Monday, March 25, 2019

कत्लेआम करना वेद में भी है ? या सिर्फ क़ुरान में ही है?

25 मार्च 2019
www.azaadbharat.org
🚩सोशल मीडिया के माध्यम से एक वीडियो देखने में आया। इसमें एक मोमिन यह दिखा रहा है कि वेदों में कत्लेआम, मारकाट, हिंसा का सन्देश दिया गया हैं। मोमिन का कहना है कि जो लोग क़ुरान पर हिंसा का आरोप लगाते है । वे कभी अपने वेदों को नहीं देखते । यह मोमिन अथर्ववेद और ऋग्वेद के कुछ उदहारण देकर अपनी बात को सिद्ध करने का प्रयास कर रहा है ।  इसके वीडियो को देखकर एक ही निष्कर्ष निकलता है कि उल्लू को दिन में न दिखे तो यह सूर्य का दोष नहीं हैं । वेद रूपी ईश्वरीय ज्ञान को मानव कृत क़ुरान की रोशनी में देखने कुछ ऐसा ही हैं ।
आइए वेद और क़ुरान में दिए गए सन्देश के अंतर को समझने का प्रयास करें ।

🚩मोमिन श्री क्षेमकरण त्रिवेदी जी के वेदभाष्य से अथर्ववेद 12/5/62 का उदहारण देते हुए कहता है कि ," तू वेदनिंदक को काट डाल, चीर डाल,फाड़ दे, जला दे, फूंक दे, भस्म कर दे।"
अथर्ववेद 12/5/68 का उदहारण देते हुए कहता है कि "वेद विरोधी के लोगों को काट डाल, उसके मांस के टुकड़ों की बोटी बोटी कर दे, उसके नसों को ऐंठ दे, उसकी हड्डियां मिसल कर, उसकी मिंग निकाल दे, उसके सब अंगों को, जोड़ों को ढीला कर दे।"
🚩इन वेदमंत्रों के आधार पर मोमिन वेदों का हिंसा का समर्थक सिद्ध करने का प्रयास कर रहा है। जो शंका मोमिन ने उठाई है। यह कोई नवीन शंका नहीं हैं। पिछले 125 वर्षों में अब्दुल गफूर, सन्नाउल्लाह अमृतसरी, मौलवी असमतउल्लाह खां आदि ने यह शंका अनेक बार उठाई हैं। हिंदू समाज के विद्वानों ने उसका यथोचित उत्तर भी समय-समय पर दिया है।
🚩मोमिन के चिंतन में गंभीरता की कमी देखिये जो वह यह न देख पाया कि वेदमंत्र वेद निंदक के विषय में ऐसा कह रहे हैं । वेद की आज्ञा धर्म का पालन है। धर्म  क्या है? सार्वजनिक पवित्र गुणों और कर्मों का धारण व सेवन करना धर्म है । स्वामी दयानंद के अनुसार धर्म की परिभाषा -जो पक्ष पात रहित न्याय सत्य का ग्रहण, असत्य का सर्वथा परित्याग रूप आचार है । उसी का नाम धर्म और उससे विपरीत का अधर्म है । साधारण भाषा में सत्य बोलना, ईश्वर की पूजा करना, शिष्टाचार, सदाचार यह धर्म है और चोरी, हत्या, असत्य भाषण, बलात्कार, अत्याचार आदि करना अधर्म है । अब मोमिन साहिब ही बताएं कि क्या चोरी, लूट-पाट, हत्या, बलात्कार, हिंसा आदि करने वाले को दंड नहीं मिलना चाहिए? अवश्य मिलना चाहिए ।  वेद यही तो कह रहा है। फिर भी आपके पेट में दर्द हो रहा है ।
🚩चलो एक अन्य तर्क देते हैं । वैदिक काल में कोई मत-मतान्तर, मज़हब आदि कुछ नहीं था । केवल वैदिक धर्म था । इसलिए इन वेद मन्त्रों को इस प्रकार से लेना कि वेदों में ये मुसलमानों के लिए है । केवल आपकी अज्ञानता है । वैदिक काल में इस्लाम ही नहीं था तो इस्लाम के मानने वालों पर अत्याचार की बात करना केवल ख्याली पुलाव है ।
🚩एक अन्य महत्वपूर्ण बात समझें । वेदों की शत्रु के नाश की आज्ञा किसके लिए हैं । वेदों की आज्ञा राजा, शासक, प्रशासन, न्यायाधीश के लिए हैं । वेद उन्हें अपने कर्त्तव्य निर्वाहन की आज्ञा दे रहा है । क्या भारतीय संविधान में आज किसी अपराधी को अपराध के लिए दंड देने, जेल भेजने, फांसी लगाने का विधान नहीं हैं? अवश्य है । तो क्या आप कभी यह कहते हैं कि हमारा संविधान हिंसा को बढ़ावा देता है ? नहीं । फिर वेदों पर यह आक्षेप लगाना क्या आपकी मूर्खता नहीं है ? इसी प्रकार से वेद गौहत्या करने वाले को सीसे की गोली से भेदने का आदेश देते हैं । पर यह सन्देश भी राजा या शासक के लिए हैं । गौ जैसे कल्याणकारी पशु के हत्यारे को राजा दण्डित करे । इस सन्देश में भला क्या गलत है ?
