Friday, May 24, 2024
अर्बन नक्सल का मायाजाल खतरनाक, फस गए आप तो निकलना होगा मुश्किल
अर्बन नक्सल का मायाजाल खतरनाक, फस गए आप तो निकलना होगा मुश्किल
25 May 2024
https://azaadbharat.org
🚩आज मिडिया, न्यायलय, राजनीति और विश्विद्यालय में अर्बन नक्सली प्रभावी हैं। वे एक झूठ का मायाजाल बन रहे हैं और सामान्य आदमी उस में फंस रहा है। आज के युग में जानकारी ही बचाव है । सामान्य हिन्दू का अज्ञान ही इनकी ताकत है। सुचना के स्रोत को ध्यान से देखिए। मिडिया द्वारा एक जनमानस बनाने की कोशिश हो रही है जो बताता है कि लव जेहाद काल्पनिक है। दलित उत्पीडन और मोब लिंचिग वास्तविक है।
🚩वामपंथियों द्वारा इस तकनीक का बहुतायत में उपयोग किया गया है । भारत के परिप्रेक्ष्य में देखें तो हिन्दुओं के एक बड़े वर्ग (जिसे आज कल छद्म सेक्युलर कहा जाता है) को आज वामपंथी यह यकीन दिलाने में सफल हुए हैं कि जो भी समस्या है वह हिन्दुओं द्वारा प्रदत्त है, बल्कि हिंदुत्व ही सारी समस्याओं की जड़ है । जब भी किसी लिबरल सेक्युलर हिन्दू के मन में आता कि इस्लामी आतंकवाद में कोई समस्या है तो फिर बाबरी मस्जिद के नाम पर कभी दंगों के नाम पर उनके मन में यह संदेह उत्पन्न करने की कोशिश की जाती कि "नहीं हम में ही कुछ ना कुछ खोट है" ।
🚩कम्युनिष्ट शासन वाले देशों ने कभी भी इस्लामिक शरिया कानून को विचार लायक भी नहीं समझा। उनकी नजर में शरिया कानून ईश्वरीय कानून नहीं है। किसी भी मुस्लिम बहुल देश ने कम्युनिष्ट शासन पद्धति को नहीं माना। 90% मुस्लिम देशों में समाजवाद की बात करना भी अपराध है।
कम्युनिस्ट भारतीय राष्ट्रवाद के किसी भी शत्रु से सहकार्य करेंगे। भारतीयों को अब सोचना है। वक़्त ज्यादा नहीं है आज इस्लामिक आतंकवाद पर यदि कोई बोलना चाहता है तो सबसे पहले ये कम्युनिस्ट ही आतंकी को बचाने में सहायता करने आते हैं।
🚩कुछ साल पहले कोच्चि में माकपा की बैठक में अनोखा नजारा देखने को मिला। मौलवी ने नमाज की अजान दी तो माकपा की बैठक में मध्यांतर की घोषणा कर दी गई। मुसलिम कार्यकर्ता बाहर निकले। रात को उन्हें रोजा तोड़ने के लिए पार्टी की तरफ से नाश्ता परोसा गया। यह बैठक वहां के रिजेंट होटल होल में हो रही थी।
🚩कुछ साल हुए कन्नूर (केरल) से माकपा सांसद केपी अब्दुल्लाकुट्टी हज यात्रा पर गए। जब बात फैली तो सफाई दी कि अकादमिक वजहों से गए थे। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का कोई भी नेता केपी अब्दुल्लाकुट्टी के खिलाफ बोलने का साहस नहीं जुटा पा रहा है।'मगर यह सफेद झूठ था क्योंकि उन्होंने उमरा भी कराया था। अकादमिक वजहों से जाने वाला उमरा जैसा धार्मिक कर्मकांड नहीं कराएगा। ( उमरा ----सउदी जाकर मजहबी कर्त्तव्य करने को उमरा कहते हैं जैसे ख़ास तरह के वस्त्र धारण करना, बाल कटवाना आदि }
🚩वहीं जब पश्चिम बंगाल के खेल व परिवहन मंत्री सुभाष चक्रवर्ती तारापीठ मंदिर गए तो पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने तो यहां तक कह दिया, 'सुभाष चक्रवर्ती पागल हैं।
🚩कम्युनिस्ट हिन्दुओं के मानबिन्दुओं का अपमान करने में ही सबसे आगे रहे हैं। इसलिए सीपीएम नेता कडकम्पल्ली सुरेंद्रन जब यह झूठ बोलते हैं कि 'किसी भी संगठन द्वारा मंदिरों का इस्तेमाल हथियारों और शारीरिक प्रशिक्षण के लिए करना श्रद्धालुओं के साथ अन्याय है।' तब हिन्दुओं के खिलाफ किसी साजिश की बू आती है। जिन्होंने कभी हिन्दुओं की चिंता नहीं की, वे हिन्दुओं की आड़ लेकर राष्ट्रवादी विचारधारा पर प्रहार करना चाह रहे हैं।
सरकार की नीयत मंदिरों पर कब्जा जमाने की है। केरल की विधानसभा में एक विधेयक पेश किया गया है। इस विधेयक के पारित होने के बाद केरल के मंदिरों में जो भी नियुक्तियाँ होंगी, वह सब लोक सेवा आयोग (पीएससी) के जरिए होंगी। माकपा सरकार इस व्यवस्था के जरिए मंदिरों की संपत्ति और उनके प्रशासनिक नियंत्रण को अपने हाथ में रखना चाहती है। मंदिरों की देखरेख और प्रबंधन के लिए पूर्व से गठित देवास्वोम बोर्ड की ताकत को कम करना का भी षड्यंत्र माकपा सरकार कर रही है। माकपा सरकार ने देवास्वोम बोर्ड को 'सफेद हाथी' की संज्ञा दी है और इस बोर्ड को समाप्त करना ही उचित समझती है।
🚩दरअसल, दो अलग-अलग कानूनों के जरिए माकपा सरकार ने हिंदू मंदिरों की संपत्ति पर कब्जा जमाने का षड्यंत्र रचा है। एक कानून के जरिए मंदिर के प्रबंधन को सरकार (माकपा) के नियंत्रण में लेना है और दूसरे कानून के जरिए मंदिरों से राष्ट्रवादि विचारधारा को दूर रखना है। ताकि जब कम्युनिस्ट मंदिरों की संपत्ति का दुरुपयोग करें, तब उन्हें टोकने-रोकने वाला कोई उपस्थित न हो।
🚩हमारे प्रगतिशील कामरेड वर्षों से भोपाल गैस कांड को लेकर अमेरिकी कंपनी तथा वहां के शासकों की निर्ममता के विरूध्द आग उगलते रहे हैं। लेकिन भोपाल गैस कांड के लिए दोषी यूनियन कार्बाइड की मातृ संस्था बहुराष्ट्रीय अमेरिकी कंपनी डाऊ केमिकल्स को हल्दिया-नंदीग्राम में केमिकल कारखाना लगाने के लिए बंगाल की कम्युनिस्ट सरकार न्यौता दिया था। यह कैसा मजाक और दोहरा मानदंड है। आप भोपाल गैस कांड के लिए दोषी प्रबंधकों तथा पीड़ितों को मुआवजा न देने वाले लोगों को दंडित करवाने के बजाय उनकी आरती उतारने के लिए बेताब हैं।
🚩सेक्युलरिज्म के नियम --
🚩- अफजल गुरू, कसाब और मदानी जैसे आतंकवादियों के प्रति उदासीनता बरती जाए तब तो ऐसे लोग भी सेक्युलरवादी होते है परन्तु एमसी शर्मा के बलिदान का समर्थन किया जाए तो वे लोग साम्प्रदायिक बन जाते है।
🚩एम.एफ. हुसैन सेक्युलर है परन्तु तस्लीमा नसरीन साम्प्रदायिक है, तभी तो उसे पश्चिम बंगाल के सेक्युलर राज्य से बाहर निकाल दिया गया।
