Saturday, May 4, 2024

सुप्रिम कोर्ट : केवल मैरिज सर्टिफिकेट से नही हिंदुओं की शादी बिना ‘सप्तपदी’ के मान्य नहीं

5 May 2024

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🚩सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं की शादी को लेकर अहम फैसला सुनाया और कहा कि हिंदुओं की शादी बिना ‘सप्तपदी’ के मान्य नहीं है। मैरिज सर्टिफिकेट होने से शादी नहीं मानी जा सकती, जब तक सात फेरों के प्रमाण न हों। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि हिंदुओं की शादी में ‘सप्तपदी’ यानी ‘अग्नि के समक्ष सात फेरों का होना’ सबसे महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिंदुओं का विवाह एक पवित्र बंधन है, ये सिर्फ खाने-पीने और नाच-गान का मौका भर नहीं। इससे पहले, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा था कि हिंदुओं की शादी में ‘सप्तपदी’ अनिवार्य है, कन्यादान कोई अनिवार्य रस्म नहीं है।


🚩लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की बेंच ने एक अहम फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के आधार पर एक ऐसी शादी को रद्द कर दिया है, जिसमें मैरिज सर्टिफिकेट पर पति-पत्नी के हस्ताक्षर तो थे, लेकिन दोनों के बीच विवाह की कोई रस्म नहीं हुई थी। दोनों की शादी का रजिस्ट्रेशन घर वालों ने ‘किसी वजह से’ करा दिया था, लेकिन अब उस कपल ने सुप्रीम कोर्ट से शादी को रद्द करने की गुहार लगाई थी।


🚩सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले कहा कि इस शादी में मैरिज सर्टिफिकेट तो बन गया है, क्योंकि उसके लिए अपील की गई थी, लेकिन शादी की प्रक्रिया ही नहीं पूरी की गई, ऐसे में इस शादी का कोई आधार ही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने मैरिज सर्टिफिकेट को खारिज करते हुए दोनों की शादी को रद्द कर दिया।


🚩सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “जहाँ हिंदू विवाह सप्तपदी जैसे तय संस्कारों के साथ नहीं हुआ है, वो विवाह माना ही नहीं जाएगा। इसे ऐसे समझें कि वैध विवाह के लिए हिंदू विवाह में होने वाले सभी समारोहों को निभाया जाना जरूरी है। जिसमें सात फेरे की प्रक्रिया भी शामिल है। अगर कोई विवाद होता है, तो उसके निपटारे के लिए सात फेरों की प्रक्रिया का सबूत भी होना चाहिए। अगर किसी ने बिना सात फेरों के विवाह किया है, तो वो हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 7 के अनुसार हिंदू विवाह नहीं माना जा सकता। इन कार्यक्रों (वैवाहिक कार्यक्रमों) के बिना सिर्फ मैरिज सर्टिफिकेट बनवा लेना न तो शादी का सबूत है और न ही हिंदू मैरिज एक्ट के तहत वो शादी मान्य है, जिसका सर्टिफिकेट तो है, लेकिन सात फेरे जैसी अनिवार्य रस्में नहीं हुई।”


🚩सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, “अगर सात फेरों का कोई सबूत नहीं है, तो सेक्शन 8 के तहत मैरिज रजिस्ट्रेशन ऑफिसर ऐसी शादियों को पंजीकृत नहीं कर सकता। यानी मैरिज सर्टिफिकेट जारी नहीं कर सकता। मैरिज सर्टिफिकेट सिर्फ विवाह हो गया है, इसका सर्टिफिकेट है, लेकिन विवाह हुआ है, इसका सबूत देना अनिवार्य होगा।” अन्य शब्दों में कहें, तो मैरिज सर्टिफिकेट विवाह होने पर मुहर है, अगर सात फेरों की प्रक्रिया पूरी की गई हो। उसके बिना मैरिज सर्टिफिकेट का भी कोई वजूद नहीं होगा।


🚩कन्यादान अनिवार्य नहीं, सात फेरों की अनिवार्यता

इससे पहले, 22 मार्च 2024 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था और कहा था कि कन्यादान हिंदू विवाह के लिए एक अनिवार्य रस्म नहीं है। कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 में केवल सात फेरे को हिंदू विवाह के लिए अनिवार्य रस्म माना गया है। कन्यादान का उल्लेख अधिनियम में नहीं है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस सुभाष विद्यार्थी ने कहा था कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के अनुसार, ‘सात फेरे’ को विवाह की एकमात्र अनिवार्य रस्म माना गया है। ‘कन्यादान’ एक सांस्कृतिक रस्म है जिसमें पिता अपनी बेटी को दूल्हे को सौंपता है। यह रस्म पितृत्व से स्त्रीत्व की यात्रा का प्रतीक है। हाई कोर्ट ने कहा कि ‘कन्यादान’ एक महत्वपूर्ण रस्म हो सकती है, लेकिन यह विवाह की वैधता के लिए आवश्यक नहीं है।


🚩बिना सात फेरों के विवाह ही पूर्ण नहीं

इससे पहले, पिछले साल अक्टूबर में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अन्य फैसले में कहा था कि सप्तपदी के बिना हिंदुओं में शादी मान्य नहीं है। ये हिंदुओं के विवाह की सबसे महत्वपूर्ण शर्त है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 3 अक्टूबर 2023 को ये फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर शादी में सारी प्रक्रिया पूरी कर दी जाए और अग्नि के फेरे ना लिए जाएँ तो वह विवाह संपन्न नहीं माना जाएगा। हाईकोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 7 का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि एक हिंदू विवाह को तभी वैध माना जाएगा यदि वह ‘शादी के सभी रीति-रिवाजों के साथ’ संपन्न हुआ हो।


