Thursday, August 1, 2024

खुलासा : माता पिता ध्यान दे स्कूल में अपने बच्चें धर्मांतरण की चपेट में तो नहीं आ रहे है?

 2  August 2024

https://azaadbharat.org



🚩उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में रविवार (28 जुलाई, 2024) को ईसाई धर्मान्तरण के एक बड़े रैकेट का खुलासा हुआ था, तब पुलिस ने नाबालिग बच्चों को ईसाई बनाने के आरोप में 3 आरोपितों को गिरफ्तार किया था। इनकी पहचान प्रेम जायल, विनोद और नितिन के तौर पर हुई थी। बाद में पुलिस ने इस रैकेट की जाँच की तो कई नए और बड़े खुलासे हुए। बताया जा रहा है कि बच्चों को ईसाई धर्म का इतिहास पढ़ा कर उसी से संबंधित इम्तिहान लिया जाता था। इस एग्जाम में मिले नंबरों के ही आधार पर नाबालिगों का धर्म परिवर्तन करवाया जाता था


🚩मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बरेली के इज्जतनगर थानाक्षेत्र के इस मामले में आरोपित पादरी अपने साथियों सहित पहले गरीब बच्चों को चिन्हित किया करता था, फिर इन बच्चों को खाने-पीने की चीजें देकर मेलजोल बढ़ाया जाता था। बच्चों के घर जाने पर ये आरोपित खुद को धर्म उपदेशक और शिक्षक बताया करते थे, फिर इनके परिवार से मिलकर उन्हें बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं आदि का लालच दिया जाता था। शुरुआत में गरीब बच्चों को पढ़ाई के नाम पर अपने ठिकाने पर बुलाया जाता था। बच्चों को नए-नए खेल भी खिलाए जाते थे जिस से वो बार-बार वहाँ जाना चाहते थे।


🚩यहाँ उन सभी को पहले ईसाई इतिहास बताया जाता था। बाद में इसी इतिहास से सवाल बना कर उन बच्चों का एग्जाम लिया जाता था। आरोप है कि ईसाई इतिहास की इस परीक्षा में हासिल किए जाने वाले नम्बरों के आधार पर भी आरोपित धर्मान्तरण के लिए बच्चों का चुनाव करते थे। जिस बच्चे को जितने ज्यादा नंबर मिलते थे उनको उतनी ही अधिक सुविधा और सहूलियत दी जाती थी। इस काम के लिए बाहर से फंडिंग हो रही थी जिसके स्रोत की तलाश में पुलिस जुटी हुई है। पुलिस न सिर्फ आरोपितों के खातों बल्कि उनकी कॉल रिकॉर्ड भी निकलवा रही है। इनके पास मिले ईसाई साहित्यों की भी जाँच करवाई जा रही है।


🚩क्या है FIR में

गौरतलब है कि इन सभी आरोपितों को गुलशन कुमार नाम के शिकायतकर्ता की तहरीर पर गिरफ्तार किया गया है। गुलशन कुमार का आरोप है कि आरोपित पहले भी कई बच्चों को ईसाई बना चुके है। उनको इस साजिश की भनक लगी तो वो भी आरोपितों की सभा में बैठने गए, तब बच्चों के साथ पादरी प्रेम जोनल ने उन्हें भी ईसाई बनने का लालच दिया। आरोपितों ने गुलशन को नीले कवर वाली एक किताब दी जिस पर सुनहरे रंग से ‘पवित्र शस्त्र भजन संहिता और नीति वचन’ लिखा हुआ था।


🚩पादरी जोनल ने गुलशन के हाथ में किताब पकड़ाते हुए उनसे कहलवाया, “हे ईशु भगवान। मैं आपकी शरण में आ गया हूँ और ईसाई धर्म कबूल करता हूँ।” पीड़ित के मुताबिक उनके साथ आरोपितों ने धोखा और विश्वासघात किया है। बकौल पीड़ित इस हरकत से उनकी धार्मिक भावनाएँ आहात हुई है। पुलिस ने इस शिकायत पर तीनों आरोपितों के खिलाफ lभारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 299 के साथ उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम के सेक्शन 3/5(1) के तहत कार्रवाई की है। मामले में जाँच व आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है। स्त्रोत: ओप इंडिया 


🚩गांधीजी कहते थे…

“हमें गोमांस भक्षण और शराब पीने की छूट देने वाला ईसाई धर्म नहीं चाहिए। धर्म परिवर्तन वह ज़हर है जो सत्य और व्यक्ति की जड़ों को खोखला कर देता है। मिशनरियों के प्रभाव से हिन्दू परिवार का विदेशी भाषा, वेशभूषा, रीति रिवाज़ के द्वारा विघटन हुआ है। यदि मुझे क़ानून बनाने का अधिकार होता तो मैं धर्म परिवर्तन बंद करवा देता। इसे तो मिशनरियों ने व्यापार बना लिया है पर धर्म आत्मा की उन्नति का विषय है। इसे रोटी, कपड़ा या दवाई के बदले में बेचा या बदला नहीं जा सकता।


🚩महान विचारक वीर सावरकर धर्मान्तरण को राष्ट्रान्तरण मानते थे। वे कहते थे "यदि कोई व्यक्ति धर्मान्तरण करके ईसाई या मुसलमान बन जाता है तो फिर उसकी आस्था भारत में न रहकर उस देश के तीर्थ स्थलों में हो जाती है जहाँ के धर्म में वह आस्था रखता है, इसलिए धर्मान्तरण यानी राष्ट्रान्तरण है।


🔺 Follow on


  🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ 


Wednesday, July 31, 2024

धर्मांतरण रोकने की सजा? माँ-बाप-बहन सब मर गए, पर 24 साल से दारा सिंह को नहीं मिली पेरोल

