Tuesday, July 14, 2020

लव जिहाद की इस सच्चाई को जान लिया तो कोई भी लड़की लव जिहाद में नहीं फसेगी।

13 जुलाई 2020

🚩मंसूर अली खान पटौदी से शादी करने से पहले शर्मिला टैगोर ने इस्लाम कबूल किया था, जिसके बाद शर्मिला का नाम रखा गया आएशा बेगम! प्यार सच्चा था तो इस्लाम कबूल करवाने की जिद किसलिए? और अगर इस्लाम कुबूल कर ही लिया है तो खुद को शर्मिला टैगोर कहने की जिद किसलिए? अक्सर हिन्दुओं और बाकी विश्व को मूर्ख बनाने के लिये मुस्लिम और सेकुलर विद्वान यह प्रचार करते हैं कि कम पढ़े-लिखे तबके में ही इस प्रकार की तलाक की घटनाएं होती हैं, जबकि हकीकत कुछ और ही है। क्या इमरान खान या नवाब पटौदी कम पढ़े-लिखे हैं? तो फ़िर नवाब पटौदी, रविन्द्रनाथ टैगोर के परिवार से रिश्ता रखने वाली शर्मिला से शादी करने के लिये इस्लाम छोड़कर हिन्दू क्यों नहीं बन गये? सैफ़ अली खान को अमृता सिंह से इतना ही प्यार था तो सैफ़ हिन्दू क्यों नहीं बन गया? अब अमृता सिंह को बेसहारा छोड़कर करीना कपूर से विवाह किया और बेटे का नाम रखा तैमूर। इससे अनुमान लगा लें इनका आदर्श वही खुनी तैमूर लंग है जिसने भारत में कत्लेआम मचाया था।

🚩आँख बंद कर लेने से रात नहीं होती:-

🚩प्रेम अन्धा होता है, सभी धर्म समान हैं, शादी ब्याह में धर्म नहीं दिल देखा जाता है, मुसलमान भी तो इंसान हैं, यह कहने वाले एक बार विचार करें, जो हिन्दू लड़कियां सोचती हैं कि लव जेहाद जैसा कुछ नहीं होता तो उन्हें सोचना चाहिए की क्या कोई मुस्लिम लड़की लव मैरिज करके हिन्दू लड़के की पत्नी बन सकती है? इस्लाम के तथाकथित विद्वान ज़ाकिर नाइक खुद फ़रमा चुके हैं कि इस्लाम “वन-वे ट्रेफ़िक” है, कोई इसमें आ तो सकता है, लेकिन इसमें से जा नहीं सकता… क्या दोनो एक ही घर में अपने-अपने धर्म का पालन नहीं कर सकते? मुस्लिम बनना क्यों जरूरी है? और यही बात उनकी नीयत पर शक पैदा करती है।

🚩अंकित सक्सेना का सडक पर उसे माँ बाप के सामने क़त्ल कर दिया गया क्योंकि वह एक मुस्लिम लड़की से शादी करने वाला था। उस लड़की के माँ बाप और चाचा ने सडक पर अंकित सक्सेना का गला काट कर हत्या कर दी।

🚩जेमिमा मार्सेल गोल्डस्मिथ और इमरान खान – ब्रिटेन के अरबपति सर जेम्स गोल्डस्मिथ की पुत्री (21), पाकिस्तानी क्रिकेटर इमरान खान (42) के प्रेमजाल में फ़ँसी, उससे 1995 में शादी की, इस्लाम अपनाया (नाम हाइका खान), उर्दू सीखी, पाकिस्तान गई, वहाँ की तहज़ीब के अनुसार ढलने की कोशिश की, दो बच्चे (सुलेमान और कासिम) पैदा किये… नतीजा क्या रहा… तलाक-तलाक-तलाक। वापस ब्रिटेन। फ़िर वही सवाल – क्या इमरान खान कम पढ़े-लिखे थे? या आधुनिक नहीं थे?

