Thursday, December 22, 2016

Facts You Should Know Behind : 25 December

क्या आपको पता है कि 25 दिसम्बर क्यों मनाया जाता है..??? 

आइये आपको बताते हैं 25 दिसम्बर का वास्तविक इतिहास...

अभी यूरोप, अमरीका और ईसाई जगत में इस समय क्रिसमस डे की धूम है। अधिकांश लोगों को तो ये पता ही नहीं है कि यह क्यों मनाया जाता है।

कुछ लोगों का भ्रम है कि इस दिन ईशदूत ईसा मसीह का जन्मदिन पड़ता है पर सच्चाई यह है कि 25 दिसम्बर का ईसा मसीह के जन्मदिन से कोई सम्बन्ध ही नहीं है। एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म, 7 से 2 ई.पू. के बीच हुआ था ।

Facts You Should Know Behind : 25 December

वास्तव में पूर्व में 25 दिसम्बर को ‘मकर संक्रांति' पर्व आता था और यूरोप-अमेरिका धूम-धाम से इस दिन सूर्य उपासना करता था। सूर्य और पृथ्वी की गति के कारण मकर संक्रांति लगभग 80 वर्षों में एक दिन आगे खिसक जाती है।

सायनगणना के अनुसार 22 दिसंबर को सूर्य उत्तरायण की ओर व 22 जून को दक्षिणायन की ओर गति करता है। सायनगणना ही प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर होती है। जिसके अनुसार 22 दिसंबर को सूर्य क्षितिज वृत्त में अपने दक्षिण जाने की सीमा समाप्त करके उत्तर की ओर बढ़ना आरंभ करता है। इसलिए 25 को मकर संक्रांति मनाते थे।

विश्व-कोष में दी गई जानकारी के अनुसार सूर्य-पूजा को समाप्त करने के उद्देश्य से क्रिसमस डे का प्रारम्भ किया गया । 

ईस्वी सन् 325 में निकेया (अब इजनिक-तुर्की) नाम के स्थान पर सम्राट कांस्टेन्टाइन ने प्रमुख पादरियों का एक सम्मेलन किया और उसमें ईसाईयत को प्रभावी करने की योजना बनाई गई।

पूरे यूरोप के 318 पादरी उसमें सम्मिलित हुए। उसी में निर्णय हुआ कि 25 दिसम्बर मकर संक्रान्ति को सूर्य-पूजा के स्थान पर ईसा पूजा की परम्परा डाली जाये और इस बात को छिपाया जाये कि ईसा ने 17 वर्षों तक भारत में धर्म शिक्षा प्राप्त की थी। इसी के साथ ईसा मसीह के मेग्डलेन से विवाह को भी नकार देने का निर्णय इस सम्मेलन में किया गया था। और बाद में पहला क्रिसमस डे 25 दिसम्बर सन् 336 में मनाया गया। 

आपको बता दें कि यीशु ने भारत में कश्मीर में अपने ऋषि मुनियों से सीखकर 17 साल तक योग किया था बाद में वे रोम देश में गये तो वहाँ उनके स्वागत में पूरा रोम शहर सजाया गया और मेग्डलेन नाम की प्रसिद्ध वेश्या ने उनके पैरों को इतर से धोया और अपने रेशमी लंबे बालों से यीशु के पैर पोछे थे ।

बाद में यीशु के अधिक लोक संपर्क से योगबल खत्म हो गया और बाद में उनको सूली पर चढ़ा दिया गया तब पूरा रोम शहर उनके खिलाफ था । रोम शहर में से केवल 6 व्यक्ति ही उनके सूली पर चढ़ाने से दुःखी थे ।

क्या है क्रिसमस और संता क्‍लॉज का कनेक्शन?

क्या आप जानते हैं कि जिंगल बेल गाते हुए और लाल रंग की ड्रेस पहने संता क्‍लॉज का क्रिसमस से क्या रिश्ता है..?

संता क्‍लॉज का क्रिसमस से कोई संबंध नहीं!!

आपको जानकर हैरत होगी कि संता क्‍लॉज का क्रिसमस से कोई संबंध नहीं है।

ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि तुर्किस्तान के मीरा नामक शहर के बिशप संत निकोलस के नाम पर सांता क्‍लॉज का चलन करीब चौथी सदी में शुरू हुआ था, वे गरीब और बेसहारा बच्‍चों को तोहफे दिया करते थे।


अब न यीशु का क्रिसमिस से कोई लेना देना है और न ही  सांता क्‍लॉज से ।
फिर भी भारत में पढ़े लिखे लोग बिना कारण का पर्व मनाते हैं ये सब भारतीय संस्कृति को खत्म करके ईसाई करण करने के लिए भारत में  क्रिसमस डे मनाया जाता है। इसलिये आप सावधान रहें ।

ध्यान रहे हमारा नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरु होता है ।

हम महान भारतीय संस्कृति के महान ऋषि -मुनियों की संतानें हैं इसलिये अंग्रेजो का नववर्ष मनाये ये हमें शोभा नहीं देता है ।
 
क्या अंग्रेज हमारा नव वर्ष मनाते है ?

नही!!

फिर हम क्यों उनका नववर्ष मनाएं..???


क्या आपको पता है कि जितने सरकारी कार्य है वो 31 मार्च को बन्द होकर 2 अप्रैल से नये तरीके से शुरू होते हैं क्योंकि हमारा नववर्ष उसी समय आता है ।

हमारे संतों ने सदा हमें हमारी संस्कृति से परिचित कराया है और आज भी हमारे हिन्दू संत हिन्दू संस्कृति की सुवास चारों दिशाओं में फैला रहे हैं। इसी कारण उन्हें विधर्मियों द्वारा न जाने कितना कुछ सहन भी करना पड़ा है।

अभी गत वर्ष 2014 से देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य व् शांति से जन मानस का जीवन मंगलमय हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से संत आसारामजी बापू की प्रेरणा से 25 दिसम्बर "तुलसी पूजन दिवस" के रूप में मनाया जा रहा है। आप भी तुलसी पूजन करके मनाये।

जिस तुलसी के पूजन से मनोबल, चारित्र्यबल व् आरोग्य बल बढ़ता है,
मानसिक अवसाद व आत्महत्या आदि से रक्षा होती है।
 मरने के बाद भी मोक्ष देनेवाली तुलसी पूजन की महता बताकर जन-मानस को भारतीय संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषिविज्ञान से परिचित कराया संत आसारामजी बापू ने।

धन्य है ऐसे संत जो अपने साथ हो रहे अन्याय,अत्याचार को न देखकर संस्कृति की सेवा में आज भी सेवारत हैं ।

Wednesday, December 21, 2016

भारतीय गोवंश में है विश्व का सर्वोत्तम दूध !!!

