Sunday, May 5, 2024

आज के सभी पत्रकारों को इस लेख पढ़ना चाहिए, पत्रकारिता ऐसी होनी चाहिए

6 May 2024

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🚩भारतीय परम्पराओं में भरोसा करने वाले विद्वान मानते हैं कि देवर्षि नारद सम्पूर्ण और आदर्श पत्रकारिता के संवाहक थे। वे महज सूचनाएं देने का ही कार्य नहीं बल्कि सार्थक संवाद का सृजन करते थे।


🚩देवताओं, दानवों और मनुष्यों सबकी भावनाएं जानने का उपक्रम किया करते थे। जिन भावनाओं से लोकमंगल होता हो,ऐसी ही भावनाओं को जगजाहिर किया करते थे।


🚩इससे भी आगे बढ़कर देवर्षि नारद घोर उदासीन वातावरण में भी लोगों को सद्कार्य के लिए उत्प्रेरित करने वाली भावनाएं जागृत करने का अनूठा कार्य किया करते थे।


🚩दादा माखनलाल चतुर्वेदी के उपन्यास ‘कृष्णार्जुन युद्ध’ को पढ़ने पर ज्ञात होता है कि किसी निर्दोष के खिलाफ अन्याय हो रहा हो तो फिर वे अपने आराध्य भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण और उनके प्रिय अर्जुन के बीच भी युद्ध की स्थिति निर्मित कराने से नहीं चूकते । उनके इस प्रयास से एक निर्दोष यक्ष के प्राण बच गए ।

यानी पत्रकारिता के सबसे बड़े धर्म और साहसिक कार्य, किसी भी कीमत पर समाज को सच से रू-ब-रू कराने से वे पीछे नहीं हटते थे ।

सच का साथ उन्होंने अपने आराध्य के विरुद्ध जाकर भी दिया। यही तो है सच्ची पत्रकारिता, निष्पक्ष पत्रकारिता ।


🚩किसी के दबाव या प्रभाव में न आकर अपनी बात कहना। मनोरंजन उद्योग ने भले ही फिल्मों और नाटकों के माध्यम से उन्हें विदूषक के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया हो, लेकिन देवर्षि नारद के चरित्र का बारीकी से अध्ययन किया जाए तो ज्ञात होता है कि उनका प्रत्येक संवाद लोक कल्याण के लिए था। सिर्फ मूर्ख ही उन्हें कलहप्रिय कह सकते हैं ।


🚩नारद जी धर्माचरण की स्थापना के लिए ही सभी लोकों में विचरण करते थे । उनसे जुड़े सभी प्रसंगों के अंत में शांति, सत्य और धर्म की स्थापना का जिक्र आता है । स्वयं के सुख और आनंद के लिए वे सूचनाओं का आदान-प्रदान नहीं करते थे, बल्कि वे तो प्राणी-मात्र के आनंद का ध्यान रखते थे ।


🚩भारतीय परम्पराओं में भरोसा नहीं करने वाले ‘बुद्धिजीवी’ भले ही देवर्षि नारद को प्रथम पत्रकार, संवाददाता या संचारक न मानें, लेकिन पथ से भटक गई भारतीय पत्रकारिता के लिए आज नारद जी ही सही मायने में आदर्श हो सकते हैं ।


🚩भारतीय पत्रकारिता और पत्रकारों को अपने आदर्श के रूप में नारद जी को देखना चाहिए, उनसे मार्गदर्शन लेना चाहिए । मिशन से प्रोफेशन बनने पर पत्रकारिता को इतना नुकसान नहीं हुआ था जितना कॉरपोरेट कल्चर के आने से हुआ है ।


🚩पश्चिम की पत्रकारिता का असर भी भारतीय मीडिया पर चढ़ने के कारण समस्याएं आई हैं । स्वतंत्रता आंदोलन में जिस पत्रकारिता ने ‘एक स्वतंत्रता सेनानी’की भूमिका निभाई थी, वह पत्रकारिता अब धन्ना सेठों के कारोबारों की चौकीदार बनकर रह गई है ।


🚩पत्रकार इन धन्ना सेठों के इशारे पर कलम घसीटने को मजबूर महज मजदूर हैं। संपादक प्रबंधक हो गए हैं । उनसे लेखनी छीनकर, लॉबिंग की जिम्मेदारी पकड़ा दी गई है ।

आज कितने संपादक और प्रधान संपादक हैं जो नियमित लेखन कार्य कर रहे हैं…???

कितने संपादक हैं, जिनकी लेखनी की धमक है…???

कितने संपादक हैं, जिन्हें समाज में मान्यता है..???

‘जो हुक्म सरकारी, वही पकेगी तरकारी’ की कहावत को पत्रकारों ने जीवन में उतार लिया है।


🚩मालिक जो हुक्म संपादकों को देता है, संपादक उसे अपनी टीम तक पहुंचा देता है। तयशुदा ढांचे में पत्रकार अपनी लेखनी चलाता है।

अब तो किसी भी खबर को छापने से पहले संपादक ही मालिक से पूछ लेते हैं- ‘ये खबर छापने से आपके व्यावसायिक हित प्रभावित तो नहीं होंगे।’

खबरें कम विज्ञापन अधिक हैं ।


🚩‘लक्षित समूहों’ को ध्यान में रखकर खबरें लिखी और रची जा रही हैं। मोटी पगार की खातिर संपादक सत्ता ने मालिकों के आगे घुटने टेक दिए हैं। आम आदमी के लिए अखबारों और टीवी चैनल्स पर कहीं जगह नहीं है ।


🚩एक किसान की ‘पॉलिटिकल आत्महत्या’ होती है तो वह खबरों की सुर्खी बनती है। पहले पन्ने पर लगातार जगह पाती है। चैनल्स के प्राइम टाइम पर किसान की चर्चा होती है ।

लेकिन इससे पहले बरसों से आत्महत्या कर रहे किसानों की सुध कभी मीडिया ने नहीं ली। जबकि भारतीय पत्रकारिता की चिंता होनी चाहिए- अंतिम व्यक्ति ।