1  August 2024

https://azaadbharat.org

🚩साल 1999 में ओडिशा के मनोहरपुर में स्थानीय लोगों को ईसाईयत में धर्मान्तरण कराने के आरोप में ऑस्ट्रेलियाई पादरी ग्राहम स्टेंस की हत्या उनकी 2 बेटों के साथ कर दी गई थी। इस मामले में दारा सिंह का नाम चर्चा में आया था। साल 2000 में ओडिशा की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने दारा सिंह को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद से दारा सिंह को एक दिन का भी परोल नहीं मिला है।


🚩दारा सिंह की गिरफ्तारी के 24 साल गुजर गए है। इन 24 वर्षों में दारा सिंह के परिवार में कई बदलाव हुए है। परिवार कई बार ख़ुशी और गम के मौकों से गुजरा है। इन सभी अवसरों पर तमाम प्रयासों के बावजूद दारा सिंह को परोल नहीं मिला। ऑपइंडिया ने दारा सिंह के परिवार से मुलाकात करके इस मामले की शुरुआत से अब तक के हालातों की जानकारी जुटाई है।


🚩ओडिशा में दारा सिंह ने क्योंझर जिले में प्राइवेट तौर पर बच्चों को पढ़ाने की नौकरी कर ली। वे बच्चों को हिंदी भाषा पढ़ाते थे और साथ ही उन्हें हिन्दू धर्म की अच्छी अच्छी बातें बताते थे। यहाँ बताना जरूरी है कि दारा सिंह का असली नाम रवींद्र कुमार पाल है और वे मूलत: उत्तर प्रदेश के औरैया के रहनेवाले थे। हालाँकि, अब उन्होंने ओडिशा को अपनी कर्मभूमि बना लिया था।


🚩वो स्कूल से समय मिलने के बाद जनजातीय समुदाय की बस्तियों में घूमने लगे और उन्हें हिन्दू धर्म के बारे में जागरूक करने लगे। 


🚩जब दारा सिंह ने बजरंग दल पदाधिकारी के तौर पर कार्यभार सँभाला तब ओडिशा ईसाई धर्मान्तरण से बुरी तरह से प्रभावित था। उनका कहना है कि गाँव के गाँव कन्वर्ट हो रहे थे। कन्वर्जन के इस रैकेट का मुखिया ग्राहम स्टेंस को माना जा रहा था। ग्राहम स्टेंस ऑस्ट्रेलिया का रहने वाला एक पादरी था।


🚩बताते है कि ग्राहम स्टेंस 25 साल पहले लोगों को प्रभावित करने के लिए खूब पैसे उड़ाता है। वह उस समय वैसे ही जीप में चला करता था, जिस तरह की गाड़ी में उस समय सांसद-विधायक चला करते थे। बकौल अरविन्द, उनके भाई ने धर्मान्तरण के खिलाफ लोगों को जागरूक करना शुरू कर दिया। इसी वजह से वो कई साजिशकर्ताओं के निशाने पर भी आ चुके थे।


🚩दारा सिंह के भाई अरविन्द कुमार बताते है कि क्योंझर के साथ कटक व एक अन्य जेल में दारा सिंह की अदला-बदली की गई। कटक जेल में दारा सिंह पर विवाद की एक FIR अलग से भी दर्ज की गई थी। पिछले 24 वर्षों में उनके पिता, माँ और फिर एक बहन की अकाल मौत हो गई। ये सभी दारा सिंह के लिए हमेशा परेशान रहते थे।


🚩इन सभी की इच्छा मौत से पहले एक बार दारा सिंह से मिलने की थी। हालाँकि, इन सभी की इच्छा अधूरी ही रह गई। दारा सिंह ने अपने पिता, माता और बहन आदि की मौत के बाद पेरोल की अर्जी डाली पर उनको जेल से बाहर नहीं निकलने दिया गया। किसी न किसी स्तर पर दारा सिंह की अर्जी पर अड़ंगा डाला गया।


🚩अरविंद कुमार का कहना है कि उनके परिवार को अभी भी उम्मीद है कि दारा सिंह अपने जीवन के अंतिम समय को अपने घर और परिवार के साथ ही बिताएँगे। फिलहाल, अगस्त2024 में दारा सिंह की रिहाई वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।


🚩दारा सिंह जैसा ही मामला आशाराम बापू का है।


🚩हिन्दू संत आशाराम बापू ने देशभर के आदिवासी क्षेत्रों में जाकर उनको अनाज, पैसे, जीवन उपयोगी सामग्री, मकान बनाकर दिए और सनातन हिन्दू धर्म की महिमा समझाई, लाखों हिंदुओं की घर वापसी करवाई, करोड़ों लोगों को सनातन धर्म के प्रति जागरूक किया, इस कारण से मिशनरियों की दुकान बंद होने लगी उसके बाद विदेशी कंपनियों, ईसाई मिशनरियों और स्वार्थी नेताओं ने मिलकर उनको एक षड्यंत्र के तहत बिकाऊ मीडिया द्वारा बदनाम करवाया और फर्जी केस बनाकर 2013 में जेल भिजवाया गया।आज 88 वर्ष की उम्र है,12 साल में 1 बार भी जमानत नहीं मिली, सोचो कितनी बड़ी साजिश रची है?


🚩क्या समाज, राष्ट्र और संस्कृती की सेवा करना गुनाह है?


🔺 Follow on:


  🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ 


Tuesday, July 30, 2024

ये है वे सात ऋषि जिन्होंने इतना कुछ दे डाला कि वर्णन करना भी मुश्किल हो गया....