🚩24 परगना (पश्चिम बंगाल) के निवासी नागेश्वर दास की पुत्री सरस्वती (21) ने 1997 में अपने से उम्र में काफ़ी बड़े मोहम्मद मेराजुद्दीन से निकाह किया, इस्लाम अपनाया (नाम साबरा बेगम)। सिर्फ़ 6 साल का वैवाहिक जीवन और चार बच्चों के बाद मेराजुद्दीन ने उसे मौखिक तलाक दे दिया और अगले ही दिन कोलकाता हाइकोर्ट के तलाकनामे (No. 786/475/2003 दिनांक 2.12.03) को तलाक भी हो गया। अब पाठक खुद ही अन्दाज़ा लगा सकते हैं कि चार बच्चों के साथ घर से निकाली गई सरस्वती उर्फ़ साबरा बेगम का क्या हुआ होगा, न तो वह अपने पिता के घर जा सकती थी, न ही आत्महत्या कर सकती थी…

🚩प्रख्यात बंगाली कवि नज़रुल इस्लाम, हुमायूं कबीर (पूर्व केन्द्रीय मंत्री) ने भी हिन्दू लड़कियों से शादी की, क्या इनमें से कोई भी हिन्दू बना? अज़हरुद्दीन भी अपनी मुस्लिम बीबी नौरीन को चार बच्चे पैदा करके छोड़ चुके। बाद में संगीता बिजलानी से निकाह कर लिया, कुछ साल बाद उसे भी तलाक दे दिया। उन्हें कोई अफ़सोस नहीं, कोई शिकन नहीं। ऊपर दिये गये उदाहरणों में अपनी बीवियों और बच्चों को छोड़कर दूसरी शादियाँ करने वालों में से कितने लोग अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे हैं? तब इसमें शिक्षा-दीक्षा का कोई रोल कहाँ रहा? यह तो विशुद्ध लव-जेहाद है।

🚩वहीदा रहमान ने कमलजीत से शादी की, वह मुस्लिम बने, अरुण गोविल के भाई ने तबस्सुम से शादी की, मुस्लिम बने, डॉ ज़ाकिर हुसैन (पूर्व राष्ट्रपति) की लड़की ने एक हिन्दू से शादी की, वह भी मुस्लिम बना, एक अल्पख्यात अभिनेत्री किरण वैराले ने दिलीप कुमार के एक रिश्तेदार से शादी की और गायब हो गई।

🚩इस कड़ी में सबसे आश्चर्यजनक नाम है भाकपा के वरिष्ठ नेता इन्द्रजीत गुप्त का। मेदिनीपुर से 37 वर्षों तक सांसद रहने वाले कम्युनिस्ट (जो धर्म को अफ़ीम मानते हैं), जिनकी शिक्षा-दीक्षा सेंट स्टीफ़ेंस कॉलेज दिल्ली तथा किंग्स कॉलेज केम्ब्रिज में हुई, 62 वर्ष की आयु में एक मुस्लिम महिला सुरैया से शादी करने के लिये मुसलमान (इफ़्तियार गनी) बन गये। सुरैया से इन्द्रजीत गुप्त काफ़ी लम्बे समय से प्रेम करते थे और उन्होंने उसके पति अहमद अली (सामाजिक कार्यकर्ता नफ़ीसा अली के पिता) से उसके तलाक होने तक उसका इन्तज़ार किया। लेकिन इस समर्पणयुक्त प्यार का नतीजा वही रहा जो हमेशा होता है, जी हाँ, “वन-वे-ट्रेफ़िक”। सुरैया तो हिन्दू नहीं बनीं, उलटे धर्म को सतत कोसने वाले एक कम्युनिस्ट इन्द्रजीत गुप्त “इफ़्तियार गनी” जरूर बन गये।

🚩इसी प्रकार अच्छे खासे पढ़े-लिखे अहमद खान (एडवोकेट) ने अपने निकाह के 50 साल बाद अपनी पत्नी “शाहबानो” को 62 वर्ष की उम्र में तलाक दिया, जो 5 बच्चों की माँ थी… यहाँ भी वजह थी उनसे आयु में काफ़ी छोटी 20 वर्षीय लड़की (शायद कम आयु की लड़कियाँ भी एक कमजोरी हैं)। इस केस ने समूचे भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ पर अच्छी-खासी बहस छेड़ी थी। शाहबानो को गुज़ारा भत्ता देने के लिये सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ी, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को राजीव गाँधी ने अपने असाधारण बहुमत के जरिये “वोटबैंक राजनीति” के चलते पलट दिया, मुल्लाओं को वरीयता तथा आरिफ़ मोहम्मद खान जैसे उदारवादी मुस्लिम को दरकिनार किया गया… तात्पर्य यही कि शिक्षा-दीक्षा या अधिक पढ़े-लिखे होने से भी कोई फ़र्क नहीं पड़ता, शरीयत और कुर-आन इनके लिये सर्वोपरि है, देश-समाज आदि सब बाद में…।

