Monday, February 26, 2018

पलाश रंग से होली खेलने के जानिए अनेक फायदे और पाइये कालसर्प से मुक्ति

February 26, 2018

🚩होली का त्यौहार हास्य-विनोद करके छुपे हुए आनंद-स्वभाव को जगाने के लिए है लेकिन आजकल जो प्रचलन चल रहा है कि केमिकल रंगों से होली खेलना वो बहुत नुकसानदायक है । अगर पलाश के रंगों से होली खेलेंगे तो इतने फायदे होंगे कि आपको डॉक्टर की ज्यादा आवश्यकता ही नही पड़ेगी ।
Knowing how to play Holi with Palash colors gives many benefits
 and freedom from Kalsarpa

🚩पलाश को हिंदी में ढ़ाक, टेसू, बंगाली में पलाश, मराठी में पळस, गुजराती में केसूडा कहते है।
 इसके पत्त्तों से बनी पत्तलों पर भोजन करने से चाँदी – पात्र में किये भोजन तुल्य लाभ मिलते हैं ।

🚩कालसर्प योग से मुक्ति

🚩कालसर्प दोष बहुत भयंकर माना जाता है और ये करो, ये करो, इतना खर्चा करो, इतना जप करो, कई लोग इनको ठग लेते हैं । फिर भी कालसर्प योग से उनका पीछा नहीं छूटता। लेकिन ज्योतिष के अनुसार उनका कालसर्प योग नहीं रहता जिनके ऊपर केसुड़े (पलाश ) के रंग - होली के रंग  का फुँवारा लग जाता है। फिर कालसर्प योग से मुक्ति हो गई । कालसर्प योग के भय से पैसा खर्चना नहीं और अपने को ग्रह दोष है, कालसर्प है ऐसा मानकर डरना नहीं पलाश के रंग शरीर पर लगाओ जिससे काल कालसर्प योग चला जायेगा।

🚩पलाश से अनेक रोगों में मुक्ति

🚩‘लिंग पुराण’ में आता है कि पलाश की समिधा से ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र द्वारा 10 हजार आहुतियाँ दें तो सभी रोगों का शमन होता है ।

🚩पलाश के फूल : प्रेमह (मूत्रसंबंधी विकारों) में: पलाश-पुष्प का काढ़ा (50 मि.ली.) मिश्री मिलाकर पिलायें ।

🚩रतौंधी की प्रारम्भिक अवस्था में : फूलों का रस आँखों में डालने से लाभ होता है । आँखे आने पर (Conjunctivitis) फूलों के रस में शुद्ध शहद मिलाकर आँखों में आँजे ।

🚩वीर्यवान बालक की प्राप्ति : एक पलाश-पुष्प पीसकर, उसे दूध में मिला के गर्भवती माता को रोज पिलाने से बल-वीर्यवान संतान की प्राप्ति होती है ।

🚩पलाश के बीज : 3 से 6 ग्राम बीज-चूर्ण सुबह दूध के साथ तीन दिन तक दें | चौथे दिन सुबह 10 से 15 मि.ली. अरंडी का तेल गर्म दूध में मिलाकर पिलाने से कृमि निकल जायेंगे ।

🚩पत्ते : पलाश व बेल के सूखे पत्ते, गाय का घी व मिश्री समभाग मिला के धूप करने से बुद्धि की शुद्धि व वृद्धि होती है ।

🚩बवासीर में : पलाश के पत्तों की सब्जी घी व तेल में बनाकर दही के साथ खायें ।

🚩छाल : नाक, मल-मूत्र मार्ग या योनि द्वारा रक्तस्त्राव होता हो तो छाल का काढ़ा (50 मि.ली.) बनाकर ठंडा होने पर मिश्री मिला के पिलायें ।

🚩पलाश का गोंद : पलाश का 1 से 3 ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध या आँवला रस के साथ लेने से बल-वीर्य की वृद्धि होती है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं । यह गोंद गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व संग्रहणी में आराम मिलता है ।

🚩पलाश के फूलों से होली खेलने की परम्परा का फायदा बताते हुए हिन्दू संत आसाराम बापू कहते हैं कि ‘‘पलाश कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है। साथ ही रक्तसंचार में वृद्धि करता है एवं मांसपेशियों का स्वास्थ्य, मानसिक शक्ति व संकल्पशक्ति को बढ़ाता है। 