🚩सप्तपदी के बारे में जानें

सप्तपदी हिंदू विवाह की एक महत्वपूर्ण रस्म है। यह अग्नि के चारों ओर सात चक्कर लगाने की प्रक्रिया है। इन सात चक्करों को सात वचनों का प्रतीक माना जाता है जो वर-वधू एक-दूसरे को देते हैं।


🚩सप्तपदी की प्रक्रिया

वर और वधू को अग्नि के सामने खड़ा किया जाता है।

वर वधू के दाहिने हाथ को अपने बाएँ हाथ में पकड़ता है।

वर-वधू एक-दूसरे के सामने खड़े होकर सात चक्कर लगाते हैं।

प्रत्येक चक्कर के दौरान, वर-वधू एक-दूसरे को एक वचन देते हैं।

सातवें चक्कर के बाद, वर-वधू अग्नि के चारों ओर एक साथ खड़े होते हैं।


🚩सात वचन इस प्रकार हैं:


🚩पहला वचन: मैं तुम्हें अपना पति/पत्नी मानता/मानती हूँ।

🚩दूसरा वचन: मैं तुम्हें अपना जीवनसाथी मानता/मानती हूँ।

🚩तीसरा वचन: मैं तुम्हारी खुशी के लिए जीने का वादा करता/करती हूँ।

🚩चौथा वचन: मैं तुम्हारी इच्छाओं का सम्मान करने का वादा करता/करती हूँ।

🚩पाँचवाँ वचन: मैं तुम्हारी रक्षा करने का वादा करता/करती हूँ।

🚩छठा वचन: मैं तुम्हें अपना जीवन भर प्यार करने का वादा करता/करती हूँ।

🚩सातवाँ वचन: मैं तुम्हारे साथ बुरे और अच्छे समय में रहने का वादा करता/करती हूँ।


🚩सप्तपदी हिंदू विवाह की एक महत्वपूर्ण रस्म है। यह एक ऐसा अनुष्ठान है जो वर-वधू को एक-दूसरे के प्रति अपने वचनों को दोहराने का अवसर देता है। यह एक ऐसा क्षण है जब वे अपने जीवन को एक साथ बिताने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं।


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Thursday, May 2, 2024

स्टालिन सरकार मंदिर के सामने बना रही थी शॉपिंग सेंटर, हाइकोर्ट डर से हटी पीछे

03 May 2024

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🚩हिंदू मंदिरों पर सदियों से अत्याचार होता आया है, कई मंदिरों को तोड़ा गया तो कई मंदिरों पर टैक्स लगाया गया और आज भी वही सिलसिला जारी है मंदिरों में शॉपिंग मॉल बनाकर श्रद्धालुओं की श्रद्धा पर आघात किया जा रहा है, तमिल नाडु की सरकार भी वही करने जा रही थी लेकिन हाइकोर्ट में अपील के बाद पीछे हटी।


🚩तमिल नाडु के तिरुवन्नामलाई जिले में विश्व प्रसिद्ध अरुणाचलेश्वर मंदिर (अन्नामलाईयार मंदिर) स्थित है, जो कई शताब्दियों पुरानी है। इसे यूनेस्को ने संरक्षित इमारतों की सूची में भी रखा है। इस मंदिर का गोपुरम 66 मीटर ऊँचा है और ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर के सबसे बड़े गोपुरम के सामने तमिलनाडु सरकार का हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती (HR&CE) विभाग 150 दुकानों का शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनवा रहा रहा था और इसपर निर्माण कार्य भी शुरू हो गया। हालाँकि इस पर तमाम तरह की रोक थी, इसके बावजूद निर्माण कार्य शुरू होने के बाद मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई और अब इसपर निर्माण कार्य रुक गया है।


🚩ये याचिका मंदिर कार्यकर्ता और इंडिक कलेक्टिव ट्रस्ट के अध्यक्ष टीआर रमेश ने दाखिल की। टीआर रमेश ने 30 अप्रैल 2024 को एक्स पर बताया कि अब तमिल नाडु सरकार ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। तमिल नाडु के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती (एचआरसीई) विभाग ने मद्रास उच्च न्यायालय को बताया है कि वह अरुणाचलेश्वर के परिसर में 150 दुकानों के अनधिकृत निर्माण को आगे नहीं बढ़ाएगा।”


🚩टीआर रमेश ने एक्स पर लिखा, “इस मामले में हाई कोर्ट की बेंच के सामने जैसे ही सुनवाई शुरू हुई, वैसे ही HR&CE विभाग के वकील ने कोर्ट को बताया कि तिरुवन्नामलाई के प्रसिद्ध अरुणाचलेश्वर मंदिर के राजगोपुरम के सामने जो निर्माण कार्य होना था, उसकी योजना रद्द कर गई है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा ये कदम वापस लेने पर खुशी जताई और उम्मीद भी जताई कि ऐसा वाकई में तुरंत हो जाना चाहिए।”


🚩टी आर रमेश ने हाई कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा था कि राज्य सरकार सिर्फ केयरटेकर की भूमिका में है, वो ऐतिहासिक स्थलों से छेड़छाड़ नहीं कर सकती। वो मंदिर में आने वाले भक्तों के अधिकारों का हनन करके मंदिर के बाहर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स नहीं बनवा सकती। जिसके बाद सरकार ने मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एस वी गंगापुरवाला और जस्टिस जी चंद्रसेखरन जे ने कहा कि हमें इस मामले में अब कोई आदेश पास करने की जरूरत नहीं है। हमें खुशी है कि सरकार ने सही कदम उठाया।


