Friday, May 10, 2024

रिपोर्ट : 56 प्रतिशत बीमारियों की वजह खराब खान-पान

10  May 2024

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🚩उत्तम स्वास्थ्य का आधार है यथा योग्य आहार-विहार एवं विवेकपूर्वक व्यवस्थित जीवन। बाह्य चकाचौंध की ओर अधिक आकर्षित होकर हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं इसलिए हमारा शरीर रोगों का घर बनता जा रहा है।


🚩‘चरक संहिता’ में कहा गया हैः

आहाराचारचेष्टासु सुखार्थी प्रेत्य चेह च।

परं प्रयत्नमातिष्ठेद् बुद्धिमान हित सेवने।।


🚩'इस संसार में सुखी जीवन की इच्छा रखने वाले बुद्धिमान व्यक्ति आहार-विहार, आचार और चेष्टाएँ हितकारक रखने का प्रयत्न करें।'


🚩उचित आहार, निद्रा और ब्रह्मचर्य – ये तीनों वात, पित्त और कफ को समान रखते हुए शरीर को स्वस्थ व निरोग बनाये रखते हैं, इसीलिए इन तीनों को उपस्तम्भ माना गया है। अतः आरोग्य के लिए इन तीनों का पालन अनिवार्य है।


🚩आईसीएमआर की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 56.4 प्रतिशत बीमारियों की वजह खराब खानपान है। इन्हें देखते हुए ICMR ने खाने और पोषण से जुड़ी 17 डाइटरी गाइडलाइंस जारी की हैं। इनका उद्देश्य जरूरी पोषण को सुनिश्चित करना और मोटापे-डायिटीज जैसी बीमारियों से लोगों को दूर रखना है। दरअसल आईसीएमआर के तहत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन (NIN) ने ये रिपोर्ट बनाई है।  रिपोर्ट के मुताबिक अच्छी डाइट रखने और फिजिकल एक्टिविटीज बनाए रखने से दिल की बीमारियों और हाइपरटेंशन जैसी स्थितियों से बहुत हद तक बचा जा सकता है, साथ ही टाइप-2 डायबिटीज से भी 80 प्रतिशत तक सुरक्षा मिलती है.


🚩प्री-मैच्योर मौतों को रोकने के लिए जरूरी है हेल्दी लाइफस्टाइल:

रिपोर्ट कहती है कि 'अच्छी लाइफस्टाइल अपनाने से समय से पहले होने वाली मौतों की बड़ी संख्या को रोका जा सकता है। दरअसल बहुत ज्यादा प्रोसेस्ड फूड्स, जिनमें बड़ी मात्रा में शुगर और फैट होता है, जब उन्हें लगातार व्यक्ति खाता है, ऊपर से फिजिकल एक्टिविटीज भी बहुत सीमित होती हैं, तो शरीर में माइक्रोन्यूट्रीएंट की कमी होने लगती है, साथ में मोटापा भी घेर लेता है।'


🚩गाइडलाइंस की अहम बातें:

एनआईएन ने नमक कम खाने, फैट और ऑयल सीमित मात्रा में लेने, एक्सरसाइज करने, शुगर और अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड को कम करने की सलाह दी है।

एनआईएन का सुझाव है कि मोटापे से बचने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की जरूरत है। साथ ही फूड लेबल्स में लिखी जानकारी को ठीक ढंग से पढ़कर इनफॉर्म्ड च्वाइस अपनाने की सलाह दी है।


🚩आईसीएमआर के डायरेक्टर डॉक्टर राजीव बहल कहते हैं, 'बीते कुछ दशकों में भारतीय लोगों की खान-पान की आदतों में बहुत जबरदस्त बदलाव आया है। इससे नॉन-कम्युनिकेबल बीमारियों की मात्रा बढ़ेगी, जबकि कुपोषण की कुछ मौजूदा समस्याएं जस के तस बरकरार हैं।'


🚩बैलेंस डाइट में 45 प्रतिशत कैलोरी अनाज और मोटे-अनाज से होनी चाहिए। जबकि 15 प्रतिशत कैलोरी दालों, बीन्स (फलियों)  आदि से आनी चाहिए। बाकी कैलोरीज सब्जियों, फलों और दूध से आनी चाहिए।


🚩अशुद्ध और अखाद्य भोजन, अनियमित रहन-सहन, संकुचित विचार तथा छल-कपट से भरा व्यवहार – ये विविध रोगों के स्रोत हैं। कोई भी दवाई इन बीमारियों का स्थायी इलाज नहीं कर सकती। थोड़े समय के लिए दवाई एक रोग को दबाकर, कुछ ही समय में दूसरा रोग उभार देती है। अतः अगर सर्वसाधारण जन इन दवाइयों की गुलामी से बचकर, अपना आहार शुद्ध, रहन-सहन नियमित, विचार उदार तथा व्यवहार प्रेममय बनायें रखें तो वे सदा स्वस्थ, सुखी, संतुष्ट एवं प्रसन्न बने रहेंगे। आदर्श आहार-विहार और विचार-व्यवहार ये चहुँमुखी सुख-समृद्धि की कुंजियाँ हैं।


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Thursday, May 9, 2024

परशुरामजी कौन थे आज भारत को उनकी आवश्यकता क्यों है ???

9  May 2024

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🚩भगवान परशुरामजी का जन्म भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इन्द्र के वरदान स्वरूप पत्नी क्षत्राणी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को हुआ था। वे भगवान विष्णु के छठे अंशावतार थे। पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम, जमदग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु धारण किये रहने के कारण वे परशुरामजी कहलाये।


🚩शक्तिधर परशुरामजी का चरित्र एक ओर जहाँ शक्ति के केन्द्र सत्ताधीशों को त्यागपूर्ण आचरण की शिक्षा देता है वहीं दूसरी ओर वह शोषित, पीड़ित, क्षुब्ध जनमानस को भी उसके शक्ति और सामर्थ्य का एहसास दिलाता है। शासकीय दमन के विरूद्ध वह क्रान्ति का शंखनाद है। उनका जीवन सर्वहारा वर्ग के लिए अपने न्यायोचित अधिकार प्राप्त करने की मूर्तिमंत प्रेरणा भी देता है। वह राजशक्ति पर लोकशक्ति का विजयघोष है।


