February 23, 2018
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भारत में 1 मार्च को होली मनाई जायेगी उस दिन शाम को करीब हर नगर, गांव में होलिका दहन होता ही है, अधिकतर जगहों पर होली लकड़ियों से जलाते हैं लेकिन उनको पता नही है कि लकड़ियों से होली जलाना कितना हानिकारक होता है वहीं दूसरी ओर गाय के गोबर के कंडों से होली जलाने से अनेक अद्भुत फायदे होते हैं, इसलिए आप इस बार से हर साल गाय के गोबर के कंडो से ही होली जलाये ।
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Burning for 85 years to save the environment,
Holi of Kandon, know the wonderful benefits of cans |
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आपको बता दें कि ग्वालियर में पर्यावरण को बचाने के लिए नागरिक प्राचीन काल से ही जागरूक हैं। ग्वालियर में पिछले 85 साल से कंडों की होली जलाई जा रही है। कंडों की होली जलाने से एक ओर जहां पर्यावरण सुरक्षित रह रहा है। साथ ही कंडों की होली जलाने से पशुपालकों को भी आर्थिक लाभ मिलता है, जिससे वह पशुओं का बेहतर ढंग से रखरखाव कर पाते हैं।
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ग्वालियर शहर में सबसे बड़ी होली सर्राफा बाजार में जलाई जाती है। इस होली में एक बार में 10 हजार से अधिक कंडों का उपयोग होता है। 35 साल पहले शुरू हुई इस पहल में जल्द ही पूरे सराफा बाजार के व्यापारी जुड़ गए। इसी प्रकार दौलतगंज में भी लगभग 85 साल पहले से कंडों की होली जलाई जाती है। इसी प्रकार एक सदी के लगभग अचलेश्वर महादेव पर भी कंडों की होली जलाई जा रही है। साथ ही दौलतगंज, नयाबाजार, लोहिया बाजार, दालबाजार आदि स्थानों पर भी होली में कंडों का उपयोग किया जाता है।
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गौरतलब है कि केवल ग्वालियर ही नही बल्कि देश के अनेक जगहों पर गोबर के कंडो से होली जलाई जाती है ।
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इंदौर के युवाओं की शानदार पहल
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मध्यप्रदेश इंदौर के युवाओं ने पिछले साल से गाय के गोबर के कंडो से होली जलाने की शुरुआत की थी ।
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इंदौर (मध्य प्रदेश) में छोटी-बड़ी करीब 20 हजार से ज्यादा होलियां जलती है, इस दिन यदि लकड़ियों के बजाय गोबर के कंडों की होली जलाई जाए तो शहर की 150 गौशालाओं में पल रही लगभग 50 हजार गाए अपना सालभर का खर्च खुद निकाल लेती हैं ।
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पिछले साल से इंदौर के 50 व्यापारियों और कारोबारियों ने मिलकर ऐसी पहल की है, जिसमें सीख बाद में, फायदे का सौदा पहले हैं । दो साल के ट्रायल में नफा-नुकसान को कसौटी पर परखने के बाद अब वे घर, बाजार, मंडी, दफ्तरों में जाकर इसका गणित समझा रहे हैं । मध्यप्रदेश गौपालन एवं पशुसंवर्धन बोर्ड ने भी इसे तकनीकी रूप से सही ठहराया है।
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कंडे और होली का बहीखाता
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इंदौर की 30 किमी की सीमा में छोटी-बड़ी 150 गौशालाएं हैं, जिनमें लगभग 50 हजार गाएं हैं। जबकि प्रदेश में अनुदान प्राप्त 664 गौशालाएं हैं। इनमें लगभग 1 लाख 20 हजार गाएं रहती हैं।
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एक गाय रोज 10 किलो गोबर देती है। इस तरह इंदौर सहित प्रदेशभर में रोज 12 लाख किलो गोबर निकलता है। 10 किलो गोबर को सुखाकर 5 कंडे बनाए जा सकते हैं।
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होली पर इंदौर में 15-20 लाख कंडों की जरूरत होती है, जिसके पर्याप्त इंतजाम हैं।
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गोबर से गाय अपना खर्च कैसे निकालेगी?
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शुरू से अभियान से जुड़े कारोबारी मनोज तिवारी, राजेश गुप्ता और गोपाल अग्रवाल ने पिछले साल बताया था कि एक कंडे की कीमत 10 रुपए है। इसमें 2 रुपए कंडे बनाने वाले को, 2 रुपए ट्रांसपोर्टर को और 6 रुपए गौशाला को मिलेंगे। यदि शहर में होली पर 20 लाख कंडे भी जलाए जाते हैं तो 2 करोड़ रुपए कमाए जा सकते हैं। औसतन एक गौशाला के हिस्से में बगैर किसी अनुदान के 13 लाख रुपए तक आ जाएंगे। लकड़ी की तुलना में लोगों को कंडे सस्ते भी पड़ेंगे। गौ सेवा से जुड़े अखिल भारतीय गो सेवा प्रमुख शंकरलाल जी ने कहा था कि यह अभियान कोलकाता के कुछ हिस्सों में शुरू हुआ था, लेकिन बड़े पैमाने पर हो तो इसका व्यापक असर देखा जा सकता है।
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आपको बता दें कि केवल 2 किलो सूखा गोबर जलाने से 300 ग्राम ऑक्सीजन निकलती है । #एक गाय रोज 10 किलो गोबर देती है। इसकी राख से 60 फीसदी यानी 300 ग्राम ऑक्सीजन निकलती है। वैज्ञानिकों ने शोध किया है कि गाय के एक कंडे में गाय का घी डालकर धुंआ करते हैं तो एक टन ऑक्सीजन बनता है ।
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कंडे की होली और गोबर खाद खरीदकर समाज में गौशालाओं को स्वाबलंबी बनाया जा सकता है।
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गौमाता हमारे लिए कितनी उपयोगी है जानने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें ।
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भारत में प्रतिदिन लगभग 50 हजार गायें बड़ी बेरहमी से काटी जा रही हैं । 1947 में गोवंश की जहाँ 60 नस्लें थी, वहीं आज उनकी संख्या घटकर 33 ही रह गयी है । हमारी अर्थव्यवस्था का आधार गाय है और जब तक यह बात हमारी समझ में नहीं आयेगी तबतक भारत की गरीबी मिटनेवाली नहीं है । गोमांस विक्रय जैसे जघन्य पाप के द्वारा दरिद्रता हटेगी नहीं बल्कि बढ़ती चली जायेगी । गौवध को रोकें और गोपालन कर #गोमूत्ररूपी विषरहित कीटनाशक तथा दुग्ध का प्रयोग करें । गोवंश का संवर्धन कर देश को मजबूत करें । #भारतीय गायों के मूत्र में पूरी दुनियाँ की गायों से ज्यादा रोगप्रतिरोधक शक्ति है । ब्राजील और मेक्सिको में भारत के गोवंशों को आदर्श माना जाता है । वे भारतीय गोवंश का आयात कर इनसे लाभान्वित हो रहे हैं ।
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आपने देखा कि केवल गौ माता के गोबर से ही गौ-पालन हो जाता है और #गाय के #दूध एवं #मूत्र में #सुवर्णक्षार पाएं गये हैं जो मनुष्य के #स्वास्थ्य में चार चांद लगा देते हैं ।
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अगर परम उपयोगी #गौ-माता का पालन #सरकार नही करती तो आप ही करें ,औरों को भी प्रेरित करें एवं ग्वालियर और इंदौर के युवाओं की तरह आप भी अपने गाँव-नगर में कंडो से ही होली जलाएं ।
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