Saturday, November 25, 2017

निजी अस्पताल मरीज़ों को इंसान नहीं, ग्राहक समझकर लूटते हैं

November 25, 2017  www.azaadbharat.org
डॉक्टर अरुण गदरे और डॉक्टर अभय शुक्ला ने अपनी किताब ‘डिसेंटिंग डायग्नोसिस’ में निजी अस्पतालों के भ्रष्टाचार का जिक्र किया है ।
निजी अस्पतालों में पैसे हड़पने के लिए लोगों को बीमारी के नाम पर डराया जाता है, उन्हें वो टेस्ट करने को कहा जाता है या फिर उन पर वो सर्जरी और ऑपरेशन किए जाते हैं जिसकी कोई जरूरत नहीं होती। साथ ही उन्होंने डॉक्टरी पेशे में कमीशन के चलन की चर्चा की है, यानि डॉक्टरों की दवा कंपनियों या डायग्नोस्टिक सेंटरों के बीच कमीशन को लेकर सांठगांठ ।
patients are treated as customers and are looted by private hospitals 

अगर किसी को बुखार हो जाए या डेंगू हो जाए तो क्या उसके इलाज का बिल 16 लाख रुपये हो सकता है ? ये सवाल ही इस समाचार का आधार है । आपने भी ये अनुभव किया होगा कि हमारे देश के ज़्यादातर निजी अस्पताल मरीज़ों को एक इंसान नहीं बल्कि एक ग्राहक समझते है । मरीज़ उनके लिए केवल सोने का अंडा देने वाली मुर्गी है जिसे वो जब चाहे काट सकते हैं । कई लोग ये उम्मीद करते हैं कि पांच सितारा सुविधाओंवाले अस्पताल में पहुंचने के बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा परंतु ऐसा होता नहीं है ! देश के ज़्यादातर निजी अस्पताल छोटी सी बीमारी होने पर भी किसी बिल्डर या प्रॉपर्टी डीलर की तरह आपसे मोटा मुनाफा कमाने की कोशिश करते है और मरीज़ों को लूट लेते हैं !
गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल पर आरोप है कि, उसने एक 7 साल की बच्ची के इलाज के नाम पर करीब 16 लाख रुपये का बिल बना दिया । 30 अगस्त को डेंगू से पीड़ित सात साल की बच्ची को गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती करवाया गया था ।
लगभग 15 दिन के इलाज के बाद आद्या की मृत्यु हो गई और अस्पताल ने माता-पिता को 15 लाख 51 हज़ार रूपये का बिल थमा दिया ! फोर्टिस अस्पताल पर ये आरोप है कि, उसकेद्वारा तैयार किये 19 पन्नों के बिल में बाज़ार से ज़्यादा कीमत पर दवाइयों और मेडिकल इक्विपमेंटस का उपयोग किया है । इसके अलावा इलाज के दौरान की जानेवाली जांच के लिए भी ज़्यादा फीस वसूली गई है !
बच्ची के परिवारवालों का आरोप है कि, उनकी बेटी को तीन दिन तक वेंटिलेटर पर रखा गया जबकि उसपर इलाज का कोई असर नहीं हो रहा था । केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इस पूरे मामले पर फोर्टिस अस्पताल से सफाई मांगी है ।
कुल मिलाकर कहा जाए तो डेंगू जैसी बीमारी के इलाज में रोज़ाना 1 लाख रूपये से ज़्यादा का बिल तैयार करना, चिकित्सा जैसे महान पेशे पर कई गंभीर सवाल खड़े करता है, हमें ये कहते हुए दुख हो रहा है कि वक़्त के साथ डॉक्टरों और निजी अस्पतालों की सोच में बहुत बड़े बदलाव आ गए हैं । अब ये सम्मानजनक पेशा मरीज़ों के दर्द को दूर करने से ज़्यादा पैसा कमाने का ज़रिया बन गया है !
बिल्डर अगर आपसे पैसे लेकर वादा तोड़े और आपको समय पर मकान ना दे तो आप परेशान होकर उसके विरोध में शिकायत करते हैं । इसी तरह अगर टेलिकॉम कंपनी आपको वादे के अनुसार 4जी स्पीड ना दे तो भी आप उस कंपनी के विरोध में आवाज़ उठाते हैं परंतु बीमारियों का इलाज कराने के मामले में ऐसा नहीं होता लोग अस्पताल और डॉक्टर पर आंख बंद करके भरोसा करते हैं और ये सोचते हैं कि, ये पेशा मानवता की सेवा करने का पेशा है इसलिए इसमें धोखे की गुंजाइश बहुत कम है । आज भी लोगों के मन में अस्पतालों और स्कूलों की छवि बहुत साफ है । परंतु इतना भरोसा करने के बाद भी आप सबके साथ धोखा ही होता है !
इस तरह की ख़बरों को देखने के बाद बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि, भारत में मरीज़ों के इलाज से फायदा उठानेवाला एक बहुत बड़ा नेक्सस बन चुका है आप कह सकते हैं कि दवा कंपनियों, डॉक्टरों, निजी अस्पतालों और मेडिकल टेस्ट करनेवाली लॅब्स ने आपको लूटने के लिए अलग अलग तरह की प्राईस लिस्ट बनाई हुई है ।
इस नेक्सस में शामिल लोग बेहतर इलाज के नाम पर मरीज़ों से मोटा बिल वसूलते हैं । आप जब भी बीमार होते हैं तो किसी अस्पताल में जाकर अपना इलाज करवाते हैं इस दौरान आप अपनी दवाओं और मेडिकल प्रोसिजर्स पर जो पैसा खर्च करते हैं उसमें डॉक्टर और अस्पताल से लेकर केमिस्ट और डायग्नोस्टिक लॅब तक सबका हिस्सा होता है । इसे अंग्रेज़ी में Cut और हिंदी में दलाली कहते हैं । ये ऐसी मानसिकता है जो देश के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही है !
यहां आपके लिए ये जानना भी ज़रूरी है कि अगर कोई अस्पताल आपके साथ इस तरह की धोखेबाजी करता है तो आप क्या कर सकते हैं ? ऐसा होने पर आप मेडिकल कॉऊन्सिल ऑफ इंडिया को शिकायत कर सकते हैं, ये शिकायत कहां करनी है और कैसे करनी है इसकी जानकारी आप अपनी टेलिविजन स्क्रीन से नोट कर सकते हैं । इसके अलावा आप अस्पतालों और स्वास्थ्य मंत्री के ट्विटर हॅन्डल्स और सोशल मीडिया अकौंट्स को टॅग करके अपनी आवाज़ उठा सकते हैं। स्रोत : झी न्यूज
#स्वास्थ्य मामलों पर काम करने वाले प्रवीण डांग  कहते हैं, "जब मैंने पहली बार एक डॉक्टर की शिकायत के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को पत्र भेजा था तो उसका 15 दिनों में जवाब आ गया था । आज उस बात को तीन साल हो गए हैं । आज तक राज्य काउंसिल जांच पूरी नहीं कर पाई है।
#भारत में #सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं खस्ताहाल होने के कारण निजी #अस्पतालों का 80 प्रतिशत बाजार पर कब्जा है । आरोप लग रहे हैं कि कानूनों के कमजोर क्रियान्वयन के कारण निजी अस्पतालों के जवाबदेही की भारी कमी है ।
मार्च 2016 में अमरीका की '#प्रोपब्लिका' में छपी रिपोर्ट के अनुसार जिन डॉक्टरों को मेडिकल उद्योग से धन मिलता है वो कंपनी के ब्रैंड के पक्ष में दवाइयां लिखते हैं । जिन पांच को मेडिकल कंपनियों की ओर से सबसे ज्यादा धन मिला, उनमें से दो भारतीय मूल के थे।
तो अपने देखा डॉक्टर पैसो के लिए कितने हद तक गिर सकते है । अतः आप जहाँ तक हो सके #ऋषि #मुनियों द्वारा प्रेरित योगा , #प्राणायम करके #स्वस्थ रहे और कोई बीमारी हो तो #आयुर्वेदिक इलाज करवाये नही तो डॉक्टर आपकी भी जिंदगी खराब कर सकते है ।
सभी को #स्वास्थ्य के सम्बन्ध में सजग-सतर्क रहना चाहिए एवं एलोपैथी छोड़कर अपनी #आयुर्वेदिक #चिकित्सा #पद्धति का लाभ लेना चाहिए।

Friday, November 24, 2017

जोधपुर न्यायालय में आसारामजी बापू के केस को लेकर कई खुलासे सामने आ रहे हैं


November 24, 2017

जोधपुर : चार साल तीन महीने से जोधपुर में जारी हिन्दू धर्मगुरु बापू आसारामजी प्रकरण की सुनवाई अब अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। सभी गवाह के बयान पूरे हो चुके हैं, अब दोनों पक्षों के बीच अंतिम बहस शुरू हो चुकी है। बचाव पक्ष की ओर से एक से एक खुलासे हो रहे हैं। 

बचाव पक्ष ने कई चौकाने वाले खुलासे....