🚩आज स्वतंत्र भारत में सैकड़ों-हजारों सहस्रबाहु देश के कोने-कोने में विविध स्तरों पर सक्रिय हैं। ये लोग कहीं साधु-संतों की हत्या करते हैं, अपमानित करते हैं या कहीं न कहीं न्याय का आडम्बर करते हुए भोली जनता को छल रहे हैं; कहीं उसका श्रम हड़पकर अबाध विलास में ही राजपद की सार्थकता मान रहे हैं, तो कहीं अपराधी माफिया गिरोह खुलेआम आतंक फैला रहे हैं। तब असुरक्षित जन-सामान्य की रक्षा के लिए आत्म-स्फुरित ऊर्जा से भरपूर व्यक्तियों के निर्माण की बहुत आवश्यकता है। इसकी आदर्श पूर्ति के निमित्त परशुरामजी जैसे प्रखर व्यक्तित्व विश्व इतिहास में विरले ही हैं। इस प्रकार परशुरामजी का चरित्र शासक और शासित दोनों स्तरों पर प्रासंगिक है।


🚩शस्त्र शक्ति का विरोध करते हुए अहिंसा का ढोल चाहे कितना ही क्यों न पीटा जाये, उसकी आवाज सदा ढोल के पोलेपन के समान खोखली और सारहीन ही सिद्ध हुई है। उसमें ठोस यथार्थ की सारगर्भितता कभी नहीं आ सकी।


🚩सत्य,हिंसा और अहिंसा के संतुलन बिंदु पर ही केन्द्रित है। कोरी अहिंसा और विवेकहीन पाशविक हिंसा- दोनों ही मानवता के लिए समान रूप से घातक हैं। आज जब हमारे साधु-संत और राष्ट्र की सीमाएं असुरक्षित हैं; कभी कारगिल, कभी कश्मीर, कभी बांग्लादेश तो कभी देश के अन्दर नक्सलवादी शक्तियों के कारण हमारी अस्मिता का चीरहरण हो रहा है, तब परशुरामजी जैसे वीर और विवेकशील व्यक्तित्व के नेतृत्व की देश को आवश्यकता है।


🚩गत शताब्दी में कोरी अहिंसा की उपासना करने वाले हमारे नेतृत्व के प्रभाव से हम जरुरत के समय सही कदम उठाने में हिचकते रहे हैं। यदि सही और सार्थक प्रयत्न किया जाए तो देश के अन्दर से ही प्रश्न खड़े होने लगते हैं।


🚩परिणाम यह है,कि हमारे तथाकथित बुद्धिजीवियों और व्यवस्थापकों की धमनियों का रक्त इतना ठंडा हो गया,कि देश की जवानी को व्यर्थ में ही कटवाकर भी वे आत्मसंतोष और आत्मश्लाघा का ही अनुभव होता है।अपने नौनिहालों की कुर्बानी पर वे गर्व अनुभव करते हैं।उनकी वीरता के गीत तो गाते हैं,किन्तु उनके हत्यारों से बदला लेने के लिए उनका खून नहीं खौलता! प्रतिशोध की ज्वाला अपनी चमक खो बैठी है। शौर्य के अंगार तथाकथित संयम की राख से ढंके हैं। शत्रु-शक्तियां सफलता के उन्माद में सहस्रबाहु की तरह उन्मादित हैं !


🚩…लेकिन आज परशुरामजी अनुशासन और संयम के बोझ तले मौन हैं।


🚩 राष्ट्रकवि दिनकर ने सन् 1962 ई. में चीनी आक्रमण के समय देश को ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ शीर्षक से ओजस्वी काव्यकृति देकर सही रास्ता चुनने की प्रेरणा दी थी। युग चारण ने अपने दायित्व का सही-सही निर्वाह किया। किन्तु राजसत्ता की कुटिल और अंधी स्वार्थपूर्ण लालसा ने हमारे तत्कालीन नेतृत्व के बहरे कानों तक उसकी पुकार ही नहीं आने दी। पांच दशक बीत गये। इस बीच एक ओर साहित्य में परशुराम के प्रतीकार्थ को लेकर समय पर प्रेरणाप्रद रचनाएं प्रकाश में आती रहीं और दूसरी ओर सहस्रबाहु की तरह विलासिता में डूबा हमारा नेतृत्व राष्ट्र-विरोधी षड़यंत्रों को देश के भीतर और बाहर दोनों ओर पनपने का अवसर देता रहा।


🚩परशुरामजी पर केन्द्रित साहित्यिक रचनाओं के संदेश को व्यावहारिक स्तर पर स्वीकार करके हम साधारण जनजीवन और राष्ट्रीय गौरव की रक्षा कर सकते हैं।


🚩महापुरूष किसी एक देश, एक युग, एक जाति या एक धर्म के नहीं होते। वे तो समूचे राष्ट्र की, सम्पूर्ण मानवता की, समस्त विश्व की, विभूति होते हैं। उन्हें किसी भी सीमा में बाँधना ठीक नहीं। दुर्भाग्य से हमारे यहां स्वतंत्रता में महापुरूषों को स्थान, धर्म और जाति की बेड़ियों में जकड़ा गया है। विशेष महापुरूष , वर्ग-विशेष के द्वारा ही सत्कृत हो रहे हैं। एक समाज विशेष ही विशिष्ट व्यक्तित्व की जयंती मनाता है। अन्य जन उसमें रूचि नहीं दर्शाते, अक्सर ऐसा ही देखा जा रहा है। यह स्थिति दुभाग्यपूर्ण है। महापुरूष चाहे किसी भीदेश, जाति, वर्ग, धर्म आदि से संबंधित हो, वो सबके लिए समान रूप से पूज्य व उनके आदर्श सभी के लिए अनुकरणीय होने ही चाहिए ।


🚩इस संदर्भ में भगवान परशुरामजी को, जो उपर्युक्त विडंबनापूर्ण स्थिति के चलते केवल ब्राह्मण वर्ग तक सीमित हो गए हैं, समस्त शोषित वर्ग के लिए प्रेरणा स्रोत क्रान्तिदूत के रूप में स्वीकार किया जाना समय की माँग है । भगवान परशुराम सभी शक्तिधरों के लिए संयम के अनुकरणीय आदर्श हैं ।


🚩भा माने -अध्यात्म

रत माने – उसमें रत रहने वाले

“जिस देश के लोग अध्यात्म में रत रहते हैं उसका नाम है भारत।”


🚩भारत की गरिमा सदा उसकी संस्कृति व साधु-संतों से ही रही है। भगवान भी बार-बार जिस धरा पर अवतरित होते आये हैं, वो भूमि भारत की भूमि है। किसी भी देश को माँ कहकर संबोधित नहीं किया जाता पर भारत को “भारत माता” कहकर संबोधित किया जाता है, क्योंकि यह देश आध्यात्मिकता का शिरोमणी देश है, संतों महापुरुषों का देश है। भौतिकता के साथ-साथ यहाँ आध्यात्मिकता को उससे कहीं अधिक बढ़कर ही महत्व दिया गया है। पर आज की पीढ़ी के पाश्चात्य कल्चर की ओर बढ़ते कदम इसकी गरिमा को भूलते चले जा रहे हैं; संतों महापुरुषों का महत्व, उनके आध्यात्मिक स्पन्दन भूलते जा रहे हैं।