भारतीय गोवंश में है,विश्व का सर्वोत्तम दूध..!!!

दिसम्बर 21, 2016 

दुनियाभर में दूध की शुद्धता की मिसाल बनी भारतीय दुधारू संपदा पर ग्रहण लग चुका है। 

मवेशियों की दर्जनों प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। सिंथेटिक दूध का प्रचलन, हरे चारों की कमी एवं पशु कटान की वजह से पोषण की गंगा का स्रोत सूखने लगा है। 


दूध बढ़ाने के नाम पर भारतीय नस्लों के साथ विदेशी नस्लों की घोलमेल ने अमृत को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है। न्यूजीलैंड में प्रोफेसर डा. वुडफोर्ड ने शोध पत्र में साफ किया है कि भारत की सभी गायों में बीटा कैसिन-दो पाया जाता है, जिसमें स्वास्थ्य एवं बुद्धिवर्धक समस्त गुणधर्म हैं। दर्जनों रोगों को समूल नष्ट करने की प्रवृत्ति का वैज्ञानिक आधार पर सत्यापन किया जा चुका है।
भारतीय गोवंश में है विश्व का सर्वोत्तम दूध !!!

वैदिक मान्यता के मुताबिक, भारतीय गोवंश समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ, इसी वजह से जंगली प्रवृत्ति से दूर रहा। दूध की गुणवत्ता के वैज्ञानिक आंकलन में भी भारतीय गोवंश की प्रामाणिकता सिद्ध हुई है। 

न्यूजीलैंड के डा. कीथ वुडफोर्ड ने एशिया एवं यूरोपीय नस्लों पर शोध कर निष्कर्ष निकाला कि प्राचीन काल में यूरोपीय नस्ल की गायों में म्यूटेशन होने की वजह से दूध में बीटा कैसिन ए-दो खत्म हो गया और इसकी जगह बीटा कैसिन-एक नामक विषाक्त प्रोटीन बनने लगा, जबकि भारतीय नस्लों में म्यूटेशन न होने से दूध की गुणवत्ता बनी रही। उत्तर प्रदेश मेरठ में 1200 डेयरियों में से उत्पादित करीब 20 लाख लीटर दूध में से 60 फीसदी का उत्पादन गायों से होता है। कई केन्द्रों में गाय के दूध से जुड़े उत्पादों को भी बनाया जा रहा है।

विदेशी नस्ल के दूध में अफीम !!

अमेरिका में हुए शोध के मुताबिक विदेशी नस्ल की गायों में बीटा कैसिन ए-एक नामक दुग्ध प्रोटीन पाया जाता है, जिसे अफीम जैसा जहरीला बताया गया। इस दूध का प्रोटीन पाचन के मध्य एक उत्पाद बनाता है जो पाचन से पहले ही रक्तप्रवाह में मिल जाता है, जिससे हृदय रोग, शुगर, कैंसर, सिट्जनोफ्रेनिया, एवं अन्य कई जानलेवा बीमारियां बनती हैं। द डेविल इन मिल्क नामक किताब में साफ किया गया है कि ए-दो प्रकार के दूध का प्रयोग ही मानव स्वास्थ्य के लिए उत्तम है। अमेरिका एवं न्यूजीलैंड की कंपनियां जेनेटेकली टेस्टेड ए-दो दूध बाजार में उपलब्ध करवा रही हैं।

क्या कहते हैं वैज्ञानिक...???

भारतीय पशुओं की नस्लीय विशेषता हमेशा सम्मान का पात्र रही है। गोवंश के मूत्र में रेडियोधर्मिता सोखने की क्षमता पायी जाती है, जो भोपाल गैस त्रासदी के दौरान भी सिद्ध हो चुकी है। गोबर से लीपे हुए घरों पर कम असर हुआ। अमेरिका ने भी गोमूत्र में कैंसर विरोधी तत्व होने को लेकर पेटेंट दिया है। गाय के दूध से स्वर्ण भस्म भी बनता है। मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया ने भी गाय के दूध को सर्वोत्तम माना है। गाय का घी खाने से कोलेस्ट्रोल नहीं बढ़ता।

-डा. डी.के. सधाना, पशु वैज्ञानिक, एनडीआरआइ, करनाल

देशी गाय के दूध से बनी दही में ऐसा बैक्टीरिया पाया जाता है जो एड्स विरोधी गुणधर्म रखता है। जैव प्रौद्योगिकी के इस युग में गोवंश के लिए अपार संभावनाएं हैं। भारतीय जलवायु की विविधता से भी दूध की गुणवत्ता बढ़ती है।

– डा. मनोज तोमर, वैज्ञानिक, जिला विज्ञान केन्द्र।

दूध : कुछ तथ्य...!

1. पश्चिम यूपी में गाय-भैंसों के बीच गाय की भागीदारी 60  फीसदी तक है, जो वक्त के साथ कम होती जा रही है।

2. पशुपालन के प्रति अरुचि एवं अंधाधुंध कटान की वजह से अब देश में नस्ल कम हो गई।

3. दुनिया की सर्वोत्तम नस्ल गिर गाय की संख्या सौराष्ट्र में दस हजार से भी कम, जबकि ब्राजील में सर्वाधिक है।

4. कई कृषि विवि में साहीवाल, गिर, थारपारकर, अंगोल एवं राठी समेत उत्तम नस्ल की गायों का संस्थान खोला गया, किंतु विदेशी फंड के लिए क्रास ब्रीड का राग अलापा जा रहा है।

5. विश्वभर में 250 गायों के नस्ल में से 32 नस्लें भारतीय गोवंश की हैं।

6. केरल की वैचूर प्रजाति दुनिया की सबसे छोटी नस्ल है। सांड की ऊंचाई महज तीन फुट होती है। जिनकी संख्या कम हो चुकी है।

7. इस प्रजाति की गाय में सर्वाधिक 7 फीसदी वसा पाया जाता है, किंतु संख्या बढ़ाने पर सरकारों ने कोई रुचि नहीं ली।

संदर्भ : हिन्दू जन जागृति समिति

अभी सरकार को कत्लखाने पर सब्सिडी बन्द करके भारतीय गोवंश की नस्लों की गौशाला के लिए सब्सिडी देनी चाहिए जिससे फिर से भारतीय गोवंश में बढ़ोतरी हो और देश में गौ दुग्ध से हर व्यक्ति स्वस्थ्य रहे ।

Tuesday, December 20, 2016

25 दिसंबर क्रिसमस डे या तुलसी पूजन दिवस...???