 

31  July 2024

https://azaadbharat.org


🚩ऋग्वेद में लगभग एक हजार सूक्त है, याने लगभग दस हजार मन्त्र है। चारों वेदों में करीब बीस हजार से ज्यादा मंत्र है और इन मन्त्रों के रचयिता कवियों को हम ऋषि कहते है। 


🚩बाकी तीन वेदों के मन्त्रों की तरह ऋग्वेद के मन्त्रों की रचना में भी अनेकानेक ऋषियों का योगदान रहा है। पर इनमें भी सात ऋषि ऐसे है जिनके कुलों में मन्त्र रचयिता ऋषियों की एक लम्बी परम्परा रही। ये कुल परंपरा ऋग्वेद के सूक्त दस मंडलों में संग्रहित है और इनमें दो से सात यानी छह मंडल ऐसे है जिन्हें हम परम्परा से वंशमंडल कहते है क्योंकि इन में छह ऋषिकुलों के ऋषियों के मन्त्र इकट्ठा कर दिए गए है।


🚩आकाश में सात तारों का एक मंडल नजर आता है उन्हें सप्तर्षियों का मंडल कहा जाता है। उक्त मंडल के तारों के नाम भारत के महान सात संतों के नाम पर ही रखे गए है। वेदों में 🕉उक्त मंडल की स्थिति, गति, दूरी और विस्तार की विस्तृत चर्चा मिलती है। प्रत्येक मनवंतर में अगल अगल सप्त‍ऋषि हुए है। यहां प्रस्तुत है वैवस्वत मनु के काल के सप्तऋषियों का परिचय।


🚩1. सप्तऋषि के पहले ऋषि जिनके पास थी कामधेनु गाय। 


🚩वशिष्ठ :- राजा दशरथ के कुलगुरु ऋषि वशिष्ठ को कौन नहीं जानता। ये दशरथ के चारों पुत्रों के गुरु थे। वशिष्ठ के कहने पर दशरथ ने अपने चारों पुत्रों को ऋषि विश्वामित्र के साथ आश्रम में राक्षसों का वध करने के लिए भेज दिया था।

कामधेनु गाय के लिए वशिष्ठ और विश्वामित्र में युद्ध भी हुआ था। वशिष्ठ ने राजसत्ता पर अंकुश का विचार दिया तो उन्हीं के कुल के मैत्रावरूण वशिष्ठ ने सरस्वती नदी के किनारे सौ सूक्त एक साथ रचकर नया इतिहास बनाया।


🚩2. दूसरे महान ऋषि मंत्र शक्ति के ज्ञाता और स्वर्ग निर्माता, 


🚩विश्वामित्र:- ऋषि होने के पूर्व विश्वामित्र राजा थे और ऋषि वशिष्ठ से कामधेनु गाय को हड़पने के लिए उन्होंने युद्ध किया था, लेकिन वे हार गए। इस हार ने ही उन्हें घोर तपस्या के लिए प्रेरित किया। विश्वामित्र की तपस्या और मेनका द्वारा उनकी तपस्या भंग करने की कथा जगत प्रसिद्ध है। विश्वामित्र ने अपनी तपस्या के बल पर त्रिशंकु को सशरीर स्वर्ग भेज दिया था बनाने की विद्या दी और गायत्री मन्त्र की रचना की जो भारत के हृदय में और जिह्ना पर हजारों सालों से आज तक अनवरत निवास कर रहा है।


🚩3. तीसरे महान ऋषि ने बताया ज्ञान विज्ञान तथा अनिष्ट निवारण का मार्ग, 


🚩कण्व:- माना जाता है इस देश के सबसे महत्वपूर्ण यज्ञ सोमयज्ञ को कण्वों ने व्यवस्थित किया। कण्व वैदिक काल के ऋषि थे। इन्हीं के आश्रम में हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत की पत्नी शकुंतला एवं उनके पुत्र भरत का पालन-पोषण हुआ था।


🚩103 सूक्तवाले ऋग्वेद के आठवें मण्डल के अधिकांश मन्त्र महर्षि कण्व तथा उनके वंशजों तथा गोत्रजों द्वारा दृष्ट है। कुछ सूक्तों के अन्य भी द्रष्ट ऋषि है, किंतु 'प्राधान्येन व्यपदेशा भवन्ति' के अनुसार महर्षि कण्व अष्टम मण्डल के द्रष्टा ऋषि कहे गए है। इनमें लौकिक ज्ञान विज्ञान तथा अनिष्ट निवारण सम्बन्धी उपयोगी मन्त्र है।


🚩सोनभद्र में जिला मुख्यालय से आठ किलोमीटर की दूरी पर कैमूर श्रृंखला के शीर्ष स्थल पर स्थित कण्व ऋषि की तपस्थली है जो कंडाकोट नाम से जानी जाती है।


🚩4. चौथे महान ऋषि जिन्होंने दुनियां को बताया विमान उड़ाना, 


🚩भारद्वाज:- वैदिक ऋषियों में भारद्वाज ऋषि का उच्च स्थान है। भारद्वाज के पिता बृहस्पति और माता ममता थी। भारद्वाज ऋषि राम के पूर्व हुए थे, लेकिन एक उल्लेख अनुसार उनकी लंबी आयु का पता चलता है कि वनवास के समय श्रीराम इनके आश्रम में गए थे, जो ऐतिहासिक दृष्टि से त्रेता द्वापर का सन्धिकाल था। माना जाता है कि भरद्वाजों में से एक भारद्वाज विदथ ने दुष्यन्त पुत्र भरत का उत्तराधिकारी बन राजकाज करते हुए मन्त्र रचना जारी रखी।