🚩संत और समाज के बीच खाई खोदने में एक बड़ा वर्ग सक्रिय है। ईसाई मिशनरियां सक्रिय हैं, कुछ मीडिया सक्रिय है, विदेशी कम्पनियाँ सक्रिय हैं, विदेशी फण्ड से चलने वाले NGOs सक्रिय हैं, जिहादी सक्रिय हैं, कई राजनैतिक दल व नेता सक्रिय हैं; क्योंकि इनका उद्देश्य है- भारतीय संस्कृति को मिटाकर पश्चिमी सभ्यता लाने का जिससे विदेशी कंपनियों की प्रोडक्ट की बिक्री भारी मात्रा में होगी और धर्मान्तरण भी जोरों शोरों से होगा, फिर उनका वोटबैंक बढ़ जायेगा और देश को गुलामी की जंजीरों में जकड़ लेंगे।


🚩इतने सब वर्ग जब एक साथ सक्रिय होंगे तो किसी के भी प्रति गलत धारणाएं समाज के मन में उत्पन्न करना बहुत ही आसान हो जाता है और यही हो रहा है हमारे संत समाज के साथ।


🚩पिछले कुछ सालों से एक दौर ही चल पड़ा है हिन्दू संतों को लेकर। किसी संत की हत्या कर दी जाती है या किसी संत को झूठे केस में सालों जेल में रखा जाता है फिर विदेशी फण्ड से चलने वाली मीडिया उनको अच्छे से बदनाम करके उनकी छवि समाज के सामने इतनी धूमिल कर देती है कि समाज उन झूठे आरोपों के पीछे की सच्चाई तक पहुँचने का प्रयास ही नहीं करता।


🚩अब समय है कि समाज को जागना होगा- भारतीय संस्कृति व साधु-संतों के साथ हो रहे अन्याय को समझने के लिए। अगर अब भी हिन्दू मूक – दर्शक बनकर देखता रहा तो हिंदुओं का भविष्य खतरे में है। इसलिए आज के समय में भगवान परशुराम की आवश्कता है।


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Wednesday, May 8, 2024

अक्षय तृतीया के बारे में, ये महत्वपूर्ण बातें जानोगे तो चमका देगी भाग्य

8 May 2024

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🚩अक्षय तृतीया पर्व इस वर्ष 10 मई 2024 शुक्रवार को  मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान हैं।


🚩अक्षय तृतीया में पूजा, जप-तप, दान स्नानादि शुभ कार्यों का विशेष महत्व तथा फल रहता है। इस तिथि का जहाँ धार्मिक महत्व है, वहीं यह तिथि व्यापारिक रौनक बढ़ाने वाली भी मानी गई है।


🚩यह दिन सौभाग्य और सफलता का सूचक है। इस दिन को ‘सर्वसिद्धि मुहूर्त दिन’ भी कहते है, क्योंकि इस दिन शुभ काम के लिये पंचांग देखने की ज़रूरत नहीं होती है।


🚩भगवान विष्णु के नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था।


🚩भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है, सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है।


🚩 इस दिन श्री बद्रीनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन किए जाते हैं। प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के कपाट भी इसी तिथि से ही पुनः खुलते है।


🚩वृन्दावन स्थित श्री बाँके बिहारी जी मन्दिर में भी केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं, अन्यथा वे पूरे वर्ष वस्त्रों से ढके रहते हैं।


🚩इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था और द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ था। ऐसी मान्यता है कि इस दिन से प्रारम्भ किए गए कार्य अथवा इस दिन को किए गए दान का कभी भी क्षय नहीं होता।


🚩इस दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरीत हुई थीं। राजा भागीरथ ने गंगा को धरती पर अवतरित कराने के लिए हजारों वर्ष तक तप कर उन्हें धरती पर लाए थे। इस दिन पवित्र गंगा में डूबकी लगाने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।


🚩 इस दिन मां अन्नपूर्णा का जन्मदिन भी मनाया जाता है। इस दिन गरीबों को खाना खिलाया जाता है और भंडारे किए जाते हैं। मां अन्नपूर्णा के पूजन से रसोई तथा भोजन में स्वाद बढ़ जाता है।


🚩अक्षय तृतीया के अवसर पर ही म‍हर्षि वेदव्‍यास जी ने महाभारत लिखना शुरू किया था। महाभारत को पांचवें वेद के रूप में माना जाता है। इसी में श्रीमद्भागवत गीता भी समाहित है। अक्षय तृतीया के दिन श्रीमद्भागवत गीता के 18 वें अध्‍याय का पाठ करना चाहिए।


🚩 बंगाल में इस दिन भगवान गणेशजी और माता लक्ष्मीजी का पूजन कर सभी व्यापारी अपना लेखा-जोखा (ऑडिट बुक) की किताब शुरू करते हैं। वहां इस दिन को ‘हलखता’ कहते हैं।


🚩 भगवान शंकरजी ने इसी दिन भगवान कुबेर माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने की सलाह दी थी। जिसके बाद से अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और यह परंपरा आज तक चली आ रही है।


🚩अक्षय तृतीया के दिन ही पांडव पुत्र युधिष्ठर को अक्षय पात्र की प्राप्ति भी हुई थी। इसकी विशेषता यह थी कि इसमें कभी भी भोजन समाप्त नहीं होता था।


🚩अक्षय तृतीया के दिन शुभ कार्य करने का विशेष महत्व है। अक्षय तृतीया के दिन कम से कम एक गरीब को अपने घर बुलाकर सत्‍कार पूर्वक उन्‍हें भोजन अवश्‍य कराना चाहिए। गृहस्‍थ लोगों के लिए ऐसा करना जरूरी बताया गया है। मान्‍यता है कि ऐसा करने से उनके घर में धन धान्‍य में अक्षय बढ़ोतरी होती है।


🚩अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर हमें धार्मिक कार्यों के लिए अपनी कमाई का कुछ हिस्‍सा दान करना चाहिए। ऐसा करने से हमारी धन और संपत्ति में कई गुना इजाफा होता है।


