Saturday, March 23, 2024

होली का इतिहास और सालभर स्वथ्य रहने के उपाय क्या हैं ?

24  March 2024

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🚩होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। होली भारत का अत्यंत प्राचीन पर्व है जो होली, होलिका या होलाका नाम से मनाया जाता है । वसंत की ऋतु में हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने के कारण इसे वसंतोत्सव भी कहा गया है।

 

🚩वैदिक, प्राचीन एवं विश्वप्रिय उत्सव

 

🚩यह होलिकोत्सव प्राकृतिक, प्राचीन व वैदिक उत्सव है। साथ ही यह आरोग्य, आनंद और आह्लाद प्रदायक उत्सव भी है, जो प्राणिमात्र के राग-द्वेष मिटाकर, दूरी मिटाकर हमें संदेश देता है कि हो… ली… अर्थात् जो हो गया सो हो गया।

 यह वैदिक उत्सव है। लाखों वर्ष पहले भगवान रामजी हो गये। उनसे पहले उनके पिता, पितामह, पितामह के पितामह दिलीप राजा और उनके बाद रघु राजा… रघु राजा के राज्य में भी यह महोत्सव मनाया जाता था।

 

🚩होली का प्राचीन इतिहास…

 

🚩पृथ्वी, अप, तेज, वायु एवं आकाश इन पांच तत्त्वों की सहायतावल से देवता के तत्त्व को पृथ्वी पर प्रकट करने के लिए यज्ञ ही एक माध्यम है। जब पृथ्वी पर एक भी स्पंदन नहीं था, उस समय के प्रथम त्रेतायुग में पंचतत्त्वों में विष्णुतत्त्व प्रकट होने का समय आया। तब परमेश्वर द्वारा एक साथ सात ऋषि-मुनियोंको स्वप्नदृष्टांत में यज्ञ के बारे में ज्ञान हुआ । उन्होंने यज्ञ की सिद्धताएं (तैयारियां) आरंभ की। नारदमुनि के मार्गदर्शनानुसार यज्ञ का आरंभ हुआ। मंत्रघोष के साथ सबने विष्णुतत्त्व का आवाहन किया। यज्ञ की ज्वालाओं के साथ यज्ञकुंड में विष्णुतत्त्व प्रकट होने लगा। इससे पृथ्वी पर विद्यमान अनिष्ट शक्तियों को कष्ट होने लगा। उनमें भगदड़ मच गई। उन्हें अपने कष्ट का कारण समझ में नहीं आ रहा था। धीरे-धीरे श्रीविष्णु पूर्ण रूप से प्रकट हुए। ऋषि-मुनियों के साथ वहां उपस्थित सभी भक्तों को श्रीविष्णुजीके दर्शन हुए। उस दिन फाल्गुन पूर्णिमा थी। इस प्रकार त्रेतायुग के प्रथम यज्ञ के स्मरणमें होली मनाई जाती है। होली के संदर्भ में शास्त्रों एवं पुराणों में अनेक कथाएं प्रचलित हैं।

 

 🚩प्रह्लाद की भक्ति के कारण होली परम्परा शुरू हुई:


🚩प्राचीन काल में अत्याचारी राक्षसराज हिरण्यकश्यपु ने तपस्या करके भगवान ब्रह्माजीसे वरदान पा लिया कि, संसार का कोई भी जीव-जन्तु, देवी-देवता, राक्षस या मनुष्य उसे न मार सके। न ही वह रात में मरे, न दिन में, न पृथ्वी पर, न आकाश में, न घर में, न बाहर । यहां तक कि कोई शस्त्र भी उसे न मार पाए।

 ऐसा वरदान पाकर वह अत्यंत निरंकुश बन बैठा । हिरण्यकश्यपु के यहां प्रह्लाद जैसा परमात्मा में अटूट विश्वास करने वाला भक्त पुत्र पैदा हुआ । प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और उस पर भगवान विष्णु की कृपा-दृष्टि थी।

 

🚩हिरण्यकश्यपु ने प्रह्लाद को आदेश दिया कि वह उसके अतिरिक्त किसी अन्य की स्तुति न करे। प्रह्लाद के न मानने पर हिरण्यकश्यपु ने उसे जान से मारने का निश्चय किया । उसने प्रह्लाद को मारने के अनेक उपाय किए लेकिन प्रभु-कृपा से वह बचता रहा।

 

🚩हिरण्यकश्यपु की बहन होलिका को अग्नि से बचने का वरदान था। हिरण्यकश्यपु ने अपनी बहन होलिका की सहायता से प्रहलाद को आग में जलाकर मारने की योजना बनाई।


 🚩होलिका बालक प्रह्लाद को गोद में उठा जलाकर मारने के उद्देश्य से आग में जा बैठी । लेकिन परिणाम उल्टा ही हुआ । होलिका ही अग्नि में जलकर वहीं भस्म हो गई और भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया । तभी से होली का त्यौहार मनाया जाने लगा ।

 

🚩तत्पश्चात् हिरण्यकश्यपु को मारने के लिए भगवान विष्णु नरसिंह अवतार में खंभे से प्रगटे और संधिकाल में दरवाजे की चौखट पर बैठकर अत्याचारी हिरण्यकश्यपु को मार डाला।

 

🚩पूरे साल स्वस्थ्य रहने के लिए क्या करें होली पर..??

