Friday, May 17, 2024

मौलाना बोला बंगाल की जमीन मुस्लिमों की, वक्फ बोर्ड देशभर में हड़प रही है जमीन

मौलाना बोला बंगाल की जमीन मुस्लिमों की, वक्फ बोर्ड देशभर में हड़प रही है जमीन 18 May 2024
https://azaadbharat.org 🚩पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक बंगाली मौलाना की वीडिया वायरल हुई थी। इस वीडियो में मौलाना दावा करता दिखाई दे रहा था कि बंगाल में इंच-इंच जमीन मुस्लिमों की है। वीडियो में सुनाई पड़ रहा था कि मौलाना कहता है- कलकत्ता हाईकोर्ट-मुस्लिमों की जमीन पर है, मुख्यमंत्री कार्यालय मुस्लिमों की जमीन पर है, कोलकाता एयरपोर्ट मुस्लिमों की जमीन पर है और ईडन गार्डन स्टेडियम तक मुस्लिमों की जमीन पर है। https://twitter.com/epanchjanya/status/1787425384092377529?t=IgTj0JqW1kjMvTNX1KR8yA&s=19 🚩मौलाना की इस छोटी सी वीडियो में कितनी सच्चाई है ये तो नहीं पता, लेकिन ये हकीकत जरूर है कि देश में वक्फ बोर्ड मजहबी जमींदार बनकर उभरा हुआ है। इन्होंने अपने हिस्से इतनी जमीन दिखाई हुई है कि सिर्फ देश में रेल और सेना के लोग ही इनके ऊपर आते हैं। आप खबरें उठाकर देख लीजिए आपको कभी वक्फ वाले मंदिर की संपत्ति पर अपना कब्जा बताते हुए मिलेंगे तो कभी कहेंगे पूरा का पूरा गाँव वक्फ की जमीन पर बसा है। 🚩इनकी कोई सीमा नहीं है कि ये कहाँ तक वक्फ जमीन का दावा कर दें। वैसे असल में वक्फ की जमीन का कॉन्सेप्ट ये था कि जो कोई मुस्लिम व्यक्ति अपनी संपत्ति को अल्लाह के नाम पर दान करना चाहेगा वो वक्फ के हिस्से आ जाएगी। अब इसी क्रम में ये वक्फ बोर्ड वाले अल्लाह के नाम पर इकट्ठा कितनी जमीन पर अपना दावा ठोंक दें इसकी कोई सीमा है ही नहीं। 🚩30 साल पहले वक्फ ने किया था कब्जा, फ्रॉड उजागर 🚩हालिया खबर आज सामने आई है जिसमें बताया गया है कि कैसे दशकों पहले सहारनपुर की नगर निगम की तीन हेक्टेयर जमीन पर वक्फ द्वारा फर्जीवाड़ा किया गया था। इस खुलासे के बाद कमिश्नर ने डीएम को पत्र लिखकर 1994 के आदेश को निरस्त कर भूमि को पहले की तरह अभिलेखित करने के आदेश जारी किए। ये आदेश पूरी पड़ताल के बाद दिए गए। बताया जा रहा है कि उक्त भूमि 1874 से नगर पालिका परिषद की थी लेकिन वर्ष 1994 में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सचिनव ने इस जमीन को वक्फ की जमीन में दर्ज करने के आदेश दे दिए थे। इसके बाद अन्य अधिकारियों ने इसका अनुपालन किया। साथ ही पूर्व में जिस पालिका के पास ये जमीन थी उन्हें अपना पक्ष रखने का कोई मौका भी नहीं मिला। इस तरह 3 हेक्टेयर की सरकारी जमीन को वक्फ अपने नाम कर गया। अब जब इस मामले में जाँच हुई है तो मंडलायुक्त ने जिलाधिकारी को निर्देश दिए कि ये जमीन वक्फ की नहीं है इसे सहारनपुर नगर निगम के नाम पूर्व की भाँति अभिलेखों में दर्ज करवाया जाए। 🚩ये सिर्फ कोई हालिया खबर नहीं है। 2022 में खबर आई थी कि वक्फ बोर्ड ने तमिलनाडु में हिंदुओं के गाँव पर कब्जा किया है जिसमें 1500 पुराना मंदिर भी बना हुआ। इसके अलावा हाल में जामा मस्जिद के पास बने सरकारी पार्कों को लेकर भी शिकायत आई थी कि उसे मस्जिद अपने काम में लेने लगा है, कोशिश करने पर भी वो उस जगह को नहीं छोड़ते। इससे पूर्व 2021 में बाराबंकी के कतुरीकला में वक्फ के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था जहाँ पता चला था कि जमीनें धोखाधड़ी से वक्फ के नाम की गई हैं। 🚩क्या है वक्फ बोर्ड और एक्ट 🚩गौरतलब है कि वक्फ की धोखेधड़ियों की खबरें आने से मीडिया में सवाल अक्सर उठता ही रहता है कि इस तरह कैसे कोई बोर्ड आम लोगों की संपत्ति पर कब्जा कर लेता है और अगर कर लेता है, या उसे अपने अंतर्गत दर्ज करा लेता है तो क्यों वो वापस नहीं हो सकती? इसके अलावा सवाल ये भी उठते हैं कि आखिर लोकतांत्रिक देश में ऐसा बोर्ड क्यों बनाया गया कि एक मजहब के नाम पर प्रॉपर्टी इकट्ठा की जाए… तो इन सारे सवालों का जवाब नेहरू काल से मिलता है। 🚩दरअसल, भारत में ‘वक्फ एक्ट’ की शुरुआत 1954 में नेहरू सरकार में हुई थी। इसके बाद 1964 में सेंट्रल वक्फ काउंसिल ऑफ इंडिया बना दिया गया। इसका काम केंद्रीय निकाय वक्फ अधिनियम, 1954 की धारा 9 (1) के प्रावधानों के तहत स्थापित विभिन्न राज्य वक्फ बोर्डों के तहत काम की देखरेख करने का था। साल 1995 में एक्ट में कुछ संशोधन हुए और इसे और मजबूती मिली। इन संशोधनों के बाद प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में वक्फ बोर्डों के गठन की अनुमति दी गई, जिसमें कुछ ऐसे बदलाव भी हुए जिनपर अक्सर विवाद होता रहता है। 🚩बता दें कि आज के समय में देश में एक सेंट्रल वक्फ काउंसिल और 32 स्टेट बोर्ड है। हर राज्य के अलग-अलग वक्फ बोर्ड होते हैं। इस बोर्ड का काम हर जकात में मिली संपत्ति की देखरेख करना होता है। वक्फ जकात में आई सारी संपत्ति को अल्लाह की संपत्ति मानता है और इससे जुड़ी हर कानूनी काम खुद संभालता है। चाहे इसे खरीदना हो या लीज पर देना। इसके अलावा एक बार अगर कोई संपत्ति इस बोर्ड के अधीन आ जाती है तो व्यक्ति उसे वापस नहीं ले सकती चाहे वो पहले उसी की क्यों न रही हो। वहीं वक्फ उसका जैसे चाहे वैसे इस्तेमाल कर सकता है। 🚩वक्फ बोर्ड के खिलाफ खड़े वकील अश्विनी उपाध्याय 🚩हाल में इस पर सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने भी ट्वीट किया था। उन्होंने मौलाना वाली वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए वक्त के मामले को उठाया था। साथ ही राहुल गाँधी के परिवार पर निशाना साधा था। अपने ट्वीट में उन्होंने कहा था, “परनाना ( जवाहरलाल नेहरू) ने वक्फ एक्ट बनाया दादी (इंदिरा गाँधी) ने वक्फ एक्ट को मजबूत किया पिता (राजीव गाँधी) ने वक्फ एक्ट को और मजबूत किया 1995 में पुराना कानून वापस और नया कानून 2013 में वक्फ बोर्ड को असीमित शक्ति दिया कॉन्ग्रेस ने भारत को बर्बाद करने के लिए 50 घटिया कानून बनाए हैं।” 🚩उन्होंने तो इस वक्फ बोर्ड को असंवैधानिक करार देने के लिए याचिका भी डाली थी लेकिन उसे कोर्ट ने यह कहकर खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से प्रभावित नहीं हुए। इस मामले में अश्विनी उपाध्याय साफ कहा था, “वक्फ के नाम से भारतीय संविधान में एक शब्द नहीं है। सरकार ने 1995 में वक्फ एक्ट बनाया और इसे मुस्लिमों का नाम कर दिया…। वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियाँ दे दी गईं। उन्हें ये अधिकार दे दिया गया है कि उनके सब धार्मिक संपत्तियों से जुड़े मामले ट्रिब्यूनल कोर्ट में जाएँगे। वो सवाल करते हैं कि देश में इतनी ट्रिब्यूनल कोर्ट नहीं है ऐसे में अगर वक्फ जाकर किसी की संपत्ति पर दावा ठोंकता है तो लोगों को दर-दर भटकना पड़ता है तब सुनवाई होती है जबकि बाकी धर्मों के मामले आराम से सिविल कोर्ट में सुन लिए जाते हैं।” 🚩वक्फ बन रहा तीसरा सबसे बड़ा जमींदार 🚩यहाँ आपको जानकर शायद हैरानी होगी कि वक्फ का कॉन्सेप्ट इस्लामी देशों तक में नहीं है। फिर वो चाहे तुर्की, लिबिया, सीरिया या इराक हो। लेकिन भारत में मुस्लिम तुष्टिकरण के चलते आज हालात ऐसे हैं कि इन्हें देश में तीसरा सबसे बड़ा जमींदार बताया जा रहा है। इनके पास अकूत संपत्ति है। अल्पसंख्यक मंत्रालय के अनुसार वक्फ बोर्ड के पास पूरे देश भर में 8,65,646 संपत्तियाँ पंजीकृत हैं। इनमें से 80 हजार से ज्यादा संपत्ति वक्फ के पास केवल बंगाल में हैं। इसके बाद पंजाब में वक्फ बोर्ड के पास 70,994, तमिलनाडु में 65,945 और कर्नाटक में 61,195 संपत्तियाँ हैं। देश के अन्य राज्यों में भी इस संस्थान के पास बड़ी संख्या में संपत्तियाँ हैं। 🔺 Follow on 🔺 Facebook https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/ 🔺Instagram: http://instagram.com/AzaadBharatOrg 🔺 Twitter: twitter.com/AzaadBharatOrg 🔺 Telegram: https://t.me/ojasvihindustan 🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg 🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Thursday, May 16, 2024

