Thursday, August 8, 2024

वर्षा ऋतु (बरसात) में भारतीय संस्कृति के अनुसार पकोड़े खाने के पीछे क्या है रहस्य?


9 August 2024

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🚩बरसात का मौसम और पकोड़े खाने की परंपरा: एक आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण


🚩भारतीय संस्कृति में बरसात का मौसम आते ही पकोड़े खाने की परंपरा को लेकर विशेष उत्साह देखने को मिलता है। यह परंपरा केवल स्वाद और आनंद के लिए नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक गहरा आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक आधार है जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है।


🚩आयुर्वेद और वर्षा ऋतु में शरीर का संतुलन:

आयुर्वेद, जो कि प्राचीन भारतीय चिकित्सा विज्ञान है, ऋतु के अनुसार आहार और जीवनशैली में बदलाव की सलाह देता है। वर्षा ऋतु में वात दोष का प्रकोप बढ़ जाता है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर में गैस, अपच, और जोड़ों में दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वात दोष को संतुलित करने के लिए, शुद्ध तेल में तली हुई चीज़ों का सेवन अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। तेल की विशेषता यह है कि यह वात दोष को नियंत्रित कर शरीर में आवश्यक ऊष्मा और संतुलन बनाए रखता है, जो इस मौसम में विशेष रूप से आवश्यक होता है।


🚩पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का मेल:

पकोड़े, जो शुद्ध तेल में तले जाते हैं, वात को शांत करने के साथ-साथ शरीर को ऊर्जा और संतोष भी प्रदान करते हैं। आधुनिक विज्ञान भी इस बात को मानता है कि ठंड और नमी के मौसम में शरीर को अधिक ऊर्जा और ऊष्मा की आवश्यकता होती है, जो तले हुए खाद्य पदार्थों से मिल सकती है। इसके अलावा, तले हुए व्यंजनों में पाए जाने वाले मसाले, जैसे कि हल्दी, मिर्च, और अजवाइन, न केवल स्वाद को बढ़ाते हैं, बल्कि इनकी एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण भी शरीर को बीमारियों से बचाने में सहायक होते हैं।


🚩सावन और आहार के नियम:

सावन, जो कि वर्षा ऋतु का मुख्य समय होता है, में कुछ विशेष आहार नियमों का पालन किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, इस समय दही, छाछ, दूध, और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन वर्जित है, क्योंकि ये सभी वात को बढ़ाने वाले होते हैं। इसके स्थान पर, ये पदार्थ भगवान शिव को अर्पित किए जाते हैं, जो प्रतीकात्मक रूप से हर प्रकार के विष को ग्रहण करने वाले माने जाते हैं। यह धार्मिक अनुष्ठान न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि इसका वैज्ञानिक पक्ष भी है, जो शरीर के संतुलन को बनाए रखने में सहायक होता है।


🚩शुद्ध तेल का चयन: क्यों यह महत्वपूर्ण है?

तेल का शुद्ध होना इस परंपरा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। रिफाइंड तेल के विपरीत, शुद्ध तेल में उसके प्राकृतिक गुण और तत्व सुरक्षित रहते हैं, जो वात दोष को संतुलित करने में सहायक होते हैं। रिफाइंड तेल का उपयोग न केवल तेल के प्राकृतिक गुणों को समाप्त कर देता है, बल्कि यह शरीर में अवांछनीय तत्वों का भी प्रवेश कराता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसीलिए, शुद्ध तेल में बने व्यंजनों का सेवन वर्षा ऋतु में विशेष रूप से लाभकारी माना गया है।


🚩अतिरिक्त आयुर्वेदिक सुझाव:

वर्षा ऋतु में ताजे फल और हरी सब्जियों का सेवन भी सीमित करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इस समय मिट्टी और पानी की अधिक नमी के कारण इनमें कीटाणुओं का खतरा बढ़ जाता है। इसके बजाय, सूखे मेवे और पुराने अनाज जैसे बाजरा, रागी, और जौ का सेवन करना अधिक सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्धक माना गया है। साथ ही, अदरक और तुलसी जैसी गर्म तासीर वाली चीजों का सेवन शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है।


🚩निष्कर्ष:

भारतीय संस्कृति में बरसात के मौसम में पकोड़े खाने की परंपरा केवल एक सांस्कृतिक रस्म नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक ठोस आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक आधार है। यह परंपरा न केवल स्वाद और आनंद देती है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य को भी संतुलित और सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए, इस वर्षा ऋतु में पकोड़े और अन्य तले हुए व्यंजनों का सेवन करें, शुद्ध तेल का उपयोग करें, और आयुर्वेदिक परंपराओं के साथ अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें।                                                                                              


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Wednesday, August 7, 2024

क्या भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति आ सकती है?