 

🚩1- होली के बाद 15-20 दिन तक बिना नमक का अथवा कम नमकवाला भोजन करना स्वास्थ्य के लिए हितकारी है ।

 

🚩2- इन दिनों में भुने हुए चने – ‘होला का सेवन शरीर से वात, कफ आदि दोषों का शमन करता है।

 

🚩3- एक महीना इन दिनों सुबह नीम के 20-25 कोमल पत्ते और एक काली मिर्च चबा के खाने से व्यक्ति वर्षभर निरोग रहता है ।

 

🚩4- होली के दिन चैतन्य महाप्रभु का प्राकट्य हुआ था। इन दिनों में हरिनाम कीर्तन करना-कराना चाहिए। नाचना, कूदना-फाँदना चाहिए जिससे जमे हुए कफ की छोटी-मोटी गाँठें भी पिघल जायें और वे ट्यूमर कैंसर का रूप न ले पाएं और कोई दिमाग या कमर का ट्यूमर भी न हो। होली पर नाचने, कूदने-फाँदने से मनुष्य स्वस्थ रहता है।

 

🚩5 – लट्ठी-खेंच कार्यक्रम करना चाहिए, यह बलवर्धक है।

 

🚩6 – होली जले उसकी गर्मी का भी थोड़ा फायदा लेना, लावा का फायदा लेना।

 

🚩7 – मंत्र सिद्धि के लिए होली की रात्रि को भगवान नाम का जप अवश्य करें।

 

🚩हमारे ऋषि-मुनियों ने विविध त्यौहारों द्वारा ऐसी सुंदर व्यवस्था की जिससे हमारे जीवन में आनंद व उत्साह बना रहे।

( स्त्रोत्र : संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित ऋषि प्रसाद पत्रिका से)


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Friday, March 22, 2024

सेंसर बोर्ड में अटक गई वीर सावरकर पर बनी फिल्म...

23 March 2024

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🚩विश्व में भारत एकमात्र ऐसा देश होगा की जहां पर देशभक्तों और भारतीय संस्कृति रक्षकों को इतिहास में नीचा गया है और राष्ट्र विरोधी व संस्कृती विरोधियों को महिमा मंडन किया गया है ओर आश्चर्य की बात है की देशभक्तों व संस्कृति रक्षकों को प्रताड़ना जेलनी पड़ती है और उनके सच्चे इतिहास पर कोई फिल्म बनती है तो सेंसर बोर्ड पास भी नही करता है जैसे थोड़े दिन पहले छत्रपति संभाजी पर बनी फ़िल्म को रिलीजी होने से सेंसर बोर्ड ने रोक लगा दी थी अब महान स्वतंत्रता सेनानी वीर विनायक दामोदर सावरकर के जीवन पर बनी फिल्म पर रोक लगा दी हैं।


🚩आपको बता दे कि अभिनेता रणदीप हुड्डा महान स्वतंत्रता सेनानी वीर विनायक दामोदर सावरकर के जीवन पर फिल्म लेकर आए हैं। ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ फिल्म का निर्देशन भी उन्होंने ही किया है। गहन शोध के बाद बनाई गई इस फिल्म के लिए उन्होंने खासी मेहनत की है। कालापानी के दौर को पर्दे पर जीवंत करने के लिए रणदीप हुड्डा को अपने शरीर को काफी कमजोर करना पड़ा। हालाँकि, अब खबर आ रही है कि सेंसर बोर्ड में ये फलम अटक गई है, इसकी रिलीज को लेकर अनिश्चितता है।


🚩फिल्म कारोबार विश्लेषक सुमित काडेल ने एक ट्वीट के जरिए बताया, “कई सूत्रों से मुझे ये सुनने को मिल रहा है कि ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ का सेंसर सर्टिफिकेट जानबूझकर रोक दिया गया है। इस कारण इसके कई शो रद्द हो रहे हैं। इससे फिल्म की रिलीज में बाधा आ सकती है और इसके प्रदर्शन का जो अधिकार है उसे नकारा जा सकता है। इससे संबद्ध संस्थाओं को इसकी अच्छी तरह जाँच करनी चाहिए। उन्हें कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि न्याय हो।”


🚩सुमित काडेल ने कहा कि कलात्मक स्वतंत्रता को बनाए रखने और फिल्म निर्माण प्रक्रिया की अखंडता की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। उन्होंने ये आशंका भी जताई कि जब हिंदी सेंसर को इतने लंबे समय तक रोक कर रखा गया है तो मराठी के लिए अप्लाई करने का समय ही नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अगर इस कारण फिल्म मराठी भाषा में रिलीज नहीं हो पाती है तो ये त्रासद होगा। बता दें कि वीर सावरकर मराठी ही थे।


🚩इस खबर के सामने आने के बाद लोगों ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को टैग कर के हस्तक्षेप करने की माँग की। ‘मिस्टर सिन्हा’ नामक ट्विटर हैंडल ने कहा कि ये परेशान करने वाला है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि वामपंथी इकोसिस्टम सेंसर बोर्ड का प्रबंधन कर रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ हफ़्तों में ये दूसरी ऐसी घटना है। बता दें कि लेफ्ट लॉबी वीर सावरकर का विरोध करती है और उनके योगदानों को नकारती है, क्योंकि उन्होंने हिंदुत्व के लिए आवाज़ उठाई।


🚩जनता का कहना है की सेंसर बोर्ड और बॉलीवुड हमेशा भारतीय संस्कृति विरोधी रहा है, आजतक जितनी फिल्म बनाई है उसमे भारतीय इतिहास का अपमान किया होगा अथवा अश्लीलता वाले फिल्में बनाकर समाज में परोसी हैं, देशभक्तों व सही इतिहास अथवा हिंदुत्व पर फिल्मे बनती है उसपर सेंसर बोर्ड रोक लगा देते हैं। अब जनता का मूड बन रहा है की भारतीय संस्कृति विरोधी फिल्में का संपूर्ण बहिष्कार करेगें।


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Wednesday, March 20, 2024

भारत की न्याय व्यवस्था और सरकार का रवैया अंग्रेजों जैसा ?