🚩इस्लाम का अपमान करने वाला डेनिश कार्टूनिस्ट तो साम्प्रदायिक है परन्तु हिन्दुत्व का अपमान करने वाले करूणानिधि को सेक्युलर माना जाता है।
🚩मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के बलिदान का उपहास उड़ाना सेक्युलरवादी होता है, दिल्ली पुलिस की मंशा पर सवाल खड़ा करना सेक्युलरवादी होता है, परन्तु एटीएस के स्टाइल पर सवाल खड़ा करना साम्प्रदायिकता के घेरे में आता है।
🚩- राष्ट्र-विरोधी 'सिमी' सेक्युलर है तो राष्ट्रवादी रा.स्व.सं साम्प्रदायिक है।
🚩- एमआईएम, पीडीपी, एयूडीएफ और आईयूएमएल जैसी विशुध्द मजहब-आधारित पार्टियां सेक्युलर है, परन्तु भाजपा साम्प्रदायिक है।
🚩बांग्लादेशी आप्रवासियों, विशेष रूप से मुस्लिमों का और एयूडीएफ का समर्थन करना सेक्युलर है, परन्तु कश्मीरी पंडितों का समर्थन करना साम्प्रदायिक है
🚩नंदीग्राम में 2000 एकड़ क्षेत्र में किसानों पर गोलियों की बरसात करना सेक्युलरिज्म है परन्तु अमरनाथ में 100 एकड़ की भूमि की मांग करना साम्प्रदायिक है।
🚩मजहबी धर्मांतरण सेक्युलर है तो उनका पुन: धर्मांतरण करना साम्प्रदायिक होता है।
🚩हिन्दू समुदाय के कल्याण की बात करना साम्प्रदायिक है तो उधर मुस्लिम तुष्टिकरण सेक्युलर है।कामरेडों का नमाज में भाग लेना, हज जाना और चर्च जाना तो सेक्युलरिज्म है परन्तु हिन्दूओं का मंदिरों में जाना या पूजा में भाग लेना साम्प्रदायिक है।
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🚩पाठय-पुस्तकों में छत्रपति शिवाजी और गुरू गोविन्द सिंह जैसी धार्मिक नेताओं के प्रति अपशब्दावली का इस्तेमाल 'डिटोक्सीफिकेशन' या सेक्युलरिज्म माना जाता है और भारत सभ्यता का महिमामंडन साम्प्रदायिक कहा जाता है।
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Thursday, May 23, 2024
ये कैसा न्याय है ? 200 की चोरी पर जेल, 2 इंजीनियरों को कुचलने पर रईसजादे को बेल
ये कैसा न्याय है ?
200 की चोरी पर जेल,
2 इंजीनियरों को कुचलने पर रईसजादे को बेल
24 May 2024
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🚩महाराष्ट्र के पुणे में पोर्शे लक्जरी कार की टक्कर से एक युवक और एक युवती की मौत हो गई। दोनों ने इस हादसे से कुछ मिनट पहले तक सोचा भी नहीं होगा। अनीस अवधिया और अश्विनी कोस्टा, दोनों ही मृतक सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे। घटना कल्याणी नगर क्षेत्र की है। असली खबर ये है कि भद्दे तरीके से कार चलाने वाला एक नाबालिग था। इससे भी बड़ी बात ये है कि उसने उस समय शराब पी रखी थी। इससे भी बड़ी बात ये है कि उसके बिल्डर पिता ने उसके हाथ में 3 करोड़ रुपए की कार दे दी। इन सबसे बड़ी खबर ये है कि कुछ ही मिनटों बाद वो जमानत पर रिहा हो गया।
🚩एक बार में पार्टी के बाद उक्त नाबालिग लड़का लौट रहा था। उसके साथ उसके दोस्तों का एक समूह था। हालाँकि, मौके पर आक्रोशित लोगों ने उसकी धुनाई तो की लेकिन पुलिस और न्यायपालिका उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाई। घटना का वीडियो भी सामने आया। नाबालिग की उम्र मात्र 17 वर्ष है। दोनों सॉफ्टवेयर इंजीनियर बाइक पर सवार थे, तभी पोर्शे ने पीछे से टक्कर मारी। रात के ढाई बजे हुई इस घटना के दौरान कार इसके बाद एक अन्य गाड़ी से टकराई, फिर पार्किंग में खड़ी एक बाइक इसकी जद में आ गई।
पुणे में नाबालिग ने पोर्शे से कुचल कर युवक-युवती को मार डाला
मामला यरवदा पुलिस थाना क्षेत्र का है। अनीश अवधिया और अश्विनी कोस्टा की उम्र 24 वर्ष थी। मौके पर ही इन दोनों की मौत हो गई। दोनों ने मध्य प्रदेश के जबलपुर के रहने वाले थे और उन्होंने पुणे में कम्प्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग की थी। इसके बाद उनकी नौकरी भी लग गई थी। ये दोनों एक रेस्टॉरेंट में पार्टी के बाद लौट रहे थे, उनके साथ अन्य बाइकों से उनके दोस्त थे। कार ने इन दोनों को कुचलने के बाद सड़क के किनारे बनी रेलिंग को भी क्षतिग्रस्त कर दिया।
🚩नाबालिग के खिलाफ लापरवाही और उतावलेपन के साथ ड्राइविंग का मामला दर्ज किया गया। साथ ही उस पर अन्य लोगों के जीवन को खतरे में डालने और नुकसान पहुँचाने का मामला भी दर्ज किया गया। नाबालिग को ‘जुवेलाइन जस्टिस बोर्ड (JJB)’ के समक्ष पेश किया गया। जहाँ कुछ मामूली शर्तों के साथ उसे तुरंत ही रिहा कर दिया गया। हालाँकि किशोर के पिता के खिलाफ उसे कार चलाने की अनुमति देने का मामला दर्ज किया गया है।
🚩उक्त बिल्डर ने पुलिस थाने में मौजूदगी दर्ज कराने तक की जहमत नहीं उठाई, बल्कि अपने भाइयों को भेजा। इस परिवार को कई परियोजनाओं से जुड़े होने के कारण जाना जाता है। रविवार (19 मई, 2024) को तड़के सुबह हुई इस घटना को लेकर ईस्ट एवेन्यू स्थित मुंधवा पब के खिलाफ भी नाबालिगों को शराब परोसने का मामला दर्ज किया गया है। नाबालिग के साथ उसके 2 दोस्त उस कार में मौजूद थे, जो शहर के एक नामी स्कूल में पढ़ते हैं।
🚩तुरंत मिला जमानत: न्यायपालिका पर उठ रहे हैं सवाल
अब आइए, बताते हैं कि नाबालिग को जमानत दिए जाने की शर्तें क्या थीं। ये ‘भारी-भड़कम’ शर्तें थीं – इस दुर्घटना पर एक लेख लिखो, 15 दिन के लिए ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करो, शराब की लत छोड़ने के लिए डॉक्टर की मदद लो, और मनोचिकित्सक से काउंसिलिंग लेकर उसकी रिपोर्ट सबमिट करो। ये थी 2 युवाओं के हत्यारे एक शराबी ड्राइवर को मिली ‘कड़ी सज़ा’। इसके बाद सवाल खड़े हो गए हैं कि क्या न्यायपालिका को पूरी तरह से सुधार की आवश्यकता है?
