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Monday, June 15, 2020

जानिए बॉलीवुड में कितने लोग आत्महत्या कर चुके है और ये आत्महत्याएं कैसे रुकेगी?

15 जून 2020

🚩ग्‍लैमर और शोहरत से चकाचौंध बॉलीवुड इंडस्‍ट्री अपने भीतर कई रहस्‍यों को छिपाये हुए है। कलाकारों के लव-अफेयर्स, धोखा, ब्रेकअप और लड़ाई झगड़ों की खबरें आए दिन सुर्खियों में बनी रहती हैं, लेकिन सुशांत राजपूत और पिछले कुछ सालों में फिल्‍मी कलाकारों की आत्‍महत्‍या ने लोगों को इस चमचमाती दुनियां के बारे में बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया है। इनके पास धन-संपत्ति, सुंदरता, प्रसिद्धि सबकुछ होता है फिर भी ये लोग आत्महत्या जैसे कदम क्यो उठाते है इसके पीछे का कारण है कि उनके जीवन मे धर्म और संतों का मार्गदर्शन नही हैं।

🚩कौनसी सेलिब्रिटी ने आत्महत्या की?

▪️1. टीवी एक्ट्रेस और मॉडल नफीसा जोसेफ साल 2004 में महज 26 साल की उम्र में फांसी के फंदे पर झूल गईं।

▪️2. अभिनेत्री परवीन बॉबी ने 22 जनवरी 2005 को मुंबई के अपने अपार्टमेंट में आत्महत्या कर ली थी।

▪️3. कुलजीत रंधावा टीवी एक्ट्रेस और मॉडल थी साल 2006 में मुंबई स्थित अपने अपार्टमेंट में आत्महत्या कर ली थी।

▪️4. एक्टर कुणाल सिंह  7 फरवरी 2008 को अपने मुंबई स्थित अपार्टमेंट में पंखे से लटके हुए मिले थे।

▪️5. बॉलीवुड की स्ट्रगलिंग एक्ट्रेस सैय्यम खन्ना (मोना खन्ना) ने साल 2014 में आत्महत्या की थी।

▪️6. 40 साल की एक्ट्रेस शिखा जोशी ने 16 मई 2015 को मुंबई के अंधेरी इलाके में चाकू से गला काटकर आत्महत्या कर ली थी।

▪️6. अमिताभ बच्‍चन के साथ फिल्‍म निशब्‍द से फिल्‍मी करियर शुरू करने वाली अभिनेत्री जिया खान ने 2016 में आत्‍म हत्‍या कर ली थी।

▪️7. मात्र 24 साल की अभिनेत्री प्रत्युषा बनर्जी ने भी 1 अप्रैल 2016 को फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली।

▪️8. असम की मॉडल और सिंगर बिदिशा बेजबरूआ ने 2017 में हरियाणा के गुरुग्राम में खुदकुशी कर ली।

▪️9. अभिनेत्री सिल्क स्मिता चेन्नई के अपार्टमेंट आत्महत्या कर ली थी।

▪️10. दक्षिण भारतीय अभिनेत्री दिव्‍या भारती की 19 साल की उम्र में ही मृत्‍यु हो गयी थी। इनकी मौत आज भी एक रहस्य है।

🚩इन कलाकारों में साधु-संतों का मार्गदर्शन और धर्म का थोड़ा बहुत भी स्थान होता तो ये लोग आत्महत्या नही करते इन लोगो को ये बात बताई गई कि कैसे सफलता के शिखर पर पहुँचना है पर ये नही बताया गया कि विपरीत परिस्थितियों में अपने को कैसे सुखी रखना हैं।

🚩आप भारत और सनातन हिन्दू धर्म मे पैदा हो गए, उससे ज़्यादा गौरशाली ओर कुछ नही, क्योंकि यहां एक ब्राह्मण चाणक्य पूरी सत्ता पलट देता है, कृष्ण किसी क्षत्रिय या ब्राह्मण के घर नही पलते, बल्कि एक ग्वाले को जीवन का सबसे सुखद क्षण बालपन देते है और उनके यहां ही पलते बढ़ते है। हम अपना सही इतिहास पढेंगे, अपने बच्चों को बतायेगें तो कोई भी आत्महत्या नही कर सकते।