🚩जानकारी के मुताबिक, ये मंदिर 10 एकड़ से ज्यादा बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें कई गोपुरम है। मुख्य गोपुरम राजगोपुरम है। इसी गोपुरम के सामने 6 करोड़ से ज्यादा की लागत से इन शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के निर्माण की योजना बनाई थी और इस पर काम भी शुरू हो गया था। इसके लिए पैसे भी मंदिर के खाते से ही निकाले गए थे और सरकार ने ये पैसा विधानसभा में पास किया था, लेकिन अब सरकार इस पैसे को वापस मंदिर के खाते में डाल देगी।


🚩अरुणाचलेश्वर मंदिर के बारे में जानिए

इस मशहूर मंदिर का निर्माण कई राजवंशों ने मिलकर कराया, जो पूरा हुआ चोल राजाओं के समय में। 9वीं शताब्दी में बनकर तैयार हुए इस मंदिर में महादेव की पूजा होती है। अरुणाचलेश्वर मंदिर (जिसे अन्नामलाईयार मंदिर भी कहा जाता है) अरुणाचला पहाड़ी की तली में स्थित है। अरुणाचल पहाड़ी को ‘शिवलिंग’ की मान्यता है। माना जाता है कि इसी जगह पर महादेव ने अर्धनारीश्वर अवतार धारण किया था। इस मंदिर में कार्तिकेय दीपम त्यौहार के समय 30 लाख से ज्यादा लोग एकत्रित होते हैं। इस मंदिर में अग्नि तीर्थम नाम का कुंड है, जिसे बेहद पवित्र माना जाता है। अरुणाचलेश्वर मंदिर शैव मत के अनुयायियों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है।


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Sunday, April 28, 2024

जन्मदिन पर विषेश : आशाराम बापू कौन है ? उन्होंने क्या क्या किया ?

29 April 2024

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🚩हिंदू संत श्री आशारामजी बापू को बचपन से ही प्रगाढ़ भक्ति प्राप्त थी । प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर ठाकुरजी की पूजा में लग जाना उनका नित्य नियम था ।


🚩उनके 87वें जन्मदिवस को पिछले 7 दिनों से दुनियाभर में विश्व सेवा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। 


🚩कही हरिनाम कीर्तन यात्राएं तो कही गीता भागवद सत्संग कार्यक्रमो का आयोजन हो रहा है और गरीबों में फल, मिठाई, राशन, कपड़े, बर्तनों का निशुल्क वितरण किया जा रहा है और पलाश,गुलाब आदि के शर्बत पानी के स्टॉल लगाए जा रहे है।


🚩हिन्दू संत आशाराम बापू का बचपन का नाम आसुमल था । उनका जन्म अखंड भारत के सिंध प्रांत के बेराणी गाँव में चैत्र कृष्ण षष्ठी विक्रम संवत् 1994 (1 मई 1937) के दिन हुआ था । उनकी माता महँगीबा व पिताजी थाऊमल नगरसेठ थे ।


🚩बालक आसुमल को देखते ही उनके कुलगुरु ने भविष्यवाणी की थी कि “आगे चलकर यह बालक एक महान संत बनेगा, लोगों का उद्धार करेगा ।”


🚩बापू आसारामजी का बाल्यकाल संघर्षों की एक लंबी कहानी है। 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के कारण अथाह सम्पत्ति को छोड़कर बालक आसुमल परिवार सहित अहमदाबाद आ बसे। उनके पिताजी द्वारा लकड़ी और कोयले का व्यवसाय आरम्भ करने से आर्थिक परिस्थिति में सुधार होने लगा । तत्पश्चात् शक्कर का व्यवसाय भी आरम्भ हो गया ।


🚩माता-पिता के अतिरिक्त बालक आसुमल के परिवार में एक बड़े भाई तथा दो छोटी बहनें थी।

बालक आसुमल को बचपन से ही प्रगाढ़ भक्ति प्राप्त थी । प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर ठाकुरजी की पूजा में लग जाना उनका नित्य नियम था ।


🚩दस वर्ष की नन्ही आयु में बालक आसुमल के पिताजी थाऊमलजी देहत्याग कर स्वधाम चले गये ।

पिताजी के देहत्यागोपरांत आसुमल को पढ़ाई (तीसरी कक्षा) छोड़कर छोटी-सी उम्र में ही कुटुम्ब को सहारा देने के लिये सिद्धपुर में एक परिजन के यहाँ नौकरी करनी पड़ी । 3 साल तक नौकरी के साथ-साथ साधना में भी प्रगति करते रहे ।


🚩3 साल बाद वे वापिस अहमदाबाद आ गए और भाई के साथ शक्कर की दुकान पर बैठने लगे ।

लेकिन उनका मन सांसारिक कार्यो में नही लगता था, ज्यादातर जप-ध्यान में ही समय निकालते थे ।


🚩21 साल की उम्र में घर वाले आसुमल जी की शादी करना चाहते थे लेकिन उनका मन संसार से विरक्त और भगवान में तल्लीन रहता था । इसलिए वे घर छोड़कर भरुच के अशोक आश्रम चले गए । पर घरवालो ने उन्हें ढूंढ कर जबरदस्ती उनकी शादी करवा दी ।


🚩लेकिन मोह-ममता का त्याग कर ईश्वर प्राप्ति की लगन मन में लिए शादी के बाद भी तुरंत पुनः घर छोड़ दिया और आत्म पद की प्राप्ति हेतु जंगलों-बीहडों में घूमते और ईश्वर प्राप्ति के लिए तड़पते रहे ।

 

🚩नैनीताल के जंगल में योगी ब्रह्मनिष्ठ संत साईं लीलाशाहजी बापू को उन्होंने सद्गुरु के रूप में स्वीकार किया ।


