Sunday, February 25, 2018

हिन्दू संत आसाराम बापू के केस में हुआ सनसनीखेज खुलासा,जानिए क्यों भेजा गया जेल

February 25, 2018
गत 4 वर्ष 6 महीने से बिना सबूत जोधपुर जेल में बंद हिन्दू संत बापू आसारामजी का केस अब अपने अंतिम चरण पर है ।
अनुसूचित जाति जनजाति अदालत के पीठासीन अधिकारी मधुसुदन शर्मा आरएचजेएस की अदालत में हिन्दू संत आसारामजी बापू के केस की अंतिम बहस दिनांक 26.10.2017 से शुरू हो चुकी है ।
बचाव पक्ष (हिन्दू संत आसारामजी बापू के पक्ष) की तरफ से कई चौंकाने वाले तथ्य न्यायालय के सामने आ रहे हैं, जिनमें से कुछ मीडिया द्वारा भी प्रकाशित-प्रसारित हुए हैं । इससे बापू आसारामजी के खिलाफ विभिन्न स्तरों पर रचे गए षड्यंत्र की परतें स्पष्ट तौर पर उजागर हो रही हैं ।
Sensational disclosure in the case of Hindu
saint Asaram Bapu, know why sent jail

अभी तक अभियोजन पक्ष (लड़की की तरफ से) की तरफ से आसारामजी बापू के खिलाफ एक भी सबूत प्रकाश में नहीं आया है जबकि इसके विपरीत बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता सज्जनराज सुराणा द्वारा बापू को एक सुनियोजित षड़यंत्र के तहत फंसाए जाने की पुष्टि करने वाले एक से बढ़कर एक ऐसे आश्चर्यकारक तथ्य सामने आ रहे हैं कि जिसका अभियोजन पक्ष के पास कोई जवाब नहीं है ।
*सबसे बड़ा सनसनीखेज खुलासा जो सामने आया वो ये है कि लड़की कमरे में गई ही नहीं..*
अधिवक्ता सुराणा जी ने बताया कि लड़की ने रात 10:30 बजे का बापू आशारामजी पर छेड़छाड़ी का आरोप लगाया है लेकिन न्यायालय में 6 गवाह पेश हुए जिन्होंने बताया कि बापू आशारामजी रात को 9:00 बजे से 11:45 तक नीम के पेड़ के नीचे बैठे थे, उनके सामने 50-60 लोग और भी बैठे थे, वहां सत्संग के बाद पूना व सुमेरपुर के परिवार के बीच हुई सगाई के निमित्त झुलेलालजी की झाँकी निकाली गयी थी, जिसमें बापू आसारामजी भी उपस्थित थे और दोनों परिवारवालों को रात को 11:30 बजे आशीर्वाद दे रहे थे । उस सत्संग के समय के कई फोटोज भी हैं जो न्यायालय के सामने सन 2014 से हैं तथा उसमें उपस्थित परिवारवालों की गवाही भी न्यायालय में हो चुकी है ।वहाँ पर जो सिक्योरिटी गार्ड था वो भी इस बात का गवाह है ।
