Friday, March 1, 2024

हल्द्वानी की ‘जोशी विहार’ में मुस्लिमों के बसते ही बदली डेमोग्राफी

02 March 2024

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🚩सरकारी जमीन पर कब्जों, पुलिस पर हमले को लेकर कुख्यात उत्तराखंड के हल्द्वानी का जोशी विहार कॉलोनी हिंदुओं के पलायन को लेकर चर्चा में है। यह कॉलोनी उसी बनभूलपुरा के पास का इलाका, जहाँ पिछले दिनों अतिक्रमण हटाने गई पुलिस और नगर निगम की टीम पर इस्लामी कट्टरपंथियों ने हमला किया था।


🚩दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट बताती है कि जोशी विहार कॉलोनी से पिछले 6 साल में करीब 60 हिंदू परिवार पलायन कर चुके हैं। अब तीन हिंदू परिवार ही बचे हैं। इन्होंने भी अपने घरों का सौदा कर लिया है और अगले महीने इस कॉलोनी को छोड़ जाएँगे।


🚩रिपोर्ट के अनुसार इस कॉलोनी की डेमोग्राफी मुस्लिमों के बसने के बाद तेजी से बदली है। रामपुर, पीलीभीत और स्वार जैसी जगहों से आकर मुस्लिम यहाँ बसे हैं। हिंदुओं के पलायन की खबर सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने डेमोग्राफी चेंज के कारणों की पड़ताल का भरोसा दिलाया है।


🚩दैनिक जागरण द्वारा सोमवार (26 फरवरी 2024) को प्रकाशित की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि जोशी विहार साल 1954 में अल्मोड़ा से आए रामदत्त व देवीदत्त जोशी नाम के 2 भाइयों ने कई एकड़ जमीन खरीद कर बसाया था। बाद में दोनों भाई 5-5 बेटों के पिता बने। कालांतर में सभी बेटों में जमीनों का बँटवारा हुआ। बाद में इन्हीं में से कुछ ने जमीनें बाहरी लोगों को बेच दी।


🚩बताया गया है कि 6 साल पहले रामपुर से आ कर मलिक नाम के एक व्यक्ति ने जोशी कॉलोनी में मकान खरीदा। इसके बाद यहाँ मुस्लिम आबादी और उनके परिवारों की संख्या लगातार बढ़ती चली गई। कथित तौर पर शुरुआत में जमीन लालच में बेची गई। तब भूस्वामियों को 1 लाख रुपए की जमीन के 1 करोड़ रुपए तक मिले। बाद में गंदगी और मुस्लिम बहुलता होने की वजह से कई हिन्दू औने-पौने कीमत पर अपनी जमीन और मकान बेचने लगे। ऑपइंडिया से बात करते हुए हल्द्वानी के बजरंग दल पदाधिकारी जोगिंदर राणा उर्फ़ जोगी ने भी इसकी पुष्टि की है।


🚩फिलहाल जोशी विहार कॉलोनी में मुस्लिमों के लगभग 150 मकान हैं। पूर्व ग्राम प्रधान मनोज मठपाल के मुताबिक इस समय जोशी कॉलोनी में जमीनों का रेट 4500 रुपए स्क्वायर फ़ीट चल रहा है। जोशी कॉलोनी बसाने वाले रामदत्त के ही वंशज देवेंद्र जोशी ने दैनिक जागरण को बताया कि जब बरसात में नाला उफान मारता है तो उनके घरों में गंदगी और माँस बह कर आ जाता है। घर बेचने को मजबूरी बताते हुए देवेंद्र जोशी ने बताया कि वे खुद अपना पुश्तैनी मकान 50 लाख रुपए में बेच चुके हैं।


🚩देवेंद्र जोशी ने इलाके में डेमोग्राफी बदलाव के लिए उन कथित जरूरतमंदों को जिम्मेदार बताया, जिन्हें उनके परदादा ने कभी जमीन सस्ते दामों में दे दी थी। देवेंद्र का आरोप है कि इन्हीं लोगो ने बाद में कुछ फायदे के लिए बहरी लोगों को ऊँचे दामों में जमीनें बेच दीं। साल 2018 में जोशी कॉलोनी नगर निगम में आ गई। पहले यहाँ ग्राम प्रधान मनोज मठपाल हुआ करते थे। बाद में यहीं से रईस अहमद भी पार्षद बने। मुस्लिमों की अधिकतर आबादी रामपुर, मुरादाबाद और बिजनौर आदि जिलों की बताई जा रही है। अब जोशी कॉलोनी के आगे ‘रज़ा गेट न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी’ का बोर्ड लग चुका है।


🚩पहले इस कॉलोनी में जोशी, साहू, गुप्ता और नैनवाल परिवार रहते थे। फ़िलहाल अब यहाँ जोशी परिवार के महज 3 घर बचे हैं। डेमोग्राफी बदलाव की इन खबरों का नैनीताल जिले के प्रशासनिक अधिकारियों ने भी संज्ञान लिया है। SDM परितोष जोशी ने जागरण को बताया कि वो स्थानीय लोगों से बातचीत करेंगे और आबादी असंतुलन की जाँच करवाएँगे। वहीं नैनीताल जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रह्लाद मीणा ने कहा कि जोशी कॉलोनी में रहने वाले लोगों का वेरफिकेशन करवाया जाएगा। एसएसपी ने पूरे जिले में सत्यापन अभियान जारी होने की भी जानकारी दी।


🚩हिंदू हर जगह से भागता ही जा रहा है, पाकिस्तान, बंगलादेश, अफगानिस्तान से भागकर भारत मे आ रहा है पर भारत मे भी 8 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक बन चुके हैं और उत्तरप्रदेश में भी कई इलाकों से ऐसी खबर आ रही है कि हिंदू पलायन कर रहे है, एक तरफ ईसाई मिशनरियां हिंदुओं का पुरजोर से धर्मांतरण करवा रहे है दूसरी तरफ लव जिहाद, लैंड जिहाद और बलजबरी से कुछ मुसलमान हिन्दुओं को भगा रहे है। अब हिंदू भाग-भाग कर कहाँ तक जाएगा?