25 दिसंबर क्रिसमस डे या तुलसी पूजन दिवस...???


25  दिसम्बर से 1 जनवरी के बीच festival के नाम पर #शराब और #कबाब का जश्न मनाना, #डांस पार्टी आयोजित करके बेशर्मी का प्रदर्शन करना #क्या हम ऋषि मुनियों की संतानों को शोभा देता है ?

S.O Chem की #रिपोर्ट के अनुसार-

> 14 से 19 वर्ष के #बच्चें इन दिनों में शराब का जमकर सेवन करते हैं।

> शराब की खपत तीन गुना बढ़ जाती है ।

>70% तक के #किशोर इन #पार्टियों में #शराब का करते हैं जमकर सेवन ।

इन सब से बचने का और #संस्कृति व #राष्ट्र को बचाने का अचूक उपाय निकाला है #संत #आसारामजी #बापू ने!

25 दिसंबर क्रिसमस डे या तुलसी पूजन दिवस...???


देश में #सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य, शांति से जन-#समाज का #जीवन #मंगलमय हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से प्राणिमात्र का हित करने के लिए #संत #आसारामजी #बापू ने वर्ष 2014 से  25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक (7 दिवसीय) "#विश्वगुरु भारत कार्यक्रम" का आयोजन चालू किया है उसमें #तुलसी पूजन, #जप-माला पूजन एवं #हवन, #गौ-गीता-गंगा जागृति यात्रा, #राष्ट्र जागृति संकीर्तन यात्रा, #व्यसनमुक्ति अभियान, योग प्रशिक्षण शिविर, #राष्ट्रविद्यार्थी उज्ज्वल भविष्य निर्माण शिविर, #सत्संग आदि कार्यक्रमों का आयोजन उनके #करोड़ो अनुयायियों द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों में किया जाता है ।

2014 से 25 दिसम्बर को ‘#तुलसी पूजन दिवस' मनाना प्रारम्भ हुआ । इस #पर्व की लोकप्रियता #विश्वस्तर पर देखी गयी । 
पिछले साल उनके #करोड़ो अनुयायियों द्वारा 25 दिसंबर को #देश-विदेश में बड़ी धूम-धाम से #तुलसी पूजन मनाया गया था ।
जिसमें कई #हिन्दू #संगठनों और आम जनता ने भी लाभ उठाया था ।

ताजा रिपोर्ट के अनुसार इस साल भी एक महीने से #देश-विदेश में क्रिसमस डे की जगह 25 दिसंबर "#तुलसी पूजन दिवस" निमित्त विद्यालयों, महाविद्यालयों, जाहिर स्थलों और #घर-घर तुलसी पूजन किया जा रहा है ।

#संत #आसारामजी #बापू का कहना है कि तुलसी पूजन से बुद्धिबल, मनोबल, चारित्र्यबल व #आरोग्यबल बढ़ता है । मानसिक अवसाद, दुव्र्यसन, आत्महत्या आदि से लोगों की रक्षा होती है और लोगों को #भारतीय #संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषि-विज्ञान का लाभ मिलता है ।

https://youtu.be/l0NiE1vhofk

उनका कहना है कि #तुलसी का स्थान भारतीय #संस्कृति में पवित्र और महत्त्वपूर्ण है । #तुलसी को माता कहा गया है । यह #माँ के समान सभी प्रकार से हमारा रक्षण व पोषण करती है । #तुलसी पूजन, सेवन व रोपण से आरोग्य-लाभ, आर्थिक लाभ के साथ ही आध्यात्मिक लाभ भी होते हैं । 

#विदेशों में भी होता है #तुलसी पूजन..!!

मात्र #भारत में ही नहीं वरन् #विश्व के कई अन्य देशों में भी #तुलसी को पूजनीय व शुभ माना गया है । ग्रीस में इस्टर्न चर्च नामक सम्प्रदाय में #तुलसी की पूजा होती थी और सेंट बेजिल जयंती के दिन ‘#नूतन वर्ष भाग्यशाली हो इस भावना से देवल में चढ़ाई गयी #तुलसी के प्रसाद को स्त्रियाँ अपने घर ले जाती थी।

विज्ञान भी नतमस्तक..!!

आधुनिक विज्ञान भी #तुलसी पर शोध कर इसकी महिमा के आगे नतमस्तक है । आधुनिक रसायनशास्त्रियों के अनुसार ‘#तुलसी में रोग के कीटाणुओं को नाश करने की विशिष्ट शक्ति है । रोग-निवारण की दृष्टि से #तुलसी महौषधि है, अमृत है ।'

#तुलसी पूजन की #शास्त्रों में महिमा
अनेक व्रतकथाओं, धर्मकथाओं, पुराणों में तुलसी महिमा के अनेकों आख्यान हैं । #भगवान #विष्णु या #श्रीकृष्ण की कोई भी पूजा-विधि ‘#तुलसी दल' के बिना परिपूर्ण नहीं मानी जाती । 

#संत #आसारामजी #बापू के अनुसार अंग्रेजी नूतन वर्ष को मनाने हेतु #शराब-कबाब, व्यसन, दुराचार में गर्क होने से अपने देशवासी बच जायें इस उद्देश्य से #राष्ट्र जागृति लाने के लिए तथा विधर्मियों द्वारा रचे जा रहे षड्यंत्रों के प्रति देशवासियों को जागरूक कर #भारतीय #संस्कृति की रक्षा के लिए व्यसनमुक्ति अभियान तथा #राष्ट्रविद्यार्थी उज्ज्वल #भविष्य निर्माण शिविर, जागृति संकीर्तन यात्राओं का आयोजन करें तथा देश के #संत-महापुरुष एवं #गौ, गीता, गंगा की महत्ता के बारे में जागृति लायें । 

गौरतलब है कि #एक लड़की के आरोप में #संत #आसारामजी #बापू #बिना सबूत तीन साल से जेल में है लेकिन उनके #करोड़ो अनुयायियों द्वारा आज भी #समाज उत्थान के सेवाकार्य सुचार रूप से चल रहे हैं।

25 दिसम्बर को #तुलसी पूजन दिवस मनाना है । विदेशी कचरा हटाना है ।। सुसंस्कारों का सिंचन कराना है ।।। भारतीय संस्कृति को अपनाकर,भारत को विश्व गुरू के पद पर आसीन कराना है ।।

Monday, December 19, 2016

बांग्लादेश में हमलों से बेहाल हिंदुओं ने भारत से मांगी मदद, जान-माल का खतरा जताया!!




बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं पर पिछले एक महीने से हमले किए जा रहे हैं । ये सिलसिला 30 अक्टूबर को नसीरपुर में एक हिंदू मंदिर पर हमले से शुरू हुआ था । उसके बाद कई घरों को जलाए जाने से हिंदू असुरक्षित महसूस किए जा रहे हैं । अब उन्होंने अपनी जानमाल की सुरक्षा के लिए भारत सरकार से दखल देने की गुहार लगाई है ।
बांग्लादेश में हमलों से बेहाल हिंदुओं ने भारत से मांगी मदद, जान-माल का खतरा जताया!!

इंडिया टूडे ने नसीरपुर में ग्राउंड जीरो पर जाकर स्थिति का जायजा लिया । भारत के त्रिपुरा से सटे बांग्लादेश के नसीरपुर में इस साल 30 अक्टूबर को नसीरनगर में एक हिंदू मंदिर पर हमला किया गया । साथ ही आस-पड़ोस में रहने वाले हिंदू परिवारों के घरों को भी निशाना बनाया गया । ये हमला फेसबुक पर एक हिंदू की कथित पोस्ट को आपत्तिजनक मानते हुए किया गया । बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हमले और उनके घरों को जलाने की घटनाएं पहले भी होती रही हैं । लेकिन हिंदू धर्मस्थल को नुकसान पहुंचाने की घटना हैरान करने वाली थी ।

हिंदुओं के सभी घरों पर हुए हमले!!

उस हमले के दौरान जिस पहले घर पर हमला किया गया था वो मिसेज दत्ता का था । मिसेज दत्ता की ओर से उस घटना का जिक्र करते हुए खौफ साफ उनके चेहरे पर देखा जा सकता है । मिसेज दत्ता ने बताया, 'एक स्थानीय मछुआरे  रसराज दास को फेसबुक पर पोस्ट डालने की वजह से उसी रात को उठा लिया गया था । अगले दिन ऐलान किया गया कि हिंदू घरों पर हमले किए जाएंगे । मेरे घर पर भी हमला किया गया और हिंदुओं के सभी घरों पर हमले किए गए । इस घटना के बाद भी अगले 2-3 दिनों तक स्थिति विस्फोटक बनी रही और हिंदुओं के घर जलाए जाते रहे । मछुआरों के मछली पकड़ने के जाल भी जला दिए गए ।'

पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया!!

मंदिर के पुजारी गोपाल दास ब्रह्मचारी के मुताबिक, स्थानीय पुलिस स्टेशन में केस दर्ज कराने के बाद भी अधिकारियों की ओर से इसे गंभीरता से नहीं लिया गया । ब्रह्मचारी ने कहा, 'मैने 2 नवंबर को केस दर्ज कराया, लेकिन इसे रजिस्टर 9 नवंबर को किया गया । 18 नवंबर तक कोई गिरफ्तारी या कार्रवाई नहीं की गई । उत्पाती मुझे केस वापस नहीं लेने पर जान से मारने की धमकियां दे रहे हैं । मैं असुरक्षित महसूस कर रहा हूँ और मुझे कोई सुरक्षा नहीं दी जा रही है ।'

हिन्दुओं पर अत्याचार की कड़ी आलोचना!!

ऐसे हालात पर मुस्लिम समुदाय से जुड़े तारिक रहमान ने कहा, 'हिंदू मंदिर का विध्वंस और महिलाओं पर अत्याचार की कड़ी से कड़ी आलोचना की जानी चाहिए । फेसबुक पर जिसने पोस्ट डाली उसके लिए एक आदमी ही जिम्मेदार था । लेकिन 800 से ज्यादा परिवारों पर हमला किया जाना किसी भी सूरत में जायज नहीं ठहराया जा सकता । 

प्रधानमंत्री मोदी को हिंदुओं की सहायता करनी चाहिए!!

बांग्लादेश सांख्यिकी ब्यूरो (BBS) के मुताबिक, बांग्लादेश में 1.70 करोड़ हिंदू हैं । बांग्लादेश में 1951 में आबादी में हिंदुओं का अनुपात 22 फीसदी था जो 2011 में घटकर 8.4 फीसदी ही रह गया है । नसीरपुर के हिंदू समुदाय का कहना है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों देशों के बीच मजबूत रिश्तों के पक्षधर हैं । उन्हें बांग्लादेश में हिंदुओं की तकलीफों पर गौर करते हुए जरूरी कदम उठाने चाहिए ।


भारत में भी हिन्दुओं पर अत्याचार!!

एक तरफ बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार हो रहा है दिन-प्रतिदिन हिन्दू कम हो रहे है दूसरी ओर भारत में भी यही हो रहा है शनिवार रात को उत्तराखंड की हरीश रावत सरकार ने जुमे यानी शुक्रवार के दिन सरकारी दफ़्तरों में काम करने वाले मुसलमानों को नमाज पढ़ने के लिए डेढ़ घंटे की खास छुट्टी देने की घोषणा की है ।

लेकिन भारत में हिंदुओं को मंगलवार को हनुमानजी की पूजा करने के लिए छुट्टी क्यों नही दी जाती है?

कहीं भारत में भी अल्पसंख्यक के नाम पर इस्लामीकरण को बढ़ावा देकर हिन्दुओं के मनोबल को कम करने का कोई षड़यंत्र तो नहीं है ???

एक तो पाकिस्तान में और बांग्लादेश में दिन-रात हिन्दुओं के घर जलाये जा रहे हैं हिन्दू महिलाओं की इज्जत लूटी जा रही है, मंदिरों को तोड़ा जा रहा है, मंदिर के पुजारियों की हत्या की जा रही है, हिन्दुओं को मारा-पीटा जा रहा है दिन-रात हिन्दुओं को पलायन होना पड़ रहा है उसपर किसी नेता, मीडिया, संयुक्त राष्ट्र और सेक्युलर लोगो की नजर क्यों नही जाती है?