🚩रासायनिक रंगों से होली खेलने में प्रति व्यक्ति लगभग 35 से 300 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामूहिक प्राकृतिक-वैदिक होली में प्रति व्यक्ति लगभग 30 से 60 मि.ली. से कम पानी लगता है । 

🚩इस प्रकार देश की जल-सम्पदा की हजारों गुना बचत होती है । पलाश के फूलों का रंग बनाने के लिए उन्हें इकट्ठे करनेवाले आदिवासियों को रोजी-रोटी मिल जाती है ।
पलाश के फूलों से बने रंगों से होली खेलने से शरीर में गर्मी सहन करने की क्षमता बढ़ती है, मानसिक संतुलन बना रहता है । 

🚩इतना ही नहीं, पलाश के फूलों का रंग रक्त-संचार में वृद्धि करता है, मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के साथ-साथ मानसिक शक्ति व इच्छाशक्ति को बढ़ाता है । शरीर की सप्तधातुओं एवं सप्तरंगों का संतुलन करता है ।  स्त्रोत : संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित ऋषि प्रसाद

🚩आपको बता दें कि पलाश से वैदिक होली खेलने का अभियान हिन्दू संत आसाराम बापू ने शुरू किया था जिसके कारण केमिकल रंगों का और उससे फलने-फूलनेवाला अरबों रुपयों का दवाइयों का व्यापार प्रभावित हो रहा था।

🚩बापू आसारामजी के सामूहिक प्राकृतिक होली अभियान से शारीरिक मानसिक अनेक बीमारियों में लाभ होकर देश के अरबो रुपयों का स्वास्थ्य-खर्च बच रहा है । जिससे विदेशी कंपनियों को अरबो का घाटा हो रहा था इसलिए एक ये भी कारण है उनको फंसाने का । साथ ही उनके कार्यक्रमों में पानी की भी बचत हो रही है ।

🚩पर मीडिया ने तो ठेका लिया है समाज को गुमराह करने का।  5-6 हजार लीटर प्राकृतिक रंग (जो कि लाखों रुपयों का स्वास्थ्य व्यय बचाता है) के ऊपर बवाल मचाने वाली मीडिया को शराब, कोल्डड्रिंक्स उत्पादन तथा कत्लखानों में गोमांस के लिए प्रतिदिन हो रहे अरबों-खरबो लीटर पानी की बरबादी जरा भी समस्या नही लगती। ऐसा क्यों ???

🚩कुछ सालों से अगर गौर करें तो जब भी कोई हिन्दू त्यौहार नजदीक आता है तो दलाल मीडिया और भारत का तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग हमारे हिन्दू त्यौहारों में खोट निकालने लग जाता है ।

🚩जैसे दीपावली नजदीक आते ही छाती कूट कूट कर पटाखों से होने वाले प्रदूषण का रोना रोने वाली मीडिया को 31 दिसम्बर को आतिशबाजियों का प्रदूषण नही दिखता। आतिशबाजियों से क्या ऑक्सीजन पैदा होती है?

🚩जन्माष्टमी पर दही हांडी कार्यक्रम नही हो लेकिन  खून-खराबा वाला ताजिया पर आपत्ति नही है।

🚩ऐसे ही शिवरात्रि के पावन पर्व पर दूध की बर्बादी की दलीलें देने वाली मीडिया हजारों दुधारू गायों की हत्या पर मौन क्यों हो जाती है?