🚩सबसे पहले तो हिंदुओं को चाहिए कि जाति-पाती छोड़कर एक हो जाये दूसरा की हर हिंदू कमसे कम 4 बच्चें पैदा करें और कही भी किसी भी हिंदु पर अत्याचार या षडयंत्र हो रहा हो तो सभीहिंदू तन-मन-धन से उसको सहयोग करें जिससे किसी की भी हिम्मत न चले कोई हिंदू को परेशान करने की, अपने धर्म या धर्मगुरुओं पर एवं हिंदुनिष्ठ नेताओं पर भी जो षड्यंत्र हो रहे है उसको रोकने के लिए भी एक होकर मुहतोड़ जवाब देना चाहिए तभी हिंदुओं का अस्तित्व बचेगा नही तो फिर हर जगह से भागता ही रहेगा और कही भागने की जगह नही मिलेगी।


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Thursday, February 29, 2024

मौलाना और उसके भाई ने 8 साल की बच्ची से किया रेप , मिडिया में कोई खबर नहीं

01 March 2024

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🚩दुनियाभर में मौलवी और पादरी बच्चों का यौन शोषण करते हैं। सेक्युलर, बुद्धिजीवी और मीडिया हिन्दू धर्म के पवित्र मंदिर, आश्रमों व साधु-संतों पर षड्यंत्र के तहत कोई झूठा आरोप भी लगा दे तो खूब बदनाम करते हैं, परंतु मौलवी और ईसाई पादरियों के दुष्कर्मों पर चुप रहते हैं। क्या इसके लिए उन्हें फंडिंग मिलती है ?


🚩आपको बता दे कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मदरसा में पढ़ाने वाले एक मौलाना द्वारा अपनी छात्रा से रेप करने का मामला सामने आया है। पीड़िता की उम्र महज 8 वर्ष है। मौलाना आब्दीन के बच्ची की माँ से भी अवैध संबंध बताए जा रहे है। दावा है कि पीड़िता की माँ को भी अपनी बेटी के साथ हो रहे दुष्कर्म की जानकारी थी। इस मामले में पीड़िता के अब्बा ने मौलाना और उसके भाई के खिलाफ शिकायत की है।


🚩इस मामले में पुलिस ने सोमवार (19 फरवरी 2024) को केस दर्ज करके मौलाना आब्दीन और बच्ची की माँ को गिरफ्तार कर लिया। वहीं, आब्दीन का भाई अरशद फरार है, जिसकी तलाश की जा रही है। आरोपितों के खिलाफ पुलिस ने पॉक्सो एक्ट के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं में FIR दर्ज कर किया है।

https://twitter.com/lkopolice/status/1760192891698151520?t=OY8RlPVhrzAiQ1YKbASXNw&s=19


🚩मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घटना लखनऊ के मलिहाबाद थाना क्षेत्र का है। शिकायतकर्ता बच्ची का अब्बा है, जो इसी थाना क्षेत्र का निवासी है। शिकायतकर्ता ओमान में नौकरी करता है। वह एक बार में 5 माह के लिए ओमान जाता है। इस बार जाने से पहले उसने अपनी बेटी का एडमिशन अपने घर से थोड़ी ही दूर स्थित न्यू हैदरगंज क्षेत्र में बने इस्लामिया शम्सुल उलूम मदरसे में करवा दिया था।


🚩पीड़िता के पिता का आरोप है कि इस मदरसे में मौलाना आब्दीन बच्चों को दीनी (इस्लाम की) तालीम देता था। कुछ समय बाद मौलाना बच्ची के घर भी आने-जाने लगा। कुछ समय बाद मौलाना आब्दीन ने उनकी बीवी को अपने प्रेमजाल में फँसा लिया। थोड़े दिन बाद शिकायतकर्ता की बीवी मौलाना के ही साथ रहने लगी। बाद में महिला ने अपनी बेटी को मदरसे के हॉस्टल में शिफ्ट कर दिया।


🚩यहाँ पर मौलाना ने 8 साल की इस बच्ची के साथ कई बार बलात्कार किया। जब बच्ची अपनी माँ को ये सारी बातें बताती थी तो वह उलटे उसकी पिटाई कर देती थी। शिकायतकर्ता का तो यहाँ तक आरोप है कि उसकी बीवी ही अपनी बेटी को मौलाना के पास भेजा करती थी। काफी समय बाद जब शिकायतकर्ता ओमान से लौटा तो बेटी ने उसे सारी बात बताई।


🚩इसके बाद पीड़िता के अब्बा ने पुलिस में तहरीर दी और मौलाना आब्दीन के साथ उसके भाई अरशद को भी घिनौने कृत्य में शामिल बताया। शिकायतकर्ता ने अपनी बीवी पर भी रेप में मौलाना का साथ देने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही बच्ची के पिता को जान से मारने की धमकी देने वाले मौलाना के अन्य भाइयों अलीम, शलीम, शमीम, हमीम और शाद को भी पुलिस ने आरोपित बनाया है।


🚩जब भी किसी पवित्र हिंदू साधु-संत पर साजिश के तहत कोई झूठा आरोप लगता है तो इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया 24 घण्टे उनके खिलाफ झूठी कहानियां बनाकर खबरे चलाती रहती है। लिबरल भी जोरों से चिल्लाने लगते हैं और हिंदू धर्म पर गलत टिप्पणियां करने लगते हैं और सबसे बड़ी बात तो यह है कि इल्जाम लगते ही न्यूज चालू हो जाती है, अनेक झूठी कहानियां बन जाती हैं। इससे तो यह सिद्ध होता है कि मीडिया को इस बात का पहले ही पता होता है कि कौन से हिन्दू साधु-संत पर कौन सा इल्जाम लगने वाला है और उनके खिलाफ किस तरीके से झूठी कहानियां बनाकर खबरें चलानी हैं ? लगता है यह सब पहले से ही तय कर लिया जाता होगा।


🚩वहीं दूसरी ओर किसी मौलवी या ईसाई पादरी पर आरोप सिद्ध हो जाये, तभी भी न मीडिया खबर दिखाती है और ना ही सेक्युलर कुछ बोलते हैं। इससे साफ होता है कि ये गैंग केवल हिंदुत्व के खिलाफ है।


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Wednesday, February 28, 2024

मैक्डोनाल्ट्स के बर्गर खाते है तो हो जाए सावधान, कमिश्नर ने किया लाइसेंस रद्द

29 February 2024

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🚩इंटरनेशनल फास्ट फूड ब्रांड मैक्डोनाल्ट्स के खिलाफ महाराष्ट्र में बड़ी कार्रवाई हुई है। जाँच में पाया गया है कि ये कंपनी चीज (Cheese) के नाम पर ग्राहकों को धोखा दे रही थी और चीज की जगह ग्राहकों को सस्ते रिफाइंड से बना ‘सब्सिट्यूट’ परोस रही थी, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। महाराष्ट्र में फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने मैक्डोनाल्ड्स के लाइसेंस को रद्द कर दिया।


