागर जी के बड़े भाई हैं।


🚩वहीं, उनके भाई अनंतनाथ और शांतिनाथ ने भी आचार्य विद्यासागर जी से दीक्षा ग्रहण कर लिया है। शांतिनाथ जी अब मुनि योगसागर जी हैं और शांतिनाथ जी अब मुनि समयसागर जी के नाम से जाने जाते हैं। आचार्य विद्यासागर के चार भाई और दो बहने भी थीं। विद्यासागर जी महाराज पूरे भारत के संभवत: ऐसे अकेले आचार्य रहे, जिनका पूरा परिवार संन्यास ले चुका है।


🚩आचार्य जी संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, मराठी और कन्नड़ में पारंगत थे। उन्होंने जैन धर्म एवं दर्शन का गहन अध्ययन किया। उन्होंने हिन्दी और संस्कृत में कई ग्रंथ लिखे हैं। 100 से अधिक शोधार्थियों ने उनके कार्य पर PhD किया है। उनके कार्यों में निरंजना शतक, भावना शतक, परीषह जाया शतक, सुनीति शतक और शरमाना शतक शामिल हैं। उन्होंने काव्य मूकमाटी की भी रचना की है। इसे कई संस्थानों में स्नातकोत्तर के हिन्दी पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है।


🚩वे कभी भी और कहीं भी यात्रा के लिए निकल पड़ते थे। इसके लिए उन्होंने पहले से योजना नहीं बनाई। वे अक्सर नदी, झील, पहाड़ जैसे प्राकृतिक जगहों पर ठहरते और वहाँ साधना करते थे। यहीं, आचार्य विद्यासागर महाराज अकेले ऐसे मुनि हैं, जिन्होंने संभवत: पूरे भारत में अकेले सबसे अधिक दीक्षा दी है। उन्होंने 350 से अधिक लोगों को दीक्षा दी है।


🚩आचार्य विद्यासागर जी धन संचय करने के खिलाफ थे। उन्होंने दान-दक्षिणा में भी कभी किसी से पैसे नहीं लिए। उन्होंने आज तक ना ही कोई बैंक अकाउंट खुलवाया और ना ही कोई ट्रस्ट भी नहीं बनाया। लोगों का तो यहाँ तक कहना है कि आचार्य ने पैसे को कभी हाथ भी नहीं लगाया। उनके नाम पर यदि कोई दान देता भी था तो उसे वे समाज सेवा के लिए दे देते थे।


🚩आचार्यश्री ने भारत के पिछड़े बुन्देलखण्ड क्षेत्र में शिक्षा एवं सामाजिक कल्याण हेतु कई कार्यों को बढ़ावा दिया। उनके प्रयासों से इन सूखे इलाके में स्कूलों, अस्पतालों और सामुदायिक केंद्रों की स्थापना हुई। इसके कारण वहाँ के अनगिनत व्यक्तियों के जीवन में बदलाव आया।


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Monday, February 19, 2024

वसंत ऋतु शुरू हो गई है, सालभर निरोग रहना है तो इतना जरुर करें ......

20  February 2024

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🚩प्रत्येक मनुष्य के जीवन में इन तीन बातों की अत्यधिक आवश्यकता होती है – स्वस्थ जीवन, सुखी जीवन तथा सम्मानित जीवन। सुख का आधार स्वास्थ्य है तथा सुखी जीवन ही सम्मान के योग्य है।


🚩उत्तम स्वास्थ्य का आधार है यथा योग्य आहार-विहार एवं विवेकपूर्वक व्यवस्थित जीवन। बाह्य चकाचौंध की ओर अधिक आकर्षित होकर हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं इसलिए हमारा शरीर रोगों का घर बनता जा रहा है।


🚩‘चरक संहिता’ में कहा गया हैः

आहाराचारचेष्टासु सुखार्थी प्रेत्य चेह च।

परं प्रयत्नमातिष्ठेद् बुद्धिमान हित सेवने।।

'इस संसार में सुखी जीवन की इच्छा रखने वाले बुद्धिमान व्यक्ति आहार-विहार, आचार और चेष्टाएँ हितकारक रखने का प्रयत्न करें।'


🚩वसंत ऋतु में क्या करें?