दूसरी ओर कॉल रिकॉर्ड से पता चला कि रातभर लड़की अपने मित्र (पुरुष) को मैसेज करती रही, न्यायालय में मनीषा नाम की महिला के बयान हुए, उसने बताया कि मैं उसके (लड़की)पास ही सोई थी और उसको बोला भी था कि सो जा लेकिन वो सो नही रही थी और अपने मित्र से मैसेज पर देर रात तक बातें करती रही ।
*संदिग्ध तरीके से दर्ज हुई एफ.आई.आर...*
https://youtu.be/FmVcGKwEE30
अभियोजन पक्ष द्वारा तथाकथित घटना 14 व 15 अगस्त 2013 की दरमियानी रात्रि की बतायी गयी । जोधपुर की इस तथाकथित घटना के संबंध में एफ.आई.आर. न जोधपुर, न शाहजहाँपुर और न ही छिंदवाडा बल्कि 600 कि.मी. दूर कमला नेहरु मार्केट पुलिस थाना, नई दिल्ली में करवाई गई ।
दिल्ली में 19 अगस्त की मध्यरात्रि 2:45 को दर्ज करायी गयी रिपोर्ट को अज्ञात कारणों से न्यायालय में दो दिन बाद 21 अगस्त को पेश किया गया । 20 अगस्त 2013 को लड़की के मैजिस्ट्रेट के सामने बयान होने के बावजूद FIR मैजिस्ट्रेट को नहीं दी गयी ।
*संदिग्ध तरीके से हेल्पलाइन रजिस्टर के कई पन्ने फाड़ दिये गये ।*
अभियोजन पक्ष ने इस रजिस्टर को न्यायालय में पेश भी नहीं किया था । बचाव पक्ष की माँग पर जब न्यायालय द्वारा रजिस्टर मँगवाया गया तब पन्ने हटाया गया रजिस्टर कमला मार्केट पुलिस स्टेशन, दिल्ली की ए.एस.आई. पुष्पलता द्वारा न्यायालय में पेश किया गया तथा इस बात को भी स्वीकार किया गया कि रजिस्टर के पन्ने फाड़कर निकाले हुए हैं ।
*एफ.आई.आर. की विडियो रिकॉर्डिंग गायब की गयी*
एफ.आई.आर. लिखते समय की गयी विडियोग्राफी की रिकॉर्डिंग, सी.डी. एवं अन्य संबंधित दस्तावेज न्यायालय में पेश नहीं किये गये तथा संबंधित गवाहों थाना प्रभारी प्रमोद जोशी व कान्स्टेबल पंकज को भी न्यायालय में पेश नहीं किया गया । संदेहास्पद तरीके से उस विडियोग्राफी को गायब कर दिया गया । ए.एस.आई. पुष्पलता ने न्यायालय में इस बात को स्वीकार भी किया है कि एफ.आई.आर. लिखते समय विडियोग्राफी की गयी थी किंतु उन्होंने उसे न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत नहीं किया ।
*ओरिजिनल एफ.आई.आर. को बदल डाला*
अधिवक्ता सुराणा जी ने बताया कि ओरिजिनल एफ.आई.आर.को बदल दिया गया, यहाँ तक कि एफ.आई.आर. पर लड़की के दस्तखत भी नहीं करवाये गए जो धारा 154 में अनिवार्य प्रावधान है । रजिस्टर के ऊपर लिखा रहता है कि ‘यह पढ़ लिया है और सही है’ (read over and accepted to be correct) । जब ऐसा कॉलम है तो फिर हस्ताक्षर क्यों नहीं करवाये गए ?