🚩ऋषि भारद्वाज के पुत्रों में 10 ऋषि ऋग्वेद के मन्त्रदृष्टा है और एक पुत्री जिसका नाम 'रात्रि' था, वह भी रात्रि सूक्त की मन्त्रदृष्टा मानी गई है। ॠग्वेद के छठे मण्डल के द्रष्टा भारद्वाज ऋषि है। इस मण्डल में भारद्वाज के 765 मन्त्र है। अथर्ववेद में भी भारद्वाज के 23 मन्त्र मिलते है। 'भारद्वाज स्मृति' एवं 'भारद्वाज संहिता' के रचनाकार भी ऋषि भारद्वाज ही थे।


🚩ऋषि भारद्वाज ने 'यन्त्र-सर्वस्व' नामक बृहद् ग्रन्थ की रचना की थी। इस ग्रन्थ का कुछ भाग स्वामी ब्रह्ममुनि ने 'विमान शास्त्र' के नाम से प्रकाशित कराया है। इस ग्रन्थ में उच्च और निम्न स्तर पर विचरने वाले विमानों के लिए विविध धातुओं के निर्माण का वर्णन मिलता है।


🚩5. पांचवें महान ऋषि पारसी धर्म संस्थापक कुलके और जिन्होंने बताया खेती करना, 


🚩अत्रि:- ऋग्वेद के पंचम मण्डल के द्रष्टा महर्षि अत्रि ब्रह्मा के पुत्र, सोम के पिता और कर्दम प्रजापति व देवहूति की पुत्री अनुसूया के पति थे। अत्रि जब बाहर गए थे तब त्रिदेव अनसूया के घर ब्राह्मण के भेष में भिक्षा माँगने लगे और अनुसूया से कहा कि जब आप अपने संपूर्ण वस्त्र उतार देंगी तभी हम भिक्षा स्वीकार करेंगे, तब अनुसूया ने अपने सतित्व के बल पर उक्त तीनों देवों को अबोध बालक बनाकर उन्हें भिक्षा दी। माता अनुसूया ने देवी सीता को पतिव्रत का उपदेश दिया था।


🚩अत्रि ऋषि ने इस देश में  (आज का ईरान) चले गए थे, जहाँ उन्होंने यज्ञ का प्रचार किया। अत्रियों के कारण ही अग्निपूजकों के धर्म पारसी धर्म का सूत्रपात हुआ।


🚩अत्रि ऋषि का आश्रम चित्रकूट में था। मान्यता है कि अत्रि दम्पति की तपस्या और उसके त्रिदेवों की प्रसन्नता के फलस्वरूप विष्णु के अंश से महायोगी दत्तात्रेय, ब्रह्मा के अंश से चन्द्रमा तथा शंकर के अंश से महामुनि दुर्वासा महर्षि अत्रि एवं देवी अनुसूया के पुत्र रूप में जन्मे। ऋषि अत्रि पर अश्विनीकुमारों की भी कृपा थी।


🚩6. छठवें ऋषि शास्त्रीय संगीत के रचनाकार 


🚩वामदेव:- वामदेव ने इस देश को सामगान (अर्थात् संगीत) दिया। वामदेव ऋग्वेद के चतुर्थ मंडल के सूत्तद्रष्टा, गौतम ऋषि के पुत्र तथा जन्मत्रयी के तत्ववेत्ता माने जाते है। भरत मुनि द्वारा रचित भरत नाट्य शास्त्र सामवेद से ही प्रेरित है। हजारों वर्ष पूर्व लिखे गए सामवेद में संगीत और वाद्य यंत्रों की संपूर्ण जानकारी मिलती है।


🚩वामदेव जब मां के गर्भ में थे तभी से उन्हें अपने पूर्वजन्म आदि का ज्ञान हो गया था। उन्होंने सोचा, मां की योनि से तो सभी जन्म लेते है और यह कष्टकर है, अत: मां का पेट फाड़ कर बाहर निकलना चाहिए। वामदेव की मां को इसका आभास हो गया। 

अत: उसने अपने जीवन को संकट में पड़ा जानकर देवी अदिति से रक्षा की कामना की। तब वामदेव ने इंद्र को अपने समस्त ज्ञान का परिचय देकर योग से श्येन पक्षी का रूप धारण किया तथा अपनी माता के उदर से बिना कष्ट दिए बाहर निकल आए।


🚩7. सातवें ऋषि गुरुकुल परंपरा के अग्रज 


🚩शौनक:- शौनक ने दस हजार विद्यार्थियों के गुरुकुल को चलाकर कुलपति का विलक्षण सम्मान हासिल किया और किसी भी ऋषि ने ऐसा सम्मान पहली बार हासिल किया। वैदिक आचार्य और ऋषि जो शुनक ऋषि के पुत्र थे।


🚩फिर से बताएं तो वशिष्ठ, विश्वामित्र, कण्व, भरद्वाज, अत्रि, वामदेव और शौनक; ये है वे सात ऋषि जिन्होंने इस देश को इतना कुछ दे डाला कि कृतज्ञ देश ने इन्हें आकाश के तारामंडल में बिठाकर एक ऐसा अमरत्व दे दिया कि सप्तर्षि शब्द सुनते ही हमारी कल्पना आकाश के तारामंडलों पर टिक जाती है।


🚩इसके अलावा मान्यता हैं कि अगस्त्य, कष्यप, अष्टावक्र, याज्ञवल्क्य, कात्यायन, ऐतरेय, कपिल, जेमिनी, गौतम आदि सभी ऋषि उक्त सात ऋषियों के कुल के होने के कारण इन्हें भी वही दर्जा प्राप्त है।


🚩अंत में पढ़ें कुछ खास तथ्य की बातें...


