Tuesday, February 4, 2025

प्राचीन भारत का अद्भुत विज्ञान: हमारे पूर्वजों का ज्ञान और अंग्रेज़ों की लूट

 04 Feburary 2025

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🚩प्राचीन भारत का अद्भुत विज्ञान: हमारे पूर्वजों का ज्ञान और अंग्रेज़ों की लूट


🚩यदि आप सोचते हैं कि हमारे पूर्वजों ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और चिकित्सा के क्षेत्रों में कोई ज्ञान नहीं था, तो यह गलत है। हमारे प्राचीन भारतीय ऋषि-मुनियों ने विज्ञान के कई पहलुओं को न केवल समझा, बल्कि उसे व्यवहार में भी उतारा था। यह ज्ञान आज भी हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है। विमान, विद्युत, दूरसंचार, अणु, परमाणु और शल्य चिकित्सा जैसे शब्द न केवल हमारे संस्कृत से जुड़े हैं, बल्कि यह सब यह साबित करते हैं कि हमारे पूर्वजों ने इन विषयों पर गहरी समझ और शोध की थी।


🚩विमान: हवाई जहाज का ज्ञान


क्या आपने कभी सोचा है कि यदि हमारे पूर्वजों को हवाई जहाज बनाने का ज्ञान नहीं होता, तो हमारे पास “विमान” शब्द कहां से आता? महाभारत और रामायण जैसी प्राचीन काव्य ग्रंथों में उड़ने वाले वाहनों का वर्णन मिलता है, जिनमें पुष्पक विमान और रावण का विमान शामिल हैं। यह संकेत करता है कि हमारे पूर्वजों के पास उड़ने के तकनीकी साधन थे।


विमान शब्द न केवल उड़ान भरने के साधन से जुड़ा हुआ है, बल्कि यह हमारी प्राचीनता और तकनीकी प्रगति का गवाह है।


🚩विद्युत: क्या प्राचीन भारत में बिजली का ज्ञान था?


अगर विद्युत की जानकारी हमारे ऋषियों को नहीं होती, तो यह शब्द हमारे पास कभी नहीं आता। हमारे प्राचीन ग्रंथों में ऊर्जा, विद्युत और प्राकृतिक शक्तियों का जिक्र बहुत बार हुआ है। वेद और आयुर्वेद में ऐसी शक्तियों को नियंत्रित करने और उपयोग करने का उल्लेख मिलता है। विद्युत के प्रभाव और उसकी उपयोगिता पर हमारे ऋषियों का ज्ञान अत्यंत अद्वितीय था, जो आज के विज्ञान से मेल खाता है।


🚩दूरसंचार: क्या प्राचीन भारत में टेलीफोन जैसी तकनीक थी?


आज हम टेलीफोन और दूरसंचार की बात करते हैं, लेकिन क्या हमारे पूर्वजों को ऐसी तकनीक का ज्ञान था? यदि ऐसा नहीं होता, तो “दूरसंचार” शब्द हमारे पास क्यों होता? रामचरितमानस में काकभुशुंडी और गरुड़ के संवाद का उल्लेख है, जिसमें सौरमंडल और ब्रह्मांड के विशालता का विवरण दिया गया है। यह संकेत करता है कि हमारे पूर्वजों को ब्रह्मांडीय संचार और उसकी परिक्रमा के बारे में गहरा ज्ञान था।


🚩अणु और परमाणु: क्या हमारे पूर्वजों को सूक्ष्म कणों का ज्ञान था?


अगर हमारे पूर्वजों को अणु (atom) और परमाणु (electron) के बारे में कोई जानकारी नहीं होती, तो ये शब्द कहां से आते? चार्वाक और जैन दर्शन में सूक्ष्म कणों की अवधारणा को स्वीकार किया गया था। यही कारण है कि हम अणु और परमाणु शब्दों का आज भी उपयोग करते हैं, जो हमारे पूर्वजों के अद्वितीय ज्ञान का प्रतीक हैं।


🚩शल्य चिकित्सा: प्राचीन भारत में सर्जरी का ज्ञान


अगर हमारे पूर्वजों को शल्य चिकित्सा का ज्ञान नहीं होता, तो “शल्य चिकित्सा” शब्द क्यों होता? सुश्रुत संहिता, जो प्राचीन भारतीय चिकित्सा का एक महान ग्रंथ है, उसमें सर्जरी के विभिन्न पहलुओं का उल्लेख किया गया है, जिसमें हड्डी जोड़ने, ऑपरेशन करने और आंखों की सर्जरी तक शामिल है। यह दर्शाता है कि प्राचीन भारत में चिकित्सा विज्ञान अत्यधिक उन्नत था।


🚩विज्ञान और ज्ञान की लूट


भारत में आने से पहले यूरोप में कोई बड़ा वैज्ञानिक अविष्कार नहीं हुआ था। जब अंग्रेज़ भारत आए, तो उन्होंने यहां के वैज्ञानिक ज्ञान को सीखा, उसे अपने देशों में ले जाकर उसे अपनी खोजों के रूप में प्रस्तुत किया। भारत से केवल धन की लूट नहीं हुई, बल्कि ज्ञान की भी लूट हुई।


🚩वेद: विज्ञान और ज्ञान का स्रोत


वेद न केवल धार्मिक ग्रंथ हैं, बल्कि वे विज्ञान के अद्भुत खजाने भी हैं। हमारे ऋषि ही असल में वैज्ञानिक थे, जिन्होंने अपनी गहरी समझ और निरीक्षण से प्रकृति के रहस्यों को समझा और उसे मानवता के लिए खोला। यही कारण है कि हम आज भी इन शब्दों का उपयोग करते हैं, क्योंकि यह हमारे प्राचीन भारतीय ज्ञान का अंश हैं।


🚩निष्कर्ष: हमारे ऋषि और वैज्ञानिकता


विमान, विद्युत, दूरसंचार, अणु और शल्य चिकित्सा जैसे शब्द यह साबित करते हैं कि हमारे पूर्वजों के पास अद्भुत ज्ञान था। यह ज्ञान आज भी हमारे जीवन में उपयोगी है और इसे संरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है। हमें गर्व होना चाहिए कि हमारी प्राचीन संस्कृति और ज्ञान हमारे आज के जीवन का हिस्सा हैं।


हमारे ऋषि-मुनियों के द्वारा दिया गया यह अद्भुत ज्ञान आज भी हमारे लिए एक अमूल्य धरोहर के रूप में मौजूद है। तो अगली बार जब आप विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बारे में सोचें, तो याद रखें कि यह ज्ञान हमारे प्राचीन भारत से ही आया है।


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