बापू आसारामजी के अधिवक्ता सज्जनराज सुराणाजी ने नया तथ्य पेश करते हुए कहा कि लड़की की मां बापू आसारामजी को दिल्ली में ही गिरफ्तार कराना चाहती थी।
jodhpur-court-brings-out-several-disclosures-about-asaram-bapus-case

लड़की तथा उसकी मां कार से दिल्ली पहुंची तथा वहां कमला नेहरू मार्केट स्थित पुलिस थाना में एफआईआर दर्ज करवाई। अधिवक्ता सुराणाजी ने कहा कि इस मामले की मुख्य अनुसंधान अधिकारी रही चंचल मिश्रा ने अपने बयान में कहा था कि लड़की की मां बापू आसारामजी को दिल्ली में ही गिरफ्तार कराना चाहती थी। 

अधिवक्ता ने पुलिस पर संवैधानिक प्रावधानों को ताक पर रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि घटना 14 व 15 अगस्त 2013 रात की बताई जा रही है। जोधपुर में घटी इस तथाकथित घटना के सम्बन्ध में रिपोर्ट 600 किलोमीटर दूर दिल्ली में 19 अगस्त को लिखवाई गई। 

5 दिन के बाद FIR क्यों? उसके बाद रिपोर्ट अज्ञात कारणों से न्यायालय में दो दिन बाद 21 अगस्त को पेश की गई। इस तरह पूरा मामला बनाया हुआ, झूठा तथा संदिग्ध तरीके से साजिश के तहत तैयार किया हुआ लगता है।

अधिवक्ता सज्जनराज सुराणा ने न्यायालय में बहस के दौरान यह तर्क भी दिया कि मेडिकल जांच के दौरान लड़की की आयु सम्बन्धी जांच भी की जानी चाहिए, लेकिन तत्कालीन अनुसंधान अधिकारी रही चंचल मिश्रा ने यह जांच नहीं करवाई। ऐसे मामले में उम्र की जांच नहीं करवाना आयु निर्धारण सम्बन्धी नियम 164अ(2) के विरूद्ध है।

मीडिया में बताते हुए सज्जनराज सुराणा ने कहा कि धारा 164-A CRPC  के ऊपर argument चालू हुई। उसमें ये कहा गया कि 174-A का Clause 2 का 2 है उसमें age के लिए describe किया गया है। ये जो डॉक्टर होगा, मेडिकल examination होगा उसकी age के बारे में determination करेंगे। अगर age के बारे में determination करेंगे तो उसका X-ray होना जरूरी था ossification of bones  ताकि उससे उम्र तय की जा सके। आजकल तो scientifically इतना development हो गया है कि हमारे ब्लड ग्रुप है वो 200 तक निकल आये है और 19,000 जो हमारी gens है, उसके बारे में हो चुकी है और ऐसे apparatus और machines आ गयी है कि age का determination हो सकता है उसमें । परंतु उन्होंने age का determination दो doctors से examine करवाने के बाद भी नही किया। जब कि ये 164 A में mandatory था। डॉक्टर के पास में victim जाता है तो उसका age का determination हो सकता है। उस बात को खत्म करने के लिए कि ये लड़की जो है वो 19-20 साल से भी ज्यादा है उस बात को उन्होंने temper with किया। अनुसंधान अधिकारी चंचल मिश्रा से जिरह के दौरान भी ये पूछा गया कि जब खरोंच का निशान तक नहीं था तब मामला कैसे बना, लेकिन वो जवाब नहीं दे पाई ।


दूसरी बात - हमने सुप्रीम कोर्ट के Order से क्योंकि Trial Court ने हमारी 91 की Application को reject कर दिया था, High court ने रिजेक्ट कर दिया था। उसके बाद Petition सुप्रीम कोर्ट में लगा। 3 जजों ने आर्डर पास किया कि LIC Policy जो सुनीता सिंह जो Prosecutrix की Mother है, उसने करवाई है, उसको न्यायालय में पेश करवाया जाए, न्यायालय के आदेश से वो Insurance Policy  न्यायालय के अंदर पेश हुई। सुनीता सिंह से पूछा गया इसके अंदर जो Date of Birth है वो 1-7-94 है उसके बारे में क्या कहना है ? और इसके ऊपर आपके 3 जगह हस्ताक्षर हो रहे हैं। आपने declaration दे रखा है कि जो-जो facts इसमें बताये गए हैं, सही बताये गए हैं। उसने स्वीकार किया कि हाँ, मैने दस्तख़त किये हैं और इसका Insurance का पैसा वो भी उठा लिया मैंने ।

तो हमने कहा कि अगर हम इस हस्ताक्षर को मान लेते है तो ये सारा केस जो है catch it about of the back की श्रेणी में आएगा । Pocso Act लग ही नहीं सकता इस मामले में, जबकि document मौजूद है। इसके ऊपर तो पॉक्सो एक्ट चल ही नहीं सकता, इसके ऊपर अगर पॉक्सो एक्ट चल ही नहीं सकता तो मुकदमा किस बात का चल रहा है ?? 

PW2 के बयान चल रहे थे, इसमें कहा है कि, मैने जो FIR रजिस्टर होता है उसके अंदर उसको मिटाने के लिए मैंने उसके ऊपर कलर लगाया। FIR नंबर 121/2013 थी उसको खत्म किया। वही कॉपी न्यायालय में भेज दी गई और 154 जो Register Maintain  होता ह उसके ऊपर ROAC लिखा रहता है और उसके ऊपर Prosecutrix के दस्तखत होते हैं उसके ऊपर दस्तख़त नहीं है Prosecutrix के। इन्होंने जो ओरिजनल FIR है उसको बदल डाला या यहाँ तक कि लड़की के दस्तख़त नहीं करवाते जो Mandatory Provision  है 154 में और जो पुलिस रूल्स बने हुए हैं उसमें Mandatory Provision है कि prosecutrix के हस्ताक्षर होंगे या अंगूठा होगा उसके ऊपर लिखा हुआ है "read over and accepted to be correct" जब ऐसा column है तो फिर क्यों नहीं किया है ? इसलिए ये जो सारा जो मुकदमा चल रहा है वो न तो पॉक्सो एक्ट में आ रहा है, न 375-D के अंदर फॉलो हो रहा है और इस प्रकार से बापूजी की false imprisonment कोर्ट के सामने हो रही है।

अधिवक्ता सुराणा जी ने सनसनीखेज दावा किया कि लड़की का डाक्टरी मुआयना करने वाले दोनों डाक्टर ने अपने बयानों में यह स्वीकार किया था कि लड़की की मेडिकल जांच में किसी तरह की जबरदस्ती के सबूत नहीं थे। मेडिकल जांच में लड़की के साथ यौन दुराचार के सबूत भी नहीं मिले। यह बात उन्होने लड़की का मेडिकल करने वाले डाक्टर राजेंद्र कुमार तथा डाक्टर शैलजा के बयानों के आधार पर कही, जो उन्होंने मुख्य परीक्षण तथा जिरह के दौरान कही थी।

गौरतलब है कि छिंदवाड़ा गुरुकुल में पढ़ने वाली लड़की ने बापू आशारामजी पर छेड़छाड़ी का आरोप लगाया है लेकिन उनपर पॉक्सो तहत केस चलाया जा रहा है, लेकिन लड़की के अलग-अलग सर्टिफिकेट में अलग-अलग उम्र होने से पता चलता है कि बालिग है नाबालिग नहीं,  पॉक्सो के तहत केस गलत चलाया जा रहा है । और FIR में भी गड़बड़ी है जिससे पता चलता है कि यह केस किसी द्वारा उपजाऊ है । संत आसारामजी बापू को षड्यंत्र के तहत फंसाने की नींव कमला मार्किट थाने से रखी गई ।

सज्जनराज सुराणाजी ने बताया कि बापू आसारामजी को किसी सोची-समझी साजिश के तहत फंसाया गया है। समय अभाव के कारण अधूरी रही बहस शुक्रवार को फिर होगी।

