Monday, July 1, 2024
मुगलों का नही भारत के इन महान राजाओं का इतिहास हिंदुओं को पढना चाहिए
मुगलों का नही भारत के इन महान राजाओं का
इतिहास हिंदुओं को पढना चाहिए
2 July 2024
https://azaadbharat.org
🚩भारत के इतिहास में छेड़छाड़ करके केवल क्रुर लुटेरे बलात्कारी मुगलों और अंग्रेजों को ही पढ़ाया गया, भारत के महान वीर राजाओं को गायब कर दिया जिन्होने मुगलों और अंग्रेजों को धूल चटाई थी, अपने पूर्वज उन महान राजाओं के बारे में सुनकर आप भी गौरविंत महसूस करेंगे ।
🚩1. बप्पा रावल - अरबो, तुर्को को कई हराया ओर हिन्दू धरम रक्षक की उपाधि धारण की
🚩2. भीम देव सोलंकी द्वितीय - मोहम्मद गौरी को 1178 मे हराया और 2 साल तक जेल मे बंधी बनाये रखा
🚩3. पृथ्वीराज चौहान - गौरी को 16 बार हराया और और गोरी बार बार कुरान की कसम खा कर छूट जाता ...17वी बार पृथ्वीराज चौहान हारे
🚩4. हम्मीरदेव (रणथम्बोर) - खिलजी को 1296 मे अल्लाउदीन ख़िलजी के 20000 की सेना में से 8000 की सेना को काटा और अंत में सभी 3000 राजपूत बलिदान हुए राजपूतनियो ने जोहर कर के इज्जत बचायी .. हिंदुओं की ताकत का लोहा मनवाया
🚩5. कान्हड देव सोनिगरा – 1308 जालोर मे अलाउदिन खिलजी से युद्ध किया और सोमनाथ गुजरात से लूटा शिवलिगं वापिस राजपूतो के कब्जे में लिया और युद्ध के दौरान गुप्त रूप से विश्वनीय राजपूतो , चरणो और पुरोहितो द्वारा गुजरात भेजवाया तथा विधि विधान सहित सोमनाथ में स्थापित करवाया
🚩6. राणा सागां - बाबर को भिख दी और धोका मिला ओर युद्ध । राणा सांगा के शरीर पर छोटे-बड़े 80 घाव थे, युद्धों में घायल होने के कारण उनके एक हाथ नही था एक पैर नही था, एक आँख नहीं थी उन्होंने अपने जीवन-काल में 100 से भी अधिक युद्ध लड़े थे।
🚩7. राणा कुम्भा - अपनी जिदगीँ मे 17 युद्ध लडे एक भी नही हारे।
🚩8. जयमाल मेड़तिया - ने एक ही झटके में हाथी का सिर काट डाला था। चित्तोड़ में अकबर से हुए युद्ध में जयमाल राठौड़ पैर जख्मी होने कि वजह से कल्ला जी के कंधे पर बैठ कर युद्ध लड़े थे, ये देखकर सभी युद्ध-रत साथियों को चतुर्भुज भगवान की याद आयी थी, जंग में दोनों के सिर काटने के बाद भी धड़ लड़ते रहे और 8000 राजपूतो की फौज ने 48000 दुश्मन को मार गिराया ! अंत में अकबर ने उनकी वीरता से प्रभावित हो कर जयमाल मेड़तिया और पत्ता जी की मुर्तिया आगरा के किलें में लगवायी थी.
🚩9. मानसिहं तोमर - महाराजा मान सिंह तोमर ने ही ग्वालियर किले का पुनरूद्धार कराया और 1510 में सिकंदर लोदी और इब्राहीमलोदी को धूल चटाई
🚩10. रानी दुर्गावती - चंदेल राजवंश में जन्मी रानी दुर्गावती राजपूत राजा कीरत राय की बेटी थी। गोंडवाना की महारानी दुर्गावती ने अकबर की गुलामी करने के बजाय उससे युद्ध लड़ा 24 जून 1564 को युद्ध में रानी दुर्गावती ने गंभीर रूप से घायल होने के बाद अपने आपको मुगलों के हाथों अपमान से बचाने के लिए खंजर घोंपकर आत्महत्या कर ली।
🚩11. महाराणा प्रताप - इनके बारे में तो सभी जानते ही होंगे ... महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलो था और कवच का वजन 80 किलो था और कवच, भाला, ढाल, और हाथ मे तलवार का वजन मिलाये तो 207 किलो था।
🚩12. जय सिंह जी - जयपुर महाराजा ने जय सिंह जी ने अपनी सूझबूझ से छत्रपति शिवजी को औरंगज़ेब की कैद से निकलवाया बाद में औरंगजेब ने जयसिंह पर शक करके उनकी हत्या विष देकर करवा डाली
🚩13. छत्रपति शिवाजी - मराठा वीर वंशज छत्रपति शिवाजी ने औरंगज़ेब को हराया तुर्को और मुगलो को कई बार हराया
🚩14. रायमलोत कल्ला जी का धड़ शीश कटने के बाद लड़ता- लड़ता घोड़े पर पत्नी रानी के पास पहुंच गया था तब रानी ने गंगाजल के छींटे डाले तब धड़ शांत हुआ उसके बाद रानी पति कि चिता पर बैठकर सती हो गयी थी।
🚩15. सलूम्बर के नवविवाहित रावत रतन सिंह चुण्डावत जी ने युद्ध जाते समय मोह-वश अपनी पत्नी हाड़ा रानी की कोई निशानी मांगी तो रानी ने सोचा ठाकुर युद्ध में मेरे मोह के कारण नही लड़ेंगे तब रानी ने निशानी के तौर
पैर अपना सर काट के दे दिया था, अपनी पत्नी का कटा शीश गले में लटका औरंगजेब की सेना के साथ भयंकर युद्ध किया और वीरता पूर्वक लड़ते हुए अपनी मातृ भूमि के लिए शहीद हो गये थे।
🚩16. औरंगज़ेब के नायक तहव्वर खान से गायो को बचाने के लिए पुष्कर में युद्ध हुआ उस युद्ध में 700 मेड़तिया राजपूत वीरगति प्राप्त हुए और 1700 मुग़ल मरे गए पर एक भी गाय कटने न दी उनकी याद में पुष्कर में गौ घाट बना हुआ है।
🚩17. एक राजपूत वीर जुंझार जो मुगलो से लड़ते वक्त शीश कटने के बाद भी घंटो लड़ते रहे आज उनका सिर बाड़मेर में है, जहा छोटा मंदिर हैं और धड़ पाकिस्तान में है।
🚩18. जोधपुर के यशवंत सिंह के 12 साल के पुत्र पृथ्वी सिंह ने हाथो से औरंगजेब के खूंखार भूखे जंगली शेर का जबड़ा फाड़ डाला था।
🚩19. करौली के जादोन राजा अपने सिंहासन पर बैठते वक़्त अपने दोनो हाथ जिन्दा शेरो पर रखते थे।
🚩20. हल्दी घाटी की लड़ाई में मेवाड़ से 20000 राजपूत सैनिक थे और अकबर की और से 85000 सैनिक थे फिर भी अकबर की मुगल सेना पर हिंदू भारी पड़े।
🚩21. राजस्थान पाली में आउवा के ठाकुर खुशाल सिंह 1857 में अजमेर जा कर अंग्रेज अफसर का सर काट कर ले आये थे और उसका सर अपने किले के बाहर लटकाया था तब से आज दिन तक उनकी याद में मेला लगता है।