🚩वेदों का अध्ययन करने पर जिन सात ऋषियों या ऋषि कुल के नामों का पता चलता है वे नाम क्रमश: इस प्रकार है:- 

1. वशिष्ठ, 

2. विश्वामित्र, 

3. कण्व, 

4. भारद्वाज, 

5. अत्रि, 

6. वामदेव और 

7. शौनक।


🚩पुराणों में सप्त ऋषि के नाम पर भिन्न भिन्न नामावली मिलती है। विष्णु पुराण अनुसार इस मन्वन्तर के सप्तऋषि इस प्रकार है:-


🚩वशिष्ठकाश्यपो यात्रिर्जमदग्निस्सगौत। 

विश्वामित्रभारद्वजौ सप्त सप्तर्षयोभवन्।।


🚩अर्थात् सातवें मन्वन्तर में सप्तऋषि इस प्रकार है:- 

वशिष्ठ, 

कश्यप, 

अत्रि, 

जमदग्नि, 

गौतम, 

विश्वामित्र और भारद्वाज।


🚩इसके अलावा पुराणों की अन्य नामावली इस प्रकार है:- ये क्रमशः 

केतु, 

पुलह, 

पुलस्त्य, 

अत्रि, 

अंगिरा, 

वशिष्ट तथा मारीचि है।


🚩महाभारत में सप्तर्षियों की दो नामावलियां मिलती है। 


🚩एक नामावली में कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ के नाम आते है तो 


🚩दूसरी नामावली में पांच नाम बदल जाते है। कश्यप और वशिष्ठ वहीं रहते है पर बाकी के बदले मरीचि, अंगिरस, पुलस्त्य, पुलह और क्रतु नाम आ जाते है। 


🚩कुछ पुराणों में कश्यप और मरीचि को एक माना गया है तो कहीं कश्यप और कण्व को पर्यायवाची माना गया है। यहां प्रस्तुत है वैदिक नामावली अनुसार सप्तऋषियों का परिचय।


🔺 Follow on


  🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ


Monday, July 29, 2024

कांग्रेस सरकार ने गोविंद देवजी मंदिर के चढ़ावे में से 9 करोड़ 82 लाख दिए ईदगाह को

 

30  July 2024

https://azaadbharat.org


🚩राजस्थान विधानसभा में बुधवार को देवस्थान विभाग की अनुदान मांगों पर बोलते हुए सिविल लाइंस विधायक गोपाल शर्मा ने कहा कि तत्कालीन राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने गोविंददेवजी मंदिर के 9 करोड़ 82 लाख रुपए बिना किसी परियोजना व रिपोर्ट के ईदगाह के लिए दे दिए गए। कांग्रेस, देवस्थान का पैसा ईदगाह को कैसे दे सकती है?


🚩मंदिरों से लिए गए दो करोड 45 लाख 50 हजार रुपए ईदगाह के लिए दिए। एक करोड़ 90 लाख रुपए खर्च भी हो गए। गोविंददेवजी मंदिर के लिए होल्ड और ईदगाह को समर्पण यह कौन सा न्याय है? दरगाह चार दरवाजा को मंदिरों का 95 लाख, दरगाह सांभर को 70 लाख रुपए, जामा मस्जिद जौहरी बाजार को 1 करोड़ 62 लाख रुपए दिए। जब मस्जिदों से पैसा आता नहीं तो मंदिरों में भक्ति भाव से किया गया चढ़ावा मस्जिदों के लिए खर्च करना कहां का न्याय है?


🚩उन्होंने कहा कि रफीक जी आपका

आखिरी कार्यकाल है। मुझे पता था तकलीफ 

होगी। मुझे दुःख इस बात का है कि पैसा खर्च करते समय पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने कोई सर्वेक्षण भी नहीं करवाया। इधर से आओ और उधर से ले जाओ। मंदिर माफी की जिन जमीनों को कांग्रेस राज में बेचा नहीं जा सका उनको गैर कानूनी तरीके से समर्पित करवाया गया। जलमहल के पास मंदिर माफी की जमीन पर होटल बनवाया। सरकार ने जमीन अलॉट कर दी। आज भी विधानसभा के पास मंदिर माफी की जमीन थी उनको आज तक मुआवजा नहीं मिला। 

https://youtu.be/zCBm6gNSE9w?si=Pd_JWEWbrjYeYqE5


🚩विधायक गोपाल शर्मा ने कहा कि आज हालात ये हैं कि पुजारियों के पास भगवान को भोग लगाने के लिए भी पैसे नहीं है। मेरी सरकार से मांग है कि एक कमेटी बनाकर पुजारियों की समस्याओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए।


🔺 Follow on


  🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ 


Sunday, July 28, 2024

कौनसे षडयंत्र के कारण भारत ही नहीं दुनियां को हुआ बड़ा नुकसान ?

 


29  July 2024

https://azaadbharat.org


🚩मनुष्य के लिए सबसे मूल्यवान चीज है, उसके संस्कार। क्योंकि,किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके संस्कार से ही होती है और संस्कार से ही विचारधार बनती है।उसी विचारधारा से ही व्यक्ति की पहचान बनती है और उसके आसपास उसकी विचारधारा से मिलते जुलते मित्र मंडल बनते है।


🚩व्यक्ति के अंदर सुसंस्कार निर्माण हो पाए तो, उसकी विचारधारा से स्वयं व्यक्ति, समाज और देश उन्नत होंगे , उदाहरण ले तो वीर शिवाजी,  गुरु गोविंद सिंह , स्वामी विवेकानंद , बप्पा रावल जैसे अनेक महपुरुष हुए उनके कारण समाज, राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा हुई और लोग सुखी,स्वस्थ और सम्मानित जीवन जी पाए।


🚩वही अगर व्यक्ति के अंदर कुसंस्कार पनप गए फिर उसकी विचार धारा से स्वयं व्यक्ति, समाज और देश को नुकसान पहुंचता है। जैसे की राजा धनानंद, दुर्योधन,मानसिंह जैसे लोग समाज, राष्ट्र और संस्कृति के लिए नुकसान दायक साबित हुए।