कोर्ट ने झूठे केस करने वाली लड़की को 1653 दिन की जेल और 6 लाख का जुर्माना लगाया

कोर्ट ने झूठे केस करने वाली लड़की को 1653 दिन की जेल और 6 लाख का जुर्माना लगाया 17 May 2024 https://azaadbharat.org
🚩महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून जरूरी है परंतु आज साजिश या प्रतिशोध की भावना से निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए बलात्कार के आरोप लगाकर कानून का भयंकर दुरुपयोग हो रहा है। 🚩निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए बलात्कार के नए कानूनों का व्यापक स्तर पर हो रहा इस्तेमाल आज समाज के लिए एक चिंतनीय विषय बन गया है । राष्ट्रहित में क्रांतिकारी पहल करने वाली सुप्रतिष्ठित हस्तियों, संतों-महापुरुषों एवं समाज के आगेवानों के खिलाफ इन कानूनों का राष्ट्र एवं संस्कृति विरोधी ताकतों द्वारा कूटनीतिपूर्वक अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है। 🚩बरेली की घटना 🚩2019 में बरेली में रहने वाली 15 साल की लड़की ने अजय कुमार पर दिल्‍ली ले जाकर दुष्‍कर्म करने का आरोप लगाया था। पुलिस ने पॉक्‍सो समेत कई धाराओं में केस दर्ज कर अजय को अरेस्‍ट कर लिया था। वह साढ़े चार सालों से जेल में बंद था। अब लड़की रेप के आरोप से मुकर गई है। 🚩यूपी के बरेली से एक ऐसी खबर आई है जो झूठे मुकदमों में फंसे निर्दोष युवकों के लिए नजीर बन सकती है। अदालत ने दुष्‍कर्म मामले में बयान से मुकरने वाली युवती को उतने ही दिन जेल में रहने की सजा सुनाई है जितने दिन तक आरोपी युवक कैद में रहा। साथ ही उस पर पांच लाख 88 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है जो निर्दोष को बतौर मुआवजा दिया जाएगा। कोर्ट ने सजा सुनाते हुए कड़ी टिप्‍पणी की है। अदालत ने कहा कि दुष्‍कर्म जैसे जघन्‍य अपराध में फंसाने के लिए युवती ने सुरक्षा के लिए बनाए गए कानून का दुरुपयोग किया। इस कानून के तहत आरोपी को आजीवन कारावास तक की सजा मिल सकती थी। 🚩अपर सेशन जज 14 ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि यह मामला अत्‍यंत गंभीर है। उन्‍होंने आरोपी युवक अजय उर्फ राघव को बाइज्‍जत बरी करने का आदेश दिया। झूठे मुकदमे की वजह से अजय को जेल में 1653 दिन (चार साल छह महीने और आठ दिन) बिताने पड़े। वह 2019 से आठ अप्रैल, 2024 तक जेल में रहा। जज ने आरोपी युवती को 1653 दिनों तक कैद की सजा सुनाई है। यह पूरा मामला 2019 का है। अजय कुमार पर आरोप लगा कि उन्‍होंने अपने साथ काम करने वाले सहयोगी की 15 साल की बहन का अपहरण कर रेप किया। नाबालिग ने पुलिस और कोर्ट को दिए बयान में बताया कि उसके साथ अजय ने दुष्‍कर्म किया। 🚩मां को नहीं पसंद था अजय और बड़ी बहन की नजदीकी' सरकारी वकील सुनील पांडेय ने बताया कि अजय कुमार के ऊपर पॉक्‍सो समेत कई धाराओं में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। नाबालिग ने कोर्ट को बयान दिया था कि अजय कुमार उसे दिल्‍ली लेकर गया और उसके साथ दुष्‍कर्म किया। चार साल बाद लड़की अपने बयान से मुकर गई और बताया कि अजय कुमार निर्दोष है। इस साल फरवरी में सुनवाई के दौरान लड़की ने बताया कि उसने अपनी मां के दबाव में आकर अजय पर झूठा आरोप लगाया था। अजय की उसकी बहन के साथ निकटता थी जो मां को पसंद नहीं था। लड़की की अब शादी हो चुकी है। उसके पति ने कोर्ट को बताया कि वह ट्रायल के चलते तंग आ चुका है। इसलिए उसकी पत्‍नी बयान बदलना चाहती है। 🚩जुर्माना न देने पर छह महीने और जेल में काटने पड़ेंगे सरकारी वकील सुनील पांडेय ने कहा कि लड़की के झूठ की वजह से एक निर्दोष व्‍यक्ति को जीवन के बहुमूल्‍य साढ़े चार साल जेल में बिताने पड़े। झूठी गवाही के आधार पर युवक को उम्रकैद की सजा हो सकती थी। आरोपी को जेल में रहने का कलंक झेलना पड़ा। कोर्ट ने झूठा बयान देने वाली लड़की को 1653 दिनों की सजा सुनाई है। पांच लाख 88 हजार का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना न देने पर उसे छह महीने और जेल में काटने होंगे। 🚩देश में ऐसे कई मामले है,आखिर कब तक इस देश में निर्दोष पुरुषों को झूठे केस में जेल में रहना पड़ेगा??? 🚩जनता की भारत सरकार से मांग है कि वे पुरुषों के लिए भी सुरक्षा के लिए कानून बनाये और निर्दोष पुरुषों को जल्द रिहा किया जाय 🔺 Follow on 🔺 Facebook https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/ 🔺Instagram: http://instagram.com/AzaadBharatOrg 🔺 Twitter: twitter.com/AzaadBharatOrg 🔺 Telegram: https://t.me/ojasvihindustan 🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg 🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Wednesday, May 15, 2024

