Wednesday, May 22, 2024
भगवान बुद्ध को बदनाम करने के लिए इस तरीके से रचा गया था षड्यंत्र
भगवान बुद्ध को बदनाम करने के लिए इस तरीके से रचा गया था षड्यंत्र
23 May 2024
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🚩भगवान बुद्ध का जन्म 483 और 563 ईस्वी पूर्व के बीच शाक्यगणराज्य की तत्कालीन राजधानी कपिलवस्तु के निकटलुंबिनी, नेपाल में हुआ था । लुम्बिनी वन नेपाल के तराई क्षेत्र में कपिलवस्तु और देवदह के बीच नौतनवा स्टेशन से 8 मील दूर पश्चिम में रुक्मिनदेई नामक स्थान के पास स्थित था ।
🚩कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी को अपने नैहर देवदह जाते हुए रास्ते में प्रसव पीड़ा हुई और वहीं उन्होंने एक बालक को जन्म दिया । शिशु का नाम सिद्धार्थ रखा गया ।
🚩कपिलवस्तु के राजा शुद्धोदन का युवराज था सिद्धार्थ! यौवन में कदम रखते ही विवेक और वैराग्य जाग उठा। युवान पत्नी यशोधरा और नवजात शिशु राहुल की मोह-ममता की रेशमी जंजीर काटकर महाभीनिष्क्रमण (गृहत्याग) किया। एकान्त अरण्य में जाकर गहन ध्यान साधना करके अपने साध्य तत्त्व को प्राप्त कर लिया।
🚩एकान्त में तपश्चर्या और ध्यान साधना से खिले हुए इस आध्यात्मिक कुसुम की मधुर सौरभ लोगों में फैलने लगी। अब सिद्धार्थ भगवान बुद्ध के नाम से जन-समूह में प्रसिद्ध हुए। हजारों हजारों लोग उनके उपदिष्ट मार्ग पर चलने लगे और अपनी अपनी योग्यता के मुताबिक आध्यात्मिक यात्रा में आगे बढ़ते हुए आत्मिक शांति प्राप्त करने लगे। असंख्य लोग बौद्ध भिक्षुक बनकर भगवान बुद्ध के सान्निध्य में रहने लगे। उनके पीछे चलने वाले अनुयायियों का एक संघ स्थापित हो गया।
🚩चहुँ ओर नाद गूँजने लगे :
बुद्धं शरणं गच्छामि।
धम्मं शरणं गच्छामि।
संघं शरणं गच्छामि।
🚩श्रावस्ती नगरी में भगवान बुद्ध का बहुत यश फैला। लोगों में उनकी जय-जयकार होने लगी। लोगों की भीड़-भाड़ से विरक्त होकर बुद्ध नगर से बाहर जेतवन में आम के बगीचे में रहने लगे। नगर के पिपासु जन बड़ी तादाद में वहाँ हररोज निश्चित समय पर पहुँच जाते और उपदेश-प्रवचन सुनते। बड़े-बड़े राजा महाराजा भगवान बुद्ध के सान्निध्य में आने जाने लगे।
🚩समाज में तो हर प्रकार के लोग होते हैं। अनादि काल से दैवी सम्पदा के लोग एवं आसुरी सम्पदा के लोग हुआ करते हैं। बुद्ध का फैलता हुआ यश देखकर उनका तेजोद्वेष करने वाले लोग जलने लगे। और जैसा कि संतों के साथ हमेशा से होता आ रहा है ऐसे उन दुष्ट तत्त्वों ने बुद्ध को बदनाम करने के लिए कुप्रचार किया। विभिन्न प्रकार की युक्ति-प्रयुक्तियाँ लड़ाकर बुद्ध के यश को हानि पहुँचे ऐसी बातें समाज में वे लोग फैलाने लगे। उन दुष्टों ने अपने षड्यंत्र में एक वेश्या को समझा-बुझाकर शामिल कर लिया।
🚩वेश्या बन-ठनकर जेतवन में भगवान बुद्ध के निवास-स्थान वाले बगीचे में जाने लगी। धनराशि के साथ दुष्टों का हर प्रकार से सहारा एवं प्रोत्साहन उसे मिल रहा था। रात्रि को वहीं रहकर सुबह नगर में वापिस लौट आती। अपनी सखियों में भी उसने बात फैलाई।
🚩लोग उससे पूछने लगेः “अरी! आजकल तू दिखती नहीं है?कहाँ जा रही है रोज रात को?”
🚩वैश्या बोली “मैं तो रोज रात को जेतवन जाती हूँ। वे बुद्ध दिन में लोगों को उपदेश देते हैं और रात्रि के समय मेरे साथ रंगरलियाँ मनाते हैं। सारी रात वहाँ बिताकर सुबह लौटती हूँ।”
🚩वेश्या ने पूरा स्त्रीचरित्र आजमाकर षड्यंत्र करने वालों का साथ दिया । लोगों में पहले तो हल्की कानाफूसी हुई लेकिन ज्यों-ज्यों बात फैलती गई त्यों-त्यों लोगों में जोरदार विरोध होने लगा। लोग बुद्ध के नाम पर फटकार बरसाने लगे। बुद्ध के भिक्षुक बस्ती में भिक्षा लेने जाते तो लोग उन्हें गालियाँ देने लगे। बुद्ध के संघ के लोग सेवा-प्रवृत्ति में संलग्न थे। उन लोगों के सामने भी उँगली उठाकर लोग बकवास करने लगे।
🚩बुद्ध के शिष्य जरा असावधान रहे थे। कुप्रचार के समय साथ ही साथ सुप्रचार होता तो कुप्रचार का इतना प्रभाव नहीं होता।
🚩शिष्य अगर निष्क्रिय रहकर सोचते रह जाएं कि ‘करेगा सो भरेगा… भगवान उनका नाश करेंगे..’ तो कुप्रचार करने वालों को खुला मैदान मिल जाता है।
🚩संत के सान्निध्य में आने वाले लोग श्रद्धालु, सज्जन, सीधे सादे होते हैं, जबकि दुष्ट प्रवृत्ति करने वाले लोग कुटिलतापूर्वक कुप्रचार करने में कुशल होते हैं। फिर भी जिन संतों के पीछे सजग समाज होता है उन संतों के पीछे उठने वाले कुप्रचार के तूफान समय पाकर शांत हो जाते हैं और उनकी सत्प्रवृत्तियाँ प्रकाशमान हो उठती हैं।
🚩कुप्रचार ने इतना जोर पकड़ा कि बुद्ध के निकटवर्ती लोगों ने ‘त्राहिमाम्’ पुकार लिया। वे समझ गये कि यह व्यवस्थित आयोजन पूर्वक षड्यंत्र किया गया है। बुद्ध स्वयं तो पारमार्थिक सत्य में जागे हुए थे। वे बोलतेः “सब ठीक है, चलने दो। व्यवहारिक सत्य में वाहवाही देख ली। अब निन्दा भी देख लें। क्या फर्क पड़ता है?”