अब जरा मोमिन अपने घर भी झांक ले । एक कहावत है । जिनके घर शीशे के होते है। वो दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकते। आपकी क़ुरान की कुछ आयतों में खुदा की आज्ञा देखिये-
🚩और जब इरादा करते हैं हम ये कि हलाक़ अर्थात क़त्ल करें किसी बस्ती को, और हुकुम करते हैं हम दौलतमंदों को उसके कि, पस! नाफ़रमानी करते हैं, बीच उसके! बस। साबित हुई ऊपर उसके मात गिजब की, बस! हलाक करते हैं हम उनको हलाक करना ।
-कुरान मजीद सूरा 7, रुकू 2, आयत 6
इसकी अगली आयत देखिये-
और बहुत हलाक किये हैं हमने क्यों मबलगो ? तुम्हारा खुदा तो जब उसे किसी बस्ती के हलाक करने का शौक चढ़ आये तब उसमें रहने वाले दौलतमंदों को नाफ़रमानी करने का अर्थात आज्ञा न मानने वाले का हुक्म दे! या यूँ कहते हैं कि इसके इस हुक्म की तालीम करें कि नाफ़रमानी करो तो उन्हें और उनके साथ बस्ती में रहने वाले बेगुनाहों, मासूम बच्चों तक को अपना शौक पूरा करने के लिए हलाक अर्थात क़त्ल करें ।
🚩स्वयं की रक्षा करना और अपनी सामाजिक व्यवस्था की रक्षा करने का नियम सामान्य ईश्वरीय नियम है। यह संसार के हर जीव का अधिकार है। और क़ुरान सूरा माइदा आयत 45 में  क्या लिखा है। प्रमाण देखिये-
हमने उन लोगों के लिए यह हुकुम लिख दिया कि- जान के बदले जान, आंख के बदले आंख, नाक के बदले नाक, कान के बदले कान, दाँत के बदले दाँत और सब जख्मों का इसी तरह बदला हैं ।
🚩अब वेद ने शत्रु के संहार की अनुमति दे दी तो क्या गज़ब कर दिया । क्या कोई मुसलमान यह कहेगा कि अपनी रक्षा करना क्या कोई अपराध है ? नहीं । कोई समाज के नेक मनुष्यों को पीड़ित करें तो क्या उसे दण्डित न किया जाये ।

🚩अब इस लेख के सबसे महत्वपूर्ण भाग को पढ़ें । अगर एक मनुष्य उच्च चरित्र वाला हो, पूजा करने वाला हो, दानी हो, आस्तिक विचारों वाला हो, सब बुराइयों से बचा हुआ हो, ईश्वर को मानने वाला हो परन्तु किसी रसूल, किसी नबी, किसी पैग़म्बर, किसी मध्यस्थ, किसी संदेशवाहक, किसी मुख्तयार, किसी कारिंदा को न मानने वाला हो, तो क्या वह मनुष्य क़त्ल करने योग्य है? और जैसे भी, जहाँ भी मिले उसे मार दो, क़त्ल कर दो । क्या कोई व्यक्ति ईश्वर को छोड़कर किसी अन्य मध्यस्थ को न माने तो क्या वह क़त्ल के लायक है?  वेदों में अनेक मन्त्रद्रष्टा ऋषियों का वर्णन है। क्या कोई व्यक्ति केवल ईश्वर को मानता हो और सदाचारी जीवन व्यतीत करता हो पर किसी ऋषि को न मानता हो। क्या वह मारने योग्य है ? नहीं । जबकि क़ुरान के अनुसार वह काफ़िर है । इसलिए मारने योग्य है। इस विषय में क़ुरान क्या कहती हैं। देखिये-
🚩1. और क़त्ल कर दो यहां तक की न रहे बाकि फिसाद, यानि ग़लबा कफ़्फ़ार का। क़ुरान मजीद, सूरा अन्फाल,आयत 39