🚩वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को रेणुका के गर्भ से भगवान विष्णु ने परशुराम रूप में जन्म लिया। वैसे तो देशभर में परशुराम जयंती मनाते है पर,कोंकण और चिप्लून के परशुराम मंदिरों में इस तिथि को परशुराम जयन्ती बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। दक्षिण भारत में परशुराम जयन्ती को विशेष महत्व दिया जाता है,इस दिन परशुराम जी की पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का बड़ा माहात्म्य माना गया है।


🚩एक कथा के अनुसार परशुराम की माता और विश्वामित्र की माता के पूजन के बाद प्रसाद देते समय ऋषि ने प्रसाद बदल कर दे दिया था। जिसके प्रभाव से परशुराम ब्राह्मण होते हुए भी क्षत्रिय स्वभाव के थे और क्षत्रिय पुत्र होने के बाद भी विश्वामित्र ब्रह्मर्षि कहलाए।


🚩सौभाग्यवती स्त्रियाँ और कुंवारी कन्याएँ इस दिन गौरी-पूजा करके मिठाई, फल और भीगे हुए चने बाँटती हैं, गौरी-पार्वती की पूजा करके धातु या मिट्टी के कलश में जल, फल, फूल, तिल, अन्न आदि लेकर दान करती हैं ।


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Tuesday, May 7, 2024

सुप्रीम कोर्ट ने जो कानून में बदलाव की सरकार से मांग की वे आपके लिए अति जरूरी हैं

8 May 2024

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🚩सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में महिला उत्पीड़न के झूठे आरोपों पर लगाम लगाने के लिए भारतीय न्याय संहिता में समुचित बदलाव करने पर केंद्र सरकार और विधायिका को फिर से विचार करने की बात कही है 


🚩संसद से पास हुए और चीफ जस्टिस की तारीफ से सराबोर तीन नए आपराधिक कानून देश भर में पहली जुलाई से लागू होने वाले हैं। लेकिन संसद से इनकी मंजूरी के चार महीने बाद और लागू होने से दो महीने पहले ही भारतीय न्याय संहिता के एक अहम प्रावधान पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर सवाल उठाया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में महिला उत्पीड़न के झूठे आरोपों पर लगाम लगाने के लिए भारतीय न्याय संहिता में समुचित बदलाव करने पर केंद्र सरकार और विधायिका को फिर से विचार करने की बात कही है।


🚩धारा 85 और 86 में बदलाव पर विचार


🚩जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने अपने एक फैसले में कहा कि केंद्र झूठी शिकायतें दर्ज कराए जाने की लगातार बढ़ती प्रवृत्ति को रोकने के लिए भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 85 और 86 में जरूरी बदलाव करने पर वक्त रहते विचार और सुधार करे। यानी ये नए कानून लागू होने से पहले ही इस पर विचार हो जाए तो बेहतर होगा।


🚩'संवेदनशील मुद्दों पर गौर करे विधायिका...'


🚩कोर्ट ने कहा कि ये धाराएं हू-ब-हू आईपीसी की धारा 498 (ए) जैसी ही है। फर्क बस यह है कि धारा 498 (ए) का स्पष्टीकरण भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 86 में दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि हम विधायिका से गुजारिश करते हैं कि वह हकीकत के मद्देनजर इस संवेदनशील मुद्दे पर गौर करे। भारतीय न्याय संहिता, 2023 के लागू होने से पहले धारा 85 और 86 में जरूरी बदलाव होना चाहिए।


🚩जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि वह भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 85 और 86 पर गौर कर रही है। कोर्ट ने रजिस्ट्री को इस फैसले की एक-एक कॉपी केंद्रीय विधि सचिव और गृह सचिव को भेजने का निर्देश दिया है। यही दोनों इस पर अपनी अनुशंसा और टिप्पणी के साथ इसे विधि और न्याय मंत्री के साथ-साथ गृह मंत्री के समक्ष रखेंगे।


🚩नए कानून की धारा 85 और 86 में क्या कहा गया है?


🚩BNS की धारा 85 में कहा गया है कि अगर महिला का पति या पति का रिश्तेदार उसके साथ क्रूरता करेगा, तो अपराध सिद्ध होने पर उसे तीन साल तक जेल की सजा दी जाएगी। साथ ही उस पर नकद जुर्माना भी लगाया जाएगा। इस प्रावधान के साथ बीएनएस की धारा 86 "क्रूरता" की परिभाषा विस्तृत व्याख्या के साथ बताती है। इसमें पीड़ित महिला को मानसिक और शारीरिक, दोनों तरह से होने वाले नुकसान शामिल हैं।


🚩पीठ ने कहा कि उसने 14 साल पहले केंद्र से दहेज विरोधी कानून यानी IPC की धारा 498ए पर फिर से विचार करने के लिए कहा था, क्योंकि बड़ी संख्या में दहेज प्रताड़ना की शिकायतों में घटना को बढ़ा-चढ़ाकर बताया जाता रहा है।


🚩कोर्ट ने यह सुझाव क्यों दिया?


🚩अदालत ने ये बातें एक महिला द्वारा अपने पति के खिलाफ दायर दहेज-उत्पीड़न के मामले को रद्द करते हुए कही हैं। पीड़ित पत्नी की तरफ से दर्ज कराई गई FIR के मुताबिक, पति और उसके परिवार के सदस्यों ने कथित तौर पर दहेज की मांग की और उसे मानसिक और शारीरिक नुकसान पहुंचाया। जबकि पीड़ित महिला के परिवार ने शादी के वक्त बड़ी रकम खर्च की थी। उसका "स्त्रीधन" भी पति और उसके परिवार को सौंप दिया था लेकिन शादी के कुछ वक्त बाद ही पति और उसके परिवार ने उसे झूठे बहाने से परेशान करना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि वह एक पत्नी और घर की बहू के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल रही है। इसकी आड़ में उस पर अपने मायके से और ज्यादा दहेज लाने के लिए दबाव भी डाला जाता रहा।


🚩बेंच ने कहा कि FIR और चार्जशीट यह इशारा करती है कि महिला के आरोप काफी अस्पष्ट, सामान्य और व्यापक हैं। साथ ही उनमें आपराधिक आचरण का कोई उदाहरण भी नहीं दिया गया है। पहली जुलाई को लागू होने के लिए प्रस्तावित इन तीनों कानूनी संहिताओं को पिछले साल 21 दिसंबर को संसद की मंजूरी मिल गई थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को इनको अपनी सहमति देते हुए हस्ताक्षर भी कर दिए थे। स्त्रोत: आजतक 