🚩अब होली आई है तो बिकाऊ मीडिया पानी बजत की दलीलें लेकर फिर उपस्थित होंगी । लेकिन पानी बचाना है तो साल में 364 दिन बचाओ पर पलाश की वैदिक होली अवश्य मनाओं । क्योंकि बदलना है तो अपना व्यवहार बदलो....त्यौहार नहीँ ।

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Sunday, February 25, 2018

हिन्दू संत आसाराम बापू के केस में हुआ सनसनीखेज खुलासा,जानिए क्यों भेजा गया जेल

February 25, 2018
गत 4 वर्ष 6 महीने से बिना सबूत जोधपुर जेल में बंद हिन्दू संत बापू आसारामजी का केस अब अपने अंतिम चरण पर है ।
अनुसूचित जाति जनजाति अदालत के पीठासीन अधिकारी मधुसुदन शर्मा आरएचजेएस की अदालत में हिन्दू संत आसारामजी बापू के केस की अंतिम बहस दिनांक 26.10.2017 से शुरू हो चुकी है ।
बचाव पक्ष (हिन्दू संत आसारामजी बापू के पक्ष) की तरफ से कई चौंकाने वाले तथ्य न्यायालय के सामने आ रहे हैं, जिनमें से कुछ मीडिया द्वारा भी प्रकाशित-प्रसारित हुए हैं । इससे बापू आसारामजी के खिलाफ विभिन्न स्तरों पर रचे गए षड्यंत्र की परतें स्पष्ट तौर पर उजागर हो रही हैं ।
Sensational disclosure in the case of Hindu
saint Asaram Bapu, know why sent jail