🚩शेख अब्दुल्ला और उनके बेटे फ़ारुख अब्दुल्ला दोनों ने अंग्रेज लड़कियों से शादी की, ज़ाहिर है कि उन्हें इस्लाम में परिवर्तित करने के बाद, यदि वाकई ये लोग सेकुलर होते तो खुद ईसाई धर्म अपना लेते और अंग्रेज बन जाते…? और तो और आधुनिक जमाने में पैदा हुए इनके पोते यानी कि जम्मू-कश्मीर के वर्तमान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी एक हिन्दू लड़की “पायल” से शादी की, लेकिन खुद हिन्दू नहीं बने, उसे मुसलमान बनाया, तात्पर्य यह कि “सेकुलरिज़्म” और “इस्लाम” का दूर-दूर तक आपस में कोई सम्बन्ध नहीं है और जो हमें दिखाया जाता है वह सिर्फ़ ढोंग-ढकोसला है।

🚩एक बात और है कि धर्म परिवर्तन के लिये आसान निशाना हमेशा होते हैं “हिन्दू”, जबकि ईसाईयों के मामले में ऐसा नहीं होता, एक उदाहरण और देखिये –

🚩पश्चिम बंगाल के एक गवर्नर थे ए एल डायस (अगस्त 1971 से नवम्बर 1979), उनकी लड़की लैला डायस, एक लव जेहादी ज़ाहिद अली के प्रेमपाश में फ़ँस गई, लैला डायस ने जाहिद से शादी करने की इच्छा जताई। गवर्नर साहब डायस ने लव जेहादी को राजभवन बुलाकर 16 मई 1974 को उसे इस्लाम छोड़कर ईसाई बनने को राजी कर लिया। यह सारी कार्रवाई तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर राय की देखरेख में हुई। ईसाई बनने के तीन सप्ताह बाद लैला डायस की शादी कोलकाता के मिडलटन स्थित सेंट थॉमस चर्च में ईसाई बन चुके जाहिद अली के साथ सम्पन्न हुई। इस उदाहरण का तात्पर्य यह है कि पश्चिमी माहौल में पढ़े-लिखे और उच्च वर्ग से सम्बन्ध रखने वाले डायस साहब भी, एक मुस्लिम लव जेहादी की “नीयत” समझकर उसे ईसाई बनाने पर तुल गये। लेकिन हिन्दू माँ-बाप अब भी “सहिष्णुता” और “सेकुलरिज़्म” का राग अलापते रहते हैं, और यदि कोई इस “नीयत” की पोल खोलना चाहता है तो उसे “साम्प्रदायिक” कहते हैं। यहाँ तक कि कई लड़कियाँ भी अपनी धोखा खाई हुई सहेलियों से सीखने को तैयार नहीं, हिन्दू लड़के की सौ कमियाँ निकाल लेंगी, लेकिन दो कौड़ी की औकात रखने वाले मुस्लिम जेहादी के बारे में पूछताछ करना उन्हें “साम्प्रदायिकता” लगती है…