21  March 2024
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🚩जोधपुर हाईकोर्ट का ड्रामे का 11 मार्च का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। हिंदू संत आशारामजी बापू की मरणासन्न स्थिति में भी हाईकोर्ट की व्यवस्था और उसके बाबू केवल भारत के संत आशारामजी का ही नहीं बल्कि उनके 12 करोड़ से अधिक शिष्यों का भी अपनी कार्यशैली से अपमान कर रहे हैं। हाईकोर्ट के बाबू की गंभीर लापरवाही है कि किसी याचिका की जगह दूसरी याचिका कम्प्यूटर में फीड कर दी, वो भी उस महापुरुष की जो गंभीर हृदयरोगी है।

🚩आपको बता दे कि बापू आशारामजी को 3 बार हार्ट अटैक आ चुका है। ऐसी स्थिति में कोई और मरीज रहता है तो अस्पताल पहुंचने पर डाक्टर कह देता है, सोरी आप 30 मिनट पहले आ जाते तो शायद मरीज की जान बच जाती। जहां मिनटों की कीमत होनी चाहिये, वहां घंटों तो ठीक है, दिनों की कीमत नहीं हो रही। ऐसी गंभीर हालत में कभी सुप्रीम कोर्ट तो कभी हाईकोर्ट इधर से उधर भटका रहे हैं। खुद कोर्ट की गलतियों का खामियाजा भी मरीज ही भुगतने को मजबूर हैं। 

🚩जोधपुर हाईकोर्ट ने 11 तारीख को डबल बेंच लगाकर भी पता नहीं क्या प्रदर्शन करने की कोशिश की। बापू आशारामजी ने याचिका में आयुर्वेदिक इलाज ही तो मांगा था। उस याचिका में जो पेज लगाये गये हाईकोर्ट के बाबू ने, वो पेज ही बदल दिये। उसके बाद बापू आशारामजी की ओर से लगे वकील ने अगली तारीख मांगी उसी याचिका को संशोधित करने के लिये तो भी उसे खारिज कर दिया। जबकि सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार ने एक केस में टाइपिंग की ग़लती के नाम पर पूरे का पूरा जवाब पेश करने के लिये समय ले लिया था और पूरा जबाब नया टाईप करके कोर्ट में दिया था। 

🚩न्यायालय जनता को न्याय देने के नाम पर बनाये गये हैं। न्यायाधीशों के वेतन से लेकर आर्डर सीट के कागज तक का खर्च जनता के उस खून पसीने की कमाई से आता है, जो प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से टैक्स के रूप में सरकारी खजाने में जमा होता है। उस पर अगर भारत के 12 करोड़ लोगों के देश-भर में प्रदर्शन, देश के जाने-माने सुप्रीम कोर्ट के वकील हाईकोर्ट की डबल बेंच से एक गंभीर हृदयरोगी के लिये आयुर्वेदिक इलाज की याचना या प्रार्थना कर रहे हैं तो उन वकीलों को न्यायाधीशों द्वारा कुत्तों की तरह दुत्कारा जा रहा है।

🚩क्या यह न्याय है या अन्याय भारत की जनता खुद ही फैसला करे,क्योंकि भविष्य में आपके परिवार का कोई सदस्य भी इसी तरह झूठे केस में फंसकर जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहा होगा तो, इस तरह की न्याय व्यवस्था में आप कितना पैसा, कितने वकील और कितना धैर्य रख पायेंगे ? क्या आपको नहीं लगता बाबा राम रहीम  को बार बार पैरोल इस लिये दी जा रही है कि कहीं सरदार इंदिरा गांधी कांड न दोहरा दें? क्या इस देश के हिन्दू और सनातनी लोगों को देश की निचली अदालतें, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट नपुंसक समझती है ? - सैनिक गर्जना समाचार पत्र

🚩आपको बता दे कि जोधपुर हाईकोर्ट में बापू आशारामजी को महाराष्ट्र पुणे स्थित माधव बाग अस्पताल में इलाज के लिए अपील पर 20 मार्च को सुनवाई हुई उसमे भी महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट में बताया कि हम लो एंड ऑर्डर नही संभाल सकते हैं। इसलिए इलाज के लिए कोर्ट ने मना कर दिया, इससे तो साफ होता है की कोर्ट और सरकार मिली भगत है, क्योंकी हिंदू संत आशाराम बापू की उम्र 87 वर्ष की है, 11 साल से जेल में रहने से मूलभूत सुविधाएं नही मिलने पर आज उनके शरीर में गंभीर बीमारियां हो गई हैं। फिर भी उनको आयुर्वेद इलाज के लिए भी जमानत नही मिल पा रही हैं,ये कैसा कानून और सरकार है ?

🚩बस उनका कसूर यही है कि वे हमेशा जनता के पक्ष लेते है, सरकार के गलत निर्णयों पर टोकते है, जिसके कारण सरकार नही चाहती है की बापू बाहर आएं और मीडिया और न्यायलय किसके इशारे पर कार्य कर रही है आप सभी को अच्छे से पता है, बस कहने का तात्पर्य यही है कि बापू आशारामजी ने 70 साल तक समाज, राष्ट्र और संस्कृती की सेवा किया , कांग्रेस सरकार के समय में जब कोई हिंदुत्व के लिए बोलता नही था, उस समय बापू ने लाखों हिंदुओं की घर वापसी करवाई, करोड़ो लोगों को में सनातन धर्म की लो जगाई, करोड़ो लोगों के व्यसन और व्यभिचार छुड़ाए, मिशनरी और विदेशी कंपनियों को उखाड़ फेके और उनके पास निर्दोष होने के कई प्रमाण है, फिर जूठा केस लगाकर प्रताड़ित किया जा रहा है और आज तक जमानत तक नही मिल रही ये कैसा न्याय हैं ? जबकि नेता अभिनेता और आतंकवादियों तक को रिहा किया जा रहा हैं।

🚩बापूजी के अनुकूल आयुर्वेद इलाज के  लिए देशभर में पिछले 2 महीनो से महिला मंडलों  द्वारा लगातार रेलियां  निकाली गई है फिर भी 87 वर्षीय हिंदू संत श्री आशारामजी बापूजी को न्याय तो दूर बेल तक नही मिल रही है,ये इस सदी का सबसे बड़ा अन्याय है।

🚩करोड़ो लोगों की मांग है कि सरकार बापू आशारामजी को शीघ्र रिहा करवाए।

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Tuesday, March 19, 2024

होली इस रंग से खेलिए सालभर निरोग रहिए और कालसर्पदोष से मुक्ति पाइए...