8 अगस्त 2024

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🚩प्रस्तावना:


भारत और बांग्लादेश की राजनीतिक, सामाजिक, और आर्थिक परिस्थितियों की तुलना से स्पष्ट होता है कि भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति आना अत्यधिक असंभव है। यह लेख उन प्रमुख कारणों को उजागर करता है जो भारत को बांग्लादेश जैसी परिस्थितियों से अलग और स्थिर बनाते हैं।


🚩राजनीतिक स्थिरता और चुनाव:


भारत में राजनीतिक असंतोष का समाधान चुनावों के माध्यम से होता है। भले ही लोकसभा चुनावों के लिए 5 साल का इंतजार करना पड़े, लेकिन राज्यों के चुनाव जनता को सत्ताधारी पार्टी को जवाब देने के कई मौके प्रदान करते हैं। अगर सत्ताधारी पार्टी राज्यों के चुनाव में हारती है, तो उसे जनता की भावनाओं के अनुरूप काम करना पड़ता है, अन्यथा सत्ता किसी अन्य पार्टी को मिल जाती है। उदाहरण के लिए, भाजपा ने केंद्र में 10 वर्षों तक सत्ता में रहते हुए भी बिहार और हिमाचल प्रदेश जैसे कई चुनाव हारे हैं, जो दर्शाता है कि भारतीय जनता अपनी राजनीतिक इच्छाओं को चुनावों के माध्यम से प्रभावी ढंग से व्यक्त करती है।


🚩विकास और आर्थिक विविधता:


भारत में विकास कार्य तीव्र गति से चल रहे हैं। कोरोना महामारी के दौरान, भारत ने 100 से अधिक देशों को वैक्सीन भेजी। देश में सड़क निर्माण के रिकॉर्ड स्थापित हुए हैं, रेल नेटवर्क को दुरुस्त किया जा रहा है, उज्ज्वला योजना के तहत महिलाओं को गैस सिलिंडर मिल रहे हैं, और शत-प्रतिशत गाँवों में बिजली पहुँची है। हर घर को नल से स्वच्छ जल मिल रहा है और करोड़ों घर बनाए जा रहे हैं। गरीबों को व्यवसाय के लिए ऋण दिए जा रहे हैं और देश के कई उच्च स्तर के शैक्षणिक संस्थान युवाओं को बड़े पदों पर भेज रहे हैं।


🚩इसके विपरीत, बांग्लादेश में इन विकासात्मक पहलों की कमी रही है। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था मुख्यतः टेक्सटाइल और गारमेंट उद्योग पर निर्भर है, जो कोरोना महामारी के दौरान बुरी तरह प्रभावित हुआ। भारत की विविध अर्थव्यवस्था में कृषि, आईटी, निर्माण, और सेवा क्षेत्रों का योगदान है। उदाहरण के लिए, NCR, पुणे, हैदराबाद, और चेन्नई जैसे शहर सॉफ्टवेयर कंपनियों के लिए प्रमुख केंद्र बनते जा रहे हैं।


🚩सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता:


भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहाँ हर धर्म, पंथ, और मजहब के लोग खुलकर जीते हैं और अपनी परंपराओं का पालन करते हैं। भारत की यह विविधता उसे एकता में बांध कर रखती है और समय के साथ खुद को अनुकूलित करने की क्षमता प्रदान करती है। उदाहरण के तौर पर, भारत ने विविधता को आत्मसात किया है और विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के बीच सामंजस्य बनाए रखा है।


🚩लोकतांत्रिक संस्थाएँ और स्वतंत्रता:


भारत की लोकतांत्रिक संस्थाएँ, जैसे न्यायपालिका, चुनाव आयोग, और मीडिया, स्वतंत्र और स्वायत्त हैं। न्यायपालिका ने कई बार सरकार के खिलाफ फैसले सुनाए हैं, जो लोकतंत्र की एक प्रमुख पहचान है। उदाहरण के लिए, यहाँ की बहुमत वाली आबादी ने अपने आराध्य देवता के जन्मस्थान पर मंदिर के लिए 500 वर्षों का संघर्ष किया। चुनाव आयोग सुनिश्चित करता है कि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से होते हैं। भारत में चुनाव एक उत्सव के रूप में मनाए जाते हैं, चाहे वह पंचायत का हो या प्रधानमंत्री का, और इसमें हर कोई भाग लेता है।


🚩चुनौतियाँ और समाधान:


भारत की राजनीतिक और सुरक्षा एजेंसियाँ हर प्रकार की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं। उदाहरण के लिए, किसान आंदोलन और जातीय संघर्षों के बावजूद, भारत की राजनीतिक स्थिरता बनी हुई है। 1980 के दशक में पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद हो या जम्मू कश्मीर में इस्लामी आतंकवाद, भारतीय सुरक्षा बल इन समस्याओं से निपटने में सक्षम रहे हैं।


🚩वैश्विक संदर्भ:


भारत की स्थिति बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, और म्यांमार से अलग है। भारत कर्ज में डूबा हुआ नहीं है, महँगाई से परेशान नहीं है, और सेना द्वारा चुनी हुई सरकार को अपदस्थ नहीं किया जाता। बांग्लादेश के हालात और पाकिस्तान की समस्याएँ भारत के संदर्भ में बिलकुल अलग हैं। भारत की संस्कृति और इतिहास में अनुशासन की गहरी जड़ें हैं, जो उसे स्थिरता प्रदान करती हैं।


🚩जब 2011 में 'अरब स्प्रिंग' का प्रभाव विभिन्न देशों पर पड़ा, जैसे सीरिया, यमन, और लीबिया, भारत ने ऐसी अराजकता के बजाय स्थिरता को बनाए रखा। उदाहरण के लिए, सीरिया ISIS का गढ़ बन गया, यमन में हूती और सरकार के बीच संघर्ष जारी है, और मिस्र में राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी को सेना द्वारा हटाया गया। भारत की राजनीति और सुरक्षा एजेंसियाँ ऐसे संकटों से निपटने में सक्षम हैं और वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ हिंसा भड़काने वाले गिरोहों के खिलाफ भी सतर्क हैं।


🚩निष्कर्ष:


भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था, मजबूत अर्थव्यवस्था, सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता, और स्वतंत्र संस्थाएँ इसे बांग्लादेश जैसी स्थिति से बचाती हैं। भारत की महान संस्कृति और विविधता उसे अद्वितीय बनाती है और सुनिश्चित करती है कि यह बांग्लादेश, पाकिस्तान, या अन्य देशों की तरह संकट में न पड़े।


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Tuesday, August 6, 2024

वक्फ बोर्ड: हिन्दू मंदिरों और गाँवों से लेकर फाइव स्टार होटलों तक जमीन हड़पने का षड्यंत्र

7 August 2024

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🚩वक्फ बोर्ड के माध्यम से भूमि अधिग्रहण की घटनाएं केवल कल्पना नहीं हैं। ऐसी खबरें अक्सर सुनने को मिलती हैं जहाँ वक्फ बोर्ड ने सार्वजनिक या निजी भूमि को वक्फ के रूप में पंजीकृत करने का दावा किया है। इसमें तमिलनाडु में एक संपूर्ण हिन्दू गाँव, सूरत में सरकारी इमारतें, बेंगलुरु में तथाकथित ईदगाह मैदान, हरियाणा में जठलाना गाँव, और हैदराबाद का एक पाँच सितारा होटल शामिल हैं।


🚩भूमि अधिग्रहण के सामान्य तरीके

🚩वक्फ बोर्ड के भूमि अधिग्रहण के तीन सामान्य तरीके हैं:


🚩कब्रिस्तान के रूप में दावा करना: किसी भूमि पर कब्रिस्तान का दावा करके उसे वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत करना।

मजार/दरगाह का निर्माण करना: सार्वजनिक या निजी भूमि पर मजार या दरगाह का निर्माण करना और फिर उसे वक्फ संपत्ति के रूप में घोषित करना।