अभी तक अभियोजन पक्ष (लड़की की तरफ से) की तरफ से आसारामजी बापू के खिलाफ एक भी सबूत प्रकाश में नहीं आया है जबकि इसके विपरीत बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता सज्जनराज सुराणा द्वारा बापू को एक सुनियोजित षड़यंत्र के तहत फंसाए जाने की पुष्टि करने वाले एक से बढ़कर एक ऐसे आश्चर्यकारक तथ्य सामने आ रहे हैं कि जिसका अभियोजन पक्ष के पास कोई जवाब नहीं है ।
*सबसे बड़ा सनसनीखेज खुलासा जो सामने आया वो ये है कि लड़की कमरे में गई ही नहीं..*
अधिवक्ता सुराणा जी ने बताया कि लड़की ने रात 10:30 बजे का बापू आशारामजी पर छेड़छाड़ी का आरोप लगाया है लेकिन न्यायालय में 6 गवाह पेश हुए जिन्होंने बताया कि बापू आशारामजी रात को 9:00 बजे से 11:45 तक नीम के पेड़ के नीचे बैठे थे, उनके सामने 50-60 लोग और भी बैठे थे, वहां सत्संग के बाद पूना व सुमेरपुर के परिवार के बीच हुई सगाई के निमित्त झुलेलालजी की झाँकी निकाली गयी थी, जिसमें बापू आसारामजी भी उपस्थित थे और दोनों परिवारवालों को रात को 11:30 बजे आशीर्वाद दे रहे थे । उस सत्संग के समय के कई फोटोज भी हैं जो न्यायालय के सामने सन 2014 से हैं तथा उसमें उपस्थित परिवारवालों की गवाही भी न्यायालय में हो चुकी है ।वहाँ पर जो सिक्योरिटी गार्ड था वो भी इस बात का गवाह है ।
दूसरी ओर कॉल रिकॉर्ड से पता चला कि रातभर लड़की अपने मित्र (पुरुष) को मैसेज करती रही, न्यायालय में मनीषा नाम की महिला के बयान हुए, उसने बताया कि मैं उसके (लड़की)पास ही सोई थी और उसको बोला भी था कि सो जा लेकिन वो सो नही रही थी और अपने मित्र से मैसेज पर देर रात तक बातें करती रही ।
*संदिग्ध तरीके से दर्ज हुई एफ.आई.आर...*
https://youtu.be/FmVcGKwEE30
अभियोजन पक्ष द्वारा तथाकथित घटना 14 व 15 अगस्त 2013 की दरमियानी रात्रि की बतायी गयी । जोधपुर की इस तथाकथित घटना के संबंध में एफ.आई.आर. न जोधपुर, न शाहजहाँपुर और न ही छिंदवाडा बल्कि 600 कि.मी. दूर कमला नेहरु मार्केट पुलिस थाना, नई दिल्ली में करवाई गई ।
दिल्ली में 19 अगस्त की मध्यरात्रि 2:45 को दर्ज करायी गयी रिपोर्ट को अज्ञात कारणों से न्यायालय में दो दिन बाद 21 अगस्त को पेश किया गया । 20 अगस्त 2013 को लड़की के मैजिस्ट्रेट के सामने बयान होने के बावजूद FIR मैजिस्ट्रेट को नहीं दी गयी ।
*संदिग्ध तरीके से हेल्पलाइन रजिस्टर के कई पन्ने फाड़ दिये गये ।*
अभियोजन पक्ष ने इस रजिस्टर को न्यायालय में पेश भी नहीं किया था । बचाव पक्ष की माँग पर जब न्यायालय द्वारा रजिस्टर मँगवाया गया तब पन्ने हटाया गया रजिस्टर कमला मार्केट पुलिस स्टेशन, दिल्ली की ए.एस.आई. पुष्पलता द्वारा न्यायालय में पेश किया गया तथा इस बात को भी स्वीकार किया गया कि रजिस्टर के पन्ने फाड़कर निकाले हुए हैं ।
*एफ.आई.आर. की विडियो रिकॉर्डिंग गायब की गयी*
एफ.आई.आर. लिखते समय की गयी विडियोग्राफी की रिकॉर्डिंग, सी.डी. एवं अन्य संबंधित दस्तावेज न्यायालय में पेश नहीं किये गये तथा संबंधित गवाहों थाना प्रभारी प्रमोद जोशी व कान्स्टेबल पंकज को भी न्यायालय में पेश नहीं किया गया । संदेहास्पद तरीके से उस विडियोग्राफी को गायब कर दिया गया । ए.एस.आई. पुष्पलता ने न्यायालय में इस बात को स्वीकार भी किया है कि एफ.आई.आर. लिखते समय विडियोग्राफी की गयी थी किंतु उन्होंने उसे न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत नहीं किया ।
*ओरिजिनल एफ.आई.आर. को बदल डाला*
अधिवक्ता सुराणा जी ने बताया कि ओरिजिनल एफ.आई.आर.को बदल दिया गया, यहाँ तक कि एफ.आई.आर. पर लड़की के दस्तखत भी नहीं करवाये गए जो धारा 154 में अनिवार्य प्रावधान है । रजिस्टर के ऊपर लिखा रहता है कि ‘यह पढ़ लिया है और सही है’ (read over and accepted to be correct) । जब ऐसा कॉलम है तो फिर हस्ताक्षर क्यों नहीं करवाये गए ?