वसंत ऋतु 19 फरवरी 19 अप्रैल तक है वसंत ऋतु में कफ को कुपित करने वाले पौष्टिक और गरिष्ठ पदार्थों की मात्रा धीरे-धीरे कम करते हुए गर्मी बढ़ते हुए ही बन्द कर के सादा सुपाच्य आहार लेना शुरु कर देना चाहिए। चरक के सादा सुपाच्य आहार लेना शुरु कर देना चाहिये। चरक के अनुसार इस ऋतु में भारी, चिकनाईवाले, खट्टे और मीठे पदार्थों का सेवन व दिन में सोना वर्जित है। इस ऋतु में कटु, तिक्त, कषारस-प्रधान द्रव्यों का सेवन करना हितकारी है। 

वसंत ऋतु में 15-20 नीम की नई कोंपलें चबा-चबाकर खायें। इस प्रयोग से वर्षभर चर्मरोग, रक्तविकार और ज्वर आदि रोगों से रक्षा करने की प्रतिरोधक शक्ति पैदा होती है।


🚩यदि वसन्त ऋतु में आहार-विहार के उचित पालन पर पूरा ध्यान दिया जाय और बदपरहेजी न की जाये तो वर्त्तमान काल में स्वास्थ्य की रक्षा होती है। साथ ही ग्रीष्म व वर्षा ऋतु में स्वास्थ्य की रक्षा करने की सुविधा हो जाती है। प्रत्येक ऋतु में स्वास्थ्य की दृष्टि से यदि आहार का महत्व है तो विहार भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है।


🚩इस ऋतु में उबटन लगाना, तेलमालिश, धूप का सेवन, हल्के गर्म पानी से स्नान, योगासन व हल्का व्यायाम करना चाहिए। देर रात तक जागने और सुबह देर तक सोने से मल सूखता है, आँख व चेहरे की कान्ति क्षीण होती है अतः इस ऋतु में देर रात तक जागना, सुबह देर तक सोना स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद है। हरड़े के चूर्ण का नियमित सेवन करने वाले इस ऋतु में थोड़े से शहद में यह चूर्ण मिलाकर चाटें।


🚩इस ऋतु में कड़वे नीम के फूलों का रस 7 से 15 दिन तक पीने से त्वचा के रोग एवं मलेरिया जैसे ज्वर से भी बचाव होता है।


🚩धार्मिक ग्रंथों के वर्णनानुसार चैत्र मास के दौरान 'अलौने व्रत' (बिना नमक के व्रत) करने से रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है एवं त्वचा के रोग, हृदय के रोग, उच्च रक्तचाप (हाई बी.पी.), गुर्दा (किडनी) आदि के रोग नहीं होते। स्त्रोत : आरोग्य निधि साहित्य


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Sunday, February 18, 2024

धर्म परिवर्तन के पीछे इटली की संस्था, राजस्थान के कई गाँव में चल रहे सेंटर

19 February 2024

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🚩राजस्थान के भरतपुर में 20 हजार लोगों का धर्म परिवर्तन कराया जा चुका है। धर्म परिवर्तन के लिए पार्थना सभाओं का आयोजन किया जाता। इन प्रार्थना सभाओं में आने वालों को राशन दिया जाता। छोटी-मोटी बीमारियों को दूर किया जाता। वहाँ पहुँचने वाले लोगों की अन्य आर्थिक परेशानियाँ भी दूर की जाती। गरीबों के खाते में हजारों-लाखों की मदद भेज दी जाती। और फिर छोटी-छोटी प्रार्थना सभाओं से शुरू होकर ये खेल बड़े-बड़े फार्म हाउसों, रिजॉर्ट, होटलों तक जाता, जहाँ सामूहिक धर्म परिवर्तन कराया जाता। अब इस पूरे मामले से जुड़े चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं, उसमें न सिर्फ विदेशी एंगल सामने आ रहा है, बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग का भी मामला सामने आ सकता है। वैसे, इसकी जाँच शुरू हो गई है, जिसके लिए एसआईटी बनाई गई है।


🚩राजस्थान के भरतपुर में जिस ईसाई धर्मांतरण के जाल का खुलासा हुआ है, उसे चंडीगढ़ में बैठा बजिंदर सिंह चला रहा था। वो लोगों के खातों में सीधे पैसे भेजता था। भरतपुर में उसके लिए काम करने वाले अजय सिंह और उसका पूरा परिवार इसी काम में लगा हुआ है। अजय सिंह मूलत: रूपवास के श्रीनगर का रहने वाला है, लेकिन धर्मांतरण के खेल को चलाने के लिए वो पीपला गाँव में बस गया। यहीं पर उसके घर पर सप्ताह में दो दिन सत्संग यानी ईसाई प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाता है। यही नहीं, पीपला गाँव में एक महिला भी अपने घर में प्रार्थना सभाएँ चलाती हैं। ये सारा खुलासा हुआ, भास्कर की ग्राउंड रिपोर्ट में…


🚩इस रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय लोगों ने बताया है कि लोगों को धर्म परिवर्तन कराने पर दो लाख रुपए से लेकर पाँच लाख रुपए तक दिए जाते हैं। पूर्व सरपंच तूहीराम ने बताया कि उन्होंने अजय सिंह को पहले भी धर्मांतरण से जुड़े काम को लेकर चेतावनी दी थी, लेकिन वो नहीं माना। अजय सिंह के बारे में बताया जा रहा है कि वो खुद अब पादरी बन चुका है और उसके पास से पुलिस को इसका सर्टिफिकेट तक मिला है।