2. मुशिरकों को जहां पाओ, क़त्ल कर दो और पकड़ लो और घेर लो और हर घात की जगह पर उनकी ताक में बैठे रहो। - क़ुरान मजीद, सूरा तौबा,आयत 5
🚩3. ऐ नबी! मुसलमानों को कत्लेआम अर्थात जिहाद के लिए उभारों। - क़ुरान मजीद, सूरा अन्फाल,आयत 65
4. जब तुम काफिरों से भीड़ जाओ तब तुम उनकी गर्दनें उड़ा दो, यहां तक की जब उनकी खूब क़त्ल कर चुको , और जो जिन्दा पकड़े जायें, उनको मजबूती से कैद कर दो। - क़ुरान मजीद, सूरा मुहम्मद,आयत 4
🚩5. ऐ पैगम्बर१ काफिरों और मुनाफिकों से लड़ो और उन पर सख्ती करो, उनका ठिकाना दोज़ख है, और बहुत ही बुरी जगह हैं। - क़ुरान मजीद, सूरा तहरीम,आयत 9
🚩अब आप क्या कहेंगे मोमिन साहिब । इन आयतों में किसके क़त्ल की आज्ञा हैं । किसी डाकू-चोर, बलात्कारी को मारने की आज्ञा नहीं है । बल्कि कोई व्यक्ति चाहे कितना नेकदिल हो, कितने सत्कर्म करने वाला हो । उसे केवल मुहम्मद साहिब और रसूल पर विश्वास न लाने के कारण  मारने की बात करना क्या सही हैं? इसके विपरीत किसी आदमी में दुनिया की चाहे तमाम बुराइयां हो, उसका आचरण चाहे दुष्ट मनुष्य वाला हो । वह केवल पैगम्बर पर विश्वास लाने वाला हो । तो वह काफिर नहीं बल्कि मोमिन है । अब आप ही बताये दुनिया में किसी मज़हबी किताब में ऐसी बेइन्साफी, जुल्म, निरपराध का खून बहाने की आज्ञा होगी? हरगिज-हरगिज नहीं । दुनिया में इस्लाम और क़ुरान को छोड़कर ऐसा सन्देश कहीं नहीं है । पूरी क़ुरान ही ऐसी आज्ञाओं से भरी पड़ी हैं । जबकि इसके विपरीत वेदों की शिक्षाओं पर जरा ध्यान दो । वेद कहते हैं-
🚩1. हे मनुष्यों! तुम सब एक होकर चलो! एक होकर बोलो। तुम ज्ञानियों के मन एक प्रकार हो। तुम परस्पर इस प्रकार व्यवहार करो, जिस प्रकार तुमसे पूर्व पुरुष अच्छे ज्ञानवान, विद्वान, महात्मा करते हैं। -ऋग्वेद 10/191/2
🚩2. हे मनुष्यों तुम सब आपस में ऐसे प्रेम करो जैसे एक गौ अपने बछड़े से करती है। -अथर्ववेद 3/30/4
🚩3. हे मनुष्यों! तुम्हारे घरों में ये वेद  का ज्ञान दिया जाता है।   जिसके ज्ञान से विद्वान, परमात्मा लोग एक दूसरे से अलग नहीं होते। और न आपस में शत्रुता करते है। --अथर्ववेद 3/30/5
🚩4. न कोई बड़ा है, न छोटा है।  सब भाई भाई आपस में मिलकर आगे बढ़ो। -यजुर्वेद 36/18
https://www.facebook.com/288736371149169/posts/2470224063000378/
🚩वेदों की शिक्षा सकल मानव जाति के लिए है । क़ुरान में ऐसे शिक्षाओं का स्थान ही नहीं हैं । जो थोड़ी बहुत है । वो केवल अन्य मुसलमानों के लिए है । क़ुरान के इन्हीं संदेशों के कारण सभी जानते है कि पिछले 1200 वर्षों में इस पवित्र भारत भूमि पर मुस्लिम आक्रांताओं ने इस्लाम के नाम पर असंख्य अत्याचार किये। 1947 में देश के दो टुकड़े करने, एक करोड़ लोगों का विस्थापन करने, लाखों निरपराध स्त्रियों का बलात्कार करने, लाखों बच्चों को अनाथ करने और लाखों की हत्या करने के बाद भी मुसलमान कभी यह स्वीकार नहीं करते कि इस्लाम के नाम पर उन्होंने सदा अत्याचार किया हैं ।
