Friday, February 11, 2022

जानिए महिलाओं कौन से अत्याचार से त्राहित है? क्या कर रही है मांग ?

 

04 अप्रैल 2021

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भारत मे बोला जाता है कानून के हाथ लंबे होते है और कानून सबके लिए समान होता है लेकिन कई बार इससे विपरीत होता है ये हमने देखा है निर्दोष को जेल हो जाती है और कानून द्वारा निर्दोष को जेल भेजा जाता है और सालों से उनको जमानत हासिल नही हो पाती है वही दूसरी ओर बड़े-बड़े अपराधियों को बेल मिल जाती है पर एक निर्दोष को जमानत तक नही मिल पाती है ऐसे कइ उदाहर भी हमारे देश में है।



ऐसे ही एक उदाहरण है हिंदू संत आशारामजी बापू, उनके सत्संग-मार्गदर्शन से देश-विदेश की लाखों-करोडों महिलाओं का जीवन उन्नत हुआ है। बापू आशारामजी के अतुलनीय देश व समाजोत्थान के कार्यों व उनके उज्ज्वल, महान चरित्र को देखते हुए और उनके ऊपर हो रहे अत्याचारों से त्राहित महिलाओं ने उनकी रिहाई की मांग कर रहे हैं। ‘महिला उत्थान मंडल’ व विभिन्न महिला संगठनों द्वारा देशभर में अनेकानेक स्थानों पर राष्ट्रपति के नाम संबंधित अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे जा रहे हैं । कई स्थानों पर धरना-प्रदर्शनों, ‘संत एवं संस्कृति रक्षा यात्राओं’ तथा जगह-जगह ‘संत एवं संस्कृति रक्षा संकल्प कार्यक्रमों’ का आयोजन प्रारम्भ हो गया है । देश के कई महिला संगठन ‘महिला उत्थान मंडल’ की माँग के समर्थन में उतरते जा रहे हैं एवं बापू आशारामजी की रिहाई की माँग को बुलंद कर रहे हैं ।

https://youtu.be/b3Xp90AJH74


आज ट्वीटर पर 2 टॉप में ट्रेड चल रहे थे 

#त्राहित_महिलाओं_की_पुकार और

Women Stand For Bapuji

इन हैशटेग जरिये महिलाएं बता रही थी कि

हिंदु संत आशारामजी बापू की उम्र 85 साल हो गई है, वे 8 साल से जेल में है उनको निर्दोष होने व षडयंत्र के तहत फसाने के कई प्रमाण भी है फिर भी उसको एक दिन भी जमानत नही मिलना एक बड़ा अन्याय ही है, कानून में लिखा है कि 100 दोषी भले छूट जाए पर एक निर्दोष को सजा नही मिलनी चाहिए लेकिन यहाँ विपरत हो रहा है उसको आहत होकर महिलाओं ने सोशल मीडिया पर भी आवाज बुलंद किया था।


महिला उत्थान मंडल के ट्वीटर हैन्डल से लिखा गया कि कानून के भयंकर दुरुपयोग के खिलाफ उठाई नारियों ने आवाज़। 

POCSO का दुरुपयोग हमें नहीं स्वीकार❗️

#त्राहित_महिलाओं_की_पुकार 

Innocent Sant Shri Asharamji Bapu की शीघ्र हो रिहाई।

Women Stand For Bapuji 

https://t.co/cqc1L3FgXY


दूसरी एक ट्वीट में बताया कि #त्राहित_महिलाओं_की_पुकार पवित्र Sant Shri Asharamji Bapu ने हमेशा 'नारी तू नारायणी है', इसका ज्ञान सभी महिलाओं को समझाया है। महिला उत्थान मंडल की प्रेरणा दे कर नारियों को कल्याण का मार्ग बतलाया है


करोडो Women Stand For Bapuji बात सिद्ध करती है कि #Bapuji के साथ अन्याय हो रहा है https://t.co/jub56azDZU


इस तरीके हजारों ट्वीट हुई उसके जरिये बताया जा रहा था कि बापू आशारामजी ने धर्मांतरण के खिलाफ व राष्ट्र व समाज व संस्कृति के उत्थान के अनेक कार्य किये इसलिए उनको षडयंत्र के तहत जेल भेजा गया है अब उनको शीघ्र रिहा करना चाहिए।


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हिंदुओं की आबादी 34% तो मुस्लिम आबादी 73% से बढ़ोतरी हो रही है

03 अप्रैल 2021

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आज दुनिया सिकुड़ती और आबादी बढ़ती ही जा रही है, लोग जनसंख्या विस्फोट से त्रस्त हैं, इसके कारण समस्याएँ खड़ी होने लगी हैं। लेकिन कुछ हैं, जो आँखें मूँदे हुए हैं। इस्लामिक जगत पूरे विश्व में अन्य समुदायों की तुलना में 150% ज्यादा प्रजनन कर रहा है। यह हम नहीं, दुनिया के सबसे ‘लिबरल’ देश अमेरिका का fact-tank प्यू रिसर्च सेंटर कह रहा है। अपनी इस रिपोर्ट में उसने चेतावनी दी है कि जहाँ दुनिया के बाकी बड़े मज़हब महज 11% (स्थानीय उपासना पद्धतियाँ) से लेकर 34-35% (ईसाई और हिंदुत्व) तक की दर से बढ़ रहे हैं, और बौद्ध मतावलंबी तो 0.3% से घट रहे हैं, वहीं इस्लाम 73% से ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है- वह भी ज्यादा बच्चे पैदा करके। दुनिया की जरूरतों के लिए वैसे ही कम पड़ रहे संसाधनों के बीच यह खबर अत्यंत निराशाजनक है।