🚩ऐसी हज़ारों दास्तानों में से एक है सिरोंज के महेश्वरी समाज की दास्तान। सिरोंज यह स्थान विदिशा से ५० मील की दूरी पर एक तहसील है। 200 साल पहले सिरोंज टोंक के एक नवाब के आधिपत्य में था। एक बार नवाब ने इस क्षेत्र का दौरा किया। उसी रात की यहाँ के माहेश्वरी सेठ की पुत्री का विवाह था। संयोग से रास्ते में डोली में से पुत्री की कीमती चप्पल गिर गई। किसी व्यक्ति ने उसे नवाब के खेमे तक पहुँचा दिया। नवाब को यह भी कहा गया कि चप्पल से भी अधिक सुंदर इसको पहनने वाली है। यह जानने के बाद नवाब द्वारा सेठ की पुत्री की माँग की गई। यह समाचार सुनते ही माहेश्वरी समाज में खलबली मच गई। बेटी देने का तो प्रश्न ही नहीं उठता था। अब किया क्या जाये? माहेश्वरी समाज के प्रतिनिधियों ने कुटनीति से काम किया। नवाब को यह सूचना दे दिया गया कि प्रातः होते ही डोला दे दिया जाएगा। इससे नवाब प्रसन्न हो गया। इधर माहेश्वरियों ने रातों- रात पुत्री सहित शहर से पलायन कर दिया तथा। उनके पूरे समाज में यह निर्णय लिया गया कि कोई भी माहेश्वरी समाज में न तो इस स्थान का पानी पिएगा, न ही निवास करेगा। एक रात में अपने स्थान को उजाड़ कर महेश्वरी समाज के लोग दूसरे राज्य चले गए। मगर अपनी इज्जत, अपनी अस्मिता से कोई समझौता नहीं किया। आज भी एक परम्परा माहेश्वरी समाज में अविरल चल रही है। आज भी माहेश्वरी समाज का कोई भी व्यक्ति सिरोंज जाता है। तो वहाँ का न पानी पीता है और न ही रात को कभी रुकता हैं। यह त्याग वह अपने पूर्वजों द्वारा लिए गए संकल्प को निभाने एवं मुसलमानों के अत्याचार के विरोध को प्रदर्शित करने के लिए करता हैं।

🚩दरअसल मुस्लिम शासकों में हिंदुओं की लड़कियों को उठाने, उन्हें अपनी हवस बनाने, अपने हरम में भरने की होड़ थी। उनके इस व्यसन के चलते हिन्दू प्रजा सदा आशंकित और भयभीत रहती थी। ध्यान दीजिये किस प्रकार हिन्दू समाज ने अपना देश, धन, सम्पति आदि सब त्याग कर दर दर की ठोकरे खाना स्वीकार किया। मगर अपने धर्म से कोई समझौता नहीं किया। अगर ऐसी शिक्षा, ऐसे त्याग और ऐसे प्रेरणादायक इतिहास को हिन्दू समाज आज अपनी लड़कियों को दूध में घुटी के रूप में दे। तो कोई हिन्दू लड़को कभी लव जिहाद का शिकार न बने।

🚩सवाल उठना स्वाभाविक है कि ये कैसा प्रेम है? यदि वाकई “प्रेम” ही है तो यह वन-वे ट्रैफ़िक क्यों है? इसीलिये सभी सेकुलरों, प्यार-मुहब्बत-भाईचारे, धर्म की दीवारों से ऊपर उठने आदि की हवाई-किताबी बातें करने वालों से मेरा सिर्फ़ एक ही सवाल है, “कितनी मुस्लिम लड़कियों (अथवा लड़कों) ने “प्रेम” की खातिर हिन्दू बनना स्वीकार किया है?”

🚩मां-बाप का भी कर्तव्य है कि अपने बेटी-बेटियों को धर्म की शिक्षा जरूर दे जिससे वे लव जिहाद में न फसे सेक्युलर बनकर अपने धर्म की हानि न करे और एक बात ध्यान रखना धर्म है तभी सबकुछ ठीक है नही तो पाकिस्तान में जाकर देखो हिंदुओं का क्या हाल हैं।

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Monday, July 13, 2020

सनातन धर्म के भगवान व मंत्रों में अकल्पनीय शक्ति है, ईसाई-इस्लाम में नहीं हैं - एंड्रेयु ब्रिजेन, इंग्लैंड

13 जुलाई 2020

🚩कुछ भारतीयों को अपने आप को हिन्दू कहने में शर्म आती है, यहां के रीति-रिवाज परम्परा पुराने जमाने के लगते हैं लेकिन वहीं दूसरी ओर विश्व के लाखों-करोड़ों लोग सनातन धर्म में आने को आतुर हैं ।

🚩सनातन धर्म, संस्कृति वास्तव में अत्यंत उन्नत संस्कृति है । यह ऐसा धर्म है जो मनुष्य को जीवन जीने की सही राह दिखाता है, मुक्ति का मार्ग दिखाता है । सनातन धर्म की जितनी महिमा गाई जाए वह कम है । इस धर्म के ऋषि-मुनि वास्तव में एक वैज्ञानिक थे, उन्होंने अत्यंत उत्तम खोजें की थीं जो आज के वैज्ञानिकों के लिए असम्भव है ।