🚩सुप्रीम कोर्ट ने झूठे केस दर्ज के बारे में चिंता जाहिर किया वे भारत की जनता के हित में है, आजकल बदला लेने, पैसा ऐठने अथवा साजिश के तहत जेल भेजने के लिए महिला सुरक्षा कानूनों का भयंकर दुरुपयोग हो रहा है, इससे समाज को काफी नुकसान हो रहा है, जिस निर्दोष पुरूष को जेल भेजा जाता हैं उनकी मां, बहन, बेटी, पत्नी और पुरा परिवार परेशान होता है है इसलिए समाज के हित के लिए जूठे केस दर्ज करने वालो पर कड़ी कार्यवाही का भी कानून होना चाहिए जिससे समानता बनी रहे नहीं तो फिर एक के बाद एक निर्दोष पुरूष फंसते जाएंगे।


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Monday, May 6, 2024

हिंदू नेताओं की गर्दन काट दो , पाकिस्तान से मौलवी को मिली सुपारी, किया गिरफ्तार

7 May 2024

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🚩गुजरात पुलिस ने शनिवार (4 मई 2024) को सूरत से एक मौलवी को गिरफ्तार किया है। मौलवी का नाम सोहेल अबू बकर तिमोल है। 27 वर्षीय मौलवी पर भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा, हैदराबाद के गोशमहल से भाजपा विधायक टी राजा सिंह, सुदर्शन न्यूज़ के प्रधान सम्पादक सुरेश चव्हाणके और सोशल मीडिया पर सक्रिय उपदेश राणा की हत्या की साजिश रचने का आरोप है। मौलवी इन सभी को ‘गुस्ताख़’ मानता था। इन साजिशों को अंजाम देने के लिए सोहेल नेपाल और पाकिस्तान में बैठे आकाओं के सम्पर्क में था। सुरक्षा एजेंसियों से बचने के लिए वह विदेशी सिम भी प्रयोग कर रहा था। फिलहाल उससे पूछताछ में और खुलासे होने की उम्मीद है।


🚩गुजरात पुलिस के मुताबिक लोकसभा चुनाव 2024 के तहत पुलिस टीमें पूरी तरह से सतर्क थीं। इसी बीच सूरत की क्राइम ब्रांच ने एक मौलवी की संदिग्ध हरकतों पर नजर गड़ाई। मौलवी का नाम मोहम्मद सोहेल है, जिसे कुछ लोग अबू बकर तीमोल भी कहते हैं। वह मूल रूप से महाराष्ट्र के नंदुरबार का रहने वाला है। फिलहाल वह सूरत के एक मदरसे में हाफ़िज़ है और करजा-अम्बोली गाँव में मुस्लिम छात्रों को ट्यूशन के माध्यम से मज़हबी तालीम देता है। इन सभी के अलावा अबू बकर सूरत के डायमंड नगर की एक धागा फैक्ट्री में मैनेजर के तौर पर भी ड्यूटी करता है।


🚩पुलिस ने मौलवी की जाँच की तो पाया कि वह पिछले डेढ़ साल से पाकिस्तान और नेपाल के हैंडलरों के सम्पर्क में था। नेपाल के हैंडलर का नाम शहजाद बताया जा रहा है। इन सभी से बात करने के लिए मौलवी अबू बकर लाओस देश के एक नंबर का इस्तेमाल करता था। बातचीत के लिए वह व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया हैंडलों का प्रयोग करता था।


🚩आरोप है कि दोनों विदेशी आकाओं ने मौलवी को भारत में हिन्दू संगठनों द्वारा इस्लाम के पैगंबर के अपमान की पट्टी पढ़ाई। मौलवी को उसके आकाओं ने फरमान सुनाया कि वह नबी की शान में गुस्ताखी कर रहे लोगों को ‘सीधा करे’। यहाँ सीधा करने के कोड का अर्थ ‘हत्या करना’ माना जा रहा है।


🚩व्हाट्सएप ग्रुप में इंडोनेशिया से कजाकिस्तान के मेंबर

टारगेट के तौर पर विदेशी आकाओं ने मौलवी अबू बकर को सुदर्शन न्यूज़ के प्रधान सम्पादक सुरेश चव्हाणके, भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा, सनातन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपदेश राणा और हैदराबाद के गोशमहल से भाजपा विधायक टी राजा सिंह के नाम गिनाए। इन लोगों की हत्या कमलेश तिवारी की तरह गर्दन काट कर करने को कहा गया था। इन हत्याओं की एवज में मौलवी को 1 करोड़ रुपए देने का वादा भी किया गया था। बताया यह भी जा रहा है कि विदेशी आकाओं के कहने पर मौलवी ने अपना एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया और उसमें अपनी सोच के लोगों को एड किया।


🚩इस ग्रुप में मौलवी ने हिन्दू धर्म के खिलाफ अभद्र बातें लिखीं और उपदेश राणा की फोटो शेयर करके उनका काम तमाम करने की अपील की। अबू बकर पर भारत के राष्ट्रीय ध्वज के चित्रों से छेड़छाड़ करने का भी आरोप है। वह 6 दिसंबर को काला दिवस कहता था। अपने ग्रुप में वह हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीरें को आपत्तिजनक तरीके से एडिट करके शेयर कर रहा था। माना यह भी जा रहा है कि उसका सम्पर्क पाकिस्तान और नेपाल के अलावा वियतनाम, इंडोनेशिया, कजाकिस्तान आदि के नंबरों से भी सामने आया है।


🚩मौलवी अबू बकर विदेशी हैंडलरों के माध्यम से हथियार मँगवाने की भी फिराक में था। हालाँकि आरोपित अपनी साजिश को अंजाम दे पाता, उससे पहले वह सूरत क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़ गया। अबू बकर के खिलाफ सूरत के डी.सी.बी. पुलिस स्टेशन में IPC की धारा 153(ए), 467, 468, 471, 120(बी) के साथ आईटी एक्ट की धारा धारा 66(डी), 67, 67(ए) के तहत कार्रवाई की गई है। सूरत क्राइम ब्राँच मामले की जाँच कर रही है। माना जा रहा है कि आगे की पूछताछ में अबू बकर कुछ और खुलासे कर सकता है।


🚩ओवैसी का फॉलोवर, सलमान का फैन और हमास का प्रेमी

ऑपइंडिया ने मौलवी अबू बकर और उसके हैंडलरों की पड़ताल की। गिरफ्तार मौलवी ने अपने व्हाट्सएप पर हमास के आतंकियों की प्रोफ़ाइल फोटो लगा रखी है। इन तस्वीरों में कई नकाबपोश आतंकी घातक हथियारों के आगे खड़े होकर सजदा कर रहे हैं। टूटी-फूटी अंग्रेजी में मौलवी अबू बकर ने अपने ट्रू कॉलर पर परिचय के तौर पर ओवैसी का फॉलोवर लिख रखा है।


