Monday, October 28, 2024

“धनतेरस : भगवान धन्वंतरि का आशीर्वाद, स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक शक्ति का पावन पर्व” : धनत्रयोदशी

 29 October 2024

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🚩“धनतेरस : भगवान धन्वंतरि का आशीर्वाद, स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक शक्ति का पावन पर्व” : धनत्रयोदशी 


🚩धनत्रयोदशी, जिसे हम धनतेरस के नाम से भी जानते है,दिवाली उत्सव की शुरुआत का शुभ दिन है। यह पर्व हिंदू धर्म में स्वास्थ्य, धन और आध्यात्मिक संतुलन का प्रतीक माना जाता है और इसके पीछे गहरे पौराणिक कथाएं एवं आध्यात्मिक मान्यताएं जुड़ी है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है, जिन्हें आयुर्वेद के जनक और औषधियों के देवता माना गया है। आइए जानें इस पर्व के पौराणिक और सांस्कृतिक महत्व को विस्तार से।


🚩पौराणिक कथा : समुद्र मंथन और भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य : धनतेरस की गाथा समुद्र मंथन की पौराणिक कथा से आरंभ होती है। देवताओं और असुरों ने मिलकर अमृत की प्राप्ति के लिए समुद्र का मंथन किया, ताकि उन्हें अमरत्व का वरदान मिले। इस मंथन से कई अनमोल रत्नों के साथ भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। भगवान धन्वंतरि के हाथों में अमृत कलश देखकर देवताओं में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई क्योंकि इसका मतलब था कि उन्हें स्वास्थ्य और अमरत्व का वरदान मिल जाएगा। यह दिन आज भी इस दिव्य घटना की स्मृति में मनाया जाता है, और स्वास्थ्य एवं रोगमुक्ति का आशीर्वाद पाने के लिए भगवान धन्वंतरि का पूजन किया जाता है।


🚩धनतेरस: धन और समृद्धि का प्रतीक 

धनतेरस केवल स्वास्थ्य का पर्व नहीं बल्कि समृद्धि का भी प्रतीक है। इसे माता लक्ष्मी के स्वागत का विशेष दिन माना जाता है। घरों में दीप जलाकर और विशेष साफ-सफाई कर माता लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन की गई खरीदारी शुभ मानी जाती है, इसलिए लोग सोना, चांदी और बर्तन खरीदते है जो धन और सौभाग्य का प्रतीक माने जाते है। यह परंपरा हमें हमारी समृद्धि और खुशहाली को बनाए रखने की प्रेरणा देती है।


🚩धन्वंतरि पूजन: आयुर्वेद और स्वास्थ्य का सम्मान

धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है, जो स्वास्थ्य और आयुर्वेद का प्रतिनिधित्व करते है। पूजा के दौरान हल्दी, चंदन, पुष्प और दीप से भगवान धन्वंतरि का अभिषेक कर उनसे रोगमुक्त जीवन का आशीर्वाद माँगा जाता है। उनके आशीर्वाद से ही मानव जाति को आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त हुआ, जो स्वास्थ्य को संतुलित और सशक्त बनाने का विज्ञान है। इस दिन की पूजा हमें आयुर्वेद के प्रति सम्मान व्यक्त करने और प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाने की प्रेरणा देती है।


🚩यमदीप का महत्व: जीवन की सुरक्षा का प्रतीक

धनतेरस के दिन संध्या के समय घर के बाहर एक विशेष दीप जलाने की परंपरा है, जिसे ‘यमदीप’ कहा जाता है। इस दीप का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे यमराज के प्रति आभार व्यक्त करने और अकाल मृत्यु से बचाव के उद्देश्य से जलाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, यह दीपक हमारे जीवन को अनहोनी घटनाओं से बचाने और घर के सभी सदस्यों पर कृपा बनाए रखने का प्रतीक है। यमदीप हमें मृत्यु के प्रति कृतज्ञता का भाव सिखाता है और हमारे जीवन की सुरक्षा को ध्यान में रखने की प्रेरणा देता है।


🚩धनतेरस का संदेश: संतुलित जीवन का महत्त्व

धनतेरस हमें सिखाता है कि जीवन में स्वास्थ्य और धन का संतुलन आवश्यक है। इस पर्व पर भगवान धन्वंतरि की पूजा कर हम न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का भी आशीर्वाद प्राप्त करते है। यह पर्व हमें प्रेरित करता है कि हम आयुर्वेद, संतुलित आहार और सकारात्मक जीवनशैली को अपनाएं। आयुर्वेद का यह ज्ञान हमारे भीतर रोगों से लड़ने की क्षमता और जीवन की समृद्धि को बनाए रखने का सामर्थ्य प्रदान करता है।


🚩निष्कर्ष

धनत्रयोदशी, यानि धनतेरस का पर्व एक ऐसा अनमोल अवसर है जो हमें स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिकता का संतुलन बनाए रखने का संदेश देता है। यह हमें हमारे पौराणिक इतिहास से जोड़ता है और भगवान धन्वंतरि की पूजा से हम अपने जीवन में रोगों से मुक्ति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करते है।


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