🚩शिष्य कहने लगेः “भन्ते! अब सहा नहीं जाता। संघ के निकटवर्ती भक्त भी अफवाहों के शिकार हो रहे हैं। समाज के लोग अफवाहों की बातों को सत्य मानने लग गये हैं।”
🚩बुद्धः “धैर्य रखो। हम पारमार्थिक सत्य में विश्रांति पाते हैं। यह विरोध की आँधी चली है तो शांत भी हो जाएगी। समय पाकर सत्य ही बाहर आयेगा। आखिर में लोग हमें जानेंगे और मानेंगे।”
🚩कुछ लोगों ने अगवानी का झण्डा उठाया और राज्यसत्ता के समक्ष जोर-शोर से माँग की कि बुद्ध की जाँच करवाई जाये। लोग बातें कर रहे हैं और वेश्या भी कहती है कि बुद्ध रात्रि को मेरे साथ होते हैं और दिन में सत्संग करते हैं।
🚩बुद्ध के बारे में जाँच करने के लिए राजा ने अपने आदमियों को फरमान दिया। अब षड्यंत्र करनेवालों ने सोचा कि इस जाँच करने वाले पंच में अगर सच्चा आदमी आ जाएगा तो अफवाहों का सीना चीरकर सत्य बाहर आ जाएगा। अतः उन्होंने अपने षड्यंत्र को आखिरी पराकाष्ठा पर पहुँचाया। अब ऐसे ठोस सबूत खड़ा करना चाहिए कि बुद्ध की प्रतिभा का अस्त हो जाये।
🚩षडयंत्रकारियों ने वेश्या को दारु पिलाकर जेतवन भेज दिया। पीछे से गुण्डों की टोली वहाँ गई। वेश्या के साथ बलात्कार आदि सब दुष्ट कृत्य करके उसका गला घोंट दिया और लाश को बुद्ध के बगीचे में गाड़कर पलायन हो गये।
🚩लोगों ने राज्यसत्ता के द्वार खटखटाये थे लेकिन सत्तावाले भी कुछ लोग दुष्टों के साथ जुड़े हुए थे। ऐसा थोड़े ही है कि सत्ता में बैठे हुए सब लोग दूध में धोये हुए व्यक्ति होते हैं।
🚩राजा के अधिकारियों के द्वारा जाँच करने पर वेश्या की लाश हाथ लगी। अब दुष्टों ने जोर-शोर से चिल्लाना शुरु कर दिया।
🚩”देखो, हम पहले ही कह रहे थे। वेश्या भी बोल रही थी लेकिन तुम भगतड़े लोग मानते ही नहीं थे। अब देख लिया न? बुद्ध ने सही बात खुल जाने के भय से वेश्या को मरवाकर बगीचे में गड़वा दिया। न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी। लेकिन सत्य कहाँ तक छिप सकता है? मुद्दामाल हाथ लग गया। इस ठोस सबूत से बुद्ध की असलियत सिद्ध हो गई। सत्य बाहर आ गया।”
🚩लेकिन उन मूर्खों को पता नहीं कि तुम्हारा बनाया हुआ कल्पित सत्य बाहर आया, वास्तविक सत्य तो आज ढाई हजार वर्ष के बाद भी वैसा ही चमक रहा है। आज बुद्ध भगवान को लाखों लोग जानते हैं, आदरपूर्वक मानते हैं। उनका तेजोद्वेष करने वाले दुष्ट लोग कौन-से नरकों में जलते होंगे क्या पता!
🚩वर्तमान में जिन संतों के ऊपर आरोप लग रहे हैं उनके भक्त अगर सच्चाई किसी को बताने जाएंगे तो दुष्ट प्रकृति के लोग तो बोलेंगे ही, लेकिन जो हिंदूवादी और राष्ट्रवादी कहलाने वाले लोग है वे भी यही बोलेंगे की कि बुद्ध तो भगवान थे, आजकल के संत ऐसे ही है, उनको इतने पैसे की क्या जरूत है? लड़कियों से क्यों मिलते हैं..??? ऐसे कपड़े क्यों पहनते हैं..??? आदि आदि…।
🚩पर उनको पता नही है कि पहले ऋषि मुनियों के पास इतनी सम्पत्ति होती थी कि राजकोष में धन कम पड़ जाता था तो ऋषि मुनियों से लोन लिया जाता था और रही कपड़े की बात तो कई भक्तों की भावना होती है तो पहन लेते हैं और लड़कियां दुःखी होती हैं तो उनके मां-बाप लेकर आते हैं तो कोई दुःख होता है तो मिल लेते हैं,उनके घर थोड़े ही बुलाने जाते हैं और भी कई तर्क वितर्क करेगे लेकिन भक्तों को दुःखी नहीं होना चाहिए। सबके बस की बात नही है कि महापुरुषों को पहचान पाये, आप अपने गुरूदेव का प्रचार प्रसार करते रहें, एक दिन ऐसा आएगा कि निंदा करने वाले भी आपके पास आयेंगे और बोलेंगे कि मुझे भी अपने गुरु के पास ले चलो।
🚩विदेशी फंडेड मीडिया ने हिंदू साधु-संतों की झूठी कहानी बनाकर समाज को परोसी, जिससे समाज गुमराह हो गया और सच्चाई न जानकर झूठ को ही सच मान बैठे, कुछ स्वार्थी नेता राष्ट्रविरोधी ताकतों से मिलकर झूठे केस में संतो को जेल भिजवा रहे हैं पर उसका भी देर सवेर खुलासा होगा क्योंकि सत्य को परेशान किया जाता है पराजित कभी नहीं…।
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Tuesday, May 21, 2024
बांग्लादेश से हिंदुओं को साफ करने के लिए बड़े पैमाने पर चल रही है साजिश
बांग्लादेश से हिंदुओं को साफ करने के लिए बड़े पैमाने पर चल रही है साजिश
22 May 2024
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🚩बांग्लादेश में हिंदू पुरुषों और महिलाओं को धर्मांतरित कराने के लिए इस्लामी कट्टरपंथियों के समूह ने नया खेल शुरू किया हुआ है। वहाँ कट्टरपंथी संगठनों द्वारा समूह में शामिल मुस्लिम युवकों को इनाम दिया जा रहा है ताकि वो उसका इस्तेमाल हिंदुओं को इस्लाम कबूल करवाने के लिए करें।
🚩मीडिया रिपोर्टें दावा करती हैं कि सोशल मीडिया पर तमाम पेज आदि खुले हैं ताकि कट्टरपंथी हिंदू पुरुषों और महिलाओं को धर्मांतरण के लिए मना सकें। इसके अलावा इन कट्टरपंथियों को ये भी सिखाया जाता है कि कैसे लव जिहाद के जरिए धर्मांतरण करवाया जाए। वहीं नव मुस्लिमों को संरक्षण देने के नाम पर बैंक समेत कई सामाजिक संगठन धर्म परिवर्तन जैसे कुकृत्यों में शामिल रहे हैं।