🚩इसके अतरिक्त बहुत से हिन्दू योद्धा हुए है इस धरती पर जिनका नाम यहाँ नहीं किन्तु इससे उनका भारत को दिया योगदान कम नहीं होगा।
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Sunday, June 30, 2024
4 साल की दक्षा का दावा : ‘ये मेरा पुनर्जन्म है, कच्छ के भूकम्प में मैं मर गई थी।
4 साल की दक्षा का दावा : ‘ये मेरा पुनर्जन्म है, कच्छ के भूकम्प में मैं मर गई थी।
1 July 2024
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🚩हिंदू धर्म में पुनर्जन्म की मान्यता है। हमारे शास्त्रों और पुराणों में भी पुनर्जन्म की बात की गई है। हाल-फिलहाल में भी कई ऐसे उदारहण सामने आए हैं, जहाँ लोगों ने खुद के पुनर्जन्म का दावा किया है। ऐसा ही एक मामला गुजरात के बनासकांठा से सामने आया है। बनासकांठा के एक अनपढ़ गुजराती परिवार में जन्मी बच्ची जन्म से ही हिंदी बोलती है, उसने अपने पुनर्जन्म का दावा भी किया है।
🚩इस बच्ची का दावा है कि यह उसका पुनर्जन्म है और वह इससे 24 साल पहले कच्छ जिले के अंजार में रहती थी। बच्ची का दावा है कि भूकंप में उसकी और उसके परिवार की मौत हो गई थी। बनासकांठा की इस बच्ची का मामला अब सोशल मीडिया में छाया हुआ है। उसका वीडियो वायरल होने के बाद ऑपइंडिया सच्चाई जानने के लिए बनासकांठा के खासा गाँव तक पहुँच गया। ऑपइंडिया ने बच्ची के पिता जेताजी ठाकोर और बच्ची दक्षा से भी बात की। बातचीत के दौरान बच्ची ने कई हैरान करने वाली बातें बताईं। उसे पुनर्जन्म की कहानियाँ भी याद थीं।
🚩बच्ची के पिता- दक्षा हमेशा हिंदी में करती है बात
ऑपइंडिया ने सबसे पहले खासा गाँव के सरपंच से संपर्क किया। उन्होंने भी इस घटना के बारे में कुछ जानकारी दी है। उन्होंने कहा, “प्रकृति हमें कभी-कभी वाकई हैरान कर देती है। जिस लड़की के पुनर्जन्म का दावा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, वह हमारे परिवार की ही है। बच्ची ने जो कहा है, वह काफी हद तक सच भी है।”
🚩ऑपइंडिया सरपंच के ज़रिए बच्ची के परिवार तक पहुँचा। लड़की के पिता जेताजी ठाकोर ने हमें दक्षा के बचपन के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि वे खासा गाँव के वलजीभाई पटेल के खेत में मज़दूरी करते हैं। उनके तीन बच्चे हैं। उनका एक बेटा और दो बेटियाँ हैं।
🚩बच्ची के पिता जेठाजी ठाकोर ने बताया कि जबसे उनकी छोटी बेटी दक्षा ने जब से बोलना सीखा है, तब से वह हिंदी में ही बात करती है। वह अपनी बहनों से भी हिंदी में ही बात करती है। उसे गुजराती भाषा बोलने में दिक्कत होती है। उसे कुछ कहना भी होता तो वह हिंदी में ही बोलती है। जैसे, “मां मुझे पानी दे”। दक्षा के के माता-पिता अनपढ़ हैं। उनकी माँ गीताबेन को भी हिंदी का कोई ज्ञान नहीं है।
🚩शुरू में दक्षा हिंदी बोलती थी, लेकिन परिवार ने उस पर ध्यान नहीं दिया। जब दक्षा डेढ़ साल की हुई तो वह हिंदी में बात करने लगी, ”मेरी मम्मी कहाँ है… मेरा बिस्तर कहाँ है… मेरे पापा कहाँ है।” दक्षा के माता पिता को पहले उन्हें लगा कि लड़की कुछ शरारत कर रही है। दक्षा को बिना स्कूल गए, बिना किसी तरह के मोबाइल-टीवी, सिनेमा या सोशल मीडिया देखे हिंदी अच्छी तरह से आती है।
🚩ऑपइंडिया ने जब दक्षा के पिता से घटना की शुरुआत के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि शुरू में परिवार ने दक्षा पर ध्यान नहीं दिया। लेकिन समय के साथ वह समझदार और बड़े लोगों की तरह की तरह बात करने लगी। 6 महीने पहले उसने अचानक अपने पिता को बताया कि यह उसका दूसरा जन्म है।
🚩उसने अपने पिता को बताया कि पिछले जन्म में वह अंजार में रहती थी और उसका नाम प्रिंजल था। उसके माता-पिता भी अंजार में ही रहते थे। उसने अपने पिता को बताया कि भूकंप के दौरान छत गिरने से उसकी मौत हो गई। यह बताने के बाद उसके पिता और परिवार समेत गाँव के लोग हैरान रह गए।
🚩दक्षा का परिवार
लड़की के पिता ने बताया, “चार साल की बच्ची को अंजार के बारे में क्या मालूम? उसे तो अपने खुद के जिले के बारे में भी नहीं पता। फिर भी वह अंजार और भूकंप के बारे में बात कर रही है। उसे यह भी पता है कि 24 साल पहले कच्छ में भूकंप आया था और उसमें ही उसकी मौत हो गई थी।”
🚩दक्षा ने कहा- मैं वापस अंजार नहीं जाना चाहती
ऑपइंडिया ने 4 साल की बच्ची दक्षा से भी बात की। दक्षा से जब भूकंप की घटना के बारे में पूछा गया तो उसने बताया, “मैं बालमंदिर में पढ़ने जाती थी। वहाँ से मैं अपनी बहनों के साथ खेलती हुई घर आ रही थी। तभी अचानक जमीन फटने लगी और ऊपर से छत मेरे सिर पर गिर गई और मेरी मौत हो गई।”
🚩दक्षा ने साथ ही में यह भी बताया कि इस भूकंप में उसके माता-पिता की भी मौत हो गई थी। वह अपने परिवार के सदस्यों का नाम नहीं बता पाई, लेकिन उसने बताया कि जब वह अंजार में रहती थी तो उसका नाम प्रिंजल था। बच्ची ने अंजार के परिवार के बारे में भी बताया।
🚩बच्ची दक्षा