★ 2050 तक 9 अरब हो जाएगी दुनिया की आबादी


पयू के शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि दुनिया की आबादी आने वाले 30 वर्षों में बढ़ कर 930 करोड़ के करीब होगी। यह 2010 के आँकड़े से 35% अधिक होगा।


रिपोर्ट के आँकड़ों पर नज़र डालें तो कुछ मज़हब (यहूदी, बहाई आदि) दुनिया की औसत आबादी वृद्धि दर की आधी दर से अपनी आबादी बढ़ा रहे हैं। जबकि हिन्दू-ईसाई की आबादी औसत दर से ही बढ़ रही है। इसके उलट या यूँ कहें कि चिंताजनक स्थिति मुस्लिम समुदाय की है, जिनकी आबादी औसत दर की दोगुनी तेजी से बढ़ रही है।


परतिशत के अलावा संख्या की बात करें तो भी ईसाई साल 2010 के 216 करोड़ से बढ़कर 2050 में 290 करोड़ हो जाएँगे। वहीं हिन्दू 2010 में 103 करोड़ से 2050 में 138 करोड़ तक पहुँचेंगे। जबकि मुस्लिम 2010 में महज 159 करोड़ की जनसंख्या के मुकाबले 2050 में 276 करोड़ के आस-पास होंगे।


★ क्या दुनिया इतनी आबादी झेल पाएगी?


पयू के अनुसार दुनिया की औसत fertility rate 2.5 के करीब है। fertility rate का अर्थ है किसी भी समुदाय या समूह में प्रति महिला कितने बच्चे पैदा होते हैं। दुनिया की आबादी स्थिर रखने के लिए ज्यादातर समाज शास्त्री मानते हैं कि आदर्श स्थिति में fertility rate 2.1 (2 के हल्का सा ऊपर) होना चाहिए- ताकि वे दो बच्चे आने वाले समय में अपने माँ-बाप की मृत्यु के उपरांत उनका स्थान लें और लम्बे समय में दुनिया पर अतिरिक्त बोझ न पड़े।

पूरे विश्व की औसत fertility rate 2.5 है। जो बढ़ती हुई आबादी को देखते हुए आदर्श दर से तो ज्यादा है, पर चिंताजनक स्तर पर नहीं है। यदि जनजागरण अभियान चला कर लोगों को बढ़ी आबादी के नुकसान के बारे में बताया जाए, और कुछ प्रतिशत युगलों (खासकर महिलाओं) को बच्चे पैदा न करने के लिए आर्थिक प्रोत्साहन दिया जाए, तो कुछ दशकों में 2.5 को 2.1 के पास तक खींच सकने की उम्मीद की जा सकती है। हिन्दुओं की fertility rate 2.4 है, यानी हिन्दू आबादी रोकथाम की ओर अग्रसर दिख रही है।

अब इस्लाम की ओर देखें तो मुस्लिमों की fertility rate 3.1 है- यानी दुनिया की जरूरत का 150%!! मतलब हर एक मुस्लिम युगल (पति-पत्नी) अपने बाद दो के बजाय तीन इंसान का बोझ दुनिया को दे जाता है।


(यहाँ गणितीय सरलता के लिए हम मुस्लिमों के बहु-विवाह सिद्धांत, जिसके अंतर्गत हर मुस्लिम पुरुष को इस्लाम 4 बीवियाँ तक रखने की इजाज़त देता है, को शामिल नहीं कर रहे। अगर करते तो गणितीय तौर पर यह आँकड़ा कहता कि एक मुस्लिम पुरुष और उसकी 4 पत्नियों की मृत्यु के बाद औसत तौर पर उनके 12 वंशज होते यानी मरे 5 और आए 12)

https://twitter.com/OpIndia_in/status/1378169129157468164?s=19


हिंदुओं के लिए ये चेतावनी है अगर नहीं संभले तो क्या हाल होगा इन आंकड़ों से देख सकते हैं, हर हिंदू को कम से कम 4 बच्चे तो पैदा करना चाहिए नहीं तो आगे जाकर अस्तित्व बचाना ही मुश्किल हो जायेगा।


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Thursday, February 10, 2022

जिहाद फैलाने वाली कुरान की आयतें हटाने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर

02 अप्रैल 2021

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शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन सैयद वसीम रिजवी द्वारा उच्चतम न्यायालय में दी गई याचिका चर्चा में है। इसमें कुरान से 26 आयतें हटाने का निवेदन है। रिजवी के अनुसार इनका इस्तेमाल ‘आतंकवाद, हिंसा और जिहाद फैलाने में होता है।’ रिजवी के अनुसार, प्रोफेट मुहम्मद की मृत्यु के बाद पहले तीन खलीफा ने कुरान संकलित करने में कई आयतें जोड़ दीं, ताकि उन्हें ‘युद्ध द्वारा इस्लाम के विस्तार में सहूलियत हो।’ यह चिंता पहली बार या भारत में ही नहीं है। गत वर्षों में तुर्की, सऊदी अरब और इराक में भी कुरान को लेकर संशोधन-सुधार की मांगें उठी थीं। तुर्की के अधिकारियों को सूचना मिली कि सामान्य स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र कुरान पढ़कर इस्लाम से उदासीन होने लगते हैं। सऊदी अरब में सुझाव आया कि कुरान की कुछ बातों की जांच-परख कर समयानुकूल संशोधन किया जाए।



●•• कुरान का ‘मानवीय हस्तक्षेप’