🚩परिस्थिति को थोड़ा पलट कर देखिए। क्या मृतकों में अगर कोई रसूखदार परिवार का होता और ये दुर्घटना किसी ग़रीब ट्रक ड्राइवर से हुई होती तो क्या उससे भी लेख लिखवा कर उसे छोड़ दिया जाता? आजकल 17 वर्ष की उम्र में लड़के-लड़कियाँ पब में पार्टी कर रहे हैं, बाइक-कार चला रहे हैं, सामान्य वयस्क की तरह रह रहे हैं और यहाँ तक कि शारीरिक संबंध भी बना रहे हैं, ऐसी स्थिति में ऐसे अपराध को अंजाम देने वाले के साथ नर्सरी के बच्चे की तरह व्यवहार करना कहाँ तक उचित है?
🚩चूँकि नाबालिग का पिता रसूखदार है, इसीलिए उसने थाने में आने तक की जहमत नहीं उठाई भले ही उसके खिलाफ FIR ही क्यों न दर्ज हो गई हो। इसका कारण ये है कि न्यायपालिका को नचाने के हथियार इनलोगों के पास हैं। बड़े वकील हैं, पैसा है, प्रभाव है, संपर्क है और फैला हुआ कारोबार भी है। जो 2 लोग इस घटना में मारे गए, उनके परिवारों के बारे में सोचिए। पढ़ा-लिखा कर इंजीनियर बनाया, अब शादी-विवाह वगैरह किए जाते, उन परिवारों के सारे अरमान मिट्टी में मिल गए।
🚩करोड़ों रुपए की कार मिल जाने का ये अर्थ नहीं है कि आपको 2 लोगों को कुचल कर मार डालने और उसके बाद बिना किसी सज़ा के रिहा हो जाने का लाइसेंस मिल जाता है। 12वीं में पास होने के बाद दारू पार्टी कर के 2 लोगों को मार डालने वाले नाबालिग के पिता ने तुरंत प्रशांत पाटिल और आबिद मुलानी जैसे वकीलों को खड़ा कर दिया अपने बेटे के पक्ष में। हालाँकि, पुलिस इस पक्ष में है कि नाबालिग को इस मामले में बालिग़ की तरह ट्रीट किया जाए।
🚩रसूखदार और अमीर परिवारों के लिए अलग हैं नियम-कानून?
इसे एक जघन्य वारदात बताते हुए पुलिस ने नाबालिग की कस्टडी की भी माँग की है। जमानत के इस आदेश के खिलाफ अब पुलिस सेशन कोर्ट जाएगी। कार में नंबर प्लेट तक नहीं थी। ACP स्तर के अधिकारी को मामले की जाँच सौंपी गई है। रोड सेफ्टी के लिए काम करने वाले NGO के संचालक अनुराग कुलश्रेष्ठ ने कहा कि हम एक अनुशासनहीन समाज में रह रहे हैं जहाँ सड़क के कानूनों के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि पुणे में ट्रैफिक पुलिस की स्थिति ये है कि हेलमेट को लेकर चेकिंग अभियान शुरू किया गया तो कई राजनीतिक दल इसके विरोध में उतर गए।
🚩प्रशांत पाटिल बॉम्बे हाईकोर्ट के अधिवक्ता हैं। कॉर्पोरेट और बैंकिंग धोखाधड़ी से लेकर घरेलू व अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता तक के मामलों को देखते रहे हैं। बतौर क्रिमिनल लॉयर भी काम कर चुके हैं। सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी से संबद्ध पुणे स्थित पद्मश्री DY पाटिल कॉलेज ऑफ लॉ और मुंबई यूनिवर्सिटी से उन्होंने कानून की पढ़ाई की है। वहीं आबिद मुलानी भी बड़े वकीलों में से एक हैं। क्या कोई साधारण व्यक्ति नामी वकीलों को हायर करने की सोच भी सकता है?
🚩न्यायपालिका में सुधार की बातें इसीलिए भी की जा रही हैं, क्योंकि इसका दोहरा रवैया इस मामले में सामने आता रहता है। दिल्ली में एक लड़के को 200 रुपए की चोरी के आरोप में 1 साल जेल की सज़ा काटनी पड़ी। भारत की जेलों में 9681 ऐसे बच्चे रह रहे हैं, जिन्हें वयस्कों की जेलों में डाल दिया गया है। यहाँ तक कि लड़कियाँ भी इनमें शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट के जज इसके लिए राज्यों को दोषी ठहराते हैं। लेकिन, जब आरोपित रसूखदार और अमीर परिवार का हो तो भेदभाव क्यों?