बच्ची ने बताया कि अंजार में उसके पिता केक बनाने वाली फैक्ट्री यानी बेकरी में काम करते थे और वे लाल कपड़े पहनते थे। उसकी माँ फूलों वाली साड़ी पहनती थीं और कभी-कभी वे ड्रेस भी पहनती थीं। अंजार में उनका एक बड़ा घर था। उसके माता-पिता उनसे बहुत प्यार करते थे। बच्ची ने बताया वह तीन भाई बहन थे। इनमें सबसे बड़ा भाई था, उसके बाद एक बेटी और दक्ष (प्रिंजल) सबसे छोटी थी। हालाँकि,
दक्षा अब दोबारा अंजार नहीं जाना चाहती। वह अपने भाई-बहनों और माता-पिता के साथ यहीं रहना चाहती है।
🚩भगवान ने भेजा है मुझे- दक्षा
ऑपइंडिया से बात करते हुए दक्षा ने बताया कि अब वह दोबारा अंजार नहीं जाना चाहती। उसने बताया, ”मुझे अंजार में डर लगता है। भगवान श्रीराम ने मुझे मना कर दिया है। श्रीराम ने कहा है कि अगर तुम वापस आओगी तो मैं तुम्हें दोबारा जन्म नहीं दूंगा। इसलिए अब मैं अंजार नहीं जाऊँगी। अगर फिर से भूकंप आया तो भगवान मुझे वापस नहीं भेजेंगे। भगवान ने मुझे यहाँ भेजा है और अब उन्होंने कहा है कि वे दोबारा जन्म नहीं देंगे।”
🚩दक्षा की उम्र 4 साल है, वह अशिक्षित परिवार से है, बिना स्कूल गए, बिना किसी तरह का मोबाइल-टीवी सिनेमा या सोशल मीडिया मीडिया देखे, बच्ची का हिंदी बोलना और सभी पुनर्जन्मों के बारे में बात करना अब एक पहेली है। लेकिन बच्ची जिस तरह से बात कर रही है, वह विज्ञान के लिए भी एक पहेली हो सकती है।
🚩फिलहाल दक्षा अंग्रेजी मीडियम में पढ़ाई कर रही है और उसका सपना सेना में भर्ती होकर दुश्मनों से लड़ना है। ऑपइंडिया से बात करते हुए दक्षा ने कहा कि वह अंग्रेजी में शिक्षा प्राप्त करना चाहती है और दुश्मनों को खत्म करने के लिए सैनिक बनना चाहती है। उसके पिता ने भी बच्ची के भविष्य के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि बच्ची अपनी उम्र से ज्यादा समझदार और परिपक्व है। इसलिए उसे पढाएंगे और उसके सपने को पूरा करने की कोशिश करेंगे। - स्त्रोत ओप इंडिया
🚩क्या कहते हैं मनोचिकित्सक?
पुनर्जन्म संभव है या नहीं, इस पर पहले भी कई बार बहस उठ चुकी है और इसके आगे भविष्य में जारी रहने की भी उम्मीद है। चूंकि हिंदू धर्म विज्ञान पर आधारित है, हमारा दर्शन वैदिक विज्ञान और गणित पर आधारित है, इसलिए पुनर्जन्म के विषय को सिरे से नकारना एक भूल होगी।
🚩लड़की से बात करने के बाद ऑपइंडिया ने भावनगर के मनोचिकित्सक डॉ हितेश पटेलिया से बात की। मनोचिकित्सक ने हमें बताया,”पुनर्जन्म का सिद्धांत गलत और निरर्थक नहीं है। इस लड़की के आसपास कोई हिंदी भाषी माहौल नहीं है, कोई टीवी या मोबाइल नहीं है फिर भी वह हिंदी बोलती है, यह पुनर्जन्म का संकेत है। इसलिए बनासकांठा के मजदूर परिवार के बच्चे के पुनर्जन्म का दावा सही भी हो सकता है।”
🚩उन्होंने आगे कहा, “डॉ. ब्रेन वाइज का जन्म 1944 में अमेरिका में हुआ था। उन्होंने पुनर्जन्म पर कई शोध भी किए हैं और उसमें सफलता भी पाई है। इसलिए पुनर्जन्म को मनोविज्ञान में भी माना जाता है। पुनर्जन्म की कुछ घटनाएँ अचेतन मन में जीवित हो सकती हैं, जो कभी-कभी याद आती हैं। इस लड़की के मामले में भी ऐसा ही हुआ है। भगवद गीता में भी पुनर्जन्म को अकाट्य सिद्धांत माना गया है। इसलिए यह पुनर्जन्म का मामला हो सकता है।”
🚩गौरतलब है कि 26 जनवरी, 2001 को कच्छ में भयानक भूकंप आया था। इस भूकंप ने गुजरात समेत पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इस आपदा में हजारों लोग मारे गए थे। चली गई थी। पूरे के पूरे गाँव जमीन में समा जाने की खबरें आई थीं। यह इतनी भयानक घटना थी कि आज भी गुजरात उस घाव को भर नहीं पाया है।
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Saturday, June 29, 2024
लिबरल गिरोह द्वारा चोर औरंगजेब की पिटाई पर हल्ला, दलित नकुल को चाकू घोंपने पर चुप
लिबरल गिरोह द्वारा चोर औरंगजेब की पिटाई पर हल्ला, दलित नकुल को चाकू घोंपने पर चुप
30 June 2024
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🚩उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में मंगलवार (18 जून 2024) को चोरी के शक में मोहम्मद फरीद उर्फ़ औरंगज़ेब की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी। हत्या के आरोप में कुल 10 नामजदों सहित कई अन्य अज्ञात लोगों पर FIR दर्ज हुई है जिसमें से आधे दर्जन आरोपितों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है। समाजवादी पार्टी सहित कई अन्य दलों ने औरंगज़ेब के परिजनों को 50 लाख रुपए मुआवजा और एक सरकारी नौकरी तक देने की माँग उठाई है। इसी दिन अलीगढ़ शहर में ही एक दलित युवक को भी मुस्लिम समुदाय के एक व्यक्ति ने चाकू घोंपा था जिसका गंभीर हालत में इलाज चल रहा है। अब दलित युवक के परिजन सामने आए हैं और कथित धर्मनिरपेक्ष नेताओं द्वारा सिर्फ औरंगज़ेब के लिए सक्रियता और अपने लिए ख़ामोशी पर सवाल खड़े किए हैं।
🚩पीड़ित दलित युवक का नाम नकुल जाटव है। नकुल के पिता दिनेश ने 18 जून को ही थाना सासनी गेट में तहरीर दी थी। इसी थानाक्षेत्र में मृतक औरंगजेब का भी घर है। दिनेश भारती ने अपनी तहरीर में बताया है कि मंगलवार की शाम लगभग 7 बजे उनका बेटा किसी काम से शहर के ही पठान मोहल्ले में गया था। रास्ते में नौशाद का बेटा शहजाद नकुल को रोक कर गंदी-गंदी गालियाँ देने लगा। नकुल ने विरोध किया तो शहजाद भड़क कर बोला, “तेरी इतनी हिम्मत। तू हमसे जुबान लड़ाएगा?”
