February 8, 2018
भारत में हिन्दुओं के करीब 40 त्यौहार हैं, लेकिन उसमें एक भी त्यौहार में व्यभिचार करना, नशा करना, मांस खाना नही है, भारत के हर त्यौहार की विशेषता मनुष्यों को उन्नत करने के लिए है। लेकिन विदेशी कम्पनियों ने अपना व्यापार बढ़ाने के लिए पाश्चात्य संस्कृति का विदेशी त्यौहार परोसा जिसके कारण आज के युवक-युवतियां वेलेंनटाइन डे मनाकर अपनी मानसिक, शारीरिक, आर्थिक बर्बादी कर रहे हैं ।
On the occasion of Valentine's Day celebrations by the young men, the poet wrote a poem |
नासमझ युवक-युवतियों के लिए एक कवि ने प्रेरणादायक कविता लिखी है जो हर भारतवासी को समझने जैसी है...
घोर कलयुग में जब, वैलेंटाइन्स डे का प्रभाव बढ़ा।
युवक युवतियां हुए कामांध, तामसी स्वभाव बढ़ा।।
पश्चिमी सभ्यता के अंधानुकरण से, मानव मूल्यों का ह्रास हुआ।
हिन्दू धर्म को तोड़ने हेतु, हर सम्भव प्रयास हुआ।।
माता पिता की इज्जत भूले, बच्चे हुए इतने बेशर्म।
माता पिता को दुत्कार दिया, भेज दिया वर्द्धाश्रम।।
सन्त आशारामजी बापू, नहीं देख सके समाज को यू बेबस।
समाज में जागृति हेतु, शुरू किया 'मातृ पितृ पूजन दिवस'।।
माता पिता है हमारे प्रथम गुरु, माता पिता है हमारे भगवान।
इनके उपकार कैसे चुकाओगे, चाहे दे दो अपनी जान।।
माता पिता की चरण वंदना से, गणेश प्रथम पूज्य भगवान बनें।
माता पिता की निष्काम सेवा से, श्रवण कुमार महान बनें।।
धन्यवाद आशारामजी बापू को, महान ये काम किया।
माता पिता की महानता समझायी, घर को चार धाम किया।।
इसके होंगे दूरगामी परिणाम, मानव मूल्यों का विकास होगा।
माता पिता की इज्जत होगी, वर्द्धाश्रम से निकास होगा।।
गौरतलब है कि पाश्चात्य सभ्यता की गन्दगी से युवावर्ग का चारित्रिक पतन होते देखकर हिन्दू संत आसाराम बापू ने 2006 से वैलेंटाइन डे की जगह "मातृ-पितृ पूजन दिवस" का आवाहन कर समाज को दी एक अनोखी दिशा दी । इस विश्वव्यापी अभियान से लाखों युवावर्ग पतन से बचे हैं एवं उनके जीवन में संयम व सदाचार के पुष्प खिले हैं ।
मातृ-पितृ पूजन से पढ़ाई में आएंगे अच्छे परिणाम
माता-पिता के पूजने से अच्छी पढाई का क्या संबंध-ऐसा सोचने वालों को अमेरिका की ʹयूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनियाʹ के सर्जन व क्लिनिकल असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सू किम और ʹचिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल ऑफ फिलाडेल्फिया, पेंसिल्वेनियाʹ के एटर्नी एवं इमिग्रेशन स्पेशलिस्ट जेन किम के शोधपत्र के निष्कर्ष पर ध्यान देना चाहिए। अमेरिका में एशियन मूल के विद्यार्थी क्यों पढ़ाई में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करते हैं ? इस विषय पर शोध करते हुए उऩ्होंने यह पाया कि वे अपने बड़ों का आदर करते हैं और माता-पिता की आज्ञा का पालन करते हैं तथा उज्जवल भविष्य-निर्माण के लिए गम्भीरता से श्रेष्ठ परिणाम पाने के लिए अध्ययन करते हैं। भारतीय संस्कृति के शास्त्रों और संतों में श्रद्धा न रखने वालों को भी अब उनकी इस बात को स्वीकार करके पाश्चात्य विद्यार्थियों को सिखाना पड़ता है कि माता-पिता का आदर करने वाले विद्यार्थी पढ़ाई में श्रेष्ठ परिणाम पा सकते हैं।
जो विद्यार्थी माता-पिता का आदर करेंगे वे ʹवेलेन्टाइन डे ʹमनाकर अपना चरित्र भ्रष्ट नहीं कर सकते। संयम से उनके ब्रह्मचर्य की रक्षा होने से उनकी बुद्धिशक्ति विकसित होगी, जिससे उनकी पढ़ाई के परिणाम अच्छे आयेंगे।
देश का भविष्य उज्ज्वल बनाना है तो हर विद्यार्थियों को वेलेंटाइन डे का त्याग करके मातृ-पितृ पूजन मनाना चाहिए ।
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