सऊदी लेखक अहमद हाशिम के अनुसार प्रचलित कुरान खलीफा उस्मान द्वारा तैयार कराए जाने के कारण उसके निर्माण में ‘मानवीय हस्तक्षेप’ हो चुका है, अत: उसे अपरिवर्तनीय मानना अनुपयुक्त है। यह भी तथ्य है कि कुछ वर्ष पहले ऑस्ट्रिया में कुरान का सार्वजनिक रूप से वितरण प्रतिबंधित कर दिया गया था। स्विट्जरलैंड के सुरक्षा विभाग ने भी यही अनुशंसा की थी। चीन में मुसलमानों को कुरान से विमुख करने की कोशिश होती है। रूस की एक अदालत ने कुरान के एक विशेष अनुवाद को प्रतिबंधित किया था। अनेक जाने-माने मुस्लिम लेखक-लेखिकाओं ने भी वैसी चिंता जताई है, जैसी रिजवी ने प्रकट की है। यही काम अतीत में यूरोपीय नेताओं और विद्वानों द्वारा भी किया जा चुका है।

●•• इस्लामिक स्टेट के झंडे पर लिखे शब्द कुरान से लिए गए 

इराक में अमेरिकी कर्मचारी निक बर्ग का कत्ल करने वालों ने भी कुरान का हवाला दिया था। यूरोप में जिहादी प्रदर्शन करने वाले कुरान की आयतों का उल्लेख करते हैं। जुलाई 2016 में बांग्लादेश में जिहादियों ने 20 विदेशियों का गला रेत कर कत्ल किया था, यह कहते हुए कि जो कुरान नहीं जानते, वे कत्ल होने लायक हैं। इस्लामिक स्टेट के झंडे पर लिखे शब्द कुरान से लिए गए हैं। वह कुरान और सुन्ना के ही हिसाब से चलने का दावा करता है।

●•• भारत में कुरान को लेकर दो मुकदमे चल चुके हैं; पहला 1985 में, दूसरा 1986 में

भारत में कुरान को लेकर दो मुकदमे चल चुके हैं। 1985 में कलकत्ता उच्च न्यायालय में चांदमल चोपड़ा ने एक याचिका दायर की थी। इसमें कुरान से कुछ उदाहरण का हवाला देकर हिंसा और सामाजिक विद्वेष फैलने की शिकायत की गई थी। उस याचिका को न्यायमूर्ति बिमल चंद्र बसाक ने यह कहकर खारिज किया था कि किसी समुदाय द्वारा पवित्र मानी जाने वाली किताब पर न्यायालय फैसला नहीं दे सकता। इस मुकदमे का विवरण सीताराम गोयल की पुस्तक ‘कलकत्ता कुरान पिटीशन’ में है। दूसरी बार, कुरान का मामला 1986 में दिल्ली में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट जेड एस लोहाट की अदालत में आया। इंद्रसेन शर्मा नामक एक व्यक्ति ने कुरान की 24 आयतें उद्धृत करते हुए पोस्टर प्रकाशित किया। उसमें लिखा था कि ‘ऐसी अनेक आयतें कुरान में हैं जो दुश्मनी, विद्वेष, हिंसा और घृणा आदि को बढ़ावा देती हैं। अदालत से ऐसी आयतों को हटाने की मांग की गई। इस पोस्टर के प्रकाशन के बाद दिल्ली पुलिस ने इंद्रसेन को गिरफ्तार कर लिया। दंड संहिता की धारा 153 ए और 295 ए के तहत उनकी पेशी हुई। मजिस्ट्रेट ने पाया कि पोस्टर वाली आयतें एक बड़े इस्लामी प्रकाशन से हू-ब-हू उद्धृत थीं। मजिस्ट्रेट ने पोस्टर लगाने को सामान्य विचार माना, जिसे व्यक्त करना अपराधिक मामला नहीं। यह फैसला 31 जुलाई 1986 को दिया गया था। नोट करने की बात है कि इस फैसले के विरुद्ध कोई अपील नहीं हुई।

●•• तीसरी बार सुप्रीम कोर्ट में कुरान पर याचिका मुस्लिम नेता ने की दायर

अब तीसरी बार सुप्रीम कोर्ट में कुरान पर याचिका आई है। इस बार एक मुस्लिम नेता ने इसे दायर किया है। शिकायत वही है कि कुरान की कई आयतें सामाजिक सद्भाव को चोट पहुंचाती हैं। पिछले दोनों मामलों में न्यायाधीशों ने कुरान के प्रति सम्मान दिखाते हुए भी ऐसे आरोप खारिज करने से इन्कार किया था। बीते तीन दशकों में दुनिया भर का भरपूर व्यावहारिक अनुभव भी जुड़ गया है। अनेक मुस्लिम देशों में भी वह चिंता व्यक्त हो रही है, जो रिजवी ने जताई है। इस वैश्विक अनुभव के मद्देनजर रिजवी के आरोप की पक्की परख हो सकती है।

●•• सदियों पुरानी किसी किताब को यथावत रहने का अधिकार है

हालांकि प्रसिद्ध पुस्तकों को संशोधित या प्रतिबंधित करना अनुचित है। जाने-माने चिंतक रामस्वरूप के अनुसार, ‘सदियों पुरानी किसी किताब को यथावत रहने का अधिकार है। जो किसी किताब से असहमत हैं, वे अपनी बात लिखें। नए नियम और प्रस्ताव दें, वह उपयुक्त होगा।’ अत: पुस्तकों की खुली समालोचना होनी चाहिए, ताकि अंधविश्वास और सत्य का अंतर साफ रहे। कुरान से कुछ आयतों को हटा या संशोधित कर देना जरूरी नहीं है। केवल यह मान लिया जाए कि ऐसी चीजें उसमें हैं, जो हानिकारक संदेश देती हैं। मुस्लिम समाज द्वारा यह स्वीकार कर लेना वही बड़ा कार्य होगा, जो अपनी पवित्र पुस्तकों के बारे में यहूदी, ईसाई लोग पहले कर चुके हैं।