करीना कपूर करवा चौथ की मजाक उड़ा रही थी अब बाइबिल पर फंस गई

करीना कपूर कर
वा चौथ की मजाक उड़ा रही थी अब बाइबिल पर फंस गई 
 16 May 2024
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 🚩बॉलीवुड ने फिल्मों और उसके संवादों के माध्यम से हिंदू समाज और उसकी संस्कृति का बड़े ही भद्दे ढंग से मजाक उड़ाया है। ये बात किसी फिल्म विशेष की नहीं, बल्कि एक दौर की है। हिंदू धर्म, उसके त्योहारों, उसके आचार-विचार, उसकी आस्था, उसकी मान्यता, उसके विश्वास से लेकर उसके अनुयायियों को बेहद फूहड़ता से दिखाने का जैसे फिल्मों में रिवाज सा चल पड़ा है। हालाँकि, किसी दूसरे समुदाय के साथ इस तरह का प्रयोग मुश्किल में डालने वाला होता है। 

 🚩दरअसल, बॉलीवुड अभिनेत्री एवं सैफ अली खान की बीवी करीना कपूर खान ने अपनी गर्भावस्था को लेकर एक पुस्तक लिखी है। उस पुस्तक के शीर्षक में उन्होंने बाइबिल शब्द का प्रयोग किया है। इसको लेकर ईसाई समाज के लोगों में रोष फैल गया। आखिरकार क्रिस्टोफर एंथनी नाम के एक वकील ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका डालकर अभिनेत्री के खिलाफ मामला दर्ज करने की माँग की है। 

 🚩इस मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने गुरुवार (9 मई 2024) को करीना कपूर खान को नोटिस जारी किया। वकील एंथनी ने फरवरी 2022 में अतिरिक्त सत्र न्यायालय द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का रुख किया था। अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने करीना के खिलाफ मामला दर्ज करने की माँग वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

 🚩याचिकाकर्ता ने कहा कि करीना ने अपनी किताब ‘करीना कपूर खान्स प्रेग्नेंसी बाइबिल‘ के शीर्षक में ‘बाइबिल’ शब्द का उपयोग करके ईसाई समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुँचाया है। इसलिए करीना कपूर खान के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की जानी चाहिए। करीना के अलावा याचिका के अन्य प्रतिवादी अमेज़ॅन ऑनलाइन शॉपिंग, जगरनॉट बुक्स और पुस्तक के सह-लेखक हैं। 

 🚩दरअसल, वकील एंथनी ने शुरू में जबलपुर के एक स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि करीना कपूर खान के कृत्य ने ईसाई समुदाय की भावनाओं को आहत किया है। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया था ‘पवित्र पुस्तक बाइबिल’ की तुलना अभिनेत्री की गर्भावस्था से नहीं की जा सकती है। हालाँकि, पुलिस ने मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया। 🚩इसके बाद वकील एंथनी ने मजिस्ट्रेट अदालत का रुख किया और इसी तरह की राहत की माँग करते हुए एक निजी शिकायत दर्ज कराई। हालाँकि, मजिस्ट्रेट ने भी इस आधार पर याचिका खारिज कर दी कि शिकायतकर्ता यह बताने में विफल रहा कि ‘बाइबिल’ शब्द के इस्तेमाल से ईसाई समुदाय की भावनाएँ कैसे आहत हुईं। 

 🚩इसके बाद एडवोकेट क्रिस्टोफर एंथनी ने अतिरिक्त सत्र न्यायालय का रुख किया, लेकिन वहाँ भी उन्हें राहत नहीं मिली और कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद क्रिस्टोफर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के दरवाजे पर पहुँचे। यहाँ पर हाई कोर्ट ने नोटिस जारी कर सात दिन में जवाब माँगा है। 

 🚩दरअसल, हिंदुओं के दिवाली के त्योहार, मंगलसूत्र-बिंदी, कन्यादान आदि पर बॉलीवुड वाले मज़ाक उड़ाते रहते हैं। हालाँकि, अपनी सहिष्णुता की वजह से हिंदू समाज चुप रह जाता है। वहीं, हिंदुओं की तरह वे दूसरे समाज का माखौल उड़ाने की कोशिश करते हैं तो उन्हें परेशानी भोगनी पड़ती है। चाहे वह किसी मुद्दे पर फिल्म बनानी हो या फिल्म का कोई दृश्य हो, गैर-हिंदू समुदाय बॉलीवुड को ऐसा करने की स्वतंत्रता नहीं देता है। इसके कई उदाहरण सामने आ चुके हैं। 

 🚩यही करीना कपूर हैं, जिन्होंने करवा चौथ का माखौल उड़ाया था। करीना कपूर ने एक बार कहा था, “जब बाकी औरतें भूखी रहेंगी, मैं खूब खाऊँगी। क्योंकि मुझे अपना प्यार साबित करने के लिए भूखे रहने की कोई भी जरूरत नहीं है।” नसीरुद्दीन शाह की बीवी रत्ना पाठक शाह ने भी इसे पिछड़ेपन से जोड़ दिया था। 🚩रत्ना पाठक ने कहा था, “एक बार मुझसे किसी ने पूछा था कि आप करवा चौथ का व्रत क्यों रखती। तो मैंने यही सोचा कि मैं क्या पागल हूँ क्या? ये बहुत ही अजीब है कि पढ़ी-लिखी महिलाएँ भी अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रख रही हैं।” उन्होंने यह भी कहा था कि इससे पता चलता है कि असहिष्णुता कितनी बढ़ गई है कि करवा चौथ तक का प्रश्न किया जाता है। 🔺 Follow on 🔺 Facebook https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/ 🔺Instagram: http://instagram.com/AzaadBharatOrg 🔺 Twitter: twitter.com/AzaadBharatOrg 🔺 Telegram: https://t.me/ojasvihindustan 🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg 🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Tuesday, May 14, 2024

रिपोर्ट में आया सामने : नेस्ले भारतीय बच्चों के लिए सेरेलेक में चीनी (Sugar) मिलाता है...

रिपोर्ट में आया सामने : नेस्ले भारतीय बच्चों के लिए सेरेलेक में चीनी (Sugar) मिलाता है...