19 March 2024

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होली का त्यौहार हास्य-विनोद करके छुपे हुए आनंद-स्वभाव को जगाने के लिए है, लेकिन आजकल केमिकल रंगों से होली खेलने का जो प्रचलन चल रहा है वो बहुत नुकसानदायक है । अगर पलाश के रंगों से होली खेलेंगे तो इतने फायदे होंगे कि आपको डॉक्टर की ज्यादा आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी ।


🚩पलाश को हिंदी में ढ़ाक, टेसू, बंगाली में पलाश, मराठी में पळस, गुजराती में केसूड़ा कहते हैं ।

इसके पत्त्तों से बनी पत्तलों पर भोजन करने से चाँदी – पात्र में किये भोजन के तुल्य लाभ मिलते हैं ।


🚩कालसर्प दोष से मुक्ति


🚩कालसर्प दोष बहुत भयंकर माना जाता है और ये करो, वो करो, इतना खर्चा करो, इतना जप करो, कई लोग इनको ठग लेते हैं । फिर भी कालसर्प दोष से उनका पीछा नहीं छूटता, लेकिन ज्योतिष के अनुसार उनका कालसर्प योग नहीं रहता जो पलाश के रंग अपने पर डालते हैं ।  कालसर्प दोष के भय से पैसा खर्चना नहीं और अपने को ग्रह दोष है, कालसर्प है ऐसा मानकर डरना नहीं पलाश के रंग शरीर पर लगाओ जिससे काल कालसर्प दोष चला जायेगा ।


🚩पलाश से पाएं अनेक रोगों से मुक्ति


🚩‘लिंग पुराण’ में आता है कि पलाश की समिधा से ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र द्वारा 10 हजार आहुतियाँ दें तो सभी रोगों का शमन होता है ।


🚩पलाश के फूल : प्रेमह (मूत्रसंबंधी विकारों) में: पलाश-पुष्प का काढ़ा (50 मि.ली.) मिश्री मिलाकर पिलायें ।


🚩रतौंधी की प्रारम्भिक अवस्था में : फूलों का रस आँखों में डालने से लाभ होता है । आँखे आने पर (Conjunctivitis) फूलों के रस में शुद्ध शहद मिलाकर आँखों में आँजे ।


🚩वीर्यवान बालक की प्राप्ति : एक पलाश-पुष्प पीसकर, उसे दूध में मिला के गर्भवती माता को रोज पिलाने से बल-वीर्यवान संतान की प्राप्ति होती है ।


🚩पलाश के बीज : 3 से 6 ग्राम बीज-चूर्ण सुबह दूध के साथ तीन दिन तक दें | चौथे दिन सुबह 10 से 15 मि.ली. अरंडी का तेल गर्म दूध में मिलाकर पिलाने से कृमि निकल जायेंगे ।


🚩पत्ते : पलाश व बेल के सूखे पत्ते, गाय का घी व मिश्री समभाग मिला के धूप करने से बुद्धि की शुद्धि व वृद्धि होती है ।


🚩बवासीर में : पलाश के पत्तों की सब्जी घी व तेल में बनाकर दही के साथ खायें ।


🚩छाल : नाक, मल-मूत्र मार्ग या योनि द्वारा रक्तस्त्राव होता हो तो छाल का काढ़ा (50 मि.ली.) बनाकर ठंडा होने पर मिश्री मिला के पिलायें ।


🚩पलाश का गोंद : पलाश का 1 से 3 ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध या आँवला रस के साथ लेने से बल-वीर्य की वृद्धि होती है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं । यह गोंद गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व संग्रहणी में आराम मिलता है ।


🚩पलाश के फूलों से होली खेलने की परम्परा का फायदा बताते हुए हिन्दू संत आसाराम बापू कहते हैं कि ‘‘पलाश कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है। साथ ही रक्तसंचार में वृद्धि करता है एवं मांसपेशियों का स्वास्थ्य, मानसिक शक्ति व संकल्पशक्ति को बढ़ाता है ।


🚩रासायनिक रंगों से होली खेलने में प्रति व्यक्ति लगभग 35 से 300 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामूहिक प्राकृतिक-वैदिक होली में प्रति व्यक्ति लगभग 30 से 60 मि.ली. से कम पानी लगता है ।


🚩इस प्रकार देश की जल-सम्पदा की हजारों गुना बचत होती है । पलाश के फूलों का रंग बनाने के लिए उन्हें इकट्ठे करनेवाले आदिवासियों को रोजी-रोटी मिल जाती है ।

पलाश के फूलों से बने रंगों से होली खेलने से शरीर में गर्मी सहन करने की क्षमता बढ़ती है, मानसिक संतुलन बना रहता है ।


🚩इतना ही नहीं, पलाश के फूलों का रंग रक्त-संचार में वृद्धि करता है, मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के साथ-साथ मानसिक शक्ति व इच्छाशक्ति को बढ़ाता है । शरीर की सप्तधातुओं एवं सप्तरंगों का संतुलन करता है ।  (स्त्रोत : संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित ऋषि प्रसाद पत्रिका)


🚩आपको बता दें कि पलाश से वैदिक होली खेलने का अभियान हिन्दू संत आसाराम बापू ने शुरू किया था जिसके कारण केमिकल रंगों का और उससे फलने-फूलनेवाला अरबों रुपयों का दवाइयों का व्यापार प्रभावित हो रहा था ।


🚩बापू आसारामजी के सामूहिक प्राकृतिक होली अभियान से शारीरिक मानसिक अनेक बीमारियों में लाभ होकर देश के अरबो रुपयों का स्वास्थ्य-खर्च बच रहा है । जिससे विदेशी कंपनियों को अरबों का घाटा हो रहा था इसलिए एक ये भी कारण है उनको फंसाने का । साथ ही उनके कार्यक्रमों में पानी की भी बचत हो रही है ।


🚩पर मीडिया ने तो ठेका लिया है समाज को गुमराह करने का।  5-6 हजार लीटर प्राकृतिक रंग (जो कि लाखों रुपयों का स्वास्थ्य व्यय बचाता है) के ऊपर बवाल मचाने वाली मीडिया को शराब, कोल्डड्रिंक्स उत्पादन तथा कत्लखानों में गोमांस के लिए प्रतिदिन हो रहे अरबों-खरबों लीटर पानी की बर्बादी जरा भी समस्या नही लगती। ऐसा क्यों ???


