11 मार्च 2019
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बता दें कि होली के दिनों में ऋतु परिवर्तन होता है तो शरीर में कफ पिघलकर जठराग्नि में आता है जिसके कारण अनेक बीमारियां होती हैं उससे बचने के लिए होली दहन की तपन से कफ जल्दी पिघल कर नष्ट हो जाता है और दूसरे दिन कूद-फांद कर धुलेंडी खेलने से कफ निकल जाता है जिसके कारण अनेक भयंकर बीमारियों से रक्षा होती है । होली के पीछे आध्यात्मिक कारण भी छुपा है, भक्ति करने वाला का हमेशा विजयी होता है चाहे कोई कितना भी अनिष्ट करने की कोशिश करे उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है ।
एक गाय करीब रोज 10 किलो गोबर देती है । 10.. किलो गोबर को सुखाकर 5 कंडे बनाए जा सकते हैं ।
धुलेंडी खेलने के पीछे का वैज्ञानिक कारण :
होली के समय ऋतु परिवर्तन होता है, सर्दी से गर्मी में प्रवेश होता है इसलिए गर्मी की तपन और गर्मीजन्य रोगों से बचने के लिए पलाश के रंगों से होली खेली जाती है । आध्यात्मिक कारण ये है कि हमे सालभर में किसी से भी कोई लड़ाई झगड़ा हुआ है उसको भूलकर मिलजुलकर होली खेलें ।
पलाश के फूलों से होली खेलने की परम्परा का फायदा बताते हुए हिन्दू संत आशारामजी बापू कहते हैं कि ‘‘पलाश कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है । साथ ही रक्तसंचार में वृद्धि करता है एवं मांसपेशियों का स्वास्थ्य, मानसिक शक्ति व संकल्पशक्ति को बढ़ाता है ।
पलाश के फूलों से बने रंगों से होली खेलने से शरीर में गर्मी सहन करने की क्षमता बढ़ती है, मानसिक संतुलन बना रहता है ।
सुदर्शन न्यूज़ चैनल के मुख्य संपादक श्री सुरेश चव्हाणके और भाजपा नेता ड़ॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि अधिकतर इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया हिन्दुओं व उनके #त्यौहारों के खिलाफ है, क्योंकि उनको विदेश से भारी फंड मिलता है । हिन्दुओं के खिलाफ मतलब केवल एक हिन्दू के खिलाफ नहीं बल्कि उनकी जहां-जहां आस्था है उसी केंद्र बिंदु को तोड़ने के लिए विदेशी ताकतों के इशारे पर काम कर रही है ।
आओ मनाएं ऐसा त्यौहार जिससे महके घर आंगन और स्वस्थ रहे परिवार..
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