🚩इनसे सार बात यहीं निकलती है की व्यक्ति पर सुसंस्कार करना बहुत जरूरी है और सुसंस्कार करने का दैवी कार्य माता-पिता और गुरुजन ही कर सकते है।


🚩भारत देश में आज सुसंस्कार का निर्माण करनेवालों  की संख्या कम हो रही है और कुसंस्कार का निर्माण करनेवालों की संख्या बढ़ती जा रही है जिसके कारण समाज और राष्ट्र को नुकसान हो रहा है। 


🚩भारत में 21वी सदी में अगर सबसे ज्यादा लोगों में सुसंस्कार निर्माण करने का कार्य किया हो तो वह है हिंदू संत,आशाराम बापू।कांग्रेस की सरकार के समय जब कोई सनातन संस्कृति के बारे में बोलता नहीं था उस समय संत आशाराम बापू ने करोड़ों लोगों में सनातन संस्कृति के संस्कार निर्माण करने का कार्य किया था।


🚩प्राणिमात्र के हितैषी नाम से जाने जानेवाले बापू आसारामजी का ह्रदय विशाल होने के साथ-साथ देश के कल्याण और मंगल के लिए द्रवीभूत भी रहता है । जब बापू आसारामजी ने देखा कि कई अत्याचारों से जूंझ रहा भारत देश धीरे-धीरे अप्रत्यक्ष रूप से फिर से गुलाम बनाया जा रहा है और देशवासियों को भ्रष्ट कर अपनी संस्कृति से, अपनी प्रगति से दूर किया जा रहा है तब बापूजी ने ठाना कि देश से पतन-कारक विदेशीसभ्यता को निकाल फेंकना होगा और फिर भारतवासियों को मिली सहीं राह।

🚩बापू आसारामजी ने 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन दिवस, 25 दिसंबर को क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन दिवस और 31 दिसंबर और 1 जनवरी को अंग्रेजी न्यू-ईयर की जगह भारत-विश्व-गुरु अभियान मनाना प्रारंभ किया । कई आदिवासी क्षेत्र, जिन तक सरकार भी नहीं पहुंच पाती है उन्हें समय-समय पर सहारा दिया और धर्म परिवर्तन से बचाया । हिंदुओं के पर्व पर विदेशी असर न हो इसलिए होली में केमिकल्स के कलर नहीं, नैसर्गिक रंग, पलाश के रंग से वैदिक होली और दीवाली पर प्रदूषण न हो इसीलिए अपने घर के साथ सभी स्थानों पर दीप-दान के महत्व को बताया ।


🚩संत का अर्थ ही है परम हितैषी और बापू आसारामजी ने न सिर्फ खुद का जीवन सेवा में लगाया है बल्कि सभी देशवासियों को प्रेरित किया है सेवा के लिए लोक-हित के लिए,अपने मूल मंत्र “सबका मंगल सबका भला”के साथ।


🚩आज बापू आसारामजी कारागृह में है तो सिर्फ इसी वजह से क्योंकि उन्होंने 50 वर्षों से भी अधिक समय देश और समाज के उत्थान और रक्षा में लगा दिए । बापू आसारामजी की वजह से भारत बार-बार विदेशी षड्यंत्रों से बचा और कई देशवासियों की धर्म-परिवर्तन से रक्षा हुई, कई विदेशी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की दाल नहीं गली और भटकते हुए देशवासियों को सहीं दिशा मिली । बापू के द्वारा किये जाने वाले ये सारे देश सेवा और मांगल्य के कार्य देश को फिर से गुलाम बनने से रोक रहे हैं इसलिए राष्ट्र-विरोधी ताकतों के इशारे पर कुछ स्वार्थी नेताओं ने बापू आसारामजी के खिलाफ षड्यंत्र रच झूठे केस के जरिए, उन्हें देश और समाज से दूर कर दिया। 


🚩लेकिन वे स्वार्थी नेता समझते है कि बापू आसारामजी केवल एक शरीर है। अब उन्हें कौन बताए कि जो करोड़ों हृदयों में वास करते है और जो सत्य के प्रतीक है वे सर्वव्याप्त है । जब इतने कुप्रचार के बाद भी सेवाएं और मंगल कार्य आदि के आयोजन रुकने के बजाए और भी व्यापक हुए तब इन षड्यंत्रकारियों को मुंह की खानी पड़ी।इनके दलाल मीडिया की भी कई गलत और विरोधी खबरों के बावजूद, बापू आसारामजी के द्वारा हो रहे सेवाकार्यों पर आंच तक नहीं आई । आखिर साँच को आंच नहीं और झूठ को पैर नहीं ! बापू आसारामजी का निर्मल पवित्र हृदय पहले भी सभी को लोकहित सेवा और आत्मज्ञान के लिए प्रति प्रेरित कर रहा था और आज भी कर रहा है और वर्षों-वर्ष आगे भी प्रेरित करता रहेगा ।


🚩भारत का स्वर्णीम इतिहास था उसका “विश्वगुरु” होना । हम सभी ने भारत देश का इतिहास पढ़ा है और भारत माता की महिमा की गाथाएं सुनी हुई है । इतिहास के पन्नो में भारत को विश्व गुरु यानी की विश्व को पढ़ाने वाला अथवा पूरी दुनियां का शिक्षक कहा जाता था क्योंकि भारत देश के ऋषि-मुनि संत आदि ज्ञानीजन और उनका विज्ञान और अर्थव्यवस्था, राजनीति और यहाँ के लोगों का ज्ञान इतना समृद्ध था कि पूरब से लेकर पश्चिम तक सभी देश भारत के कायल थे । अब बापू आसारामजी की दूरदृष्टि के कारण और उनके अद्भुत अद्वैत अभियान के कारण भारत वास्तव में भीतर से बाहर तक विश्वगुरु बन कर रहेगा । 