🚩क्या इतिहास में लाखों हिन्दू मंदिरों को लूटना, तोड़ना, आग लगाना, उन्हें मस्जिद में तब्दील नहीं किया गया? इसके उलटे कुछ स्वयंभू मोमिन हिन्दुओं पर कट्टरवादी होने का दोष लगाते हैं । क्या आपने कभी सुना कि हिन्दुओं ने किसी इस्लामिक देश पर आक्रमण कर वहाँ के बाशिंदों के साथ ठीक वैसा ही व्यवहार किया जैसा मुसलमानों ने यहाँ के हिन्दुओं के साथ किया हैं ? नहीं । फिर भी मुस्लिम समाज यह अपेक्षा करता है कि लोग उसे शांतिप्रिय कौम के नाम से जाने । सभी मुसलमानों को हठ और दुराग्रह छोड़कर गम्भीरतापूर्वक इस विषय पर विचार करना चाहिए कि कत्लेआम वेद सिखाते हैं अथवा क़ुरान । -*आर्यवीर आर्य पूर्वनाम मुहम्मद अली
(शास्त्रार्थ महारथी अमर स्वामी जी के ट्रैक्ट जिहाद के नाम पर कत्लेआम नामक ट्रैक्ट पर आधारित)
🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻
🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk
🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt
🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf
🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX
🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG
🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

सच्चाई को जानिये सिख पंथ में अलगाववाद कैसे फैलाया गया ?

24 मार्च 2019
www.azaadbharat.org
🚩कुछ समय से हिंदूओं को आपस में तोड़ने के लिए दलित, सिख, जैन आदि हिंदू से अलग हैं, ऐसा कहा जा रहा है और कुछ लोग इसको मानने भी लगे हैं । वास्तव में सिख का मतलब होता है "जो गुरु की सिख (आज्ञा) माने" । बाकी सिख तो हिंदू ही होते हैं ।

सिख , हिन्दू नहीं होते हैं, इस फर्ज़ीवाड़े को सबसे पहले गढ़ने वाला मैक्स आर्थर मेकलीफ़ ( Max Arthur Macauliffe) था ।
🚩यह गुरुमुखी का विद्वान भी था जिसने Guru Granth Sahib का English translation भी किया था ।
Max Arthur Macauliffe जिसने सिख पंथ को एक धार्मिक संस्था का रूप दिया था के हिंदूइस्म के विषय में क्या विचार थे जरा ध्यान दें ।
🚩It (Hinduism) is like the boa constrictor of the Indian forests. When a petty enemy appears to worry it, it winds round its opponent, crushes it in its folds, and finally causes it to disappear in its capacious interior....Hinduism has embraced Sikhism in its folds; the still comparatively young religion is making a vigorous struggle for life, but its ultimate destruction is, it is apprehended, inevitable without State support.