🚩आज भी कई सामाजिक संगठन इस तरह की हरकत करते हैं जबकि कानून प्रशासन चुप होकर ये सब देखता रहता है। कट्टरपंथियों का मकसद अन्य धर्मों के लोगों को कमजोर करना है जिससे या तो वो इस्लाम में आ जाएँ या फिर पलायन करके भारत चले जाएँ।
🚩उनके ऐसे घटिया प्रयासों के चलते देश में साम्प्रदायिकता फैल रही है… हाल में मोहम्मद साहिदुल्ला खान मदानी और डॉक्टर अब्दुल्ला फारूक द्वारा दस्तख्त किया गया जमीयत-ए-अहले-हदीस का फतवा सोशस मीडिया पर धड़ल्ले से चल रहा है। उसमें तो कहा यही गया है कि हिंदू युवतियों को लव जिहाद में फँसाओ और उनका धर्मांतरण कराओ। फतवे में 50 हजार से लेकर 50 लाख बांग्लादेशी करंसी इनाम देने की भी बात है। इस फतवे की कॉपी को संगठन के हर जिला अध्यक्ष और महासचिवों के पास भेजा गया है।
🚩वहीं, जब इस संबंध में बांग्लादेश जमीयत-ए-अहले-हदीस से पूछा गया तो उन्होंने इसे साजिश बता दिया। जब पूछा गया कि इस संगठन का खर्चा कैसे चलता है तो बताया संतोषजनक जवाब देने की बजाय सिर्फ इतना कहा गया कि एफ्रो-अरब की अलग-अलग जगहों से जो चंदा आता है उससे ये संगठन चलते हैं।
🚩इसी तरह इस्लामी दावाह संगठन भी मुफ्ती जुबैर अहमद के नेतृत्व में ऐसे कृत्यों को करवाने में शामिल है। वो मुस्लिम युवकों को ट्रेनिंग देते हैं कि कैसे हिंदू महिलाओं को फँसाकर इस्लाम में लाया जाए। इनके नाम पर तो एक पोस्ट भी वायरल हुआ था जिसमें साफ कहा गया था- “हमारे मुस्लिम भाई मूर्तिपूजकों (हिंदुओं) को प्रेम जाल में फँसा रहे हैं, और साथ ही उन्हें सच्चे मुसलमानों में बदल रहे हैं। प्रशंसनीय बात यह है कि हमारे मुस्लिम भाइयों को इस तरह से प्रशिक्षित किया जा रहा है कि लड़कियों (अन्य धर्मों की)को लगे कि वे वास्तव में उनसे प्यार करते हैं। उनकी यही क्षमता हमारे मिशन (गैर-मुसलमानों को प्रेम जाल में फँसाने) को पूरा कर रही है।” इसी तरह से लव जिहाद के नाम से एक मामून नाम का व्यक्ति ‘लव जिहाद मिशन’ पर पूरा फेसबुक पेज ही चला रहा है।
🚩कई हिंदू संगठन इस्लामी कट्टरपंथियों के ऐसे कृत्यों से वाकिफ हैं इसलिए वो इसे चिंताजनक स्थिति बताते हैं। नेशनल हिंदू ग्रैंड अलायंस से जुड़े वकील गोबिंदा चंद्रा कहते हैं कि इस तरह का ट्रेंड बेहद डराने वाला है। ऐसा देखने को मिल रहा है कि इस्लामी खुलेआम लव जिहाद की गतिविधियों को बढ़ा रहे हैं और मुस्लिम युवकों को रिवार्ड दे रहे हैं ताकि वो हिंदुओं को फँसाएँ। गोबिंदा कहते हैं कि मुस्लिम कट्टरपंथियों की ऐसी हरकत का शिकार सिर्फ हिंदू महिलाएँ नहीं है बल्कि हिंदू पुरुष भी हैं और पूरा का पूरा परिवार है। ऐसा लगता है कि ये प्रयास हो बांग्लादेश को हिंदू मुक्त करने का। ये लोग हिंदुओं को इस मुल्क से मिटाना चाहते हैं।
🚩गोबिंदा और उनके संगठन पर हिंदुओं की आवाज बनने पर तमाम लांछन लगते हैं। लेकिन वो कहते हैं कि पिछले 35 सालों से उनका संगठन हिंदुओं के अधिकारों के लिए लड़ रहा है और लव जिहादियों का शिकार बनने से उन्हें रोक रहा है यही वजह है कि हिंदू विरोधी लोग इसे बंद कराना चाहते हैं। उनका कहना है कि ये लोग हर संगठन को चुप कराना चाहते हैं ताकि बांग्लादेश को हिंदू मुक्त बना सकें… ये आरएसएस को बैन कराना चाहते हैं क्योंकि वो संस्था देश भर के हिंदुओं के अधिकारों के लिए काम कर रही है। ऐसे ही बांग्लादेश के इस्लामी पीएम मोदी के खिलाफ भी प्रोपगेंडा चलाते हैं क्योंकि वो हिंदुओं के अधिकार संरक्षित करने वाले वैश्विक नेता बनकर उभरे हैं।
🚩दावा है कि बांग्लादेश में इस्लामी अपने तौर-तरीकों को हिंदुओं पर थोपने का प्रयास करते हैं। वहीं प्रशासन में बैठे कुछ लोग ऐसे हैं जो साफ तौर पर लव जिहाद को मानने से इनकार कर देते हैं। गोबिंदा इसे हिंदू घृणा का सबसे घटिया उदाहरण कहते हैं और बताते हैं कि सोशल मीडिया पर चल रहे ऐसे अभियानों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है।
https://twitter.com/OpIndia_in/status/1788026031301112149?t=AgKG3gZ5ElMLKRp2iuJaqA&s=19
🚩इसके अलावा एक प्राइवेट इस्लामिक शरीया बैंक हैं जहाँ मुस्लिमों को कानूनी, आर्थिक और रोजगार संबंधित दिक्कतों के लिए सहायता मिलती है। ये बैंक कहता है कि ये मुस्लिमों के सामाजिक स्तर को बढ़ाने के लिए काम करते हैं लेकिन हकीकत में तो ये युवकों को कट्टरपंथी बना रहे हैं। देश के 64 जिलों में इन्होंने धर्मांतरण के काम के लिए कट्टरपंथी तैयार किए हुए हैं।
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Monday, May 20, 2024
पाकिस्तान से आए CAA के तहत नागरिकता पाने वालों ने सुनाई आपबीती
पाकिस्तान से आए CAA के तहत नागरिकता पाने वालों ने सुनाई आपबीती
21 May 2024