FIR व FIR की कार्बन कॉपी में भी अंतर पाया गया है । जिसका स्पष्टीकरण सम्बन्धित पुलिस कर्मी न्यायालय के सामने हुई अपनी गवाही में नहीं दे पाया है ।
*मेडिकल जाँच में मिली क्लीनचिट*
लोकनायक अस्पताल, दिल्ली की डॉ. शैलजा वर्मा एवं डॉ. राजेन्द्र कुमार ने लड़की की मेडिकल जाँच की थी । मेडिकल रिपोर्ट पूर्णतया नॉर्मल है । दोनों ही डॉक्टरों ने स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार का सेक्सुअल असॉल्ट (यौन-उत्पीड़न) अथवा फिजिकल असॉल्ट (शारीरिक उत्पीड़न) नहीं पाया गया । चोट का कोई निशान भी नहीं था । अनुसंधान अधिकारी चंचल मिश्रा से जिरह के दौरान जब यह पूछा गया कि चोट का निशान नहीं था तो मामला कैसे बना ? तो इसका उसके पास कोई जवाब नहीं था ।
*अनुसंधान अधिकारी भी नहीं थी निष्पक्ष*
न्यायालय में ऐसे कई तथ्य उजागर हुए जिन्हें पुलिस द्वारा दबाया गया था । अनुसंधान पक्षपातपूर्ण किया गया तथा बापू आसारामजी पर नाजायज धाराएँ लगायी गयी । अनुसंधान के दौरान जिन व्यक्तियों ने सत्य को उजागर किया उनके महत्त्वपूर्ण बयान अनुसंधान अधिकारी चंचल मिश्रा ने चार्जशीट में लगाये ही नहीं । चंचल मिश्रा ने अपनी गवाही में इस बात को स्वीकार किया है कि उन्होंने केस से संबंधित कई गवाहों के बयान आरोप-पत्र के साथ पेश नहीं किये हैं । बचाव पक्ष की तरफ से अनुसंधान अधिकारी चंचल मिश्रा से संबंधित एक दस्तावेज (EXD - 98) न्यायालय में पेश किया गया, जो विशिष्ट न्यायाधीश, सीकर (राज.) न्यायालय का फैसला है (NDPS Act, Case No. - 44/2012), जिसमें चंचल मिश्रा के लिए सीकर के न्यायाधीश महोदय ने कहा है कि चंचल मिश्रा अकर्मण्य ऑफिसर है, यह ट्रुथफुल ऑफिसर नहीं है और ऐसे ऑफिसर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाये ।
*पोक्सो एक्ट किस आधार पर*
जिस पोक्सो एक्ट के कारण पिछले साढ़े चार सालों से आसारामजी बापू को बेल तक नहीं मिल पाई,उस तथाकथित घटना के समय लड़की नाबालिग नहीं, बालिग थी । अधिवक्ता सज्जनराज सुराणा ने अपनी दलीलों को कोर्ट के सामने जारी रखते हुए कहा कि LIC policy फॉर्म को लड़की की माँ ने खुद स्वीकार किया है और उसने उसके पैसे भी उठाए हैं | LIC Policy के संबंध में लड़की की माँ ने उक्त दस्तावेजों में भरे गए सभी तथ्यों को सही होने का स्वीकार करते हुए उस पर तीन जगह हस्ताक्षर किये हैं जिसमें लड़की की उम्र 1.7.94 भरी गई है जिसके हिसाब से लड़की कथित घटना के समय 19 साल से अधिक की हो जाती है |
*50 करोड़ की फिरौती के लिए रचा गया षड्यंत्र..*
https://youtu.be/6O15CnZfwZQ
2008 में योग वेदान्त सेवा समिति अहमदाबाद को एक फैक्स भेजा गया था जिसमें अमृत प्रजापति व उसके साथियों के द्वारा ये कहा गया था कि 50 करोड़ रुपये दो वर्ना उसके परिणाम भुगतने के लिए तैयार हो जाओ । हम झूठी लड़कियां तैयार करेंगे, प्लांट करेंगे जिसके कारण तुम जिंदगी भर जेल में रहोगे कभी बाहर नहीं आ सकोगे ।
इस बात के लिए conspiracy वडोदरा (गुजरात) में की गई थी | जिसमें दीपक चौरसिया (इंडिया न्यूज़) भी शामिल था जो मीडिया के ऊपर प्रचार प्रसार कर रहा था, कर्मवीर (परिवादिया का पिता) भी शामिल था । इन सबका जो एक motive था, वो 50 करोड़ की ब्लैकमेलिंग का था । 50 करोड़ नहीं देने के कारण से मणाई गाँव का पूरा घटनाक्रम बनाया गया है ।
सत्य और तथ्य में बहुत बड़ा अंतर है । तथ्य सत्य को छुपा सकता है पर मिटा नहीं सकता ।
महात्मा बुद्ध ने कहा हैं - सत्य अकाट्य है । दोष इस पर हमला कर सकता है, अज्ञानता इसका उपहास उड़ा सकती है लेकिन अंत में सत्य ही रहता है।