सार्वजनिक भूमि पर नमाज अदा करना: सार्वजनिक जमीनों पर नमाज अदा करना ताकि उसे वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत करने की संभावना बनाई जा सके।

🚩सामाजिक संघर्ष और सांप्रदायिक वैमनस्य

🚩इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि बिना उचित नियमन के कानून और इससे उत्पन्न भ्रष्ट तंत्र सामाजिक संघर्ष और सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देते हुए हिन्दुओं की सम्पत्तियों के खिलाफ एक सुनियोजित षड्यंत्र के रूप में कार्य कर रहे हैं। वक्फ बोर्ड का कानूनी अस्तित्व अत्यधिक विवादास्पद है। वक्फ की कानूनी संस्था और बोर्ड की नौकरशाही का अस्तित्व केवल इस्लामिक राजनीति के लिए एक गढ़ के रूप में समझा जा सकता है।


🚩धर्मनिरपेक्षता और कानूनी प्रणाली

🚩यह ध्यान देने योग्य है कि एक धर्मनिरपेक्ष देश में केवल एक तर्कसंगत कानूनी प्रणाली को लोकहित में काम करना चाहिए, न कि किसी विशेष समुदाय की पहचान को चिह्नित करने के लिए। वक्फ कानून वर्तमान में जिस स्थिति में है, वह सार्वजनिक शांति और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए खतरनाक है। यह निजी संपत्ति अधिकारों का उल्लंघन करता है और चरमपंथी राजनीति को प्रोत्साहित करता है।


🚩संविधान का उल्लंघन

वक्फ अधिनियम 1995 और वक्फ न्यायशास्त्र वर्तमान में संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत दिए गए समानता के अधिकार का स्पष्ट रूप से उल्लंघन करते हैं। यह अधिनियम एक समुदाय की संपत्तियों और धार्मिक प्रतिष्ठानों को एक विशेष सुरक्षा प्रणाली प्रदान करता है, जो अन्य समुदायों के लिए अनुपलब्ध है।


🚩निष्कर्ष

वक्फ बोर्ड द्वारा भूमि अधिग्रहण का मुद्दा न केवल एक कानूनी समस्या है, बल्कि यह एक गंभीर सामाजिक और सांप्रदायिक चिंता भी है। इस संदर्भ में, यह आवश्यक है कि वक्फ कानून की समीक्षा की जाए और इसे सभी समुदायों के लिए समान और निष्पक्ष बनाया जाए। समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए यह कदम अत्यंत महत्वपूर्ण है।


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Monday, August 5, 2024

शिवलिंग के ऊपर बांधे जाने वाले जल के कलश को क्या कहते है, इसे कब और क्यों बांधते है?


6 August 2024

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🚩 कई बार शिवलिंग के ऊपर एक जल का कलश बंधा हुआ दिखाई देता है, जिसमें से बूंद-बूंद पानी शिवलिंग पर गिरता रहता है।


🚩ये दृश्य अक्सर गर्मी के दिनों में देखने को मिलता है। इस परंपरा से जुड़ी कई बातें है।


🚩 वैशाख मास में शिवलिंग के ऊपर एक जल से भरा कलश बांधने की परंपरा है। इस कलश से बूंद-बूंद पानी शिवलिंग पर गिरता रहता है। इसको गलंतिका कहा जाता है। गलंतिका का शाब्दिक अर्थ है जल पिलाने का करवा या बर्तन। 


🚩इस जल के कलश में नीचे की ओर एक छोटा सा छेद होता है जिसमें से एक-एक बूंद पानी शिवलिंग पर निरंतर गिरता रहता है। ये जल का कलश मिट्टी या किसी अन्य धातु का भी हो सकता है। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि इस कलश का पानी खत्म न हो।


क्या है इस परंपरा से जुड़ी कथा?