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🚩भारत सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून CAA (सीएए) के तहत एक साथ 350 लोगों को भारत की नागरिकता दे दी है। इनमें से 14 लोगों को गृह मंत्रालय ने बुलाकर नागरिकता के पत्र सौंपे, तो बाकियों को सारे कागजात ऑनलाइन उपलब्ध कराए गए। भारत की नागरिकता पाए लोगों में अधिकाँश लोग पाकिस्तान से आए हिंदू अल्पसंख्यक हैं, जो अपनी जान बचाकर पाकिस्तान से भारत आए थे।
🚩दिल्ली के आदर्श नगर में रह रहीं भावना ने कहा, “वहाँ हमें बहुत मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं। लड़कियाँ पढ़ नहीं सकतीं और घरों से बाहर निकलना मुश्किल होता है। मुस्लिम हिंदू लड़कियों को किडनैप कर लेते हैं और उन्हें जबरन इस्लाम कबूल करवाया जाता है। लड़कियों को इतना खौफ रहता है कि वे घरों से बाहर नहीं निकलतीं। मैं काफी छोटी थी, तब से ही यहाँ हूँ। मुझे तो पाकिस्तान के अपने घर के अलावा ज्यादा कुछ याद नहीं है। इसकी वजह यह थी कि घर से बाहर ही नहीं निकलते थे। अब भी हमारे तमाम रिश्तेदार वहाँ हैं, जो भारत आना चाहते हैं। लेकिन उन्हें वीजा पाने में मुश्किल हो रही है।”पाकिस्तान से उत्पीड़न का शिकार होकर आए हिंदू परिवार की बेटी ने कहा कि हम अपने देश में लौटकर खुश हैं।
🚩भावना ने कहा कि ‘मैं एक टीचर बनना चाहती हूं और यहाँ की महिलाओं को पढ़ाना चाहती हूँ।’
🚩दिल्ली के मजनूँ का टीला में रहने वाली मीरा को भी भारत की नागरिकता मिल गई है। सीएए के माध्यम से नागरिकता मिलने के बाद मीरा ने कहा, “हमने 3-4 साल पहले नागरिकता के लिए आवेदन किया था। हमें आए हुए 8-9 साल हो गए थे जब यह घोषणा की गई थी कि हमें नागरिकता मिलेगी। हमने अपनी पोती का नाम भी ‘नागरिकता’ रखा है। कल जब हमें नागरिकता मिली तो हमने भगवान कृष्ण को मिठाइयाँ अर्पित कीं और विशेष भोजन तैयार किया।”
🚩दिल्ली में रहने वाले शीतल दास 5 अक्टूबर 2013 को पाकिस्तान छोड़कर दिल्ली पहुँचे थे। तब से वो यहीं पर हैं। शीतल दास ने कहा, “हमने पिछले महीने ही नागरिकता के लिए अप्लाई किया था और 15 मई को हमें नागरिकता मिल गई। अब हम सामान्य जीवन जी सकेंगे। काम कर सकेंगे और बच्चों को पढ़ा लिखा सकेंगे। अब हमारे बच्चों का भविष्य भी सुधर जाएगा।”
🚩यशोधरा नाम की महिला ने कहा, “हम 2013 में आए, लेकिन हमारे पास पानी और बिजली की सुविधा तक नहीं थी। हमनें नागरिकता के लिए काफी कोशिश की, लेकिन अब जाकर मिली है। हमारा तो जो हुआ, वो हुआ, हमारे बच्चों का भविष्य संवर जाएगा। हम बहुत खुश हैं। प्रधानमंत्री को बहुत शुक्रिया, अब हमारे बच्चे भी पढ़ लिख पाएँगे और अपना भविष्य संवार पाएँगे। हम पाकिस्तानी कहे जाते थे, लेकिन अब हमें कोई पाकिस्तानी नहीं कहेगा। अब हम हिंदुस्तानी हो गए हैं।”
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🚩अमृता नाम की बच्ची ने कहा, “हम 2013 में पाकिस्तान से आए थे। न बिजली की सुविधा थी और न ही स्कूल की। अब दोनों सुविधाएँ मिलेंगी। मैं बड़ी होकर डॉक्टर बनना चाहती हूँ।”
🚩गौरतलब है कि भारत सरकार ने नागरिकता संसोधन विधेयक को 2019 में ही पारित कर दिया था और इस साल मार्च से इसे कानून के तौर पर लागू कर दिया। सीएए के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होकर आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जानी है। इन अल्पसंख्यकों में हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोग हैं। सरकार ने इस साल मार्च में इस कानून को लागू करते समय इसके प्रावधानों के बारे में भी बताया था।
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Sunday, May 19, 2024
चाय-कॉफी पीने वाले सावधान, ICMR ने बचने की दी सलाह
चाय-कॉफी पीने वाले सावधान, ICMR ने बचने की दी सलाह
20 May 2024
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🚩भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के शोधकर्ताओं ने बताया कि चाय (Tea) और कॉफी (Coffee) में कैफीन (caffeine) होता है, जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central nervous system) को उत्तेजित करता है और शारीरिक निर्भरता को बढ़ावा देता है। कैफीन (Caffeine) का यह प्रभाव हमारे दैनिक जीवन और स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
🚩भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने चाय और कॉफी के सेवन में संयम बरतने की सलाह दी है, जो भारतीय संस्कृति में गहराई से रची-बसी हैं। हाल ही में, ICMR ने राष्ट्रीय पोषण संस्थान (NIN) के साथ मिलकर 17 नए आहार दिशानिर्देश प्रस्तुत किए हैं, जिनका उद्देश्य पूरे भारत में स्वस्थ खानपान की आदतों को बढ़ावा देना है। इन दिशानिर्देशों में विविध आहार और सक्रिय जीवनशैली के महत्व पर विशेष जोर दिया गया है।