🚩आखिरी आदमी की आवाज दूर तक नहीं जाती, उसकी आवाज को बुलंद करना पत्रकारिता का धर्म होना चाहिए, जो है तो, लेकिन व्यवहार में ऐसा कहीं भी दिखता नहीं है।

पत्रकारिता के आसपास अविश्वसनीयता का धुंध गहराता जा रहा है। पत्रकारिता की इस स्थिति के लिए कॉरपोरेट कल्चर ही एकमात्र दोषी नहीं है। बल्कि पत्रकार बंधु भी कहीं न कहीं दोषी हैं।


🚩जिस उमंग के साथ वे पत्रकारिता में आए थे, उसे उन्होंने खो दिया। ‘समाज के लिए कुछ अलग’ और ‘कुछ अच्छा’ करने की इच्छा के साथ पत्रकारिता में आए युवा ने भी कॉरपोरेट कल्चर के साथ सामंजस्य बिठा लिया है।


🚩बहरहाल, भारतीय पत्रकारिता की स्थिति पूरी तरह खराब भी नहीं हैं । बहुत-से संपादक-पत्रकार आज भी उसूलों के पक्के हैं । उनकी पत्रकारिता खरी है। उनकी कलम बिकी नहीं है । उनकी कलम झुकी भी नहीं है ।

आज भी उनकी लेखनी आम आदमी के लिए है । लेकिन, यह भी कड़वा सच है कि ऐसे ‘नारद पत्रकारों’ की संख्या बेहद कम है। यह संख्या बढ़ सकती है ।

क्योंकि सब अपनी इच्छा से बेईमान नहीं हैं । सबने अपनी मर्जी से अपनी कलम की धार को कुंद नहीं किया है । सबके मन में अब भी ‘कुछ’करने का माद्दा है । वे आम आदमी,समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए लिखना चाहते हैं, लेकिन राह नहीं मिल रही है ।


🚩ऐसी स्थिति में देवर्षि नारद उनके आदर्श हो सकते हैं । आज की पत्रकारिता और पत्रकार नारद जी से सीख सकते हैं कि तमाम विपरीत परिस्थितियां होने के बाद भी कैसे प्रभावी ढंग से लोक कल्याण की बात कही जाए । 

पत्रकारिता का एक धर्म है-निष्पक्षता-

आपकी लेखनी तब ही प्रभावी हो सकती है जब आप निष्पक्ष होकर पत्रकारिता करें । पत्रकारिता में आप पक्ष नहीं बन सकते।


🚩हां, पक्ष बन सकते हो लेकिन केवल सत्य का पक्ष । भले ही नारद देवर्षि थे लेकिन वे देवताओं के पक्ष में नहीं थे। वे प्राणी मात्र की चिंता करते थे। देवताओं की तरफ से भी कभी अन्याय होता दिखता तो राक्षसों को आगाह कर देते थे।

देवता होने के बाद भी नारद जी बड़ी चतुराई से देवताओं की अधार्मिक गतिविधियों पर कटाक्ष करते थे, उन्हें धर्म के रास्ते पर वापस लाने के लिए प्रयत्न करते थे।


🚩नारद घटनाओं का सूक्ष्म विश्लेषण करते हैं, प्रत्येक घटना को अलग-अलग दृष्टिकोण से देखते हैं,इसके बाद निष्कर्ष निकाल कर सत्य की स्थापना के लिए संवाद सृजन करते हैं।


🚩आज की पत्रकारिता में इसकी बहुत आवश्यकता है। जल्दबाजी में घटना का सम्पूर्ण विश्लेषण न करने के कारण गलत समाचार जनता में चला जाता है।

बाद में या तो खण्डन प्रकाशित करना पड़ता है या फिर जबरन गलत बात को सत्य सिद्ध करने का प्रयास किया जाता है। आज के पत्रकारों को इस जल्दबाजी से ऊपर उठना होगा। कॉपी-पेस्ट कर्म से बचना होगा। जब तक घटना की सत्यता और सम्पूर्ण सत्य प्राप्त न हो जाए, तब तक समाचार बहुत सावधानी से बनाया जाना चाहिए।


🚩कहते हैं कि देवर्षि नारद एक जगह टिकते नहीं थे। वे सब लोकों में निरंतर भ्रमण पर रहते थे। आज के पत्रकारों में एक बड़ा दुर्गुण आ गया है, वे अपनी ‘बीट’ में लगातार संपर्क नहीं करते हैं। आज पत्रकार ऑफिस में बैठकर, फोन पर ही खबर प्राप्त कर लेता है। इस तरह की टेबल न्यूज अकसर पत्रकार की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न खड़ा करवा देती हैं।


🚩नारद जी की तरह पत्रकार के पांव में भी चक्कर होना चाहिए। सकारात्मक और सृजनात्मक पत्रकारिता के पुरोधा देवर्षि नारद को आज की मीडिया अपना आदर्श मान ले और उनसे प्रेरणा ले तो अनेक विपरीत परिस्थितियों के बाद भी श्रेष्ठ पत्रकारिता संभव है। आदि पत्रकार देवर्षि नारद ऐसी पत्रकारिता की राह दिखाते हैं, जिसमें समाज के सभी वर्गों का कल्याण निहित है।- लोकेन्द्र सिंह


🚩पत्रकारिता की तीन प्रमुख भूमिकाएं हैं…

1)सूचना देना,

2)शिक्षित करना,

3)और मनोरंजन करना।

महात्मा_गांधी ने हिन्द स्वराज में पत्रकारिता की इन तीनों भूमिकाओं को और अधिक विस्तार दिया है ।

लोगों की भावनाएं जानना और उन्हें जाहिर करना । लोगों में जरूरी भावनाएं पैदा करना । यदि लोगों में दोष है तो किसी भी कीमत पर बेधड़क होकर उनको दिखाना।


🚩आज मीडिया की भूमिका अहम है, लेकिन कुछ मीडिया सिर्फ ब्लैकमेलिंग का धंधा बनकर रह गई है वो भी हिन्दू संस्कृति को तोड़ने के लिए । आज की मीडिया देश, सनातन संस्कृति तोड़ने के लिए लगी हुई है ।