🚩【 हिंदी अनुवाद - यह (हिंदू धर्म) भारतीय जंगलों का Boa Constrictor (उष्णकटिबंधीय अमेरिका का एक बड़ा और शक्तिशाली सर्प, कभी-कभी बीस या तीस फुट लंबा ) की तरह है । जब एक छोटा विरोधी इसकी चिंता करता प्रतीत होता है, तो यह अपने प्रतिद्वंद्वी के चारों ओर घूमता है, इसे अपने लपेटे में ले लेता है, और आखिरकार इसे अपने विशालता में गायब कर देता है .... हिंदू धर्म ने सिख धर्म को अपने लपेटे में लिया है; अभी भी तुलनात्मक रूप से यह युवा धर्म जीवन के लिए एक सशक्त संघर्ष कर रहा है, लेकिन इसका अंतिम विनाश यह है कि इसे राज्य समर्थन के बिना अपरिहार्य माना जाता है। 】
Max Arthur Macauliffe 1864 मे इंडियन सिविल सर्विसेज से पंजाब में आया था । 1882 में ये पंजाब का डिप्टी कमीशनर बना ।
🚩मेकलीफ़ वो पहला इंसान था जिसने सिख हिन्दू नहीं है इसकी परिकल्पना की थी । उसने देखा कि सिख एक मार्शल कौम है । इसलिए सिख आर्मी के लिए उपयुक्त है ।
इसलिए इन्होंने पंजाब में आर्मी की नौकरी में सिखों के लिए आरक्षण लागु कर दिया । जिसके परिणाम स्वरूप कोई भी राम कुमार सरकारी नौकरी नहीं पा सकता था पर वही राम कुमार दाड़ी मूछ और पगड़ी रखकर राम सिंह बनकर नौकरी पा सकता था । उस समय तक इसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाता था ।
🚩इसका नतीजा ये हुआ कि पंजाब में सिख population 1881 से 1891 के बीच 8.5% बढ़ी ।
1891 से 1901 के बीच 14% बढ़ी ।
1901 से 1911 के बीच 37% बढ़ी ।
1911 से 1921 के बीच 8% बढ़ी ।
🚩इनके पंजाबी के ट्यूटर थे Kahn Singh Nabha जिन्होंने 1889 मे "हम हिन्दू नहीं" नामक पुस्तक लिखी । जिसको Macauliffe जी ने फंड किया ।
1909 मे खुद Macauliffe साहब ने भी Sikh religion: Its Gurus, Sacred writings, and authors नामक पुस्तक लिखी । जिसकी भूमिका में इन्होंने ये भी बताया है कि किस तरह इन्होंने खालसा पूजा पद्यति आरम्भ की और सिखो के लिए आर्मी में अलग शपथ परम्परा की शुरुआत की ।
🚩इस समय तक गुरूद्वारे ( दरबार) महंतो और साधुओं की देखरेख मे होते थे । गुरूद्वारों के लिए महंतो और हिन्दु पुरोहित की जगह खालसा सिखों की प्रबंधक कमेटी का विचार भी इन्हीं का था । इन गुरूद्वारो से जुड़ी हुई जमीन और सम्पत्ति भी थी ।
1920 के शुरूआत से महंतो से गुरूद्वारो को छीनने का अकाली दल का सिलसिला चालू हुआ । इसके लिए महंतो पर तरह तरह के आरोप लगाकर( महिलाओ से दुष्कर्म, गलत कर्मकांड आदि) उन्हे बदनाम किया गया, जनता मे उनके खिलाफ छवि बनाई गयी ।
🚩सबसे पहले बाबे दी बेर गुरूद्वारा, सियालकोट जो एक महंत की विधवा की देखरेख में था, बलपूर्वक कब्जाया गया ।
फिर हरमंदिर साहिब ( स्वर्ण मंदिर) छीना गया । फिर गुरूद्वारा पंजा साहिब कब्जाया गया । इस कब्जे के विरोध में 5-6 हजार लोगों ने गुरूद्वारा घेर लिया जिन्हे पुलिस ने बलपूर्वक हटाया ।
🚩फिर गुरूद्वारा सच्चा सौदा, गुरूद्वारा तरन तारन साहिब आदि महंतो पर आरोप लगा पुलिस के सहयोग से कब्जाये गये ।
इन कब्जों के लिए महंतो को पीटा गया उनकी हत्या की गई । जिसके लिए बाकायदा बब्बर अकाली नामक दल का गठनकर मूवमेंट चलाया गया ।
🚩ननकाना साहिब गुरूद्वारे पर कब्जे का सबसे अधिक बड़ा खूनी इतिहास है । जिसमें दोनो के कई सैकड़ों लोग तक मारे गये ।