🚩यहां आपको नीचे कुछ दृष्टांत बताते हैं जिससे आप भी यह मानने पर मजबूर हो जाएंगे कि सनातन हिंदू धर्म जैसा दूसरा धर्म इस पूरे ब्रह्मांड में होना असंभव है एवं यह धर्म पूर्णतः वैज्ञानिक भी है ।l

● महामृत्युंजय मंत्र थेरेपी से बोल पड़ा 'बेजुबान'-

🚩यह बात सुनने में बड़ी ही आश्चर्यजनक लगती है किंतु सत्य है । पेशे से पायलट राजीव जी के जीवन में एक ऐसा मोड़ आया जब उन्हें एक एक करके बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा । पत्नी से तलाक, व्यापार में नुकसान एवं छोटे भाई की मौत से राजीव इतने अवसाद में चले गए कि उन्हें सिर्फ एक रास्ता दिखा वो था मौत का ।

🚩राजीव ने खुद को खत्म करने के लिए तरह-तरह के तरीके आजमाना शुरू किया । गुटखा, पान-मसाला, तम्बाकू, धूम्रपान की लत लगा ली । नतीजन उन्हें मुँह का कैंसर हो गया । कैंसर के चौथे स्टेज पर पहुंच चुके राजीव को अपने माता पिता का ख्याल आया और जीने की चाह फिर से जागी । कैंसर का ऑपरेशन हुआ, आधी जीभ काटनी पड़ी एवं डॉक्टर्स ने कहा कि 'वो अब कभी नही बोल पाएंगे ।'

🚩उन्होंने आगे कहा कि 'मैं बहुत निराश था । तभी बेंगलुरु के थेरेपिस्ट डॉ. टीवी साईंराम के बारे में पता चला ।' वहाँ गए एवं शुरू हुई महामृत्युंजय मंत्र थेरेपी । इस थेरेपी ने राजीव के जीवन को एक नया मोड़ दिया और वो बोल पड़े ।

🚩दरअसल संस्कृत के मंत्रों का जब हम उच्चारण करते हैं तो हमारी जीभ चारों ओर घूमती है एवं जीभ की सभी मांसपेशियों की कसरत हो जाती है । महामृत्युंजय मंत्र की तरह गायत्री मंत्र का भी प्रयोग चिकित्सा के क्षेत्र में किया जाता है ।

● मंत्र जाप का प्रभाव सूक्ष्म और गहरा 

🚩जब लक्ष्मणजी ने मंत्र जप कर माता सीताजी की कुटीर के चारों तरफ भूमि पर एक रेखा खींच दी तो लंकाधिपति रावण तक उस लक्ष्मण रेखा को न लाँघ सका। हालाँकि रावण मायावी विद्याओं का जानकार था, किंतु ज्योंहि वह रेखा को लाँघने की इच्छा करता त्योंहि उसके सारे शरीर में जलन होने लगती थी।

🚩मंत्रजप से पुराने संस्कार हटते जाते हैं, जापक में सौम्यता आती जाती है और उसका आत्मिक बल बढ़ता जाता है।

🚩मंत्रजप से चित्त पावन होने लगता है, रक्त के कण पवित्र होने लगते हैं, दुःख, चिंता, भय, शोक, रोग आदि निवृत्त होने लगते हैं, सुख-समृद्धि और सफलता की प्राप्ति में मदद मिलने लगती है।

जैसे, ध्वनि-तरंगें दूर-दूर जाती हैं, ऐसे ही मंत्र-जप की तरंगें हमारे अंतर्मन में गहरी उतर जाती हैं, पिछले कई जन्मों के पाप मिटा देती हैं। 
इससे हमारे अंदर शक्ति-सामर्थ्य प्रकट होने लगता है और बुद्धि का विकास होने लगता है। अधिक मंत्र जप से दूरदर्शन, दूरश्रवण आदि सिद्धयाँ आने लगती हैं।