15 May 2024


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  🚩खाने पीने के उत्पाद बनाने वाली कम्पनी नेस्ले के भारतीय समेत तमाम विकाशील या गरीब देशों के बच्चों पर दोहरे मानक सामने आ गए हैं। एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि नेस्ले भारतीय बच्चों के लिए बेचे जाने फूड सेरेलेक में मिठास के लिए चीनी जैसे उत्पाद मिलाती है जबकि यही काम यूरोप के बच्चों के लिए नहीं किया जाता। भारतीय बच्चों और यूरोपियन बच्चों के लिए बेंचे जानेवाले एक ही उत्पाद में इतना अंतर कैसे है? अब नेस्ले से इस बात का जवाब देते नहीं बन रहा है। अब भारत सरकार भी इस मामले का संज्ञान ले रही है। 

 🚩क्या है पूरा मामला❓ 

 🚩स्विटज़रलैंड के पब्लिक आई और इंटरनेशनल बेबीफूड एक्शन नेटवर्क (IBFAN) ने पूरे विश्व से नेस्ले के बच्चों के लिए बेंचें जाने वाले उत्पादों के सैंपल की जाँच की है। भारत समेत कई देशों में यह उत्पाद सेरेलेक के नाम से बेचा जाता है। यह उत्पाद छोटे बच्चों को खाने के रूप में दिया जाता है। फिलिपीन्स में बेचे जाने वाले इसी उत्पाद में प्रति खुराक में 7.3 ग्राम चीनी पाई गई। स्विटज़रलैंड समेत अन्य यूरोपियन देशों में बेंचे जाने वाले इन्हीं उत्पादों में बिलकुल भी चीनी नहीं थी। 

 🚩इस रिपोर्ट में बताया गया कि नेस्ले सेरेलेक के सभी उत्पादों में चीनी डाली जाती है। औसतन यह 4 ग्राम होती है। सबसे ज्यादा फ़िलीपीन्स के सैंपल में चीनी पाई गई। यूरोपियन बाजारों के सैंपल में चीनी नहीं मिली। भारत से लिए गए सैंपल की जाँच में भी बड़े खुलासे हुए। भारत में बिकने वाले सेरेलेक में औसतन हर खुराक में 3 ग्राम चीनी पाई गई है। यह भी बताया गया है कि चीनी इस उत्पाद में डाली गई लेकिन उसके विषय में डिब्बों पर स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया।

 🚩नेस्ले सेरेलेक सुगर रिपोर्ट में बताया गया है, “भारत में, जहाँ इस उत्पाद की बिक्री 2022 $250 मिलियन (लगभग ₹2000 करोड़) के पार थी, सभी सेरेलैक बेबीफूड में प्रति खुराक लगभग 3 ग्राम अतिरिक्त चीनी होती है। यही स्थिति अफ्रिका के मुख्य बाज़ार दक्षिण अफ़्रीका में भी है, जहाँ सभी सेरेलैक प्रति खुराक में 4 ग्राम या अधिक चीनी होती है।"

🚩सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दक्षिण अफ्रीका, बांग्लादेश और पाकिस्तान समेत तमाम देशों में भी नेस्ले ने यही किया। यह भी बताया गया कि इनमें से कुछ पैकेज पर इनमें चीनी होने की बात लिखी तक नहीं थी। इन उत्पादों में शहद के रूप में चीनी थी जिसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) मना करता है। 

 🚩नेस्ले का यह कदम बच्चों के लिए खतरनाक क्यों❓ इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों के खाने में छोटी उम्र से ही अधिक चीनी दिया जाना ठीक नहीं है। इससे उनमें मोटापा, ह्रदय सम्बंधित बीमारियाँ और कैंसर आदि का खतरा बढ़ा सकती हैं। इसके अलावा बच्चों के दाँतो पर भी चीनी का विपरीत प्रभाव पड़ता है। मिठास के लिए उत्पाद कम्पनियाँ उपयोग करती हैं, वह भी शुद्ध चीनी ना होकर अन्य मिठास वाले उत्पाद होते हैं। ऐसे में इनसे बचने की सलाह दी जाती है। https://twitter.com/OpIndia_in/status/1780931085095813555?t=XUYEICWvK7jsg05pf1JNxw&s=19 

 🚩औपनिवेशिक सोच का नतीजा 

 🚩नेस्ले के दोहरे मानकों पर सवाल उठाते हुए, जोहान्सबर्ग में विटवाटरसैंड विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य के प्रोफेसर और एक बाल रोग विशेषज्ञ करेन हॉफमैन ने पब्लिक आई से कहा, ”मुझे समझ में नहीं आता कि दक्षिण अफ्रीका बिकने वाले उत्पाद उन उत्पादों से अलग क्यों है जो विकसित देशों में बेचे जाते हैं। यह औपनिवेशीकरण का एक रूप है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। बच्चों के खाने में चीनी मिलाना भी एकदम सही नहीं है।” 

 🚩भारत में खाने-पीने की वस्तुओं की गुणवता का प्रमाणन करने वाली एजेंसी FSSAI ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है और पब्लिक आई की रिपोर्ट के बाद इस पर कार्रवाई करेगी। 🔺 Follow on 🔺 Facebook https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/ 🔺
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Monday, May 13, 2024

गजवा-ए-हिन्द के मिशन में कांग्रेसी तुष्टिकरण का हाथ, घटते हिन्दू और बढ़ते मुस्लिम

14  May 2024

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🚩हाल ही में एक रिसर्च सामने आया। 1950 से लेकर 2015 तक के आँकड़ों का अध्ययन किए जाने के बाद इसमें पता चला कि जहाँ देश में हिन्दुओं की जनसंख्या 7.82% घट गई है, वहीं मुस्लिमों की जनसंख्या में 43.15% का भारी इजाफा हुआ है। इस रिसर्च का मानना है कि भारत में विविधता के फलने-फूलने के लिए एक उचित माहौल है, जिस कारण ऐसा हुआ। प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) ने अपने सर्वे में ये जानकारी दी है। इसमें बताया गया है कि दुनिया भर में बहुसंख्यकों की आबादी घटने का ट्रेंड है।


🚩न सिर्फ हिन्दू, बल्कि जैन समाज के लोगों की जनसंख्या भी कम हुई है। जैन 0.45% से 0.36% हो गए हैं। 1950 में जहाँ हिन्दू 84.68% हुआ करते थे, वहीं अब 78.06% हो गए हैं। सिर्फ मुस्लिम ही नहीं, बल्कि ईसाइयों की जनसंख्या में भी इजाफा हुआ है। वो 5.38% बढ़ कर 2.24% से 2.36% हो गए हैं। सिख 1.24% से 1.85% हो गए हैं। पारसियों की संख्या जबरदस्त तरीके से घटी है। वो 85% घट कर 1950 में 0.03% से सीधे 0.004% हो गए हैं।


🚩इस रिसर्च पेपर में इस बात को भी इंगित किया गया है कि पड़ोसी मुल्कों में जहाँ बहुसंख्यक लगातार बढ़ रहे हैं, वहाँ के अल्पसंख्यकों ने संकट के समय भारत में शरण लिया। पाकिस्तान से भले ही बांग्लादेश कट कर अलग हो गया, लेकिन इसके बावजूद वहाँ इस अवधि में मुस्लिमों की जनसंख्या 10% बढ़ी। क्या मुस्लिमों की जनसंख्या बढ़ने को सचमुच विविधता का फलना-फूलना मान कर हमें जश्न मनाना चाहिए? नहीं, इतिहास तो ऐसा बिलकुल नहीं कहता है।


🚩हिन्दुओं की जनसंख्या बढ़ना खतरे की घंटी है, वहीं इसके साथ-साथ तेज़ी से मुस्लिमों की जनसंख्या बढ़ना और भी अधिक चिंता का विषय है। हमारे सामने उदाहरण है कि कैसे जिस भी इलाके में मुस्लिम प्रभावशाली होते चले जाते हैं, वहाँ वो अपने हिसाब से नियम-कानून चलाने लगते हैं, दूसरी परंपराओं की आस्था का वो सम्मान नहीं करते जिस कारण उन्हें पलायन के लिए विवश होना पड़ता है। गुजरात के सूरत में जैन समाज तो भरूच में हिन्दू समाज इसका निशाना बना।


🚩इसी को तो ‘लैंड जिहाद’ कहा जाता है – जहाँ भी बसो, अपने लोगों को बड़ी संख्या में बसाओ और शरिया चलाने लगो। सूरत के गोपीपुरा में कई जैन साध्वियाँ रहती थीं, लेकिन मुस्लिमों ने वहाँ फ़्लैट लेकर बकरियाँ काटनी शुरू कर दी। प्याज-लहसुन उनके घरों के बाहर छोड़ दिए जाते थे। भरूच के सोनी फलिया में मंदिर में आरती को ‘हराम’ बता कर रोक दिया गया। मुस्लिम अधिक दाम देकर संपत्ति खरीदते हैं, लालच में हिन्दू बेच कर निकल जाते हैं, फिर जो बचे-खुचे होते हैं वहाँ उनका रहना ही दूभर हो जाता है।