🚩चिकित्सा संगठन ने चाय या कॉफी से बचने की सलाह दी है, क्योंकि इनमें टैनिन्स होते हैं, जो शरीर में आयरन के अवशोषण को कम कर सकते हैं। टैनिन्स पेट में आयरन से जुड़कर उसके अवशोषण को कठिन बना देते हैं, जिससे आयरन की कमी और एनीमिया जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। अत्यधिक कॉफी सेवन उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी असामान्यताएं भी पैदा कर सकता है।
🚩200 वर्ष पहले भारतीय घरों में चाय नहीं होती थी। पहले घर पर अतिथि आते थे, तो देशी गाय का दूध-लस्सी ,छाछ,नींबू पानी,आदि दिया जाता था, लेकिन आज कोई भी घर आये अतिथि को पहले चाय पूछते हैं। ये बदलाव अंग्रेजों की देन है।
🚩कई लोग घर, दुकान, ऑफिस या यात्रा के दौरान दिन में कई बार चाय लेते रहते हैं, यहाँ तक कि उपवास में भी चाय लेते हैं! किसी भी डॉक्टर के पास जायेंगे तो वो शराब-सिगरेट-तम्बाखू छोड़ने को कहेगा, पर चाय नहीं, क्योंकि यह उसे पढ़ाया नहीं गया और वह भी खुद चाय का गुलाम है। परन्तु किसी अच्छे वैद्य के पास जायेंगे तो वह पहली सलाह देगा- चाय ना पीयें।
🚩सुखी,स्वस्थ रहना हैं तो चाय-कॉफी को हमेशा के लिए त्याग दें,क्योंकि चाय, कॉफी के हर कप के साथ एक चम्मच या उससे अधिक शक्कर ली जाती है, जो पेट की चर्बी बढ़ाती है और अनेक बीमारियां को बुलाती है। अगर पीनी ही पड़ी तो गुड़, नींबू मिलाकर काली चाय पीएं, पर ध्यान रहें काली चाय में शक्कर और दूध नहीं मिलाएं। चाय के साथ नमकीन, खारे बिस्कुट, पकौड़ी आदि लेते हैं, यह विरुद्ध आहार है; इससे कई प्रकार के त्वचा रोग होते हैं।
🚩चाय का विकल्प
🚩संकल्प कर लें कि चाय नहीं पियेंगे। 2 दिन से 7 दिन तक याद आएगी ; फिर सोचेंगे अच्छा हुआ छोड़ दी। 1 या 2 दिन तक सिर दर्द हो सकता है,फिर नार्मल हो जाओगे ।
🚩सुबह ताजगी के लिए गर्म पानी लें, चाहे तो उसमें आंवले के टुकड़े मिला दें तो और स्फूर्ति आ जाएगी।
🚩5 पत्ते तुलसी के पत्ते का गर्म पानी, गुड़ का गर्म पियें तो चाय की लत भी छूट जाएगी और शरीर निरोग होने लगेगा।
🚩चाय की जगह देशी गाय के दूध , लस्सी, छाछ,नींबू पानी,का उपयोग करना चाहिए,इससे स्वास्थ्य में चार चांद लग जायेंगे और सभी बीमारियां भी भाग जाएंगी।
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Saturday, May 18, 2024
रामचरितमानस को UNESCO ने अपनी सूची में दिया खास स्थान
रामचरितमानस को UNESCO ने अपनी सूची में दिया खास स्थान
19 May 2024
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🚩भारत में मानवता के विरोधी रामचरितमानस का भी विरोध करते रहते है, वास्तव में यह रामचरितमानस का विरोध नही है यह मानवता को खत्म करने का प्रयास हैं क्योंकि रामचरितमानस ग्रंथ अद्भुत है, उसके पढ़ने से मानव स्वथ्य, सूखी और सम्मानित, भक्तिमय, त्यागमय जीवन जी सकता हैं और यहां तक कि अपना इह लोक और परलोक दोनों भी सुधार सकता है रामचरितमानस में इतनी शक्ति हैं।
🚩आपको बता दे की भारत की सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक विरासत को यूनेस्को की ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर’ में जगह मिली है। भारत के राम चरित मानस, पंचतंत्र और सहृदयलोक-लोकन को इस खास रजिस्टर में शामिल किया गया है। रामचरितमानस’, ‘पंचतंत्र’ और ‘सहृदयलोक-लोकन’ ने भारत के सामाजिक, धार्मिक एवं जीवन दर्शन पर गहरा असर डाला है और भारतीय साहित्य और संस्कृति को गहराई से प्रभावित किया है, देश के नैतिक ताने-बाने और कलात्मक अभिव्यक्तियों को आकार दिया है।
🚩इन साहित्यिक कृतियों ने समय और स्थान से परे जाकर भारत के भीतर और बाहर दोनों जगह पाठकों और कलाकारों पर एक अमिट छाप छोड़ी है। उल्लेखनीय है कि ‘सहृदयालोक-लोकन’, ‘पंचतंत्र’ और ‘रामचरितमानस’ की रचना क्रमशः पं. आचार्य आनंदवर्धन, विष्णु शर्मा और गोस्वामी तुलसीदास ने की थी।
https://twitter.com/ANI/status/1790599441440759850?t=Xo4amXlghP_Pf-HXB8XVsw&s=19
🚩रामचरितमानस : भगवान राम के जीवन चरित - रामचरितमानस को तुलसीदास ने 16वीं शताब्दी में हिंदी भाषा की अवधी बोली में लिखा था। यह रामायण से भिन्न है जिसे ऋषि वाल्मीकि ने संस्कृत भाषा में लिखा था। रामचरितमानस चौपाई रूप में लिखा गया ग्रंथ है। रामकथा को देश दुनिया में प्रसारित करने में रामचरितमानस को सबसे अहम माना जाता है। आज भी रामचरितमानस का पाठ सामूहिक रूप से भी किया जाता है।
🚩पंचतंत्र की कथाएँ: पंचतंत्र दुनिया की दंतकथाओं के सबसे पुराने संग्रहों में से एक है जो संस्कृत में लिखा गया था। विष्णु शर्मा जो महिलारोप्य के राजा अमर शक्ति के दरबारी विद्वान थे, उन्हें पंचतंत्र का श्रेय दिया जाता है। इसकी रचना संभवतः 300 ईसा पूर्व के आसपास हुई थी। इसका अनुवाद 550 ईसा पूर्व में पहलवी (ईरानी भाषा) में किया गया था।