🚩क्या कहते हैं अधिवक्ता
ये तो एक तरह से उन दोनों मृतकों के परिवारों के जख्म पर मरहम लगाने की बजाए नमक छिड़कने जैसा हुआ। हमने इसके कानूनी पहलुओं को समझने के लिए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता शशांक शेखर झा से बातचीत की। उन्होंने कहा कि भारत में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की संलिप्तता वाले मामलों में 3 तरह के केस लगाए जाते हैं – Petty (छोटे), Serious (गंभीर) और Heinous (घृणित)। उन्होंने बताया कि गंभीर मामलों में 7 साल तक की सज़ा होती है, छोटे वाले में 2 साल तक की और 7 साल से ऊपर सज़ा वाली को ‘Heinous’ की श्रेणी में डाला जाता है।
🚩उन्होंने समझाते हुए कहा कि मायने ये रखता है कि FIR में जो धाराएँ लगाई गई हैं वो किस कैटेगरी में आती हैं इन तीनों में से। उन्होंने बताया कि 2015 में एक मूवमेंट के बाद कानून में संशोधन हुआ और JJD (जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड) को ये अधिकार दिया गया कि अगर नाबालिग की उम्र 16-18 है तो गंभीर मामलों में उस पर बालिग़ की तरह मुकदमा चलाया जाए। उन्होंने बताया कि ऐसे मामलों में 304 लगाया जाता है, जिसमें सज़ा 10 साल तक की है जबकि 304A में 2 साल तक की सज़ा मिल सकती है।
🚩बताते चलें कि पुणे वाले मामले में पुलिस ने 304A धारा लगाई है। उन्होंने बताया कि लापरवाही से खतरनाक ड्राइविंग के मामले में 304 लगाया जाता है, जब मामला गंभीर हो। उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि 304A तब लगाया जा सकता है जब किसी ने ट्रैफिक लाइट जंप किया और किसी गाड़ी की चपेट में आने के कारण उसकी मौत हो गई। उन्होंने बताया कि कैसे मीडिया में चल रहा है कि FIR दर्ज करने में कोताही बरती जा रही थी और गवाहों से ही सही व्यवहार नहीं किया गया।
🚩पालघर में साधुओं की मॉब लिंचिंग के मामले में उन्हें न्याय दिलाने में सक्रिय रहे शशांक शेखर झा ने पुणे वाले मामले को लेकर पुलिस की मंशा पर भी सवाल उठाए और पूछा कि अगर वो चाहती है कि नाबालिग को बालिग की तरह ट्रीट किया जाए तो उस पर कमजोर धाराएँ क्यों लगाई गईं? साथ ही उन्होंने पूछा कि जज ने तुरंत जमानत कैसे दे दी? उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर गलत सन्देश गया है। उन्होंने ध्यान दिलाया कि लोगों ने आरोपित को पकड़ लेने के बावजूद उसे पुलिस को सौंप दिया और न्याय व्यवस्था पर भरोसा जताया, कहीं उनका ये भरोसा भविष्य में खत्म हुआ तो ये लोकतंत्र के लिए ये ठीक नहीं होगा। - अनुपम कुमार सिंह
🚩भारत में कई निर्दोष आज भी जेल में है और अपराधी आज भी खुलेआम बाहर घूम रहे हैं इससे जनता का न्यापालिका से विश्वास कम होता जा रहा है, सभी के लिए कानून समान है तो न्याय भी समान ही मिलना चाहिए।
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Wednesday, May 22, 2024
भगवान बुद्ध को बदनाम करने के लिए इस तरीके से रचा गया था षड्यंत्र
भगवान बुद्ध को बदनाम करने के लिए इस तरीके से रचा गया था षड्यंत्र
23 May 2024
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🚩भगवान बुद्ध का जन्म 483 और 563 ईस्वी पूर्व के बीच शाक्यगणराज्य की तत्कालीन राजधानी कपिलवस्तु के निकटलुंबिनी, नेपाल में हुआ था । लुम्बिनी वन नेपाल के तराई क्षेत्र में कपिलवस्तु और देवदह के बीच नौतनवा स्टेशन से 8 मील दूर पश्चिम में रुक्मिनदेई नामक स्थान के पास स्थित था ।
🚩कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी को अपने नैहर देवदह जाते हुए रास्ते में प्रसव पीड़ा हुई और वहीं उन्होंने एक बालक को जन्म दिया । शिशु का नाम सिद्धार्थ रखा गया ।
🚩कपिलवस्तु के राजा शुद्धोदन का युवराज था सिद्धार्थ! यौवन में कदम रखते ही विवेक और वैराग्य जाग उठा। युवान पत्नी यशोधरा और नवजात शिशु राहुल की मोह-ममता की रेशमी जंजीर काटकर महाभीनिष्क्रमण (गृहत्याग) किया। एकान्त अरण्य में जाकर गहन ध्यान साधना करके अपने साध्य तत्त्व को प्राप्त कर लिया।
🚩एकान्त में तपश्चर्या और ध्यान साधना से खिले हुए इस आध्यात्मिक कुसुम की मधुर सौरभ लोगों में फैलने लगी। अब सिद्धार्थ भगवान बुद्ध के नाम से जन-समूह में प्रसिद्ध हुए। हजारों हजारों लोग उनके उपदिष्ट मार्ग पर चलने लगे और अपनी अपनी योग्यता के मुताबिक आध्यात्मिक यात्रा में आगे बढ़ते हुए आत्मिक शांति प्राप्त करने लगे। असंख्य लोग बौद्ध भिक्षुक बनकर भगवान बुद्ध के सान्निध्य में रहने लगे। उनके पीछे चलने वाले अनुयायियों का एक संघ स्थापित हो गया।
🚩चहुँ ओर नाद गूँजने लगे :
बुद्धं शरणं गच्छामि।
धम्मं शरणं गच्छामि।
संघं शरणं गच्छामि।
🚩श्रावस्ती नगरी में भगवान बुद्ध का बहुत यश फैला। लोगों में उनकी जय-जयकार होने लगी। लोगों की भीड़-भाड़ से विरक्त होकर बुद्ध नगर से बाहर जेतवन में आम के बगीचे में रहने लगे। नगर के पिपासु जन बड़ी तादाद में वहाँ हररोज निश्चित समय पर पहुँच जाते और उपदेश-प्रवचन सुनते। बड़े-बड़े राजा महाराजा भगवान बुद्ध के सान्निध्य में आने जाने लगे।
🚩समाज में तो हर प्रकार के लोग होते हैं। अनादि काल से दैवी सम्पदा के लोग एवं आसुरी सम्पदा के लोग हुआ करते हैं। बुद्ध का फैलता हुआ यश देखकर उनका तेजोद्वेष करने वाले लोग जलने लगे। और जैसा कि संतों के साथ हमेशा से होता आ रहा है ऐसे उन दुष्ट तत्त्वों ने बुद्ध को बदनाम करने के लिए कुप्रचार किया। विभिन्न प्रकार की युक्ति-प्रयुक्तियाँ लड़ाकर बुद्ध के यश को हानि पहुँचे ऐसी बातें समाज में वे लोग फैलाने लगे। उन दुष्टों ने अपने षड्यंत्र में एक वेश्या को समझा-बुझाकर शामिल कर लिया।
🚩वेश्या बन-ठनकर जेतवन में भगवान बुद्ध के निवास-स्थान वाले बगीचे में जाने लगी। धनराशि के साथ दुष्टों का हर प्रकार से सहारा एवं प्रोत्साहन उसे मिल रहा था। रात्रि को वहीं रहकर सुबह नगर में वापिस लौट आती। अपनी सखियों में भी उसने बात फैलाई।
🚩लोग उससे पूछने लगेः “अरी! आजकल तू दिखती नहीं है?कहाँ जा रही है रोज रात को?”
🚩वैश्या बोली “मैं तो रोज रात को जेतवन जाती हूँ। वे बुद्ध दिन में लोगों को उपदेश देते हैं और रात्रि के समय मेरे साथ रंगरलियाँ मनाते हैं। सारी रात वहाँ बिताकर सुबह लौटती हूँ।”
🚩वेश्या ने पूरा स्त्रीचरित्र आजमाकर षड्यंत्र करने वालों का साथ दिया । लोगों में पहले तो हल्की कानाफूसी हुई लेकिन ज्यों-ज्यों बात फैलती गई त्यों-त्यों लोगों में जोरदार विरोध होने लगा। लोग बुद्ध के नाम पर फटकार बरसाने लगे। बुद्ध के भिक्षुक बस्ती में भिक्षा लेने जाते तो लोग उन्हें गालियाँ देने लगे। बुद्ध के संघ के लोग सेवा-प्रवृत्ति में संलग्न थे। उन लोगों के सामने भी उँगली उठाकर लोग बकवास करने लगे।
🚩बुद्ध के शिष्य जरा असावधान रहे थे। कुप्रचार के समय साथ ही साथ सुप्रचार होता तो कुप्रचार का इतना प्रभाव नहीं होता।
🚩शिष्य अगर निष्क्रिय रहकर सोचते रह जाएं कि ‘करेगा सो भरेगा… भगवान उनका नाश करेंगे..’ तो कुप्रचार करने वालों को खुला मैदान मिल जाता है।
🚩संत के सान्निध्य में आने वाले लोग श्रद्धालु, सज्जन, सीधे सादे होते हैं, जबकि दुष्ट प्रवृत्ति करने वाले लोग कुटिलतापूर्वक कुप्रचार करने में कुशल होते हैं। फिर भी जिन संतों के पीछे सजग समाज होता है उन संतों के पीछे उठने वाले कुप्रचार के तूफान समय पाकर शांत हो जाते हैं और उनकी सत्प्रवृत्तियाँ प्रकाशमान हो उठती हैं।
🚩कुप्रचार ने इतना जोर पकड़ा कि बुद्ध के निकटवर्ती लोगों ने ‘त्राहिमाम्’ पुकार लिया। वे समझ गये कि यह व्यवस्थित आयोजन पूर्वक षड्यंत्र किया गया है। बुद्ध स्वयं तो पारमार्थिक सत्य में जागे हुए थे। वे बोलतेः “सब ठीक है, चलने दो। व्यवहारिक सत्य में वाहवाही देख ली। अब निन्दा भी देख लें। क्या फर्क पड़ता है?”