Thursday, November 23, 2017

धर्म की रक्षा के लिए प्राणों का बलिदान दे दिया लेकिन धर्म नही छोड़ा

गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस : 24 नवम्बर
हिन्दुस्तान में मुगल बादशाह औरंगजेब का शासनकाल था । औरंगजेब ने यह हुक्म किया कि कोई हिन्दू राज्य के कार्य में किसी उच्च स्थान पर नियुक्त न किया जाय तथा हिन्दुओं पर जजिया (कर) लगा दिया जाय । उस समय अनेकों नये कर केवल हिन्दुओं पर लगाये गये । इस भय से अनेकों हिन्दू मुसलमान हो गये । हर ओर जुल्म का बोलबाला था । निरपराध लोग बंदी बनाये जा रहे थे । प्रजा को स्वधर्म-पालन को भी आजादी नहीं थी । जबरन धर्म-परिवर्तन कराया जा रहा था । किसी की भी धर्म, जीवन और सम्पत्ति सुरक्षित नहीं रह गयी थी । पाठशालाएँ बलात् बन्द कर दी गयीं। 
Sacrificed life for protection of religion but did not leave religion

हिन्दुओं के पूजा-आरती तथा अन्य सभी धार्मिक कार्य बंद होने लगे । मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनवायी गयीं एवं अनेकों धर्मात्मा मरवा दिये गये । सिपाही यदि किसी के शरीर पर यज्ञोपवीत या किसी के मस्तक पर तिलक लगा हुआ देख लें तो शिकारी कुत्तों की तरह उन पर टूट पड़ते थे । उसी समय की उक्ति है कि रोजाना सवा मन यज्ञोपवीत उतरवाकर ही औरंगजेब रोटी खाता था...
उस समय कश्मीर के कुछ पंडित निराश्रितों के आश्रय, बेसहारों के सहारे गुरु तेगबहादुरजी के पास मदद की आशा और विश्वास से पहुँचे ।
पंडित कृपाराम ने गुरु तेगबहादुरजी से कहा : ‘‘सद्गुरुदेव ! औरंगजेब हमारे ऊपर बड़े अत्याचार कर रहा है । जो उसके कहने पर मुसलमान नहीं हो रहा, उसका कत्ल किया जा रहा है । हम उससे छः माह की मोहलत लेकर हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए आपकी शरण आये हैं । ऐसा लगता है, हममें से कोई नहीं बचेगा । हमारे पास दो ही रास्ते हैं-‘धर्मांतरित होओ या सिर कटाओ ।’
पंडित धर्मदास ने कहा : ‘‘सद्गुरुदेव ! हम समझ रहे हैं कि हमारे साथ अन्याय हो रहा है । फिर भी हम चुप हैं और सब कुछ सह रहे हैं । कारण भी आप जानते हैं । हम भयभीत हैं, डरे हुए हैं । अन्याय के सामने कौन खड़ा हो?’’
‘‘जीवन की बाजी कौन लगाये ?’’ गुरु तेगबहादुर के मुँह से अस्फुट स्वर में निकला । फिर वे गुरुनानक की पंक्तियाँ दोहराने लगे ।
जे तउ प्रेम खेलण का चाउ । सिर धर तली गली मेरी आउ ।।
इत  मारग  पैर धरो जै ।  सिर  दीजै  कणि  न  कीजै ।।
गुरु तेगबहादुर का स्वर गंभीर होता जा रहा था । उनकी आँखों में एक दृढ़ निश्चय के साथ गहरा आश्वासन झाँक रहा था । वे बोले : ‘‘पंडितजी ! यह भय शासन का है । उसकी ताकत का है, पर इस बाहरी भय से कहीं अधिक भय हमारे मन का है । हमारी आत्मिक शक्ति दुर्बल हो गयी है । हमारा आत्मबल नष्ट हो गया है । इस बल को प्राप्त किये बिना यह समाज भयमुक्त नहीं होगा । बिना भयमुक्त हुए यह समाज अन्याय और अत्याचार का सामना नहीं कर सकेगा ।’’
पंडित कृपाराम : ‘‘परन्तु सद्गुरुदेव । सदियों से विदेशी पराधीनता और आन्तरिक कलह में डूबे हुए इस समाज को भय से छुटकारा किस तरह मिलेगा ?’’
गुरु तेगबहादुर : ‘‘हमारे साथ सदा बसनेवाला परमात्मा ही हमें वह शक्ति देगा कि हम निर्भय होकर अन्याय का सामना कर सकें ।’’
उनके मुँह से शब्द फूटने लगे :
पतित उधारन भै हरन हरि अनाथ के नाथ । कहु नानक तिह जानिए सदा बसत तुम साथ ।।
इस बीच नौ वर्ष के बालक गोबिन्द भी पिता के पास आकर बैठ गये ।
गुरु  तेगबहादुर  :  ‘‘अँधेरा  बहुत  घना  है  ।  प्रकाश  भी  उसी  मात्रा  में  चाहिए। एक दीपक से अनेक दीपक जलेंगे। एक जीवन की आहुति अनेक जीवनों को इस रास्ते पर लायेगी।
पं. कृपाराम : ‘‘आपने क्या निश्चय किया है, यह ठीक-ठीक हमारी समझ में नहीं आया । यह भी बताइये कि हमें क्या करना होगा ?’’
गुरु तेगबहादुर मुस्कराये और बोले : ‘‘पंडितजी ! भयग्रस्त और पीड़ितों को जगाने के लिए आवश्यक है कि कोई ऐसा व्यक्ति अपने जीवन का बलिदान दे, जिसके बलिदान से लोग हिल उठें, जिससे उनके अंदर की आत्मा चीत्कार कर उठे । मैंने निश्चय किया है कि समाज की आत्मा को जगाने के लिए सबसे पहले मैं अपने प्राण दूँगा और फिर सिर देनेवालों की एक शृंखला बन जायेगी । लोग हँसते-हँसते मौत को गले लगा लेंगे । हमारे लहू से समाज की आत्मा पर चढ़ी कायरता और भय की काई धुल जायेगी और तब... ।’’
‘‘और तब शहीदों के लहू से नहाई हुई तलवारें अत्याचार का सामना करने के लिए तड़प उठेंगी ।’’
यह बात बालक गोबिंद के मुँह से निकली थी । उन सरल आँखों में भावी संघर्ष की चिनगारियाँ फूटने लगी थी ।
तब गुरु तेगबहादुरजी का हृदय द्रवीभूत हो उठा । वे बोले : ‘‘जाओ, तुमलोग बादशाह से कहो कि हमारा पीर तेगबहादुर है । यदि वह मुसलमान हो जाय तो हम सभी इस्लाम स्वीकार कर लेंगे ।’’
पंडितों ने यह बात कश्मीर के सूबेदार शेर अफगन को कही । उसने यह बात औरंगजेब को लिख कर भेज दी। तब औरंगजेब ने गुरु तेगबहादुर को दिल्ली बुलाकर बंदी बना लिया । उनके शिष्य मतिदास, दयालदास और सतीदास से औरंगजेब ने कहा : ‘‘यदि तुम लोग इस्लाम धर्म कबूल नहीं करोगे तो कत्ल कर दिये जाओगे ।’’
मतिदास : ‘‘शरीर तो नश्वर है और आत्मा का कभी कत्ल नहीं हो सकता।’’
तब औरंगजेब ने मतिदास को आरे से चीरने का हुक्म दे दिया । भाई मतिदास के सामने जल्लाद आरा लेकर खड़े दिखाई दे रहे थे । उधर काजी ने पूछा : ‘‘मतिदास तेरी अंतिम इच्छा क्या है ?’’
मतिदास : ‘‘मेरा शरीर आरे से चीरते समय मेरा मुँह गुरुजी के पिंजरे की ओर होना चाहिए ।’’
काजी : ‘‘यह तो हमारा पहले से ही विचार है कि सब सिक्खों को गुरु के सामने ही कत्ल करें ।’’
भाई मतिदासजी को एक शिकंजे में दो तख्तों के बीच बाँध दिया गया । दो जल्लादों ने आरा सिर पर रखकर चीरना शुरू किया । उधर भाई मतिदासजी ने ‘श्री जपुजी साहिब’ का पाठ शुरू कर दिया । उनका शरीर दो टुकड़ों में कटने लगा। चौक को घेरकर खड़ी विशाल भीड़ फटी आँखों से यह दृश्य देखती रही ।
दयालदास बोले : ‘‘औरंगजेब ! तूने बाबरवंश को एवं अपनी बादशाहियत को चिरवाया है ।’’
यह सुनकर औरंगजेब ने दयालदास को गरम तेल में उबालने का हुक्म दिया । उनके हाथ-पैर बाँध दिये गये । फिर उन्हें उबलते हुए तेल के कड़ाह में डालकर उबाला गया । वे अंतिम श्वास तक ‘श्री जपुजी साहिब’ का पाठ करते रहे । जिस भीड़ ने यह नजारा देखा, उसकी आँखें पथरा-सी गयीं ।
तीसरे दिन काजी ने भाई सतीदास से पूछा : ‘‘क्या तुम्हारा भी वही फैसला है ?’’
भाई सतीदास मुस्कराये : ‘‘मेरा फैसला तो मेरे सद्गुरु ने कब का सुना दिया है ।’’
औरंगजेब ने सतीदास को जिंदा जलाने का हुक्म दिया । भाई सतीदास के सारे शरीर को रूई से लपेट दिया गया और फिर उसमें आग लगा दी गयी । सतीदास निरन्तर ‘श्री जपुजी’ का पाठ करते रहे । शरीर धू-धूकर जलने लगा और उसीके साथ भीड़ की पथराई आँखें पिघल उठीं और वह चीत्कार कर उठी ।
अगले दिन मार्गशीर्ष पंचमी संवत् सत्रह सौ बत्तीस (22 नवम्बर सन् 1675) को काजी ने गुरु तेगबहादुर से कहा : ‘‘ऐ हिन्दुओं के पीर ! तीन बातें तुमको सुनाई जाती हैं । इनमें से कोई एक बात स्वीकार कर लो । वे बातें हैं :
(1) इस्लाम कबूल कर लो ।
(2) करामात दिखाओ ।
(3) मरने के लिए तैयार हो जाओ ।’’
गुरु तेगबहादुर बोले : ‘‘तीसरी बात स्वीकार है ।’’
बस, फिर क्या था ! जालिम और पत्थरदिल काजियों ने औरंगजेब की ओर से कत्ल का हुक्म दे दिया । चाँदनी चौक के खुले मैदान में विशाल वृक्ष के नीचे गुरु तेगबहादुर समाधि में बैठे हुए थे ।
जल्लाद जलालुद्दीन नंगी तलवार लेकर खड़ा था। कोतवाली के बाहर असंख्य भीड़ उमड़ रही थी । शाही सिपाही उस भीड़ को काबू में रखने के लिए डंडों की तीव्र बौछारें कर रहे थे । शाही घुड़सवार घोड़े दौड़ाकर भीड़ को रौंद रहे थे । काजी के इशारे पर गुरु तेगबहादुर का सिर धड़ से अलग कर दिया गया । चारों ओर कोहराम मच गया ।
तिलक जझू राखा प्रभ ताका । कीनों वडो कलू में साका ।।
धर्म हेत साका जिन काया । सीस दीया पर सिरड़ न दिया ।।
धर्म हेत इतनी जिन करी । सीस दिया पर सी न उचरी ।।
धन्य हैं ऐसे महापुरुष जिन्होंने अपने धर्म में अडिग रहने के लिए एवं दूसरों को धर्मांतरण से बचाने के लिए हँसते-हँसते अपने प्राणों की भी बलि दे दी ।
श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात् । स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः ।।
अच्छी प्रकार आचरण में लाये हुए दूसरे के धर्म से गुणरहित भी अपना धर्म अति उत्तम है । अपने धर्म में तो मरना भी कल्याणकारक है और दूसरे का धर्म भय को देनेवाला है । (श्रीमद्भगवद्गीता : 3.35)
भगवत्प्राप्त महापुरुष परमात्मा के नित्य अवतार हैं । वे नश्वर संसार व शरीर की ममता को हटाकर शाश्वत परमात्मा में प्रीति कराते हैं । कामनाओं को मिटाते हैं। निर्भयता का दान देते हैं । साधकों-भक्तों को ईश्वरीय आनन्द व अनुभव में सराबोर करके जीवन्मुक्ति का पथ प्रशस्त करते हैं ।
ऐसे उदार हृदय, करुणाशील, धैर्यवान सत्पुरुषों ने ही समय-समय पर समाज को संकटों से उबारा है । इसी शृंखला में गुरु तेगबहादुरजी हुए हैं। जिन्होंने बुझे हुए दीपकों में सत्य की ज्योति जगाने के लिए, धर्म की रक्षा के लिए, भारत को क्रूर, आततायी, धर्मान्ध राज्य-सत्ता की दासता की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए अपने प्राणों का भी बलिदान कर दिया ।
(संत श्री आशारामजी आश्रम से प्रकाशित ‘बाल संस्कार केन्द्र पाठ्यक्रम’ पुस्तक से)