🚩टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बर्गर और नगेट्स में असली चीज की जगह पर नकली चीज का इस्तेमाल करने के मामले में एफडीए ने इंटरनेशनल फास्ट-फूड कंपनी मैक्डोनाल्ड्स को निशाने पर लिया, जिसके बाद कंपनी ने अहमदनगर के अपने आउटलेट में अब मीनू से चीज शब्द ही हटा दिया है। इस मामले में एफडीए ने अहमदनगर के केडगाँव ब्राँच पर छापेमारी की थी। इस छापेमारी में नकली चीज का इस्तेमाल होते हुए मिला, जिसमें चीज की जगह पर उसके विकल्प (सब्सिट्यूट) का इस्तेमाल होता मिला।


🚩एफडीए के कमिश्नर अभिमन्यु काले ने बताया कि मैक्डोनाल्ड्स जो काम कर रहा है, उसका लोगों पर बुरा असर पड़ता है। क्योंकि लोग चीज समझकर जो कुछ भी खा रहे हैं, वो सस्ते रिफाइंड तेल से बनाया जाने वाला सब्सिट्यूट है। इसके इस्तेमाल से एलर्जी, शुगर जैसी समस्याओं से जूझ रहे लोगों को परेशानी हो सकती है। यही नहीं, मैक्डोनाल्ड्स ने अपने ‘चीज एनॉलॉग’ में भी चीज के सब्सिट्यूट के बारे में कोई जानकारी नहीं दी थी, बल्कि वो ‘चीज नगेट्स’ ‘चीजी डिप’ और ‘चीज बर्गर’ बेच तो रही थी, लेकिन ये नहीं बता रही थी कि इसमें फर्जी चीज का इस्तेमाल किया जा रहा है।



🚩मैक्डोनाल्ड्स के खिलाफ हुई कार्रवाई की 


🚩इस जाँच की शुरुआत बीते साल अक्टूबर से हुई थी, जहाँ केडगाँव ब्रांड में कंपनी कम से कम 8 उत्पादों में चीज का इस्तेमाल करती है, लेकिन चीज की जगह वो उसके सब्सिट्यूट का इस्तेमाल करती है।


🚩उन्होंने बताया कि मैक्डोनाल्ड्स चीज़ी नगेट्स, मैकचीज़ वेज बर्गर, मैकचीज़ नॉन-वेज बर्गर, कॉर्न और चीज़बर्गर, चीज़ी इटालियन वेज और ब्लूबेरी चीज़केक में पनीर के इस्तेमाल की बात कहती है, जो कि झूठ है, क्योंकि कंपनी चीज का इस्तेमाल करती ही नहीं। ऐसे में एफडीए ने उस ब्राँच को नोटिस जारी किया था। इस मामले में मैक्डोनाल्ड्स ने जो जवाब दिया, वो संतोषजनक नहीं था। ऐसे में उस ब्राँच का लाइसेंस ही रद्द कर दिया गया।


🚩इस मामले के बाद एफडीए के कमिश्नर ने एक निर्देश जारी किया है, जिसमें सभी रेस्टोरेंट को ये बताना अनिवार्य होगा कि वो किस तरह से चीज की जगह उसका सब्सिट्यूट इस्तेमाल कर रहे हैं। यही नहीं, इस जानकारी में वसा और प्रोटीन से जुड़ी जानकारी भी देनी होगी।


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Tuesday, February 27, 2024

सिन्धु घाटी सभ्यता से भी पुरानी है द्वारिका नगरी, जानें इसका इतिहास

28 February 2024

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🚩विश्व के सबसे पुरातन धर्म सनातन में चार धाम और सात नगरों को सबसे पवित्र माना गया है। यह चार धाम बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथपुरी और रामेश्वरम हैं। वहीं सात नगरों की बात की जाए तो यह हैं- अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांची, अवंति (उज्जैन की तत्कालीन मालवनी राजधानी) और द्वारावती (द्वारका नगरी)। इन धामों और नगरों का उल्लेख गरुड़पुराण के प्रेतखण्ड के 34वें और 56वें श्लोक में मिलता है। 


🚩स्कंदपुराण के काशीखंड में भी इन सभी सात नगरों का उल्लेख है। ये सात नगर और चारों धाम मोक्ष देने वाले कहे गए हैं। इन सब नगरों में सबसे पवित्र द्वारका धाम है। द्वारका का जिक्र सातों नगरों और चारों धाम, दोनों में है। द्वारका नगरी का अपना काफी गौरवशाली और रोचक इतिहास है।


🚩भगवान कृष्ण ने बसाई भारत की सबसे आधुनिक नगरी द्वारका


🚩द्वारका एक प्राचीन और पवित्र शहर के रूप में जाना जाता है। द्वारका का इतिहास गौरवशाली और रोचक है। ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाए तो द्वारका प्राचीन भारत का सबसे उन्नत एवं आधुनिक नगर था। सबसे बड़ा आश्चर्य ये है उस समय समुद्र के बीचों बीच द्वारका कैसे बसाई गई होगी। हाल ही में समुद्र में भेजे गए अभियानों में समुद्र में डूबी स्वर्ण नगरी द्वारका के अवशेष मिले हैं।


🚩द्वारका नगरी का उल्लेख महाभारत के आसपास लिखे गए ग्रंथों में मिलता है। बताया जाता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मामा और मथुरा के अत्याचारी राजा कंस का वध किया, तब कंस के ससुर और तत्कालीन मगध नरेश जरासंध ने श्रीकृष्ण से बदला लेने के लिए यादवों पर लगातार हमले चालू कर दिए।


🚩ब्रजभूमि को लगातार होने वाले आक्रमणों से बचाने के लिए, भगवान श्रीकृष्ण ने एक नए स्थान पर बसने का निर्णय किया। इसके लिए उन्होंने सुराष्ट्र (आधुनिक सौराष्ट्र) में कुशस्थली इलाके को चुना। कुशस्थली आने से पहले भगवान श्रीकृष्ण ने कुशादित्य, कर्णादित्य, सर्वादित्य और गृहादित्य नामक कई राक्षसों से युद्ध करके उनका विनाश कर दिया था और समुद्र तट पर द्वारका का निर्माण किया था।


🚩श्रीमद्भागवत के अनुसार, द्वारका का निर्माण करने से पहले, भगवान श्रीकृष्ण ने समुद्र से भूमि देने और पानी को दूसरी जगह स्थानांतरित करने की विनती की। वरुण देव ने भगवान श्रीकृष्ण की कोमलता को पहचाना और समुद्र के ठीक बीच में एक बड़ा क्षेत्र दिया। इसके बाद विश्वकर्माजी ने द्वारका नगरी का निर्माण किया। 


🚩भगवान कृष्ण ने द्वारका नगरी की स्थापना की और इसे समृद्धि का मुख्य केंद्र बनाया। भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की कई महत्वपूर्ण घटनाएँ द्वारका नगरी में ही घटित हुईं, जैसे रुक्मणिहरण और विवाह, जाम्बवती, रोहिणी, सत्यभामा, कालिंदी, मिगविंदा, सत्या, नग्नजीति, सुशीलमाद्रि, लक्ष्मण, दत्त सुशल्या आदि। इसके अलावा अनिरुद्ध का विवाह, महाभारत युद्ध प्रबंधन भी यहीं से सम्बंधित है। इसके अलावा चीरहरण से द्रौपदी की रक्षा और शिशुपाल वध की गवाह द्वारका है।