●•• बाइबल में कई बातें हिंसात्मक हैं

इस पर अमेरिकी बिशप और हार्वर्ड में व्याख्याता रहे जॉन शेल्बी स्पॉन्ग ने ‘द सिंस ऑफ स्क्रिप्चर’ (पवित्र पुस्तक के पाप) नामक पुस्तक ही लिखी है। उन्होंने विश्लेषण किया कि बाइबल विशेषकर ओल्ड टेस्टामेंट में कई बातें हिंसात्मक हैं। यदि मुस्लिम भी ऐसी ही कोई पहल करें तो यह एक बड़ा रचनात्मक कदम होगा। इससे दुनिया समझेगी कि मुसलमान भी विवेकपूर्ण ढंग से सोच-विचार कर सकते हैं। इससे उनका दूसरे समुदायों के साथ विश्वास का पुल बनना शुरू हो सकेगा।

- शंकर शरण साभार -दैनिक जागरण

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जानिये क्या शराब अधिक बिकने से देश की आय बढ़ती है या नुकसान होता है?

01 अप्रैल 2021

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दिल्ली सरकार ने शराब पीने की आयु आधिकारिक रूप से घटाकर 25 से 21 करने का निर्णय लिया है। देश के किसी भी प्रान्त में चाहे किसी की भी सरकार हो। शराब पीने को प्रोत्साहन देना गलत है। सरकार के लिए यह आय का प्रमुख साधन है परन्तु निष्पक्षता से अगर सोचा जाये तो यह आय नहीं बर्बादी का साधन है।  कुछ लोग कुतर्क करेंगे कि थोड़ी सी पीने में क्या हानि है। लेकिन आज जो थोड़ी सी पी रहा है। वही कल दिन-रात पीने वाला शराबी बनेगा। आरम्भ में चोर छोटी चोरी ही करता है, अपराधी छोटा अपराध ही करता है, अधिकारी छोटी रिश्वत ही लेता है। क्या इन सभी को आप प्रोत्साहन देते हैं? नहीं। तो फिर एक युवा को शराबी बनाने के लिए प्रोत्साहित क्यों किया जा रहा है?



शराब पीने से कितनी हानि?

1★ स्वास्थ्य हानि - शराब पीने से होने शारीरिक हानियों के विषय में सब परिचित है। अनेक लोग अपने जवानी में अस्पतालों के चक्कर शराब पीने से लीवर ख़राब होने के कारण लगाते देखे जाते हैं। अगर शराब जैसा नशा नहीं होता तो इन शराबियों के परिवार कितने सुखी होते। 

2★ सामाजिक हानि- जिस परिवार में शराबी आदमी होता है। उस परिवार का नाश हो जाता है। उसकी पत्नी अपना सम्मान खो देती है। उसकी संतान अनपढ़ या अशिक्षित रह जाती है। घरेलू हिंसा, शारीरिक शोषण आदि आम बात है। शराबी खुद तो बर्बाद होता ही है। उसकी संतान भी बर्बाद हो जाती है। इससे समाज की कितनी हानि होती है। अपराध कितने बढ़ते हैं। राष्ट्र के लिए उत्तम नागरिक बनने के स्थान पर अपराधी जन्म लेते हैं।  इस पर कोई चिंतन नहीं होता। शासक के लिए प्रजा संतान के समान होती है। क्या कोई अपनी संतान को ऐसे गर्त में केवल टैक्स के लिए धकेलता है? 

3★ सरकार की आय बढ़ाने का दावा सदा खोखला दिखता है। यह कुछ ऐसा है आप पहले गड्डा खोदते है। फिर उसमें लोगों को गिरने देते है। फिर उसे बचाने के लिए रस्सी, सीढ़ी और क्रेन खरीदते है। ताकि निकाल सके। शराबी व्यक्ति के कारण अपराध बढ़ते हैं। उसके लिए आपको पुलिस, कोर्ट, जेल आदि को विस्तार देना पड़ता है।  स्वास्थ्य सेवाओं की अतिरिक्त आवश्यकता पढ़ती है। उसके लिए आपको अस्पताल, डॉक्टर आदि रखने पड़ते है। सड़कों पर दुर्घटना अधिक होती है। उससे हानि होती है वो अलग।  इस सबसे क्या सरकार की आय बढ़ती हैं? नहीं अपितु खर्च बढ़ता है। यह साधारण सा तर्क किसी को क्यों समझ नहीं आता।  

4★ भ्रष्टाचार को बढ़ावा। इस पर टिप्पणी करने की आवश्यकता ही नहीं है। सरकारी या गैर सरकारी क्षेत्र में यह प्रचलित हो चला है कि जो काम विनती से नहीं बनता।  वह बोतल से बन जाता है। यह गिरावट का लक्षण है। क्या पहले शराबी बनाने और फिर भ्रष्टाचारी बनाने में परोक्ष रूप से यह सरकार का समर्थन नहीं हैं। 

5★ धार्मिक कारण। धर्म सदाचार रूपी आचरण का नाम है। शराबी आदमी सदाचारी नहीं अपितु दुराचारी हो जाता है। इसीलिए वेदों में किसी के नशे का निषेध है। 