🚩‘सहृदयालोक-लोकन: ‘सहृदयालोक-लोकन’ की रचना आचार्य आनंदवर्धन ने संस्कृत में की थी। आचार्य आनंदवर्धन,10वीं शताब्दी के उत्तरार्ध और 11वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध के दौरान कश्मीर में रहते थे।
🚩इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) ने मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड कमेटी फॉर एशिया एंड द पैसिफिक (एमओडब्ल्यूसीएपी) की 10वीं बैठक के दौरान एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उलानबटार में हुई इस सभा में, सदस्य देशों के 38 प्रतिनिधि, 40 पर्यवेक्षकों और नामांकित व्यक्तियों के साथ एकत्र हुए। तीन भारतीय नामांकनों की वकालत करते हुए, आईजीएनसीए ने ‘यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर’ में उनका स्थान सुनिश्चित किया।
🚩आईजीएनसीए में कला निधि प्रभाग के डीन (प्रशासन) और विभाग प्रमुख प्रोफेसर रमेश चंद्र गौड़ ने भारत से इन तीन प्रविष्टियों- राम चरित मानस, पंचतंत्र और सहृदयालोक-लोकन को सफलतापूर्वक प्रस्तुत किया। प्रो. गौर ने उलानबटार सम्मेलन में नामाँकनों का प्रभावी ढंग से समर्थन किया। यह उपलब्धि भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए आईजीएनसीए के समर्पण को प्रदर्शित करती है, साथ ही वैश्विक सांस्कृतिक संरक्षण और भारत की साहित्यिक विरासत की उन्नति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है।
🚩बता दें कि यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर के बारे में 2008 में ही सहमति बना ली गई थी, लेकिन पहली बार इसके लिए नामाँकन जमा किए गए। गहन विचार-विमर्श से गुजरने और रजिस्टर उपसमिति (आरएससी) से सिफारिशें प्राप्त करने और बाद में सदस्य देशों के प्रतिनिधियों द्वारा मतदान के बाद, सभी तीन नामांकनों को शामिल किया गया, जिससे 2008 में रजिस्टर की स्थापना से पहले की महत्वपूर्ण भारतीय प्रविष्टियों को चिह्नित किया गया।
🚩जो प्राणिमात्र का कल्याण करने का सामर्थ रखता है ऐसे पवित्र ग्रंथ श्री रामचरितमानसके मानस के बारे में गलत बोलना भी भयंकर पाप है इसलिए इस पवित्र ग्रंथ का जितना आदर करो उतना कम है क्योंकि सही जीवन जीने की राह यही ग्रंथ देता है और मरने के बाद मोक्ष तक की यात्रा करवा देता हैं।
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Friday, May 17, 2024
मौलाना बोला बंगाल की जमीन मुस्लिमों की, वक्फ बोर्ड देशभर में हड़प रही है जमीन
मौलाना बोला बंगाल की जमीन मुस्लिमों की, वक्फ बोर्ड देशभर में हड़प रही है जमीन
18 May 2024
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🚩पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक बंगाली मौलाना की वीडिया वायरल हुई थी। इस वीडियो में मौलाना दावा करता दिखाई दे रहा था कि बंगाल में इंच-इंच जमीन मुस्लिमों की है। वीडियो में सुनाई पड़ रहा था कि मौलाना कहता है- कलकत्ता हाईकोर्ट-मुस्लिमों की जमीन पर है, मुख्यमंत्री कार्यालय मुस्लिमों की जमीन पर है, कोलकाता एयरपोर्ट मुस्लिमों की जमीन पर है और ईडन गार्डन स्टेडियम तक मुस्लिमों की जमीन पर है।
https://twitter.com/epanchjanya/status/1787425384092377529?t=IgTj0JqW1kjMvTNX1KR8yA&s=19
🚩मौलाना की इस छोटी सी वीडियो में कितनी सच्चाई है ये तो नहीं पता, लेकिन ये हकीकत जरूर है कि देश में वक्फ बोर्ड मजहबी जमींदार बनकर उभरा हुआ है। इन्होंने अपने हिस्से इतनी जमीन दिखाई हुई है कि सिर्फ देश में रेल और सेना के लोग ही इनके ऊपर आते हैं। आप खबरें उठाकर देख लीजिए आपको कभी वक्फ वाले मंदिर की संपत्ति पर अपना कब्जा बताते हुए मिलेंगे तो कभी कहेंगे पूरा का पूरा गाँव वक्फ की जमीन पर बसा है।
🚩इनकी कोई सीमा नहीं है कि ये कहाँ तक वक्फ जमीन का दावा कर दें। वैसे असल में वक्फ की जमीन का कॉन्सेप्ट ये था कि जो कोई मुस्लिम व्यक्ति अपनी संपत्ति को अल्लाह के नाम पर दान करना चाहेगा वो वक्फ के हिस्से आ जाएगी। अब इसी क्रम में ये वक्फ बोर्ड वाले अल्लाह के नाम पर इकट्ठा कितनी जमीन पर अपना दावा ठोंक दें इसकी कोई सीमा है ही नहीं।
🚩30 साल पहले वक्फ ने किया था कब्जा, फ्रॉड उजागर
🚩हालिया खबर आज सामने आई है जिसमें बताया गया है कि कैसे दशकों पहले सहारनपुर की नगर निगम की तीन हेक्टेयर जमीन पर वक्फ द्वारा फर्जीवाड़ा किया गया था। इस खुलासे के बाद कमिश्नर ने डीएम को पत्र लिखकर 1994 के आदेश को निरस्त कर भूमि को पहले की तरह अभिलेखित करने के आदेश जारी किए। ये आदेश पूरी पड़ताल के बाद दिए गए। बताया जा रहा है कि उक्त भूमि 1874 से नगर पालिका परिषद की थी लेकिन वर्ष 1994 में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सचिनव ने इस जमीन को वक्फ की जमीन में दर्ज करने के आदेश दे दिए थे। इसके बाद अन्य अधिकारियों ने इसका अनुपालन किया। साथ ही पूर्व में जिस पालिका के पास ये जमीन थी उन्हें अपना पक्ष रखने का कोई मौका भी नहीं मिला। इस तरह 3 हेक्टेयर की सरकारी जमीन को वक्फ अपने नाम कर गया। अब जब इस मामले में जाँच हुई है तो मंडलायुक्त ने जिलाधिकारी को निर्देश दिए कि ये जमीन वक्फ की नहीं है इसे सहारनपुर नगर निगम के नाम पूर्व की भाँति अभिलेखों में दर्ज करवाया जाए।