🚩कुछ सालों से अगर गौर करें तो जब भी कोई हिन्दू त्यौहार नजदीक आता है तो दलाल मीडिया और भारत का तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग हमारे हिन्दू त्यौहारों में खोट निकालने लग जाता है ।


🚩जैसे दीपावली नजदीक आते ही छाती कूट कूट कर पटाखों से होने वाले प्रदूषण का रोना रोने वाली मीडिया को 31 दिसम्बर को आतिशबाजियों का प्रदूषण नही दिखता । आतिशबाजियों से क्या ऑक्सीजन पैदा होती है?


🚩जन्माष्टमी पर दही हांडी कार्यक्रम नहीं हो लेकिन  खून-खराबा वाला ताजिया पर आपत्ति नही है।

ऐसे ही शिवरात्रि के पावन पर्व पर दूध की बर्बादी की दलीलें देने वाली मीडिया हजारों दुधारू गायों की हत्या पर मौन क्यों हो जाती है?


🚩अब होली आई है तो बिकाऊ मीडिया पानी बजत की दलीलें लेकर फिर उपस्थित होंगी । लेकिन पानी बचाना है तो साल में 364 दिन बचाओ पर पलाश की वैदिक होली अवश्य मनाओं । क्योंकि बदलना है तो अपना व्यवहार बदलो….त्यौहार नहीं ।


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दक्षिण में हिंदू मंदिरों के लिए लड़ाई लड़ रहे वकीलों की फोज

17 March 2024

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🚩हिंदू मंदिरों को वापस से उनकी सही पहचान दिलाने के लिए आज जहाँ उत्तर भारत में वरिष्ठ वकील हरी शंकर जैन और उनके बेटे विष्णु जैन ने अपनी जी जान लगाई हुई है, तो वहीं दक्षिण में भी हिंदू मंदिरों और देवी-देवताओं की ओर से लड़ाई लड़ने के लिए वकीलों का एक समूह आ खड़ा हुआ है। अयोध्या-काशी के कारण हम पिता-पुत्र की जोड़ी को तो जान गए लेकिन केरल के इन वकीलों को अभी जानना हमारे लिए बाकी है।


🚩हाल में केरल की विभिन्न अदालतों में हिंदू मंदिरों की खोई संपत्ति वापस दिलाने के लिए सैंकड़ों याचिकाएँ दायर की गई। ये याचिका इन्हीं वकीलों की मेहनत का परिणाम है। यही वकील एकजुट होकर हिंदू मंदिरों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं जिसकी वजह से आज इनकी चर्चा है। द न्यूज मिनट पर तो इन्हें लेकर विस्तार से खबर भी प्रकाशित हुई है।


🚩इस समूह में एक वकील कृष्णा राज भी हैं। उन्हीं के नेतृत्व में हिंदू मंदिरों की जमीन पर अतिक्रण करने वाले लोगों, ट्रस्टों और संगठनों को लक्षित करते हुए 100 केसों को उठाया गया है। इस समूह के प्रयास के चलते ही ईसाई मिशनरी नेटवर्क सेंट फिलोमेना साधु जन संगम को अदालत में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उन्होंने खुद धोखाधड़ी से कोन्नमकुलंगरा भगवती मंदिर की जमीन खरीदी थी और अब इस समूह के प्रयास ने उन्हें कोर्ट में लाकर खड़ा कर दिया है।


🚩बता दें कि केरल के वकीलों के इस समूह का नेतृत्व करने वाले कृष्णा राज अपने हिंदुत्व विचारधारा के लिए जाने जाते हैं। उनकी टीम में प्रथीश विश्वनाथ जैसे साथी वकील हैं और कुछ अन्य दक्षिणपंथी कार्यकर्ता हैं। इन लोगों ने अपने इस अभियान के लिए SaveDeities नाम का संगठन भी खोला हुआ जिसमें 7 वकीलों का समूह है।


🚩इस संगठन की शुरुआत साल 2018 में की गई थी। इस टीम का हिस्सा- सुप्रीम कोर्ट और केरल हाईकोर्ट के वकील आर कृष्णा राज तो हैं हीं, इनके अलावा केरल हाई कोर्ट के बीएन शिवशंकर, प्रथीस विश्वनाथन, के ए बालन, वकील ई एस सोनी, कुमारी संगीता एस नायर और राजेश वीआर भी हैं। ये सारे वकील इस संगठन से जुड़कर और मिलकर हिंदू मंदिरों को पहचान दिलाने के लिए काम कर रहे हैं।


🚩SaveDeities पर इस बात को भी विस्तार से बताया गया है कि इस समूह ने किन केसों को अदालतों में उठाया है। कहाँ-कहाँ मंदिरों की जमीन पर अवैध अतिक्रमण हो रखा है और कैसे केरल में स्थिति यह है कि सरकार के हस्तक्षेप से राजस्व विभाग के माध्यम से अतिक्रमणकारियों को पट्टायम (खरीद प्रमाण पत्र) और अन्य कानूनी कब्ज़ा/स्वामित्व प्रमाण पत्र जारी करके मंदिर संपत्तियों के अतिक्रमण को वैध बनाया जा रहा है।