फिर गुरूद्वारा गंजसर नाभा और कई अन्य हिसंक तरीके एवं पुलिस के सहयोग से महंतो से छीने गये ।
🚩1925 में सिख गुरूद्वारा बिल पारित हुआ और कानून बना कर गुरूद्वारों के कब्जे खालसा सिखों को दिये गये । SGPC का गठन हुआ ।
फिर एक रेहता मर्यादा बनाई गई जो तय करती है कि कौन सिख है और कौन नहीं । जिसका पूर्णरूपेण उद्देश्य सिख से हिन्दू विघटन निकाला है ।
SGPC के तत्वावधान मे सिख इतिहास को नये सिरे से लिखा गया। हिन्दू परछाई को सिख मे से जितना हो सके अलग किया गया। नये नये हिन्दू ( खासकर ब्राह्मण) विलेन कैरेक्टर सिख इतिहास में घड़े गए।
🚩पंजाबी मे पारसी भाषा के शब्दो का अधिकधिक प्रयोग किया गया।  गंगू बामन और स्वर्ण मंदिर की नीव मुसलमान के हाथों रखवाना, जिसका इससे पहले कोई प्रमाण और इतिहास नही है, गढ़े गये और इनका प्रचार किया गया ।
गुरू गोविंद सिंह जी की वाणी दशम ग्रंथ मे चंडी दी वार और विचित्र नाटक को इसमे ब्राह्मणी मिलावट घोषित किया गया ।
🚩हकीकत राय, सति दास, मति दास, भाई दयाल आदि के बलिदानों को सिखों के बलिदान बताकर प्रचारित किया गया । जबकि इनके वंशज तो आज की तारीख मे भी हिन्दू है ।
बंदा बहादुर जिसका कि उस समय तक खालसा बनाकर विरोध किया गया और मुग़लों से मिलकर मिलकर उसे पकड़वाया गया था । SGPC आज उसे सिख हीरो के रूप में बताती है ।
🚩निर्मली अखाड़ा जोकि गुरू गोविंद सिंह जी का ही डाला हुआ है और संस्कृत एवं वेदांत के प्रचार प्रसार को समर्पित है हिन्दू विरोध की खातिर इस तक को SGPC ने सिख इतिहास से नकार दिया ।
गुरू नानक के पुत्र थे श्रीचंद जोकि अपने समय कै महानतम और प्रसिद्ध योगी थे ने उदासीन पंथ की स्थापना की थी ।
🚩गुरू राम राय जोकि गुरू हर राय के बड़े पुत्र थे ने देहरादून मे अपनी गद्दी स्थापित की । इनकी जगह इनके छोटे भाई कृष्ण राय ने पिता की गद्दी सम्भाली और अगले सिख गुरू कहलाये ।
ये सभी अखाड़े आज भी महंतो द्वारा संचालित है । समाज सेवा में अर्पित हैं ।
🚩आनंद मैरिज एक्ट पास कर सिखों के लिए अलग से विवाह पद्यति आरम्भ की गई । अन्यथा 1920 से पहले तक तो हिन्दू पुरोहित ही सिख घरों में विवाह आदि वैदिक संस्कार करवाने जाते थे ।
पर Max Arthur Macauliffe की नीति जिससे एक अलग खालसा सिख पंथ की नीव पड़ी की परिणति खालिस्तान आन्दोलन के रूप में सामने आई । बब्बर खालसा उग्रवादियों ने करीब 50000 हजार निरपराध हिन्दुओं की हत्या कर दी । अवसरवादी राजनीति के चलते इन हत्याओं को इस देश ने भुला दिया ।
🚩सिखों का धार्मिक ग्रन्थ है "गुरु ग्रन्थ साहिब" इसको आप उठाकर पढ़ेंगे और देखेंगे तो इसमें "हरी" शब्द 8 हज़ार से भी अधिक बार इस्तेमाल किया गया है, वहीं "राम" शब्द 2500 से अधिक बार, जबकि "वाहेगुरु" शब्द मात्र 17 बार गुरु ग्रन्थ साहिब को ही अब सिखों का गुरु माना जाता है, चूँकि सिख के आखिरी गुरु गोबिंद सिंह ने इसे ही आगे के लिए गुरु घोषित किया था ।
गोविन्द सिंह का तो नाम भी "गोविन्द है" और "सिंह" हिन्दू उपनाम है, जो सिख समूह के बनने से पहले से ही हिन्दू इस्तेमाल करते आये है ।