हिन्दू सहनशील है उसका तो फायदा नही उठाया जा रहा है..???

भारत में पहले मुस्लिम अत्याचार के कारण कश्मीर से हिन्दुओं को पलायन होना पड़ा, बाद में उत्तर प्रदेश के कैराना, अलीगढ़ आदि से पलायन होना पड़ा अब बंगाल में भी यही हो रहा है धुलागढ़ में हिन्दुओं के 60 घरों को जला दिया, बम फैंके गये, मंदिर तोड़ दिए गए, दुकान तोड़ दी गई लेकिन न ही प्रशासन ने कार्यवाही की और न ही मीडिया ने दिखाया और न ही किसी नेता या सेक्युलर लोगों ने हिन्दुओं के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई ।

जो हिन्दू कार्यकर्ता हिन्दू संत इन अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाते हैं उनको जेल भेज दिया जाता है या हत्या कर दी जाती है ।

इन सबको देखकर भी हिन्दू कबतक चुपचाप बैठा रहेगा..???

जागो हिन्दू!!

Sunday, December 18, 2016

दैनिक भास्कर तुच्छ अखबार?

दैनिक भास्कर तुच्छ अखबार?

कई दिनों से लगातार सोशल मीडिया पर दैनिक भारत के खिलाफ हजारों लोग अपनी बात कह रहे हैं ।


आज भी ट्वीटर पर ट्वीट के जरिये दैनिक भास्कर के खिलाफ लोग शिकायत करते हुए, उसके ऊपर #अश्लीलता छापना, #झूठी खबरें #छापना, #ब्लैकमेल करना, #धमकियां देना आदि आदि आरोप लगा रहे थे ।

ट्वीटर पर आज दैनिक भास्कर के खिलाफ एक ट्रेंड चल रहा था उसका हैशटैग था #तुच्छ_अखबार_Dainik_Bhaskar जो भारत में काफी समय तक टॉप पर बना रहा ।

#तुच्छ_अखबार_Dainik_Bhaskar

आइये कुछ ट्वीट्स द्वारा जाने कि दैनिक भास्कर के खिलाफ क्या शिकायत कर रहे हैं लोग....



1. अंकित शर्माजी ने लिखा है कि
#तुच्छ_अखबार_Dainik_Bhaskar को सिर्फ और सिर्फ पैसे कमाने हैं चाहे फिर उसे झूठी खबरें ही क्यों ना छापनी पड़े।
2. ऋतु जायसवाल ने लिखा कि आज की युवा पीढ़ी को बर्बाद करने का काम #तुच्छ_अखबार_Dainik_Bhaskar कर रहा है । 
3. राजीव घुले ने लिखा कि पैसे खाकर संत Asaram Bapu Ji बापू जी पर झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाता है।
#तुच्छ_अखबार_Dainik_Bhaskar

4.जेनी लुहाना लिखती हैं कि 
जागो! देश की नाजुक स्थति !! क्योंकि #तुच्छ_अखबार_Dainik_Bhaskar जैसे न्यूज पेपर अश्लीलता फैला रहे हैं ।
5. यग्नेश जी ने लिखा है कि गलत तरीके से अश्लीलता फैलाने के कारण दैनिक भास्कर अखबार को #तुच्छ_अखबार_Dainik_Bhaskar के खिताब से नवाजा गया है ।




6. राजेश मदान ने लिखा कि कहीं ऐसा न हो कि भविष्‍य में पत्रकारिता महज पोर्न कंटेंट तक सीमित रह जाये । #तुच्छ_अखबार_Dainik_Bhaskar



7.ध्रुव बघला ने लिखा कि
 ब्रेकिंग न्यूज:  #तुच्छ_अखबार_Dainik_Bhaskar की खुली ढोल की पोल ! संत Asaram Bapu Ji के मेडिकल जाँच टीम में कोई नर्स थी ही नहीं !!

8.मनीषा यादव लिखते हैं कि समाज में फैलती दुश्चरित्रता को दूर करना है तो #तुच्छ_अखबार_Dainik_Bhaskar को बंद करो..BAN करो !!

9.ओम राज ने लिखा कि Asaram Bapu Ji पर झूठी अश्लील खबर छापने से #तुच्छ_अखबार_Dainik_Bhaskar का असली चेहरा सामने आया!!


10. सोनिया थवानी लिखती हैं कि
देश जानना चाहता है कि Paid Media यानि कि #तुच्छ_अखबार_Dainik_Bhaskar वालों ने हिंदू संतों पर झूठी खबरें छापकर कितने कमाए है?

11.श्वेता लिखती हैं कि क्या ‘पैसे की भूख' में भूल गए ‘Dainik Bhaskar' वाले अपना दायित्व?
समाज में क्यों परोस रहे हैं #अश्लीलता? #तुच्छ_अखबार_Dainik_Bhaskar

आपको बता दें कि यहाँ तो कुछ ही ट्वीट्स को लिया गया है बाकि आज शाम को देखा गया तो करीब 94,000 से ऊपर #ट्वीटस हो चुकी थी । उसके बाद भी ये सिलसिला चलता ही रहा । 

जहाँ तक देखा गया है कि भास्कर के खिलाफ ये पहली बार #ट्रेंड नही हुआ है इससे पहले भी उसके खिलाफ कई बार ट्रेंड चला है । एक बार तो #अश्लील_अखबार_Dainik_Bhaskar और #अनैतिक_अखबार_Dainik_Bhaskarभी ट्रेंड चल चुका है ।

#दैनिक_भास्कर के मालिक #रमेशचंद्र अग्रवाल के ऊपर रेप का आरोप और कई घोटाले का आरोप लगा है लेकिन भास्कर ने एक लाइन भी नही लिखी है।

पर आम जनता को ब्लैकमेल करके पैसा लूटना और न देने वालों को बदनाम करना इसने पेशा बना लिया है जिस पर जनता काफी नाराज है ।

इसी के अंतर्गत आज फिर #ट्वीटर पर हजारों लोगों ने दैनिक भास्कर के खिलाफ ट्वीट करके अपनी भड़ास निकाली है ।

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Saturday, December 17, 2016

हिन्दुओं के धर्मांतरण का प्रयास, चार गिरफ्तार, एक की तलाश !!

