Thursday, December 1, 2016

तीन दशक बाद नहीं बचेगा एक भी हिंदू – प्रोफेसर डॉ. अब्दुल बरकत

632 हिंदू रोजाना छोड़ रहे हैं बांग्लादेश ।तीन दशक बाद नहीं बचेगा एक भी हिंदू – प्रोफेसर डॉ. अब्दुल बरकत
ढाका : बांग्लादेश से लगातार हो रहा हिंदुओं का पलायन एक चिंता का विषय बनता जा रहा है, अगर देश से इसी प्रकार पलायन होता रहा, तो अगले 30 वर्ष में बांग्लादेश में एक भी हिंदू नहीं बचेगा । ढाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. अब्दुल बरकत के अनुसार औसतन 632 हिंदू रोजाना बांग्लादेश छोड़ रहे हैं ।
दैनिक ट्रिब्यून की रिपोर्ट में प्रोफेसर बरकत के हवाले से कहा गया है कि पिछले 49 वर्ष में पलायन का जिस तरह का पैटर्न रहा है वो उसी दिशा की ओर बढ़ रहा है ।अगले तीन दशक में बांग्लादेश में एक भी हिंदू नहीं बचेगा ।
बरकत ने अपनी किताब ‘Political economy of reforming agriculture-land-water bodies in Bangladesh’ में ये बात कही है । ये किताब 19 नवंबर को प्रकाशित होकर आई है ।
exodus-of-hindus-from-bangladesh-is-growing-three-decades-later-there-will-be-no-hindu-

प्रोफेसर बरकत ने ढाका यूनिवर्सिटी में किताब के विमोचन के दौरान बताया कि 1964 से 2013 के बीच लगभग 1 करोड़ 13 लाख हिंदुओं ने धार्मिक भेदभाव और उत्पीड़न के कारण से बांग्लादेश छोड़ा । ये आंकड़ा औसतन हर दिन 632 का बैठता है । इसका अर्थ ये भी है कि हर वर्ष 2, 30, 612  हिंदू बांग्लादेश छोड़ रहे हैं ।
प्रोफेसर बरकत ने अपने 30 वर्ष के शोध के दौरान पाया कि अधिकतर हिंदुओं ने 1971 में बांग्लादेश को आजादी मिलने के बाद फौजी हुकूमतों के दौरान पलायन किया ।
बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दिनों में हर दिन हिंदुओं के पलायन का आंकड़ा 705 था । 1971-1981 के बीच ये आंकड़ा 512  रहा । वहीं 1981-1991 के बीच औसतन 438 हिंदुओं ने हर दिन पलायन किया । 1991-2001 के बीच ये आंकडा बढ़कर 767  हो गया । वहीं 2001-2012 में हिंदुओं के हर दिन पलायन का आंकड़ा 774 रहा ।
ढाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अजय रॉय ने कहा कि, बांग्लादेश बनने से पहले पाकिस्तान के शासन वाले दिनों में सरकार ने अनामी प्रॉपर्टी का नाम देकर हिंदुओं की संपत्ति को जब्त कर लिया । स्वतंत्रता मिलने के बाद भी निहित संपत्ति के तौर पर सरकार ने कब्जा जमाए रखा । इसी वजह से लगभग 60 प्रतिशत हिंदू भूमिहीन हो गए ।
रिटायर्ड जस्टिस काजी इबादुल हक ने इस समय कहा है कि अल्पसंख्यकों और गरीबों को उनकी भूमि के अधिकार से वंचित कर दिया गया ।
प्रोफेसर बरकत ने अपनी किताब को बचपन के उन दोस्तों को समर्पित किया है जो ‘बुनो’ समुदाय से थे और अब उनका नामलेवा भी बांग्लादेश में नहीं बचा है ।
भारत में अल्पसंख्यक मुस्लिम पर कुछ होता है तो मीडिया दिन-रात खबरें दिखाती रहती है और सेक्युलर लोग उनके बचाव में टूट पड़ते है लेकिन बांग्लादेश में हररोज इतना हिन्दुओ का पलायन होना व उनके ऊपर इतना अत्याचार होने पर मीडिया और  सेक्युलर लोगों ने चुप्पी क्यों साधी है ???
आपको बता दें कि कश्मीर से पंडितों को भगा दिया गया और बाद में उत्तर प्रदेश में कैराना से भी कई हिन्दू परिवार पलायन कर गए । और भी कई जगहों के नाम सुनने में आये और अभी उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ में भी हिन्दू पलायन हो रहे हैं ।
अब एक ही उपाय है हिन्दू संगठित होकर अन्याय का प्रतिकार करें ।
नही तो एक ऐसा समय आयेगा कि हिन्दू नाम भी बोल नही पाओगे !!
ईसाई मिशनरियाँ और मुस्लिम देश दिन-रात हिंदुस्तान और पूरी दुनिया से हिन्दुस्तान को मिटाने में लगे हैं अतः हिन्दू सावधान रहें ।
अभी समय है हिन्दू एक होकर हिन्दुओं पर हो रहे प्रहार को रोके तभी हिन्दू बच पायेंगे ।हिन्दू होगा तभी सनातन संस्कृति बचेगी ।
अगर सनातन संस्कृति नही बचेगी तो दुनिया में इंसानियत ही नही बचेगी क्योंकि हिन्दू संस्कृति ही ऐसी है जिसने "वसुधैव कुटुम्बकम्" का वाक्य चरितार्थ करके दिखाया है ।
सदाचार व भाई-चारे की भावना अगर किसी संस्कृति में है तो वो सनातन संस्कृति है ।
शत्रु को भी क्षमा करने की ताकत अगर किसी संस्कृति में है तो वो सनातन संस्कृति है ।
प्राणिमात्र में ईश्वरत्व के दर्शन कर, सर्वोत्वकृष्ट ज्ञान प्राप्त कर जीव में से शिवत्व को प्रगट करने की क्षमता अगर किसी संस्कृति में है तो वो सनातन संस्कृति में है ।
ऐसी महान संस्कृति में हमारा जन्म हुआ है , हिन्दू संस्कृति को बचाने के लिए आज हिंदुओं को ही संगठित होने की जरुरत है ।

हिंदुओं के बहुलता वाले देश हिंदुस्तान में अगर आज हिन्दू पीड़ित है तो सिर्फ और सिर्फ हिंदुओं की निष्क्रियता और अपनी महान संस्कृति की ओर विमुखता के कारण !!
जय हिन्द!

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