Saturday, February 24, 2018

श्रीलंका में ईसाई पादरी करने गए थे धर्मान्तरण, हिन्दुओं ने ऐसा किया कि भाग खड़े हुए

February 24, 2018

भारत में ईसाई मिशनरियां दिन-रात लालच देकर धर्मान्तरण करवा रही हैं, हिन्दू संगठन उसको रोकने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन सफलता प्राप्त नही हो पा रही है पर श्रीलंका के हिंदुओं ने एक ऐसा कार्य किया कि वहाँ पहुँचकर ईसाई पादरी दंग रह गए और बिना धर्मान्तरण किये चुपचाप वहाँ से भाग गए ।

हाल ही में श्रीलंका के माणिक थोट्टम गांव में एक ईसाई पादरी अपने सहयोगियों के साथ गए थे । उन्होंने उस गांव में हिन्दुओं का धर्मांतरण करने के उद्देश्य से प्रवेश किया था । उनके वाहन में दिनदर्शिका, दैनंदिनी, भेंटवस्तुएं, अनाज आदि वस्तुएं भरी हुई थीं ।
In Sri Lanka the Christians went to the priest to convert,
the Hindus did it that ran

संयुक्त राष्ट्र संघ के श्रीलंका के सेवानिवृत्त अधिकारी श्री. मरवनपुलावु सच्चिदानंजी के नेतृत्व में गांव के हिन्दुओं ने लगभग 1 हजार घरोंपर फलक लगाकर यह संदेश लिखा था कि यह भगवान शिवजी की भूमि है । अतः कोई भी व्यक्ति धर्मांतर के उद्देश्य से इस गांव में प्रवेश न करें । इसके साथ ही हर घर के सामने भगवान नंदी का ध्वज खडा किया गया था ।

उस ईसाई पादरी ने इन फलकों को पढकर आसपास के लोगों से संपर्क कर वहां की स्थिति जान ली । उसके पश्‍चात वे अपनी सामग्री सहित वापस लौट गए । तब से इस गांव में किसी ने धर्मांतर के उद्देश्य से प्रवेश नहीं किया है ! गांव के एक नागरिक श्री. सिवानेसन् ने ऐसी जानकारी दी ।

गांव में लगाए गए सभी फलक एवं ध्वज मूलरूप से श्रीलंका के एक विदेशी व्यक्ति ने प्रायोजित किए थे ।
क्या भारत के हिन्दुत्वनिष्ठ संघटन और जन्महिन्दू श्रीलंका के धर्माभिमानी हिन्दुओं से कुछ सीख लेंगे ?  स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

आपको बता दे कि चीन की सरकार ईसाई मिशनरियों के प्रति बहुत सख्त हो गयी है। शांक्सी राज्य में चीन की सरकार ने वहां के मेगा चर्च को जिसमे 50,000 लोगों के बैठने की क्षमता थी, उसे उड़ा दिया है । कट्टरपंथी मिशनरियों के आतंक से परेशान होकर ही चीन ने ये फैसला किया है और जो लोग विरोध कर रहे थे उन्हें जेलों में ठूस दिया है ।
चीनी सरकार का कहना है कि ये चर्च विदेशी पैसा ले रहा था जिससे चीन में धर्मांतरण का खेल चलाया जा रहा था । चीनी सरकार का ये भी कहना है कि अन्य चर्चों पर भी उसकी नजर है और जहाँ पर भी धर्मांतरण और राष्ट्रविरोध का खेल चलेगा, वहां भी यही कार्यवाही की जाएगी, राष्ट्रविरोधियों को गिरफ्तार किया जायेगा और चर्च को उड़ा दिया जायेगा ।

 जब विदेशों में ईसाई मिशनरियों पर सरकार इतनी सख्त है तो फिर भारत मे क्यो नही?

 भारत में तो ईसाई मिशनरियां खुल्ला धर्मान्तरण करवा रही है, हिन्दू देवी-देवताओं को गालियां बोल रही है, हिन्दू साधु-संतों को जेल में भिजवा रही है, कान्वेंट स्कूलों में भारत माता की जय बोलने को मना कर रही है, मेहंदी नही लगाने देती, हिन्दू त्यौहार मनाने को मना करते है, यहाँ तक कि हिन्दू त्यौहारों पर छुट्टियां भी नही दी जाती हैं और भारत माता की जय बोलने और हिन्दू त्यौहार मनाने पर उनको स्कूल से बाहर किया जाता है फिर भी सरकार उनपर कोई कार्यवाही नही करती है ।

 मीडिया में भी ईसाई मिशनरियों का भारी फंडिग रहता है इसलिए मीडिया चर्च के पादरी कितने भी दुष्कर्म करें, उनके खिलाफ नही दिखाती जबकि कोई हिन्दू साधु-संत पर झूठा आरोप भी लग जाता है तो उसपर 24 घण्टे खबरें चलाती है।

 यहां कितने भी हिन्दू मन्दिर तोड़ दिए जाएं मीडिया को कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन एक भी चर्च तोड़ दिया तो हल्ला मचा देती है । चीन आदि देशों में ऐसी दुर्दशा नही है केवल भारत में ही है और उसका मुख्य कारण है कि हमारे नेता वोटबैंक की लालच में ईमानदारी से अपना कर्तव्य पालन नहीं करते ।