1 -अपने बच्चे को श्रीराम की शिक्षा दीजिये, एक राजकुमार युवराज और भावी राजा होकर उनको वन वन भटकना पड़ा, और जीवन जय किया, लेकिन हर संघर्ष के बाद वह ओर ज़्यादा मजबूत हुए, आत्महत्या नही की।

2 - श्रीकृष्ण के पिताजी वासुदेवजी तो राजा थे, लेकिन कंस ने उन्हें कालकोठरी में डाल दिया, एक राजा के लिए बिना किसी अपराध के कारावास भोगने से ज़्यादा दुखदाई ओर क्या हो सकता है ? लेकिन उन्होंने जीवन से हार नही मानी , ओर भारत को कितना सुनहरा भविष्य श्रीकृष्ण दिया।

3 - श्रीकृष्ण से ज़्यादा संघर्षमयी जीवन किसका था ? 8 साल की उम्र में कंस के विरूद्ध संघर्ष की शुरुआत हुई और जीवन के अंतिम क्षण तक रही, महाभारत का युद्ध भी कौरव ओर पांडव दोनो नही चाहते थे, क्योंकि कौरवों के पास सब कुछ था, इसलिए उन्हें युद्ध की क्या जरूरत थी? और पांडव सन्यासी प्रकृति के थे, वह तमाम दुख झेलने को तैयार थे, लेकिन युद्ध नही चाहते थे। कृष्ण का विरोध खुद उनके भाई बलरामजी ने भी किया। धर्मज्ञ श्रीकृष्ण को कितना संघर्ष करना पड़ा होगा? आज कोई भी आदमी मामूली टेंशन में डिप्रेशन में चला जाता है, लेकिन कृष्ण उस डिप्रेशन के समय मे भी बांसुरी बजाते, नाचते गाते।

4 - अर्जुन और पांचों भाइयो से ज़्यादा दुःखमय जीवन और किसका था? पिता का साम्राज्य अपने लोगो ने कब्जा लिया, उल्टे उनकी हत्या की बार बार साजिश रची गयी, प्राण से प्यारा  अभिमन्यु मारा गया, लेकिन पांडवों ने हिम्मत नही हारी, ओर विश्व जय किया।

5 - आमेर का राजा मानसिंह के समय उनका साम्राज्य मात्र कुछ हिस्सों तक सीमित था, उनका प्रिय पुत्र जगतसिंह जो उनकी आंख था, धर्म के लिए लड़ते हुए उन्होंने अपने प्राणों की बलि दे दी, लेकिन मानसिंह पूरी तरह टूटकर भी धर्म ओर कर्म नही भूले, आत्महत्या का तो विचार भी नही आया।

6 - विक्रमादित्य जब युवा भी नही हुए थे, तभी मालवा पर शकों का इतना भंयकर आक्रमण हुआ, की उनके पास राज्य तो क्या, सेना के नाम पर मात्र उनका एक मित्र बचा, लेकिन हार नही मानी, ओर अंत मे विश्वविजेता बने।

7 - राजा हरिश्चंद्र की कहानी तो आप सभी जानते ही है, वह राजा से रंक बन गए, लेकिन हिम्मत नही हारी और फिर से उन्हें राजपाठ मिल गया।

8 -  महाराणा प्रताप हल्दीघाटी के युद्ध के बाद परिवार सहित जंगल में रहने को मजबूर हुए, खाने को नही मिल रहा था तो घास की रोटी खाते थे लेकिन संघर्ष किया और फिर से राज्य पा लिया।

🚩वैदिक ग्रंथों में आत्महत्या करनेवाले व्यक्ति के लिए एक श्लोक लिखा गया है, जो इस प्रकार है…