🔺 Follow on


  🔺 Facebook


https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:


http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:


twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:


https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ


Saturday, July 27, 2024

सुप्रीम कोर्ट के नेम प्लेट के आदेश के बाद कांवड़िए बोले – हमारा तो धर्म भ्रष्ट हो गया

28  July 2024

https://azaadbharat.org



🚩उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में पुलिस प्रशासन ने आदेश जारी किया था कि काँवड़ यात्रा मार्ग पर लगने वाली सभी दुकानों, ठेलों, होटलों, रेहड़ियों पर दुकानकार अपना और अपने कर्मचारियों के नाम साफ शब्दों में लिखे। इसका असर ये हुआ कि संगम शुद्ध शाकाहारी होटल का नाम अब सलीम शुद्ध शाकाहारी होटल हो गया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दिया। इस आदेश के बाद काँवड़ियों की भी प्रक्रिया सामने आई है, जिसमें लोगों ने मुजफ्फरनगर प्रशासन के फैसले की तारीफ की है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हैरानी जताई है।


🚩यूपी तक से बातचीत में कई काँवड़ियों ने अपने मन की पीड़ा व्यक्त की। एक कावँड़िए ने कहा कि अगर नेम-प्लेट होता तो कम से कम ये तो साफ हो जाता कि जो भोजन वो कर रहे है, वो शाकाहारी है या मांसाहारी। काँवड़ यात्रा पर निकले एक व्यक्ति ने अपना दु:ख कुछ इस तरह से जाहिर किया, “जो भोलेनाथ के लिए जल लेकर जाते है, वो नॉनवेज छुएँगे तो अनर्थ हो जाएगा। लेकिन ऐसे होटलों में जिन बर्तनों में मांसाहारी भोजन बनाया गया, उसमें पलटकर हमें शाकाहारी भोजन दे दिया। हमारा तो धर्म भ्रष्ट हो गया न…।”


🚩सुप्रीम कोर्ट की रोक पर बोलते हुए एक काँवड़िया ने कहा, “योगी जी ने तो बहुत अच्छा किया था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हम क्या ही कहें।”


🚩एक काँवड़िए ने कहा, “अगर मुस्लिम ढाबा चला रहा है, तो वेज खाना देगा या नॉन-वेज, इसका कैसे पता चलेगा।” उन्होंने आगे कहा, “भगवान शिव के लिए हम पवित्र जल लेकर जा रहे है,अगर हम किसी ऐसे होटल में खाना खा रहे है, जहाँ नॉनवेज भी मिलता हो, तो हमारा तो पूरा व्रत ही खराब हो गया। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने सही फैसला लिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाकर गलत किया है।”


🚩एक कावँडिए ने कहा कि अब हम कहीं भी खाना खाते समय पूरी तरह से परेशान रहेंगे कि हम सही शुद्ध शाकाहारी खाना खा रहे है, साफ सुथरे बर्तन में या नहीं, ये तो धर्म संकट वाली बात हो गई।

https://x.com/UPTakOfficial/status/1815375535142224155?t=EbWJtmwEoMWawc4ZunAwQA&s=19


🚩बता दें कि मुजफ्फरनगर पुलिस ने जब नेम-प्लेट का आदेश जारी किया, तो राजनीतिक रूप से बहुत हल्ला मचाया गया। ये मुद्दा सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गया, जहाँ सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। हालाँकि इस मामले में अभी आखिरी फैसला नहीं आया है। लेकिन पुलिस के आदेश के बाद कई सारी चौंकाने वाली बातें सामने आई। मुजफ्फरनगर में दिल्ली-देहरादून नेशनल हाइवे-58 पर स्थित जो दुकान कुछ दिन पहले ‘चाय लवर पॉइंट’ के नाम से हुआ करती थी, अब वह ‘वकील अहमद टी स्टॉल’ हो गया है। पुलिस के आदेश के बाद दुकान को चलाने वाले फहीम ने अपनी दुकान का नाम बदल दिया है। फहीम ने बताया कि इस निर्देश के बाद काँवड़ यात्रा के दौरान उनके काम पर बड़ा प्रभाव पड़ने वाला है।


🚩इसी हाइवे पर पिछले ‘संगम शुद्ध शाकाहारी भोजनालय’ नाम का एक ढाबा कुछ दिन पहले तक होता था। अब इस ढाबे का नाम बदल गया। संगम शुद्ध शाकाहारी भोजनालय की जगह यह ‘सलीम शुद्ध शाकाहारी भोजनालय’ है। सलीम ने खाद्य सुरक्षा विभाग में इसी नाम से इसका रजिस्‍ट्रेशन भी करवा दिया है। इस दुकान को सलीम पिछले 25 सालों से चला रहा था।


🚩अब जनता की मांग है कि जैसा योगी जी ने कावँडिए के यात्रा पर नेमप्लेट लगाने का आदेश जारी किया था वैसा आदेश देशभर में लागू होना चाहिए जिससे शाकाहारी को शुद्ध भोजन मिल सके। 


🔺 Follow on


  🔺 Facebook


https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:


http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:


twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:


https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ 


Friday, July 26, 2024

मध्य प्रदेश हाइकोर्ट ने कहा ‘कागज़ पर नहीं, UCC को जमीन पर उतारिए’

26 July 2024 
https://azaadbharat.org

 
🚩मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा है कि समान नागरिक संहिता (UCC) को कागजों की जगह अब जमीन पर उतारने की जरूरत है। कोर्ट ने कहा है कि इससे ही रूढ़िवादी प्रथाओं पर लगाम लग सकती है। कोर्ट ने यह टिप्पणी तीन तलाक के एक मामले को सुनते हुए की है।