हिन्दुओं के धर्मांतरण का प्रयास,
चार गिरफ्तार, एक की तलाश!!


हिन्दुओं को ईसाई बनाने का प्रयास करने वाले चार लोगो को गिरफ्तार कर लिया है अभी एक की तलाश चल रही है ।

ग्राम सारंगी के नयापुरा क्षेत्र में हिन्दुओं में से ईसाई धर्मांतरण करवाने का पांच लोग प्रयास कर रहे थे। 
हिन्दुओं के धर्मांतरण का प्रयास, चार गिरफ्तार, एक की तलाश !!

हिन्दू संगठन के कार्यकर्ताओं ने इन लोगों को पुलिस के हवाले किया है। संगठन के लोगों ने आरोप लगाया है कि कुछ लोग आदिवासी हिन्दू महिला-पुरुषों को नौकरी देने और अन्य प्रकार के प्रलोभन देकर ईसाई धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बना रहे थे। 

गिरफ्तार लोगों से कुछ सामग्री भी जब्त हुई है, जिनमें धार्मिक यीशु का लॉकेट, क्रॉस, बाईबल आदि शामिल हैं। 

ग्राम सारंगी के नयापुरा में ग्राम कलसाड़ा और नाहरपुरा के चार लोगों को पकड़कर हिन्दू संगठन के कार्यकर्ताओं ने पुलिस के हवाले किया। उनके अनुसार एक व्यक्ति और था, जो फरार हो गया। 

घटना के बाद हिन्दू संगठन के कार्यकर्ताओं ने पुलिस चौकी सारंगी पर एकत्रित होना प्रारंभ किया। कुछ ही देर में यहां भीड़ लग गई। हिन्दू संगठन के लोगों का कहना है कि यहां एक सप्ताह से हिन्दुओं को ईसाई बनाने का प्रयास चल रहा है। 

हिन्दुओं के धर्मांतरण का प्रयास, चार गिरफ्तार, एक की तलाश !!

कुछ लोगों को मना भी लिया गया। गुरुवार को सारंगी में आसपास से बड़ी संख्या में ग्रामीण यहां आए थे। सारंगी चौकी पर भीड़ बढ़ती देख पुलिस ने पकड़े गए लोगों को पेटलावद थाने भेज दिया। 

शाम को उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। ग्राम झावनिया में धन्यवाद सभा का निमंत्रण कार्ड भी इन आरोपियों के पास से मिला। यह आयोजन 19 दिसंबर को होने वाला है जिसमें हिंदुओं को ईसाई बनाने का कार्यक्रम था । अंचल में हुई एक मीटिंग के दस्तावेज भी मिले। 

थाना प्रभारी एमएल भाटी ने बताया कि धर्मांतरण के प्रयास के मामले में गिरफ्तार कर म.प्र धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 1968 की धारा 3- 4 के साथ आईपीसी की धारा 153 ए-1 के तहत मामला दर्ज किया गया। 


पं. कमलकिशोर नागर ने भी धर्मांतरण पर रोक लगाने पर जोर दिया

पं. नागर ने भी धर्मांतरण पर रोक की बात कही थी पेटलावद के मंडी प्रांगण में 8 से 14 दिसंबर तक आयोजित हुई भागवत कथा में पं. कमलकिशोर नागर ने भी धर्मांतरण पर रोक लगाने पर जोर दिया था। विशाल जनसमुदाय के बीच उन्होंने कहा था कि सनातन संस्कृति बचाना चाहते हो तो धर्म परिवर्तन नहीं करें। यह पाप है। कोई व्यक्ति अपने माता-पिता को नहीं बदल सकता। आदिवासी भाई भी लालच में आकर ऐसा न करें। संयोग से नागरजी की कथा समाप्त होने के अगले ही दिन ये मामला सामने आ गया।


एक तरफ गरीब और भोले-भाले हिन्दू आदिवासियों को चीज,पैसा दवाई का प्रलोभन देकर ईसाई बनाया जा रहा है वहीं  दूसरी ओर मुस्लिम मार-पीट लड़ाई करके जबरन हिन्दुओं को भगा रहे है या धर्म परिवर्तन करवा रहे है ।

हमारे दिव्य सनातन धर्म से हमें विमुख किया जा रहा है और भोगवादी पाश्चत्य संस्कृति की ओर ले जा रहे हैं।


पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं पर अत्याचार...!!!

कोलकाता से महज 25 किलोमीटर दूर धुलागढ़ में मुस्लिम समुदाय का जुलुस निकल रहा था। उसमें हिंदुओं के 40 दुकानों को और 60 घरों को तथा मंदिरों में तोड़फोड़ कर लूटपाट व बम फैंके जा रहे थे तथा आग लगाई जा रही थी।


हिंदुओं को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया तथा
हिन्दू लड़कियों और महिलाओं से अभद्रता की गई।

कई हिन्दू तो वहाँ से मजबूर होकर पलायन कर गये ।

अगर हिंदुओं में एकता होती तो किसी मुस्लिम की ताकत नही थी जो हिंदुओं के घरों और मंदिरों में बम फेंक सकता और हिन्दुओं को पलायन करना पड़ता ।

यह हिंसा 3 दिन तक चल रहा था पर न ही किसी मीडिया ने दिखाया और न ही उन उपद्रवियों पर प्रशासन ने कार्यवाही की।

पहले कश्मीर के पीड़ितों को भगाया बाद में उत्तर प्रदेश से पलायन किया अब बंगाल से हिन्दू पलायन हो रहे हैं अब अगला निशाना हम ही हैं ।


हिन्दू सावधान!
एक ओर ईसाई मिशनरियाँ छल करके और दूसरी ओर मुस्लिम हिंसा से धर्मपरिवर्तन द्वारा हमें फिर से गुलाम बनाना चाहते हैं ।

Friday, December 16, 2016

31 दिसंबर मनाना अर्थात मानसिक एवं सांस्कृतिक धर्मांतरण!!

31 दिसंबर मनाना अर्थात मानसिक एवं सांस्कृतिक धर्मांतरण!!