🚩शिष्य कहने लगेः “भन्ते! अब सहा नहीं जाता। संघ के निकटवर्ती भक्त भी अफवाहों के शिकार हो रहे हैं। समाज के लोग अफवाहों की बातों को सत्य मानने लग गये हैं।”
🚩बुद्धः “धैर्य रखो। हम पारमार्थिक सत्य में विश्रांति पाते हैं। यह विरोध की आँधी चली है तो शांत भी हो जाएगी। समय पाकर सत्य ही बाहर आयेगा। आखिर में लोग हमें जानेंगे और मानेंगे।”
🚩कुछ लोगों ने अगवानी का झण्डा उठाया और राज्यसत्ता के समक्ष जोर-शोर से माँग की कि बुद्ध की जाँच करवाई जाये। लोग बातें कर रहे हैं और वेश्या भी कहती है कि बुद्ध रात्रि को मेरे साथ होते हैं और दिन में सत्संग करते हैं।
🚩बुद्ध के बारे में जाँच करने के लिए राजा ने अपने आदमियों को फरमान दिया। अब षड्यंत्र करनेवालों ने सोचा कि इस जाँच करने वाले पंच में अगर सच्चा आदमी आ जाएगा तो अफवाहों का सीना चीरकर सत्य बाहर आ जाएगा। अतः उन्होंने अपने षड्यंत्र को आखिरी पराकाष्ठा पर पहुँचाया। अब ऐसे ठोस सबूत खड़ा करना चाहिए कि बुद्ध की प्रतिभा का अस्त हो जाये।
🚩षडयंत्रकारियों ने वेश्या को दारु पिलाकर जेतवन भेज दिया। पीछे से गुण्डों की टोली वहाँ गई। वेश्या के साथ बलात्कार आदि सब दुष्ट कृत्य करके उसका गला घोंट दिया और लाश को बुद्ध के बगीचे में गाड़कर पलायन हो गये।
🚩लोगों ने राज्यसत्ता के द्वार खटखटाये थे लेकिन सत्तावाले भी कुछ लोग दुष्टों के साथ जुड़े हुए थे। ऐसा थोड़े ही है कि सत्ता में बैठे हुए सब लोग दूध में धोये हुए व्यक्ति होते हैं।
🚩राजा के अधिकारियों के द्वारा जाँच करने पर वेश्या की लाश हाथ लगी। अब दुष्टों ने जोर-शोर से चिल्लाना शुरु कर दिया।
🚩”देखो, हम पहले ही कह रहे थे। वेश्या भी बोल रही थी लेकिन तुम भगतड़े लोग मानते ही नहीं थे। अब देख लिया न? बुद्ध ने सही बात खुल जाने के भय से वेश्या को मरवाकर बगीचे में गड़वा दिया। न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी। लेकिन सत्य कहाँ तक छिप सकता है? मुद्दामाल हाथ लग गया। इस ठोस सबूत से बुद्ध की असलियत सिद्ध हो गई। सत्य बाहर आ गया।”
🚩लेकिन उन मूर्खों को पता नहीं कि तुम्हारा बनाया हुआ कल्पित सत्य बाहर आया, वास्तविक सत्य तो आज ढाई हजार वर्ष के बाद भी वैसा ही चमक रहा है। आज बुद्ध भगवान को लाखों लोग जानते हैं, आदरपूर्वक मानते हैं। उनका तेजोद्वेष करने वाले दुष्ट लोग कौन-से नरकों में जलते होंगे क्या पता!
🚩वर्तमान में जिन संतों के ऊपर आरोप लग रहे हैं उनके भक्त अगर सच्चाई किसी को बताने जाएंगे तो दुष्ट प्रकृति के लोग तो बोलेंगे ही, लेकिन जो हिंदूवादी और राष्ट्रवादी कहलाने वाले लोग है वे भी यही बोलेंगे की कि बुद्ध तो भगवान थे, आजकल के संत ऐसे ही है, उनको इतने पैसे की क्या जरूत है? लड़कियों से क्यों मिलते हैं..??? ऐसे कपड़े क्यों पहनते हैं..??? आदि आदि…।
🚩पर उनको पता नही है कि पहले ऋषि मुनियों के पास इतनी सम्पत्ति होती थी कि राजकोष में धन कम पड़ जाता था तो ऋषि मुनियों से लोन लिया जाता था और रही कपड़े की बात तो कई भक्तों की भावना होती है तो पहन लेते हैं और लड़कियां दुःखी होती हैं तो उनके मां-बाप लेकर आते हैं तो कोई दुःख होता है तो मिल लेते हैं,उनके घर थोड़े ही बुलाने जाते हैं और भी कई तर्क वितर्क करेगे लेकिन भक्तों को दुःखी नहीं होना चाहिए। सबके बस की बात नही है कि महापुरुषों को पहचान पाये, आप अपने गुरूदेव का प्रचार प्रसार करते रहें, एक दिन ऐसा आएगा कि निंदा करने वाले भी आपके पास आयेंगे और बोलेंगे कि मुझे भी अपने गुरु के पास ले चलो।
🚩विदेशी फंडेड मीडिया ने हिंदू साधु-संतों की झूठी कहानी बनाकर समाज को परोसी, जिससे समाज गुमराह हो गया और सच्चाई न जानकर झूठ को ही सच मान बैठे, कुछ स्वार्थी नेता राष्ट्रविरोधी ताकतों से मिलकर झूठे केस में संतो को जेल भिजवा रहे हैं पर उसका भी देर सवेर खुलासा होगा क्योंकि सत्य को परेशान किया जाता है पराजित कभी नहीं…।
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Tuesday, May 21, 2024
बांग्लादेश से हिंदुओं को साफ करने के लिए बड़े पैमाने पर चल रही है साजिश
बांग्लादेश से हिंदुओं को साफ करने के लिए बड़े पैमाने पर चल रही है साजिश
22 May 2024
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🚩बांग्लादेश में हिंदू पुरुषों और महिलाओं को धर्मांतरित कराने के लिए इस्लामी कट्टरपंथियों के समूह ने नया खेल शुरू किया हुआ है। वहाँ कट्टरपंथी संगठनों द्वारा समूह में शामिल मुस्लिम युवकों को इनाम दिया जा रहा है ताकि वो उसका इस्तेमाल हिंदुओं को इस्लाम कबूल करवाने के लिए करें।
🚩मीडिया रिपोर्टें दावा करती हैं कि सोशल मीडिया पर तमाम पेज आदि खुले हैं ताकि कट्टरपंथी हिंदू पुरुषों और महिलाओं को धर्मांतरण के लिए मना सकें। इसके अलावा इन कट्टरपंथियों को ये भी सिखाया जाता है कि कैसे लव जिहाद के जरिए धर्मांतरण करवाया जाए। वहीं नव मुस्लिमों को संरक्षण देने के नाम पर बैंक समेत कई सामाजिक संगठन धर्म परिवर्तन जैसे कुकृत्यों में शामिल रहे हैं।
🚩आज भी कई सामाजिक संगठन इस तरह की हरकत करते हैं जबकि कानून प्रशासन चुप होकर ये सब देखता रहता है। कट्टरपंथियों का मकसद अन्य धर्मों के लोगों को कमजोर करना है जिससे या तो वो इस्लाम में आ जाएँ या फिर पलायन करके भारत चले जाएँ।