🚩बिहार में ही देख लीजिए। सीमांचल के जिलों में मुस्लिम जनसंख्या बढ़ी तो वहाँ स्कूलों में रविवार की जगह जुमा को शुक्रवार के दिन साप्ताहिक अवकाश रहने लगा। यानी, शासन-प्रशासन के भी नियम ये अपने इलाकों में बदल देते हैं। मस्जिद के सामने से हिन्दू शोभा यात्रा नहीं गुजर सकती, ‘इनके इलाके’ में हिन्दू DJ नहीं बजा सकते। हाँ, इनके मस्जिद दिन भर में 5 बार माइक से अजान दें तो उसे हर हिन्दू को विवश होकर सुनना पड़ेगा। हर हिन्दू पर्व-त्योहार में पत्थर इकट्ठा करने की इनकी परंपरा है।


🚩जम्मू कश्मीर में देखिए, कश्मीरी हिन्दुओं को वहाँ से भगा दिया गया, महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ और बड़ी संख्या में नरसंहार भी। इसके बाद पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने घाटी को बंधक बना लिया। भारत की आज़ादी के बाद से ही जवाहरलाल नेहरू ने अपने मित्र शेख अब्दुल्ला को खुली छूट दी, परिणाम ये हुआ कि वहाँ कट्टरपंथ बढ़ता गया, कई अलगाववादी पैदा हो गए। मोदी सरकार ने अनुच्छेद-370 और धारा-35A को निरस्त किया, जिसके बाद वहाँ स्थिति शांत हुई।


🚩आखिर मुस्लिमों की जनसंख्या बढ़ने के पीछे कारण क्या है? इसमें कॉन्ग्रेस पार्टी के तुष्टिकरण की राजनीति का हाथ नकारा नहीं जा सकता, क्योंकि इसी कॉन्ग्रेस के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला हक़ मुस्लिमों का है। उन्होंने 10 वर्षों तक शासन किया, सोचिए उनकी नीतियों का हिन्दुओं को कितना नुकसान हुआ होगा। सांप्रदायिक हिंसा को लेकर कॉन्ग्रेस एक बिल लेकर भी आई थी, जो अगर कानून बन जाता तो कहीं भी सांप्रदायिक दंगे होने पर हिन्दू समाज अपने-आप अपराधी घोषित कर दिया जाता और हिन्दू युवक जेल भेज दिए जाते।


🚩हिन्दुओं की जनसंख्या घटने को हम ‘बहुसंख्यकों की जनसंख्या घटना’ कह कर शुभ संकेत की तरह क्यों लें? ये देश हिन्दुओं का है। ये देश सनातन का है, यहाँ हिन्दू धर्म से ही बौद्ध, जैन और सिख जैसे संप्रदाय निकले और फिर वापस समाहित की छाया में ही समाहित हो गए। इस्लाम तो बाहर से आया, हिंसा और धोखेबाजी का सहारा लेकर यहाँ के लोगों को बड़े पैमाने पर धर्मांतरित किया गया। कभी किसी फकीर ने ‘चमत्कार’ दिखाया, कभी किसी बादशाह ने जजिया कर लगाया।


🚩भारत में अगर इस्लाम का प्रसार शांति से हुआ होता तो कोई दिक्कत की बात नहीं थी। कोई विचारधारा, जो हमारे देश की भूमि की सोच से मेल खाती ही नहीं है, वो बाहर से आकर यहाँ के मूलनिवासियों पर अपना आधिपत्य जमाने लगे तो इसमें खुश होने वाली कौन सी बात है? भारत में पहला बड़ा हमला करने वाला इस्लामी मुहम्मद बिन कासिम था, जिसने यहाँ की महिलाओं को सेक्स स्लेव बना कर अरब के बाजारों में भिजवाया, ये सोच तो भारत भूमि की नहीं हो सकती।


🚩दुर्रानी साम्राज्य ने सिखों का सिर काट कर लाने पर इनाम रखा। अयोध्या, मथुरा और काशी से लेकर अनंतनाग तक मंदिर तोड़े गए, जबरन उन अवशेषों से मस्जिदें बनाई गईं। हिन्दू राजाओं के किलों में जाने वाली नहरों में गोमांस फेंके गए। कभी कोई नादिर शाह दिल्ली को लूट ले गया, कभी कोई अहमदशाह अब्दाली आ धमका। आज भी जानबूझकर गोहत्या की जाती है, हिन्दुओं को भड़काने के लिए। सोच वही है, सिर्फ पीढ़ियाँ बदली हैं। आज भी तो खलीफा के शासन के लिए आतंकी हमले किए जाते हैं।


🚩भारत में PFI के एक बड़ा नेटवर्क सक्रिय था, जिसे प्रतिबंधित किया गया। उससे पहले SIMI हुआ करता था। इनका एक ही लक्ष्य था – भारत में इस्लामी शासन की स्थापना। PFI की छात्र यूनिट SDPI ने कर्नाटक में कॉन्ग्रेस को समर्थन दिया। कॉन्ग्रेस इन ताकतों से मिली हुई है। केरल के वायनाड में राहुल गाँधी ने हरे झंडों वाले IUML (इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग) से हाथ मिलाया। कांग्रेस आज भी अपने घोषणा-पत्र के माध्यम से मुस्लिम तुष्टिकरण में लगी है।


🚩बिहार के फुलवारीशरीफ में भी PFI वालों के नेटवर्क पकड़ा गया, जहाँ गजवा-ए-हिन्द, यानी भारत में इस्लामी शासन के लिए साजिश चल रही थी। कई ठिकानों पर रेड पड़ी। कई दस्तावेज भी मिले, जिनमें इसके लिए 2047 यानी आज़ादी से 100 वर्ष बाद तक का लक्ष्य रखा गया था। कहीं युवाओं को हथियारों की ट्रेनिंग दी जाती है, कहीं ऑनलाइन सीरिया-पाकिस्तान में बैठे आकाओं से संपर्क करा कर भड़काया जाता है। आखिर हिन्दुओं में कोई आतंकी संगठन क्यों नहीं है, ये सब क्यों नहीं होता? हिन्दू तो भारत को अपनी भूमि मानते हैं, यहाँ की धरती को नुकसान क्यों पहुँचाएँगे?


🚩कांग्रेस पार्टी का एजेंडा है मुस्लिमों को आरक्षण देना, पिछड़ों का हक़ मार कर। कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में नौकरी-एडमिशन से लेकर पंचायत चुनावों तक में मुस्लिमों को आरक्षण दिया जा रहा है। ये सब कॉन्ग्रेस ने किया। कॉन्ग्रेस की साजिश है देश की संपत्ति के बँटवारे की, ताकि हिन्दुओं की मेहनत की कमाई कई बच्चे पैदा करने वाले मुस्लिमों को पहुँच जाए। पार्टी घुसपैठियों का समर्थन करती है, इसने CAA का विरोध किया। पश्चिम बंगाल से लेकर दिल्ली तक कॉन्ग्रेस पार्टी घुसपैठियों को प्रश्रय देती है।