🚩यही साइट ये भी बताती है कि इन वकीलों ने इस काम की शुरुआत इसलिए की थी क्योंकि ये केरल राज्य में किसी ने भी अतिक्रमणकारियों को बेदखल करने और मंदिर की संपत्तियों को देवताओं, असली मालिकों को वापस करने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया है। ऐसी परिस्थितियों में, ये समूह कब्जे वाले क्षेत्रों से मंदिरों की खोई संपत्ति को बचाने के लिए ऐसे प्रयास कर रहे हैं।


🚩द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के अनुसार, वकील कृष्ण राज कहते हैं, “मैं किसी संघ परिवार से जुड़ा नहीं हूँ। कानूनी मामलों में मैं बस उनकी सहायता करता हूँ। मैं गौरवान्वित हिंदू हूँ पर क्षमाप्रार्थी नहीं। मेरा उद्देश्य भगवान की खोई संपत्तियों को पुन: प्राप्त करना है। अकेले मैं इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहा हूँ।”


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Sunday, March 17, 2024

खुला राज, कौन रोक रहा है भारत को शक्तिशाली बनने से...

18 March 2024

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🚩इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में सेक्युलर लोग भारतीय संस्कृति और देश के खिलाफ जमकर दुष्प्रचार कर रहे हैं । इन दुष्प्रचार के आज की युवा पीढ़ी गुमराह हो रही है, जिसके कारण आजकल वे भी अपने ही संस्कृति, देवी-देवताओं, साधु-संतों और मंदिरों की मजाक उड़ाने लगे हैं ।


🚩सत्यमेव जयते फ़िल्म में भी कुछ ऐसे ही बताया गया है, कुछ युवा चाय के स्टाल पर चाय पीते-पीते अखबार पढ़ रहे थे, उस अख़बार में एक हिन्दू संत के लिए कुछ लिखा था और वे उसे पढ़कर मजाक उड़ाने लगे फिर एक नवयुवक जो हिन्दू संस्कृति को समझता था, उसने उन्हें क्या जवाब दिया है, इसे सुनकर आप भी चौक जाएंगे ।

https://youtu.be/n2AtCrh3YhY?si=NPjH1lVtVaCwYy4A


🚩नवयुवक ने भ्रमित युवकों को बताया कि वैसे भी संतो का काम ही क्या है ? जंगल मे जाकर तपस्या करना, मौन होकर बैठे रहना और ज्यादा से ज्यादा लोगों को उपदेश देना । अगर करना ही है तो हिन्दुओं को लालच देकर दूसरे धर्म मे घसीटो ।

सही काम तो, देश मे अश्लीलता, भ्रष्टाचार, अशांति फैलाकर मल्टीनेशनल कंपनियां भारत को लूट कर रही है । गुलामी तो हम करते ही आए हैं, कभी अंग्रेजो की तो कभी मुगलों की, 

क्या बोलते हो ?  


🚩और हिन्दू संत आशारामजी बापू ने क्या किया ?  

धर्मांतरण पर रोक, वेलेन्टाइन डे पर रोक…, क्रिसमिस डे पर रोक, गौ हत्या पर रोक और बाप रे बाप ! वेस्टर्न कल्चर पर रोक और इतने बड़े-बड़े रिस्की डिसीजन बापू ने अपने दम पर ले लिए । और पता है कि अगर सिस्टम साथ नही देगा तो विधर्मी लोग बापू की संस्था को जीरो मिशन तक पहुँचा सकते हैं । पर बापू तो बापू है ना !


🚩भले ही हिन्दु धर्म व भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए मिट जाएंगे, लेकिन पीछे नहीं हटेंगें 

क्या जरुरत थी बापू को दिन मे दो दो तीन तीन जगहों पर सत्संग करने की ? और वो भी बिना किसी फीस या डोनेशन के ।


🚩आखिर क्या जरुरत थी गुरुकुल खोलने की ? जहाँ आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी मिलते हैं ।


🚩हमारे देश ने टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में तो बहुत विकास किया, लेकिन कोई ये सोचता है कि मेरे भारत का बच्चा-बच्चा चरित्रवान कैसे बनें ? संयमी , सदाचारी और बलवान कैसे बनें ? और दीवाली में बापू कहाँ जाते हैं, पता है ? उन गरीबों,आदिवासियों के बीच जिनको ठीक से खाने की दो वक्त की रोटी, कपड़ा और मकान नहीं ।


🚩अरे भाई जरा समझो, संतो पर आरोप लगाकर जेल में डालना जरुरी है क्योंकि उनके द्वारा विधर्मीयों के मंसूबे नाकाम हो रहे थे । और आखिर भारत में कानून तो सबके लिए एक है ना, देखो बड़े-बड़े लोगों को बेल और संतो को जेल ?  


🚩कुछ नहीं बहुत सारे दोष हैं, उनके ।


🚩1.युवा सेवा संघ खोल दिए, लाखों युवान नशा नहीं करते संयमी जीवन जीते हैं और राष्ट्र भक्त बन रहे हैं, ये कोई कम गुनाह है ?


🚩2. ऋषि प्रसाद पत्रिका द्वारा लोगों को सुखी, स्वस्थ व सम्मानित जीवन की कला सिखाना l


🚩3. बाल संस्कार केन्द्र खोले, जिसमें बच्चों को अच्छे संस्कार मिल रहे हैं ।


🚩4. महिलाओं को आत्मनिर्भऱ व सम्मानित बनाने के लिए महिला उत्थान मंडल खोले, कितना बड़ा गुनाह है ये 

अरे भाई… गुनाहों की लिस्ट तो अभी बाकी है ।


🚩5. कत्लखाने जा रही हजारों गायों को बचाकर गौ पालन करना ।


🚩6 गरीबों को राशन कार्ड देना व भंडारो का आयोजन करना |


🚩7. मुफ्त चिकित्सा सेवाएं देना |


🚩8. 

बाबाओं को संपत्ति की क्या जरुरत थी?