🚩उनके ऐसे घटिया प्रयासों के चलते देश में साम्प्रदायिकता फैल रही है… हाल में मोहम्मद साहिदुल्ला खान मदानी और डॉक्टर अब्दुल्ला फारूक द्वारा दस्तख्त किया गया जमीयत-ए-अहले-हदीस का फतवा सोशस मीडिया पर धड़ल्ले से चल रहा है। उसमें तो कहा यही गया है कि हिंदू युवतियों को लव जिहाद में फँसाओ और उनका धर्मांतरण कराओ। फतवे में 50 हजार से लेकर 50 लाख बांग्लादेशी करंसी इनाम देने की भी बात है। इस फतवे की कॉपी को संगठन के हर जिला अध्यक्ष और महासचिवों के पास भेजा गया है।
🚩वहीं, जब इस संबंध में बांग्लादेश जमीयत-ए-अहले-हदीस से पूछा गया तो उन्होंने इसे साजिश बता दिया। जब पूछा गया कि इस संगठन का खर्चा कैसे चलता है तो बताया संतोषजनक जवाब देने की बजाय सिर्फ इतना कहा गया कि एफ्रो-अरब की अलग-अलग जगहों से जो चंदा आता है उससे ये संगठन चलते हैं।
🚩इसी तरह इस्लामी दावाह संगठन भी मुफ्ती जुबैर अहमद के नेतृत्व में ऐसे कृत्यों को करवाने में शामिल है। वो मुस्लिम युवकों को ट्रेनिंग देते हैं कि कैसे हिंदू महिलाओं को फँसाकर इस्लाम में लाया जाए। इनके नाम पर तो एक पोस्ट भी वायरल हुआ था जिसमें साफ कहा गया था- “हमारे मुस्लिम भाई मूर्तिपूजकों (हिंदुओं) को प्रेम जाल में फँसा रहे हैं, और साथ ही उन्हें सच्चे मुसलमानों में बदल रहे हैं। प्रशंसनीय बात यह है कि हमारे मुस्लिम भाइयों को इस तरह से प्रशिक्षित किया जा रहा है कि लड़कियों (अन्य धर्मों की)को लगे कि वे वास्तव में उनसे प्यार करते हैं। उनकी यही क्षमता हमारे मिशन (गैर-मुसलमानों को प्रेम जाल में फँसाने) को पूरा कर रही है।” इसी तरह से लव जिहाद के नाम से एक मामून नाम का व्यक्ति ‘लव जिहाद मिशन’ पर पूरा फेसबुक पेज ही चला रहा है।
🚩कई हिंदू संगठन इस्लामी कट्टरपंथियों के ऐसे कृत्यों से वाकिफ हैं इसलिए वो इसे चिंताजनक स्थिति बताते हैं। नेशनल हिंदू ग्रैंड अलायंस से जुड़े वकील गोबिंदा चंद्रा कहते हैं कि इस तरह का ट्रेंड बेहद डराने वाला है। ऐसा देखने को मिल रहा है कि इस्लामी खुलेआम लव जिहाद की गतिविधियों को बढ़ा रहे हैं और मुस्लिम युवकों को रिवार्ड दे रहे हैं ताकि वो हिंदुओं को फँसाएँ। गोबिंदा कहते हैं कि मुस्लिम कट्टरपंथियों की ऐसी हरकत का शिकार सिर्फ हिंदू महिलाएँ नहीं है बल्कि हिंदू पुरुष भी हैं और पूरा का पूरा परिवार है। ऐसा लगता है कि ये प्रयास हो बांग्लादेश को हिंदू मुक्त करने का। ये लोग हिंदुओं को इस मुल्क से मिटाना चाहते हैं।
🚩गोबिंदा और उनके संगठन पर हिंदुओं की आवाज बनने पर तमाम लांछन लगते हैं। लेकिन वो कहते हैं कि पिछले 35 सालों से उनका संगठन हिंदुओं के अधिकारों के लिए लड़ रहा है और लव जिहादियों का शिकार बनने से उन्हें रोक रहा है यही वजह है कि हिंदू विरोधी लोग इसे बंद कराना चाहते हैं। उनका कहना है कि ये लोग हर संगठन को चुप कराना चाहते हैं ताकि बांग्लादेश को हिंदू मुक्त बना सकें… ये आरएसएस को बैन कराना चाहते हैं क्योंकि वो संस्था देश भर के हिंदुओं के अधिकारों के लिए काम कर रही है। ऐसे ही बांग्लादेश के इस्लामी पीएम मोदी के खिलाफ भी प्रोपगेंडा चलाते हैं क्योंकि वो हिंदुओं के अधिकार संरक्षित करने वाले वैश्विक नेता बनकर उभरे हैं।
🚩दावा है कि बांग्लादेश में इस्लामी अपने तौर-तरीकों को हिंदुओं पर थोपने का प्रयास करते हैं। वहीं प्रशासन में बैठे कुछ लोग ऐसे हैं जो साफ तौर पर लव जिहाद को मानने से इनकार कर देते हैं। गोबिंदा इसे हिंदू घृणा का सबसे घटिया उदाहरण कहते हैं और बताते हैं कि सोशल मीडिया पर चल रहे ऐसे अभियानों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है।
https://twitter.com/OpIndia_in/status/1788026031301112149?t=AgKG3gZ5ElMLKRp2iuJaqA&s=19
🚩इसके अलावा एक प्राइवेट इस्लामिक शरीया बैंक हैं जहाँ मुस्लिमों को कानूनी, आर्थिक और रोजगार संबंधित दिक्कतों के लिए सहायता मिलती है। ये बैंक कहता है कि ये मुस्लिमों के सामाजिक स्तर को बढ़ाने के लिए काम करते हैं लेकिन हकीकत में तो ये युवकों को कट्टरपंथी बना रहे हैं। देश के 64 जिलों में इन्होंने धर्मांतरण के काम के लिए कट्टरपंथी तैयार किए हुए हैं।
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Monday, May 20, 2024
पाकिस्तान से आए CAA के तहत नागरिकता पाने वालों ने सुनाई आपबीती
पाकिस्तान से आए CAA के तहत नागरिकता पाने वालों ने सुनाई आपबीती
21 May 2024
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🚩भारत सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून CAA (सीएए) के तहत एक साथ 350 लोगों को भारत की नागरिकता दे दी है। इनमें से 14 लोगों को गृह मंत्रालय ने बुलाकर नागरिकता के पत्र सौंपे, तो बाकियों को सारे कागजात ऑनलाइन उपलब्ध कराए गए। भारत की नागरिकता पाए लोगों में अधिकाँश लोग पाकिस्तान से आए हिंदू अल्पसंख्यक हैं, जो अपनी जान बचाकर पाकिस्तान से भारत आए थे।
🚩दिल्ली के आदर्श नगर में रह रहीं भावना ने कहा, “वहाँ हमें बहुत मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं। लड़कियाँ पढ़ नहीं सकतीं और घरों से बाहर निकलना मुश्किल होता है। मुस्लिम हिंदू लड़कियों को किडनैप कर लेते हैं और उन्हें जबरन इस्लाम कबूल करवाया जाता है। लड़कियों को इतना खौफ रहता है कि वे घरों से बाहर नहीं निकलतीं। मैं काफी छोटी थी, तब से ही यहाँ हूँ। मुझे तो पाकिस्तान के अपने घर के अलावा ज्यादा कुछ याद नहीं है। इसकी वजह यह थी कि घर से बाहर ही नहीं निकलते थे। अब भी हमारे तमाम रिश्तेदार वहाँ हैं, जो भारत आना चाहते हैं। लेकिन उन्हें वीजा पाने में मुश्किल हो रही है।”पाकिस्तान से उत्पीड़न का शिकार होकर आए हिंदू परिवार की बेटी ने कहा कि हम अपने देश में लौटकर खुश हैं।