🚩 धर्म ग्रंथों के अनुसार समुद्र मंथन करने पर सबसे पहले कालकूट नामक भयंकर विष निकला, जिससे समग्र संसार में त्राहि-त्राहि मच गई।

 

🚩तब समस्त विश्व के कल्याण के लिए शिवजी ने उस कालकुट विष को अपने गले में धारण कर लिया। मान्यताओं के अनुसार, वैशाख मास में जब अत्याधिक गर्मी पड़ने लगती है तब कालकूट विष के कारण शिवजी के शरीर का तापमान में बढ़ने लगता है। उस तापमान को नियंत्रित रखने के लिए ही शिवलिंग पर गलंतिका बांधी जाती है। 

जिसमें से बूंद-बूंद टपकता जल, भगवान शिव को ठंडक प्रदान करता है।


🚩इसीसे शुरू हुई शिवजी को जल चढ़ाने की परंपरा?

शिवलिंग पर प्रतिदिन लोगों द्वारा जल चढ़ाया जाता है। इसके पीछे ही यही कारण है कि शिवजी के शरीर का तापमान सामान्य रहे।

गर्मी के दिनों तापमान अधिक रहता है इसलिए इस समय गलंतिका बांधी जाती है ताकि निरंतर रूप से शिवलिंग पर जल की धारा गिरती रहे।


🚩वैशाख मास में लगभग हर मंदिर में शिवलिंग के ऊपर गलंतिका बांधी जाती है। 

इस परंपरा में ये बात ध्यान रखने वाली है तो गलंतिका में डाला जाने वाला जल पूरी तरह से शुद्ध हो। चूंकि ये जल शिवलिंग पर गिरता है, इसलिए इसका शुद्ध होना जरूरी है।


अत : सफाई और शुद्धता का ध्यान रखना जरूरी है।




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Sunday, August 4, 2024

सनातन धर्म के पर्व एवं त्योहर - आषाढ अमावस्या - दीप अमावस्या

 5 August 2024

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महाराष्ट्र में आषाढ़ अमावस्या को दीप अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन दीप पूजा की जाती है। दीप पूजा के दिन, लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते है और उसे सजाते है। फिर घर के सभी दीयों को साफ करते है और उन्हें सजाते है। मेज के चारों ओर रंगोली बनाकर दीयों को मेज पर रखते है और उन दियों की पूजा की जाती है। 



कई लोग उनको जलाते है और कई लोग सिर्फ पूजा करके उनको साल भर में एक दिन आराम देते है। फिर घर में मिष्ठान बनाकर उनको भोग लगाया जाता है।



तमसो मा ज्योतिर्गमय की तर्ज पर दियों का पूजन किया जाता है ताकि दीऐं हमे अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाएं।



हिन्दू धर्म में दिया जलाने का बहुत महत्व है चाहे वह कोई मांगलिक कार्य हो, पितरों का तर्पण हो या फिर किसीका देहांत, दियों का स्थान तो अग्रगणी है।
हर कार्य में दिए लगाने का उद्देश अलग अलग है।



इतना ही नहीं, सनातन संस्कृति में दीयों का बुझना,या उन्हें बुझाना अशुभ माना जाता है।



इसीलिए, जन्म दिवस पर पाश्चात्य अंधानुकरण करके दिए बुझाने की बजाए , हिन्दू संस्कृति के अनुसार उन्हें जलाना चाहिए ऐसा संत श्री आशारामजी बापू कहते है।



आज, पाश्चात्य अंधनुकरण और सांस्कृतिक पतन के कारण लोग दीप अमावस्या को गटारी अमावस्या कहते है और उस दिन जमकर अभक्ष्य भक्षण और मदिरा पान करते है जो की सर्वथा अनुचित है।



आप को बता दे की हिन्दू धर्म में ऐसा कोई भी त्योहार नहीं जिस दिन,अभक्ष्य भक्षण और मदिरा पान की अनुमति दी गई हो बल्कि यह असभ्य मनुष्यों द्वारा जानबूझकर विकृति पैदा की गई है ताकि हम हमारी दिव्य संस्कृति से दूर चले जाएं।



इसीलिए, प्रत्येक हिन्दू को सजग होने की आवश्यकता है ताकि हम हमारी प्राचीन परंपराएं और त्योहार अबाधित रख सके।



सभी के जीवन में ज्ञान का प्रकाश हो,स्वास्थ्य,आनंद और यश हो, यहीं प्रार्थना करते हुए सभी दियों को मेरा शत-शत नमन 🙏



दीपज्योति परब्रह्म दीपज्योति जनार्दन ।
दीपो हरतु में पापम,संध्या दीपो नमोस्तुते  ।।