🚩ईश्वरप्राप्ति की तीव्र तड़प देखकर सद्गुरु लीलाशाहजी बापू का ह्रदय छलक उठा और उन्हें 23 वर्ष की उम्र में सद्गुरु की कृपा से आत्म-साक्षात्कार हो गया । तब सद्गुरु लीलाशाह जी ने उनका नाम आसुमल से आशारामजी रखा ।


🚩अपने गुरु लीलाशाहजी बापू की आज्ञा शिरोधार्य कर संत आसारामजी बापू समाधि-अवस्था का सुख छोड़कर तप्त लोगों के हृदय में शांति का संचार करने हेतु समाज के बीच आ गये।


🚩सन् 1972 में अहमदाबाद साबरमती के तट पर आश्रम स्थापित किया । भारत की राष्ट्रीय एकता, अखंडता और विश्व शांति के लिए हिन्दू संत आसाराम बापू ने राष्ट्र के कल्याणार्थ अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया ।


 🚩हिन्दू संत आशाराम बापू के मार्गदर्शन में देश-विदेश में हजारों ‘बाल संस्कार केन्द्र निःशुल्क चलाये जा रहे हैं । इनमें बालकों को माता-पिता का आदर करने के संस्कार, पढ़ाई में अव्वल आने के उपाय और यौगिक प्रयोग आदि सिखाये जाते हैं ।


🚩विद्यालयों में ‘योग व उच्च संस्कार शिक्षा अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें विद्यार्थियों को माता-पिता एवं गुरुजनों का आदर, अनुशासन, यौगिक शिक्षा, आदर्श दिनचर्या, परीक्षा में अच्छे अंक पाने की कुंजियाँ आदि महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर अनुभवी वरिष्ठों द्वारा मार्गदर्शन दिया जाता है ।


🚩अब तक देश के 80,000 से अधिक विद्यालय इस अभियान से लाभान्वित हो चुके हैं ।


🚩विद्यार्थियों के बाल, छात्र व कन्या मंडल भी बनाये गए है जो व्यसनमुक्ति अभियान, गौ-रक्षा अभियान, पर्यावरण सुरक्षा कार्यक्रम आदि सेवाकार्य करते हैं ।


🚩वेलेंटाइन डे जैसे त्यौहारों से भी बचने हेतु हर वर्ष 14 फरवरी को देशभर के विभिन्न स्थानों के विभिन्न विद्यालयों के साथ साथ घर-घर में ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाया जा रहा है ।


🚩अब ‘संत श्री आशारामजी गुरुकुलों ‘ की भी श्रृंखला बढ़ने लगी है, जिनमें विद्यार्थियों को लौकिक शिक्षा के साथ-साथ स्मृतिवर्धक यौगिक प्रयोग, योगासन, प्राणायाम, जप, ध्यान आदि के माध्यम से उन्नत जीवन जीने की कला सिखायी जाती है । उनमें सुसंस्कारों का सिंचन किया जाता है तथा उन्हें अपनी महान वैदिक संस्कृति का ज्ञान प्रदान किया जाता है ।

 

🚩‘युवाधन सुरक्षा अभियान चलाया जा रहा है तथा ‘युवा सेवा संघ एवं ‘महिला उत्थान मंडल की स्थापना की गयी है । इन संगठनों द्वारा भारतभर में ‘संस्कार सभाएँ चलायी जा रही हैं, जिनका लाभ लेकर युवक-युवतियाँ अपना सर्वांगीण विकास कर रहे हैं ।


🚩समाज के पिछडे, शोषित, बेरोजगार व बेसहारा लोगों की सहायता के लिए बापू आशारामजी द्वारा ‘भजन करो, भोजन करो, दक्षिणा पाओ’ योजनायें चलायी जा रही है ।

 

🚩इसके अंतर्गत उन्हें कहा जाता है कि वे आश्रम में अथवा आश्रम द्वारा संचालित समितियों के केन्द्रों में आकर दिनभर केवल भजन, कीर्तन और ध्यान करें । उन्हें दिन का भोजन और शाम को घर जाते समय 50 रुपये तक की नकद राशि दी जाती है । इसमें भाग लेनेवालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है । जिससे ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मान्तरण में रोक लग रही है और जहाँ लोगों को भोजन की विकट समस्या से निजात मिलती है, वहीं उनका आध्यात्मिक उत्थान भी हो रहा है । इससे बेरोजगार लोगों में आपराधिक प्रवृत्ति को रोकने में बहुत मदद मिल रही है ।


🚩कहा जाता है कि हिन्दू संत आसाराम बापू का बहुत बड़ा साधक-समुदाय है । लगभग करीब 8 करोड़ लोग देश-विदेश में है और इतने सालों से बिना सबूत जेल में होते हुए भी उनके अनुयायियों की श्रद्धा टस से मस नहीं हुई है । उन करोड़ो भक्तों का एक ही कहना है कि हमारे गुरुदेव (संत आशारामजी बापू) निर्दोष हैं उन्हें षड़यंत्र के तहत फंसाया गया है । वे जल्द से जल्द निर्दोष छूटकर हमारे बीच शीघ्र ही आयेगे ।


🚩गौरतलब है संत आशारामजी बापू का जन्म दिवस 29 अप्रैल को है अभी उनका 87 वां साल चल रहा है, पिछले 11+ सालों से जेल में बन्द होने पर भी उनके करोड़ों अनुयायियों द्वारा देश-विदेश में एक अनोखे अंदाज में मनाया जाता है ये दिन..