🚩आरोप है कि इसके बाद शहजाद ने अपने पास छिपा एक चाकू निकाला। उसने ताबड़तोड़ नकुल पर कई वार कर दिए। काफी खून बहने की वजह से नकुल जमीन में गिर कर बेहोश हो गया। मामले की जानकारी मिलते ही नकुल के पिता दिनेश जाटव पुलिस के साथ घटनास्थल पर पहुँचे। उन्होंने पुलिस की मदद से नकुल को अस्पताल में भर्ती करवाया। होश आने पर नकुल ने सारी आपबीती पुलिस को बताई। हालात गंभीर देखते हुए नकुल को जे एन मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया है।
🚩दिनेश जाटव ने पुलिस से आरोपित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की माँग की है। इस तहरीर पर पुलिस ने शहजाद को नामजद करते हुए FIR कर ली है। शहजाद के खिलाफ IPC की धारा 504, 506 और 307 के अलावा SC/ST एक्ट के सेक्शन 3(2)(va) के तहत कार्रवाई की गई है। ऑपइंडिया के पास शिकायत कॉपी मौजूद है। पुलिस ने शहजाद को गिरफ्तार कर लिया है। मामले में जाँच व अन्य जरूरी कार्रवाई की जा रही है। घायल नकुल का इलाज अस्पताल में चल रहा है। उसकी सर्जरी कराई गई है।
🚩अस्पताल में कराहते हुए सामने आया वीडियो
ऑपइंडिया को नकुल का एक वीडियो मिला है। वीडियो में पीड़ित अस्पताल के बेड पर लेट कर जोर-जोर से रो रहा है। उनके एक हाथ में पट्टियाँ बंधी हैं जबकि दूसरे में ग्लूकोज आदि चढ़ाया जाना है। नकुल की माँ अपने बेटे को चुप करवाने की कोशिश कर रही हैं। दर्द से नकुल अपने पैरों को बिस्तर पर पटक रहा है।
🚩‘चोर के लिए बोल रही मीडिया मेरे लिए चुप क्यों’
नकुल के भाई पंकज ने ऑपइंडिया को बताया कि जिस दिन चोर की पिटाई हुई थी उसी दिन उनके भाई को भी चाकू लगी थी। उन्होंने बताया कि घाव की वजह से नकुल के हाथों की कई नसें कट गई हैं और काफी खून बह चुका है। नकुल के भाई ने मीडिया से सवाल किया कि वो औरंगज़ेब की आवाज तो इतने जोर-शोर से उठा रहे हैं लेकिन उनके भाई के लिए चुप क्यों हैं जबकि घटना एक ही दिन और एक ही शहर की है ?
🚩‘मैं हिन्दू होना ही मेरा दोष है?’
🚩पंकज जाटव ने ऑपइंडिया को भेजे अपने वीडियो में आगे कहा, “क्या मैं हिन्दू हूँ यही मेरा दोष है?” पंकज ने नेताओं को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि उनके घर कोई झाँकने तक नहीं आया। खुद को पंकज जाटव ने न्याय की लड़ाई में अकेला बताया। उन्होंने कहा, “वर्ग विशेष समुदाय के साथ सब नेता वहाँ चले गए। मेरे साथ कोई नहीं आया। उसके लिए तो सब नेता कर रहे हैं। उन्होंने पथराव भी किया लेकिन हमने नहीं। सारा दुःख उन्हीं को है क्या? हमें कोई दुःख और परेशानी नहीं है क्या?”
🚩‘उनके लिए मुआवजा, हम इलाज करा कर कर्जदार’
कथित चोर औरंगज़ेब के लिए उठ रही मुआवजे की माँग को भी घायल नकुल के भाई ने एकतरफा बताया है। उन्होंने दावा किया कि वो अपने भाई के इलाज में लगभग 40-50 हजार रुपए लगा चुके हैं। पंकज 3 भाई है जिसमें से 2 ही कमा कर घर का खर्च चला रहे हैं। नकुल के पिता दिनेश जाटव पैरों से दिव्यांग हैं। इन पर माँ और एक बहन के भी भरण-पोषण की जिम्मेदारी है। एक बेहद से छोटे से घर में यह पूरा परिवार जैसे-तैसे रहता है। बकौल पंकज शहजाद के परिवार घायल नकुल का इलाज करवाते हुए कर्जदार हो गया है। पीड़ित परिवार को इस कर्ज को चुकाने का रास्ता भी नहीं सूझ रहा है।
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Friday, June 28, 2024
बच्चों के नजर उतारने 10 पारंपरिक उपाय..
🚩बच्चों के नजर उतारने 10 पारंपरिक उपाय..
29 June 2024
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🚩अक्सर कुछ बातें अंधविश्वास मान लिए जाने पर भी उनका असर दिखाई पड़ता है। जैसे नजर लगना मानसिक भ्रम और अंधविश्वास कहा जाता है लेकिन जब बहुत छोटे बच्चे अचानक से इससे पीडित होते हैं तो विश्वास करना पड़ता है कि छोटे बच्चों को दृष्टि बैठती है। बच्चों को नजर इसलिए ज्यादा लगती है क्योंकि वे आकर्षक, सरल-सहज और कोमल होते हैं।
🚩आइए जानें बच्चों की नजर उतारने के 10 पारंपरिक उपाय....