🚩मौलवी की ट्रू कॉलर और व्हाट्सएप प्रोफ़ाइल फोटो

वहीं नेपाल में बैठा मौलवी का हैंडलर शहजाद बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान का फैन है। उसने अपने व्हाट्सएप DP पर सलमान खान और ऐश्वर्या राय की प्रोफ़ाइल लगा रखी है।



🚩मौलवी के नेपाली आका के व्हाट्सएप का प्रोफ़ाइल फोटो

साजिश रचने में ऐप का इस्तेमाल

मौलवी द्वारा ऑपरेट किए जा रहे व्हाट्सएप ग्रुप की पड़ताल में भी पुलिस जुटी है। सूरत के पुलिस कमिश्नर अनुपम सिंह गहलोत ने बताया कि 27 वर्षीय मौलवी को सूरत के चौक बाजार इलाके से पकड़ा गया है। उन्होंने बताया कि मौलवी का मोबाइल चेक करके प्रथम दृष्टया ही पता चल गया था कि वह चरमपंथी विचारधारा से प्रेरित है। स्त्रोत ओप इंडिया 


🚩सूरत में ही रहने वाले उपदेश राणा को पिछले महीने मिली जान से मारने की धमकी में भी मौलवी अबू बकर का ही हाथ बताया जा रहा है। आरोपित कुछ ऐसे ऐप भी प्रयोग कर रहे थे, जिनको आसानी से ट्रेस नहीं किया जा सकता है। ये सभी अपने टारगेट की तस्वीरें और वीडियो अपने ग्रुप में डालते थे और उसकी हत्या की सामूहिक साजिश रचने में जुट जाते थे।


🚩हिंदू षड़यंत्र को समझे आपके हिस्से की लड़ाई लड़ने वाले हिन्दुनिष्ट लोगों को बदनाम करके झूठे केस में जेल भेजा जाता है अथवा उनकी हत्या कर दी जाती है, अतः उनका साथ देना बहुत जरूरी हैं नही तो एक के बाद एक की बारी करके सभी को खत्म कर दिया जाएगा।


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Sunday, May 5, 2024

आज के सभी पत्रकारों को इस लेख पढ़ना चाहिए, पत्रकारिता ऐसी होनी चाहिए

6 May 2024

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🚩भारतीय परम्पराओं में भरोसा करने वाले विद्वान मानते हैं कि देवर्षि नारद सम्पूर्ण और आदर्श पत्रकारिता के संवाहक थे। वे महज सूचनाएं देने का ही कार्य नहीं बल्कि सार्थक संवाद का सृजन करते थे।


🚩देवताओं, दानवों और मनुष्यों सबकी भावनाएं जानने का उपक्रम किया करते थे। जिन भावनाओं से लोकमंगल होता हो,ऐसी ही भावनाओं को जगजाहिर किया करते थे।


🚩इससे भी आगे बढ़कर देवर्षि नारद घोर उदासीन वातावरण में भी लोगों को सद्कार्य के लिए उत्प्रेरित करने वाली भावनाएं जागृत करने का अनूठा कार्य किया करते थे।


🚩दादा माखनलाल चतुर्वेदी के उपन्यास ‘कृष्णार्जुन युद्ध’ को पढ़ने पर ज्ञात होता है कि किसी निर्दोष के खिलाफ अन्याय हो रहा हो तो फिर वे अपने आराध्य भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण और उनके प्रिय अर्जुन के बीच भी युद्ध की स्थिति निर्मित कराने से नहीं चूकते । उनके इस प्रयास से एक निर्दोष यक्ष के प्राण बच गए ।

यानी पत्रकारिता के सबसे बड़े धर्म और साहसिक कार्य, किसी भी कीमत पर समाज को सच से रू-ब-रू कराने से वे पीछे नहीं हटते थे ।

सच का साथ उन्होंने अपने आराध्य के विरुद्ध जाकर भी दिया। यही तो है सच्ची पत्रकारिता, निष्पक्ष पत्रकारिता ।


🚩किसी के दबाव या प्रभाव में न आकर अपनी बात कहना। मनोरंजन उद्योग ने भले ही फिल्मों और नाटकों के माध्यम से उन्हें विदूषक के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया हो, लेकिन देवर्षि नारद के चरित्र का बारीकी से अध्ययन किया जाए तो ज्ञात होता है कि उनका प्रत्येक संवाद लोक कल्याण के लिए था। सिर्फ मूर्ख ही उन्हें कलहप्रिय कह सकते हैं ।


🚩नारद जी धर्माचरण की स्थापना के लिए ही सभी लोकों में विचरण करते थे । उनसे जुड़े सभी प्रसंगों के अंत में शांति, सत्य और धर्म की स्थापना का जिक्र आता है । स्वयं के सुख और आनंद के लिए वे सूचनाओं का आदान-प्रदान नहीं करते थे, बल्कि वे तो प्राणी-मात्र के आनंद का ध्यान रखते थे ।


🚩भारतीय परम्पराओं में भरोसा नहीं करने वाले ‘बुद्धिजीवी’ भले ही देवर्षि नारद को प्रथम पत्रकार, संवाददाता या संचारक न मानें, लेकिन पथ से भटक गई भारतीय पत्रकारिता के लिए आज नारद जी ही सही मायने में आदर्श हो सकते हैं ।


🚩भारतीय पत्रकारिता और पत्रकारों को अपने आदर्श के रूप में नारद जी को देखना चाहिए, उनसे मार्गदर्शन लेना चाहिए । मिशन से प्रोफेशन बनने पर पत्रकारिता को इतना नुकसान नहीं हुआ था जितना कॉरपोरेट कल्चर के आने से हुआ है ।


🚩पश्चिम की पत्रकारिता का असर भी भारतीय मीडिया पर चढ़ने के कारण समस्याएं आई हैं । स्वतंत्रता आंदोलन में जिस पत्रकारिता ने ‘एक स्वतंत्रता सेनानी’की भूमिका निभाई थी, वह पत्रकारिता अब धन्ना सेठों के कारोबारों की चौकीदार बनकर रह गई है ।


🚩पत्रकार इन धन्ना सेठों के इशारे पर कलम घसीटने को मजबूर महज मजदूर हैं। संपादक प्रबंधक हो गए हैं । उनसे लेखनी छीनकर, लॉबिंग की जिम्मेदारी पकड़ा दी गई है ।

आज कितने संपादक और प्रधान संपादक हैं जो नियमित लेखन कार्य कर रहे हैं…???

कितने संपादक हैं, जिनकी लेखनी की धमक है…???

कितने संपादक हैं, जिन्हें समाज में मान्यता है..???