🚩इस दिन देशभर में जगह-जगह पर निकाली जाती हैं विशाल भगवन्नाम संकीर्तन यात्रायें, वृद्धाश्रमों,अनाथालयों व अस्पतालों में निशुल्क औषधि, फल व मिठाई वितरित की जाती है।


🚩गरीब व अभावग्रस्त क्षेत्रों में होता है विशाल भंडारा जिसमें वस्त्र,अनाज व जीवन उपयोगी वस्तुओं का वितरण किया जाता है।


🚩उस दिन जगह जगह पर छाछ,पलाश व गुलाब के शरबत के प्याऊ लगाये जाते हैं । एवं सत्साहित्य आदि का वितरण किया जाता है।


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Saturday, April 27, 2024

अखण्ड ब्रह्मचारी हनुमान जी पर भी लगा रहे है अनुचित आक्षेप

27 April 2024 https://azaadbharat.org 🚩जहाँ सम्पूर्ण विश्व हनुमान जी से ब्रहमचर्य एवं वीरता की प्रेरणा लेता है। वही हनुमान जी के बारे में ठीक इसके विपरीत बातें थाई, जैन और मलय देश की रामायण में मिलती हैं। जैसे 🚩फिलिप नाम के एक लेखक ने तो यह लिख दिया कि सम्पूर्ण वाल्मीकि रामायण में हनुमान जी के ब्रहमचर्य के विषय में कोई वर्णन नहीं हैं 🚩थाई रामायण में हनुमान जी के बारे में लिखा है कि हनुमान जी की अनेक पत्निया थीं। 🚩जैन लेख में लिखा गया है कि हनुमान ने लंका के रक्षक वज्रमुख की पुत्री लंकासुंदरी से विवाह किया था। 🚩एक अन्य आक्षेप लगा दिया गया कि भरत ने श्री राम की अयोध्या वापिसी पर हनुमान को 16 दासियाँ पुरस्कार के रूप में दी। 🚩कुछ वर्ष पहले 300 रामायण नामक रामानुजम के एक लेख की चर्चा जोरों से उठी थी। जब उसे दिल्ली विश्वविद्यालय के पाठ्य क्रम से हटा दिया गया था। इस पुस्तक में रामायण के आदर्श पात्रों के विषय में अनुचित आक्षेप किये गए थे। जैसे प्रभु राम मांसाहारी थे, लक्ष्मण की सीता जी पर आसक्ति थी आदि। इन प्रकार के असत्य तथ्यों का मूल उद्देश्य प्रभु राम के प्रति भारतीय एवं विदेशी दोनों जनमानस के मन में उनके प्रति अश्रद्धा उत्पन्न करना था। 🔺 Follow on 🔺 Facebookhttps://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/ 🔺Instagram: http://instagram.com/AzaadBharatOrg 🔺 Twitter: twitter.com/AzaadBharatOrg 🔺Telegram: https://t.me/ojasvihindustan 🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Friday, April 26, 2024

भारत नही नेपाल में भी हिंदू सुरक्षित नहीं है, पुजारी के सिर को ईंटों से फोड़ा

27 April 2024

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🚩हिंदू समाज केवल भारत में नही नेपाल और अन्य देशों में भी मुस्लिम जिहादियों से प्रताड़ित हो रहा हैं। कभी हिंदूओं पर पत्थर फेकना, गोली चलाना, कभी हिंदू मंदिर तोड़ना तो कभी लव जिहाद तो कभी लैंड जिहाद जैसे अनेक षड़यंत्र किए जा रहे हैं।


🚩हिन्दू मंदिर के पुजारी पर जानलेवा हमले 


🚩नेपाल के सिरहा जिले में एक हिन्दू मंदिर के पुजारी पर जानलेवा हमले की खबर है। हमले में पुजारी का सिर फट गया जिनको इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया। हमले का आरोप अताबुल मियाँ पर लगा है। हिन्दू संगठनों का आरोप है कि नेपाली पुलिस ने अताबुल को हिरासत में ले कर थाने से ही छोड़ दिया। इस घटना और पुलिस की कार्रवाई से नाराज हिन्दू संगठन से सदस्यों ने प्रशासन को आंदोलन की चेतावनी दी है। घटना गुरुवार (18 अप्रैल, 2024) की है।


🚩नेपाल में सक्रिय ‘हिन्दू सम्राट सेना’ के अध्यक्ष राजेश यादव ने ऑपइंडिया से बात की। उन्होंने बताया कि घटना सिरहा जिले के कल्याणपुर इलाके की है। यहाँ के वार्ड नंबर 12 में राम जानकी मंदिर आसपास के हिन्दुओं के लिए श्रद्धा का केंद्र है। यहाँ पुजारी हेबू मुखिया पूजापाठ करते हैं। गुरुवार की रात लगभग 8 बजे पुजारी मंदिर में आरती आदि कर के घर लौट रहे थे। इसी दौरान उन पर अताबुल मियाँ हमला कर देता है। हमले में ईंट का इस्तेमाल किया जाता है जिस से पुजारी का सिर फट गया।


🚩सिर पर चोट लगने से पुजारी हेबू गंभीर रूप से घायल हो गए। आसपास के लोगों ने उनको विराटनगर के अस्पताल में भर्ती करवाया। फ़िलहाल पुजारी हेबू मुखिया इलाज के बाद अपने घर आ चुके हैं। इधर पुलिस ने अताबुल मियाँ को हिरासत में ले लिया। हिन्दू सम्राट सेना का आरोप है कि राजनैतिक दबाव के चलते पुलिस ने अताबुल को बिना केस दर्ज किए ही थाने से छोड़ दिया। पुलिस की यह हरकत नेपाल के हिन्दू संगठनों को नागवार गुजरी है। उन्होंने इसे अपराध को संरक्षण देने वाली हरकत बताया है।