🚩प्राचीन भारत की समृद्ध नगरी थी द्वारका

भगवान श्रीकृष्ण के समय में द्वारका की भौतिक समृद्धि सफलता के उच्चतम स्तर तक पहुँच चुकी थी। द्वारका प्राचीन भारत का सबसे उन्नत शहर बन गया था। विदेशी व्यापार से लेकर विज्ञान तक क्षेत्रों में प्राचीन द्वारका सबसे अग्रणी थी। भगवान कृष्ण के नेतृत्व में यदुवंश भी समृद्ध हो रहा था।


🚩प्राचीन भारत उस समय की बाक़ी दुनिया से कहीं आगे था और उसमें भी द्वारका शहरी उन्नति के सभी शिखरों को छू रही थी। इसका उदाहरण समुद्र के बीचोंबीच एक पूरा साम्राज्य खड़ा करना है और वो भी बिना आधुनिक मशीनरी के। यहाँ विशाल महल और मकान थे। उत्कृष्ट सड़क व्यवस्था थी और प्रकाश की भी व्यवस्था थी। तब भगवान श्रीकृष्ण के पास प्राचीन विश्व की सबसे शक्तिशाली सेना थी। इसे नारायणी सेना के नाम से जाना जाता था। इस सेना के समक्ष बड़ी बड़ी सेनाएँ बिना लड़ें ही हार मान लेती थीं।


🚩हालाँकि, समय के साथ परिस्थितियाँ बदलने लगीं और भौतिक सुविधाओं में सुधार के कारण यदु वंश भोग-विलास में लिप्त होने लगा। द्वारका में एक साथ अनेक त्रासदियाँ घटित होने लगीं।इसी दौरान, यादवों ने पिंडतारण क्षेत्र में रहने वाले ऋषियों के लिए बाधाएँ खड़ी की। हालाँकि, ऋषियों ने यादवों को माफ कर दिया। यादवों ने उन ऋषियों की धार्मिक कार्यकलापों में बाधा डालना शुरू कर दिया। अंततः ऋषियों ने यादवों को श्राप दे दिया। यह यदुवंश को मिला पहला श्राप था।


🚩गांधारी का श्राप और द्वारका डूब गयी

ऋषियों द्वारा दिए गए श्राप का प्रभाव दिन प्रतिदिन प्रबल होता जा रहा था। इस बीच भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के महान युद्ध में भाग लिया। वह पांडव योद्धा अर्जुन के सारथी बनकर कुरूक्षेत्र में उतरे। जबकि उनकी नारायणी सेना कौरवों की तरफ से लड़ रही थी। 18 दिनों तक चले इस महान युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने कई अनुष्ठान किये। इस दौरान अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का दिव्य ज्ञान मिला। दूसरी तरफ ऋषियों के श्राप के प्रकोप से पांडवों के हाथों नारायणी सेना नष्ट होने लगी। इस भीषण युद्ध में अंततः कौरवों की हार हुई।


🚩इस युद्ध में राजा धृतराष्ट्र के सभी 100 पुत्रों के मारे जाने का समाचार सुनकर पत्नी गांधारी अत्यंत दुखी हुईं और रोने लगी। उस समय पांडवों का हस्तिनापुर में राज्याभिषेक हो रहा था। सबसे बड़े पांडव भाई युधिष्ठिर पवित्र सेंगोल धारण कर राजगद्दी पर बैठने जा रहे थे। 


🚩इसी समय राजसभा में कौरवों की माता गांधारी आईं और उन्होंने युद्ध और अपने पुत्रों की मृत्यु के लिए भगवान कृष्ण को दोषी ठहराया और श्राप दिया, “जिस प्रकार पूरे कौरव वंश का नाश हो गया, उसी प्रकार यदु वंश का भी नाश होगा। यहाँ तक कि दुनिया की सबसे सुंदर नगरी द्वारका भी जल में डूब जाएगी”


🚩भगवान श्रीकृष्ण ने उनके श्राप को सहर्ष स्वीकार किया। हालाँकि, इसके बाद गांधारी को अपनी गलती का पता चला तो उन्होंने भगवान से क्षमा माँगी। उस समय भगवान श्री कृष्ण ने कहा, “तुम तो केवल निमित्त मात्र बनी हो। यदुवंश का विनाश निश्चित था। जो सभ्यता भोग-विलास में सोती है, वह निश्चित ही नष्ट हो जाएगी।”


🚩आखिर में ऐसा भी एक समय आया जब यदुवंशी आपस में ही लड़ने लगे और विद्रोह कर दिया। इसी बीच एक दिन भगवान श्रीकृष्ण प्रभास क्षेत्र के वन में विश्राम कर रहे थे। इसी दौरान एक शिकारी ने अचानक ने उन पर जानवर समझकर तीर चला दिया, जो भगवान के पैर के तलवे में लगा। जैसे-जैसे शिकारी करीब आया, उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और वह भगवान से क्षमा माँगने लगा। 


🚩इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा, “जो कुछ होता है वह मेरी इच्छा से ही होता है।” इस प्रकार उन्होंने मानव शरीर को त्याग दिया। भगवान की लीला के समाप्त होते ही होते ही द्वारिका में भीषण सुनामी आई और वह बह गयी और यदुवंश का भी पतन हो गया। उस समय की भव्य एवं दिव्य स्वारका जलमग्न हो गयी। इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण के महान साम्राज्य खत्म हुआ।बताया जाता है कि जब श्रीकृष्ण ने अपने शरीर का त्याग किया, तभी से कलयुग चालू हुआ।


🚩सिंधु घाटी सभ्यता से भी पुरानी द्वारका

द्वारका के गौरवशाली इतिहास को जानने के लिए कई इतिहासकारों ने काफी प्रयास किया है। इसमें जादुनाथ सरकार के साथ ही कई विदेशी इतिहासकार भी शामिल हैं। लेकिन अभी तक कोई भी इतिहासकार इसकी जड़ों तक नहीं पहुँच पाया है। समुद्र में कई अभियानों में प्राचीन द्वारका के खंडहरों के बारे में पता चला है। प्राचीन द्वारका के खंडहरों में खम्भे, पत्थर, बर्तन और भगवान श्रीकृष्ण के महल वाली पूरी दिव्य नगरी भी मिली है। इन सभी साक्ष्यों का परीक्षण किया गया है और पाया गया है कि ये आज से 5000 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं।