🚩ये सिर्फ कोई हालिया खबर नहीं है। 2022 में खबर आई थी कि वक्फ बोर्ड ने तमिलनाडु में हिंदुओं के गाँव पर कब्जा किया है जिसमें 1500 पुराना मंदिर भी बना हुआ। इसके अलावा हाल में जामा मस्जिद के पास बने सरकारी पार्कों को लेकर भी शिकायत आई थी कि उसे मस्जिद अपने काम में लेने लगा है, कोशिश करने पर भी वो उस जगह को नहीं छोड़ते। इससे पूर्व 2021 में बाराबंकी के कतुरीकला में वक्फ के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था जहाँ पता चला था कि जमीनें धोखाधड़ी से वक्फ के नाम की गई हैं।
🚩क्या है वक्फ बोर्ड और एक्ट
🚩गौरतलब है कि वक्फ की धोखेधड़ियों की खबरें आने से मीडिया में सवाल अक्सर उठता ही रहता है कि इस तरह कैसे कोई बोर्ड आम लोगों की संपत्ति पर कब्जा कर लेता है और अगर कर लेता है, या उसे अपने अंतर्गत दर्ज करा लेता है तो क्यों वो वापस नहीं हो सकती? इसके अलावा सवाल ये भी उठते हैं कि आखिर लोकतांत्रिक देश में ऐसा बोर्ड क्यों बनाया गया कि एक मजहब के नाम पर प्रॉपर्टी इकट्ठा की जाए… तो इन सारे सवालों का जवाब नेहरू काल से मिलता है।
🚩दरअसल, भारत में ‘वक्फ एक्ट’ की शुरुआत 1954 में नेहरू सरकार में हुई थी। इसके बाद 1964 में सेंट्रल वक्फ काउंसिल ऑफ इंडिया बना दिया गया। इसका काम केंद्रीय निकाय वक्फ अधिनियम, 1954 की धारा 9 (1) के प्रावधानों के तहत स्थापित विभिन्न राज्य वक्फ बोर्डों के तहत काम की देखरेख करने का था। साल 1995 में एक्ट में कुछ संशोधन हुए और इसे और मजबूती मिली। इन संशोधनों के बाद प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में वक्फ बोर्डों के गठन की अनुमति दी गई, जिसमें कुछ ऐसे बदलाव भी हुए जिनपर अक्सर विवाद होता रहता है।
🚩बता दें कि आज के समय में देश में एक सेंट्रल वक्फ काउंसिल और 32 स्टेट बोर्ड है। हर राज्य के अलग-अलग वक्फ बोर्ड होते हैं। इस बोर्ड का काम हर जकात में मिली संपत्ति की देखरेख करना होता है। वक्फ जकात में आई सारी संपत्ति को अल्लाह की संपत्ति मानता है और इससे जुड़ी हर कानूनी काम खुद संभालता है। चाहे इसे खरीदना हो या लीज पर देना। इसके अलावा एक बार अगर कोई संपत्ति इस बोर्ड के अधीन आ जाती है तो व्यक्ति उसे वापस नहीं ले सकती चाहे वो पहले उसी की क्यों न रही हो। वहीं वक्फ उसका जैसे चाहे वैसे इस्तेमाल कर सकता है।
🚩वक्फ बोर्ड के खिलाफ खड़े वकील अश्विनी उपाध्याय
🚩हाल में इस पर सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने भी ट्वीट किया था। उन्होंने मौलाना वाली वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए वक्त के मामले को उठाया था। साथ ही राहुल गाँधी के परिवार पर निशाना साधा था। अपने ट्वीट में उन्होंने कहा था, “परनाना ( जवाहरलाल नेहरू) ने वक्फ एक्ट बनाया दादी (इंदिरा गाँधी) ने वक्फ एक्ट को मजबूत किया पिता (राजीव गाँधी) ने वक्फ एक्ट को और मजबूत किया 1995 में पुराना कानून वापस और नया कानून 2013 में वक्फ बोर्ड को असीमित शक्ति दिया कॉन्ग्रेस ने भारत को बर्बाद करने के लिए 50 घटिया कानून बनाए हैं।”
🚩उन्होंने तो इस वक्फ बोर्ड को असंवैधानिक करार देने के लिए याचिका भी डाली थी लेकिन उसे कोर्ट ने यह कहकर खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से प्रभावित नहीं हुए। इस मामले में अश्विनी उपाध्याय साफ कहा था, “वक्फ के नाम से भारतीय संविधान में एक शब्द नहीं है। सरकार ने 1995 में वक्फ एक्ट बनाया और इसे मुस्लिमों का नाम कर दिया…। वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियाँ दे दी गईं। उन्हें ये अधिकार दे दिया गया है कि उनके सब धार्मिक संपत्तियों से जुड़े मामले ट्रिब्यूनल कोर्ट में जाएँगे। वो सवाल करते हैं कि देश में इतनी ट्रिब्यूनल कोर्ट नहीं है ऐसे में अगर वक्फ जाकर किसी की संपत्ति पर दावा ठोंकता है तो लोगों को दर-दर भटकना पड़ता है तब सुनवाई होती है जबकि बाकी धर्मों के मामले आराम से सिविल कोर्ट में सुन लिए जाते हैं।”
🚩वक्फ बन रहा तीसरा सबसे बड़ा जमींदार
🚩यहाँ आपको जानकर शायद हैरानी होगी कि वक्फ का कॉन्सेप्ट इस्लामी देशों तक में नहीं है। फिर वो चाहे तुर्की, लिबिया, सीरिया या इराक हो। लेकिन भारत में मुस्लिम तुष्टिकरण के चलते आज हालात ऐसे हैं कि इन्हें देश में तीसरा सबसे बड़ा जमींदार बताया जा रहा है। इनके पास अकूत संपत्ति है। अल्पसंख्यक मंत्रालय के अनुसार वक्फ बोर्ड के पास पूरे देश भर में 8,65,646 संपत्तियाँ पंजीकृत हैं। इनमें से 80 हजार से ज्यादा संपत्ति वक्फ के पास केवल बंगाल में हैं। इसके बाद पंजाब में वक्फ बोर्ड के पास 70,994, तमिलनाडु में 65,945 और कर्नाटक में 61,195 संपत्तियाँ हैं। देश के अन्य राज्यों में भी इस संस्थान के पास बड़ी संख्या में संपत्तियाँ हैं।