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Saturday, August 3, 2024

उत्तर प्रदेश में लव जिहाद पर अब उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान

4  August 2024

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🚩उत्तर प्रदेश की योगी सरकार लव जिहाद से जुड़े कानून को और सख्त बनाने जा रही है। नए कानून के मुताबिक अब किसी का जबरन धर्मांतरण करवाने वाले आरोपी को 10 -15 साल की सजा नहीं बल्कि उम्रकैद तक की सजा होगी। इस नियम को लागू कराने के लिए योगी सरकार ने इससे जुड़ा विधेयक सोमवार (29 जुलाई 2024) को सदन में पेश किया। विधेयक में कई नए अपराधों को भी शामिल करने की तैयारी है। जैसे विधि विरुद्ध धर्मांतरण के लिए फंडिग को भी कानून के तहत अपराध के तगत दायरे में लाने की तैयारी है।

🚩विधानसभा में मानसून सत्र के पहले दिन उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक -2024 पेश किया गया था। इस में कहा गया था कि अब यदि कोई व्यक्ति धर्मांतरण कराने की नीयत से किसी व्यक्ति को उसके जीवन या संपत्ति के लिए धमकाता है, हमला करता है, विवाह या विवाह करने का वादा करता है अथवा इन सब चीजों के लिए षड्यंत्र करता है, नाबालिग, महिला या किसी व्यक्ति की तस्करी तो उसके अपराध को सबसे गंभीर श्रेणी में रखा जाएगा और उसे उल्लेखित सजा भुगतनी होगी।

🚩बता दें कि लव जिहाद की घटनाओं की रोकथाम के लिए योगी सरकार ने साल 2020 में पहली बार लव जिहाद विरोधी कानून बनाने की बात सामने आई थी। बाद में साल 2021 में यूपी विधानसभा में धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक पारित किया गया । इस में लव जिहाद आरोपितों के लिए 1 से 10 साल तक की सजा का प्रावधान था।

🚩कानून में कहा गया था कि सिर्फ शादी के लिए किया गया धर्मांतरण अमान्य होगा। इसके अलावा झूठ बोलकर, धोखा देकर, धर्मपरिवर्तन को अपराध माना जाएगा। वहीं स्वेच्छा से धर्मपरिवर्तन के मामले में 2 महीने पहले मजिस्ट्रेट को बताना होगा।

🚩पहले विधेयक के मुताबिक जबरन धोखे से धर्म परिवर्तन के लिए 15000 रुपए जुर्माने के साथ 1-5 साल की जेल की सजा का प्रावधान था। वहीं अगर ये धोखेबाजी दलित लड़की के साथ ऐसा होता है तो 25000 रुपए जुर्माने के साथ 3-10 साल की सजा का प्रावधान था। हालाँकि अब अगर इस मामले में बदलाव होता है तो ऐसे केसों में आरोपी की सजा दुगनी होगी यानी 10 साल या फिर आजीवन कारावास का प्रावधान होगा।

🚩गौरतलब है कि साल 2020-21 के बीच लव जिहाद के तमाम मामले सोशल मीडिया और अखबारों तथा न्यूज़ चैनल्स के जरिए सामने आए थे। उन्हीं मामलों की शिकायत जब योगी सरकार के पास पहुँची तो उन्होंने मामलों की जाँच करवाई और पुष्टि होने के बाद आरोपी गिरफ्तार हुआ। साथ ही, प्रदेश में ये कानून लाया गया कि धर्मपरिवर्तन कराने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।

🚩लव जिहाद द्वारा हिन्दू युवतियों को छल करके प्रेम जाल में फँसाने की अनेक घटनाएँ सामने आईं है। बाद में, वहीं लड़कियां बहुत पश्चाताप करती है ,क्योंकि वहाँ उनकी जिंदगी नारकीय हो जाती है। उनपर धर्मपरिवर्तन करने का दबाव बनाया जाता है, लव जिहादियों की अनेक पत्नियां होती है। गौमाँस खिलाया जाता है, दर्जनों बच्चे पैदा करते है , पिटाई करते है, तलाक भी दिया जाता है। यहाँ तक कि लव जिहाद में फंसाकर उनको आतंकवादियों के पास भेजने की भी अनेक घटनाएं सामने आई है।