रावणरूपी पाश्‍चात्य संस्कृति के आक्रमणों को नष्ट कर,चैत्र प्रतिपदा के दिन नव वर्ष का विजयध्वज अपने घरों-मंदिरों पर फहराएं !

celebrating-December-31-means-mental-and-cultural-conversion 

नववर्ष प्रतिपदा (चैत्र-प्रतिपदा) से अधिक 31 दिसंबर की रात्रि को महत्त्व देनेवाले केवल नाम के हिन्दू हैं।

आजकल, 31 दिसंबर की रात्रि को छोटे बालकों से लेकर वृद्धों तक सभी एक-दूसरे को शुभकामना संदेश-पत्र अथवा प्रत्यक्ष मिलकर हैपी न्यू इयर कहते हुए नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं ।

वास्तविक भारतीय संस्कृति के अनुसार चैत्र-प्रतिपदा (गुढीपाडवा) ही हिंदुओं का नववर्ष दिन है । किंतु आज के हिन्दू 31 दिसंबर की रात्रि में नववर्ष दिन मनाकर अपने आपको धन्य मानने लगे हैं ।

 आजकल भारतीय वर्षारंभदिन चैत्रप्रतिपदा पर एक-दूसरे को शुभकामनाएं देने वाले हिंदुओं के दर्शन दुर्लभ हो गए हैं ।

भोगवादी युवापीढ़ी के निश्‍चिंत अभिभावक !

हिंदु धर्म के अनुसार शुभकार्य का आरंभ ब्रह्ममुहूर्त पर उठकर, स्नानादि शुद्धिकर्म के पश्‍चात, स्वच्छ वस्त्र एवं अलंकार धारण कर, धार्मिक विधि-विधान से करना चाहिए । इससे व्यक्ति पर वातावरण की सात्त्विकता के संस्कार पड़ते हैं ।

31 दिसंबर की रात्रि में किया जानेवाला मद्यपान एवं नाच-गाना, भोगवादी वृत्ति का परिचायक है । इससे हमारा मन भोगी बनेगा । इसी प्रकार रात्रि का वातावरण तामसिक होने से हमारे भीतर तमोगुण बढेगा । इन बातों का ज्ञान न होने के कारण अर्थात धर्मशिक्षा न मिलने के कारण ऐसे दुराचारों में रुचि लेने वाली आज की युवा पीढ़ी भोगवादी एवं विलासी बनती जा रही है । इस संबंध में इनके अभिभावक भी आनेवाले संकट से अनभिज्ञ दिखाई देते हैं।

ऋण उठाकर 31 दिसंबर मनानेवाले अंग्रेज बने भारतीय !

प्रतिवर्ष दिसंबर माह आरंभ होने पर, मराठी तथा स्वयं भारतीय संस्कृति का झूठा अभिमान अनुभव करने वाले परिवारों में चर्चा आरंभ होती है, `हमारे बच्चे अंग्रेजी माध्यम में पढते हैं । ‘खिसमस’ कैसे मनाना है, यह उन्हें पाठशाला में पढाते हैं, अत: हमारे घर ‘नाताल’ का त्यौहार मनाना ही पड़ता है, आदि।’ तत्पश्चात वे खिसमस ट्री, सजाने का साहित्य, बच्चों को सांताक्लॉज की टोपी, सफेद दाढी मूंछें, विग, मुखौटा, लाल लंबा कोट, घंटा आदि वस्तुएं ऋण उठाकर भी खरीद कर देते हैं ।  गोवा में एक प्रसिद्ध आस्थापन ने 25 फीट के अनेक खिसमस ट्री प्रत्येक को 1 लाख 50 सहस्र रुपयों में खरीदे हैं । ये सब करने वालों को एक ही बात बतानेकी इच्छा है, कि ऐसा कर हम एक प्रकार से धर्मांतरण ही कर रहे हैं । कोई भी तीज-त्यौहार, व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ हो, इस उद्देश्य से मनाया जाता है ! हिंदू धर्म के हर तीज-त्यौहार से उन्हें मनाने वाले, आचारविचार तथा कृत्यों में कैसे उन्नत होंगे, यही विचार हमारे ऋषि-मुनियों ने किया है । अत: ईश्वरीय चैतन्य, शक्ति एवं आनंद देनेवाले `गुढीपाडवा’ के दिन ही नववर्ष का स्वागत करना शुभ एवं हितकारी है ।

अनैतिक तथा कानूनद्रोही कृत्य कर करते हैं नववर्ष का स्वागत !

वर्तमान में पाश्चात्त्य प्रथाओं के बढते अंधानुकरण से तथा उनके नियंत्रण में जाने से अपने भारत में भी नववर्ष ‘गुढीपाडवा’ की अपेक्षा बड़ी मात्रा में 31 दिसंबर की रात 12 बजे मनाने की कुप्रथा बढ़ने लगी है । वास्तव में रात के 12 बजे ना रात समाप्त होती है, ना दिन का आरंभ होता है । अत: नववर्ष भी कैसे आरंभ होगा ? इस समय केवल अंधेरा एवं रज-तम का राज होता है । इस रात को युवकों का मदिरापान, नशीले पदार्थों का सेवन करने की मात्रा में बढ़ोतरी हुई है । युवक-युवतियों का स्वैराचारी आचरण बढ़ा है । तथा मदिरापान कर तेज सवारी चलाने से दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है । कुछ स्थानों पर भार नियमन रहते हुए बिजली की झांकी सजाई जाती है, रातभर बड़ी आवाज में पटाखे जलाकर प्रदूषण बढ़ाया जाता है, तथा कर्णकर्कश ध्वनिवर्धक लगाकर उनके ताल पर अश्लील पद्धति से हाथ-पांव हिलाकर नाच किया जाता है, गंदी गालियां दी जाती हैं तथा लडकियों को छेड़ने की घटना बढ़कर कानून एवं सुव्यवस्था के संदर्भ में गंभीर समस्या उत्पन्न होती है । नववर्ष के अवसर पर आरंभ हुई ये घटनाएं सालभर में बढ़ती ही रहती हैं ! इस खिस्ती नएवर्ष ने युवा पीढ़ी को विलासवाद तथा भोगवाद की खाई में धकेल दिया है ।


कहाँ हर त्यौहार में सात्त्विक तथा ताजा चीजों को ही प्रसाद में उपयोग करने वाले हिन्दू आज किस दिशा की ओर बढ़ रहे हैं..???