Wednesday, November 22, 2017

मदरसों में भी ईसाई चर्चों की तरह बलात्कार के शिकार हुए सैकड़ों बच्चे: एपी


November 22, 2017

🚩हिन्दू मन्दिर में इतनी पवित्रता होती है कि वहाँ जाने वाला कामी व्यक्ति भी निष्कामी हो जाता है और अपने में सुख-शांति का अनुभव करता है, लेकिन मीडिया मन्दिरों को और उनके पुजारियों को ही गलत ठहराने में लगी है, पर अभी समाचार एजेंसी एपी ने एक बड़ा खुलासा किया है कि ईसाई चर्चो की तरह मदरसों में भी बच्चो के साथ बलात्कार होते हैं, लेकिन मीडिया को इसपर बहस करने या न्यूज़ दिखाने की हिम्मत नही होती क्योकि हिन्दू तो सहिष्णु है उनके विरुद्ध कुछ भी दिखाओ ।

🚩समाचार एजेंसी एपी के अनुसार पाकिस्तान की रहने वाली कौसर परवीन ने रोते हुए बताया कि, उनका बेटा एक इस्लामी मदरसे में पढ़ता था । पाकिस्तान को कहरोरे पक्का में स्थित इस मदरसे में केवल दो कमरे हैं जिसमें कौसर का बेटा भी रहता था । इसी वर्ष अप्रैल में एक रात मदरसे का मौलवी उनके बेटे के बिस्तर पर पहुंच गया । लड़के ने उन्हें बताया कि, मौलवी ने उसकी शर्ट को खींचकर मुँह के ऊपर कर दिया और फिर उसके कपड़े उतार दिए । लड़के ने मां को बताया, “मैं रो रहा था । वो मुझे तकलीफ पहुंचा रहे थे । उन्होंने मेरे मुँह में शर्ट ठूंस दी थी ।” समाचार एजेंसी एपी ने पाकिस्तान के मदरसों में यौन शोषण पर विशेष रिपोर्ट प्रकाशित की है । जिन बच्चों से एपी ने बात की उनमें कौसर परवीन का बेटा भी शामिल है ।
Like hundreds of Christian churches in hundreds of rape victims in the madarsas

🚩समाचार एजेंसी एपी ने पिछले कुछ दशकों में विभिन्न मदरसों में बलात्कार के शिकार हुए सैकड़ों बच्चों के बारे में पता लगाया । उनके अनुसार, स्थानीय पुलिस ऐसे मामलों में दोषियों पर कार्रवाई करने से कतराती है । स्थानीय समुदाय में मौलवियों के प्रभाव और यौन शोषण के शर्मींदगी के कारण भी ऐसे मामले सामने नहीं आ पाते । इसके अलावा पाकिस्तान न्याय व्यवस्था में पीड़ित चाहे तो दोषी से “हर्जाना” लेकर माफ कर सकता है । यौन शोषण के कई दोषी पकड़े जाने पर कुछ रुपयों के बदले छूट जाते हैं । 

🚩एपी ने पुलिस में सैकड़ों शिकायतों का विश्लेषण करने के अलावा दर्जनों ऐसे लड़कों से बात की जो यौन शोषण का शिकार हो चुके हैं । एजेंसी ने पाकिस्तानी मदरसों में नाबालिग लड़कों के यौन शोषण की तुलना ईसाई चर्चों में बाल यौन शोषण के सामने आए मामलों से की है ।

🚩पाकिस्तानी मदरसों में बच्चों के यौन शोषण पर वहां के एक पूर्व मंत्री ने एपी से कहा, “मदरसों में ऐसे सैकड़ो वाक्य हुए हैं । ये बहुत आम है । परंतु ऐसे मामलों को सामने लाना बहुत खतरनाक हो सकता है ।” एक अन्य पुलिस अधिकारी ने माना कि, पाकिस्तानी मदरसों में नाबालिग लड़कों का बलात्कार असमान्य बात नहीं है । एपी द्वारा इकट्ठा किए गए दस्तावेज के अनुसार, पिछले #10 वर्षों में #359 ऐसे #मामले सामने आए जिनमें #मौलवी, #मौलाना या दूसरे मजहबी ओहदेदार पर बच्चों के #बलात्कार का #आरोप लगा । वर्ष 2004 में एक पाकिस्तानी अधिकारी ने तब ऐसे 500 मामलों की आधिकारिक शिकायत दर्ज होने की बात कही थी । जब एपी ने पाकिस्तान के गृहमंत्री और मंत्रालय से इस मसले पर बात करनी चाही तो उसे इसका मौका नहीं दिया गया । पाकिस्तान में मदरसे और स्कूल गृह मंत्रालय के तहत ही आते हैं । स्त्रोत : जनसत्ता