🚩एक तो भारत खुद ही इस्लामी ताकतों से परेशान है, ऊपर से बड़ी संख्या में म्यांमार-बांग्लादेश से रोहिंग्या घुसपैठियों के प्रति नरमी दिखा कर देश को तबाही की ओर धकेला जा रहा है। केंद्रीय मंत्री रहे कांतिलाल भूरिया कहते हैं कि पार्टी सत्ता में आने के बाद महिलाओं को एक-एक लाख रुपया देगी, 2 बीवी वालों को 2 लाख रुपए मिलेंगे। अब हिन्दू धर्म में तो बहुविवाह की इजाजत नहीं है। शरिया ही इसकी अनुमति देता है। और हाँ, मुस्लिमों को तो भारत में अपना अलग कानून चलाने की अनुमति भी है, उनके लिए ‘पर्नसल लॉ’ है।


🚩यही तो कारण है कि भाजपा अपने घोषणा-पत्र में UCC (समान नागरिक संहिता) लाने की बात करती है, जबकि कॉन्ग्रेस 2 बीवियों और ज़्यादा बच्चों वालों को प्रोत्साहित करती है। देश में सबके लिए समान कानून होना चाहिए, इसमें भला क्यों किसी को आपत्ति हो? महिला-पुरुष को बराबर अधिकार मिलें, इसमें कोई किसी को दिक्कत हो? लेकिन इस्लाम में तो मातृभूमि से पहले कुरान को रखा जाता है, स्वयं बाबासाहब भीमराव आंबेडकर कह गए हैं।


🚩केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि मुस्लिमों की हिस्सेदारी देश में 20% हो गई है। उनका कहना है कि ये सनातन को खत्म करने की साजिश है, घुसपैठियों को कॉन्ग्रेस ने अपना वोट बैंक बना रखा है। वास्तविक परिस्थितियाँ इससे भी भयावह हैं। भारत में कई छोटे-छोटे पाकिस्तान बन गए हैं जहाँ शरिया चलता है। जिस ‘सोने की चिड़िया’ को हजारों वर्षों से हिन्दुओं ने अपने खून-पसीने से सींच कर उपजाऊ बनाया, जिसे बहार से आक्रांता लूट-लूट कर ले गए, अब वो क्षेत्र भी हिन्दुओं के हाथों से चला जाए तो कैसा लगेगा?


🚩बार-बार ये कह कर मजाक बनाया जाता है कि धर्म कभी खतरे में था ही नहीं। अगर धर्म खतरे में नहीं था, फिर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान कट कर कैसे अलग हुए भारत से? इतना बड़ा क्षेत्र हिन्दुविहीन कैसे हो गया? बांग्लादेश में एक अफवाह पर देश भर में नवरात्री के पूजा-पंडालों पर हमले होते हैं, अफगानिस्तान से गुरुग्रंथसाहिब को वापस आना पड़ता है, पाकिस्तान वो तो आए दिन हिन्दू लड़कियों को उठा कर ले जाते हैं और जबरन धर्मांतरण-निकाह कर देते हैं, सरकार तक मंदिरों को गिराने में साथ देती है।


🚩कॉन्ग्रेस पार्टी ने शुरुआत से ही जो माहौल पैदा किया, ये सब उसका परिणाम है। जवाहरलाल नेहरू कहते थे कि राम-कृष्ण जैसे देवताओं ने गरीबी के सिवा और कुछ नहीं दिया। जिस देश की आत्मा में राम और कृष्ण बसते हों, वहाँ इस तरह के बयान से हिन्दू विरोधी उत्साहित नहीं होंगे तो और क्या। कभी राजीव गाँधी मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए शाहबानो केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट देते हैं, कभी कॉन्ग्रेस सरकार ऐसा कानून लेकर आती है जिससे हिन्दू अपने ही तबाह धर्मस्थल को लेकर न्याय का दावा नहीं कर सकें।

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🚩और हाँ, ये आँकड़े तो सिर्फ 2015 तक के हैं। ‘लव जिहाद’ से लेकर कई अन्य तरह की आपराधिक घटनाएँ तो इसके बाद और भी तेज़ हो गईं, क्योंकि इसके लिए बाहर से फंडिंग तक आने लगा। अब तो सलमान खुर्शीद की भतीजी मारिया आलम ने ‘वोट जिहाद’ की अपील कर दी है। 2015 के बाद के 9 वर्षों में ही 2020 के फरवरी में दिल्ली में दंगे हुए, दिव्यांगों को मुस्लिम बनाने का नेटवर्क पकड़ा गया, औरंगजेब के महिमामंडन के लिए बुद्धिजीवियों को लगाया गया और ‘भारत से बाहर ‘भारत में मुस्लिम खतरे में हैं’ वाला माहौल दुनिया भर में बनाया गया।


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Sunday, May 12, 2024

हिंदू धर्म का सर्वोत्तम तीर्थ कोन सा है ?

13th  May 2024

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🚩माँ गंगा पृथ्वी पर क्यों और कैसे आयी ? 


🚩गंगा नदी उत्तर भारत की केवल जीवनरेखा नहीं, अपितु हिंदू धर्म का सर्वोत्तम तीर्थ है। ‘आर्य सनातन वैदिक संस्कृति’ गंगा के तट पर विकसित हुई, इसलिए गंगा हिंदुस्तान की राष्ट्ररूपी अस्मिता है एवं भारतीय संस्कृति का मूलाधार है। इस कलियुग में श्रद्धालुओं के पाप-ताप नष्ट हों, इसलिए ईश्वर ने उन्हें इस धरा पर भेजा है। वे प्रकृति का बहता जल नहीं; अपितु सुरसरिता (देवनदी) हैं। उनके प्रति हिंदुओं की आस्था गौरीशंकर की भांति सर्वोच्च है। गंगाजी मोक्षदायिनी हैं इसीलिए उन्हें गौरवान्वित करते हुए पद्मपुराण में (खण्ड ५, अध्याय ६०, श्लोक ३९) कहा गया है, ‘सहज उपलब्ध एवं मोक्षदायिनी गंगाजी के रहते विपुल धनराशि व्यय (खर्च) करनेवाले यज्ञ एवं कठिन तपस्या का क्या लाभ ?’ नारदपुराण में तो कहा गया है, ‘अष्टांग योग, तप एवं यज्ञ, इन सबकी अपेक्षा गंगाजी का निवास उत्तम है । गंगाजी भारत की पवित्रता का सर्वश्रेष्ठ केंद्र बिंदु हैं, उनकी महिमा अवर्णनीय है।’


🚩मां गंगाजी की ब्रह्मांड में उत्पत्ति:-


🚩‘वामनावतार में श्री विष्णु ने दानवीर बलीराजा से भिक्षा के रूप में तीन पग भूमि का दान मांगा। राजा बलि इस बात से अनभिज्ञ थे कि स्वयं भगवान श्री विष्णु ही वामन के रूप में आए हैं, राजा ने उसी क्षण भगवान वामन को तीन पग भूमि दान की। भगवान वामन ने विराट रूप धारण कर पहले पग में संपूर्ण पृथ्वी तथा दूसरे पग में अंतरिक्ष व्याप लिया। दूसरा पग उठाते समय वामन के (श्रीविष्णु के) बाएं पैर के अंगूठे के धक्के से ब्रह्मांड का सूक्ष्म-जलीय कवच टूट गया। उस छिद्र से गर्भोदक की भांति ‘ब्रह्मांड के बाहर के सूक्ष्म-जल ने ब्रह्मांड में प्रवेश किया। यह सूक्ष्म-जल ही गंगा है। गंगाजी का यह प्रवाह सर्वप्रथम सत्यलोक में गया।ब्रह्मदेव ने उसे अपने कमंडलु में धारण किया। तदुपरांत सत्यलोक में ब्रह्माजी ने अपने कमंडलु के जल से श्रीविष्णु के चरणकमल धोए। उस जल से गंगाजी की उत्पत्ति हुई। तत्पश्चात गंगाजी की यात्रा सत्यलोक से क्रमशः तपोलोक, जनलोक, महर्लोक, इस मार्ग से स्वर्गलोक तक हुई। जिस दिन गंगाजी की उत्पत्ति हुई वह दिन ‘गंगा जयंती’ (वैशाख शुक्ल सप्तमी है) इन दिनों में गंगाजी में गोता मारने से विशेष सात्विकता, प्रसन्नता और पुण्यलाभ होता है।