● इस्लाम-ईसाई धर्म में भी मुक्ति का मार्ग नहीं है - एंड्रेयु ब्रिजेन 

🚩एंड्रेयु ब्रिजेन जोकि इंग्लैंड के पश्चिमी लेस्टर के सांसद हैं उनका कहना है कि सनातन धर्म में जिस मुक्ति की बात की गई है वह इस्लाम और ईसाई धर्म में भी नहीं है।  भगवान शिव एवं माँ दुर्गा के मंत्रों में सचमुच अकल्पनीय शक्ति है । 

🚩सनातन धर्म के बीज मंत्रों से वे रोग और कष्ट भी पूर्णतः समाप्त हो जाते हैं जिनका पूरी दुनिया के धर्मों और मेडिकल साइंस में भी कोई समाधान नहीं है ।

🚩तो इस तरह से देखा आपने कि सनातन हिंदू धर्म के मंत्रों में कितनी शक्ति है और ये बात तो अब विदेशी भी समझने लगे हैं, भारतीय कब तक अंजान बने रहेंगे ?

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Sunday, July 12, 2020

सावन में वामपंथियों का फिर जागा हिन्दूफोबिक ज्ञान, इन्हें करारा जवाब जरूर दें!

12 जुलाई 2020

🚩आपने अक्सर देखा होगा कि कुछ वामपंथी लिबरल्स हिंदू धर्म, उनके देवी देवताओं, उनकी मान्यताओं और त्योहारों को लेकर तमाम तरह के हिन्दूफोबिया से ग्रसित अनर्गल बातें करते हुए नजर आते हैं। कभी वो हिन्दुओं के रीति-रिवाजों, परम्पराओं को लेकर अपने घटिया कुतर्क को महान तर्क के रूप में पेश करते हैं, तो कभी त्योहारों खासतौर से नवरात्र और सावन के समय नॉनवेज (माँसाहारी) नहीं खाने को लेकर मजाक उड़ाते हुए नजर आते हैं।

🚩यही वामपंथी बुद्धिजीवी लोग इस्लाम में बुरके, तीन तलाक, निक़ाह हलाला, जैसी कई बुराइयों पर चुप्पी साध लेते है। वहाँ इनका तर्क कुंद और जबान आवाज खो देती है। लिखना तो ये सामाजिक सद्भाव में भूल जाते हैं। वहीं हिंदुओं को सॉफ्ट टारगेट समझ कर उनकी मान्यताओं पर व्यंग्य करने में क्षण भर भी देर नहीं लगाते हुए जी जान से लग जाते हैं।

🚩आपको पिछला नवरात्र याद होगा। तब भी ऐसे वामपंथी इसी तरह शुरू हो गए थे और अब जब सावन का महीना शुरू हो चुका है, तब लिबरल्स भी इस वक़्त अपने घटिया एजेंडे के साथ जाग चुके है। जहाँ वो बकरीद पर मारी जा रहीं सैकड़ों बकरियों को लेकर आँख मूँद लेते है, वहीं सावन में नॉन वेज नहीं खाने को ढोंग बताते हैं।

🚩सावन में भगवान शिव की पूजा के लिए दूध चढ़ाने पर इन्हें दूध की बर्बादी सहित कई ज्ञान और सिद्धांत याद आएँगे। ये वामपंथी हमेशा सिर्फ हिंदुओं की आलोचना करते हुए नजर आएँगे और इसी कर्म से खुद को सेकुलर बताएँगे। ये तमाम मझे हुए वामपंथी अपने आपको नास्तिक बताते हैं और इसकी आड़ में हिंदुओं की भावनाओं का मजाक उड़ाते हैं। दूसरी ओर यही अन्य धर्मों और मजहब के आगे ये भीगी बिल्ली बन जाते हैं। इन्हें पता होता है कि ऐसी कोई भी अनर्गल बात अगर इन लोगों ने ईसाई या मुसलमानों को लेकर लिखी तो उन्हें इसका गंभीर परिणाम भुगतना पड़ सकता है।

🚩वैसे इन वामपंथियों की जानकारी के लिए बता दे कि सावन में माँस नहीं खाने को लेकर धार्मिक कारणों के साथ कुछ वैज्ञानिक तर्क भी हैं। जिनके बारे में इन ‘बुद्धिजीवियों’ ने जानने की भी कोशिश नहीं की होगी। हिंदू मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में किसी जीव-जंतु की हत्या करना भी पाप माना जाता है। इसलिए सावन के महीने में नॉन वेज न खाकर लोगों को पाप से बचना चाहिए।

