21 मार्च 2020
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🚩चीन से शुरू हुआ खतरनाक कोरोना वायरस अबतक 176 देशों में अपने पैर पसार चुका है। इस महामारी से निपटने के लिए सभी देश हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
🚩कोरोना वायरस की महामारी को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च 2020 को घोषित जनता कर्फ्यू (अपने-अपने घर में रहने की अपील की गई है।
● जनता फर्फ्यू से चीन में क्या हुआ?
🚩एक तरफ जहां ये महामारी दुनिया भर में ताडंव मचा रही है वहीं चीन ने इसके संक्रमण पर काबू पा लिया और अब अस्पताल से लोग घर जा रहे हैं पर कैसे पाया? इसका जवाब है लॉकडाउन। चीन ने उस साइकिल को तोड़ने की कोशिश की जिससे कोरोना फैलता है।
🚩WHO की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक एक संक्रमित मरीज करीब 2.6 लोगों को संक्रमित कर सकता है फिर इस संक्रमण के 10वें स्टेज पर करीब 5-6 दिन बाद 3500 लोग संक्रमित हो सकते हैं। चीन ने इस साइकिल को तोड़ने की कोशिश की। चीन में लॉकडाउन होना शुरू हो गया। बाजार बंद हो गए। फैक्ट्रियां बंद हो गईं। पब्लिक ट्रांस्पोर्ट बंद हो गए। लोगों ने खुद को घरों में बंद कर लिया कई दिनों तक सेल्फ क्वारंटाइन किया। इससे लोगों के संक्रमित होने की संभावना काफी ज्यादा कम हो गई। चीनी मीडिया के मुताबिक कोरोना से निपटने के लिए ये बहुत जरूरी है सभी देशों को ये उपाय अपनाने चाहिए।
🚩यही उपाय प्रधानमंत्री ने भारत मे अपनाने के लिए अपील की है उसमें हमें सहयोग करना चाहिए।
🚩दूसरा प्रधानमंत्री ने बताया है की शाम को 5 बजे 5 मिनट घण्टियाँ, थालियां आदि बजा कर ध्वनि करना है और जो लोग डॉक्टर, पुलिस आदि हमारी रक्षा के लिए लगे हैं उनको धन्यवाद देना है।
● घंटी बजाने के पीछे का वैज्ञानिक कारण
🚩मंदिर घर का हो या किसी धार्मिक स्थल का वहां घंटी तो होती ही है। इसके पीछे धार्मिक कारण तो है ही साथ में इसका हमारे जीवन पर साइंटिफिक असर भी होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा होता है, जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है। इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है।
🚩यही कारण है कि जिन जगहों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती रहती है, वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। इसी वजह से लोग अपने दरवाजों और खिड़कियों पर भी विंड चाइम्स लगवाते हैं, ताकि उसकी ध्वनि से नकारात्मक शक्तियां हटती रहें। नकारात्मकता हटने से समृद्धि के द्वार खुलते हैं।
● शंखनाद के वैज्ञानिक प्रभाव
🚩हिन्दू संस्कृति इतनी वैज्ञानिक है कि इसके हर कार्य के पीछे आध्यात्मिक के साथ वैज्ञानिक पहलु छिपा हुआ है। जिसको आज विज्ञान भी प्रणाम करता है। हिन्दू धर्म में प्रत्येक मांगलिक कार्य के अवसर पर शंख बजाना अत्यंत पवित्र और शुभ फलदायी माना जाता है। शंख बजाने के धार्मिक एवं आध्यात्मिक लाभ तो हैं ही साथ ही इसके अनेक वैज्ञानिक लाभ भी हैं, जो शंख बजाने वाले को अनायास ही प्राप्त हो जाते हैं और कहते हैं अगर दिन की शुरुआत शंख की मधुर आवाज़ से हो तो दिन बहुत अच्छा जाता है।
● शंख ध्वनि जीवाणु और कीटाणु रोधी
🚩1928 में बर्लिन विश्वविद्यालय में किए गए एक अनुसंधान के अनुसार शंख की ध्वनि जीवाणुओं-कीटाणुओं को नष्ट करने का सर्वोत्तम साधन है। शंखघोष गूँजने वाले स्थान पर दुष्टात्माएँ प्रवेश नहीं कर सकतीं। शंख में रखे जल में भी कीटाणुओं को नष्ट करने की अद्भुत शक्ति होती है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार शंख में रखा जल छिड़कने से वातावरण शुद्ध होता है।
● शंख से वातावरण शुद्धिकरण
🚩शंखनाद से व्यक्ति का शरीर एवं उसके आसपास का वातावरण शुद्ध होता है और मन में सतोगुण का संचार होता है, जिससे सकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं। इससे शंख बजाने वाले के मस्तिष्क का प्रसुप्त तंत्र जागृत होता है, जो उसके व्यक्तित्व विकास में अत्यंत सहायक होता है।
🚩देशी गाय के गोबर के कंडे में घी डालकर धुंआ करने पर भी हानिकारक बैक्टीरिया मर जाते हैं और वातावरण शुद्ध होता है।
🚩पीपल-तुलसी, बड़ और नीम भी वतावरण को शुद्ध रखता है और विषाणु पैदा नहीं होने देते हैं ।
● प्रणाम भी करने से आयु आरोग्य बढ़ता है।
🚩यह सब हमारे ऋषि-मुनियों ने पहले से ही बता दिया था पर हमें समझ में नहीं आ रहा था। आज कोरोना वायरस फैलने पर हमारी भारतीय संस्कृति पर गर्व हो रहा है और आज पूरी दुनिया नतमस्तक हो रही है अगर यही उपाय हम शुरू से करते रहते तो आज यह दुर्दशा नहीं होती ।
🚩अभी हमें हमारी संस्कृति तरफ शीघ्र लौट जाना चाहिए।
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🚩कोरोना वायरस की महामारी को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च 2020 को घोषित जनता कर्फ्यू (अपने-अपने घर में रहने की अपील की गई है।
● जनता फर्फ्यू से चीन में क्या हुआ?
