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Sunday, June 14, 2020

सनातन संस्कृति की दिव्य व्यवस्था देखकर आप भी रह जाएंगे हैरान !

14 जून 2020

🚩सनातन (हिन्दू) संस्कृति में भगवान व ऋषि-मुनियों ने ऐसी दिव्य व्यवस्था की है कि उसका पालन करके हर मनुष्य महेश्वर तक कि यात्रा कर सकता है, हर मनुष्य स्वस्थ, सुखी और सम्मानित जीवन जी सकता है।

🚩मनुष्य मात्र का दुर्भाग्य ये रहा कि हर युग मे आसुरी शक्तियां भी उत्पन्न हुई और उन्होंने हमेशा सनातन (हिन्दू) संस्कृति को तोड़ने के काम किया जैसे कि सतयुग में बलि नाम का दैत्यराज ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया था और खुद को ही भगवान मान लिया फिर भगवान ने वामन का अवतार लेकर उसका उद्धार किया, त्रेता युग मे राक्षस रावण उत्पन्न हुआ जिसको भगवान श्री राम ने परलोक भेज दिया, द्वापर युग मे कंस आया जिसका नाश भगवान श्री कृष्ण ने किया और आज कलयुग में तो मिशनरियां, विदेशी कंपनियां, वामपंथी, आतंकवादी, बॉलीवुड, मीडिया, भीम-मीम आदि दुष्ट प्रकृति के लोग सनातन (हिन्दू) संस्कृति का नाश करने में लगे हैं।

🚩इतनी सारी दुष्ट शक्तियां लगी है फिर भी सनातन संस्कृति को मिटा नही सके, यही विशेषता है। उस महान संस्कृति के बारे में आप भी जानिए...

🚩दो पक्ष - कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष! 

🚩तीन ऋण - देव ऋण, पितृ ऋण एवं ऋषि त्रण!

🚩चार युग - सतयुग, त्रेता युग, द्वापरयुग एवं कलयुग!

🚩चार धाम - द्वारिका, बद्रीनाथ, जगन्नाथपूरी एवं रामेश्वरम धाम!

🚩चारपीठ - शारदा पीठ (द्वारिका), ज्योतिष पीठ (जोशीमठ बद्रिधाम), गोवर्धन पीठ (जगन्नाथपुरी) एवं श्रन्गेरि पीठ! 

🚩चार वेद- ऋग्वेद, अथर्वेद, यजुर्वेद एवं सामवेद! 

🚩चार आश्रम - ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ एवं संन्यास!

🚩चार अंतःकरण - मन, बुद्धि, चित्त एवं अहंकार!

🚩पञ्चगव्य - गाय का घी, दूध, दही,गोमूत्र एवं गोबर!

🚩पञ्च देव - गणेश, विष्णु, शिव, देवी और सूर्य!

🚩पंच तत्त्व - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु एवं आकाश!

🚩छह दर्शन- वैशेषिक, न्याय, सांख्य, योग, पूर्व मिसांसा एवं उत्तर मिसांसा!

🚩सप्त ऋषि - विश्वामित्र, जमदाग्नि, भरद्वाज, गौतम, अत्री, वशिष्ठ और कश्यप!

🚩सप्त पूरी - अयोध्या पूरी, मथुरा पूरी, माया पूरी (हरिद्वार), काशी, कांची (शिन कांची - विष्णु कांची), अवंतिका और द्वारिका पूरी!

🚩सात वार - रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार।

🚩आठ योग - यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान एवं समाधि! 

🚩आठ लक्ष्मी - आग्घ, विद्या, सौभाग्य, अमृत, काम, सत्य, भोग एवं योग लक्ष्मी! 

🚩नव दुर्गा - शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी एवं सिद्धिदात्री। 

🚩दस दिशाएं - पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, इशान, नेत्रत्य, वायव्य, आग्नेय, आकाश एवं पाताल! 

🚩ग्यारह अवतार - मत्स्य, कच्छप, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, श्रीराम, कृष्ण, बलराम, बुद्ध एवं कल्कि।

🚩ग्यारह करण - बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न।

🚩बारह मास - चेत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, अषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ, फाल्गुन! 

🚩बारह राशी - मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, तुला, कन्या, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ, मीन। 

🚩बारह ज्योतिर्लिंग - सोमनाथ, मल्लिकर्जुन, महाकाल, ओमकारेश्वर, बैजनाथ, रामेश्वरम, विश्वनाथ, त्रयंबकेश्वर, केदारनाथ, घुश्मेश्वर, भीमाशंकर एवं नागेश्वर! 