🚩कई हिंदू धर्मग्रंथों में भी द्वारका के बारे में जानकारी दी गई है। इनमें द्वारका शब्द का अर्थ ‘स्वर्ग का द्वार’ बताया गया है। प्रसिद्ध इतिहासकार ए जे चावड़ा के अनुसार, भगवान कृष्ण का साम्राज्य सिंधु घाटी सभ्यता से भी पुराना है। सिंधु घाटी की आर्यन सभ्यता को विश्व के इतिहास में सबसे पुरानी सभ्यता के रूप में मान्यता प्राप्त है। लेकिन द्वारका नगरी के अवशेष भी 5 हजार वर्ष से भी अधिक प्राचीन हैं। सिंधु घाटी सभ्यता लगभग 4,000 साल पहले सिंध क्षेत्र से भारत के विभिन्न राज्यों में फैल गई थी।


🚩इस बारे में एजे चावड़ा ने कहा कि जिसे हम सिंधु घाटी सभ्यता कहते हैं वह असल में द्वारका सभ्यता थी। इतिहासकारों को सिंधु घाटी सभ्यता की प्राचीन मूर्तियाँ मिलीं है। जो अनुमानतः 4000-4500 वर्ष पुरानी है। उन मूर्तियों में शिव-पार्वती की मूर्तियां और विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं। ऐसे में यह स्पष्ट है कि सिंध में बसने वाली यह सभ्यता आर्य सभ्यता थी।


🚩वहीं एजे चावड़ा ने यह भी दावा किया है कि द्वारका आर्य सभ्यता का ही एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। उन्होंने कहा कि लगभग 5500-6000 वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारिका बसाई थी। उस समय उन्होंने आर्य सभ्यता की नींव रखी थी। वह द्वारका सभ्यता सौराष्ट्र, कच्छ, सिंध, गुजरात के कई क्षेत्रों, उत्तर भारत के क्षेत्रों और दक्षिण भारत के कई क्षेत्रों तक फैली हुई थी।


🚩द्वारका थी भारत की सुनियोजित नगरी

कई इतिहासकारों के अनुसार वाराणसी भी द्वारका सभ्यता का हिस्सा था। वाराणसी को विश्व के सबसे प्राचीन शहर के रूप में जाना जाता है। विशेष बात यह है कि सिंधु घाटी सभ्यता के शहर जैसे कि मोहन-जो-दाड़ो, लोथल, हड़प्पा, धोलावीरा आदि विकसित और सुनियोजित शहर माने जाते थे। जिसमें मोहनजो-दाडो को सबसे अधिक विकसित शहर माना जाता था। उनकी नगर रचना बहुत अच्छी थी। 


🚩लेकिन द्वारका की नगर संरचना और मोहनजो-दाड़ो की नगर रचना एकसमान थी। कई मायनों में द्वारका नगरी मोहनजो-दाड़ो से भी अच्छी थी। फिर भी प्राचीन इतिहास में द्वारका को स्थान नहीं दिया गया है। विश्व की सबसे विकसित और सुनियोजित नगरी द्वारका को इतिहास में जगह न मिलने के पीछे कई कारण हो हैं। मुख्य कारणों में से एक यह है कि द्वारका का निर्माण हिंदू धर्म के भगवान श्रीकृष्ण ने किया था। जबकि मोहनजो-दाड़ो को किसने बसाया इसके बारे में कोई भी स्पष्ट ऐतिहासिक जानकारी नहीं है। स्त्रोत : ओप इंडिया 


🚩ब्रिटिश काल से लेकर भारत के स्वतंत्र होने के बाद तक इतिहास के क्षेत्र में वामपंथी इतिहासकारों का वर्चस्व रहा है। ऐसे में कई धार्मिक मंदिरों और कस्बों के बारे में देश के करोड़ों लोगों को जानकारी नहीं दी गई है। भारत के इतिहास में द्वारका का नाम न आने के पीछे एक कारण वामपंथी इतिहासकारों के प्रति हिंदू घृणा भी है। 


🚩एक धार्मिक स्थल के रूप में विख्यात द्वारका का इतिहास संभवतः 6000 वर्ष पुराना है। हाल ही में, भारत सरकार कई मिशनों और अभियानों के माध्यम से जलमग्न द्वारका को दुनिया के सामने पेश करने के लिए प्रयास कर रही है। इन प्रयासों से प्राचीन भारत की आधुनिक नगरी द्वारका का गौरवशाली एवं दिव्य इतिहास धीरे-धीरे सामने आ रहा है।


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रूह अफ़ज़ा बेचने वाली हमदर्द की धोखाधड़ी, लोगों की जिंदगी से कर रही हैं खिलवाड़

27 February 2024

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🚩जिस हमदर्द लैबोरेट्रीज की ‘रूह अफ़ज़ा’ को लोग बड़े चाव से पीते हैं, और उसके भारत- पाकिस्तान -बांग्लादेश समेत करोड़ों प्रशंसक हैं, वो रूह अफ़ज़ा बनाने वाली कंपनी हमदर्दी मक्कार और झूठी निकली। रिपोर्ट्स का दावा है कि हमदर्द लैबोरेट्रीज ने रूह अफ़ज़ा के नाम पर लोगों को केमिकल पिलाया है। वहीं, हमदर्द दावा करती है कि रूह अफ़ज़ा को बनाने में 36 तरह के फलों का इस्तेमाल होता है और 13 अन्य हर्बल पदार्थ मिलाए जाते हैं। रूह अफ़ज़ा को बनाने वाली हमदर्द लैबोरेट्रीज की चोरी पकड़ी गई है, तो उस पर जुर्माना भी लगाया गया है। उसके खेल को पकड़ने वाले अफसर को ही खरीदने की कोशिश की गई, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।


🚩ढाका साउथ सिटी कॉरपोरेशन (डीएससीसी) ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि हमदर्द झूठे दावे करके लोगों को बेवकूफ बना रही है और उनका मानसिक-भावनात्मक दोहन कर रही है। चूँकि हमदर्द लैबोरेट्रीज रूह अफ़ज़ा को ‘पौष्टिक पेय’ कहकर प्रचारित करता है और दावा करता है कि इसके सेवन से शरीर में पानी की कमीं नहीं होने पाती, क्योंकि इसमें 13 हर्बल दवाओं का मिश्रण और 36 तरह के फल-फूल का अर्क (जूस) मिला होता है।


🚩ढाका साउथ सिटी कॉरपोरेशन ने कहा है कि कूलिंग ड्रिंक में बताई गई सामग्री मौजूद नहीं है। इसके अलावा रिपोर्ट में स्वास्थ्य विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि रूह अफ़ज़ा बड़ी संख्या में लोगों खासकर शुगर के मरीजों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा कर सकता है। दरअसल डीएससीसी ने बाजार से रूह अफ़ज़ा के सैंपल कलेक्ट किए थे, जिसकी जाँच के बाद ये तथ्य सामने आए हैं।