🚩1. बच्चे नाजुक होते हैं इसलिए उनकी नजर भी भगवान पर चढ़े नाजुक फूल,शक्कर या दूध से उतारी जाती है। एक तांबे के लोटे में पानी और ताजा फूल लेकर बच्चे पर से 11 बार उतारें। इसे किसी भी गमले में डाल दें। नजर का प्रभाव कम होगा। ऐसे ही दोनों हाथों में शक्कर से नजर उतारी जाती है। मुट्ठी में शक्कर लेकर सिर से पैर तक दोनों हाथों से गोल घुमाते हुए नजर उतारें और उसे तुरंत वॉश बेसिन में पानी की तेज धार में गला दें। इससे बच्चों को लगी मीठी नजर गलती है। दूध में मिश्री डालकर 7 बार उतारें और शिव जी के मंदिर में रख आएं।
🚩2. नमक, राई, लहसुन, प्याज के सूखे छिलके व सूखी मिर्च अंगारे पर डालकर उस आग को बच्चे के ऊपर सात बार घुमाने से बुरी नजर का दोष मिटता है। लेकिन यह उपाय सावधानी मांगता है
🚩3. शनिवार के दिन हनुमान मंदिर में जाकर उनके कंधे पर से सिंदूर लाकर नजर पीडित बच्चे के माथे पर लगाने से बुरी नजर का प्रभाव कम होता है।
🚩4. स्तनपान करते हुए बच्चे को नजर लग जाती है। ऐसे समय इमली की तीन छोटी डालियों को लेकर आग में जलाकर नजर लगे बच्चे के माथे पर से सात बार घुमाकर पानी में बुझा देते हैं।
🚩5. भोजन पर लगी नजर किसी विशेष सामग्री के प्रति बच्चों में अरूचि पैदा कर देती है। तैयार भोजन में से थोड़ा-थोड़ा एक पत्ते पर लेकर उस पर गुलाब छिड़ककर रास्ते में रख दे। फिर बच्चे को खाना खिलाएं। नजर उतर जाएगी।
🚩6. लाल मिर्च, अजवाइन और पीली सरसों को मिट्टी के एक छोटे बर्तन में आग लेकर जलाएं। फिर उसकी धूप नजर लगे बच्चे को दें। किसी प्रकार की नजर हो ठीक हो जाएगी।
🚩7. बुरी नजर से बचने के लिए प्रति शनिवार बच्चे के ऊपर से झाड़ू या उसी के बाएं पैर की चप्पल या जूता लेकर 7 बार उल्टे क्रम से उतारें और दरवाजे की दहलीज पर तीन बार झाड़ कर अंदर आ जाए। यह भी नजर उतारने का बहुत पुराना पारंपरिक तरीका है।
🚩8. बच्चे को नजर लग गई है और हर वक्त परेशान व बीमार रहता है तो लाल साबुत मिर्च को बच्चे के ऊपर से तीन बार वार कर जलती आग में डालने से नजर उतर जाएगी।
🚩9. बच्चा दूध पीने में आनाकानी करें तो शनिवार के दिन कच्चा दूध उसके ऊपर से सात बार वारकर कुत्ते को पिला देने से बुरी नजर का प्रभाव दूर हो जाता है।
🚩10. यदि कोई बच्चा नजर दोष से बीमार रहता है और उसका समस्त विकास रुक गया है तो फिटकरी एवं सरसों को बच्चे पर से सात बार वारकर चूल्हे पर झोंक देने से नजर उतर जाती है। यदि यह सुबह, दोपहर एवं शाम तीनों समय करें तो एक ही दिन में नजर दोष दूर हो जाता है।
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Thursday, June 27, 2024
भगवान राम की मृत्यु (विष्णुधाम गमन) :-
🚩भगवान राम की मृत्यु (विष्णुधाम गमन) :-
28 June 2024
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🚩पौराणिक कथाओं के अनुसार राम जी की मृत्यु के विषय मे बात करें या उन्हें धरती लोक त्याग कर विष्णु लोक क्यों जाना पड़ा इस संबंध में मत यह है कि एक ऋषि मुनि भगवान श्रीराम से मिलने की उत्सुकता के साथ अयोध्या आये और उन्होंने आग्रह किया कि उन्हें प्रभु से एकांत में ही वार्ता करनी है। इस पर प्रभु श्री राम उन्हें अपने कक्ष ले गए और श्री राम ने अपने अनुज लक्ष्मण को यह आदेश दिया कि जब तक हमारी वार्ता समाप्त न हो जाये या इस वार्ता को किसी ने भंग करने की चेष्टा की तो वह मृत्यु दंड का पात्र होगा।
🚩लक्ष्मण जी प्रभु श्री राम के आदेश को पूरी कर्मठता और ईमानदारी से निभाने लगे। आपको बताते चले कि जो ऋषि मुनि राम जी से वार्ता करने आये थे वो और कोई नहीं बल्कि विष्णु लोक से भेजे गए कालदेव थे, जो प्रभु श्री राम को अवगत कराने आये थे कि उनका धरती लोक में समय समाप्त हो चुका है और अब उन्हें अपने लोक प्रस्थान करना होगा।
🚩जब लक्ष्मण जी श्री राम के कक्ष के पास पहरा दे रहे थे, उसी समय उस स्थान पर ऋषि दुर्वासा आ गए और उन्होने राम जी से मिलने की जिद्द पकड़ ली। आपको बताते चले ऋषि दुर्वासा अपने क्रोध के लिए जाने जाते थे, उन्हें क्रोध बहुत जल्दी आ जाता था। बहुत समय तक लक्ष्मण जी के द्वारा मना करने के बाद भी वे नहीं मान रहे थे और उन्हें क्रोध आने लगा।
🚩ऋषि दुर्वासा ने कहा यदि उन्हें तुरंत श्री राम जी से न मिलने दिया गया तो वे श्री राम को श्राप दे देंगे। यह सुन लक्ष्मण जी बहुत बड़ी दुविधा में फस गए। यदि उन्होंने ऋषि दुर्वासा जी की बात न मानी तो वे राम को श्राप दे देंगे और मान ली तो श्री राम जी के आदेश का अवलंघन होगा। पर लक्ष्मण जी ने अपने प्राणों की तनिक भी चिंता न करते हुए, उन्हें जाने की अनुमति दे दी, जिसके पश्चात कक्ष में चल रही वार्ता में विघ्न पड़ गया।
🚩दरअसल लक्ष्मण जी कभी भी यह नहीं चाहते थे कि उनके कारण उनके अग्रज भ्राता श्रीराम पर कोई आंच भी आये, जिसके चलते उन्होंने यह कठोर फैसला लिया। श्रीराम यह दृश्य देख बहुत व्यथित हो उठे और धर्म संकट में पड़ गए। पर उनके वचन का मान रखने के कारण लक्ष्मण जी को मृत्यु दंड न देकर उन्हें देश निकाला घोषित कर दिया गया और उस समय देश निकाला मृत्यु दंड के समान ही माना जाता था।
🚩पर लक्ष्मण जी की अभी तक कि यात्रा में लक्ष्मण जी ने श्रीराम और माता सीता का साथ कभी भी नहीं छोड़ा, जिस कारण उन्होंने इस धरती को त्याग करने का निर्णय ले लिया और उन्होंने सरयू नदी जाकर उन्होंने यह पुकार लगाई कि उन्हें इस संसार से मुक्ति चाहिए। इतना कहते वे नदी के अंदर चले गए, जिस तरह उनके इस जीवन का समापन हो गया और वे विश्व लोक का त्याग कर विष्णु लोक में चले गए और वहां जाकर वे अनंत शेष के रूप में परिवर्तित हो गए।
🚩श्रीराम अपने अनुज लक्ष्मण के बलिदान के बाद पूरी तरह से टूट गए। मानो एक पल में उनसे उनका सब कुछ छीन गया हो। प्रभु राम का इस मानव संसार से मन सा उठ गया, उन्होने अपना राज पाठ अपनी गद्दी अपने पुत्रों को सौप दी और उसी लोक में जाने का मन बना लिया।
🚩उन्होंने अपने प्राणों को सरयू नदी के हवाले कर दिया और उसी नदी में श्री राम हमेशा के लिए विलीन हो गए थे। उसके बाद वहां से विष्णु जी के अवतार में प्रकट हुए थे और वहां पर उपस्थित उन्होंने अपने भक्तों को दर्शन दिए। श्री राम ने अपने मनुष्य का रुप त्याग कर अपने वास्तविक रूप का धारण किया और बैकुंठ धाम की ओर गमन कर गए।
🚩जय जय श्री राम ❤🙏
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Wednesday, June 26, 2024
प्राचीन भारत में वास्तविक वैज्ञानिक ऋषि मुनि ही थे..