🚩#मीडिया को केवल #हिन्दू धर्म के #साधु-संतों में ही #कमी #दिखती है, हमेशा उसके कैमरे पूजनीय हिन्दू #देवी-देवताओं, #पवित्र मंदिरों, #संयमी साधु-संतों की तरफ ही रहते है लेकिन दूसरी ओर ईसाई चर्चों, मदरसों में कितना गलत हो रहा है उस पर बिलकुल ही नजर नही दौड़ाती, इससे सिद्ध होता है कि मीडिया के टारगेट में केवल #हिन्दू धर्म की #संस्कृति एवं #साधु-संतों को #खत्म करना है जिससे आम जनता का उसमे से भरोसा उठ जाये और #पश्चिमी सभ्यता को अपना ले जिससे उनका बाजार मार्केट बढ़ जाये और देश में भी धर्मान्तरण करवाना आसान हो जाये जिससे वो फिर से भारत पर राज कर सके ।

🚩अतः #हिन्दुस्तानी इस #षडयंत्र को #समझें और मीडिया को बातों को सही नही मानकर अपने धर्म में और #धर्मगुरुओं पर #आस्था #बनाये #रखें ।

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Tuesday, November 21, 2017

ऑस्ट्रेलिया और आयरलैंड देश में सर्वाधिक तेजी से बढ़ रहा हिंदू धर्म

November 21, 2017   www.azaadbharat.org
हिन्दू धर्म दुनिया का सबसे प्राचीन सनातन धर्म है जो सृष्टि उत्तन्न हुई है तबसे चल रहा है। अपनी उदारता, व्यापकता और सहिष्णुता की वजह से हिंदू धर्म की तरफ पूरी दुनिया के लोगों को ध्यान खिंच रहा है। ऑस्ट्रेलिया और आयरलैंड जैसे देश में तो सबसे तेजी से बढ़ने वाला धर्म बन गया है।
ऑस्ट्रेलिया में 2011 की जनगणना के अनुसार हिंदू धर्म सबसे तेजी से बढ़ने वाला धर्म है। 2011 की जनगणना में हिंदू धर्म सर्वाधिक तेजी से फैलने वाला धर्म पाया गया था। 2016 की जनगणना में 2.7 फीसद हिंदू आबादी का अनुमान है। जबकि वहां इस्लाम मानने वाली आबादी 2.6 फीसद है। ऑस्ट्रेलिया जैसे देश में आधुनिकता की दौड़, भागमभाग, तनाव में लिपटी जीवनचर्या को हिंदू धर्म में ही सुकून मिल रहा है।
Australia and Ireland, the fastest growing Hindu religion in the country

वेबसाइट एसबीएस की एक रिपोर्ट के अनुसार ऑस्ट्रेलिया में इस्लाम की तरफ आकर्षित होने वालों की संख्या वहां की कुल आबादी की 2.2 फीसदी से लेकर 2.6 फीसदी के करीब बताई जाती है, वहीं हिंदू धर्म की ओर आकर्षित होने वालों की संख्या इससे ज्यादा 2.7 फीसदी है। दुनिया के तीसरे सबसे बड़े धर्म के प्रति ऑस्ट्रेलियाई लोगों में आस्था बढ़ रही है। हिन्दू धर्म अपनाने वाले वाले एक ऑस्ट्रेलियाई के अनुसार हिंदू धर्म में जीवन जीने का तरीका, शाकाहार, कर्म, आध्यात्मिकता ऐसे तत्व हैं जो और कहीं नहीं हैं।
ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न जैसे बड़े शहर में रथयात्रा और जन्माष्टमी जैसे त्योहारों के मौकों पर मंदिरों में और अन्य आयोजनों में उमड़ती हजारों लोगों की भीड़ से हिंदुत्व के प्रति ऑस्ट्रेलियाई लोगों की आस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है।
मेलबर्न में इस्कॉन मंदिर के अलावा भी कई मंदिर हैं जो आस्था का केंद्र बने हुए हैं। एक आंकड़े के मुताबिक पूरे ऑस्ट्रेलिया में भगवान गणेश, श्रीकृष्ण, माता दुर्गा, हनुमान जी और सांई बाबा के 51 हिंदू मंदिर हैं। इनमें से 19 मंदिर विक्टोरिया में हैं। मेलबर्न के कैरम डाउन इलाके में शिव-विष्णु मंदिर ऑस्ट्रेलिया का सबसे पुराना और बड़ा मंदिर है। इसकी बुनियाद 1988 में रखी गई थी। ये मंदिर करीब 6 एकड़ में फैला है और यहां हर साल लाखों लोग दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर सिर्फ भारतीय और ऑस्ट्रेलिया के ही नहीं दुनिया भर से, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर से ऑस्ट्रेलिया पहुंचे लोगों की आस्था का केंद्र है। इस मंदिर का निर्माण शुरू होने के वक्त से ही यहां जुड़ी श्रीलंका की शिवनंदिनी कृष्णमूर्ति कहती हैं कि हमें पूजा के लिए एक जगह चाहिए थी और एक छोटे से शेड से बढ़ कर ये भव्य मंदिर बन गया।
मेलबर्न के इस मंदिर में हिंदू धर्म को मानने वालों के अलावा अन्य धर्मों के लोग भी पहुंचते हैं और वैदिक हिंदू रीति-रिवाजों से परिचित होते हैं। ऑस्ट्रेलिया के सभी मंदिरों की देखरेख Hindu Organisation and Temples & Association करता है। ये संगठन हिंदुओं की आस्था से जुड़े तमाम क्रियाकलापों को भी कराता है। इन मंदिरों में शादी, नामकरण संस्कार और पूजा-अर्चना के अलावा होली-दीवाली जैसे मौकों पर खास आयोजन भी किए जाते हैं। लोग बच्चे के जन्म, नए घर में प्रवेश या कार खरीदने पर भी यहां पूजा के लिए आते हैं। हिंदू काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया भी यहां हिंदुओं के अधिकारों की रक्षा, सरकार से तालमेल और मीडिया में उनके सही प्रतिनिधित्व के लिए काम करती है। हिंदू काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया ने 2016 की जनगणना में हिंदू धर्म को भी धर्म बताने के विकल्प में जगह दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। काउंसिल के एक सदस्य भागवत कहते हैं कि वो 2016 की जनगणना के आंकड़ों को जानने के लिए बहुत उत्सुक हैं और संभवत: इस बार भी हिंदुओं की संख्या बढ़ कर ही आएगी।
आपको बता दे कि आयरलैंड में भी हिन्दू धर्म का तेजी से विकास हो रहा है। आयरलैंड की जनगणना के अनुसार पिछले 5 सालों में हिन्दुओं की आबादी में 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह जनगणना आज से एक साल पहले 2016 के अप्रैल महीने में की गयी थी। इसी समय मुस्लिम जनसंख्या में 29 प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी है।
आयरलैंड की कुल जनसंख्या में 3.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आयरलैंड मुख्य रूप से इसाई धर्म का पालन करने वाला देश है। यहां की कुल आबादी 4.76 मिलियन है, जिसमें से 3.73 मिलियन आबादी रोमन कैथलिक है। आंकड़े देखने के बाद यह पता चलता है कि इस देश में 2011 में हिन्दुओं की संख्या कुल 10,000 थी, जो अप्रैल 2016 में बढ़कर 14,000 हो गयी। जबकि आयरलैंड में मुस्लिम हिन्दुओं के मुकाबले 6 गुना ज्यादा संख्या में रहते हैं। स्त्रोत : पोलिटिकॉर्पोर्ट
एक तरफ विदेशी भी हिन्दू धर्म की महिमा जानकर हिन्दू धर्म और संस्कृति की तरफ आकर्षित हो रहे है, दूसरी और हिन्दू बाहुल देश भारत मे ही ईसाई मिशनरियां और कुछ मुस्लिम समुदाय के लोग हिन्दू धर्म को मिटाकर अपना धर्म बढ़ाना चाहते है इसलिए लालच देकर एवं जबरन धर्मान्तरण,  लव जिहाद आदि करके हिन्दू धर्म को तोड़ रहे है।
हिन्दू धर्म मे रहने वाले भी कुछ लोग हिन्दू धर्म की महिमा समजते नही है और बोलते है को सर्व धर्म समान उनको पता कि नाली का जल और गंगा जल एक समान नही है ऐसे ही महान सनातन हिन्दू धर्म को किसी धर्म के साथ जोड़ना मूर्खता ही है।
हिन्दू संस्कृति की आदर्श #आचार #संहिता ने समस्त वसुधा को #आध्यात्मिक एवं #भौतिक उन्नति से पूर्ण किया, जिसे हिन्दुत्व के नाम से जाना जाता है।
हिन्दू धर्म का यह पूरा वर्णन नही है इससे भी कई गुणा ज्यादा महिमा है क्योंकि हिन्दू धर्म सनातन धर्म है इसके बारे में संसार की कोई कलम पूरा वर्णन नही कर सकती । आखिर में हिन्दू धर्म का श्लोक लिखकर विराम देते हैं ।
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत।
ऊँ शांतिः शांतिः शांतिः

Monday, November 20, 2017

हिन्दू धर्मगुरु संत आसाराम बापू के केस में सामने आये चौकाने वाले खुलासे, हर भारतवासी पढ़े लीगल दृष्टि से

November 20, 2017
हिन्दू धर्मगुरु आसारामजी बापू पिछले चार साल तीन महीने से जोधपुर जेल में बंद हैं, उनके ऊपर शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश) की एक लड़की ने छेड़छाड़ी का आरोप और सूरत (गुजरात) की एक लड़की ने रेप का आरोप लगाया है, पर उन पर अभी तक एक भी आरोप सिद्ध नही हुआ है फिर भी सालों से बिना जमानत जेल में हैं !!
Revelations coming out in the case of Asaram Bapu, .