वद मन्त्रों के उदाहरण देखिये-

1★ ऋग्वेद 10/5/6 के अनुसार वेद में मनुष्य को सात प्रकार की मर्यादा का पालन करने का निर्देश दिया गया हैं।   यह सात अमर्यादा  हैं- चोरी, व्यभिचार, ब्रह्म हत्या, गर्भपात, असत्य भाषण, बार बार बुरा कर्म करना और शराब पीना।

2★ ऋग्वेद 8/2/12  सुरापान से दुर्मद उत्पन्न होते हैं। सुरापान बल नाशक तथा बुद्धि कुण्ठित करने वाला है। 

3★ ऋग्वेद 7/86/6 के अनुसार सुरा और जुए से व्यक्ति अधर्म में प्रवृत होता है। 

4★ अथर्ववेद 6/70/1 के अनुसार मांस, शराब और जुआ ये तीनों निंदनीय और वर्जित हैं।

5★ मनुस्मृति का सन्दर्भ देकर स्वामी दयानंद किसी भी प्रकार के नशे से बुद्धि का नाश होना लिखते हैं।

वर्जयेन्मधु मानसं च – मनु जैसे अनेक प्रकार के मद्य, गांजा, भांग, अफीम आदि – बुद्धिं लुम्पति यद् द्रव्यम मद्कारी तदुच्यते।। जो-जो बुद्धि का नाश करने वाले पदार्थ हैं। उनका सेवन कभी न करें।

इस विषय में बहुत विस्तार से न लिखकर यही है कि शराब पर रोक की तुरंत आवश्यकता है। शराबबंदी पूरे देश में लागु होनी चाहिये। ताकि आने वाली पीढ़ी का भविष्य बचाया जा सके। -डॉ. विवेक आर्य


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भारतवासी भूल गए खुद का नववर्ष,आ रहा है 13 अप्रैल को, ऐसे करें तैयारी

31 मार्च 2021

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हिन्दू धर्म पृथ्वी के उद्गम से ही है और सबसे सर्वश्रेष्ठ धर्म है; परंतु दुर्भाग्य की बात है कि हिन्दू ही इसे समझ नहीं पाते । पाश्चात्य कल्चर को योग्य और अधर्मी कृत्यों का अंधानुकरण करने में ही अपने आप को धन्य समझते हैं । 31 दिसंबर की रात में नववर्ष का स्वागत और 1 जनवरी को नववर्षारंभ दिन मनाने लगे हैं ।



अग्रेजी कालगणना ने इस वर्ष अपने 2021 वें वर्ष में पदार्पण किया है, जबकि हिन्दू कालगणना के अनुसार इस चैत्र शुक्ल 1 खर्व 15 निखर्व, 55 खर्व, 21 पद्म (अरब) 93 करोड़ 8 लाख 53 सहस्र 123 वां वर्ष आरंभ हो रहा है ।

(टिप्पणी : 1 खर्व अर्थात 10,00,00,00,000 वर्ष (हजार करोड़ या वर्ष) और 1 निखर्व अर्थात 1,00,00,00,00,000 वर्ष (दस हजार करोड़ वर्ष)

नव संवत्सर 2078 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा , 13 अप्रैल 2021 से प्रारंभ हो रहा है यही हिन्दुओं का नया वर्ष है, इसे धूमधाम से जरूर मनाएं ।

चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा ही हिन्दुओं का वर्षारंभ दिवस है; क्योंकि यह सृष्टि की उत्पत्ति का पहला दिन है । इस दिन प्रजापति देवता की तरंगें पृथ्वी पर अधिक आती हैं ।

भारतीय नववर्ष की विशेषता   -

पराणों में लिखा है कि जिस दिन सृष्टि का चक्र प्रथम बार विधाता ने प्रवर्तित किया, उस दिन चैत्र सुदी प्रतिपदा रविवार था ।

चैत्र के महीने के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि (प्रतिपद या प्रतिपदा) को सृष्टि का आरंभ हुआ था। हिन्दुओं का नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शरू होता है । इस दिन ग्रह और नक्षत्र में परिवर्तन होता है । हिन्दी महीने की शुरूआत इसी दिन से होती है ।

पड़-पौधों में फूल, मंजरी ,कली इसी समय आना शुरू होते हैं , वातावरण में एक नया उल्लास होता है जो मन को आह्लादित कर देता है। जीवों में धर्म के प्रति आस्था बढ़ जाती है । इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था । भगवान विष्णु जी का प्रथम अवतार भी इसी दिन हुआ था। नवरात्र की शुरुआत इसी दिन से होती है । जिसमें हिन्दू उपवास एवं पवित्र रहकर नववर्ष की शुरूआत करते हैं।

परम पुरूष अपनी प्रकृति से मिलने जब आता है तो सदा चैत्र में ही आता है । इसीलिए सारी सृष्टि सबसे ज्यादा चैत्र में ही महक रही होती है । वैष्णव दर्शन में चैत्र मास भगवान नारायण का ही रूप है । चैत्र का आध्यात्मिक स्वरूप इतना उन्नत है कि इसने वैकुंठ में बसने वाले ईश्वर को भी धरती पर उतार दिया ।

न शीत न ग्रीष्म । पूरा पावन काल । ऐसे समय में सूर्य की चमकती किरणों की साक्षी में चरित्र और धर्म धरती पर स्वयं  श्रीराम रूप धारण कर उतर आए,  श्रीराम का अवतार चैत्र शुक्ल नवमी को होता है । चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि के ठीक नवें दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था । आर्यसमाज की स्थापना इसी दिन हुई थी । यह दिन कल्प, सृष्टि, युगादि का प्रारंभिक दिन है । संसारव्यापी निर्मलता और कोमलता के बीच प्रकट होता है हिन्दुओं का नया साल विक्रम संवत्सर विक्रम संवत का संबंध हमारे कालचक्र से ही नहीं, बल्कि हमारे सुदीर्घ साहित्य और जीवन जीने की विविधता से भी है ।