🚩सावन के मौसम में नॉन वेज नहीं खाने को लेकर कई साइंटिफिक वजहें भी हैं। जैसे- इस मौसम में लगातार बारिश होती है। जिसके चलते वातावरण में कीड़े, मकोड़े की संख्या बढ़ जाती है। कई अन्य बीमारियाँ जैसे डेंगू, चिकनगुनिया होने लगती हैं, जो जानवरों को भी बीमार कर देती हैं। जिसके बाद इनका सेवन करने का मतलब है, सीधे बीमारियों को दावत देना। इसलिए कहा जाता है कि सावन के दौरान इंसान को माँस-मछली नहीं खाना चाहिए। अगर आप पूरी बारिश के मौसम में मांसाहार से बचें तो ये और अच्छा माना गया है।

🚩वहीं वैज्ञानिक यह भी बताते हैं कि इस महीने में लगभग हर दिन लगातार बारिश होती है और आसमान में बादल छाए रहते हैं। जिसके कारण इस महीने में कई बार सूर्य और चंद्रमा दर्शन भी नहीं देते। सूरज की रोशनी कम मिलने की वजह से हमारी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। हमारे शरीर को नॉनवेज खाने को पचाने में ज्यादा समय लगता है। पाचन शक्ति कमजोर होने की वजह से खाना नहीं पचता है, जिसकी वजह से पाचन सहित स्वास्थ्य संबंधी बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। यही कारण है कि इन महीनों में माँसाहार नहीं खाने की सलाह दी जाती है।

🚩कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि इस महीने में मछलियाँ, पशु, पक्षी सभी में गर्भाधान करने की संभावना होती है। अगर किसी गर्भवती मादा का माँस खाने के लिए उसकी हत्या की जाती है तो इसे भी हिंदू धर्म में पाप बताया जाता है। वहीं वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो अगर कोई इंसान गर्भवती जीव को खा लेता है, तो उसके शरीर में हार्मोनल समस्याएँ भी हो सकती हैं।

🚩थोड़ी और गहराई में जाये तो आध्यात्मिक दृष्टि से ध्यान, साधना और पूजा में मांस को वर्जित माना गया है। नॉनवेज के सेवन से चित्त का भटकाव भी साधना में सबसे बड़ी बाधा है। दूसरा सावन का यह महीना साधना-सत्कर्म के शास्त्रों में विशेष तौर पर निर्धारित किया गया है। तो ऐसे में जो धार्मिक और आध्यात्मिक वजहों या व्रत आदि के कारण नॉनवेज नहीं खा रहे है या मांसाहार की आड़ लेकर सम्पूर्ण हिन्दू धर्म की मान्यताओं-परम्पराओं का मजाक उड़ाना कहाँ तक उचित है आप खुद ही विचार कर सकते हैं।

🚩वैसे आपको बता दें कि मांस खाना हिंदू धर्म मे पाप ही माना गया है, जीव हत्या सनातन हिंदू धर्म स्वीकार नही करता है, किसी की भी हत्या करना फिर खाना ये हिंदू धर्म के खिलाफ ही है इसलिए अधिकतर हिंदू मांस खाते नही है कुछ हिंदू पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण करके खा रहे है वे भी पाप ही कर रहे है।

🚩वामपंथी सनातन धर्म के दुश्मन है इसलिए वे हमेंशा हिंदू धर्म को नीचा दिखाने के लिए कार्य करते हैं, जैसे उल्लू को सूर्य पसंद नही है वैसे है वामपंथीयों को हिंदू धर्म पसंद नही है इसलिए वे हमेंशा हिंदू धर्म के खिलाफ बाते करते है लिखते है इसलिए इनसे सावधान रहें।

🚩आपको जहाँ भी वामपंथी-लिबरल्स आपके हिन्दू धर्म-परंपरा को मानने और पालन करने को लेकर ज्ञान दें तो इन्हें ज्ञान देने का नया अवसर देते हुए दूसरे मजहबों की कुछ प्रचलित कुरीतियों की याद दिलाएँ। इन्हें वहीं जलील करें, ये साइड से निकल जाएँगे। - लेखिका : ऋचा सोनी

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