🚩मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस अनिल वर्मा ने कहा, “समाज में कई निंदनीय, कट्टरपंथी, अंधविश्वासी और अति-रूढ़िवादी प्रथाएँ प्रचलित है, जिन्हें आस्था और विश्वास के नाम पर दबाया जाता रहा है। हालाँकि, भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता का समर्थन किया गया है, लेकिन इसे केवल कागज़ों पर नहीं बल्कि असलियत में बदलने की जरूरत है। एक सही तरह से ड्राफ्ट की गई संहिता ऐसी अंधविश्वासी और बुरी प्रथाओं पर लगाम लगा सकती है।” 

 🚩कोर्ट ने कहा कि 2019 में तीन तलाक को अवैध घोषित करते हुए 2019 में भारत की संसद ने कानून पास किया था जो अच्छा कदम था लेकिन फिर भी हमारे जनप्रतिनिधियों को इतने वर्ष यह जानने में लग गए कि तीन तलाक असंवैधानिक और समाज के लिए बुरा है।” 

 🚩कोर्ट ने कहा कि हमें बहुत जल्द ही देश में UCC की आवश्यकता समझने की जरूरत है। कोर्ट ने यह सारी टिप्पणियाँ तीन तलाक के एक मामले को सुनते हुए की। कोर्ट में दो महिलाओं ने राहत की माँग करते हुए अपील लगाई थी। इन महिलाओं पर घर की बहू ने दहेज़ माँगने, मारपीट और प्रताड़ना देने का आरोप लगाया था। 

 🚩मुस्लिम महिला ने आरोप लगाया था कि उसकी नंनद और सास ने उसे निकाह के बाद प्रताड़ित किया और दहेज़ को लेकर मारपीट की। महिला ने आरोप लगाया था कि उसके शौहर ने भी उसको प्रताड़नाएँ दी। जब महिला ने प्रताडनाओं का विरोध किया था तो उसके शौहर ने उसे तीन बार तलाक बोल कर घर से बाहर भगा दिया। 

 🚩मुस्लिम महिला ने इस मामले में शौहर के साथ ही उसके घरवालों पर तीन तलाक क़ानून के तहत मामला चलाने की अपील की थी। हालाँकि, कोर्ट ने कहा कि यह कानून शौहर के तीन तलाक देने पर ही बनता है, कोर्ट ने इस मामले में उसकी सास और नंनद को राहत दे दी। 

 🚩गौरतलब है कि बीते कुछ समय से देश भर में UCC का मुद्दा जोर पकड़ रहा है। कई भाजपा शासित राज्य इसे लागू करने की तैयारी में है। उत्तराखंड में धामी सरकार इसे लागू भी कर चुकी है और इसके क्रियान्वन पर काम चल रहा है। भाजपा ने भी लगातार UCC को व्यापक तरीके से लागू किए जाने की वकालत की है। 

 🚩क्या है समान नागरिक संहिता  ?
🚩समान नागरिक संहिता में सभी धर्मों के लिए एक कानून की व्यवस्था होगी। हर धर्म का पर्सनल लॉ है, जिस में शादी, तलाक और संपत्तियों के लिए अपने-अपने कानून है। UCC के लागू होने से सभी धर्मों में रहनेवालें लोगों के मामले सिविल नियमों से ही निपटाए जाएंगे। UCC का अर्थ शादी, तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार और संपत्ति का अधिकार से जुड़े कानूनों को सुव्यवस्थित करना होगा। 

 🚩इस्लामिक देशों में भी लागू है UCC -
 🚩मुस्लिम देशों में पारंपरिक रूप से शरिया कानून लागू है, जो धार्मिक शिक्षाओं, प्रथाओं और परंपराओं से लिया गया है। न्यायविदों द्वारा आस्था के आधार पर इन कानून की व्याख्या की गई है। हालांकि, आधुनिक समय में इस तरह के कानून में यूरोपीय मॉडल के मुताबिक कुछ संशोधन किया जा रहा है। दुनियां के इस्लामिक देशों में आमतौर पर पारंपरिक शरिया कानून पर आधारित नागरिक कानून लागू है। इन देशों में सऊदी अरब, तुर्की, सऊदी अगर, तुर्की, पाकिस्तान, मिस्र, मलेशिया, नाइजीरिया आदि देश शामिल है। इन सभी देशों में सभी धर्मों के लिए समान कानून है। किसी विशेष धर्म या समुदाय के लिए अलग-अलग कानून नहीं है। 

 🚩इनके अलावा इस्राइल, जापान, फ्रांस और रूस में समान नागरिक संहिता या कुछ मामलों के लिए समान दीवानी या आपराधिक कानून है। यूरोपीय देशों और अमेरिका के पास एक धर्मनिरपेक्ष कानून है, जो सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होता है फिर चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। रोम में सबसे पहले नागरिक कानून के सिद्धांत बनाए गए थे। रोम के लोगों ने एक कोड विकसित करने के लिए सिद्धांतों का इस्तेमाल किया, जो निर्धारित करता था कि कानूनी मुद्दों का फैसला कैसे किया जाएगा। फ्रांस में दुनियां में सबसे प्रसिद्ध नागरिक संहिताएं है। अमेरिका में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है, जबकि भारत की तरह यहां भी बहुत विविधता है। यहां कानून की कई लेयर्स है, जो देश, राज्य और काऊंटी, एजेंसियों और शहरों में अलग-अलग लागू होती है। इन सबके बाद भी ये सामान्य सिद्धांत नागरिक कानूनों को राज्यों में इस तरह से नियंत्रित करते है जो पूरे देश में लागू होते है। 

 🚩भारत में जल्द से जल्द समान नागरिक संहिता को लागू करना चाहिए ऐसी जनता की मांग है।  

 🔺 Follow on

  🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/

🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg

🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg

🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan

🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg

🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