🚩जनता की मांग है कि योगी सरकार की तरह सभी राज्यों की सरकार को लव जिहाद और धर्मांतरण रोकने के लिए कानून बनाना चाहिए।


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Friday, August 2, 2024

गोल्डी - अशोक के मसलों में खतरनाक कीटनाशक, किडनी-लीवर हो जाएँगे डैमेज

 3  August 2024

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🚩जिन मसालों को हम अपनी रसोई का अहम हिस्सा मानते है, वे हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। गोल्डी, अशोक, भोला सब्जी मसाले समेत 13 कंपनियों के नूमने जाँच में फेल हो गए है। उत्तर प्रदेश खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) का कहना है कि इन कंपनियों के कई उत्पाद खाने के योग्य नहीं है। इससे पहले MDH और एवरेस्ट के मसालों पर सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग ने प्रतिबंध लगा दिया था।


🚩दरअसल, इस साल मई में कानपुर स्थित मसालों की 13 कंपनियों पर FSDA के अफसरों ने छापा मारा था। इनके अलग-अलग मसालों के 35 उत्पाद के नमूने जाँच के लिए भेजे थे। इनमें से 23 की रिपोर्ट सामने आई है। इन मसालों में पेस्टीसाइड और कीटनाशक की मात्रा काफी अधिक मिली है। इसमें कीड़े भी मिले है। इसके बाद FSDA ने इन प्रोडक्ट्स की बिक्री पर रोक लगा दी है।


🚩FSDA के अफसरों ने कानपुर के दादानगर की शुभम गोल्डी मसाला कंपनी से सैंपल इकट्ठा किए थे। उनमें सांभर मसाला, चाट मसाला और गरम मसाला खाने योग्य नहीं है। इसमें कीटनाशक की मात्रा खतरनाक स्तर तक पाया गया है। दरअसल, शुभम गोल्डी कंपनी गोल्डी ब्रांड नाम से मसाला प्रोडक्ट बनाती है। बता दें कि गोल्डी मसाले के ब्रांड एंबेसडर अभिनेता सलमान खान है।


🚩इसी तरह नामी अशोक मसालों की दो कंपनियों के उत्पादों में भी खामियाँ पाई गई हैं। इनके धनिया पाउडर, गरम मसाला और मटर पनीर मसाला खाने योग्य नहीं है। ये स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। वहीं, भोला मसाले के प्रोडक्ट की बिक्री पर भी रोक लगा दी गई है। इसके बिरयानी मसाला, सब्जी मसाला और मीट मसाला सेफ नहीं है।


🚩लोकल लेवल पर बिकने वाली 14 अन्य कंपनियों के प्रोडक्ट में भी हानिकारक पदार्थ पाए गए है। इन कंपनियों के हल्दी पाउडर में भी पेस्टिसाइट्स मिला है। एक अन्य नामचीन मसाले में प्रोपरगाइट मिला है। इसका इस्तेमाल कीड़ों, खासकर मकड़ी से फसलों की रक्षा के लिए किया जाता है। 16 सैंपल में खतरनाक कीटनाशक और 7 में माइक्रो बैक्टीरिया मिले है।   स्त्रोत ओप इंडिया 


🚩अब खाद्य विभाग इन सभी कंपनियों के खिलाफ एडीएम सिटी कोर्ट में वाद दायर करेगा। इसके बाद जुर्माना तय होगा। जानकारों ने बताया कि ब्रांडेड कंपनियों के मसाले गोरखपुर, जौनपुर, झांसी, वाराणसी, फतेहपुर, बहराइच समेत कई शहरों में बेचे जा रहे है। सहायक खाद्य आयुक्त संजय प्रताप सिंह ने बताया कि इनकी बिक्री पर रोक लगा दी गई है। स्त्रोत: ओप इंडिया 


🚩कीटनाशक वाले मसालों के कारण हृदय, लिवर और किडनी पर बुरा प्रभाव पर सकता है। MDH और एवरेस्ट मसालों के नमूने फेल होने के बाद शासन के निर्देश पर सैंपल लिए गए थे। खाद्य एवं औषधि विभाग ने मई में अभियान चलाकर शहर की 16 मसाला फैक्ट्रियों पर रेड की थी। MDH और एवरेस्ट के मसालों पर सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग में प्रतिबंध लगा दिए थे।


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