🚩‘हिन्दू सम्राट सेना’ के सदस्यों ने जल्द से जल्द अताबुल मियाँ की गिरफ्तारी की माँग उठाई है। इस माँग के लिए संगठन ने सिरहा जिले के पुलिस अधीक्षक के ऑफिस पर प्रदर्शन का एलान किया है। पुजारी पर हुए हमले में अताबुल को हत्या के प्रयास की धाराओं में गिरफ्तार किए जाने की माँग की जा रही है।


🚩पुजारी की जमीन पर लैंड जिहाद की साजिश

ऑपइंडिया ने पुजारी हेबू मुखिया के बेटे रामकरन से बात की। उन्होंने बताया कि हमलावर अताबुल की उम्र लगभग 45 साल है। वो बेलहा किराने की दुकान चलाता है। उसके 2 बेटे हैं जो कतर देश में रहते हैं। पुजारी ने स्थानीय हिन्दू से एक जमीन खरीदी थी जिसे अताबुल मियाँ हड़पना चाहता है। वो पुजारी पर जबीन को फ्री में खुद को सौंप देने का दबाव लम्बे समय से बनाता आ रहा है। कुछ समय पहले भी उसने पुजारी को हथियार से मारने का प्रयास किया था। रामकरन ने अपने मामले में नेपाली पुलिस की कार्यशैली को भी असंतोषजनक बताया है।


🚩नेटीजेंस बता रहे घुसपैठ का नतीजा

नेपाल में पुजारी पर हुए इस हमले ने नेपाली सोशल मीडिया पर भी तूल पकड़ लिया है। नेपाली ‘X’ यूजर इस घटना पर नाराजगी जताते हुए अलग-अलग राय दे रहे हैं। विवेका ने लिखा कि पूरी नेपाल की सीमा पर रोहिंग्या बस चुके हैं। सुरेंद्र ने ‘राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी’ के सांसद को टैग करते हुए हमलावर पर कड़ी कार्रवाई की माँग की है। सुरस्वामी ने लिखा कि नेपाल में विदेशियों की तादाद बढ़ती जा रही है जो कि वहाँ के मूल मधेशी लोगों के लिए एक बड़ा खतरा है।


🚩चित्र- X/@sanatanchautari पर आए कमेंट

एक अन्य ‘X’ यूजर @msapkota00043 ने नेपाल की पुलिस को टैग किया है। इसके साथ उन्होंने लिखा है कि हिन्दू पर दिन दहाड़े हमला नेपाल की शांति और सुरक्षा को खुली चुनौती है। शरद शर्मा ने लिखा, “पाकिस्तानी मुस्लिमों को नागरिकता देने का अंजाम भुगतना शुरू हो चुका है। यह मुस्लिमों को गले लगाने का अंजाम है।” शरद ने आशंका जताई है कि जल्द ही नेपाल के नए मालिक होंगे और तब मधेशी लोगों को तराई से भगा दिया जाएगा।


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Thursday, April 25, 2024

आसाराम बापू के बारे में काफी सुना होगा लेकिन यह बात कभी आपके पास नही आई होगी

26 April 2024

https://azaadbharat.org


🚩हिंदू धर्मगुरु आशाराम बापू के बारे में आपने कई बार मिडिया सोशल मीडिया के माध्यम से अनेक कहानियां सुनी होगी लेकिन सच क्या है झूठ क्या है वे जानना अति आवश्यक हैं।


🚩वरिष्ठ अधिवक्ता ने बापू आशारामजी की ओर से कोर्ट में जो बहस किया था उससे पता चलता है की उनको जेल में भेजना एक सुनियोजित षड़यंत्र है साजिस के तहत फंसाए जाने की पुष्टि करने वाले एक से बढ़कर एक ऐसे आश्चर्यकारक तथ्य सामने आये हैं कि जिसका आरोप लगाने वाले पक्ष के पास कोई जवाब नहीं है ।


🚩सबसे बड़ा सनसनीखेज खुलासा जो सामने आया वो ये है कि लड़की कमरे में गई ही नहीं..


🚩अधिवक्ता ने कोर्ट में बताया था कि लड़की ने रात 10:30 बजे का बापू आशारामजी पर छेड़छाड़ी का आरोप लगाया है, लेकिन न्यायालय में गवाह पेश हुए जिन्होंने बताया कि बापू आशारामजी रात को 9:00 बजे से 11:45 तक नीम के पेड़ के नीचे बैठे थे, उनके सामने 60-70 लोग और भी बैठे थे, वहां सत्संग के बाद पूना व सुमेरपुर के परिवार के बीच हुई सगाई के निमित्त भगवान  झुलेलालजी की झाँकी निकाली गयी थी, जिसमें बापू आसारामजी भी उपस्थित थे और दोनों परिवारवालों को रात को 11:30 बजे आशीर्वाद दे रहे थे । उस सत्संग के समय के कई फोटोज भी हैं जो न्यायालय के सामने सन 2014 से हैं तथा उसमें उपस्थित परिवारवालों की गवाही भी न्यायालय में हो चुकी है । वहाँ पर जो सिक्योरिटी गार्ड था, वो भी इस बात का गवाह है* ।


🚩दूसरी ओर कॉल रिकॉर्ड से पता चला कि रातभर लड़की अपने मित्र (पुरुष) Boy Friend को मैसेज करती रही, न्यायालय में मनीषा नाम की महिला के बयान हुए, उसने बताया कि मैं उसके (लड़की)पास ही सोई थी और उसको बोला भी था कि सो जा लेकिन वो सो नही रही थी और अपने मित्र से मैसेज पर देर रात तक बातें करती रही ।