🚩खालिस्तानी वो लोग हैं जो श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में दर्ज हिंदुओं की बानी के बावजूद अपने ही धर्म ग्रन्थ को झुठला कर कहते हैं कि "यह वो राम , वो कृष्णा, वो जगदीश " नहीं हैं। अपने ही दसवें गुरु के लिखे चण्डी दी वार " चढ़ मैदान चण्डी महिषासुर नु मारे" को झुठलाते हैं। "देव शिवा वर मोहे इहे" को झुठलाते हैं। लाखों खालिस्तानी है आज, इनका पूरा गैंग सक्रिय है, कनाडा, ब्रिटेन जैसे देशों में तो इनका पूरा गैंग ही सक्रिय है, और पाकिस्तान से इनकी बड़ी मित्रता है।
https://www.facebook.com/288736371149169/posts/2451845464838238/
ये हिन्दुओ को गाली देते है । ये हिन्दुओ की ही संतान, इन सभी के पूर्वज हिन्दू ही थे, स्वयं नानक भी पैदा होते हुए हिन्दू थे ।
उनके पिता का नाम कालू चंद, (कालू, कल्याण मेहता) था ।
और ये खालिस्तानी हिन्दुओं को गाली देते है, इन खालिस्तानियों को औरंगजेब और पाकिस्तान प्यारा है ।
आईये इस अलगाववादी मानसिकता से बचें । एकता में ही शक्ति है । यह सन्देश स्मरण करें ।
🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻
🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk
🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt
🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf
🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX
🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG
🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Saturday, March 23, 2019

हिन्दू संस्कृति पर कैसे हो रहा है प्रहार, कवि ने लिखी कविता,जो हमें पढ़नी चाहिए

23 मार्च 2019
www.azaadbharat.org
🚩भारतीय संस्कृति अति प्राचीन और महान से भी महान है पर उसको तोड़ने के लिए अनेक दुष्ट शक्तियां लगी हुई हैं । सदियों से चारों तरफ से प्रहार किया जा रहा है । अभी हाल ही में, ईसाई मिशनरियां, विदेशी कंपनियां, इस्लामिक स्टेट, जिहाद, वामपंथी, सेकुलर, राष्ट्र विरोधी ताकतें आदि आदि संस्कृति को नष्ट करने में लगी हुई हैं, उसे रोकने के लिए हिंदू साधु-संत पुरजोर प्रयत्न कर रहे हैं, जनता में जागरूकता पैदा कर रहे हैं, उनके खिलाफ लोहा ले रहे हैं तो उन साधु-संतों के खिलाफ ही षड्यंत्र रचे जा रहे हैं ।

🚩जो भी हिंदू साधु-संत इन षड्यंत्रों के खिलाफ आवाज उठाता है उनको मीडिया द्वारा बदनाम किया जाता है फिर झूठे केस बनाकर जेल भेजा जाता है, कईयों की हत्या कर दी जाती है इससे आहत होकर कवि ने एक कविता लिखी है जो हर हिंदुस्तानी को पढ़नी चाहिए ।
🚩बहुत बन चुके हो मूर्ख, अब और मूर्ख ना बन ए हिन्दू।
संत हैं तो संस्कृति है, संत हैं सनातन धर्म के केंद्र बिन्दु।।
जब-जब किसी संत ने हिन्दुत्व को विख्यात किया।
तब-तब षड़यंत्र कर उन संत पर प्रतिघात किया।।
🚩ऐसी कितनी ही घटनाएँ, इतिहास में भरी पड़ी हैं ।
अब तो सबक लो, आन पड़ी फैसले की घड़ी है।।
संदेह करो तुम संतों पर, यही चाहते हैं षड़यंत्रकारी ।
मत करो संतों का अपमान, यह नहीं  होगी समझदारी।।
🚩महात्मा बुद्ध को जब हुआ आत्मज्ञान, धर्म का प्रचार किया।
स्थापना कर बौद्ध धर्म की, मानवता पर उपकार किया।।
आँख ना भाया जब षड़यंत्रकारियों को ये काम।
वेश्यागमन का इल्ज़ाम लगाकर करना चाहा उन्हें बदनाम।।
🚩ब्रह्मज्ञानी संत कबीरदास, जिनकी रचनाएँ ज्ञान का सागर।
धन्य हो गई मानवता, उनके द्वारा ये ब्रह्मज्ञान पाकर।।
षड़यंत्रकारियों को कैसी भाती, हिन्दू धर्म की ये ऊँचाई।