आइये जाने इस केस के पीछे छुपे कुछ ऐसे तथ्य जिससे आजतक आपको अनभिज्ञ रखा गया ।
आज हम आपको लीगल पॉइंट से बताते हैं बापू आसारामजी केस की सच्चाई !!
आज हर हिन्दुस्तानी का अधिकार बनता है ये जानने का कि आखिर देश में क्या हो रहा है और मीडिया आपतक कितनी सही खबरें पहुँचा रहा है ।
जोधपुर के केस की हकीकत :-
शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश) की रहने वाली, छिंदवाड़ा (मध्यप्रदेश) गुरुकुल में पढ़ती थी, लड़की ने
9 अगस्त 2013 को गुरुकुल छोड़कर अपने माता-पिता के साथ घर चली जाती है। जोधपुर में 15 अगस्त 2013 को बापू आसारामजी के पास जोधपुर (राजस्थान) में उसके माता-पिता आते हैं और बोलते हैं कि हमारी बेटी को किसी भूत-प्रेत की छाया है, 15 अगस्त की रात को बापू आसारामजी की कुटिया के सामने वाले घर में अपने पहचान वाले के यहाँ रुकते हैं, सुबह 16 अगस्त को हँसते-खेलते अपने घर शाहजहांपुर चले जाते हैं, घर के मालिक के बच्चों को 100-100 रुपए खर्ची भी देते हैं ।