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Thursday, May 16, 2024
कोर्ट ने झूठे केस करने वाली लड़की को 1653 दिन की जेल और 6 लाख का जुर्माना लगाया
कोर्ट ने झूठे केस करने वाली लड़की को 1653 दिन की जेल और 6 लाख का जुर्माना लगाया
17 May 2024
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🚩महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून जरूरी है परंतु आज साजिश या प्रतिशोध की भावना से निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए बलात्कार के आरोप लगाकर कानून का भयंकर दुरुपयोग हो रहा है।
🚩निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए बलात्कार के नए कानूनों का व्यापक स्तर पर हो रहा इस्तेमाल आज समाज के लिए एक चिंतनीय विषय बन गया है । राष्ट्रहित में क्रांतिकारी पहल करने वाली सुप्रतिष्ठित हस्तियों, संतों-महापुरुषों एवं समाज के आगेवानों के खिलाफ इन कानूनों का राष्ट्र एवं संस्कृति विरोधी ताकतों द्वारा कूटनीतिपूर्वक अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है।
🚩बरेली की घटना
🚩2019 में बरेली में रहने वाली 15 साल की लड़की ने अजय कुमार पर दिल्ली ले जाकर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। पुलिस ने पॉक्सो समेत कई धाराओं में केस दर्ज कर अजय को अरेस्ट कर लिया था। वह साढ़े चार सालों से जेल में बंद था। अब लड़की रेप के आरोप से मुकर गई है।
🚩यूपी के बरेली से एक ऐसी खबर आई है जो झूठे मुकदमों में फंसे निर्दोष युवकों के लिए नजीर बन सकती है। अदालत ने दुष्कर्म मामले में बयान से मुकरने वाली युवती को उतने ही दिन जेल में रहने की सजा सुनाई है जितने दिन तक आरोपी युवक कैद में रहा। साथ ही उस पर पांच लाख 88 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है जो निर्दोष को बतौर मुआवजा दिया जाएगा। कोर्ट ने सजा सुनाते हुए कड़ी टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध में फंसाने के लिए युवती ने सुरक्षा के लिए बनाए गए कानून का दुरुपयोग किया। इस कानून के तहत आरोपी को आजीवन कारावास तक की सजा मिल सकती थी।
🚩अपर सेशन जज 14 ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि यह मामला अत्यंत गंभीर है। उन्होंने आरोपी युवक अजय उर्फ राघव को बाइज्जत बरी करने का आदेश दिया। झूठे मुकदमे की वजह से अजय को जेल में 1653 दिन (चार साल छह महीने और आठ दिन) बिताने पड़े। वह 2019 से आठ अप्रैल, 2024 तक जेल में रहा। जज ने आरोपी युवती को 1653 दिनों तक कैद की सजा सुनाई है। यह पूरा मामला 2019 का है। अजय कुमार पर आरोप लगा कि उन्होंने अपने साथ काम करने वाले सहयोगी की 15 साल की बहन का अपहरण कर रेप किया। नाबालिग ने पुलिस और कोर्ट को दिए बयान में बताया कि उसके साथ अजय ने दुष्कर्म किया।
🚩मां को नहीं पसंद था अजय और बड़ी बहन की नजदीकी'
सरकारी वकील सुनील पांडेय ने बताया कि अजय कुमार के ऊपर पॉक्सो समेत कई धाराओं में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। नाबालिग ने कोर्ट को बयान दिया था कि अजय कुमार उसे दिल्ली लेकर गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। चार साल बाद लड़की अपने बयान से मुकर गई और बताया कि अजय कुमार निर्दोष है। इस साल फरवरी में सुनवाई के दौरान लड़की ने बताया कि उसने अपनी मां के दबाव में आकर अजय पर झूठा आरोप लगाया था। अजय की उसकी बहन के साथ निकटता थी जो मां को पसंद नहीं था। लड़की की अब शादी हो चुकी है। उसके पति ने कोर्ट को बताया कि वह ट्रायल के चलते तंग आ चुका है। इसलिए उसकी पत्नी बयान बदलना चाहती है।
🚩जुर्माना न देने पर छह महीने और जेल में काटने पड़ेंगे
सरकारी वकील सुनील पांडेय ने कहा कि लड़की के झूठ की वजह से एक निर्दोष व्यक्ति को जीवन के बहुमूल्य साढ़े चार साल जेल में बिताने पड़े। झूठी गवाही के आधार पर युवक को उम्रकैद की सजा हो सकती थी। आरोपी को जेल में रहने का कलंक झेलना पड़ा। कोर्ट ने झूठा बयान देने वाली लड़की को 1653 दिनों की सजा सुनाई है। पांच लाख 88 हजार का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना न देने पर उसे छह महीने और जेल में काटने होंगे।
🚩देश में ऐसे कई मामले है,आखिर कब तक इस देश में निर्दोष पुरुषों को झूठे केस में जेल में रहना पड़ेगा???
🚩जनता की भारत सरकार से मांग है कि वे पुरुषों के लिए भी सुरक्षा के लिए कानून बनाये और निर्दोष पुरुषों को जल्द रिहा किया जाय
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