1 सितम्बर 2024
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🚩जानिए 12 वर्ष तक लगातार त्रिफला खाने के लाभ
🚩त्रिफला एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसमें हरड़, बहेड़ा और आंवला के फल शामिल होते है। आयुर्वेद के अनुसार,त्रिफला का सेवन शरीर की तीनों दोषों—वात, पित्त और कफ—को संतुलित करने में सहायक होता है। त्रिफला के निरंतर सेवन से शरीर का कायाकल्प किया जा सकता है और इसे दीर्घकालिन स्वास्थ्य लाभ के लिए अत्याधिक प्रभावी माना गया है।
🚩 त्रिफला का महत्व और लाभ
🚩त्रिफला के बारे में कहा जाता है कि:हरड़,बहेड़ा,आंवला घी शक्कर संग खाए,हाथी दाबे कांख में और चार कोस ले जाए।"
🚩यह कहावत त्रिफला के चमत्कारिक प्रभावों को दर्शाती है। इसका मतलब है कि त्रिफला का सेवन करने से व्यक्ति में इतनी ऊर्जा और ताकत आती है कि वह हाथी को भी अपनी कांख में दबाकर चार कोस (1 कोस = 3-4 किमी) चल सकता है।
🚩 त्रिफला के सेवन के नियम और विधियां
1. सेवन विधि: त्रिफला का सेवन सुबह खाली पेट ताजे पानी के साथ करना चाहिए। सेवन के बाद एक घंटे तक कुछ भी न खाएं और न पिएं। इसके अलावा, ऋतु के अनुसार त्रिफला के साथ अलग-अलग चीजें मिलाकर सेवन करने की सलाह दी जाती है:
- बसंत ऋतु (मार्च - मई): त्रिफला को शहद के साथ मिलाकर लें।
- ग्रीष्म ऋतु (मई - जुलाई): त्रिफला के साथ गुड़ मिलाकर सेवन करें।
- वर्षा ऋतु (जुलाई - सितम्बर): त्रिफला के साथ सैंधा नमक मिलाकर लें।
- शरद ऋतु (सितम्बर - नवम्बर): त्रिफला के साथ देशी खांड मिलाकर लें।
- हेमंत ऋतु (नवम्बर - जनवरी): त्रिफला के साथ सौंठ का चूर्ण मिलाकर सेवन करें।
- शिशिर ऋतु (जनवरी - मार्च):त्रिफला के साथ पीपल छोटी का चूर्ण मिलाकर सेवन करें।
🚩2. मात्रा का निर्धारण: त्रिफला की मात्रा का निर्धारण उम्र के अनुसार किया जाता है। जितने वर्ष की उम्र है,उतने रत्ती त्रिफला का सेवन करना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आपकी उम्र 50 वर्ष है, तो 50 x 0.12 = 6 ग्राम त्रिफला लेना चाहिए।
🚩 त्रिफला का सेवन करने से मिलने वाले लाभ:
- पहला वर्ष: शरीर की सुस्ती दूर होती है।
- दूसरा वर्ष: सभी रोगों का नाश होता है।
- तीसरा वर्ष: नेत्रों की ज्योति बढ़ती है।
- चौथा वर्ष: चेहरे की सुंदरता में निखार आता है।
- पांचवां वर्ष: बुद्धि का अभूतपूर्व विकास होता है।
- छठा वर्ष: शरीर में बल बढ़ता है।
- सातवां वर्ष: सफेद बाल काले होने लगते है।
- आठवां वर्ष: शरीर यौवन शक्ति से परिपूर्ण होता है।
- नवां वर्ष: शरीर में दिव्य गुणों का विकास होता है।
- दसवां वर्ष: देवी सरस्वती का वास कंठ में होता है।
- ग्यारहवां और बारहवां वर्ष: वचन सिद्ध होते है।
🚩त्रिफला के विभिन्न प्रयोग:
- नेत्र-प्रक्षालन: एक चम्मच त्रिफला चूर्ण रात को पानी में भिगोकर रखें और सुबह उस पानी से आँखें धो लें। इससे आँखों की रोशनी में सुधार होता है।
- कुल्ला करना: त्रिफला का पानी सुबह कुल्ला करने के बाद मुंह में रखने से दांत और मसूड़े मजबूत रहते है।
- वजन कम करने के लिए: त्रिफला के काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।
🚩सावधानियां:
- त्रिफला का सेवन दुर्बल, कृश व्यक्ति, गर्भवती स्त्री, और नए बुखार में नहीं करना चाहिए।
- त्रिफला का सेवन करते समय दी गई मात्रा का सख्ती से पालन करें। अधिक मात्रा में सेवन करने से शरीर में विकार उत्पन्न हो सकते है।
🚩 स्वस्थ जीवन के लिए सुझाव:
- रिफाइन्ड नमक, तेल, शक्कर, और मैदा का सेवन न करें।
- प्राकृतिक भोजन और शुद्ध पानी का सेवन करें।
- आध्यात्मिकता और ध्यान का अभ्यास करें।
- अपने आहार और दिनचर्या में संतुलन बनाए रखें।
🚩त्रिफला का नियमित और सही तरीके से सेवन करने से आप न केवल विभिन्न बीमारियों से बच सकते है,बल्कि दीर्घकालिन स्वास्थ्य और सुंदरता भी प्राप्त कर सकते है। आयुर्वेद का यह अनमोल उपहार आपके जीवन को नई ऊर्जा और स्वास्थ्य से भर देगा।
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