🚩लेकिन ऐसी मीडिया हाउस को ध्यान रखना चाहिए जो सनातन नहीं मिटा रावण की दुष्टता से, जो सनातन नही मिटा कंस की क्रूरता से वो सनातन क्या मिटेगा आज की कुछ बिकाऊ मीडिया से ।


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तुम (हिंदू) 30%, हम (मुस्लिम) 70%… 2 घंटे में भागीरथी में बहा दूँगा’: विधायक हुमायूँ

4 May 2024

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🚩अखंड भारत भूमि सनातनियों की रही है लेकिन भारत को खंड खंड करना, भारत के सनातनियों को खत्म करना और भारत की संपत्ति हड़प करना और उसके ऊपर राज करना इसपर सदियों से भारत पर आक्रमण होते आए हैं। और वही सिलसिला आज भी जारी है, बस तरीके बदलते रहते हैं, इतने भयंकर साज़िश होने के बाद भी मुगलों और अंग्रेजों के समय जैसे हिंदू सो रहा था और मुट्ठीभर मुगल और अंग्रेज करोड़ो भारतीयों पर सैंकड़ों सालों तक राज किया वैसे आज भी हो रहा है फिर भी हिंदू जागरूक नही हो रहा है यह बड़ी दुखद बात हैं।


🚩लोकसभा चुनाव 2024 के तीसरे चरण के लिए मतदान की तैयारियों के बीच पश्चिम बंगाल के तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) विधायक हुमायूँ कबीर ने हिंदुओं को धमकी दी है। चुनाव प्रचार करने के दौरान हुमायूँ कबीर ने कहा है कि वह हिंदुओं को दो घंटे में भागीरथी नदी (गंगा) में डूबो देंगे। कबीर के इस बयान की जमकर आलोचना हो रही है।


🚩हुमायूँ कबीर भरतपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं। भरतपुर मुर्शिदाबाद जिले में आता है। बीते दिनों उन्होंने बहरामपुर से TMC के उम्मीदवार यूसुफ पठान के लिए भी चुनाव प्रचार किया था। इसके अलावा, वे पार्टी के कई उम्मीदवारों के प्रचार में शामिल हुए। एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने यह विवादित टिप्पणी की है। इसका वीडियो भी वायरल हो रहा है।


🚩चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए हुमायूँ कबीर ने कहा, “तुम लोग (हिंदू) 70 फीसदी हो और हम लोग भी 30 फीसदी हैं। यहाँ पर तुम काजीपाड़ा का मस्जिद तोड़ोगे और बाकी मुसलमान हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहेंगे, यह कभी नहीं होगा। भाजपा को मैं यह बता देना चाहता हूँ कि यह कभी भी नहीं होगा। अगर 2 घंटे के अंदर भागीरथी नदी में बहा न दिया तो मैं राजनीति छोड़ दूँगा।”

https://twitter.com/MeghUpdates/status/1785941695970070867?t=qxsJRpZCvR-Fc2527ahO3w&s=19


🚩बता दें कि पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी TMC ने लोकसभा चुनाव के लिए क्रिकेटर यूसुफ पठान को बहरामपुर से अपना उम्मीदवार बनाया है। इसके बाद हुमायूँ कबीर ने कहा था कि अगर पार्टी ने उम्मीदवार नहीं बदला तो वह बहरामपुर से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। कबीर ने कहा था कि दूसरे राज्य से किसी को लाकर कॉन्ग्रेस के अधीर रंजन चौधरी को नहीं हराया जा सकता है। 


🚩मुर्शिदाबाद जिला मुस्लिम बहुल है। यहाँ की कुल जनसंख्या में लगभग 75 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। यहाँ की अधिकांश आबादी बीड़ी बनाने के व्यवसाय से जुड़ी हुई है। मुर्शिदाबाद कभी बंगाल की राजधानी भी रही थी। यहाँ का हजारद्वारी महल इसके गौरवशाली अतीत का आईना है, फिर भी अधिकांश लोग गरीबी में जीने को मजबूर हैं।


🚩इसको लेकर भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने बंगाल सरकार पर हमला बोला है। शक्तिपुर में बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन में कबीर की टिप्पणी पर उन्होंने सोशल मीडिया साइट X पर लिखा, “मुर्शिदाबाद में हिंदू अल्पसंख्यक हैं। सिर्फ 28 प्रतिशत। अब यह उनके साथ किया जा रहा है। कल्पना कीजिए, अगर हिंदू बंगाल के बाकी हिस्सों में अल्पसंख्यक हो जाएँ तो क्या होगा।”


🚩उन्होंने आगे कहा, “पश्चिम बंगाल में तुष्टीकरण की राजनीति नए निचले स्तर पर पहुँच गई है। ममता बनर्जी को धन्यवाद। बंगाल में हिंदू अब दोयम दर्जे के नागरिकों से भी बदतर हैं। क्या वह इस विधायक को पार्टी से बाहर निकालने की हिम्मत करेगी? क्या वे बुद्धिजीवी, जो नियमित रूप से हिंदुओं के खिलाफ जहर फैलाते हैं, एक शब्द भी बोलने का साहस कर सकते हैं?”


🚩भारत में 9 राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो गया है , हिंदुओं को जगने का समय है, राष्ट्र और सनातन संस्कृति की रक्षा करने वालों को ही वोट देना चाहिए नही तो राष्ट्र और सनातन संस्कृति विरोधी आपको जीने नही देंगे बाद में बड़ा पछतावा होगा इसपर जातिवादी में बंटे हिंदुओं को गंभीरता से विचार करना चाहिए।


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Saturday, May 4, 2024

सुप्रिम कोर्ट : केवल मैरिज सर्टिफिकेट से नही हिंदुओं की शादी बिना ‘सप्तपदी’ के मान्य नहीं