🚩संदिग्ध तरीके से दर्ज हुई एफ.आई.आर…


🚩अभियोजन पक्ष द्वारा तथाकथित घटना 14 व 15 अगस्त 2013 की दरमियानी रात्रि की बतायी गयी । जोधपुर की इस तथाकथित घटना के संबंध में एफ.आई.आर. न जोधपुर, न शाहजहाँपुर और न ही छिंदवाडा बल्कि 600 कि.मी. दूर कमला नेहरु मार्केट पुलिस थाना, नई दिल्ली में करवाई गई ।


🚩एफ.आई.आर. की विडियो रिकॉर्डिंग गायब की गयी


🚩एफ.आई.आर. लिखते समय की गयी विडियोग्राफी की रिकॉर्डिंग, सी.डी. एवं अन्य संबंधित दस्तावेज न्यायालय में पेश नहीं किये गये तथा संबंधित गवाहों थाना प्रभारी प्रमोद जोशी व कान्स्टेबल पंकज को भी न्यायालय में पेश नहीं किया गया । संदेहास्पद तरीके से उस विडियोग्राफी को गायब कर दिया गया । ए.एस.आई. पुष्पलता ने न्यायालय में इस बात को स्वीकार भी किया है कि एफ.आई.आर. लिखते समय विडियोग्राफी की गयी थी,किंतु उन्होंने उसे न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत नहीं किया ।


🚩ओरिजिनल एफ.आई.आर. को बदल डाला


🚩अधिवक्ता ने कोर्ट में बताया था कि ओरिजिनल एफ.आई.आर.को बदल दिया गया, यहाँ तक कि एफ.आई.आर. पर लड़की के दस्तखत भी नहीं करवाये गए जो धारा 154 में अनिवार्य प्रावधान है । रजिस्टर के ऊपर लिखा रहता है कि ‘यह पढ़ लिया है और सही है’ (read over and accepted to be correct) । जब ऐसा कॉलम है तो फिर हस्ताक्षर क्यों नहीं करवाये गए ?


🚩FIR व FIR की कार्बन कॉपी में भी अंतर पाया गया है । जिसका स्पष्टीकरण सम्बन्धित पुलिस कर्मी न्यायालय के सामने हुई अपनी गवाही में नहीं दे पाया है ।


 🚩मेडिकल जाँच में मिली क्लीनचिट


🚩लोकनायक अस्पताल, दिल्ली की डॉ. शैलजा वर्मा एवं डॉ. राजेन्द्र कुमार ने लड़की की मेडिकल जाँच की थी । मेडिकल रिपोर्ट पूर्णतया नॉर्मल है । दोनों ही डॉक्टरों ने स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार का सेक्सुअल असॉल्ट (यौन-उत्पीड़न) अथवा फिजिकल असॉल्ट (शारीरिक उत्पीड़न) नहीं पाया गया । चोट का कोई निशान भी नहीं था । अनुसंधान अधिकारी चंचल मिश्रा से जिरह के दौरान जब यह पूछा गया कि चोट का निशान नहीं था तो मामला कैसे बना ? तो इसका उसके पास कोई जवाब नहीं था ।


🚩अनुसंधान अधिकारी भी नहीं थी निष्पक्ष


🚩न्यायालय में ऐसे कई तथ्य उजागर हुए थे,जिन्हें पुलिस द्वारा दबाया गया था । अनुसंधान पक्षपातपूर्ण किया गया तथा बापू आसारामजी पर नाजायज धाराएँ लगायी गयी । अनुसंधान के दौरान जिन व्यक्तियों ने सत्य को उजागर किया उनके महत्त्वपूर्ण बयान अनुसंधान अधिकारी चंचल मिश्रा ने चार्जशीट में लगाये ही नहीं । चंचल मिश्रा ने अपनी गवाही में इस बात को स्वीकार किया है कि उन्होंने केस से संबंधित कई गवाहों के बयान आरोप-पत्र के साथ पेश नहीं किये हैं ।


🚩पोक्सो एक्ट किस आधार पर


🚩जिस पोक्सो एक्ट के कारण बापू आशारामजी को बेल तक नहीं मिल पाई,उस तथाकथित घटना के समय लड़की नाबालिग नहीं, बालिग थी । अधिवक्ता  ने अपनी दलीलों को कोर्ट के सामने जारी रखते हुए कहा कि LIC policy फॉर्म को लड़की की माँ ने खुद स्वीकार किया है और उसने उसके पैसे भी उठाए हैं | LIC Policy के संबंध में लड़की की माँ ने उक्त दस्तावेजों में भरे गए सभी तथ्यों को सही होने का स्वीकार करते हुए उस पर तीन जगह हस्ताक्षर किये हैं जिसमें लड़की की उम्र 1.7.94 भरी गई है जिसके हिसाब से लड़की कथित घटना के समय 19 साल से अधिक की हो जाती है ।


🚩50 करोड़ की फिरौती के लिए रचा गया षड्यंत्र..


🚩2008 में योग वेदान्त सेवा समिति अहमदाबाद आश्रम को एक फैक्स भेजा गया था जिसमें अमृत प्रजापति व उसके साथियों के द्वारा बापू आशारामजी को ये कहा गया था कि 50 करोड़ रुपये दो वर्ना उसके परिणाम भुगतने के लिए तैयार हो जाओ । हम झूठी लड़कियां तैयार करेंगे, प्लांट करेंगे जिसके कारण तुम जिंदगी भर जेल में रहोगे कभी बाहर नहीं आ सकोगे ।


🚩इस बात के लिए conspiracy वडोदरा (गुजरात) में की गई थी । जिसमें दीपक चौरसिया ( पूर्व में इंडिया न्यूज़) भी शामिल था जो मीडिया के ऊपर प्रचार प्रसार कर रहा था, कर्मवीर (परिवादिया का पिता) भी शामिल था । इन सबका जो एक motive था, वो 50 करोड़ की ब्लैकमेलिंग का था । 50 करोड़ नहीं देने के कारण से मणाई गाँव का पूरा घटनाक्रम बनाया गया है ।



🚩उत्तर प्रदेश के पूर्व महानिदेशक सुव्रत त्रिपाठी जी ने ट्वीटर के माध्यम से बताया कि संत आशारामजी बापू केस में…

– FIR की वीडियो रिकॉर्डिंग को गायब कर दिया

– FIR और उसकी कार्बन कॉपी में अंतर पाया गया

– रजिस्टर के कई पन्ने फाड़ें गए

– बर्थ सर्टिफिकेट में लड़की की अलग-अलग उम्र

– मेडिकल में नहीं मिला एक भी खरोंच का निशान

क्या ये उनको फंसाने की साजिश नहीं..??