कहीं धूल-धक्कड़ नहीं, कुत्सित कीच नहीं, बाहर-भीतर जमीन-आसमान सर्वत्र स्नानोपरांत मन जैसी शुद्धता । पता नहीं किस महामना ऋषि ने चैत्र के इस दिव्य भाव को समझा होगा और किसान को सबसे ज्यादा सुहाती इस चैत्र में ही काल गणना की शुरूआत मानी होगी ।

चैत्र मास का वैदिक नाम है-मधु मास । मधु मास अर्थात आनंद बांटता वसंत का मास । यह वसंत आ तो जाता है फाल्गुन में ही, पर पूरी तरह से व्यक्त होता है चैत्र में । सारी वनस्पति और सृष्टि प्रस्फुटित होती है ,पके मीठे अन्न के दानों में, आम की मन को लुभाती खुशबू में, गणगौर पूजती कन्याओं और सुहागिन नारियों के हाथ की हरी-हरी दूब में तथा वसंतदूत कोयल की गूंजती स्वर लहरी में ।

चारों ओर पकी फसल का दर्शन ,  आत्मबल और उत्साह को जन्म देता है । खेतों में हलचल, फसलों की कटाई , हंसिए का मंगलमय खर-खर करता स्वर और खेतों में डांट-डपट-मजाक करती आवाजें। जरा दृष्टि फैलाइए, भारत के आभा मंडल के चारों ओर। चैत्र क्या आया मानो खेतों में हंसी-खुशी की रौनक छा गई।

नई फसल घर में आने का समय भी यही है । इस समय प्रकृति में उष्णता बढ़ने लगती है , जिससे पेड़ -पौधे , जीव-जन्तु में नवजीवन आ जाता है । लोग इतने मदमस्त हो जाते हैं कि आनंद में मंगलमय गीत गुनगुनाने लगते हैं । गौरी और गणेश की पूजा भी इसी दिन से तीन दिन तक राजस्थान में की जाती है । चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन सूर्योदय के समय जो वार होता है वह ही वर्ष में संवत्सर का राजा कहा जाता है ,  मेषार्क प्रवेश के दिन जो वार होता है वही संवत्सर का मंत्री होता है इस दिन सूर्य मेष राशि में होता है ।

सभी हिन्दू चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष मनाने का संकल्पं | इस वर्ष 13 अप्रैल 2021 को हिन्दू नववर्ष आ रहा है । सभी हिन्दू तैयारी शुरू कर दें ।

आज से ही अपने सभी सगे-संबंधी, परिचित और मित्रों को पत्र एवं सोशल मीडिया आदि द्वारा शुभ संदेश भेजना शुरू करें ।

सस्कृति रक्षा के लिए गांव-शहरों में नववर्ष निमित्त प्रभात फेरियां, झांकिया की सजावट वाली यात्राएं, पोस्टर लगाकर, स्थानिक केबल पर प्रसारण करवाकर नववर्ष का प्रचार-प्रसार जरूर करें ।


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हिंदुस्तानी इतिहास से सबक कब लेंगे? कही देरी न हो जाये...

30 मार्च 2021

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बगाल में तृणमूल कांग्रेस के एक मुस्लिम नेता ने बयान दिया कि "हम जब 30 प्रतिश हो जायेंगे तो देश के चार पाकिस्तान बना देंगे।" कुछ लोग इसे मज़ाक समझ कर इस पर ध्यान नहीं देंगे। पर आज से ठीक 100 वर्ष पहले जब ऐसे बयान दिए जाते थे तब भी सेक्युलर नेता ऐसे ही ध्यान नहीं देते थे। परिणाम देश का 1947 में विभाजन। लाखों हिन्दुओं की हत्या, बलात्कार, जबरन धर्मान्तरण, नग्न कर हिन्दू नारियों के जुलूस और न जाने क्या क्या। पर हम भी कितने बड़े कुम्भकरण हैं कि अपने इतिहास से कुछ सीख नहीं लेते। बंगाल के हिन्दुओं को देखिये।  नोआखाली, डायरेक्ट एक्शन डे, 1947 और 1971 के बाद भी उन्होंने कुछ नहीं सीखा। इन बयानों को सुनकर अनुसना करने वालों को डॉ पीटर हैमंड के लेखन को पढ़ना चाहिये।


 

2005 में समाजशास्त्री डा. पीटर हैमंड ने गहरे शोध के बाद इस्लाम धर्म के मानने वालों की दुनियाभर में प्रवृत्ति पर एक पुस्तक लिखी, जिसका शीर्षक है ‘स्लेवरी, टैररिज्म एंड इस्लाम-द हिस्टोरिकल रूट्स एंड कंटेम्पररी थ्रैट’। इसके साथ ही ‘द हज’ के लेखक लियोन यूरिस ने भी इस विषय पर अपनी पुस्तक में विस्तार से प्रकाश डाला है। जो तथ्य निकल कर आए हैं, वे न सिर्फ चौंकाने वाले हैं, बल्कि चिंताजनक हैं।

