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Wednesday, April 26, 2017

मुस्लिम धर्म से परेशान होकर मुस्लिम परिवारों ने अपनाया हिन्दू धर्म

🚩मुस्लिम धर्म से परेशान होकर #मुस्लिम परिवारों ने अपनाया #हिन्दू धर्म

🚩उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में अपने ही #धर्म के लोगों से परेशान होकर दो दर्जन से भी ज्यादा मुस्लिम लोगों ने #हिंदूधर्म को अपना लिया है और साथ ही सभी #वैदिक हिंदू धर्म अपनाने की #धार्मिक प्रक्रिया पूरी की । घर वापसी करने वाले मुस्लिमों को आर्य समाज और संघ के नेता द्वारा आयोजित विशेष पूजन के बाद #हिंदूधर्म में वापिस शामिल किया गया है। 
ghar vapsi

🚩#आर्य समाज और संघ के नेता का दावा है कि सभी लोगों ने अपनी मर्जी से हिंदू धर्म अपनाया है।

आपको बता दें कि यह मामला रविवार को अम्बेडकरनगर जिले के #आलापुर क्षेत्र का है जहां दर्जन भर से ज्यादा मुस्लिम समुदाय के लोगों ने #हिंदू धर्म अपना लिया है और साथ में इन लोगों ने मुस्लिम नाम को छोड़कर #हिंदू नाम भी रख दिया है। हालांकि, सुरक्षा कारणों से इन लोगों के नामों को उजागर नहीं किया गया है। 

🚩आर्य समाज के प्रधान #हिमांशु त्रिपाठी ने कहा कि आर्य समाज के संस्थापक #महर्षि दयानंद सरस्वती के पदचिन्हों पर चलते हुए परम पिता #परमेश्वर की प्रेरणा से बिना किसी लोभ, भय अथवा दबाव के एक दर्जन से अधिक लोगों ने पूर्ण #वैदिक विधि-विधान के साथ विशेष का कार्यक्रम #आचार्य शर्ममित्र शर्मा द्वारा सम्पन्न कराया ।
 विश्व हिन्दू परिषद के #प्रवीण तोगड़िया ने भी कुछ समय पहले बताया था कि हमने करीब 5 लाख #मुस्लिमों को हिन्दू धर्म में वापसी करवाई है ।

🚩क्या आप जानते हैं कि अखण्ड भारत में मुस्लिम #धर्म था ही नही लेकिन विदेशी आक्रमणकारी मुगलों ने भारत में आकर लूट-पाट की और हिन्दुओं को क्रूर मुगलों ने #तलवार की नोक पर जबरदस्ती मुस्लिम धर्म में परिवर्तन करवाया लेकिन अब जिन मुस्लिमों को पता चल रहा है कि हमारे पूर्वज #हिन्दू थे हमें जबरदस्ती मुस्लिम धर्म परिवर्तन करवाया था तो अब  #मुस्लिम धर्म छोड़कर फिर से #हिन्दूधर्म अपना रहे हैं ।

🚩शरिया एक्ट से कई मुस्लिम लोग #परेशान हैं ।


जानिये क्या है शरिया लॉ एक्ट ??
भारत में कैसे आया ??


🚩भारत में अलग-अलग समाज के लोग रहते हैं । भारतीय #संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार भारत में रहने वाले सभी लोगों को एक समान संरक्षण का अधिकार है, लेकिन जहाँ मुसलमानों के व्यक्तिगत मुद्दों की बात आती है वहाँ कई अहम मुद्दों पर मुसलमान #शरिया के अनुसार उन मुद्दों का निराकरण करते हैं। ये मुद्दे है निकाह, तलाक, विरासत, बच्चों का उत्तराधिकार आदि। 
अधिकतर शरिया या शारियत सुनने व पढ़ने में आता है।

 आखिर ये है क्या और कब से ये लागू हुआ ?  

🚩 जिसका हवाला देते हुए तमाम मौलाना कहते हैं कि उनके मामलों में दखल ना दे #सरकार .. 


🚩इस्लामिक समाज शरीयत के अनुसार चलता है। शरीयत में #मोहम्मद पैगंबर द्वारा किए हुए काम के शब्द शामिल हैं । #मोहम्मद पैगंबर के बाद कई संस्थाओं ने अपने अनुसार इस्लामिक कानूनों की व्याख्या की और इन्हें प्रसारित व प्रचारित किया। इस्लामिक लॉ की #चार संस्थायें हैं जो कुरान में लिखे शब्दों की व्याख्या करती हैं। ये संस्थाएं हैं हनफिय्या , मलिकिय्या, शफिय्या और हनबलिय्या । जो अलग-अलग सदी में विकसित हुई थी। मुस्लिम देश अपने अपने मुताबिक इन संस्थाओं के #कानूनों का पालन करते हैं ।


शरीयत आखिर भारत में कैसे आया ? 


🚩भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ एप्लिकेशन एक्ट ब्रिटिशों की देन है। #ब्रिटिश सरकार का #भारतीयों पर जब राज करना मुश्किल होने लगा तब #ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों पर उनके सांस्कृतिक नियमों के आधार पर राज करने की प्रक्रिया निकाली। #ब्रिटिश सरकार ने मुसलमानों के व्यक्तिगत मुद्दे पर हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया। उन्होंने मुसलमानों के व्यक्तिगत मुद्दों के लिए मुस्लिम लॉ एक्ट लाकर उन्हें उनके व्यक्तिगत मुद्दों पर उठे विवादों को शरीयत के अनुसार ही सुलझाने की छूट दे दी।   #ब्रिटिश सरकार ने 1937 मुस्लिम लॉ एक्ट लाकर जो विभाजन करवाने का कार्य किया वैसा ही कार्य कुछ #पूर्ववर्ती सरकारों ने किया । 

🚩सन् 1985 में एक 62 वर्ष की मुस्लिम महिला शाह बानो ने #सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की जिसमें उसने अपने पूर्व पति से गुजारे #भत्ते की मांग की थी। #सुप्रीम कोर्ट ने उनकी इस मांग से सहमत होकर इस मुद्दे को सही बताया और अपनी मुहर लगाई। इस फैसले का मुस्लिम समाज में काफी #विरोध देखने को मिला व इसे कुरान के खिलाफ बताया। इस मामले ने काफी तूल पकड़ लिया था। तब तत्कालीन  #प्रधानमन्त्री  ने वोट बैंक के #लालच में ऐसा फैसला लिया जिससे देश आज भी प्रभावित है। तत्कालीन #प्रधानमन्त्री  राजीव गांधी ने मुस्लिम महिला संरक्षण तलाक अधिकार अधिनियम को पास कर दिया। 

🚩जिसके अनुसार पति के लिए #तलाकशुदा पत्नी को गुजारा #भत्ता देना तो जरूरी हो गया था लेकिन साथ ही ये प्रावधान भी था कि यह #भत्ता केवल #इद्दत की अवधि के दौरान ही देना होगा। #इद्दत तलाक के 90 दिनों बाद तक ही होती है । 

🚩उपरोक्त #कानून की पूरी विवेचना आदि वर्तमान में #सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के लिए आवश्यक है जिससे समान नागरिक #आचार संहिता का पालन हो कर सबके लिए समान कानून बन सके । फिलहाल 3 #तलाक के विषय में 3 #तलाक के तमाम समर्थक शरीयत एक्ट पर चल कर 3 #तलाक को कायम रखने की मांग कर रहे हैं ।    

🚩अब #न्यायालय और #सरकार को भारतीय संविधान से अलग चलने वाले #शरिया कानून को तुरन्त #खत्म कर देना चाहिए ।


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