🚩प्राचीन भारत में वास्तविक वैज्ञानिक ऋषि मुनि ही थे......
26 June 2024
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🚩क्या आपने कभी नोटिस किया है❓ हजार वर्ष पूर्व और हजार वर्ष बाद कौन सी तारीख को कितने बजे से कितने बजे तक (घड़ी, पल, विपल) कैसा सूर्यग्रहण या चन्द्र ग्रहण लगेगा या लगा होगा, यह हमारा ज्योतिष विज्ञान बिना किसी अरबों खरबों का संयत्र उपयोग में लाये हुए बता देता है।
🚩इसका अर्थ यह है कि हमारे ऋषि मुनियों, वेदज्ञ, सनातन धर्म में पहले से यह पता था कि चन्द्रमा, पृथ्वी, सूर्य इत्यादि का व्यास (Diameter) क्या है ? उनकी घूर्णन गति क्या है ?? ( Velocity ऑफ़ Rotation ) क्या है ? उनकी revolution velocity और time क्या है ?
पृथ्वी से सूर्य की दूरी, सूर्य से चन्द्र की दूरी , चन्द्र की पृथ्वी से दूरी कितनी है ?
🚩इन सबका specific gravity, velocity, magnitude, circumference, diameter, radius, specific velocity, gravitational energy, pull कितना है❓
🚩इतनी सटीक गणना होती है कि एक बार NASA के scientist ग़लती कर सकते हैं seconds की लेकिन ज्योतिष विज्ञान नही।
🚩वो तो बस हम लोगों को हमारे ऋषि मुनियों ने juice निकाल कर दे दिया है कि पियो, छिलके से मतलब मत रखो।
बस एक formula तैयार करके दे दिया है जिसमें ज्योतिषी बस values डालते हैं और उत्तर सामने होता है।
🚩अब स्वयं सोचिये, science के विद्यार्थी भी सोचें कि दो planets के बीच कि दूरी नापने के लिए जो parallax या pythagorus theorem का use होता है, इसका मतलब वह पहले से ही ज्ञात था और हम लोग KEPLERS ( A western scientist ) को इन सबका दाता मानते हैं।
🚩तो ऐसे ही गुरुत्वाकर्षण के सारे नियम भी हमें पहले से ही पता होंगे तभी तो हम पृथ्वी , सूर्य, चन्द्रमा इत्यादि के अवयवों को जान पाए।
🚩अरे चन्द्रमा ही क्या कोई भी ग्रह नक्षत्र ले लीजिये, सबमें आपको proved science मिलेगी।
🚩शनि ग्रह के बारे में बात करते हैं। शनि की साढ़े साती सबको पता होगी और अढैय्या भी, यह क्या है ? कभी अन्दर तक खोज करने की कोशिश की ?
नहीं ! क्योंकि हम इन सबको बकवास मानते हैं। चलिए मैं ले चलता हूँ अन्दर तक...
🚩According to NASA , Modern science, शनि ग्रह ( Saturn ) सूर्य का चक्कर लगाने में लगभग १०,७५९ दिन, ५ घंटे, १६ मिनट, ३२.२ सैकण्ड लगाता है।
🚩यही हमारे शास्त्रों में ( सूर्य सिद्धांत और सिद्धांत शिरोमणि ) में यह है १०,७६५ दिन, १८ घंटे, ३३ मिनट, १३.६ सैकण्ड और १०,७६५ दिन, १९ घंटे, ३३ मिनट, ५६.५ सैकण्ड ।
मतलब 29.5 Years का समय लेता है यह सूर्य के चक्कर लगाने में, अगर पृथ्वी के अपेक्षाकृत देखा जाय तो यह साढ़े सात वर्ष लेता है पृथ्वी के पास से गुजरने में, और ऐसे कई बार होता है जब पृथ्वी के revolution orbit से शनि ग्रह का orbit आसपास होता है क्योंकि यह ग्रह बहुत धीरे अपना revolution पूरा करता है और वहीं पृथ्वी उसकी अपेक्षाकृत बहुत तेजी से सूर्य का चक्कर काटती है।
🚩शनि के सात वलय ( Rings ) होते हैं जो एक एक कर अपना प्रभाव दिखाते हैं ! 15 चन्द्रमा हैं इस ग्रह के, जिसका प्रभाव 2.5 + 2.5 + 2.5 = 7.5 के अन्तराल पर अपना प्रभाव पृथ्वी के रहने वाले जीवों पर दिखाते हैं।
🚩अब दिमाग लगाईये कि बिना किसी astronomical apparatus या संयंत्र के उन्होंने यह सब कैसे खोजा होगा ?