उपरोक्त शोध ग्रंथों के अनुसार जब तक मुसलमानों की जनसंख्या किसी देश-प्रदेश क्षेत्र में लगभग 2 प्रतिशत के आसपास होती है, तब वे एकदम शांतिप्रिय, कानूनपसंद अल्पसंख्यक बन कर रहते हैं और किसी को विशेष शिकायत का मौका नहीं देते। जैसे अमरीका में वे (0.6 प्रतिशत) हैं, आस्ट्रेलिया में 1.5, कनाडा में 1.9, चीन में 1.8, इटली में 1.5 और नॉर्वे में मुसलमानों की संख्या 1.8 प्रतिशत है। इसलिए यहां मुसलमानों से किसी को कोई परेशानी नहीं है।

जब मुसलमानों की जनसंख्या 2 से 5 प्रतिशत के बीच तक पहुंच जाती है, तब वे अन्य धर्मावलंबियों में अपना धर्मप्रचार शुरू कर देते हैं। जैसा कि डेनमार्क, जर्मनी, ब्रिटेन, स्पेन और थाईलैंड में जहां क्रमश: 2, 3.7, 2.7, 4 और 4.6 प्रतिशत मुसलमान हैं।

जब मुसलमानों की जनसंख्या किसी देश या क्षेत्र में 5 प्रतिशत से ऊपर हो जाती है, तब वे अपने अनुपात के हिसाब से अन्य धर्मावलंबियों पर दबाव बढ़ाने लगते हैं और अपना प्रभाव जमाने की कोशिश करने लगते हैं। उदाहरण के लिए वे सरकारों और शॉपिंग मॉल पर ‘हलाल’ का मांस रखने का दबाव बनाने लगते हैं, वे कहते हैं कि ‘हलाल’ का मांस न खाने से उनकी धार्मिक मान्यताएं प्रभावित होती हैं। इस कदम से कई पश्चिमी देशों में खाद्य वस्तुओं के बाजार में मुसलमानों की तगड़ी पैठ बन गई है। उन्होंने कई देशों के सुपरमार्कीट के मालिकों पर दबाव डालकर उनके यहां ‘हलाल’ का मांस रखने को बाध्य किया। दुकानदार भी धंधे को देखते हुए उनका कहा मान लेते हैं।

इस तरह अधिक जनसंख्या होने का फैक्टर यहां से मजबूत होना शुरू हो जाता है, जिन देशों में ऐसा हो चुका है, वे फ्रांस, फिलीपींस, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, नीदरलैंड, त्रिनिदाद और टोबैगो हैं। इन देशों में मुसलमानों की संख्या क्रमश: 5 से 8 फीसदी तक है। इस स्थिति पर पहुंचकर मुसलमान उन देशों की सरकारों पर यह दबाव बनाने लगते हैं कि उन्हें उनके क्षेत्रों में शरीयत कानून (इस्लामिक कानून) के मुताबिक चलने दिया जाए। दरअसल, उनका अंतिम लक्ष्य तो यही है कि समूचा विश्व शरीयत कानून के हिसाब से चले।

जब मुस्लिम जनसंख्या किसी देश में 10 प्रतिशत से अधिक हो जाती है, तब वे उस देश, प्रदेश, राज्य, क्षेत्र विशेष में कानून-व्यवस्था के लिए परेशानी पैदा करना शुरू कर देते हैं, शिकायतें करना शुरू कर देते हैं, उनकी 'आर्थिक परिस्थिति’ का रोना लेकर बैठ जाते हैं, छोटी-छोटी बातों को सहिष्णुता से लेने की बजाय दंगे, तोड़-फोड़ आदि पर उतर आते हैं, चाहे वह फ्रांस के दंगे हों डेनमार्क का कार्टून विवाद हो या फिर एम्सटर्डम में कारों का जलाना हो, हरेक विवाद को समझबूझ, बातचीत से खत्म करने की बजाय खामख्वाह और गहरा किया जाता है। ऐसा गुयाना (मुसलमान 10 प्रतिशत), इसराईल (16 प्रतिशत), केन्या (11 प्रतिशत), रूस (15 प्रतिशत) में हो चुका है।

जब किसी क्षेत्र में मुसलमानों की संख्या 20 प्रतिशत से ऊपर हो जाती है तब विभिन्न ‘सैनिक शाखाएं’ जेहाद के नारे लगाने लगती हैं, असहिष्णुता और धार्मिक हत्याओं का दौर शुरू हो जाता है, जैसा इथियोपिया (मुसलमान 32.8 प्रतिशत) और भारत (मुसलमान 22 प्रतिशत) में अक्सर देखा जाता है। मुसलमानों की जनसंख्या के 40 प्रतिशत के स्तर से ऊपर पहुंच जाने पर बड़ी संख्या में सामूहिक हत्याएं, आतंकवादी कार्यवाहियां आदि चलने लगती हैं। जैसा बोस्निया (मुसलमान 40 प्रतिशत), चाड (मुसलमान 54.2 प्रतिशत) और लेबनान (मुसलमान 59 प्रतिशत) में देखा गया है। शोधकर्ता और लेखक डा. पीटर हैमंड बतातें कि जब किसी देश में मुसलमानों की जनसंख्या 60 प्रतिशत से ऊपर हो जाती है, तब अन्य धर्मावलंबियों का ‘जातीय सफाया’ शुरू किया जाता है (उदाहरण भारत का कश्मीर), जबरिया मुस्लिम बनाना, अन्य धर्मों के धार्मिक स्थल तोडऩा, जजिया जैसा कोई अन्य कर वसूलना आदि किया जाता है। जैसे अल्बानिया (मुसलमान 70 प्रतिशत), कतर (मुसलमान 78 प्रतिशत) व सूडान (मुसलमान 75 प्रतिशत) में देखा गया है।