🚩वीकलीब्लिट्ज की रिपोर्ट में बताया गया है कि बांग्लादेश में हमदर्द के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ हकीम मुहम्मद यूसुफ हारून भुइयाँ ने रूह अफ़ज़ा के फर्जी विज्ञापन के लिए लिखित में माफी माँगी है। हमदर्द की ये माफी उन आरोपों के बीच सामने आई है, जब हमदर्द लैबोरेट्रीज (वक्फ) बांग्लादेश ने इस विवाद से लोगों का ध्यान खींचने के लिए ढाका में अधिकारिकों को रिश्वत देने की कोशिश की इसके बाद नगर निगम के अधिकारियों ने 20 फरवरी को बांग्लादेश के भ्रष्टाचार विरोधी आयोग (एंटी करप्शन कमीशन-एसीसी) और खाद्य निदेशालय (फूड डायरेक्टोरेट) में शिकायत दर्ज कराई है।


🚩बांग्लादेशी वेबसाइट कालबेला ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि ढाका के अधिकारियों ने सैंपल की जाँच लैब में कराई। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2028 में ढाका सिटी कॉर्पोरेशन ने फर्जीवाड़ा मिलने के सबूत मिलने के बाद हमदर्द के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इस मामले में हमदर्द के मैनेजिंग डायरेक्टर ने अपनी गलती मानी और 4 लाख का जुर्माना चुकाया।


🚩हालाँकि कंपनी ने इसके खिलाफ अपील दायर की, जिसके बाद अदालत ने जुर्माने की रकम जमा करने से छूट दे दी। इसके बाद नगर निगम ने 19 फरवरी को सेफ फूड अथॉरिटी को पत्र लिखा। हालाँकि हमदर्द ने अधिकारिकों को अपील करने से रोकने की कोशिश की और एक अदिकारी ने निगम के अधिकारियों को रिश्वत देने की कोशिश की।


🚩कालबेला ने दावा किया है कि उसके पास एक वीडियो है, जिसमें हमदर्द के असिस्टेंट डायरेक्टर अली अहमद सिटी कॉर्पोरेशन के सेफ फूड इंस्पेक्टर मोहम्मद कमरूल हसन से उस अपील को आगे न बढ़ाने की अपील करते दिख रहे हैं। इसके लिए वो पैसे देने की बात भी कर रहे हैं। वीडियो में हमदर्द के अधिकारी को यह कहते हुए भी सुना जा सकता है, ‘रूह अफजा में जो है उससे कहीं ज्यादा हम कहते हैं।’ https://twitter.com/OpIndia_in/status/1760884690020667472?t=m3JH_FEdO01XoaJkXjc4Kw&s=19


🚩सिविक अधिकारी कमरुल हसन ने बांग्लादेशी अखबार को बताया कि हमदर्द शुरू से ही गलत काम करता रहा है। उन्होंने कहा कि एक अदालत में दोष स्वीकार करना और उस फैसले के खिलाफ दूसरी अदालत में अपील करना भी गलत और अनैतिक है। इस मामले में अब ढाका साउथ सिटी कॉरपोरेशन के सीईओ ने भ्रष्टाचार निरोधक आयोग से कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की माँग की है।


🚩इस कंपनी से सावधान रहें और अपने ही घर में नींबू शरबत आदि बनाकर पिए इससे निरोग रहेगें और पैसे की बचत होगी।


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Monday, February 26, 2024

केवल अलवर में ही हर महीने काट रहे थे 600 गाय, पुरे भारत में कितनी होगी गौहत्या ?

26 February 2024

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🚩मीडिया रिपोर्टों के अनुसार राजस्थान के अलवर के बीफ मंडी में हर महीने करीब 600 गाय काटी जाती थी। एक व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए करीब 50 गाँवों में गोमांस की होम डिलिवरी हो रही थी। करीब 300 दुकानों में भी गोमांस की सप्लाई होती थी।


🚩बीफ मंडी का खुलासा दैनिक भास्कर के पत्रकार राजकुमार जैन और राधेश्याम तिवारी ने अपनी ग्राउंड रिपोर्ट के जरिए किया था। बताया था कि रोजाना 20 गाय काटकर होम डिलीवरी की जा रही है। इसमें पुलिस की मिलीभगत की बात भी कही गई थी। इस खुलासे के बाद जब पुलिस ने दबिश दी तो गोतस्कर फरार हो गए। उनके वाहनों को जब्त कर लिया गया है। घटनास्थल से कई गायों की खाल और हड्डियाँ बरामद हुई हैं।


🚩दैनिक भास्कर ने रविवार (18 फरवरी 2024) को अलवर के बास थाना क्षेत्र में चल रही इस बीफ मंडी का खुलासा किया था। खुलासे में ऐसे वीडियो सामने आए थे जिसमें बिरसंगपुर के पास रुंध गिदवडा के बीहड़ों में गायों को बेरहमी से मार कर उनकी खाल उतारी जा रही थी। व्हाट्सएप पर मांस के ऑर्डर लेकर घर तक सप्लाई की जाती थी। इस मंडी में सैकड़ों की तादाद में खरीदार भी आते थे। गोकशी की यह मंडी करीब 10 किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है।


🚩रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि बीफ मंडी की जानकारी होने के बाद भी पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती। खुलासे के बाद भजनलाल सरकार ने संज्ञान लिया। जयपुर रेंज के IG उमेश चंद्र दत्त के नेतृत्व में बास इलाके के उन बीहड़ों में छापेमारी की गई, जहाँ गोकशी होने का दावा किया गया था। सूचना सही पाई गई। पुलिस को देख कर गोतस्कर अपने वाहन छोड़ फरार हो गए।


🚩कुछ रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि अलवर के 60 किलोमीटर के इलाके में कई जगहों पर बीफ बिरयानी बेची जा रही थी। गोतस्कर गायों का माँस, हड्डी और खाल बेच कर हर माह लगभग 4 लाख रुपए तक की कमाई कर रहे थे।


🚩अब बीफ मंडी चलाने वालों को चिन्हित कर कर कार्रवाई की जा रही है। अब तक 25 आरोपितों को गोकशी की FIR में नामजद किया गया है। बीफ मंडी में मिली लगभग 1 दर्जन बाइकों सहित 1 पिकअप जीप को बरामद कर सीज कर दिया गया है।