‘जो हुक्म सरकारी, वही पकेगी तरकारी’ की कहावत को पत्रकारों ने जीवन में उतार लिया है।


🚩मालिक जो हुक्म संपादकों को देता है, संपादक उसे अपनी टीम तक पहुंचा देता है। तयशुदा ढांचे में पत्रकार अपनी लेखनी चलाता है।

अब तो किसी भी खबर को छापने से पहले संपादक ही मालिक से पूछ लेते हैं- ‘ये खबर छापने से आपके व्यावसायिक हित प्रभावित तो नहीं होंगे।’

खबरें कम विज्ञापन अधिक हैं ।


🚩‘लक्षित समूहों’ को ध्यान में रखकर खबरें लिखी और रची जा रही हैं। मोटी पगार की खातिर संपादक सत्ता ने मालिकों के आगे घुटने टेक दिए हैं। आम आदमी के लिए अखबारों और टीवी चैनल्स पर कहीं जगह नहीं है ।


🚩एक किसान की ‘पॉलिटिकल आत्महत्या’ होती है तो वह खबरों की सुर्खी बनती है। पहले पन्ने पर लगातार जगह पाती है। चैनल्स के प्राइम टाइम पर किसान की चर्चा होती है ।

लेकिन इससे पहले बरसों से आत्महत्या कर रहे किसानों की सुध कभी मीडिया ने नहीं ली। जबकि भारतीय पत्रकारिता की चिंता होनी चाहिए- अंतिम व्यक्ति ।


🚩आखिरी आदमी की आवाज दूर तक नहीं जाती, उसकी आवाज को बुलंद करना पत्रकारिता का धर्म होना चाहिए, जो है तो, लेकिन व्यवहार में ऐसा कहीं भी दिखता नहीं है।

पत्रकारिता के आसपास अविश्वसनीयता का धुंध गहराता जा रहा है। पत्रकारिता की इस स्थिति के लिए कॉरपोरेट कल्चर ही एकमात्र दोषी नहीं है। बल्कि पत्रकार बंधु भी कहीं न कहीं दोषी हैं।


🚩जिस उमंग के साथ वे पत्रकारिता में आए थे, उसे उन्होंने खो दिया। ‘समाज के लिए कुछ अलग’ और ‘कुछ अच्छा’ करने की इच्छा के साथ पत्रकारिता में आए युवा ने भी कॉरपोरेट कल्चर के साथ सामंजस्य बिठा लिया है।


🚩बहरहाल, भारतीय पत्रकारिता की स्थिति पूरी तरह खराब भी नहीं हैं । बहुत-से संपादक-पत्रकार आज भी उसूलों के पक्के हैं । उनकी पत्रकारिता खरी है। उनकी कलम बिकी नहीं है । उनकी कलम झुकी भी नहीं है ।

आज भी उनकी लेखनी आम आदमी के लिए है । लेकिन, यह भी कड़वा सच है कि ऐसे ‘नारद पत्रकारों’ की संख्या बेहद कम है। यह संख्या बढ़ सकती है ।

क्योंकि सब अपनी इच्छा से बेईमान नहीं हैं । सबने अपनी मर्जी से अपनी कलम की धार को कुंद नहीं किया है । सबके मन में अब भी ‘कुछ’करने का माद्दा है । वे आम आदमी,समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए लिखना चाहते हैं, लेकिन राह नहीं मिल रही है ।


🚩ऐसी स्थिति में देवर्षि नारद उनके आदर्श हो सकते हैं । आज की पत्रकारिता और पत्रकार नारद जी से सीख सकते हैं कि तमाम विपरीत परिस्थितियां होने के बाद भी कैसे प्रभावी ढंग से लोक कल्याण की बात कही जाए । 

पत्रकारिता का एक धर्म है-निष्पक्षता-

आपकी लेखनी तब ही प्रभावी हो सकती है जब आप निष्पक्ष होकर पत्रकारिता करें । पत्रकारिता में आप पक्ष नहीं बन सकते।


🚩हां, पक्ष बन सकते हो लेकिन केवल सत्य का पक्ष । भले ही नारद देवर्षि थे लेकिन वे देवताओं के पक्ष में नहीं थे। वे प्राणी मात्र की चिंता करते थे। देवताओं की तरफ से भी कभी अन्याय होता दिखता तो राक्षसों को आगाह कर देते थे।

देवता होने के बाद भी नारद जी बड़ी चतुराई से देवताओं की अधार्मिक गतिविधियों पर कटाक्ष करते थे, उन्हें धर्म के रास्ते पर वापस लाने के लिए प्रयत्न करते थे।


🚩नारद घटनाओं का सूक्ष्म विश्लेषण करते हैं, प्रत्येक घटना को अलग-अलग दृष्टिकोण से देखते हैं,इसके बाद निष्कर्ष निकाल कर सत्य की स्थापना के लिए संवाद सृजन करते हैं।


🚩आज की पत्रकारिता में इसकी बहुत आवश्यकता है। जल्दबाजी में घटना का सम्पूर्ण विश्लेषण न करने के कारण गलत समाचार जनता में चला जाता है।

बाद में या तो खण्डन प्रकाशित करना पड़ता है या फिर जबरन गलत बात को सत्य सिद्ध करने का प्रयास किया जाता है। आज के पत्रकारों को इस जल्दबाजी से ऊपर उठना होगा। कॉपी-पेस्ट कर्म से बचना होगा। जब तक घटना की सत्यता और सम्पूर्ण सत्य प्राप्त न हो जाए, तब तक समाचार बहुत सावधानी से बनाया जाना चाहिए।


🚩कहते हैं कि देवर्षि नारद एक जगह टिकते नहीं थे। वे सब लोकों में निरंतर भ्रमण पर रहते थे। आज के पत्रकारों में एक बड़ा दुर्गुण आ गया है, वे अपनी ‘बीट’ में लगातार संपर्क नहीं करते हैं। आज पत्रकार ऑफिस में बैठकर, फोन पर ही खबर प्राप्त कर लेता है। इस तरह की टेबल न्यूज अकसर पत्रकार की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न खड़ा करवा देती हैं।


🚩नारद जी की तरह पत्रकार के पांव में भी चक्कर होना चाहिए। सकारात्मक और सृजनात्मक पत्रकारिता के पुरोधा देवर्षि नारद को आज की मीडिया अपना आदर्श मान ले और उनसे प्रेरणा ले तो अनेक विपरीत परिस्थितियों के बाद भी श्रेष्ठ पत्रकारिता संभव है। आदि पत्रकार देवर्षि नारद ऐसी पत्रकारिता की राह दिखाते हैं, जिसमें समाज के सभी वर्गों का कल्याण निहित है।- लोकेन्द्र सिंह