लगाकर इन पर झूठे इल्ज़ाम, फिर धर्म को क्षति पहुँचाई।।
🚩स्वामी विवेकानन्द ने 1893 में, हिन्दुत्व का डंका बजाया।
विश्व धर्म परिषद में, हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया।।
देखकर उन पर अत्याचार प्रताड़ना, धरती माता भी हिली।
अपने गुरू की समाधि के लिए, इन्हें एक गज जगह नहीं मिली।।
🚩1993 में संत आशाराम बापूजी ने, फिर इतिहास को दोहराया।
विश्व धर्म परिषद में, फिर हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया।।
करोड़ों को आध्यात्मिक ज्ञान दिया, चलाए हजारों बालसंस्कार।
मानवता की निस्वार्थ सेवा की, किया गरीबों का उद्धार।।
🚩धर्मांतरण का विरोध किया, जो ईसाई मिशनरियों को नहीं सुहाया।
तब रचा गहरा षड़यंत्र, उन पर बलात्कार का झूठा आरोप लगवाया।।
निस्वार्थ सेवा करने वाले, संत को भिजवा दिया जेल।
उम्रकैद की सजा दिलवा दी, रचा बहुत ही गहरा खेल।।
🚩पूर्ण ब्रह्मज्ञानी संत है बापूजी, इनके साधक भी परम विवेकी।
कानून का कर रहे सम्मान, न्यायव्यवस्था की नहीं की अनदेखी।।
बापूजी तो जेल में भी कैदियों का पुनः उद्धार कर रहे।
बहाकर अपने ज्ञान की गंगा, जेल को हरिद्वार कर रहे।।
- कवि सुरेंद्र कुमार
🚩कवि की बात सहीं है, सदियों से हिन्दू संस्कृति पर प्रहार हो रहा है और उसको रोकने के लिए जो भी साधु-संत आगे आये उनके ऊपर षड्यंत्र हुआ है, हम सभी को मिलकर उसका सामना करना चाहिए ।
🚩समाज व राष्ट्र में व्याप्त दोषों के मूल को देखा जाये तो सिवाय अज्ञान के उसका अन्य कोई कारण ही नहीं निकलेगा और अज्ञान तब तक बना ही रहता है जब तक कि किसी अनुभवनिष्ठ ज्ञानी महापुरुष का मार्गदर्शन लेकर लोग उसे सच्चाई से आचरण में नहीं उतारते ।
🚩समाज जब ऐसे किसी ज्ञानी संतपुरुष का शरण, सहारा लेने लगता है तब राष्ट्र, धर्म व संस्कृति को नष्ट करने के कुत्सित कार्यों में संलग्न असामाजिक तत्त्वों को अपने षड्यंत्रों का भंडाफोड़ हो जाने का एवं अपना अस्तित्व खतरे में पड़ने का भय होने लगता है, परिणामस्वरूप अपने कुकर्मों पर पर्दा डालने के लिए वे उस दीये को ही बुझाने के लिए नफरत, निन्दा, कुप्रचार, असत्य, अमर्यादित व अनर्गल आक्षेपों व टीका-टिप्पणियों की आँधियों को अपने हाथों में लेकर दौड़ पड़ते हैं, जो समाज में व्याप्त अज्ञानांधकार को नष्ट करने के लिए महापुरुषों द्वारा प्रज्जवलित हुआ था।
ये असामाजिक तत्त्व अपने विभिन्न षड्यंत्रों द्वारा संतों व महापुरुषों के भक्तों व सेवकों को भी गुमराह करने की कुचेष्टा करते हैं।
🚩एक के बाद एक निर्दोष हिन्दू साधु-संतों को बदनाम किया जा रहा है क्योंकि राष्ट्रविरोधी ताकतों द्वारा हिन्दू धर्म खत्म करने के लिए हिन्दू संस्कृति के आधार स्तंभ हिन्दू संतों को टारगेट किया जा रहा है, हिन्दुस्तानी अब इस षड्यंत्र को समझो और उसका विरोध करो तभी हिन्दू संस्कृति बच पाएगी ।
🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻
🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk
🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt
🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf
🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX
🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG
🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