🚩हम नहीं जानते तो इसीलिए इस प्राचीन विद्या को बेकार, फ़ालतू बकवास बता देते हैं और कहते हैं कि वेद इत्यादि सब जंगली लोगों के ग्रन्थ हैं।
🚩मेहरावली स्थान का नाम सबने सुना होगा। गुड़गाँव के पास ही है जिसको आप लोग क़ुतुबमीनार के नाम से जानते हैं। यह वाराहमिहिर की Observatory थी। जिसे हम जानते हैं कि यह क़ुतुब मीनार है, वह वाराहमिहिर की Observatory थी जिस पर चढ़कर ग्रह नक्षत्रों इत्यादि का अध्ययन किया जाता था लेकिन हमारी गुलाम मानसिकता ने उसे क़ुतुब मीनार बना दिया। इतना भी दिमाग में नहीं आया कि उस जगह लौह स्तम्भ क्या कर रहा है ? देवी देवताओं की मूर्तियाँ क्या कर रही हैं ? जंतर मंतर जैसा structure वहाँ क्या कर रहा है ? बस जिसने जो बता दिया उसी में हम खुश हैं।
🚩पता नहीं हम लोगों को अपने ऊपर गर्व या अपनी सांस्कृतिक विरासत पर कब गर्व होगा ?
🚩खैर मुद्दे पर आते हैं.... तो जितने भी ग्रह नक्षत्र हमारे वेदों शास्त्रों में वर्णित हैं, पंचांग में वर्णित हैं, हमें सटीक उनके विषय में सब पता था।
🚩बस हमें नष्ट भ्रष्ट करने के लिए हमारी अरबों खरबों की पुस्तकें जला दी गयीं, मंदिर नष्ट कर दिए गये, इतिहास की ऐसी तैसी कर दी गयी और बचा कुचा कसर सेक्युलर वाद ने पूरी कर दी ।
🚩इसीलिए अब भी समय है अपने शास्त्रों का अध्ययन कीजिए, उनपर गर्व करना सीखिए, उन पर विश्वास करना सीखिए।
🚩हम न्यूटन को जानते हैं, स्वामी ज्येष्ठदेव को नहीं..
🚩अभी तक आपको यही पढ़ाया गया है कि न्यूटन जैसे महान वैज्ञानिक ही कैलकुलस, खगोल विज्ञान अथवा गुरुत्वाकर्षण के नियमों के जनक हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि इन सभी वैज्ञानिकों से कई वर्षों पूर्व पंद्रहवीं सदी में दक्षिण भारत के स्वामी ज्येष्ठदेव ने ताड़पत्रों पर गणित के ये तमाम सूत्र लिख रखे हैं, इनमें से कुछ सूत्र ऐसे भी हैं, जो उन्होंने अपने गुरुओं से सीखे थे, यानी गणित का यह ज्ञान उनसे भी पहले का है, परन्तु लिखित स्वरूप में नहीं था।
“मैथेमेटिक्स इन इण्डिया” पुस्तक के लेखक किम प्लोफ्कर लिखते हैं कि, “तथ्य यही हैं सन 1660 तक यूरोप में गणित या कैलकुलस कोई नहीं जानता था, जेम्स ग्रेगरी सबसे पहले गणितीय सूत्र लेकर आए थे. जबकि सुदूर दक्षिण भारत के छोटे से गाँव में स्वामी ज्येष्ठदेव ने ताड़पत्रों पर कैलकुलस, त्रिकोणमिति के ऐसे-ऐसे सूत्र और कठिनतम गणितीय व्याख्याएँ तथा संभावित हल लिखकर रखे थे, कि पढ़कर हैरानी होती है. इसी प्रकार चार्ल्स व्हिश नामक गणितज्ञ लिखते हैं कि “मैं पूरे विश्वास से कह सकता हूँ कि शून्य और अनंत की गणितीय श्रृंखला का उदगम स्थल केरल का मालाबार क्षेत्र है”
🚩स्वामी ज्येष्ठदेव द्वारा लिखे गए इस ग्रन्थ का नाम है “युक्तिभाष्य”, जो जिसके पंद्रह अध्याय और सैकड़ों पृष्ठ हैं. यह पूरा ग्रन्थ वास्तव में चौदहवीं शताब्दी में भारत के गणितीय ज्ञान का एक संकलन है, जिसे संगमग्राम के तत्कालीन प्रसिद्ध गणितज्ञ स्वामी माधवन की टीम ने तैयार किया है। स्वामी माधवन का यह कार्य समय की धूल में दब ही जाता, यदि स्वामी ज्येष्ठदेव जैसे शिष्यों ने उसे ताड़पत्रों पर उस समय की द्रविड़ भाषा (जो अब मलयालम है) में न लिख लिया होता. इसके बाद लगभग 200 वर्षों तक गणित के ये सूत्र “श्रुति-स्मृति” के आधार पर शिष्यों की पीढी से एक-दुसरे को हस्तांतरित होते चले गए।भारत में श्रुति-स्मृति (गुरु के मुंह से सुनकर उसे स्मरण रखना) परंपरा बहुत प्राचीन है, इसलिए सम्पूर्ण लेखन करने (रिकॉर्ड रखने अथवा दस्तावेजीकरण) में प्राचीन लोग विश्वास नहीं रखते थे, जिसका नतीजा हमें आज भुगतना पड़ रहा है, कि हमारे प्राचीन ग्रंथों में संस्कृत भाषा के छिपे हुए कई रहस्य आज हमें पश्चिम का आविष्कार कह कर परोसे जा रहे हैं।
🚩जॉर्जटाउन विवि के प्रोफ़ेसर होमर व्हाईट लिखते हैं कि संभवतः पंद्रहवीं सदी का गणित का यह ज्ञान धीरे-धीरे इसलिए खो गया, क्योंकि कठिन गणितीय गणनाओं का अधिकाँश उपयोग खगोल विज्ञान एवं नक्षत्रों की गति इत्यादि के लिए होता था, सामान्य जनता के लिए यह अधिक उपयोगी नहीं था। इसके अलावा जब भारत के उन ऋषियों ने दशमलव के बाद ग्यारह अंकों तक की गणना एकदम सटीक निकाल ली थी, तो गणितज्ञों के करने के लिए कुछ बचा नहीं था। ज्येष्ठदेव लिखित इस ज्ञान के “लगभग” लुप्तप्राय होने के सौ वर्षों के बाद पश्चिमी विद्वानों ने इसका अभ्यास 1700 से 1830 के बीच किया।चार्ल्स व्हिश ने “युक्तिभाष्य” से सम्बंधित अपना एक पेपर “रॉयल एशियाटिक सोसायटी ऑफ़ ग्रेट ब्रिटेन एंड आयरलैंड” की पत्रिका में छपवाया।चार्ल्स व्हिश ईस्ट इण्डिया कंपनी के मालाबार क्षेत्र में काम करते थे, जो आगे चलकर जज भी बने। लेकिन साथ ही समय मिलने पर चार्ल्स व्हिश ने भारतीय ग्रंथों का वाचन और मनन जारी रखा. व्हिश ने ही सबसे पहले यूरोप को सबूतों सहित “युक्तिभाष्य” के बारे में बताया था।वरना इससे पहले यूरोप के विद्वान भारत की किसी भी उपलब्धि अथवा ज्ञान को नकारते रहते थे और भारत को साँपों, उल्लुओं और घने जंगलों वाला खतरनाक देश मानते थे।ईस्ट इण्डिया कंपनी के एक और वरिष्ठ कर्मचारी जॉन वारेन ने एक जगह लिखा है कि “हिन्दुओं का ज्यामितीय और खगोलीय ज्ञान अदभुत था, यहाँ तक कि ठेठ ग्रामीण इलाकों के अनपढ़ व्यक्ति को मैंने कई कठिन गणनाएँ मुँहज़बानी करते देखा है”।