🚩पत्रकारिता की तीन प्रमुख भूमिकाएं हैं…

1)सूचना देना,

2)शिक्षित करना,

3)और मनोरंजन करना।

महात्मा_गांधी ने हिन्द स्वराज में पत्रकारिता की इन तीनों भूमिकाओं को और अधिक विस्तार दिया है ।

लोगों की भावनाएं जानना और उन्हें जाहिर करना । लोगों में जरूरी भावनाएं पैदा करना । यदि लोगों में दोष है तो किसी भी कीमत पर बेधड़क होकर उनको दिखाना।


🚩आज मीडिया की भूमिका अहम है, लेकिन कुछ मीडिया सिर्फ ब्लैकमेलिंग का धंधा बनकर रह गई है वो भी हिन्दू संस्कृति को तोड़ने के लिए । आज की मीडिया देश, सनातन संस्कृति तोड़ने के लिए लगी हुई है ।


🚩लेकिन ऐसी मीडिया हाउस को ध्यान रखना चाहिए जो सनातन नहीं मिटा रावण की दुष्टता से, जो सनातन नही मिटा कंस की क्रूरता से वो सनातन क्या मिटेगा आज की कुछ बिकाऊ मीडिया से ।


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तुम (हिंदू) 30%, हम (मुस्लिम) 70%… 2 घंटे में भागीरथी में बहा दूँगा’: विधायक हुमायूँ

4 May 2024

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🚩अखंड भारत भूमि सनातनियों की रही है लेकिन भारत को खंड खंड करना, भारत के सनातनियों को खत्म करना और भारत की संपत्ति हड़प करना और उसके ऊपर राज करना इसपर सदियों से भारत पर आक्रमण होते आए हैं। और वही सिलसिला आज भी जारी है, बस तरीके बदलते रहते हैं, इतने भयंकर साज़िश होने के बाद भी मुगलों और अंग्रेजों के समय जैसे हिंदू सो रहा था और मुट्ठीभर मुगल और अंग्रेज करोड़ो भारतीयों पर सैंकड़ों सालों तक राज किया वैसे आज भी हो रहा है फिर भी हिंदू जागरूक नही हो रहा है यह बड़ी दुखद बात हैं।


🚩लोकसभा चुनाव 2024 के तीसरे चरण के लिए मतदान की तैयारियों के बीच पश्चिम बंगाल के तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) विधायक हुमायूँ कबीर ने हिंदुओं को धमकी दी है। चुनाव प्रचार करने के दौरान हुमायूँ कबीर ने कहा है कि वह हिंदुओं को दो घंटे में भागीरथी नदी (गंगा) में डूबो देंगे। कबीर के इस बयान की जमकर आलोचना हो रही है।


🚩हुमायूँ कबीर भरतपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं। भरतपुर मुर्शिदाबाद जिले में आता है। बीते दिनों उन्होंने बहरामपुर से TMC के उम्मीदवार यूसुफ पठान के लिए भी चुनाव प्रचार किया था। इसके अलावा, वे पार्टी के कई उम्मीदवारों के प्रचार में शामिल हुए। एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने यह विवादित टिप्पणी की है। इसका वीडियो भी वायरल हो रहा है।


🚩चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए हुमायूँ कबीर ने कहा, “तुम लोग (हिंदू) 70 फीसदी हो और हम लोग भी 30 फीसदी हैं। यहाँ पर तुम काजीपाड़ा का मस्जिद तोड़ोगे और बाकी मुसलमान हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहेंगे, यह कभी नहीं होगा। भाजपा को मैं यह बता देना चाहता हूँ कि यह कभी भी नहीं होगा। अगर 2 घंटे के अंदर भागीरथी नदी में बहा न दिया तो मैं राजनीति छोड़ दूँगा।”

https://twitter.com/MeghUpdates/status/1785941695970070867?t=qxsJRpZCvR-Fc2527ahO3w&s=19


🚩बता दें कि पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी TMC ने लोकसभा चुनाव के लिए क्रिकेटर यूसुफ पठान को बहरामपुर से अपना उम्मीदवार बनाया है। इसके बाद हुमायूँ कबीर ने कहा था कि अगर पार्टी ने उम्मीदवार नहीं बदला तो वह बहरामपुर से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। कबीर ने कहा था कि दूसरे राज्य से किसी को लाकर कॉन्ग्रेस के अधीर रंजन चौधरी को नहीं हराया जा सकता है। 


🚩मुर्शिदाबाद जिला मुस्लिम बहुल है। यहाँ की कुल जनसंख्या में लगभग 75 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। यहाँ की अधिकांश आबादी बीड़ी बनाने के व्यवसाय से जुड़ी हुई है। मुर्शिदाबाद कभी बंगाल की राजधानी भी रही थी। यहाँ का हजारद्वारी महल इसके गौरवशाली अतीत का आईना है, फिर भी अधिकांश लोग गरीबी में जीने को मजबूर हैं।


🚩इसको लेकर भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने बंगाल सरकार पर हमला बोला है। शक्तिपुर में बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन में कबीर की टिप्पणी पर उन्होंने सोशल मीडिया साइट X पर लिखा, “मुर्शिदाबाद में हिंदू अल्पसंख्यक हैं। सिर्फ 28 प्रतिशत। अब यह उनके साथ किया जा रहा है। कल्पना कीजिए, अगर हिंदू बंगाल के बाकी हिस्सों में अल्पसंख्यक हो जाएँ तो क्या होगा।”


🚩उन्होंने आगे कहा, “पश्चिम बंगाल में तुष्टीकरण की राजनीति नए निचले स्तर पर पहुँच गई है। ममता बनर्जी को धन्यवाद। बंगाल में हिंदू अब दोयम दर्जे के नागरिकों से भी बदतर हैं। क्या वह इस विधायक को पार्टी से बाहर निकालने की हिम्मत करेगी? क्या वे बुद्धिजीवी, जो नियमित रूप से हिंदुओं के खिलाफ जहर फैलाते हैं, एक शब्द भी बोलने का साहस कर सकते हैं?”


🚩भारत में 9 राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो गया है , हिंदुओं को जगने का समय है, राष्ट्र और सनातन संस्कृति की रक्षा करने वालों को ही वोट देना चाहिए नही तो राष्ट्र और सनातन संस्कृति विरोधी आपको जीने नही देंगे बाद में बड़ा पछतावा होगा इसपर जातिवादी में बंटे हिंदुओं को गंभीरता से विचार करना चाहिए।


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