5 May 2024

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🚩सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं की शादी को लेकर अहम फैसला सुनाया और कहा कि हिंदुओं की शादी बिना ‘सप्तपदी’ के मान्य नहीं है। मैरिज सर्टिफिकेट होने से शादी नहीं मानी जा सकती, जब तक सात फेरों के प्रमाण न हों। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि हिंदुओं की शादी में ‘सप्तपदी’ यानी ‘अग्नि के समक्ष सात फेरों का होना’ सबसे महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिंदुओं का विवाह एक पवित्र बंधन है, ये सिर्फ खाने-पीने और नाच-गान का मौका भर नहीं। इससे पहले, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा था कि हिंदुओं की शादी में ‘सप्तपदी’ अनिवार्य है, कन्यादान कोई अनिवार्य रस्म नहीं है।


🚩लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की बेंच ने एक अहम फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के आधार पर एक ऐसी शादी को रद्द कर दिया है, जिसमें मैरिज सर्टिफिकेट पर पति-पत्नी के हस्ताक्षर तो थे, लेकिन दोनों के बीच विवाह की कोई रस्म नहीं हुई थी। दोनों की शादी का रजिस्ट्रेशन घर वालों ने ‘किसी वजह से’ करा दिया था, लेकिन अब उस कपल ने सुप्रीम कोर्ट से शादी को रद्द करने की गुहार लगाई थी।


🚩सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले कहा कि इस शादी में मैरिज सर्टिफिकेट तो बन गया है, क्योंकि उसके लिए अपील की गई थी, लेकिन शादी की प्रक्रिया ही नहीं पूरी की गई, ऐसे में इस शादी का कोई आधार ही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने मैरिज सर्टिफिकेट को खारिज करते हुए दोनों की शादी को रद्द कर दिया।


🚩सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “जहाँ हिंदू विवाह सप्तपदी जैसे तय संस्कारों के साथ नहीं हुआ है, वो विवाह माना ही नहीं जाएगा। इसे ऐसे समझें कि वैध विवाह के लिए हिंदू विवाह में होने वाले सभी समारोहों को निभाया जाना जरूरी है। जिसमें सात फेरे की प्रक्रिया भी शामिल है। अगर कोई विवाद होता है, तो उसके निपटारे के लिए सात फेरों की प्रक्रिया का सबूत भी होना चाहिए। अगर किसी ने बिना सात फेरों के विवाह किया है, तो वो हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 7 के अनुसार हिंदू विवाह नहीं माना जा सकता। इन कार्यक्रों (वैवाहिक कार्यक्रमों) के बिना सिर्फ मैरिज सर्टिफिकेट बनवा लेना न तो शादी का सबूत है और न ही हिंदू मैरिज एक्ट के तहत वो शादी मान्य है, जिसका सर्टिफिकेट तो है, लेकिन सात फेरे जैसी अनिवार्य रस्में नहीं हुई।”


🚩सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, “अगर सात फेरों का कोई सबूत नहीं है, तो सेक्शन 8 के तहत मैरिज रजिस्ट्रेशन ऑफिसर ऐसी शादियों को पंजीकृत नहीं कर सकता। यानी मैरिज सर्टिफिकेट जारी नहीं कर सकता। मैरिज सर्टिफिकेट सिर्फ विवाह हो गया है, इसका सर्टिफिकेट है, लेकिन विवाह हुआ है, इसका सबूत देना अनिवार्य होगा।” अन्य शब्दों में कहें, तो मैरिज सर्टिफिकेट विवाह होने पर मुहर है, अगर सात फेरों की प्रक्रिया पूरी की गई हो। उसके बिना मैरिज सर्टिफिकेट का भी कोई वजूद नहीं होगा।


🚩कन्यादान अनिवार्य नहीं, सात फेरों की अनिवार्यता

इससे पहले, 22 मार्च 2024 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था और कहा था कि कन्यादान हिंदू विवाह के लिए एक अनिवार्य रस्म नहीं है। कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 में केवल सात फेरे को हिंदू विवाह के लिए अनिवार्य रस्म माना गया है। कन्यादान का उल्लेख अधिनियम में नहीं है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस सुभाष विद्यार्थी ने कहा था कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के अनुसार, ‘सात फेरे’ को विवाह की एकमात्र अनिवार्य रस्म माना गया है। ‘कन्यादान’ एक सांस्कृतिक रस्म है जिसमें पिता अपनी बेटी को दूल्हे को सौंपता है। यह रस्म पितृत्व से स्त्रीत्व की यात्रा का प्रतीक है। हाई कोर्ट ने कहा कि ‘कन्यादान’ एक महत्वपूर्ण रस्म हो सकती है, लेकिन यह विवाह की वैधता के लिए आवश्यक नहीं है।


🚩बिना सात फेरों के विवाह ही पूर्ण नहीं

इससे पहले, पिछले साल अक्टूबर में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अन्य फैसले में कहा था कि सप्तपदी के बिना हिंदुओं में शादी मान्य नहीं है। ये हिंदुओं के विवाह की सबसे महत्वपूर्ण शर्त है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 3 अक्टूबर 2023 को ये फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर शादी में सारी प्रक्रिया पूरी कर दी जाए और अग्नि के फेरे ना लिए जाएँ तो वह विवाह संपन्न नहीं माना जाएगा। हाईकोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 7 का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि एक हिंदू विवाह को तभी वैध माना जाएगा यदि वह ‘शादी के सभी रीति-रिवाजों के साथ’ संपन्न हुआ हो।


🚩सप्तपदी के बारे में जानें

सप्तपदी हिंदू विवाह की एक महत्वपूर्ण रस्म है। यह अग्नि के चारों ओर सात चक्कर लगाने की प्रक्रिया है। इन सात चक्करों को सात वचनों का प्रतीक माना जाता है जो वर-वधू एक-दूसरे को देते हैं।


🚩सप्तपदी की प्रक्रिया

वर और वधू को अग्नि के सामने खड़ा किया जाता है।

वर वधू के दाहिने हाथ को अपने बाएँ हाथ में पकड़ता है।

वर-वधू एक-दूसरे के सामने खड़े होकर सात चक्कर लगाते हैं।

प्रत्येक चक्कर के दौरान, वर-वधू एक-दूसरे को एक वचन देते हैं।

सातवें चक्कर के बाद, वर-वधू अग्नि के चारों ओर एक साथ खड़े होते हैं।


🚩सात वचन इस प्रकार हैं:


🚩पहला वचन: मैं तुम्हें अपना पति/पत्नी मानता/मानती हूँ।

🚩दूसरा वचन: मैं तुम्हें अपना जीवनसाथी मानता/मानती हूँ।

🚩तीसरा वचन: मैं तुम्हारी खुशी के लिए जीने का वादा करता/करती हूँ।

🚩चौथा वचन: मैं तुम्हारी इच्छाओं का सम्मान करने का वादा करता/करती हूँ।

🚩पाँचवाँ वचन: मैं तुम्हारी रक्षा करने का वादा करता/करती हूँ।

🚩छठा वचन: मैं तुम्हें अपना जीवन भर प्यार करने का वादा करता/करती हूँ।

🚩सातवाँ वचन: मैं तुम्हारे साथ बुरे और अच्छे समय में रहने का वादा करता/करती हूँ।


🚩सप्तपदी हिंदू विवाह की एक महत्वपूर्ण रस्म है। यह एक ऐसा अनुष्ठान है जो वर-वधू को एक-दूसरे के प्रति अपने वचनों को दोहराने का अवसर देता है। यह एक ऐसा क्षण है जब वे अपने जीवन को एक साथ बिताने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं।


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Thursday, May 2, 2024

स्टालिन सरकार मंदिर के सामने बना रही थी शॉपिंग सेंटर, हाइकोर्ट डर से हटी पीछे

03 May 2024

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🚩हिंदू मंदिरों पर सदियों से अत्याचार होता आया है, कई मंदिरों को तोड़ा गया तो कई मंदिरों पर टैक्स लगाया गया और आज भी वही सिलसिला जारी है मंदिरों में शॉपिंग मॉल बनाकर श्रद्धालुओं की श्रद्धा पर आघात किया जा रहा है, तमिल नाडु की सरकार भी वही करने जा रही थी लेकिन हाइकोर्ट में अपील के बाद पीछे हटी।


🚩तमिल नाडु के तिरुवन्नामलाई जिले में विश्व प्रसिद्ध अरुणाचलेश्वर मंदिर (अन्नामलाईयार मंदिर) स्थित है, जो कई शताब्दियों पुरानी है। इसे यूनेस्को ने संरक्षित इमारतों की सूची में भी रखा है। इस मंदिर का गोपुरम 66 मीटर ऊँचा है और ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर के सबसे बड़े गोपुरम के सामने तमिलनाडु सरकार का हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती (HR&CE) विभाग 150 दुकानों का शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनवा रहा रहा था और इसपर निर्माण कार्य भी शुरू हो गया। हालाँकि इस पर तमाम तरह की रोक थी, इसके बावजूद निर्माण कार्य शुरू होने के बाद मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई और अब इसपर निर्माण कार्य रुक गया है।


🚩ये याचिका मंदिर कार्यकर्ता और इंडिक कलेक्टिव ट्रस्ट के अध्यक्ष टीआर रमेश ने दाखिल की। टीआर रमेश ने 30 अप्रैल 2024 को एक्स पर बताया कि अब तमिल नाडु सरकार ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। तमिल नाडु के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती (एचआरसीई) विभाग ने मद्रास उच्च न्यायालय को बताया है कि वह अरुणाचलेश्वर के परिसर में 150 दुकानों के अनधिकृत निर्माण को आगे नहीं बढ़ाएगा।”


🚩टीआर रमेश ने एक्स पर लिखा, “इस मामले में हाई कोर्ट की बेंच के सामने जैसे ही सुनवाई शुरू हुई, वैसे ही HR&CE विभाग के वकील ने कोर्ट को बताया कि तिरुवन्नामलाई के प्रसिद्ध अरुणाचलेश्वर मंदिर के राजगोपुरम के सामने जो निर्माण कार्य होना था, उसकी योजना रद्द कर गई है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा ये कदम वापस लेने पर खुशी जताई और उम्मीद भी जताई कि ऐसा वाकई में तुरंत हो जाना चाहिए।”


🚩टी आर रमेश ने हाई कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा था कि राज्य सरकार सिर्फ केयरटेकर की भूमिका में है, वो ऐतिहासिक स्थलों से छेड़छाड़ नहीं कर सकती। वो मंदिर में आने वाले भक्तों के अधिकारों का हनन करके मंदिर के बाहर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स नहीं बनवा सकती। जिसके बाद सरकार ने मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एस वी गंगापुरवाला और जस्टिस जी चंद्रसेखरन जे ने कहा कि हमें इस मामले में अब कोई आदेश पास करने की जरूरत नहीं है। हमें खुशी है कि सरकार ने सही कदम उठाया।


🚩जानकारी के मुताबिक, ये मंदिर 10 एकड़ से ज्यादा बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें कई गोपुरम है। मुख्य गोपुरम राजगोपुरम है। इसी गोपुरम के सामने 6 करोड़ से ज्यादा की लागत से इन शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के निर्माण की योजना बनाई थी और इस पर काम भी शुरू हो गया था। इसके लिए पैसे भी मंदिर के खाते से ही निकाले गए थे और सरकार ने ये पैसा विधानसभा में पास किया था, लेकिन अब सरकार इस पैसे को वापस मंदिर के खाते में डाल देगी।


🚩अरुणाचलेश्वर मंदिर के बारे में जानिए

इस मशहूर मंदिर का निर्माण कई राजवंशों ने मिलकर कराया, जो पूरा हुआ चोल राजाओं के समय में। 9वीं शताब्दी में बनकर तैयार हुए इस मंदिर में महादेव की पूजा होती है। अरुणाचलेश्वर मंदिर (जिसे अन्नामलाईयार मंदिर भी कहा जाता है) अरुणाचला पहाड़ी की तली में स्थित है। अरुणाचल पहाड़ी को ‘शिवलिंग’ की मान्यता है। माना जाता है कि इसी जगह पर महादेव ने अर्धनारीश्वर अवतार धारण किया था। इस मंदिर में कार्तिकेय दीपम त्यौहार के समय 30 लाख से ज्यादा लोग एकत्रित होते हैं। इस मंदिर में अग्नि तीर्थम नाम का कुंड है, जिसे बेहद पवित्र माना जाता है। अरुणाचलेश्वर मंदिर शैव मत के अनुयायियों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है।


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Sunday, April 28, 2024

जन्मदिन पर विषेश : आशाराम बापू कौन है ? उन्होंने क्या क्या किया ?