असूर्या नाम ते लोका अंधेन तमसावृता।
तास्ते प्रेत्याभिगच्छन्ति ये के चात्महनो जना:।।

🚩इसका अर्थ है कि ”आत्महत्या करनेवाला मनुष्य अज्ञान और अंधकार से भरे, सूर्य के प्रकाश से हीन, असूर्य नामक लोक को जाते हैं।”

🚩स्कंद पुराण’ के काशी खंड, पूर्वार्द्ध (12.12,13) में आता है : ‘आत्महत्यारे घोर नरकों में जाते हैं और हजारों नरक-यातनाएँ भोगकर फिर देहाती सूअरों की योनि में जन्म लेते हैं । इसलिए समझदार मनुष्य को कभी भूलकर भी आत्महत्या नहीं करनी चाहिए। आत्महत्यारों का न तो इस लोक में और न परलोक में ही कल्याण होता है।’

🚩‘पाराशर स्मृति (4.1,2)’ के अनुसार ‘आत्महत्या करनेवाला मनुष्य 60 हजार वर्षों तक अंधतामिस्र नरक में निवास करता है।

 🚩‘पाराशर स्मृति’ व ‘कौटिल्य अर्थशास्त्र’ में तो यहाँ तक लिखा गया है कि जिसने आत्महत्या की उसने प्रकृति की, ईश्वर की दी हुई शरीररूपी सौगात से खिलवाड़ किया है, उसका अपमान किया है, उस अभागे को कंधा मत दो। किसी गंदगी उठानेवाले को बोलो कि उसका शव रस्सी से बाँधकर मार्ग से घसीटता हुआ ले जाय, ताकि उसको देखकर दूसरा ऐसी बेवकूफी न करे।

अच्युतानन्त गोविन्द नामोच्चारणभेषजात्।नश्यन्ति सकला रोगाः सत्यं सत्यं वदाम्यहम्।।

‘हे अच्युत ! हे अनंत ! हे गोविंद ! – इस नामोच्चारणरूप औषध से तमाम रोग नष्ट हो जाते हैं, यह मैं सत्य कहता हूँ… सत्य कहता हूँ ।’

🚩आत्महत्या यह मानस रोग है। मन की कायरता की पराकाष्ठा होती है तभी आदमी आत्महत्या का विचार करता है तो उस समय भगवान को पुकारो।

अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभम् ।
ना भुक्तं क्षीयते कर्म जन्म कोटिशतैरपि ।।

🚩आत्महत्या कर के भी कोई उससे बच नहीं सकता है। उलटे आत्महत्या का एक नया पापकर्म हो जायेगा। परंतु अगर हम दुःखदायी परिस्थिति को सहन कर लेंगे तो पुराने पाप नष्ट होंगे और हम शुद्ध होंगे। कोई भी परिस्थिति सदा रहनेवाली नहीं है। सुख भी सदा नहीं रहता तो दुःख भी सदा नहीं रहता है। सूर्य के उदय होने के बाद अस्त होना और अस्त होने के बाद उदय होना यह प्रकृति का नियम है। अतः दुःखदायी परिस्थिति के आने पर घबराना नहीं चाहिए।

🚩मृत्यु ईश्वर का वरदान है, अपने आप मरकर उस वरदान का मौका मत गँवाईये।  संत और धर्म आपको हमेशा आश्वासन देते है, आज नही तो कल अच्छा होगा, हम जो भोग रहे है, शायद हमारे किसी जन्म में कोई बुरे कर्म थे। इसलिए आत्महत्या का विचार ही नही आएगा, दुःखों को दुःख की जगह हम आशीर्वाद मान लेंगे।

🚩आत्महत्या से बचना है तो धर्म के रास्ते चलिए, संतों से मार्गदर्शन लीजिये और भगवान को आर्तभाव से प्रार्थना करिये यही सबसे सरल उपाय है इससे आत्महत्या करने में रुकावट आएगी।

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