🚩एक तरफ जहां ये महामारी दुनिया भर में ताडंव मचा रही है वहीं चीन ने इसके संक्रमण पर काबू पा लिया और अब अस्पताल से लोग घर जा रहे हैं पर कैसे पाया? इसका जवाब है लॉकडाउन। चीन ने उस साइकिल को तोड़ने की कोशिश की जिससे कोरोना फैलता है।
🚩WHO की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक एक संक्रमित मरीज करीब 2.6 लोगों को संक्रमित कर सकता है फिर इस संक्रमण के 10वें स्टेज पर करीब 5-6 दिन बाद 3500 लोग संक्रमित हो सकते हैं। चीन ने इस साइकिल को तोड़ने की कोशिश की। चीन में लॉकडाउन होना शुरू हो गया। बाजार बंद हो गए। फैक्ट्रियां बंद हो गईं। पब्लिक ट्रांस्पोर्ट बंद हो गए। लोगों ने खुद को घरों में बंद कर लिया कई दिनों तक सेल्फ क्वारंटाइन किया। इससे लोगों के संक्रमित होने की संभावना काफी ज्यादा कम हो गई। चीनी मीडिया के मुताबिक कोरोना से निपटने के लिए ये बहुत जरूरी है सभी देशों को ये उपाय अपनाने चाहिए।
🚩यही उपाय प्रधानमंत्री ने भारत मे अपनाने के लिए अपील की है उसमें हमें सहयोग करना चाहिए।
🚩दूसरा प्रधानमंत्री ने बताया है की शाम को 5 बजे 5 मिनट घण्टियाँ, थालियां आदि बजा कर ध्वनि करना है और जो लोग डॉक्टर, पुलिस आदि हमारी रक्षा के लिए लगे हैं उनको धन्यवाद देना है।
● घंटी बजाने के पीछे का वैज्ञानिक कारण
🚩मंदिर घर का हो या किसी धार्मिक स्थल का वहां घंटी तो होती ही है। इसके पीछे धार्मिक कारण तो है ही साथ में इसका हमारे जीवन पर साइंटिफिक असर भी होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा होता है, जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है। इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है।
🚩यही कारण है कि जिन जगहों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती रहती है, वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। इसी वजह से लोग अपने दरवाजों और खिड़कियों पर भी विंड चाइम्स लगवाते हैं, ताकि उसकी ध्वनि से नकारात्मक शक्तियां हटती रहें। नकारात्मकता हटने से समृद्धि के द्वार खुलते हैं।
● शंखनाद के वैज्ञानिक प्रभाव
🚩हिन्दू संस्कृति इतनी वैज्ञानिक है कि इसके हर कार्य के पीछे आध्यात्मिक के साथ वैज्ञानिक पहलु छिपा हुआ है। जिसको आज विज्ञान भी प्रणाम करता है। हिन्दू धर्म में प्रत्येक मांगलिक कार्य के अवसर पर शंख बजाना अत्यंत पवित्र और शुभ फलदायी माना जाता है। शंख बजाने के धार्मिक एवं आध्यात्मिक लाभ तो हैं ही साथ ही इसके अनेक वैज्ञानिक लाभ भी हैं, जो शंख बजाने वाले को अनायास ही प्राप्त हो जाते हैं और कहते हैं अगर दिन की शुरुआत शंख की मधुर आवाज़ से हो तो दिन बहुत अच्छा जाता है।
● शंख ध्वनि जीवाणु और कीटाणु रोधी
🚩1928 में बर्लिन विश्वविद्यालय में किए गए एक अनुसंधान के अनुसार शंख की ध्वनि जीवाणुओं-कीटाणुओं को नष्ट करने का सर्वोत्तम साधन है। शंखघोष गूँजने वाले स्थान पर दुष्टात्माएँ प्रवेश नहीं कर सकतीं। शंख में रखे जल में भी कीटाणुओं को नष्ट करने की अद्भुत शक्ति होती है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार शंख में रखा जल छिड़कने से वातावरण शुद्ध होता है।
● शंख से वातावरण शुद्धिकरण
🚩शंखनाद से व्यक्ति का शरीर एवं उसके आसपास का वातावरण शुद्ध होता है और मन में सतोगुण का संचार होता है, जिससे सकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं। इससे शंख बजाने वाले के मस्तिष्क का प्रसुप्त तंत्र जागृत होता है, जो उसके व्यक्तित्व विकास में अत्यंत सहायक होता है।
🚩देशी गाय के गोबर के कंडे में घी डालकर धुंआ करने पर भी हानिकारक बैक्टीरिया मर जाते हैं और वातावरण शुद्ध होता है।
🚩पीपल-तुलसी, बड़ और नीम भी वतावरण को शुद्ध रखता है और विषाणु पैदा नहीं होने देते हैं ।
● प्रणाम भी करने से आयु आरोग्य बढ़ता है।
🚩यह सब हमारे ऋषि-मुनियों ने पहले से ही बता दिया था पर हमें समझ में नहीं आ रहा था। आज कोरोना वायरस फैलने पर हमारी भारतीय संस्कृति पर गर्व हो रहा है और आज पूरी दुनिया नतमस्तक हो रही है अगर यही उपाय हम शुरू से करते रहते तो आज यह दुर्दशा नहीं होती ।
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