29 April 2024

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🚩हिंदू संत श्री आशारामजी बापू को बचपन से ही प्रगाढ़ भक्ति प्राप्त थी । प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर ठाकुरजी की पूजा में लग जाना उनका नित्य नियम था ।


🚩उनके 87वें जन्मदिवस को पिछले 7 दिनों से दुनियाभर में विश्व सेवा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। 


🚩कही हरिनाम कीर्तन यात्राएं तो कही गीता भागवद सत्संग कार्यक्रमो का आयोजन हो रहा है और गरीबों में फल, मिठाई, राशन, कपड़े, बर्तनों का निशुल्क वितरण किया जा रहा है और पलाश,गुलाब आदि के शर्बत पानी के स्टॉल लगाए जा रहे है।


🚩हिन्दू संत आशाराम बापू का बचपन का नाम आसुमल था । उनका जन्म अखंड भारत के सिंध प्रांत के बेराणी गाँव में चैत्र कृष्ण षष्ठी विक्रम संवत् 1994 (1 मई 1937) के दिन हुआ था । उनकी माता महँगीबा व पिताजी थाऊमल नगरसेठ थे ।


🚩बालक आसुमल को देखते ही उनके कुलगुरु ने भविष्यवाणी की थी कि “आगे चलकर यह बालक एक महान संत बनेगा, लोगों का उद्धार करेगा ।”


🚩बापू आसारामजी का बाल्यकाल संघर्षों की एक लंबी कहानी है। 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के कारण अथाह सम्पत्ति को छोड़कर बालक आसुमल परिवार सहित अहमदाबाद आ बसे। उनके पिताजी द्वारा लकड़ी और कोयले का व्यवसाय आरम्भ करने से आर्थिक परिस्थिति में सुधार होने लगा । तत्पश्चात् शक्कर का व्यवसाय भी आरम्भ हो गया ।


🚩माता-पिता के अतिरिक्त बालक आसुमल के परिवार में एक बड़े भाई तथा दो छोटी बहनें थी।

बालक आसुमल को बचपन से ही प्रगाढ़ भक्ति प्राप्त थी । प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर ठाकुरजी की पूजा में लग जाना उनका नित्य नियम था ।


🚩दस वर्ष की नन्ही आयु में बालक आसुमल के पिताजी थाऊमलजी देहत्याग कर स्वधाम चले गये ।

पिताजी के देहत्यागोपरांत आसुमल को पढ़ाई (तीसरी कक्षा) छोड़कर छोटी-सी उम्र में ही कुटुम्ब को सहारा देने के लिये सिद्धपुर में एक परिजन के यहाँ नौकरी करनी पड़ी । 3 साल तक नौकरी के साथ-साथ साधना में भी प्रगति करते रहे ।


🚩3 साल बाद वे वापिस अहमदाबाद आ गए और भाई के साथ शक्कर की दुकान पर बैठने लगे ।

लेकिन उनका मन सांसारिक कार्यो में नही लगता था, ज्यादातर जप-ध्यान में ही समय निकालते थे ।


🚩21 साल की उम्र में घर वाले आसुमल जी की शादी करना चाहते थे लेकिन उनका मन संसार से विरक्त और भगवान में तल्लीन रहता था । इसलिए वे घर छोड़कर भरुच के अशोक आश्रम चले गए । पर घरवालो ने उन्हें ढूंढ कर जबरदस्ती उनकी शादी करवा दी ।


🚩लेकिन मोह-ममता का त्याग कर ईश्वर प्राप्ति की लगन मन में लिए शादी के बाद भी तुरंत पुनः घर छोड़ दिया और आत्म पद की प्राप्ति हेतु जंगलों-बीहडों में घूमते और ईश्वर प्राप्ति के लिए तड़पते रहे ।

 

🚩नैनीताल के जंगल में योगी ब्रह्मनिष्ठ संत साईं लीलाशाहजी बापू को उन्होंने सद्गुरु के रूप में स्वीकार किया ।


🚩ईश्वरप्राप्ति की तीव्र तड़प देखकर सद्गुरु लीलाशाहजी बापू का ह्रदय छलक उठा और उन्हें 23 वर्ष की उम्र में सद्गुरु की कृपा से आत्म-साक्षात्कार हो गया । तब सद्गुरु लीलाशाह जी ने उनका नाम आसुमल से आशारामजी रखा ।


🚩अपने गुरु लीलाशाहजी बापू की आज्ञा शिरोधार्य कर संत आसारामजी बापू समाधि-अवस्था का सुख छोड़कर तप्त लोगों के हृदय में शांति का संचार करने हेतु समाज के बीच आ गये।


🚩सन् 1972 में अहमदाबाद साबरमती के तट पर आश्रम स्थापित किया । भारत की राष्ट्रीय एकता, अखंडता और विश्व शांति के लिए हिन्दू संत आसाराम बापू ने राष्ट्र के कल्याणार्थ अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया ।


 🚩हिन्दू संत आशाराम बापू के मार्गदर्शन में देश-विदेश में हजारों ‘बाल संस्कार केन्द्र निःशुल्क चलाये जा रहे हैं । इनमें बालकों को माता-पिता का आदर करने के संस्कार, पढ़ाई में अव्वल आने के उपाय और यौगिक प्रयोग आदि सिखाये जाते हैं ।


🚩विद्यालयों में ‘योग व उच्च संस्कार शिक्षा अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें विद्यार्थियों को माता-पिता एवं गुरुजनों का आदर, अनुशासन, यौगिक शिक्षा, आदर्श दिनचर्या, परीक्षा में अच्छे अंक पाने की कुंजियाँ आदि महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर अनुभवी वरिष्ठों द्वारा मार्गदर्शन दिया जाता है ।


