Thursday, September 27, 2018

भारत देश कहाँ जा रहा है ? कानून द्वारा पाश्चात्य संस्कृति थोपी जा रही है ?

27 September 2018
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🚩भारत से अंग्रेज तो चले गए, लेकिन अगर कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ने वाले जज बन जाते हैं तो उनकी मानसकिता भी ऐसी हो रही है, एक तरफ आम जनता को न्याय नहीं मिल पा रहा है, गौहत्या, 370, श्री राम मंदिर के लिए न्यायालय को समय नहीं है और आज बड़ा फैसला दिया कि व्यभिचार करना कोई अपराध नहीं है, इससे पहले समलैंगिक में शारीरिक संबंध बनाना कोई गलत कार्य नहीं है और इससे पहले लिव एंड रिलेशनशिप का कानून बनाया था इससे देखकर लगता है कि भारत कोई फिर से विदेशी शक्तियों से जकड़ तो नही गया है ?
🚩सुप्रीम कोर्ट ने एडल्ट्री (व्यभिचार) संबंधी कानून की धारा 497 को खारिज कर दिया ।
भारत में अब किसी भी तरह का सेक्सुअल संबंध अपराध नहीं है, शादी के बाद भी महिला दूसरे पुरुष से संबंध बना सकती है । पति उसके लिए कोई फरियाद नहीं कर सकता है ।
Where is India going? Western culture
 is being imposed by law?

🚩क्या था एडल्ट्री कानून (धारा 497):-
भारतीय दंड संहिता की धारा 497 के अनुसार यदि कोई पुरूष यह जानते हुए भी कि महिला किसी अन्य व्यक्ति की पत्नी है और उस व्यक्ति की सहमति या मिलीभगत के बगैर ही महिला के साथ यौनाचार करता है तो वह परस्त्रीगमन के अपराध का दोषी होगा । इस अपराध के लिये पुरूष को पांच साल की कैद या जुर्माना अथवा दोनों की सजा का प्रावधान था, लेकिन अब इस धारा को खत्म कर दिया गया है । कोई भी शादीशुदा महिला किसी भी पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बना सकती है, पति या अन्य कोई रोकटोक नहीं कर सकते हैं ।
🚩समलैंगिकता अपराध नहीं:-
देश की सर्वोच्च अदालत ने पिछले दिनों में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है । इसके अनुसार आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अब अपराध नहीं माना जाएगा ।
🚩वर्तमान कानून से अब कोई भी महिला, महिला के साथ और कोई भी पुरूष, पुरुष के साथ अप्राकृतिक शारीरिक संबंध बना सकता है, इसे कोई अपराध नहीं माना जाएगा ।
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में समलैंगिकता को अपराध माना गया था । आईपीसी की धारा 377 के मुताबिक, जो कोई भी किसी पुरुष, महिला या पशु के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाता है तो इस अपराध के लिए उसे 10 वर्ष की सज़ा या आजीवन कारावास का प्रावधान रखा गया था । इसमें जुर्माने का भी प्रावधान था और इसे ग़ैर ज़मानती अपराध की श्रेणी में रखा गया था ।
लेकिन सुप्रीम ने अब इस धारा को भी हटा दिया है ।
🚩लिव एंड रिलेशनशिप कानून:-
लिव इन रिलेशनशिप का मतलब होता है जब एक लड़का और लड़की आपसी सहमति के बाद बिना शादी के पति-पत्नी की तरह रहते हैं । उसे लिव इन रिलेशनशिप कहा जाता है । यहाँ तक कि शादी करने की उम्र कम हो और नाबालिग हो तो भी पति-पत्नी के रूप में एक साथ रह सकते है ।
🚩जो लोग लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं उन दोनों को हमेशा इस बात का खतरा रहता है, कि उनका पार्टनर उन्हें छोड़कर कभी भी जा सकता है, क्योंकि लिव इन रिलेशनशिप में एक दूसरे को छोड़कर कभी भी जाने की आजादी होती है ।
मां-बाप और परिवार वालों को इस लिव इन रिलेशनशिप के बारे में पता चलता है तो वह बहुत ही परेशान होते हैं और तनाव में आ जाते हैं ।
🚩वर्तमान में ये जो तीनों कानून चल रहा है उसे भारतीय संस्कृति कभी भी स्वीकार नहीं करेगी क्योंकि हमारे शास्त्रों में लिखा है कि अपनी पत्नी के अलावा किसी से संबंध बनाना पाप है और उसे नर्क में जाना पड़ता है ।
ऐसे कानून भारत में नहीं बल्कि विदेशों में चलते हैं वे लोग पशु जैसा जीवन जीते हैं, पशु की नाई कुछ भी खा लिया, कहीं भी किसी से भी शारीरिक संबंध बना लिया ये सब भारतीय संस्कृति में नहीं है । भारतीय संस्कृति सभ्य संस्कृति है जो मानव से महेश्वर की तरफ ले जाती है और पाश्चात्य संस्कृति मनुष्य से पशु की तरफ ले जाती है ।
🚩भारत में आज जो ऐसे कानून बन रहे हैं इससे तो साफ पता चलता है कि भारतीय संस्कृति को तोड़ने का एक षड्यंत्र चल रहा है, विदेशी शक्तियों द्वारा कानून के जरिये पश्चिमी संस्कृति लाने का प्रयास चल रहा है, इससे विदेशी कम्पनियों को अरबों-खबरों का फायदा होगा क्योंकि व्यभिचार करेंगे तो गर्भनिरोधक दवाइयों की बहुत बिक्री होगी एवं लोग ज्यादा बीमार पड़ेंगे जिससे उनके व्यापार में बहुत फायदा होगा ।
🚩दूसरा धर्मान्तरण वालों को भी फायदा मिलेगा क्योंकि लोग व्यभिचारी हो जाएंगे तो अपने धर्म को नहीं मानेंगे जिससे उनको अपने ईसाई धर्म में ले जाने में आसानी होगी, जिससे उनकी वोटबैंक बढ़ेगी और वे फिर से भारत में राज कर सकेंगे ।
भारत मे ऐसे कानूनो को खत्म कर देना चाहिए नहीं तो आगे जाकर भयंकर नुकसान होगा ।
🚩भारतीय संस्कृति के सिद्धांतों पर चलनेवाले हजारों योगासिद्ध महापुरुष इस देश में हुए हैं, अभी भी हैं और आगे भी होते रहेंगे, जबकि पश्चिमी संस्कृति के मार्ग पर चलकर कोई योगसिद्ध महापुरुष हुआ हो ऐसा हमने तो नहीं सुना, बल्कि दुर्बल हुए, रोगी हुए, एड्स के शिकार हुए, अकाल मृत्यु के शिकार हुए, खिन्न मानस हुए, अशांत हुए । उस मार्ग पर चलनेवाले पागल हुए हैं,ऐसे कई नमूने हमने देखे हैं ।
अतः पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण करके ऐसे कानून नहीं बनाएं जिससे व्यक्ति, समाज, देश और धर्म को नुकसान हो । कानून ऐसे हों कि सभी की उन्नति हो और देश आगे बढ़े ।
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