🚩धर्मांतरण का इटली कनेक्शन

भरतपुर में चल रहे ईसाई मिशनरी के खेल में लभाना मिनिस्ट्री का नाम सामने आ रहा है, जिसके द्वारा जारी किए गए धर्मांतरण के सर्टिफिकेट भी मिले हैं। लभाना मिनिस्ट्री इटली की संस्था है। वो ईसाईयों की संख्या को बढ़ाने के पीछे लगी है, जिसमें मूल काम लोगों को तमाम तरह के प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराना होता है। ऐसे धर्मांतरण सेंटर सिर्फ पीपला गाँव में ही नहीं, बल्कि भरतपुर के कंजोली, गुँडवा, बझेरा, नोंह बहामदी, बहनेरा, रुपवास, गघीना और बयाना जैसी जगहों पर भी चल रहे हैं।



🚩भरतपुर में धर्मांतरण के काम को कंपनी के जरिए फंडिंग

भरतपुर में धर्मांतरण के खेल में मौके से गिरफ्तार किए गए दो लोग कुँवर सिंह और शैलेंद्र सिंह का नाम एलएमएन कंपनी से जुड़ रहा है। ये कंपनी ऐसे कार्यक्रमों के लिए फंडिंग करती थी। ये कंपनी लोगों को बाइबिल भी गिफ्ट करती है। भरतपुर में पकड़े गए कुँवर सिंह को चंडीगढ़ से प्रोफेट बजिंदर सिंह हर महीने 1 लाख रुपए बैंक खाते में भेजा करता था। इससे वो छोटे-मोटे काम खुद के खर्च पर ही कर लेता था।


🚩भरतपुर जिला पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा ने बताया कि धर्म परिवर्तन के दो मामले सामने आए हैं। एक मामला निजी होटल में सामने आया, जहाँ कार्यक्रम के दौरान लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करते हुए और दूसरे धर्म का अपमान किया जा रहा था। दूसरा मामला एक गाँव में सामने आया है। हमने मामले की जाँच के लिए एसआईटी का गठन किया है।


🚩पादरी बजिंदर मुख्य अभियुक्त, या खेल बड़ा?

बता दें कि राजस्थान के भरतपुर स्थित एक होटल में रविवार (11 फरवरी, 2024) को ईसाई मिशनरी धर्मांतरण का भंडाफोड़ हुआ था। उस कार्यक्रम में 350 से 500 लोग शामिल हुए थे। इस कार्यक्रम में चंडीगढ़ से पादरी बजिंदर सिंह को लाइव जुड़ा हुआ था, जो लोगों का धर्मांतरण करवा रहा था। कार्यक्रम में दावे किए गए कि वो मरे हुए बच्चे तक को ज़िंदा कर सकता है और कैंसर जैसी भयंकर बीमारी का भी इलाज कर सकता है। कार्यक्रम के आयोजकों कुँवर सिंह और शैलेन्द्र सिंह को राजस्थान पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।


🚩बजिंदर सिंह खुद को प्रोफेट कहता है। उसके कई ऐसे वीडियो इंटरनेट पर मौजूद हैं, जहाँ वो चमत्कारी दावे करता है और अजीबोगरीब हरकतें करवाता है। गिरफ्तार दोनों आरोपित कह रहे हैं कि वो तो सिर्फ माध्यम हैं। बजिंदर सिंह चंडीगढ़ से ही लोगों का लाइव धर्मांतरण करा रहा था। माइक और स्पीकर समेत 5 एलईडी की व्यवस्था कार्यक्रम स्थल पर की गई थी। दोनों आरोपित 2020 से ही बजिंदर सिंह से जुड़े हुए थे। अकेले भरतपुर में 20,000 से अधिक लोगों का वो धर्मांतरण करा चुका है। वकील संदीप सिंह ने इस आयोजन को लेकर खुलासा किया, जो दोस्त की शादी के लिए मैरिज हॉल बुक करने ‘सोनार हवेली’ पहुँचे थे। वहाँ करीब 400 लोग मौजूद थे। 15 लोग मंच पर थे। येशु की कसम दिला कर धर्म-परिवर्तन कराया जा रहा था।


🚩महान विचारक वीर सावरकर धर्मान्तरण को राष्ट्रान्तरण मानते थे। आप कहते थे "यदि कोई व्यक्ति धर्मान्तरण करके ईसाई या मुसलमान बन जाता है तो फिर उसकी आस्था भारत में न रहकर उस देश के तीर्थ स्थलों में हो जाती है जहाँ के धर्म में वह आस्था रखता है, इसलिए धर्मान्तरण यानी राष्ट्रान्तरण है।



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