19 अगस्त को रात्रि 2:45 AM को बापू आसारामजी के विरूद्ध दिल्ली के कमला मार्केट पुलिस थाणे में जीरो एफ. आई. आर.दर्ज हुई, पर संदिग्ध तरीके से उस रजिस्टर के कई पन्ने फाड़ दिए गए । ऐसे केस में पहले मैजिस्ट्रेट की परमिशन ली जाती है फिर लड़की का मेडिकल होता है पर यहाँ लड़की का रातो-रात मेडिकल किया गया और अगले दिन उसके मैजिस्ट्रेट के सामने बयान हुए ।
20 अगस्त 2013 को लड़की के मैजिस्ट्रेट के सामने बयान होने के बावजूद FIR मैजिस्ट्रेट को नहीं दी गयी, अगले दिन 21 तारीख को दी गयी है । FIR व FIR की कार्बन कॉपी में भी अंतर पाया गया है । जिसका स्पष्टीकरण सम्बन्धित पुलिस कर्मी न्यायालय के सामने हुई अपनी गवाही में नहीं दे पाया है ।
कमला मार्केट पुलिस थाणे के कांस्टेबल ने लड़की की FIR लिखते समय जो वीडियो रिकॉर्डिंग की थी उसे मिटाया या गायब किया गया है । वह रिकॉर्डिंग आज तक न्यायालय के सामने नहीं आई है । महिला पश्चिम पुलिस थाना, जोधपुर की investigation officer चंचल मिश्रा व कमला मार्केट पुलिस थाणे की ASI पुष्पलता ने न्यायालय के सामने हुई अपनी गवाही में यह बात स्वीकार की है ।
लड़की की मेडिकल जाँच रिपोर्ट से रेप या यौन-शोषण की पुष्टि नहीं हुई है । लड़की का मेडिकल करनेवाली डॉ. शैलेजा वर्मा ने अदालत में दिए बयान में कहा : ‘‘मेडिकल के दौरान लड़की के शरीर पर रत्तीभर भी खरोंच के निशान नहीं थे और न ही प्रतिरोध के कोई निशान थे ।’’
बापू आसारामजी कार्यक्रम में व्यस्त :-
बापू आसारामजी 15 अगस्त 2013 की रात 9 बजे से 10:30 बजे तक सत्संग कर रहे थे । सत्संग के बाद पूना व सुमेरपुर के परिवाए के बीच हुई सगाई के निमित्त झुलेलालजी की झाँकी निकाली गयी थी, उस समय भी बापू आसारामजी उपस्थित थे । उस सत्संग के कई फोटो तथा उपस्थित व्यक्तियों की हुई न्यायालय में गवाही इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है । बापू आसारामजी ने दोनों परिवारवालों को रात को 11:30 बजे आशीर्वाद दिया था, वह फोटो भी न्यायालय के सामने सन 2014 से है तथा उसमें उपस्थित परिवारवालों की गवाही भी न्यायालय में हो चुकी है ।
लड़की को कमरे में जाते किसी ने नहीं देखा :-
सरकार की तरफ से 44 गवाह व बचाव पक्ष की तरफ से 31 गवाह examine किये गये । झूठा आरोप लगानेवाली लड़की व उसके माँ- बाप के सिवा ऐसा एक भी गवाह पिछले 4 वर्षों में नहीं आया जिसने यह कहा हो कि उसने लड़की को कुटिया (कमरे) में जाते हुए देखा है । सरकार के पास एक भी सबूत नहीं है और बापू आसारामजी के पक्ष में जो सबूत हैं उन्हें महिला पश्चिम पुलिस थाना, जोधपुर की investigation officer के द्वारा दबाया गया है जिसे डिफेन्स के दौरान उजागर किया गया ।
POCSO व 370 धारा में जांच ठीक से नही हुई :-
छिंदवाडा गुरुकुल में पढ़ने वाली इस लड़की के माँ- बाप जब लड़की को लेने के लिए छिंदवाडा गुरुकुल में आये थे तब दिनांक 9 अगस्त 2013 को लड़की के पिता ने उसे घर ले जाने के लिए निवेदन पत्र अपने हाथों से लिखकर, हस्ताक्षर करके दिया था जो चार्ज शीट में लगा हुआ है ।  गुरुकुल से माता- पिता स्वयं आकर लड़की को अपने घर ले जाने के बाद लड़की की सम्पूर्ण जिम्मेदारी माता-पिता की है । फिर भी बापू आसारामजी के ऊपर Trafficking of Persons की धारा 370 लगाई गयी है जिसके अंतर्गत आजीवन कारावास की सजा है ।
ऐसे ही लड़की बालिग होते हुए भी POCSO की धारा लगाई गयी है जबकि लड़की के बालिग होने के कई प्रमाण मिलने के बाद भी महिला पश्चिम पुलिस थाना, जोधपुर की investigation officer चंचल मिश्रा ने उनका संशोधन/ अन्वेषण नही किया । लड़की का विद्यालय के दाखिले का आवेदन, रजिस्ट्रेशन फॉर्म तथा उसके एलआईसी के कागजात में लिखी जन्मतिथि के अनुसार वह उस कल्पित घटना के समय बालिग थी, फिर भी उसे नाबालिग मानकर पॉक्सो एक्ट में केस चल रहा है । लड़की की आयु से संबधित सर्वोच्च न्यायालय के जाँच के आदेश के बावजूद पुलिस ने सक्रियता नहीं दिखायी ।
चंचल मिश्रा ने तो इस बात का संशोधन किया कि किस प्रकार से अधिक से अधिक और संगीन से संगीन धाराएं लगाई जा सकें ताकि बेल तक न मिले और बापू आसारामजी को कारावास में रख सके । पर कहते है न "जाको राखे साईयां, मार सके न कोय" ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है संत आसारामजी बापू के केस में होने वाले खुलासों को देखकर ।
हकीकत यह है कि इनमें से एक भी धारा की परिपुष्टि के लिए सरकार के पास रत्तीभर भी सबूत नहीं है । फिर भी बापू आसारामजी 4 साल 3 महीनों से कारावास में हैं ।
लड़की के कॉल्स और मेसेजेस संदिध पाये गए :-
बापू आसारामजी 15 अगस्त 2013 की रात को सत्संग के बाद अपनी कुटिया में चले गए और लड़की व उसके माता पिता उनके निवास स्थान पर, जहाँ लड़की अपने माँ के फोन से रातभर अलग-अलग समय पर किसी संदिग्ध व्यक्ति के साथ बातचीत व मेसेजेस करती रही । लड़की व उस व्यक्ति के बीच 1 महीने में 1055 मेसेजेस का आदान-प्रदान हुआ है जो असामान्य है ।
15 अगस्त की तथाकथित घटना के समय भी लड़की उसी व्यक्ति के साथ रात में कई बार फोन पर संपर्क में थी । लड़की की इस कॉल डिटेल को इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर चंचल मिश्रा ने छुपाकर रखा । लड़की के फोन की कॉल डिटेल तो चार्ज शीट में लगाई गई, परंतु 12 अगस्त से 17 अगस्त 2013 की कॉल डिटेल्स  हटाकर लगाई गई । जो  कॉल डिटेल्स लगाई गई उसमें भी कई मन्युपुलशन्स किये गए । जब उस कॉल डिटेल से संबंधित नोडल ऑफिसर का सरकार की तरफ से न्यायालय के सामने बयान हुआ, तब उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि चंचल मिश्रा द्वारा प्रस्तुत कॉल डिटेल प्रमाणित नहीं है । बचाव पक्ष की तरफ से, लड़की तथाकथित घटना के समय जिस व्यक्ति के साथ फोन पर सम्पर्क में थी, उस व्यक्ति की कॉल डिटेल न्यायालय के सामने प्रस्तुत करके उससे संबंधित नोडल ऑफिसर की जब न्यायालय के सामने गवाही करवाई गयी तब उन्होंने मूल प्रमाणित कॉल डिटेल के साथ सच को उजागर किया ।
षडयंत्र क्रियान्वित करने के मिले कई प्रमाण :-
पंकज दुबे, भोलानंद तथा सतीश वाधवानी की गिरफ्तारी से बापू आशारामजी व उनके पुत्र श्री नारायण साँईं के खिलाफ रची गयी साजिश के कई प्रमाण मिले हैं ।
मुख्य गवाह ने किया बड़ा खुलासा :-
जोधपुर सत्र न्यायालय में मुख्य सरकारी गवाह सुधा पटेल ने बताया कि उनके नाम पर पुलिस ने बापू आसारामजी के खिलाफ जो बयान दर्ज किया है वह झूठा एवं मनगढ़ंत है ।
प्रसिद्ध न्यायविद् सुब्रमण्यम स्वामी जी का केस स्टडी के बाद का वक्तव्य :- 
जोधपुर केस में ‘‘लड़की के फोन रिकॉर्ड्स से पता लगा कि जिस समय पर वह कहती है कि मणाई की कुटिया (जोधपुर के पास) में उसके साथ छेड़छाड़ी हुई, उस समय बापू आसारामजी सत्संग में थे जिसमें 60- 70 लोग उपस्थित थे और लड़की व उसके माता-पिता भी वहाँ सत्संग में उपस्थित थे। बापू आसारामजी पर ‘पॉक्सो एक्ट’ लगवाने हेतु एक झूठा सर्टिफिकेट निकालकर दिखा दिया गया कि लड़की 18 साल से कम उम्र की है । यह केस तो तुरंत रद्द होना चाहिए ।’’
सूरत (गुजरात) का केस
बापू आशारामजी पर 12 साल पुराना रेप का आरोप लगानेवाली सूरत की महिला ने गांधीनगर कोर्ट में एक अर्जी डालकर बताया कि उसने धारा 164 के अंतर्गत (बापू आसारामजी के खिलाफ) पहले जो बयान दिया था वह डर और भय के कारण दिया था । अब वह 164 के अंतर्गत दूसरा बयान देकर केस का सत्य उजागर करना चाहती है । लेकिन पुलिस ने उसका बयान दर्ज नहीं किया ।
बापू आसारामजी के गवाहों की हत्या
डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट से जानकारी मिली है कि 6 मुख्य गवाह हैं,
उनकी गवाही हो चुकी है और वे सब सुरक्षित हैं ।
टेलीविजन में ये दिखाया जा रहा है कि गवाह मर चुके हैं और इसके विपरीत जब मैं कागज में प्रत्यक्ष देखता हूँ तो सब के सब गवाहों को सकुशल और सुरक्षित पाता हूँ।
यह सब देखकर मुझे ऐसा लगता है कि उनके पीछे कोई धनराशि लगाकर कुप्रचार कर रहा है।
आपने हिन्दू धर्मगुरु बापू आसारामजी के केस की सच्चाई पढ़ी, कोई भी समझदार समझ सकता है कि इस केस में षडयंत्र द्वारा फसाएं जाने की बू आ रही है ।
सुदर्शन न्यूज के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाणके और डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी के अनुसार लाखों हिन्दुओं की घरवासपी करवाने तथा करोड़ो लोगों को व्यसनमुक्त करवाने पर विदेशी कंपनियों का अरबों-खबरों का नुकसान हुआ है और ईसाई मिशनरियां जो बापू आसारामजी के कारण धर्मपरिवर्तन नही करा पा रही थी, इसलिए वेटिकन सिटी और विदेशी कम्पनियों की सांठ-गांठ द्वारा तत्कालीन सरकार सोनिया गांधी की अध्यक्षता में एक झूठा केस बनवा और मीडिया द्वारा बदनाम करवाकर बापू आसारामजी को जेल भिजवाया गया है ।
पिछले कुछ दशकों से अन्तराष्ट्रीय षड्यंत्रों के तहत कुछ कानूनों की आड़ में कई निर्दोष हिन्दू संतों व साध्वियों को फँसाकर सनातन संस्कृति को बदनाम किया जा रहा है । उसी कड़ी में जुड़ें हिन्दू धर्मगुरु आशारामजी बापू, जिन्होंने अपना पूरा जीवन समाज के उत्थान में लगा दिया, उन्हें बिना किसी ठोस सबूत, बिना किसी मेडिकल आधार, केवल मोहरा बनायी गयी एक लड़की के झूठे आरोपों के चलते पिछले 4 वर्ष 3 महीने से कारागृह में रखा गया है ।
80 वर्ष की उम्र में लड़खड़ाते स्वास्थ्य के बावजूद इतने लम्बे समय से बापू आसारामजी को कारागृह में रखे जाने से देश-विदेश के अनगिणत लोग व्यथित हैं । बापू आसारामजी पर हो रहे अन्याय के खिलाफ संस्कृति व धर्म रक्षा में लगे अनेक संगठनों एवं साधु-संतों द्वारा आवाज उठायी जा रही है ।
निर्दोष हिन्दू संतों की कड़ी में जुड़ें संत आसारामजी बापू को कब राहत मिलती है इसी पर समाज की नजरें टिकी हैं ।

Sunday, November 19, 2017

तसलीमा नसरीन : बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदुओं की रक्षा करे


November 19, 2017

बांग्लादेश की लेखिका तसलीमा नसरीन जो अभी भारत मे रही रही है। 1970 के दशक में एक कवि के रूप में उभरीं तसलीमा 1990 के दशक के आरम्भ में अत्यन्त प्रसिद्ध हो गयीं। वे अपने नारीवादीविचारों से युक्त लेखों तथा उपन्यासों एवं इस्लाम एवं अन्य नारीद्वेषी मजहबों की आलोचना के लिये जानी जाती हैं

अभी हाल ही बांग्लादेश में हिन्दुओ पर भयंकर अत्याचार हुआ उसके ऊपर उन्होंने बांग्लादेश के लिए एक लिखा है ।
Taslima Nasreen: Protecting Bangladesh's Minority Hindus

तसलीमा नसरीन ने लिखा है कि कुछ दिन पूर्व मैंने फेसबुक पर एक छायाचित्र देखा, जिसने मुझे दुखी करने के साथ-साथ हैरान भी कर दिया । उस फोटो में एक बूढ़ी महिला जार-जार रो रही थी, जिसका घर जला दिया गया था । उस रोती हुई वृद्ध महिला और आग में जलते उसके घर का फोटो देखकर पहले-पहल मुझे लगा कि, यह किसी रोहिंग्या का घर फूंकनेे का दृश्य है और असहाय रोहिंग्या वृद्धा अपनी संपत्ति नष्ट हो जाने की वजह से रो रही है । परंतु जब फोटो के नीचे लिखे शब्दों पर निगाह गई तो वहां लिखा था, यह बांग्लादेश के रंगपुर की घटना है । लगभग दस हजार मुसलमानों ने हिन्दुओं पर हमला किया और लूटपाट करने के बाद उनके घरों में आग लगा दी । बताया गया कि, टीटू राय नामक एक व्यक्ति ने फेसबुक पर इस्लाम का अपमान किया था । परंतु क्या दस हजार मुसलमानों को एकत्र करना इतना आसान काम है ? दुर्भाग्य से, आजकल यह करना बहुत सरल है । केवल अफवाह फैलाने की आवश्यकता होती है कि, अमुक मुहल्ले या इलाके के हिन्दू ने फेसबुक पर इस्लाम को लेकर गलत बातें लिखी हैं । बस फिर क्या है, उन्मादी मुसलमान हाथों में धारदार हथियार, लाठी, रॉड लेकर हिन्दुओं पर टूट पड़ते हैं और उनके घर फूंक देते हैं । कोई यह जानना नहीं चाहता कि, आखिर इस्लाम का अपमान कैसे किया गया और जिस पर अपमान करने का आरोप लगा है, उसकी फेसबुक आईडी असली है या नकली ? बांग्लादेश के हिन्दू जान-बूझकर यह जोखिम उठाने का साहस नहीं करेंगे । कहीं किसी मुसलमान ने ही तो हिन्दू के नाम से फर्जी आईडी बनाकर इस्लाम का अपमान तो नहीं किया ?