🚩अब तक देश के 80,000 से अधिक विद्यालय इस अभियान से लाभान्वित हो चुके हैं ।


🚩विद्यार्थियों के बाल, छात्र व कन्या मंडल भी बनाये गए है जो व्यसनमुक्ति अभियान, गौ-रक्षा अभियान, पर्यावरण सुरक्षा कार्यक्रम आदि सेवाकार्य करते हैं ।


🚩वेलेंटाइन डे जैसे त्यौहारों से भी बचने हेतु हर वर्ष 14 फरवरी को देशभर के विभिन्न स्थानों के विभिन्न विद्यालयों के साथ साथ घर-घर में ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाया जा रहा है ।


🚩अब ‘संत श्री आशारामजी गुरुकुलों ‘ की भी श्रृंखला बढ़ने लगी है, जिनमें विद्यार्थियों को लौकिक शिक्षा के साथ-साथ स्मृतिवर्धक यौगिक प्रयोग, योगासन, प्राणायाम, जप, ध्यान आदि के माध्यम से उन्नत जीवन जीने की कला सिखायी जाती है । उनमें सुसंस्कारों का सिंचन किया जाता है तथा उन्हें अपनी महान वैदिक संस्कृति का ज्ञान प्रदान किया जाता है ।

 

🚩‘युवाधन सुरक्षा अभियान चलाया जा रहा है तथा ‘युवा सेवा संघ एवं ‘महिला उत्थान मंडल की स्थापना की गयी है । इन संगठनों द्वारा भारतभर में ‘संस्कार सभाएँ चलायी जा रही हैं, जिनका लाभ लेकर युवक-युवतियाँ अपना सर्वांगीण विकास कर रहे हैं ।


🚩समाज के पिछडे, शोषित, बेरोजगार व बेसहारा लोगों की सहायता के लिए बापू आशारामजी द्वारा ‘भजन करो, भोजन करो, दक्षिणा पाओ’ योजनायें चलायी जा रही है ।

 

🚩इसके अंतर्गत उन्हें कहा जाता है कि वे आश्रम में अथवा आश्रम द्वारा संचालित समितियों के केन्द्रों में आकर दिनभर केवल भजन, कीर्तन और ध्यान करें । उन्हें दिन का भोजन और शाम को घर जाते समय 50 रुपये तक की नकद राशि दी जाती है । इसमें भाग लेनेवालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है । जिससे ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मान्तरण में रोक लग रही है और जहाँ लोगों को भोजन की विकट समस्या से निजात मिलती है, वहीं उनका आध्यात्मिक उत्थान भी हो रहा है । इससे बेरोजगार लोगों में आपराधिक प्रवृत्ति को रोकने में बहुत मदद मिल रही है ।


🚩कहा जाता है कि हिन्दू संत आसाराम बापू का बहुत बड़ा साधक-समुदाय है । लगभग करीब 8 करोड़ लोग देश-विदेश में है और इतने सालों से बिना सबूत जेल में होते हुए भी उनके अनुयायियों की श्रद्धा टस से मस नहीं हुई है । उन करोड़ो भक्तों का एक ही कहना है कि हमारे गुरुदेव (संत आशारामजी बापू) निर्दोष हैं उन्हें षड़यंत्र के तहत फंसाया गया है । वे जल्द से जल्द निर्दोष छूटकर हमारे बीच शीघ्र ही आयेगे ।


🚩गौरतलब है संत आशारामजी बापू का जन्म दिवस 29 अप्रैल को है अभी उनका 87 वां साल चल रहा है, पिछले 11+ सालों से जेल में बन्द होने पर भी उनके करोड़ों अनुयायियों द्वारा देश-विदेश में एक अनोखे अंदाज में मनाया जाता है ये दिन..


🚩इस दिन देशभर में जगह-जगह पर निकाली जाती हैं विशाल भगवन्नाम संकीर्तन यात्रायें, वृद्धाश्रमों,अनाथालयों व अस्पतालों में निशुल्क औषधि, फल व मिठाई वितरित की जाती है।


🚩गरीब व अभावग्रस्त क्षेत्रों में होता है विशाल भंडारा जिसमें वस्त्र,अनाज व जीवन उपयोगी वस्तुओं का वितरण किया जाता है।


🚩उस दिन जगह जगह पर छाछ,पलाश व गुलाब के शरबत के प्याऊ लगाये जाते हैं । एवं सत्साहित्य आदि का वितरण किया जाता है।


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Saturday, April 27, 2024

अखण्ड ब्रह्मचारी हनुमान जी पर भी लगा रहे है अनुचित आक्षेप

27 April 2024 https://azaadbharat.org 🚩जहाँ सम्पूर्ण विश्व हनुमान जी से ब्रहमचर्य एवं वीरता की प्रेरणा लेता है। वही हनुमान जी के बारे में ठीक इसके विपरीत बातें थाई, जैन और मलय देश की रामायण में मिलती हैं। जैसे 🚩फिलिप नाम के एक लेखक ने तो यह लिख दिया कि सम्पूर्ण वाल्मीकि रामायण में हनुमान जी के ब्रहमचर्य के विषय में कोई वर्णन नहीं हैं 🚩थाई रामायण में हनुमान जी के बारे में लिखा है कि हनुमान जी की अनेक पत्निया थीं। 🚩जैन लेख में लिखा गया है कि हनुमान ने लंका के रक्षक वज्रमुख की पुत्री लंकासुंदरी से विवाह किया था। 🚩एक अन्य आक्षेप लगा दिया गया कि भरत ने श्री राम की अयोध्या वापिसी पर हनुमान को 16 दासियाँ पुरस्कार के रूप में दी। 🚩कुछ वर्ष पहले 300 रामायण नामक रामानुजम के एक लेख की चर्चा जोरों से उठी थी। जब उसे दिल्ली विश्वविद्यालय के पाठ्य क्रम से हटा दिया गया था। इस पुस्तक में रामायण के आदर्श पात्रों के विषय में अनुचित आक्षेप किये गए थे। जैसे प्रभु राम मांसाहारी थे, लक्ष्मण की सीता जी पर आसक्ति थी आदि। इन प्रकार के असत्य तथ्यों का मूल उद्देश्य प्रभु राम के प्रति भारतीय एवं विदेशी दोनों जनमानस के मन में उनके प्रति अश्रद्धा उत्पन्न करना था। 🔺 Follow on 🔺 Facebookhttps://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/ 🔺Instagram: http://instagram.com/AzaadBharatOrg 🔺 Twitter: twitter.com/AzaadBharatOrg 🔺Telegram: https://t.me/ojasvihindustan 🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Friday, April 26, 2024