🚩पृथ्वी पर गंगाजी की उत्पत्ति:


🚩सूर्यवंश के राजा सगर ने अश्वमेघ यज्ञ आरंभ किया। उन्हों ने दिग्विजय के लिए यज्ञीय अश्व भेजा एवं अपने 60 सहस्त्र (हजार) पुत्रों को भी उस अश्व की रक्षा हेतु भेजा। इस यज्ञ से भयभीत इंद्रदेव ने यज्ञीय अश्व को कपिल मुनि के आश्रम के निकट बांध दिया। जब सगर पुत्रों को वह अश्व कपिल मुनि के आश्रम के निकट प्राप्त हुआ, तब उन्हें लगा, ‘कपिलमुनि ने ही अश्व चुराया है’। इसलिए सगर पुत्रों ने ध्यानस्थ कपिल मुनि पर आक्रमण करने की सोची । कपिलमुनि को अंतर्ज्ञान से यह बात ज्ञात हो गई तथा अपने नेत्र खोले। उसी क्षण उनके नेत्रों से प्रक्षेपित तेज से सभी सगर पुत्र भस्म हो गए। कुछ समय पश्चात सगर के प्रपौत्र राजा अंशुमन ने सगर पुत्रों की मृत्यु का कारण खोजा एवं उनके उद्धार का मार्ग पूछा। कपिल मुनि ने अंशुमन से कहा, “गंगाजी को स्वर्ग से भूतल पर लाना होगा। सगर पुत्रों की अस्थियों पर जब गंगाजल प्रवाहित होगा, तभी उनका उद्धार होगा !’’ मुनिवर के बताए अनुसार गंगा को पृथ्वी पर लाने हेतु अंशुमन ने तप आरंभ किया। अंशुमन की मृत्यु के पश्चात उसके सुपुत्र राजा दिलीप ने भी गंगावतरण के लिए तपस्या की। अंशुमन एवं दिलीप के हजार वर्ष तप करने पर भी गंगावतरण नहीं हुआ, परंतु तपस्या के कारण उन दोनों को स्वर्ग लोक प्राप्त हुआ। (वाल्मीकि रामायण, काण्ड १, अध्याय ४१, २०-२१)


🚩‘राजा दिलीप की मृत्यु के पश्चात उनके पुत्र राजा भगीरथ ने कठोर तपस्या की। उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर गंगामाता ने राजा भगीरथ से कहा, ‘‘मेरे इस प्रचंड प्रवाह को सहना पृथ्वी के लिए कठिन होगा। अतः तुम भगवान शंकर को प्रसन्न करो।’’ आगे भगीरथ की घोर तपस्या से शंकर प्रसन्न हुए तथा भगवान शंकर ने गंगाजी के प्रवाह को जटा में धारण कर उसे पृथ्वी पर छोडा। इस प्रकार हिमालय में अवतीर्ण गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे हरिद्वार, प्रयाग आदि स्थानों को पवित्र करते हुए बंगाल के उपसागर में (खाडी में) लुप्त हुईं।’


🚩बता दे कि जिस दिन गंगाजी की उत्पत्ति हुई वह दिन ‘गंगा जयंती’ (वैशाख शुक्ल सप्तमी) हैं और जिस दिन गंगाजी पृथ्वी पर अवतरित हुईं वह दिन ‘गंगा दशहरा’ (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी ) के नाम से जाना जाता है।


🚩जगद्गुरु आद्य शंकराचार्यजी, जिन्होंने कहा है : एको ब्रह्म द्वितियोनास्ति । द्वितियाद्वैत भयं भवति ।। उन्होंने भी ‘गंगाष्टक’ लिखा है, गंगा की महिमा गायी है। रामानुजाचार्य, रामानंद स्वामी, चैतन्य महाप्रभु और स्वामी रामतीर्थ ने भी गंगाजी की बड़ी महिमा गायी है। कई साधु-संतों, अवधूत-मंडलेश्वरों और जती-जोगियों ने गंगा माता की कृपा का अनुभव किया है, कर रहे हैं तथा बाद में भी करते रहेंगे।


🚩अब तो विश्व के वैज्ञानिक भी गंगाजल का परीक्षण कर दाँतों तले उँगली दबा रहे हैं! उन्होंने दुनिया की तमाम नदियों के जल का परीक्षण किया परंतु गंगाजल में रोगाणुओं को नष्ट करने तथा आनंद और सात्त्विकता देने का जो अद्भुत गुण है, उसे देखकर वे भी आश्चर्यचकित हो उठे।


🚩ऋषिकेश  में स्वास्थ्य-अधिकारियों ने पुछवाया कि यहाँ से हैजे की कोई खबर नहीं आती, क्या कारण है ? उनको बताया गया कि यहाँ यदि किसीको हैजा हो जाता है तो उसको गंगाजल पिलाते हैं। इससे उसे दस्त होने लगते हैं तथा हैजे के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं और वह स्वस्थ हो जाता है। वैसे तो हैजे के समय घोषणा कर दी जाती है कि पानी उबालकर ही पियें। किंतु गंगाजल के पान से तो यह रोग मिट जाता है और केवल हैजे का रोग ही मिटता है ऐसी बात नहीं है, अन्य कई रोग भी मिट जाते हैं। तीव्र व दृढ़ श्रद्धा-भक्ति हो तो गंगास्नान व गंगाजल के पान से जन्म-मरण का रोग भी मिट सकता है।


🚩सन् 1947 में जलतत्त्व विशेषज्ञ कोहीमान भारत आया था। उसने वाराणसी से गंगाजल लिया। उस पर अनेक परीक्षण करके उसने विस्तृत लेख लिखा, जिसका सार है – ‘इस जल में कीटाणु-रोगाणुनाशक विलक्षण शक्ति है।’


🚩दुनिया की तमाम नदियों के जल का विश्लेषण करनेवाले बर्लिन के डॉ. जे. ओ. लीवर ने सन् 1924 में ही गंगाजल को विश्व का सर्वाधिक स्वच्छ और कीटाणु-रोगाणुनाशक जल घोषित कर दिया था।


🚩‘आइने अकबरी’ में लिखा है कि ‘अकबर गंगाजल मँगवाकर आदर सहित उसका पान करते थे। वे गंगाजल को अमृत मानते थे।’ औरंगजेब और मुहम्मद तुगलक भी गंगाजल का पान करते थे। शाहनवर के नवाब केवल गंगाजल ही पिया करते थे।


🚩कलकत्ता के हुगली जिले में पहुँचते-पहुँचते तो बहुत सारी नदियाँ, झरने और नाले गंगाजी में मिल चुके होते हैं। अंग्रेज यह देखकर हैरान रह गये कि हुगली जिले से भरा हुआ गंगाजल दरियाई मार्ग से यूरोप ले जाया जाता है तो भी कई-कई दिनों तक वह बिगड़ता नहीं है। जबकि यूरोप की कई बर्फीली नदियों का पानी हिन्दुस्तान लेकर आने तक खराब हो जाता है।


🚩रुड़की विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक कहते हैं कि ‘गंगाजल में जीवाणुनाशक और हैजे के कीटाणुनाशक तत्त्व विद्यमान हैं।’


🚩फ्रांसीसी चिकित्सक हेरल ने देखा कि गंगाजल से कई रोगाणु नष्ट हो जाते हैं। फिर उसने गंगाजल को कीटाणुनाशक औषधि मानकर उसके इंजेक्शन बनाये और जिस रोग में उसे समझ न आता था कि इस रोग का कारण कौन-से कीटाणु हैं, उसमें गंगाजल के वे इंजेक्शन रोगियों को दिये तो उन्हें लाभ होने लगा!