रंगपुर के ठाकुरबाड़ी गांव में जिस तरह यह हमला किया गया, उससे पता चलता है कि, मुसलमानों की भीड़ ने पहले से ही हमले की योजना बना रखी थी । ऐसा ही कुछ समय पहले नासिर नगर में भी हुआ था । वहां रसराज नामक एक हिन्दू लड़के की कथित फेसबुक पोस्ट को लेकर अनेक हिन्दुओं के घरों को जला दिया गया था । बाद में यह सच्चाई सामने आई कि, रसराज फेसबुक के बारे में कुछ जानता ही नहीं था । उसके नाम से फर्जी फेसबुक आईडी दरअसल किसी मुसलमान ने ही तैयार की थी । इतना ही नहीं, हिन्दुओं के घर कैसे लूटें-जलाएं और उन्हें आतंकित कर किस तरह बांग्लादेश से भगाया जाए, इसके लिए एक गिरोह बनाया गया था ।

ठीक इसी तरह रंगपुर में भी किया गया । टीटू राय नामक कोई व्यक्ति उक्त गांव में पिछले सात वर्षों से रहता ही नहीं । जो टीटू राय सात वर्ष पहले गांव में रहता था, वह कर्ज के बोझ से परेशान होकर गांव छोड़कर दूर किसी शहर में कपड़े का धंधा कर किसी तरह अपना जीवन काट रहा है । कथित फेसबुक एकाउंट पर टीटू राय ने अपना कोई स्टेटस भी नहीं दिया था । उसमें खुलना के मौलाना असदुल्लाह हमीदी का स्टेटस था । असल में मौलाना हमीदी का उद्देश्य सिलेट के एक हिन्दू युवक राकेश मंडल को फंसाना था । मौलाना हमीदी के स्टेटस को एमडी टीटू नामक एक शख्स ने शेयर किया था । उस एमडी टीटू को ही रंगपुर के पगलापी इलाके का टीटू राय समझकर उसके और साथ ही पडोसियों के घरों को फूंक दिया गया । नासिर नगर के रसराज के नाम पर भी इसी तरह से एक मुसलमान ने फर्जी फेसबुक आईडी तैयार की थी और फिर हिन्दुओं के घरों में लूटपाट के बाद आग के हवाले कर दिया गया था ।

बांग्लादेश के मुसलमानों का एक वर्ग दिन-प्रतिदिन प्रबल हिन्दू विरोधी होता जा रहा है । दरअसल वे गैर-मुस्लिमों को भगाकर बांग्लादेश को मुस्लिम मुल्क बनाने की कोशिश में हैं । उनमें से कई तो यह मानते हैं कि, गैर-मुसलमानों पर अत्याचार करने से शबाब मिलता है । आतंकवादियों का भी यही मानना है कि, काफिरों को धारदार हथियार से काटकर हत्या करने पर शबाब और साथ ही जन्न्त भी मिल जाती है । बांग्लादेश में इसी वर्ष मार्च में हिन्दुओं को फंसाने के लिए दाऊदकांदी के कुछ मुसलमान इतने उन्मादी हो गए थे कि, उन्होंने एक मदरसे में जाकर कुरान पर गंदगी छींट दी थी । अच्छा यह हुआ कि, हिन्दुओं के घरों को आग लगाने से पहले ही यह खुलासा हो गया कि, यह हरकत हबीबुर्रहमान और उसके साथियों ने की थी । मुझे नहीं पता कि, हबीबुर्रहमान या अन्य को किसी तरह की सजा मिली या नहीं ? मैं हैरान हूं कि, ऐसे गुंडों के खिलाफ धार्मिक मुसलमानों ने गुस्से का कोई इजहार क्यों नहीं किया ?

जैसे बांग्लादेश में हिन्दू विरोधी मुसलमानों की तादाद बढ़ रही है, वैसे ही भारत में मुस्लिम विरोधी हिन्दुओं की संख्या बढ़ रही है । वे भी मानते हैं कि मुसलमानों को भारत में रहने का अधिकार नहीं है । ऐसे मुस्लिम विरोधी हिन्दू यह भी मानते हैं कि 1947 में जो तमाम मुस्लिम पाकिस्तान नहीं गए, वे अपनी जनसंख्या बढ़ा रहे हैं, आतंकी संगठनों में जुड़ रहे हैं और अल्पसंख्यक होने की वजह से सरकारी सुविधा भी पा रहे हैं । किसी मुसलमान ने गोमांस का सेवन किया है, उसे सरेआम पीट दिया जाता है । 

इसके बावजूद यह कहना होगा कि भारत और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के बीच काफी अंतर है । बांग्लादेश में हिन्दुओं की संख्या में कमी आई है । जबकि भारत में अल्पसंख्यकों की तादाद बढ़ी है । भारत में मुसलमानों की संख्या पूरे बांग्लादेश की जनसंख्या से अधिक है । भारत में कट्टर हिन्दुओं द्वारा मुसलमान पर अत्याचार होता है तो देश उनके साथ होता है । भारतीय कानून हिन्दू हो या फिर मुसलमान, सभी को समान आंखों से देखता है, परंतु बांग्लादेश में जब कट्टर मुसलमानों द्वारा हिन्दुओं पर अत्याचार होता है तो सरकारी मदद और सरकारी सहानुभूति, कुछ भी नहीं मिलती । वहां हिन्दुओं की संख्या इतनी कम हो चुकी है कि उन्हें वोटबैंक के रूप में नहीं देखा जाता । इस्लामपरस्त पार्टियों के लोग वोट डालने गए हिन्दुओं को डरा-धमकाकर रखते हैं । बांग्लादेश में हिन्दू केवल दूसरे दर्जे के नागरिक ही नहीं, बल्कि विलुप्त होती बंगाली जाति हैं । कभी-कभी मैं सोचती हूं कि क्या बांग्लादेश सऊदी अरब जैसा हो जाएगा ? एक ओर बांग्लादेश के मुसलमान म्यांमार सेना के हाथों सताए गए असहाय रोहिंग्या की मदद के लिए हाथ बढ़ाते हैं और दूसरी ओर वे अपने ही देश में हिन्दुओं के साथ म्यांमार सेना की तरह का बर्ताव करते हैैं । ऐसे में आखिर म्यामांर की बर्बर सेना और बांग्लादेश के मुसलमानों में फर्क क्या रहा ? मुझे तो कोई फर्क नहीं दिख रहा । जो भी कट्टरवादी बौद्ध, ईसाई, मुसलमान हैं, वे सब एक जैसे हैं । वे समाज को पीछे धकेलना चाहते हैं । हिंसा और नफरत ही ऐसे लोगों का सहारा है । कट्टरवाद के खिलाफ सभी को मिलकर खड़ा होना होगा, नहीं तो इतने वर्षों में तैयार किए हुए आजाद ख्याल गणतंत्र हिंसा और नफरत से हार जाएंंगे । जिस किसी देश से जितनी बार बहुसंख्यकों के अत्याचार से डरकर अल्पसंख्यक भागते हैं, उतनी बार उस देश का नुकसान होता है । हम बांग्लादेश को और कितनी बार नष्ट करेंगे ? स्त्रोत : नर्इ दूनिया

भारत में किसी भी गोतस्कर, मुसलमान या ईसाई पर थोड़ा सा भी उनको कुछ बोलते है तो या उनपर कार्यवाही करते है तो मीडिया एवं बुद्धिजीवी सेकुलर छाती पीटने लगते है की भारत में हिंसा बढ़ गई है लेकिन बांग्लादेश में सैंकड़ो घर जला दिया फिर भी उस पर ये सब चुप क्यों है?

जिहादी आप पर अत्याचार करे उससे पहले हिन्दू एक हो जावो नही तभी बचोगे नही तो आगे जाकर बहुत पछताना पड़ेगा।