🚩स्वाभाविक है कि यह पढ़कर आपको झटका तो लगा होगा, परन्तु आपका दिल सरलता से इस सत्य को स्वीकार करेगा नहीं, क्योंकि हमारी आदत हो गई है कि जो पुस्तकों में लिखा है, जो इतिहास में लिखा है अथवा जो पिछले सौ-दो सौ वर्ष में पढ़ाया-सुनाया गया है, केवल उसी पर विश्वास किया जाए. हमने कभी भी यह सवाल नहीं पूछा कि पिछले दो सौ या तीन सौ वर्षों में भारत पर किसका शासन था? किताबें किसने लिखीं? झूठा इतिहास किसने सुनाया? किसने हमसे हमारी संस्कृति छीन ली? किसने हमारे प्राचीन ज्ञान को हमसे छिपाकर रखा? लेकिन एक बात ध्यान में रखें कि पश्चिमी देशों द्वारा अंगरेजी में लिखा हुआ भारत का इतिहास, संस्कृति हमेशा सच ही हो, यह जरूरी नहीं। आज भी ब्रिटिशों के पाले हुए पिठ्ठू, भारत के कई विश्वविद्यालयों में अपनी “गुलामी की सेवाएँ” अनवरत दे रहे हैं।
🚩सनातन धर्म की जय हो ।🚩
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Tuesday, June 25, 2024
🚩आहार के नियम भारतीय 12 महीनों के अनुसार ..
🚩आहार के नियम भारतीय 12 महीनों के अनुसार ..
26 June 2024
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🚩चैत्र (मार्च-अप्रैल) – इस महीने में गुड़ का सेवन करें क्योंकि गुड़ आपके रक्त संचार और रक्त को शुद्ध करता है एवं कई बीमारियों से भी बचाता है। चैत्र के महीने में नित्य नीम की 4–5 कोमल पत्तियों का उपयोग भी करना चाहिए। इससे आप इस महीने के सभी मौसमी दोषों से बच सकते हैं। नीम की पत्तियों को चबाने से शरीर में स्थित दोष शरीर से हटते हैं।
🚩वैशाख (अप्रैल – मई)- वैशाख महीने में गर्मी की शुरुआत हो जाती है। बेलपत्र का इस्तेमाल इस महीने में अवश्य करना चाहिए, जो आपको स्वस्थ रखेगा। वैशाख के महीने में तेल का उपयोग बिल्कुल न करें क्योंकि इससे आपका शरीर अस्वस्थ हो सकता है।
🚩ज्येष्ठ (मई-जून) – भारत में इस महीने में सबसे अधिक गर्मी होती है। ज्येष्ठ के महीने में दोपहर में सोना स्वास्थ्यवर्द्धक होता है, ठंडी छाछ, लस्सी, ज्यूस और अधिक से अधिक पानी का सेवन करें। बासी खाना, गरिष्ठ भोजन एवं गर्म चीजों का सेवन न करें। इनके प्रयोग से आपका शरीर रोग ग्रस्त हो सकता है।
🚩अषाढ़ (जून-जुलाई) – आषाढ़ के महीने में आम, पुराने गेंहू, सत्तू , जौ, भात, खीर, ठन्डे पदार्थ , ककड़ी, परवल, करैला, बथुआ आदि का उपयोग करें। आषाढ़ के महीने में भी गर्म प्रकृति की चीजों का प्रयोग करना आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
🚩श्रावण (जुलाई-अगस्त) – श्रावण के महीने में हरड़ का इस्तेमाल करना चाहिए। श्रावण में हरी सब्जियों का त्याग करें एवं दूध का इस्तेमाल भी कम करें। भोजन की मात्रा भी कम लें – पुराने चावल, पुराने गेंहू, खिचड़ी, दही एवं हल्के सुपाच्य भोजन को अपनाएं।
🚩भाद्रपद (अगस्त-सितम्बर) – इस महीने में हल्के सुपाच्य भोजन का इस्तेमाल करें। वर्षा का मौसम होने के कारण आपकी जठराग्नि भी मंद होती है इसलिए भोजन सुपाच्य ग्रहण करें। इस महीने में चिता औषधि का सेवन करना चाहिए।
🚩आश्विन (सितम्बर-अक्टूबर) – इस महीने में दूध , घी, गुड़ , नारियल, मुनक्का, गोभी आदि का सेवन कर सकते हैं। ये गरिष्ठ भोजन हैं लेकिन फिर भी इस महीने में पच जाते हैं क्योंकि इस महीने में हमारी जठराग्नि तेज होती है।
🚩कार्तिक (अक्टूबर-नवम्बर) – कार्तिक महीने में गरम दूध, गुड, घी, शक्कर, मूली आदि का उपयोग करें। ठंडे पेय पदार्थो का प्रयोग छोड़ दें। छाछ, लस्सी, ठंडा दही, ठंडा फ्रूट ज्यूस आदि का सेवन न करें , इनसे आपके स्वास्थ्य को हानि हो सकती है।
🚩अगहन (नवम्बर-दिसम्बर) – इस महीने में ठंडी और अधिक गरम वस्तुओं का प्रयोग न करें।
🚩पौष (दिसम्बर-जनवरी) – इस ऋतु में दूध, खोया एवं खोये से बने पदार्थ, गौंद के लाडू, गुड़, तिल, घी, आलू, आंवला आदि का प्रयोग करें, ये पदार्थ आपके शरीर को स्वास्थ्य देंगे। ठन्डे पदार्थ, पुराना अन्न, मोठ, कटु और रुक्ष भोजन का उपयोग न करें।
🚩माघ (जनवरी-फ़रवरी) – इस महीने में भी आप गरम और गरिष्ठ भोजन का इस्तेमाल कर सकते हैं। घी, नए अन्न, गौंद के लड्डू आदि का प्रयोग कर सकते हैं।
🚩फाल्गुन (फरवरी-मार्च) – इस महीने में गुड़ का उपयोग करें। सुबह के समय योग एवं स्नान का नियम बना लें। चने का उपयोग न करें।
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