🚩संत तुलसीदासजी कहते हैं : गंग सकल मुद मंगल मूला। सब सुख करनि हरनि सब सूला।। (श्रीरामचरित. अयो. कां. : 86.2)


🚩सभी सुखों को देनेवाली और सभी शोक व दुःखों को हरनेवाली माँ गंगा के तट पर स्थित तीर्थों में पाँच तीर्थ विशेष आनंद-उल्लास का अनुभव कराते हैं : गंगोत्री, हर की पौड़ी (हरिद्वार), प्रयागराज त्रिवेणी, काशी और गंगासागर। गंगा दशहरे के दिन गंगा में गोता मारने से सात्त्विकता, प्रसन्नता और विशेष पुण्यलाभ होता है।


🚩गंगाजी की वंदना करते हुए कहा गया है :


🚩संसारविषनाशिन्यै जीवनायै नमोऽस्तु ते । तापत्रितयसंहन्त्र्यै प्राणेश्यै ते नमो नमः ।।


🚩‘देवी गंगे ! आप संसाररूपी विष का नाश करनेवाली हैं। आप जीवनरूपा हैं। आप आधिभौतिक,आधिदैविक और आध्यात्मिक तीनों प्रकार के तापों का संहार करनेवाली तथा प्राणों की स्वामिनी हैं। आपको बार-बार नमस्कार है।’


🚩गंगा नदी को कुछ सालों से इतना गन्दा किया जा रहा है कि उसे अब स्वच्छ करने की अत्यधिक आवश्यकता हैं। ये जवाबदारी सरकार के साथ साथ हम आप सभी की हैं। हमें ध्यान रखना होगा कि हम गंगा नदी में कूड़ा करकट न डाले ओर नही ही किसी को डालने दे।


🚩जनता की मांग है की माँ गंगाजी की सफाई शीघ्रता से होनी चाहिए।


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Saturday, May 11, 2024

न्यायलय को इतना भी भेदभाव नहीं करना चाहिए.

12 May 2024

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🚩भारत देश में सबसे बड़ी मजाक बन गया है "कानून सबके लिए समान है" कानून समानता के लिए बनाया गया लेकिन कानून को चलाने वाले भेदभाव करने लगे है इसलिए जनता को कानून पर भरोसा उठता जा रहा हैं।


🚩आप नेता अरविंद केजरीवाल को इसलिए जमानत दी गई की उनको चुनवा प्रचार करना है, अगर इस तरीके से जमानत मिल जायेगी तो हर भ्रष्टाचारी नेता चुनवा के लिए जमानत हासिल कर देगा, इससे पहले लालू प्रसाद यादव को जमानत बीमारी ठीक करने को मिली लेकिन बाद में चुनाव का प्रचार करने लगे , जेल में बंद लाखों कैदी इसलिए बंद है की उनके पास पैसा नहीं है, राजनीतिक पहचान नही है उनके भी अपने घर के अनेक ज़रूरी काम होंगे लेकिन न्यायलय उनको जमानत नही दे रही , अगर कानून सभी के लिए समान होता तो उनको भी जमानत मिलनी चाहिए थी। नेता अभिनेता उद्योगपति ही नही आतंकवादियों को भी जमानत मिल जाति है लेकिन 12 साल से जोधपुर जेल में बंद 88 वर्षीय बुजुर्ग हिंदू संत आशाराम बापू को आजतक 1 दिन की रिहाई नही दी गई जबकि उनके पास निर्दोष होने के पुख्ता सबूत होने के बाजबूज भी पता नही न्यायलय और सरकार को उनके राष्ट्र और संस्कृति के कार्य करने से इतना परेशानी क्यों हो रही है जो आजतक रिहाई नही कर रहे हैं।


🚩बता दे की बंबई हाईकोर्ट ने धनशोधन मामले में गिरफ्तार जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल को स्वास्थ्य के आधार पर दो महीने के लिए अंतरिम जमानत दिया। लेकिन दूसरी ओर जिन्होंने पूरा जीवन तपस्या व समाज, देश और संस्कृति के उत्थान के कार्य में बिताये, धर्मांतरण पर रोक लगाई- ऐसे 88 वर्षीय हिन्दू संत आशारामजी बापू 11 साल से जेल में हैं उनका स्वास्थ्य खराब होने के बाद भी एक दिन के लिए भी जमानत नहीं मिल पाई। 


🚩बता दे की देशभर में कोरोना फैलानेवाले मौलाना साद को जमानत मिल गई, देश के ‘टुकड़े’ करने का नारा लगाने वाले कन्हैया कुमार को जमानत मिल गई, बलात्कार आरोपी बिशप फ्रेंको व तरुण तेजपाल को जमानत मिल गई, 65 गैर जमानती वारंट होने के बाद भी दिल्ली के इमाम बुखारी को आज तक अरेस्ट नहीं कर पाए, सोये हुए गरीबों को कुचलनेवाले सलमान खान को 1 घंटे में जमानत मिल गई, लेकिन भारतीय संस्कृति के उत्थान का कार्य करनेवाले 88 वर्षीय हिंदू संत आशारामजी बापू को 12 साल से आज तक न्यायालय जमानत नहीं दे पाया।


🚩आपको बता दें कि जिस केस में हिंदू संत आशारामजी बापू को सेशन कोर्ट ने सजा सुनाई है जब उनके केस को पढ़ते हैं तो उसमें साफ है कि जिस समय की तथाकथित घटना आरोप लगाने वाली लड़की ने बताई है वह उस समय अपने मित्र से फोन पर बात कर थी जिसकी कॉल डिटेल भी है और आशारामजी बापू एक कार्यक्रम में थे, जहां पर 50-60 लोग भी मौजूद थे जिन्होंने गवाही भी दी है; मेडिकल रिपोर्ट में भी लड़की को एक खरोंच तक नहीं आने का प्रमाण है और एफआईआर में भी बलात्कार का कोई उल्लेख नहीं है, केवल छेड़छाड़ का आरोप है।


🚩आपको ये भी बता दें कि बापू आशारामजी आश्रम में एक फैक्स भी आया था, जिसमें भेजनेवाले ने साफ लिखा था कि 50 करोड़ दो नहीं तो लड़की के केस में जेल जाने के लिए तैयार रहो।


🚩बता दें कि स्वामी विवेकानंदजी के 100 साल बाद शिकागो में विश्व धर्मपरिषद में भारत का नेतृत्व हिंदू संत आसाराम बापू ने किया था। बच्चों को भारतीय संस्कृति के दिव्य संस्कार देने के लिए देश में 17000 बाल संस्कार खोल दिये थे, वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन शुरू करवाया, क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन शुरू करवाया, वैदिक गुरुकुल खोले, करोड़ों लोगों को व्यसनमुक्त किया, ऐसे अनेक भारतीय संस्कृति के उत्थान के कार्य किये हैं जो विस्तार से नहीं बता पा रहे हैं। इसके कारण आज वे जेल में हैं और उन्हें जमानत हासिल नहीं हो पा रही है।


🚩भारत में समाज, संस्कृति व राष्ट्र उत्थान के लिए कार्य करना गुनाह है- ऐसा जनता को लग रहा है, क्योंकि बड़े-बड़े अपराधियों को जमानत हासिल हो जाती है लेकिन कोई राष्ट्रहित के कार्य कर रहा है और उसपर षड्यंत्र के तहत जूठे आरोप लगे हैं फिर भी उनको बेल नहीं, जेल ही मिलती है। ऐसे कई उदाहरण हैं।


🚩जनता की मांग है की हिंदू संत आशाराम बापू और आम जनता जिनके पास केस लड़ने के पैसे नही है उनको रिहा करना चाहिए।


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