31 दिसंबर के पूर्व आता है नाताल । पूर्व में केवल 31 दिसंबर को मौज-मस्ती करनेवाले अब उनकी चैनशौक का प्रारंभ नाताल से ही आरंभ करते हैं । नाताल के दिन सही महत्त्व प्लमकेक का ही होता है ! बहुत सारा सूखामेवा वाईनमें (मदिरामें ) डुबोकर उसको पूरी तरह से सनने पर ही प्लमकेक बनाने की मुख्य प्रक्रिया आरंभ होती है । वर्तमान में मिठाई के पर्याय के रूप में नाताल प्रेमियों में केक तथा पेस्ट्रीज का ही बड़ा आकर्षण उत्पन्न हुआ है । नाताल की कालावधि में सजाए केक, चाकलेट तथा कुकीज की बहुत मांग होती है । प्रचुर मांग के कारण बेस(स्पंजकेक) पांच-सात दिन पूर्व ही बनाया जाता है, जो हम ( भट्टीसे निकला हुआ ताजा) कहकर खाते हैं । अब ऐसी स्थिति में इस त्यौहार को अध्यात्मिक स्तर पर तो छोड़िये क्या शारीरिक स्तर पर भी कुछ लाभ होगा ? कुछ भी नहीं होगा । उलटे हुआ, तो हानि ही होगी, यह बात नाताल प्रेमी तथा 31 दिसंबर प्रेमी ध्यान में रखें !

बच्चों का मानसिक धर्मांतरण करनेवाला ‘सांताक्लॉज’ !

सांताक्लॉज बच्चों को क्यों अच्छा लगता है ? क्योंकि सांताक्लॉज बच्चों हेतु बहुत सारे खिलौने तथा चाकलेट लेकर आता है, बच्चों की ऐसी अनुचित धारणा होती है । खिसमस की रात सबसे अधिक प्रिय भेंटवस्तुओं की मनोकामना करने को कहा जाता है । सांताक्लॉज आकर ‘खिसमस ट्री’ के पास अपने हेतु भेंट रखकर जाता है, ऐसा कहा जाता है । वास्तव में ये भेंटवस्तु कभी भी प्राप्त नहीं होती । बच्चों की खुशी के लिए उनके माता-पिता ही ‘खिसमस ट्री’ के पास भेंटवस्तु रख देते हैं । माता-पिता को सांताक्लॉज तथा भेंटवस्तु का झूठा संबंध बच्चों के सामने लाना चाहिए; किंतु अंग्रेज बने माता-पिता वैसा नहीं करते । वास्तव में येशू का जन्म तथा सांताक्लॉज का आपस में कुछ भी संबंध नहीं, किंतु चौथी शताब्दी से तुर्कस्तान के मीरा नगर स्थित बिशप निकोलस के नाम पर सांताक्लॉज के भेंट की प्रथा आरंभ हुई । वह गरीब तथा अनाथ बच्चों को भेंटवस्तु देता था । तबसे आजतक यह प्रथा आरंभ है । यह सांताक्लॉज भारत के बच्चों का मानसिक धर्मांतरण ही कर रहा है । ऐसे मानसिक दृष्टि से धर्मांतरित  बच्चे आगे जाकर हिंदू धर्म -परम्पराओं का मजाक उड़ाने में स्वयं को धन्य मानते हैं । ये ही भविष्य में बुद्धिवादी तथा निधर्मीवादी बनकर एक प्रकार से राष्ट्र तथा धर्म पर आघात करते रहते हैं ।

राष्ट्र तथा धर्म प्रेमियों, इन कुप्रथाओ को रोकने हेतु आपको ही आगे आने की आवश्यकता है !

31 दिसंबरको होनेवाले अपप्रकारों के कारण अनेक नागरिक, स्त्रियों तथा लड़कियों का घर से बाहर निकलना असंभव हो जाता है । राष्ट्र की युवापीढी उद्ध्वस्त होने के मार्गपर है । इसका महत्त्व जानकर हिंदू जनजागृति समिति इस विषयमें जनजागृति कर पुलिस एवं प्रशासन की सहायता से उपक्रम चला रही है । ये गैर प्रकार रोकने हेतु 31 दिसंबर की रात को महाराष्ट्र के प्रमुख तीर्थक्षेत्र, पर्यटनस्थल, गढ-किलों जैसे ऐतिहासिक तथा सार्वजनिक स्थान पर मदिरापान-धूम्रपान करना तथा प्रीतिभोज पर प्रतिबंध लगाना आवश्यक है । पुलिस की ओर से गस्तीदल नियुक्त करना, अपप्रकार करनेवाले युवकों को नियंत्रण में लेना, तेज सवारी चलानेवालों पर तुरंत कार्यवाही करना, पटाखों से होनेवाले प्रदूषणके विषयमें जनताको जागृत करना, ऐसी कुछ उपाय योजना करने पर इन अपप्रकारों पर निश्चित ही रोक लगेगी । आप भी आगे आकर ये गैरप्रकार रोकने हेतु प्रयास करें । ध्यान रखें, 31 दिसंबर मनाने से आपको उसमें से कुछ भी लाभ तो होता ही नहीं, किंतु सारे ही स्तरों पर, विशेष रूप से अध्यात्मिक स्तर पर बड़ी हानि होती है ।

हिंदू जनजागृति समिति के प्रयासों की सहायता करें !

नए वर्ष का आरंभ मंगलदायी हो, इस हेतु शास्त्र समझकर भारतीय संस्कृतिनुसार ‘चैत्र शुद्ध प्रतिपदा’, अर्थात ‘गुढीपाडवा’ को नववर्षारंभ मनाना नैसर्गिक, ऐतिहासिक तथा अध्यात्मिक दृष्टि से सुविधाजनक तथा लाभदायक है । अत: पाश्चात्त्य विकृति का अंधानुकरण करने से होनेवाला भारतीय संस्कृतिका अधःपतन रोकना, हम सबका ही आद्यकर्तव्य है । राष्ट्राभिमान का पोषण करने तथा गैरप्रकार रोकने हेतु हिंदू जनजागृति समितिकी ओरसे आयोजित उपक्रमको जनतासे सहयोगकी अपेक्षा है । भारतीयो, गैरप्रकार, अनैतिक तथा धर्मद्रोही कृत्य कर नए वर्षका स्वागत न करें, यह आपसे विनम्र विनती !
– श्री. शिवाजी वटकर, समन्वयक, हिंदू जनजागृति समिति, मुंबई-ठाणे-रायगढ ।

स्त्रोत्र : हिंदू जनजागृति समिति