🚩भारतीय इतिहास में गौहत्या को लेकर कई आंदोलन हुए हैं और कई आज भी जारी हैं। लेकिन अभी तक गौहत्या पर प्रतिबन्ध नहीं लग सका है। इसका सबसे बड़ा कारण राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी होना है। आप कल्पना कीजिये- हर रोज जब आप सोकर उठते हैं तब तक लाखों, हजारों गायों के गलों पर छूरी चल चुकी होती है। गौहत्या से सबसे बड़ा फ़ायदा तस्करों एवं गाय के चमड़े का कारोबार करने वालों को होता है। इनके दबाव के कारण ही सरकार गौहत्या पर प्रतिबन्ध लगाने से पीछे हट रही है। वरना जिस देश में गाय को माता के रूप में पूजा जाता हो वहां सरकार गौहत्या रोकने में नाकाम है। आज हमारे देश की जनता ने नरेन्द्र मोदीजी की सरकार चुनी है। सेक्युलरवाद और अल्पसंख्यकवाद के नाम पर पिछले अनेक दशकों से बहुसंख्यक हिन्दुओं के अधिकारों का दमन होता आया है। उसीके प्रतिरोध में हिन्दू प्रजा ने संगठित होकर जात-पात से ऊपर उठकर एक सशक्त सरकार को चुना है। इसलिए यह इस सरकार का कर्त्तव्य बनता है कि वह बदले में हिन्दुओं की शताब्दियों से चली आ रही गौरक्षा की मांग को पूरा करे और गौहत्या पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगाए।


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Saturday, February 24, 2024

सिकंदर लोदी संत रविदास को बनाना चाहता मुसलमान, पीर खुद बन गया हिन्दू

 25  February 2024

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🚩सिकंदर लोदी के शासनकाल की बात है । सदना पीर उन दिनों एक जाना-माना पीर था । सिकंदर लोदी के दरबार में भी उसकी प्रसिद्धि हो चुकी थी । परंतु हिन्दू समाज में संत रविदास की बहुत प्रतिष्ठा थी।


🚩एक दिन सदना पीर ने सोचा कि ‘आजकल रविदास का बड़ा नाम हो रहा है… मीराबाई जैसी रानी भी इनको मानती हैैै । मैं इनको समझाऊँ कि काफिरों की परंपरा छोड़ दें और कुरानशरीफ पढ़ें, कलमा पढ़ें । यदि ये मान गये तो सिकंदर लोदी से इनका बहुमान करा दूँगा । फिर इनको माननेवाले हजारों हिन्दू मुसलमान बन जायेंगे, जिससे हमारी जमात बढ़ जायेगी ।’


🚩ऐसा सोचकर वह संत रविदास के पास गया और बोला : ‘‘आप काफिरों की तरह यह क्या बुतपरस्ती (मूर्तिपूजा) करते हैं ? पत्थर की मूर्ति के आगे बैठकर ‘राम-राम’ रटते रहते हैं ? आप हमारे साथ चलिये, कुरानशरीफ पढ़कर उसका फायदा उठाइये । हम आपको सुलतान से पीर की पदवी दिलवायेंगे ।’’

सदना पीर ने हिन्दू धर्म की निन्दा में कुछ और भी बातें कहीं । जब वह कह चुका तब रविदासजी ने कहा : ‘‘मैंने तेरी सारी बातें सुनीं, सदना पीर ! अगर तेरे में साधुताई है, पीरपना है तो तुझे मेरी बात सुननी ही चाहिए ।


🚩किसी व्यक्ति, किसी पीर-पैगंंबर या ईश्वर के बेटे द्वारा बनाया हुआ धर्म, धर्म नहीं एक संप्रदाय है । किंतु सनातन धर्म कोई संप्रदाय नहीं है । इसमें सभी मनुष्यों की भलाई के सिवाय कोई बात नहीं है ।


🚩खुदा कलाम कुरान बताओ, फिर क्यों जीव मारकर खाओ? खुदा नाम बलिदान चढ़ाओ, सो अल्लाह को दोष लगाओ ?दिनभर रोजा नमाज गुजारें, संध्या समय पुनः मुर्गी मारें ?भक्ति करे फिर खून बहावे, पामर किस विधि दोष मिटावे ?


🚩जिसमें जीव हिंसा लिखी, वह नहीं खुदा कलाम ।

दया करे सब जीव पर, सो ही अहले इसलाम ।।

आप कहते हैं कि ‘हिन्दू बुतपरस्ती करते हैं, मूर्तिपूजक हैं, मूर्ख हैं । खुदाताला निराकार है ।’ तो भाई ! सुन लो :


🚩निराकार तुम खुदा बताओ, कुरान खुदा का कलाम ठहराओ । कलाम कहै तो बनै साकारा, फिर कहाँ रहा खुदा निराकारा ? कलमा को खुदाताला के वचन कहते हो तो ये वचन तो साकार के हैं । निराकार क्या बोलेगा ?’’

सदना पीर व रविदास के बीच इस्लाम धर्म और सनातन धर्म की चर्चा लम्बे समय तक होती रही । सदना पीर की समझ में रविदास की बात आ गयी कि जीते-जी मुक्ति और अपना आत्मा-परमात्मा ही सार है । जिस सार को मंसूर समझ गये, उन्हें अनलहक की अनुभूति हुई, वही सनातन धर्म सर्वोपरि सत्य है ।


🚩संत रविदास की रहस्यमयी बातें सुनकर सदना पीर को सद्बुद्धि प्राप्त हुई । सदना पीर ने कहा : ‘‘मरने के बाद कोई हमारी खुशामद करेगा और बाद में हमें मुक्ति मिलेगी, यह हम मान बैठे थे । हम सदा मुक्तात्मा हैं, इस बात का हमें पता ही नहीं था । अब आप हमें सनातन धर्म की दीक्षा दीजिये ।’’उसने संत रविदास से दीक्षा ली और उसका नाम रखा गया – रामदास ।


🚩सिकंदर लोदी को जब इस बात का पता चला तो उसने संत रविदास को बुलवाकर पहले तो खूब डाँटा, फिर प्रलोभन देते हुए कहा : ‘‘अभी भी रामदास को फिर से सदना पीर बना दो तो हम आपको ‘रविदास पीर’ की ऊँची पदवी दे देंगे । सदना पीर आपका चेला और आप उनके गुरु । मेरे दरबार में आप दोनों का सम्मान होगा और हम आपको मुख्य पीर का दर्जा देंगे ।’’


🚩‘‘मुख्य पीर का दर्जा तुम दोगे तो हमें तो तुम्हारी आधीनता स्वीकारनी पड़ेगी । जो सारे विश्व को बना-बनाके, नचा-नचाके मिटा देता है उस परमेश्वर से तुम्हारा प्रताप ज्यादा मानना पड़ेगा तो यह मुक्ति हुई कि गुलामी ? सुन ले भैया !