🚩दूसरी ट्वीट के माध्यम से बताया कि संत आशारामजी बापू ने लाखों हिंदुओं की घर वापसी करवाई।


🚩करोड़ों लोगों को सनातन धर्म के प्रति आस्थावान बनाया। वैदिक गुरुकुल और बाल संस्कार केंद्र खोलकर बच्चों को दिव्य संस्कार दिए।


🚩कत्लखाने जाती हजारों गायों को बचाकर गौशालाएं खोल दी।


🚩वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन शुरू करवाया।


🚩क्रिसमस डे की जगह तुलसी पूजन दिवस प्रारम्भ करवाया।


🚩इन सब बातों से स्पस्ट होता है कि हिंदू संत आशाराम बापू को पूर्णतः षड्यंत्र के तहत फसाया गया हैं, आतंकवादियों को भी जमानत मिल जाती है पर 12 साल से 88 वर्षीय हिंदू संत आशाराम बापू को जमानत नही मिलना क्या ये बड़ी साजिस नही हैं?


🚩जनता की मांग है कि बापू आशारामजी को शीघ्र रिहा करना ही चाहिए।


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Wednesday, April 24, 2024

खालसा फ़ौज के 200 साल पुराने हथियार पर भगवान विष्णु का मंत्र, खालिस्तानी प्रोपेगंडा ध्वस्त

25 April 2024

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🚩सोशल मीडिया पर सिख इतिहास के विशेषज्ञ पुनीत साहनी ने एक तस्वीर शेयर की है। उन्होंने बताया कि ये सिखों की खालसा फ़ौज का हथियार है, जिसे चक्कर कहते हैं। ये लगभग 200 वर्ष पुराना है। साथ ही इस पर सोने से एक मंत्र अंकित है, जो गुरु अर्जुन देव द्वारा रचित है। इसे ‘रक्षा मंत्र’ कहा जाता है, अर्थात रक्षा के लिए इसमें प्रार्थना की गई है। ये सहस्कृति भाषा में रचित है, जो संस्कृत का ही एक रूप है। गुरु नानक देव जी ने इसका इस्तेमाल शुरू किया था।


🚩पुनीत साहनी ने बताया कि इस मंत्र में भगवान विष्णु से प्रार्थना की गई है। बता दें कि खालिस्तानी अक्सर हिन्दुओं और सिखों को विभाजित करने में लगे रहते हैं। वो सिख धर्म को सनातन का हिस्सा नहीं मानते और इसे हिन्दू विरोधी बता कर प्रचारित करने में लगे रहते हैं। जबकि सच्चाई ये है कि सिखों के सभी गुरु हिन्दू देवी-देवताओं की उपासना करते थे। गुरु गोविन्द सिंह माँ दुर्गा की पूजा करते थे, उन्होंने रामकथा भी लिखी। उक्त चक्कर पर अंकित मंत्र है:

🚩सिर मस्तक रख्या पारब्रहमं हस्त काया रख्या परमेस्वरह॥

आतम रख्या गोपाल सुआमी धन चरण रख्या जगदीस्वरह॥

सरब रख्या गुर दयालह भै दूख बिनासनह॥

भगति वछल अनाथ नाथे सरणि नानक पुरख अचुतह ॥५२॥


🚩ये मंत्र सिखों की सबसे पवित्र पुस्तक गुरु ग्रन्थ साहिब में लिखा हुआ है। इसका अर्थ है – “सिर, माथा, हाथ, शरीर, जीवात्मा, पैर, धन-पदार्थ -जीवों की हर तरह से रक्षा करने वाला परमब्रह्म परमेश्वर गोपाल, स्वामी, जगदीश्वर, सबसे बड़ा दया का घर परमात्मा ही है। वही सारे दुःखों का नाश करने वाला है। हे नानक! वह प्रभु निआसरों का आसरा है, भक्ति को प्यार करने वाला है। उस अविनाशी सर्व-व्यापक प्रभु का आसरा ले।” बता दें कि गोपाल और जगदीश्वर भगवान श्रीकृष्ण/विष्णु को कहा जाता है।

https://twitter.com/puneet_sahani/status/1781151949821247952?t=NXrdqpo7eDCpiVeSMIZ6sg&s=19


🚩‘विष्णु सहस्रनाम’ में भगवान विष्णु के जो नाम दर्ज हैं, उन्हीं का यहाँ इस्तेमाल किया गया है। इस इतिहास को जानने के बाद लोगों ने लिखा कि खालिस्तानी अपनी जड़ों को नकार तो सकते हैं, उन्हें मिटा नहीं सकते। हालाँकि, पुनीत साहनी का मानना है कि ये सब खालिस्तानी गुरुद्वारों द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ये बिलकुल उन पाकिस्तानियों की तरह है जिन्हें न सिर्फ अपने इतिहास को नकारना, बल्कि मिटाना भी सिखाया जाता है।


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