🚩भावना ने कहा कि ‘मैं एक टीचर बनना चाहती हूं और यहाँ की महिलाओं को पढ़ाना चाहती हूँ।’
🚩दिल्ली के मजनूँ का टीला में रहने वाली मीरा को भी भारत की नागरिकता मिल गई है। सीएए के माध्यम से नागरिकता मिलने के बाद मीरा ने कहा, “हमने 3-4 साल पहले नागरिकता के लिए आवेदन किया था। हमें आए हुए 8-9 साल हो गए थे जब यह घोषणा की गई थी कि हमें नागरिकता मिलेगी। हमने अपनी पोती का नाम भी ‘नागरिकता’ रखा है। कल जब हमें नागरिकता मिली तो हमने भगवान कृष्ण को मिठाइयाँ अर्पित कीं और विशेष भोजन तैयार किया।”
🚩दिल्ली में रहने वाले शीतल दास 5 अक्टूबर 2013 को पाकिस्तान छोड़कर दिल्ली पहुँचे थे। तब से वो यहीं पर हैं। शीतल दास ने कहा, “हमने पिछले महीने ही नागरिकता के लिए अप्लाई किया था और 15 मई को हमें नागरिकता मिल गई। अब हम सामान्य जीवन जी सकेंगे। काम कर सकेंगे और बच्चों को पढ़ा लिखा सकेंगे। अब हमारे बच्चों का भविष्य भी सुधर जाएगा।”
🚩यशोधरा नाम की महिला ने कहा, “हम 2013 में आए, लेकिन हमारे पास पानी और बिजली की सुविधा तक नहीं थी। हमनें नागरिकता के लिए काफी कोशिश की, लेकिन अब जाकर मिली है। हमारा तो जो हुआ, वो हुआ, हमारे बच्चों का भविष्य संवर जाएगा। हम बहुत खुश हैं। प्रधानमंत्री को बहुत शुक्रिया, अब हमारे बच्चे भी पढ़ लिख पाएँगे और अपना भविष्य संवार पाएँगे। हम पाकिस्तानी कहे जाते थे, लेकिन अब हमें कोई पाकिस्तानी नहीं कहेगा। अब हम हिंदुस्तानी हो गए हैं।”
https://twitter.com/ANI/status/1791068426271941025?t=2cFiwsoYTJpmr9TVrO74RA&s=19
🚩अमृता नाम की बच्ची ने कहा, “हम 2013 में पाकिस्तान से आए थे। न बिजली की सुविधा थी और न ही स्कूल की। अब दोनों सुविधाएँ मिलेंगी। मैं बड़ी होकर डॉक्टर बनना चाहती हूँ।”
🚩गौरतलब है कि भारत सरकार ने नागरिकता संसोधन विधेयक को 2019 में ही पारित कर दिया था और इस साल मार्च से इसे कानून के तौर पर लागू कर दिया। सीएए के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होकर आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जानी है। इन अल्पसंख्यकों में हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोग हैं। सरकार ने इस साल मार्च में इस कानून को लागू करते समय इसके प्रावधानों के बारे में भी बताया था।
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Sunday, May 19, 2024
चाय-कॉफी पीने वाले सावधान, ICMR ने बचने की दी सलाह
चाय-कॉफी पीने वाले सावधान, ICMR ने बचने की दी सलाह
20 May 2024
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🚩भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के शोधकर्ताओं ने बताया कि चाय (Tea) और कॉफी (Coffee) में कैफीन (caffeine) होता है, जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central nervous system) को उत्तेजित करता है और शारीरिक निर्भरता को बढ़ावा देता है। कैफीन (Caffeine) का यह प्रभाव हमारे दैनिक जीवन और स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
🚩भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने चाय और कॉफी के सेवन में संयम बरतने की सलाह दी है, जो भारतीय संस्कृति में गहराई से रची-बसी हैं। हाल ही में, ICMR ने राष्ट्रीय पोषण संस्थान (NIN) के साथ मिलकर 17 नए आहार दिशानिर्देश प्रस्तुत किए हैं, जिनका उद्देश्य पूरे भारत में स्वस्थ खानपान की आदतों को बढ़ावा देना है। इन दिशानिर्देशों में विविध आहार और सक्रिय जीवनशैली के महत्व पर विशेष जोर दिया गया है।
🚩चिकित्सा संगठन ने चाय या कॉफी से बचने की सलाह दी है, क्योंकि इनमें टैनिन्स होते हैं, जो शरीर में आयरन के अवशोषण को कम कर सकते हैं। टैनिन्स पेट में आयरन से जुड़कर उसके अवशोषण को कठिन बना देते हैं, जिससे आयरन की कमी और एनीमिया जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। अत्यधिक कॉफी सेवन उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी असामान्यताएं भी पैदा कर सकता है।
🚩200 वर्ष पहले भारतीय घरों में चाय नहीं होती थी। पहले घर पर अतिथि आते थे, तो देशी गाय का दूध-लस्सी ,छाछ,नींबू पानी,आदि दिया जाता था, लेकिन आज कोई भी घर आये अतिथि को पहले चाय पूछते हैं। ये बदलाव अंग्रेजों की देन है।
🚩कई लोग घर, दुकान, ऑफिस या यात्रा के दौरान दिन में कई बार चाय लेते रहते हैं, यहाँ तक कि उपवास में भी चाय लेते हैं! किसी भी डॉक्टर के पास जायेंगे तो वो शराब-सिगरेट-तम्बाखू छोड़ने को कहेगा, पर चाय नहीं, क्योंकि यह उसे पढ़ाया नहीं गया और वह भी खुद चाय का गुलाम है। परन्तु किसी अच्छे वैद्य के पास जायेंगे तो वह पहली सलाह देगा- चाय ना पीयें।
🚩सुखी,स्वस्थ रहना हैं तो चाय-कॉफी को हमेशा के लिए त्याग दें,क्योंकि चाय, कॉफी के हर कप के साथ एक चम्मच या उससे अधिक शक्कर ली जाती है, जो पेट की चर्बी बढ़ाती है और अनेक बीमारियां को बुलाती है। अगर पीनी ही पड़ी तो गुड़, नींबू मिलाकर काली चाय पीएं, पर ध्यान रहें काली चाय में शक्कर और दूध नहीं मिलाएं। चाय के साथ नमकीन, खारे बिस्कुट, पकौड़ी आदि लेते हैं, यह विरुद्ध आहार है; इससे कई प्रकार के त्वचा रोग होते हैं।
🚩चाय का विकल्प
🚩संकल्प कर लें कि चाय नहीं पियेंगे। 2 दिन से 7 दिन तक याद आएगी ; फिर सोचेंगे अच्छा हुआ छोड़ दी। 1 या 2 दिन तक सिर दर्द हो सकता है,फिर नार्मल हो जाओगे ।