FIR व FIR की कार्बन कॉपी में भी अंतर पाया गया है । जिसका स्पष्टीकरण सम्बन्धित पुलिस कर्मी न्यायालय के सामने हुई अपनी गवाही में नहीं दे पाया है ।
*मेडिकल जाँच में मिली क्लीनचिट*
लोकनायक अस्पताल, दिल्ली की डॉ. शैलजा वर्मा एवं डॉ. राजेन्द्र कुमार ने लड़की की मेडिकल जाँच की थी । मेडिकल रिपोर्ट पूर्णतया नॉर्मल है । दोनों ही डॉक्टरों ने स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार का सेक्सुअल असॉल्ट (यौन-उत्पीड़न) अथवा फिजिकल असॉल्ट (शारीरिक उत्पीड़न) नहीं पाया गया । चोट का कोई निशान भी नहीं था । अनुसंधान अधिकारी चंचल मिश्रा से जिरह के दौरान जब यह पूछा गया कि चोट का निशान नहीं था तो मामला कैसे बना ? तो इसका उसके पास कोई जवाब नहीं था ।
*अनुसंधान अधिकारी भी नहीं थी निष्पक्ष*
न्यायालय में ऐसे कई तथ्य उजागर हुए जिन्हें पुलिस द्वारा दबाया गया था । अनुसंधान पक्षपातपूर्ण किया गया तथा बापू आसारामजी पर नाजायज धाराएँ लगायी गयी । अनुसंधान के दौरान जिन व्यक्तियों ने सत्य को उजागर किया उनके महत्त्वपूर्ण बयान अनुसंधान अधिकारी चंचल मिश्रा ने चार्जशीट में लगाये ही नहीं । चंचल मिश्रा ने अपनी गवाही में इस बात को स्वीकार किया है कि उन्होंने केस से संबंधित कई गवाहों के बयान आरोप-पत्र के साथ पेश नहीं किये हैं । बचाव पक्ष की तरफ से अनुसंधान अधिकारी चंचल मिश्रा से संबंधित एक दस्तावेज (EXD - 98) न्यायालय में पेश किया गया, जो विशिष्ट न्यायाधीश, सीकर (राज.) न्यायालय का फैसला है (NDPS Act, Case No. - 44/2012), जिसमें चंचल मिश्रा के लिए सीकर के न्यायाधीश महोदय ने कहा है कि चंचल मिश्रा अकर्मण्य ऑफिसर है, यह ट्रुथफुल ऑफिसर नहीं है और ऐसे ऑफिसर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाये ।
*पोक्सो एक्ट किस आधार पर*
जिस पोक्सो एक्ट के कारण पिछले साढ़े चार सालों से आसारामजी बापू को बेल तक नहीं मिल पाई,उस तथाकथित घटना के समय लड़की नाबालिग नहीं, बालिग थी । अधिवक्ता सज्जनराज सुराणा ने अपनी दलीलों को कोर्ट के सामने जारी रखते हुए कहा कि LIC policy फॉर्म को लड़की की माँ ने खुद स्वीकार किया है और उसने उसके पैसे भी उठाए हैं | LIC Policy के संबंध में लड़की की माँ ने उक्त दस्तावेजों में भरे गए सभी तथ्यों को सही होने का स्वीकार करते हुए उस पर तीन जगह हस्ताक्षर किये हैं जिसमें लड़की की उम्र 1.7.94 भरी गई है जिसके हिसाब से लड़की कथित घटना के समय 19 साल से अधिक की हो जाती है |
*50 करोड़ की फिरौती के लिए रचा गया षड्यंत्र..*
https://youtu.be/6O15CnZfwZQ
2008 में योग वेदान्त सेवा समिति अहमदाबाद को एक फैक्स भेजा गया था जिसमें अमृत प्रजापति व उसके साथियों के द्वारा ये कहा गया था कि 50 करोड़ रुपये दो वर्ना उसके परिणाम भुगतने के लिए तैयार हो जाओ । हम झूठी लड़कियां तैयार करेंगे, प्लांट करेंगे जिसके कारण तुम जिंदगी भर जेल में रहोगे कभी बाहर नहीं आ सकोगे ।
इस बात के लिए conspiracy वडोदरा (गुजरात) में की गई थी | जिसमें दीपक चौरसिया (इंडिया न्यूज़) भी शामिल था जो मीडिया के ऊपर प्रचार प्रसार कर रहा था, कर्मवीर (परिवादिया का पिता) भी शामिल था । इन सबका जो एक motive था, वो 50 करोड़ की ब्लैकमेलिंग का था । 50 करोड़ नहीं देने के कारण से मणाई गाँव का पूरा घटनाक्रम बनाया गया है ।
सत्य और तथ्य में बहुत बड़ा अंतर है । तथ्य सत्य को छुपा सकता है पर मिटा नहीं सकता ।
महात्मा बुद्ध ने कहा हैं - सत्य अकाट्य है । दोष इस पर हमला कर सकता है, अज्ञानता इसका उपहास उड़ा सकती है लेकिन अंत में सत्य ही रहता है।

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