किसी देश में जब मुसलमान बाकी आबादी के 80 प्रतिशत हो जाते हैं, तो उस देश में सत्ता या शासन प्रायोजित जातीय सफाई की जाती है। अन्य धर्मों के अल्पसंख्यकों को उनके मूल नागरिक अधिकारों से भी वंचित कर दिया जाता है। सभी प्रकार के हथकंडे अपनाकर जनसंख्या को 100 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य रखा जाता है। जैसे बंगलादेश (मुसलमान 83 प्रतिशत), मिस्र (90 प्रतिशत), गाजापट्टी (98 प्रतिशत), ईरान (98 प्रतिशत), ईराक (97 प्रतिशत), जोर्डन (93 प्रतिशत), मोरक्को (98 प्रतिशत), पाकिस्तान (97 प्रतिशत), सीरिया (90 प्रतिशत) व संयुक्त अरब अमीरात (96 प्रतिशत) में देखा जा रहा है।

                             

अत में एक ही सन्देश के साथ बात को विराम देते हैं..। इतिहास से सबक सीखने वाला समझदार कहलाता है।


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रेप केस में स्वामी चिन्मयानंद बरी, समय, पैसे, इज्जत वापिस कौन करेगा?

29 मार्च 2021

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जसे ही किसी हिन्दू साधु-संत अथवा हिंदुनिष्ठ पर कोई साजिश के तहत आरोप लगता है तो मीडिया उनकी तुंरत बदनामी शुरू कर देती है, अनेक झूठी कहानियां बनाई जाती है लेकिन जैसे ही वे निर्दोष बरी होते हैं तो मीडिया चुप हो जाती है।



दसरी ओर महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाये गए कड़े कानून का पैसे ऐठने अथवा  बदला लेने की भावना अथवा साजिश के तहत कई बार झूठे केस निर्दोष पुरुषों पर लगाये जाते हैं, उसमे भी साधु-संतों की बदनामी करने के लिए ऐसी साजिशें बहुत चल रही हैं फिर मीडिया तुरन्त सक्रिय होकर झूठी कहानियां बनाकर उनको बदनाम करते हैं,पुलिस भी सक्रिय होकर तुंरत गिरफ्तार करती है और न्यायालय जेल भेज देती हैं पर समय पाकर वे निर्दोष बरी होते हैं तब जो उनके पैसे, इज्जत, समय जाता है उसकी भरपाई कौन करेगा?

आपको बता दें कि शाहजहांपुर लॉ कालेज की छात्रा से रेप मामले में फंसे पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद एमपी-एमएलए कोर्ट से बरी हो गए।

यपी के शाहजहांपुर स्थित लॉ कालेज की छात्रा ने चिन्मयानंदजी पर रेप का आरोप लगाया था। इस केस में शुक्रवार को एमपी-एमएलए कोर्ट ने फैसला सुना दिया। रेप मामले में फंसे चिन्मयानंद को एमपी-एमएलए कोर्ट से बरी कर दिया गया। वहीं, दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली छात्रा और उसके साथियों को भी कोर्ट ने बरी कर दिया।

आपको बता दें कि 2019 में शाहजहांपुर के स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय में पढ़ने वाली एलएलएम की छात्रा ने एक वीडियो में स्वामी चिन्मयानंद पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए थे। इस कॉलेज को स्वामी चिन्मयानंदजी का ट्रस्ट चलाते है।

इस मामले में आरोपी स्वामी चिन्मयानंद की मुमुक्ष आश्रम से गिरफ्तारी हुई थी। एसआईटी ने यूपी पुलिस के साथ मिलकर सितंबर में चिन्मयानंदजी को आश्रम से गिरफ्तार किया था। स्त्रोत : आजतक

जब स्वामी चिन्मयानंदजी पर आरोप लगे थे तब मीडिया ने दिन-रात खबरे उनके खिलाफ दिखाई लेकिन जैसे ही वे निर्दोष बरी हो गए तो मीडिया ने किस कोने में छोटी सी खबर दिखाई बस, ये पहली बार ऐसा नहीं है इससे पहले भी ऐसा होता रहा हैं।

छात्रा से रेप मामले में चिन्मयानंदजी को कोर्ट ने निर्दोष बरी किया।

लकिन मीडिया ने उनको इतना बदनाम किया, उनको जेल भेजा गया, उनकी इज्जत, पैसे और समय की बर्बादी हुई उसकी भरपाई कौन करेगा?

बात दें कि जैसे स्वामी चिन्मयानंद निर्दोष बरी हुए वैसे ही राष्ट्र व सनातन धर्म के लिए कार्य करने व धर्मांतरण पर रोक लगाने वाले 85 वर्षीय संत आशारामजी बापू को साजिश के तहत फसाने के कई प्रमाण भी है फिर भी उनको 8 साल से जमानत नहीं मिलना कितना बड़ा अन्याय है जब वे ऊपरी कोर्ट से निर्दोष बरी होंगे तब उनका कीमती समय कौन लौटाएगा?

आपको बता दें कि बापू आशारामजी के अहमदाबाद आश्रम में एक Fax आया था जिसमें 50 करोड़ की फिरौती की मांग की गई थी और न देने पर धमकी दी गई थी कि अगर बापू ने 50 करोड़ नही दिए तो झूठी लड़कियां तैयार करके झूठे केस में फंसा देंगे और कभी बाहर नहीं आ पाओगे पर कोर्ट ने इनके ऊपर कोई एक्शन नहीं लिया।

https://youtu.be/YegncME19aU


डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने भी कई बार खुलासा किया है कि बापू आशारामजी को धर्मपरिवर्तन पर रोक लगाने और लाखों हिन्दुओं की घरवापसी कराने के कारण षडयंत्र के तहत जेल भिजवाया गया है ।


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