क्या जरुरत थी ? बापू को प्राकृतिक आपदाओं मे अन्न , जल व वस्त्र पहुँचाने की ।

संपत्ति की जरुरत तो धर्मांतरण, नशाखोरी, अश्लीलता, भ्रष्टाचार फैलाने वालो को है ।


🚩इन सब पर रोक लगाने वालों को और इतनी सारी सेवा करने के लिए कहाँ जरुरत है संपत्ति की ?  


🚩पर कौन आशारामजी बापू के पीछे लगा है ?


🚩नंबर 1. जो लोग भारत को फिर से गुलाम बनाना चाहते हैं और अपना धर्म भारत में फैलाना चाहते हैं, ऐसी विदेशी मिशनरियाँ ।


🚩नंबर 2.. हिन्दु धर्म को बदनाम करने वाली – फॉरेन फंडेड मीडिया । 


🚩नंबर 3. मल्टीनेशनल कंपनीज ।


🚩सच को झूठ और झूठ को सच बनाने का जिसके पास आइडिया है उसी का नाम मीडिया है ।


🚩 और बापू मीडिया वालों को पैसा कहाँ देने वाले थे ? कभी मीडिया में उनके सेवाकार्यो की एक पट्टी भी चलती देखी तुमने ?  


🚩क्या होने वाला है वेलेन्टाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन दिवस, क्रिसमस डे को तुलसी पूजन दिवस मनाने से ?  

और ये विश्वगुरु भारत और सबका मंगल, सबका भला से क्या होने वाला है ?  


🚩कुछ नही ।

नहीं चाहिए हमें स्वस्थ, सुखी और सम्मानित भारत, नहीं चाहिए हमें शिवाजी, महाराणा प्रताप, भगत सिंह, झाँसी की रानी जैसे वीर देशभक्त ?

नहीं चाहिए हमें ऐसे संत जो भारतीय संस्कृति का डंका पूरे विश्व में बजाते हैं । 


🚩तो फिर करते रहो गुलामी, बँटते रहो धर्म के नाम पर ।

अरे मेरे बाप… एक बार नही सौ बार कहता हूँ, वर्तमान में हिन्दु धर्म को बचाने वाले अगर कोई हैं तो सिर्फ बापू जैसे संत ही हैं । इसलिए करोड़ों रुपए खर्च करके बापू आसारामजी के ऊपर गंदा आरोप लगवाकर उन्हें जेल में डलवाया । अरे मेरे भाई… अब तो समझो अगर बापू को इसी तरह जेल रखा गया तो भारतीय संस्कृति और हिन्दु धर्म की रक्षा कौन करेगा ? फिर हमारे देश में घोर अपराध बढ़ते जायेंगें । और फिर ये देश कभी विश्वगुरु नही बन पायेगा ।


🚩सच कहता हूँ अगर जल्दी बापू जी बाहर नही आए तो आने वाले 100-200 साल तक ये लड़ाई लड़नेवाला और कोई नही होगा । फिर करते रहना 

मेरा भारत महान । मेरा भारत महान ।


🚩फिर बापू आसरामजी जेल में है क्यों हैं ?  


🚩बापू जी जेल में हैं क्योंकि वो एक हिंदु संत हैं ।


🚩बापू जेल में है क्योंकि वो सनातन धर्म व संस्कृति के लिए लड़ते हैं ।


🚩बापू जेल में है क्योंकि वो राष्ट्र को मानते हैं राजनेता को नहीं ।


🚩बापू जेल में है क्योंकि वो धर्म को मानते हैं धर्मांतरण को नहीं ।


🚩बापू जेल में है क्योंकि हम निष्क्रिय हैं ।

बापू जेल में है क्योंकि बापूजी निर्दोष हैं ,अगर दोषी होते तो वो बाहर होते।

प्रशासन निर्दोष, मीडिया निर्दोष, नेता निर्दोष, न्यायालय निर्दोष, अपने आपको निर्दोष कहने वाले ये लोग निर्दोष है कि नहीं ये मैं नही जानता पर बापू जी निर्दोष थे , हैं व रहेंगें ।


🚩लोग उनकों क्यो मानते हैं ?  

किसी की श्रद्धा का प्रमाण न्यायालय या मीडिया नहीं हो सकती है । उसका स्वंय का अनुभव होता है ।  

जरा सोचो इतना सब होने पर भी बापू के करोड़ों भक्तों का विश्वास अभी भी कायम है । अरे कुछ तो होगा उनके पास ?


🚩इतना सामर्थ्य होने पर बापू जी बाहर क्यों नहीं आते ?  

कौन कहता है कि बापू आसारामजी जेल में हैं । जेल में तो हमारे देश कि अस्मिता, संस्कृति, धर्म है । और सामर्थ्य का उपयोग संत अपने लिए थोड़े ही ना करते हैं ? जैसे जगदगुरु शंकराचार्य की माँ की अंत्येष्ठी के लिए उनके गाँववालों ने लकड़ी तक नहीं दी । तुकारामजी महाराज सामर्थ्यवान होते हुए भी कीर्तन में पत्थर के झाँझ का उपयोग करते थे । ऐसे ही संत ज्ञानेश्वर, बुद्ध भगवान आदि भी थे । अरे… कबीर जी को भी जेल जाना पड़ा था । और तो और संत तो क्या भगवान होते हुए भी श्री रामजी नागपाश में बंध गये थे । वाह … वाह री दुनिया … वाह री दुनिया को लोगों… संतों ने तुम्हें क्या दिया और संतों को तुम क्या दे रहे हो । 


🚩शंकाचार्यजी को भी झूठे आरोप में फँसाया फिर वो निर्दोष बरी हुए साध्वी प्रज्ञा , स्वामी असीमानंद को भी निर्दोष बरी किया गया । ऐसे ही बापू जी को फँसाया गया है । वे भी अवश्य निर्दोष बरी होगे । और याद रखो, चाहे जो हो जाये पर भारत विश्व गुरु बनकर ही रहेगा । I Support Asharamji Bapu