🚩सुबह ताजगी के लिए गर्म पानी लें, चाहे तो उसमें आंवले के टुकड़े मिला दें तो और स्फूर्ति आ जाएगी।
🚩5 पत्ते तुलसी के पत्ते का गर्म पानी, गुड़ का गर्म पियें तो चाय की लत भी छूट जाएगी और शरीर निरोग होने लगेगा।
🚩चाय की जगह देशी गाय के दूध , लस्सी, छाछ,नींबू पानी,का उपयोग करना चाहिए,इससे स्वास्थ्य में चार चांद लग जायेंगे और सभी बीमारियां भी भाग जाएंगी।
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Saturday, May 18, 2024
रामचरितमानस को UNESCO ने अपनी सूची में दिया खास स्थान
रामचरितमानस को UNESCO ने अपनी सूची में दिया खास स्थान
19 May 2024
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🚩भारत में मानवता के विरोधी रामचरितमानस का भी विरोध करते रहते है, वास्तव में यह रामचरितमानस का विरोध नही है यह मानवता को खत्म करने का प्रयास हैं क्योंकि रामचरितमानस ग्रंथ अद्भुत है, उसके पढ़ने से मानव स्वथ्य, सूखी और सम्मानित, भक्तिमय, त्यागमय जीवन जी सकता हैं और यहां तक कि अपना इह लोक और परलोक दोनों भी सुधार सकता है रामचरितमानस में इतनी शक्ति हैं।
🚩आपको बता दे की भारत की सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक विरासत को यूनेस्को की ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर’ में जगह मिली है। भारत के राम चरित मानस, पंचतंत्र और सहृदयलोक-लोकन को इस खास रजिस्टर में शामिल किया गया है। रामचरितमानस’, ‘पंचतंत्र’ और ‘सहृदयलोक-लोकन’ ने भारत के सामाजिक, धार्मिक एवं जीवन दर्शन पर गहरा असर डाला है और भारतीय साहित्य और संस्कृति को गहराई से प्रभावित किया है, देश के नैतिक ताने-बाने और कलात्मक अभिव्यक्तियों को आकार दिया है।
🚩इन साहित्यिक कृतियों ने समय और स्थान से परे जाकर भारत के भीतर और बाहर दोनों जगह पाठकों और कलाकारों पर एक अमिट छाप छोड़ी है। उल्लेखनीय है कि ‘सहृदयालोक-लोकन’, ‘पंचतंत्र’ और ‘रामचरितमानस’ की रचना क्रमशः पं. आचार्य आनंदवर्धन, विष्णु शर्मा और गोस्वामी तुलसीदास ने की थी।
https://twitter.com/ANI/status/1790599441440759850?t=Xo4amXlghP_Pf-HXB8XVsw&s=19
🚩रामचरितमानस : भगवान राम के जीवन चरित - रामचरितमानस को तुलसीदास ने 16वीं शताब्दी में हिंदी भाषा की अवधी बोली में लिखा था। यह रामायण से भिन्न है जिसे ऋषि वाल्मीकि ने संस्कृत भाषा में लिखा था। रामचरितमानस चौपाई रूप में लिखा गया ग्रंथ है। रामकथा को देश दुनिया में प्रसारित करने में रामचरितमानस को सबसे अहम माना जाता है। आज भी रामचरितमानस का पाठ सामूहिक रूप से भी किया जाता है।
🚩पंचतंत्र की कथाएँ: पंचतंत्र दुनिया की दंतकथाओं के सबसे पुराने संग्रहों में से एक है जो संस्कृत में लिखा गया था। विष्णु शर्मा जो महिलारोप्य के राजा अमर शक्ति के दरबारी विद्वान थे, उन्हें पंचतंत्र का श्रेय दिया जाता है। इसकी रचना संभवतः 300 ईसा पूर्व के आसपास हुई थी। इसका अनुवाद 550 ईसा पूर्व में पहलवी (ईरानी भाषा) में किया गया था।
🚩‘सहृदयालोक-लोकन: ‘सहृदयालोक-लोकन’ की रचना आचार्य आनंदवर्धन ने संस्कृत में की थी। आचार्य आनंदवर्धन,10वीं शताब्दी के उत्तरार्ध और 11वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध के दौरान कश्मीर में रहते थे।
🚩इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) ने मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड कमेटी फॉर एशिया एंड द पैसिफिक (एमओडब्ल्यूसीएपी) की 10वीं बैठक के दौरान एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उलानबटार में हुई इस सभा में, सदस्य देशों के 38 प्रतिनिधि, 40 पर्यवेक्षकों और नामांकित व्यक्तियों के साथ एकत्र हुए। तीन भारतीय नामांकनों की वकालत करते हुए, आईजीएनसीए ने ‘यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर’ में उनका स्थान सुनिश्चित किया।
🚩आईजीएनसीए में कला निधि प्रभाग के डीन (प्रशासन) और विभाग प्रमुख प्रोफेसर रमेश चंद्र गौड़ ने भारत से इन तीन प्रविष्टियों- राम चरित मानस, पंचतंत्र और सहृदयालोक-लोकन को सफलतापूर्वक प्रस्तुत किया। प्रो. गौर ने उलानबटार सम्मेलन में नामाँकनों का प्रभावी ढंग से समर्थन किया। यह उपलब्धि भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए आईजीएनसीए के समर्पण को प्रदर्शित करती है, साथ ही वैश्विक सांस्कृतिक संरक्षण और भारत की साहित्यिक विरासत की उन्नति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है।
🚩बता दें कि यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर के बारे में 2008 में ही सहमति बना ली गई थी, लेकिन पहली बार इसके लिए नामाँकन जमा किए गए। गहन विचार-विमर्श से गुजरने और रजिस्टर उपसमिति (आरएससी) से सिफारिशें प्राप्त करने और बाद में सदस्य देशों के प्रतिनिधियों द्वारा मतदान के बाद, सभी तीन नामांकनों को शामिल किया गया, जिससे 2008 में रजिस्टर की स्थापना से पहले की महत्वपूर्ण भारतीय प्रविष्टियों को चिह्नित किया गया।
🚩जो प्राणिमात्र का कल्याण करने का सामर्थ रखता है ऐसे पवित्र ग्रंथ श्री रामचरितमानसके मानस के बारे में गलत बोलना भी भयंकर पाप है इसलिए इस पवित्र ग्रंथ का जितना आदर करो उतना कम है क्योंकि सही जीवन जीने की राह यही ग्रंथ देता है और मरने के बाद मोक्ष तक की यात्रा करवा देता हैं।
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