भारत नही नेपाल में भी हिंदू सुरक्षित नहीं है, पुजारी के सिर को ईंटों से फोड़ा

27 April 2024

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🚩हिंदू समाज केवल भारत में नही नेपाल और अन्य देशों में भी मुस्लिम जिहादियों से प्रताड़ित हो रहा हैं। कभी हिंदूओं पर पत्थर फेकना, गोली चलाना, कभी हिंदू मंदिर तोड़ना तो कभी लव जिहाद तो कभी लैंड जिहाद जैसे अनेक षड़यंत्र किए जा रहे हैं।


🚩हिन्दू मंदिर के पुजारी पर जानलेवा हमले 


🚩नेपाल के सिरहा जिले में एक हिन्दू मंदिर के पुजारी पर जानलेवा हमले की खबर है। हमले में पुजारी का सिर फट गया जिनको इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया। हमले का आरोप अताबुल मियाँ पर लगा है। हिन्दू संगठनों का आरोप है कि नेपाली पुलिस ने अताबुल को हिरासत में ले कर थाने से ही छोड़ दिया। इस घटना और पुलिस की कार्रवाई से नाराज हिन्दू संगठन से सदस्यों ने प्रशासन को आंदोलन की चेतावनी दी है। घटना गुरुवार (18 अप्रैल, 2024) की है।


🚩नेपाल में सक्रिय ‘हिन्दू सम्राट सेना’ के अध्यक्ष राजेश यादव ने ऑपइंडिया से बात की। उन्होंने बताया कि घटना सिरहा जिले के कल्याणपुर इलाके की है। यहाँ के वार्ड नंबर 12 में राम जानकी मंदिर आसपास के हिन्दुओं के लिए श्रद्धा का केंद्र है। यहाँ पुजारी हेबू मुखिया पूजापाठ करते हैं। गुरुवार की रात लगभग 8 बजे पुजारी मंदिर में आरती आदि कर के घर लौट रहे थे। इसी दौरान उन पर अताबुल मियाँ हमला कर देता है। हमले में ईंट का इस्तेमाल किया जाता है जिस से पुजारी का सिर फट गया।


🚩सिर पर चोट लगने से पुजारी हेबू गंभीर रूप से घायल हो गए। आसपास के लोगों ने उनको विराटनगर के अस्पताल में भर्ती करवाया। फ़िलहाल पुजारी हेबू मुखिया इलाज के बाद अपने घर आ चुके हैं। इधर पुलिस ने अताबुल मियाँ को हिरासत में ले लिया। हिन्दू सम्राट सेना का आरोप है कि राजनैतिक दबाव के चलते पुलिस ने अताबुल को बिना केस दर्ज किए ही थाने से छोड़ दिया। पुलिस की यह हरकत नेपाल के हिन्दू संगठनों को नागवार गुजरी है। उन्होंने इसे अपराध को संरक्षण देने वाली हरकत बताया है।


🚩‘हिन्दू सम्राट सेना’ के सदस्यों ने जल्द से जल्द अताबुल मियाँ की गिरफ्तारी की माँग उठाई है। इस माँग के लिए संगठन ने सिरहा जिले के पुलिस अधीक्षक के ऑफिस पर प्रदर्शन का एलान किया है। पुजारी पर हुए हमले में अताबुल को हत्या के प्रयास की धाराओं में गिरफ्तार किए जाने की माँग की जा रही है।


🚩पुजारी की जमीन पर लैंड जिहाद की साजिश

ऑपइंडिया ने पुजारी हेबू मुखिया के बेटे रामकरन से बात की। उन्होंने बताया कि हमलावर अताबुल की उम्र लगभग 45 साल है। वो बेलहा किराने की दुकान चलाता है। उसके 2 बेटे हैं जो कतर देश में रहते हैं। पुजारी ने स्थानीय हिन्दू से एक जमीन खरीदी थी जिसे अताबुल मियाँ हड़पना चाहता है। वो पुजारी पर जबीन को फ्री में खुद को सौंप देने का दबाव लम्बे समय से बनाता आ रहा है। कुछ समय पहले भी उसने पुजारी को हथियार से मारने का प्रयास किया था। रामकरन ने अपने मामले में नेपाली पुलिस की कार्यशैली को भी असंतोषजनक बताया है।


🚩नेटीजेंस बता रहे घुसपैठ का नतीजा

नेपाल में पुजारी पर हुए इस हमले ने नेपाली सोशल मीडिया पर भी तूल पकड़ लिया है। नेपाली ‘X’ यूजर इस घटना पर नाराजगी जताते हुए अलग-अलग राय दे रहे हैं। विवेका ने लिखा कि पूरी नेपाल की सीमा पर रोहिंग्या बस चुके हैं। सुरेंद्र ने ‘राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी’ के सांसद को टैग करते हुए हमलावर पर कड़ी कार्रवाई की माँग की है। सुरस्वामी ने लिखा कि नेपाल में विदेशियों की तादाद बढ़ती जा रही है जो कि वहाँ के मूल मधेशी लोगों के लिए एक बड़ा खतरा है।


🚩चित्र- X/@sanatanchautari पर आए कमेंट

एक अन्य ‘X’ यूजर @msapkota00043 ने नेपाल की पुलिस को टैग किया है। इसके साथ उन्होंने लिखा है कि हिन्दू पर दिन दहाड़े हमला नेपाल की शांति और सुरक्षा को खुली चुनौती है। शरद शर्मा ने लिखा, “पाकिस्तानी मुस्लिमों को नागरिकता देने का अंजाम भुगतना शुरू हो चुका है। यह मुस्लिमों को गले लगाने का अंजाम है।” शरद ने आशंका जताई है कि जल्द ही नेपाल के नए मालिक होंगे और तब मधेशी लोगों को तराई से भगा दिया जाएगा।


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