🚩वेद धर्म है पूरन धर्मा, वेद अतिरिक्त और सब भर्मा ।

वेद धर्म की सच्ची रीता, और सब धर्म कपोल प्रतीता ।।

वेदवाक्य उत्तम धरम, निर्मल वाका ज्ञान ।

यह सच्चा मत छोड़कर, मैं क्यों पढ़ूँ कुरान ?


🚩और धर्म तो पीर-पैगंबरों ने बनाये हैं लेकिन वैदिक धर्म सनातन है । ऐसा धर्म छोड़कर मैं तुम्हारी खुशामद क्यों करूँगा ?


🚩तुम मुझे मुसलमान बनाना चाहते हो लेकिन मैं मनुष्य का बनाया हुआ मुसलमान क्यों बनूँ ? ईश्वर द्वारा बनाया हुआ मैं जन्मजात सनातन हिन्दू हूँ । ईश्वर के बनाये पद को छोड़कर मैं इंसान के बनाये पद पर क्यों गिरूँ ? नश्वर के लिए शाश्वत को क्यों छोड़ूँ ?


🚩श्रुति शास्त्र स्मृति गाई, प्राण जायँ पुनि धर्म न जाई ।

कुरान बहिश्त न चाहिए, मुझको हूर हजार ।।

वेद धर्म त्यागूँ नहीं, जो गल चलै कटार ।

वेद धर्म है पूरण धर्मा, करि कल्याण मिटावै भर्मा ।।

सत्य सनातन वेद हैं, ज्ञान धर्म मर्याद ।

जो ना जाने वेद को, वृथा करै बकवाद ।।

तुम चाहो तो मेरा सिर कटवा दो, पत्थर बाँधकर मुझे यमुनाजी में फिंकवा दो । ऐसा करोगे तो यह शरीर मरेगा लेकिन मेरा आत्मा-परमात्मा तो अमर है ।’’


🚩यह सुन सिकंदर लोदी आगबबूला होकर बोलाः ‘‘हद हो गयी, फकीर ! अब आखिरी निर्णय कर । या तो गला कटवाकर तेरा कीमा बनवा दूँ या तो मुसलमान बन जा तो पूजवा दूँ । सिकंदर तेरे भाग्य का विधाता है ।’’


🚩‘‘मैंने तुम्हारी बातें सुनीं, अब तुम मेरी बात भी सुनो : तुम्हारी धमकियों से मैं डरने वाला नहीं हूँ ।


🚩मैं नहीं दब्बू बाल गँवारा, गंगत्याग महूँ ताल किनारा ।।

प्राण तजूँ पर धर्म न देऊँ । तुमसे शाह सत्य कह देऊँ ।।

चोटी शिखा कबहुँ नहीं त्यागूँ । वस्त्र समान देह भल त्यागूँ ।।

कंठ कृपाण का करौ प्रहारा । चाहै डुबावो सिंधु मंझारा ।।

तुम भले मुझे गंगा में डलवा दो या पत्थर बाँधकर तालाब में फिंकवा दो ।’’

‘‘इतना बेपरवाह ! इतना निर्भीक ! तू मौत को बुला रहा है ? सिपाहियो ! इसके पैरों में जंजीरें और हाथों में हथकड़ियाँ डालकर इसे कैदखाने में ले जाओ । इसका कीमा बनवायें या जल में डुबवायें, इसका निर्णय बाद में करेंगे ।’’


🚩रविदासजी को कैद किया गया पर उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी । वे तो हरिनाम जपते रहे, अपने अमर आत्मा के भाव में मस्त रहे और सब कुछ प्रभु के भरोसे छोड़ते हुए बोले : ‘प्रभु ! यदि तेरी यही मर्जी है तो तेरी मर्जी पूरण हो ।’ शरीर तो उनका कैदखाने में है लेकिन मन है प्रभु में !भगवान ने सोचा कि ‘जिसने मेरी मर्जी में अपनी मर्जी को मिला दिया है, उसको अगर सिकंदर लोदी कुछ कष्ट पहुँचायेगा तो सृष्टि के नियम में गड़बड़ हो जायेगी ।’


🚩सिकंदर लोदी सुबह-सुबह नमाज पढ़ने गया तो उसने देखा कि सामने रविदास खड़े हैं । वह बोला : ‘ऐ काफिर ! तू यहाँ कहाँ से आ गया ?’ उसने मुड़कर देखा तो रविदास ! दो-दो रूप ! फिर तीसरी ओर देखा तो वहाँ भी रविदास ! जिस भी दिशा में देखता, रविदास-ही-रविदास दिखायी देते । वह घबरा गया ।


🚩उसने आदेश दिया : ‘‘सिपाहियों ! संत रविदास को बाइज्जत ले आओ ।’’

संत रविदास की जंजीरें खोल दी गयीं । सिकंदर उनके चरणों में गिरकर, गिड़गिड़ाकर माफी माँगने लगा : ‘‘ऐ फकीर !* *गुस्ताखी माफ करो । अल्लाह ने आपको बचाने के लिए अनेकों रूप ले लिये थे । मैं आपको नहीं पहचान पाया, मैंने बड़ी गलती की । आप मुझे बख्श दें ।’’

संत रविदास : ‘‘कोई बात नहीं, भैया ! ईश्वर की ऐसी ही मर्जी होगी ।’’


🚩जिसने जंजीरों में जकड़कर कैदखाने में डाल दिया, उसी के प्रति महापुरुष के हृदय से आशीर्वाद निकल पड़े कि ‘भगवान तुम्हारा भला करे ।’

कैसे हैं सनातन हिन्दू धर्म के संत।

(स्त्रोत: संत श्री आशारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से )


🚩आज जो राष्ट्रविरोधी ताकतों द्वारा राजनीति फायदा के लिए जो नये नेता उभर रहे हैं और दलितों के मसीहा बोलते हैं और संत रविदास के नाम लेकर दलितों को हिन्दू धर्म से दूर कर रहे हैं उनको संत रविदास की आत्मा धिक्कार दे रही होगी, संत रविदास जी की आत्मा बोल रही होगी कि हमने तो सनातन हिन्दू धर्म को बचाने के लिए अनेक यातनाएं सही लेकिन हिन्दू धर्म का त्याग नहीं किया लेकिन आज कुछ नेता अपने फायदे के लिए जो हिन्दू धर्म में बंटवारा करके देश के टुकड़े करना चाहते हैं उनको तो नर्क में भी जगा नही मिल पायेंगी।


🚩दलित समाज से विनती है कि आप किसी भी नेता के बहकावे न आएँ । महान संत रविदास जी के मार्ग पर चलकर अपना कल्याण करें और देश व सनातन धर्म की अखंडता बनाये रखें यही बड़ी सेवा है ।


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