अभी भी #सरकार और #जनता को #सतर्क #रहना #चाहिए जो भी #धर्मांतरण या #देशविरोधी #कार्य #करता है उसके #खिलाफ सख्त #कार्यवाही #करनी #चाहिए तभी देश की संस्कृति टिकेगी नही तो देश की संस्कृति को खतरा है ।

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Friday, February 23, 2018

पर्यावरण बचाने के लिए 85 सालों से जला रहे हैं कंडों की होली, जानिए कंडों के अद्भुत फायदे

February 23, 2018

🚩भारत में 1 मार्च को होली मनाई जायेगी उस दिन शाम को करीब हर नगर, गांव में होलिका दहन होता ही है, अधिकतर जगहों पर होली लकड़ियों से जलाते हैं लेकिन उनको पता नही है कि लकड़ियों से होली जलाना कितना हानिकारक होता है वहीं दूसरी ओर गाय के गोबर के कंडों से होली जलाने से अनेक अद्भुत फायदे होते हैं, इसलिए आप इस बार से हर साल गाय के गोबर के कंडो से ही होली जलाये ।
Burning for 85 years to save the environment,
Holi of Kandon, know the wonderful benefits of cans

🚩आपको बता दें कि ग्वालियर में पर्यावरण को बचाने के लिए नागरिक प्राचीन काल से ही जागरूक हैं। ग्वालियर में पिछले 85 साल से कंडों की होली जलाई जा रही है। कंडों की होली जलाने से एक ओर जहां पर्यावरण सुरक्षित रह रहा है। साथ ही कंडों की होली जलाने से पशुपालकों को भी आर्थिक लाभ मिलता है, जिससे वह पशुओं का बेहतर ढंग से रखरखाव कर पाते हैं।

🚩ग्वालियर शहर में सबसे बड़ी होली सर्राफा बाजार में जलाई जाती है। इस होली में एक बार में 10 हजार से अधिक कंडों का उपयोग होता है।  35 साल पहले शुरू हुई इस पहल में जल्द ही पूरे सराफा बाजार के व्यापारी जुड़ गए। इसी प्रकार दौलतगंज में भी लगभग 85 साल पहले से कंडों की होली जलाई जाती है। इसी प्रकार एक सदी के लगभग अचलेश्वर महादेव पर भी कंडों की होली जलाई जा रही है। साथ ही दौलतगंज, नयाबाजार, लोहिया बाजार, दालबाजार आदि स्थानों पर भी होली में कंडों का उपयोग किया जाता है।

🚩गौरतलब है कि केवल ग्वालियर ही नही बल्कि देश के अनेक जगहों पर गोबर के कंडो से होली जलाई जाती है ।

🚩इंदौर के युवाओं की शानदार पहल

🚩मध्यप्रदेश इंदौर के युवाओं ने पिछले साल से गाय के गोबर के कंडो से होली जलाने की शुरुआत की थी ।

🚩इंदौर (मध्य प्रदेश) में छोटी-बड़ी करीब 20 हजार से ज्यादा होलियां जलती है, इस दिन यदि लकड़ियों के बजाय गोबर के कंडों की होली जलाई जाए तो शहर की 150 गौशालाओं में पल रही लगभग 50 हजार गाए अपना सालभर का खर्च खुद निकाल लेती हैं ।

🚩पिछले साल से इंदौर के 50 व्यापारियों और कारोबारियों ने मिलकर ऐसी पहल की है, जिसमें सीख बाद में, फायदे का सौदा पहले हैं । दो साल के ट्रायल में नफा-नुकसान को कसौटी पर परखने के बाद अब वे घर, बाजार, मंडी, दफ्तरों में जाकर इसका गणित समझा रहे हैं । मध्यप्रदेश गौपालन एवं पशुसंवर्धन बोर्ड ने भी इसे तकनीकी रूप से सही ठहराया है।

🚩कंडे और होली का बहीखाता

🚩इंदौर की 30 किमी की सीमा में छोटी-बड़ी 150 गौशालाएं हैं, जिनमें लगभग 50 हजार गाएं हैं। जबकि प्रदेश में अनुदान प्राप्त 664 गौशालाएं हैं। इनमें लगभग 1 लाख 20 हजार गाएं रहती हैं।

🚩एक गाय रोज 10 किलो गोबर देती है। इस तरह इंदौर सहित प्रदेशभर में रोज 12 लाख किलो गोबर निकलता है। 10 किलो गोबर को सुखाकर 5 कंडे बनाए जा सकते हैं।

🚩होली पर इंदौर में 15-20 लाख कंडों की जरूरत होती है, जिसके पर्याप्त इंतजाम हैं।

🚩गोबर से गाय अपना खर्च कैसे निकालेगी? 

