Tuesday, October 29, 2024

“नरक चतुर्दशी का पौराणिक महत्व: धर्म की विजय और अधर्म का नाश”

 30 October 2024

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🚩“नरक चतुर्दशी का पौराणिक महत्व: धर्म की विजय और अधर्म का नाश”




🚩हिंदू धर्म में नरक चतुर्दशी को धर्म और अधर्म के बीच हुए महान संघर्ष का प्रतीक माना जाता है। इसे छोटी दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है और यह मुख्य दिवाली के एक दिन पहले आता है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य असुरों के राजा नरकासुर के वध की स्मृति को ताजा करना है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने पराजित किया था। इस पौराणिक कथा का उल्लेख कई ग्रंथों में है और यह सत्य की शक्ति और धर्म की विजय का उत्सव है।

🚩नरकासुर वध की कथा
कथा के अनुसार, नरकासुर एक अत्याचारी असुर था जो अपनी शक्ति के मद में चूर होकर देवताओं और ऋषियों को सताने लगा था। उसने 16,000 कन्याओं को बंदी बना लिया था और उनके साथ अत्याचार करता था। उसकी आतंकित शक्ति से सभी त्रस्त थे फिर देवताओं ने भगवान श्रीकृष्ण से सहायता मांगी।

🚩भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ मिलकर नरकासुर से युद्ध किया। युद्ध के दौरान, सत्यभामा ने वीरता दिखाई और नरकासुर का अंत किया। यह दिन अधर्म के विनाश और धर्म की स्थापना का प्रतीक बना। इसी उपलक्ष्य में हर वर्ष नरक चतुर्दशी मनाई जाती है, ताकि इस विजय की याद बनी रहे और हमें धर्म की राह पर चलने की प्रेरणा मिले।

🚩नरक चतुर्दशी की धार्मिक प्रथाएं और रीति-रिवाज

🔺अभ्यंग स्नान : हिंदू धर्म में इस दिन प्रातःकाल अभ्यंग स्नान (तेल मालिश के बाद स्नान) करने की परंपरा है। मान्यता है कि इस स्नान से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते है और उसे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त होती है।
🔺यम दीप जलाना : इस दिन रात्रि में घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाना अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इसे यम दीप कहते है, जो यमराज को प्रसन्न करने और अकाल मृत्यु से बचाने के उद्देश्य से जलाया जाता है।
🚩भगवान श्रीकृष्ण की पूजा : इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और देवी काली की पूजा की जाती है। श्रीकृष्ण को अधर्म पर विजय के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है और भक्त उन्हें प्रसन्न कर जीवन में धर्म का अनुसरण करने की प्रार्थना करते है।

🚩पौराणिक मान्यताएं और महत्व
🔺 पाप मुक्ति का दिन : पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नरक चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान करने से व्यक्ति अपने पापों से मुक्त हो जाता है। यह दिन जीवन के नकारात्मक पहलुओं का त्याग कर सकारात्मकता की ओर बढ़ने का संदेश देता है।
🔺 धर्म और अधर्म का प्रतीक : नरकासुर का वध धर्म की विजय और अधर्म के विनाश का प्रतीक है। यह कथा हमें सिखाती है कि चाहे अत्याचारी कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो, सत्य और धर्म का बल सबसे बड़ा होता है।
🔺 मृत्यु का भय दूर करना : यम दीप जलाने से यमराज प्रसन्न होते है और व्यक्ति के जीवन में सुरक्षा और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते है। यह दीपक मृत्यु के भय को दूर करने का प्रतीक है।

🚩आध्यात्मिक संदेश : 
नरक चतुर्दशी का पर्व हमें आंतरिक बुराइयों, गलतियों और असत् प्रवृत्तियों को छोड़ने की प्रेरणा देता है। यह दिन हमें सिखाता है कि आत्मा की शुद्धि, सत्य की रक्षा और धर्म के मार्ग पर चलना सबसे महत्वपूर्ण है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, नरकासुर का अंत यह संकेत देता है कि जब व्यक्ति धर्म के मार्ग पर चलता है, तब हर कठिनाई में उसे विजय अवश्य मिलती है।

इस प्रकार नरक चतुर्दशी का पर्व धर्म और अधर्म के संघर्ष में धर्म की विजय का उत्सव है।

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