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Friday, March 15, 2024

नेपाल में हिन्दू राष्ट्र के लिए तेज हुआ आंदोलन

16 March 2024

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🚩नए-नवेले वामपंथी बने नेपाल को एक बार फिर से हिन्दू राष्ट्र की माँग जोर पकड़ने लगी है। यहाँ की जनता पुराने राजतंत्र को याद कर रही है। प्रदर्शनकारियों के कई समूह एक बार फिर से पुराने समय को लाने का संकल्प ले रहे हैं। नेपाल की अधिकतर जनता भी इन प्रदर्शनकरियों के साथ खड़ी दिख रही है। लोगों का मानना है कि वर्तमान समय में भ्र्ष्टाचार और कुव्यवस्था का बोलबोला है जिसे फ़ौरन बदलने की जरूरत है। हिन्दूराष्ट्र बनाने के लिए साल 2023 से शुरू हुए और अब जोर पकड़ चुके इस आंदोलन में नेपाल का हर वर्ग भागीदारी कर रहा है जिसमें व्यापारी, छात्र, नेता और यहाँ तक कि सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं।


🚩मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बहुत ही कम समय में नेपाली जनता वहाँ की राजनैतिक पार्टियों और नेताओं से ऊब चुकी है। इन नेताओं ने देश की सत्ता तमाम झूठे वादे कर के हासिल की थी। इसमें शिक्षा, भ्र्ष्टाचार मुक्त शासन, बेरोजगारी, बेहतर स्वास्थ्य और सर्वांगीण विकास जैसे वादे शामिल थे। हालाँकि डेढ़ दशक से अधिक समय बीत जाने पर उनमें से किसी भी वादे पर लोगों ने अपने नेताओं को खरा उतरते नहीं देखा। उल्टे अब लोग इन नेताओं की खोखली बातों और भ्रष्टाचार आदि से तंग आ चुके हैं। अब एक बार फिर से हिन्दू राष्ट्र की माँग को ले कर वहाँ की जनता आंदोलित है।


🚩16 साल पहले तक नेपाल में राजशाही रही थी। तब ज्ञानेंद्र सिंह देश की सर्वोच्च सत्ता हुआ करते थे। देश में मची उथल-पुथल के दौरान उन्होंने सरकार को भंग कर दिया था और कई राजनेताओं को पत्रकारों सहित जेल भेज दिया था। देश में मिलिट्री शासन भी लगा दिया गया था। इस दौरान बड़ी संख्या में खून-खराबा हुआ था। आखिरकार ज्ञानेंद्र सिंह ने कदम पीछे खींच लिए थे और यहीं से नेपाल में कथित लोकतंत्र की शुरुआत हुई थी। साल 2008 में हुए इस बदलाव के बाद से अब तक नेपाल में 13 सरकारें बन चुकी हैं।


🚩हालाँकि, ये सरकारें जन-अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरीं। उलटे अब लोगों को सत्ता की ताकत से तंग भी किया जा रहा है। राजधानी काठमांडू में हिन्दूराष्ट्र के समर्थन में एक बड़ा प्रदर्शन हु। तब हजारों लोगों के इस प्रदर्शन में शामिल रुद्रराज ने मीडिया से कहा था कि नेपाल में हुए बदलाव से लोग अपने पारम्परिक मूल्यों को खोते जा रहे हैं। इस प्रदर्शन में लोग हाथों में नेपाल का झंडा और राजा ज्ञानेंद्र की तस्वीरें ले कर चल रहे थे। हालाँकि नेपाल की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी नेपाली कॉन्ग्रेस के नेता नारायण प्रकाश सऊद ने देश के फिर से हिन्दूराष्ट्र और राजतन्त्र जैसी संभावनाओं से इंकार किया है।


🚩ऑपइंडिया ने पूरे नेपाल में हिंदूवादी मूवमेंट चला रही हिन्दू सम्राट सेना के केंद्रीय अध्यक्ष राजेश कुमार यादव से बात की। उन्होंने हमें बताया कि हिन्दुओं को आपस में वामपंथी और दक्षिणपंथी के मुद्दों पर उलझा कर चीनियों और इस्लामी ताकतों ने अपना उल्लू सीधा किया है। राजेश ने हमें आगे बताया कि अब एक बार फिर से नेपाल को हिन्दूराष्ट्र बनाने की माँग शुरू हो चुकी है तो इसे अंजाम तक लाया जाएगा। वहीं नेपाल के ही कृष्ण कुमार ने ऑपइंडिया से बातचीत में बताया कि जब साल 2008 में नेपाल का नया संविधान बना था तब लोग जागरूक नहीं थे और भाईचारे के नशे में थे। कृष्ण कुमार का कहना है कि अब लोगों ने कथित भाईचारे का खुमार उतर चुका है क्योंकि वो आए दिन हमलों के शिकार हो रहे है।


🚩साल 2022 में ऑपइंडिया ने भारत की सीमा से लगने वाले नेपाल के दाँग और कपिलवस्तु जिलों का दौरा किया था। इस दौरान पता इस बात का खुलासा हुआ था कि न सिर्फ भारत बल्कि नेपाल की तरफ के भी कई सीमावर्ती गाँव और शहर मुस्लिम बाहुल्य हो चुके हैं। हालात ऐसे मिले कि कुछ गाँवों में प्रधानी का चुनाव लड़ने के लिए हिन्दू प्रत्याशी ही नहीं खड़े हुए थे। इसके अलावा सीमा के दोनों तरफ सैकड़ों की तादाद में दरगाहें, मस्जिदें और अन्य इबादतगाहें बना ली गईं थीं। हालाँकि जाँच के बाद भारत की सीमा पर बने तमाम अवैध मदरसों को बंद करने का आदेश दिया गया है। तब खुद नेपाल के तत्कालीन सांसद अभिषेक प्रताप शाह ने हालत को विस्फोटक जैसा बताते भारत और नेपाल दोनों को सीमावर्ती क्षेत्रों पर ध्यान देने की जरूरत बताई थी।


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