🚩शुरू से अभियान से जुड़े कारोबारी मनोज तिवारी, राजेश गुप्ता और गोपाल अग्रवाल ने पिछले साल बताया था कि एक कंडे की कीमत 10 रुपए है। इसमें 2 रुपए कंडे बनाने वाले को, 2 रुपए ट्रांसपोर्टर को और 6 रुपए गौशाला को मिलेंगे। यदि शहर में होली पर 20 लाख कंडे भी जलाए जाते हैं तो 2 करोड़ रुपए कमाए जा सकते हैं। औसतन एक गौशाला के हिस्से में बगैर किसी अनुदान के 13 लाख रुपए तक आ जाएंगे। लकड़ी की तुलना में लोगों को कंडे सस्ते भी पड़ेंगे। गौ सेवा से जुड़े अखिल भारतीय गो सेवा प्रमुख शंकरलाल जी ने कहा था कि यह अभियान कोलकाता के कुछ हिस्सों में शुरू हुआ था, लेकिन बड़े पैमाने पर हो तो इसका व्यापक असर देखा जा सकता है।

🚩आपको बता दें कि केवल 2 किलो सूखा गोबर जलाने से 300 ग्राम ऑक्सीजन निकलती है । #एक गाय रोज 10 किलो गोबर देती है। इसकी राख से 60 फीसदी यानी 300 ग्राम ऑक्सीजन निकलती है। वैज्ञानिकों ने शोध किया है कि गाय के एक कंडे में गाय का घी डालकर धुंआ करते हैं तो एक टन ऑक्सीजन बनता है ।

🚩कंडे की होली और गोबर खाद खरीदकर समाज में गौशालाओं को स्वाबलंबी बनाया जा सकता है। 

🚩गौमाता हमारे लिए कितनी उपयोगी है जानने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें ।


🚩भारत में प्रतिदिन लगभग 50 हजार गायें बड़ी बेरहमी से काटी जा रही हैं । 1947 में गोवंश की जहाँ 60 नस्लें थी, वहीं आज उनकी संख्या घटकर 33 ही रह गयी है । हमारी अर्थव्यवस्था का आधार गाय है और जब तक यह बात हमारी समझ में नहीं आयेगी तबतक भारत की गरीबी मिटनेवाली नहीं है । गोमांस विक्रय जैसे जघन्य पाप के द्वारा दरिद्रता हटेगी नहीं बल्कि बढ़ती चली जायेगी । गौवध को रोकें और गोपालन कर #गोमूत्ररूपी विषरहित कीटनाशक तथा दुग्ध का प्रयोग करें । गोवंश का संवर्धन कर देश को मजबूत करें । #भारतीय गायों के मूत्र में पूरी दुनियाँ की गायों से ज्यादा रोगप्रतिरोधक शक्ति है । ब्राजील और मेक्सिको में भारत के गोवंशों को आदर्श माना जाता है । वे भारतीय गोवंश का आयात कर इनसे लाभान्वित हो रहे हैं । 

🚩आपने देखा कि केवल गौ माता के गोबर से ही गौ-पालन हो जाता है और #गाय के #दूध एवं #मूत्र  में #सुवर्णक्षार पाएं गये हैं जो मनुष्य के #स्वास्थ्य में चार चांद लगा देते हैं ।

🚩अगर परम उपयोगी #गौ-माता का पालन #सरकार नही करती तो आप ही करें ,औरों को भी प्रेरित करें एवं ग्वालियर और  इंदौर के युवाओं की तरह आप भी अपने गाँव-नगर में कंडो से ही होली जलाएं ।

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