🚩पंद्रह तिथियाँ - प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीय, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा, अमावस्या! 

🚩स्मृतियां - मनु, विष्णु, अत्री, हारीत, याज्ञवल्क्य, उशना, अंगीरा, यम, आपस्तम्ब, सर्वत, कात्यायन, बृहस्पति, पराशर, व्यास, शांख्य, लिखित, दक्ष, शातातप, वशिष्ठ! 

🚩अठारह पुराण - विष्णु, पद्म, ब्रह्म, शिव, भागवत, नारद, मार्कंडेय, अग्नि, ब्रह्मवैवर्त, लिंग, वराह, स्कंद, वामन, कूर्म, मत्स्य, गरुड, ब्रह्मांड और भविष्य।

🚩इक्कीस उपपुराण - गणेश पुराण, नरसिंह पुराण, कल्कि पुराण, एकाम्र पुराण, कपिल पुराण, दत्त पुराण, श्रीविष्णुधर्मौत्तर पुराण, मुद्गगल पुराण, सनत्कुमार पुराण, शिवधर्म पुराण, आचार्य पुराण, मानव पुराण, उश्ना पुराण, वरुण पुराण, कालिका पुराण, महेश्वर पुराण, साम्ब पुराण, सौर पुराण, पराशर पुराण, मरीच पुराण, भार्गव पुराण।

🚩सत्ताइस नक्षत्र - चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़, उत्तराषाढ़, सतभिषा, श्रवण, धनिष्ठा, पूर्वभाद्र, उत्तरभाद्र, अश्विन, रेवती, भरणी, कृतिका, रोहणी, मृगशिरा, उत्तरा, पुनवर्सु, पुष्य, मघा, अश्लेशा, पूर्वफाल्गुन, उत्तरफाल्गुन, हस्त।

🚩सत्ताइस योग - विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति।

🚩108 उपनिषद् - (१) ऋग्वेदीय -- १० उपनिषद्, (२) शुक्ल यजुर्वेदीय -- १९ उपनिषद्, (३) कृष्ण यजुर्वेदीय -- ३२ उपनिषद्, (४) सामवेदीय -- १६ उपनिषद्, (५) अथर्ववेदीय -- ३१ उपनिषद्

🚩13 उपनिषद् विशेष मान्य तथा प्राचीन माने जाते हैं।
(१) ईश, (२) ऐतरेय (३) कठ (४) केन (५) छांदोग्य (६) प्रश्न (७) तैत्तिरीय (८) बृहदारण्यक (९) मांडूक्य और (१०) मुंडक।

🚩वर्तमान में जो सनातन संस्कृति पर हो रहे कुठाराघात को रोकने के लिए जो हिन्दू कार्यकर्ता या हिन्दू साधु-संत इन अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाते हैं उनको जेल भेज दिया जाता है या हत्या करवा दी जाती है।

🚩एक तरफ ईसाई मिशनरियाँ और दूसरी ओर मुस्लिम देश मीडिया, बॉलीवुड, विदेशी कम्पनियों द्वारा दिन-रात हिंदुस्तान और पूरी दुनिया से हिन्दुओं को मिटाने में लगे हैं।

🚩अभी भी समय है अपनी महान संस्कृति की महानता पहचाने एवं हिन्दू एक होकर हो रहे प्रहार को रोके तभी हिन्दू बच पायेंगे।हिन्दू बचेगा तभी सनातन संस्कृति भी बचेगी।

🚩अगर सनातन संस्कृति नही बचेगी तो दुनिया में इंसानियत ही नही बचेगी क्योंकि हिन्दू संस्कृति ही ऐसी है जिसने "वसुधैव कुटुम्बकम्" का वाक्य चरितार्थ करके दिखाया है।

🚩प्राणिमात्र में ईश्वरत्व के दर्शन कर, सर्वोत्कृष्ट ज्ञान प्राप्त कर जीव में से शिवत्व को प्रगट करने की क्षमता अगर किसी संस्कृति में है तो वो है सनातन हिन्दू संस्कृति।

🚩हिंदुओं की बहुलता वाले देश हिंदुस्तान में अगर आज हिन्दू पीड़ित है तो सिर्फ और सिर्फ हिंदुओं की निष्क्रियता और अपनी महान संस्कृति की ओर विमुखता के कारण !!

🚩ये सब देखकर भी हिन्दू कब तक चुपचाप बैठा रहेगा..???

🚩जागरूक होने का अभी भी समय है। याद रखे "अगर अभी नही तो फिर कभी नही"

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