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Friday, January 8, 2021

हिंदुओं के धार्मिक स्थल तोड़े जा रहे हैं लेकिन अन्य धर्मों के नहीं...

08 जनवरी 2021


दिल्ली के चाँदनी चौक में सरकारी तन्त्र ने हनुमान मंदिर तोड़ दिया। यदि मन्दिर गलत तरीके से बना है तो उसे स्थानांतरित किया जा सकता है। दिल्ली में मस्जिद-दरगाह- मजार है जो रेलवे लाइन के रास्ते में है लेकिन इसको नहीं तोड़ा गया।




पुरे भारत में इस तरह की अनेक मस्जिद पीर की मजार, दरगाह और ईदगाह मिल जाएंगी जो रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड या मुख्य सड़क की जगह को घेर कर पिछले 70 साल मे बनाई गई हैं। यदि भारत के कानून का धर्म या मजहब से कुछ लेना देना नहीं है तो फिर इस तरह के मन्दिर मस्जिद हटाने चाहिए। मजारों और मस्जिदों के लिए नियम बदल दिए जाते हैं। यह एक तरफा सेक्युलरिज्म बेहद खतरनाक है।

सऊदी अरब जैसे देश में सड़कें इत्यादि बनवाने के लिए खुलेआम मस्जिद तुड़वाया जाता है। एक बार सऊदी अरब के सुल्तान को अपना महल बनाना था उसके लिए उसे जगह चाहिए थी तो उसने कहा कि बिलाल मस्जिद को तोड़ डालो, महल बनाने के लिए जबकि इस मस्जिद में पैगम्बर मुहम्मद नमाज पढ़ते थे ! जब सऊदी अरब में "पैगम्बर मुहम्मद की मस्जिद" को तोड़कर दूसरी जगह बनवाया जा सकता है तो भारत मे क्यों सेक्युलरिज़्म के नाम पर कब्जे हो रहे हैं?

मुज़फ़्फ़रपुर रेलवे स्टेशन प्लेटफॉर्म न.4 पर बनी जीन्नात(जीन्न) मस्जिद है। कहते है ये मस्जिद रातों रात बना मिला था। प्लेटफार्म न. 4 पर L शेप मे ट्रेक बना है और ट्रेन घुम कर स्टेशन पंहुचती है ? मुस्लिम आबादी यहां से कम से कम 1.5 कि.मी दुर है। इस मस्जिद के आसपास कोई बस्ती/महल्ला नहीं है जहां के लोग सदा यहां नमाज पढ़ते हो पर सुबह 4 बजे तक के भी नमाज मे मस्जिद भड़ी रहती है।

फरवरी 2018 मे मुजफ्फरनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बनी मस्जिद हटाई गई। इसके लिए एक फ्लाई ओवर का का निर्माण 10 साल से रुका हुआ था। उसके कारण सड़क एक्सीडेंट मे लगभग 80 मौते हो चुकी थी। इस मस्जिद की वजह से हाईवे पर रेलवे लाइन के ऊपर बना फ्लाईओवर अधर में था। इसके लिए सरकार को 35 लाख रुपए मुआवजा देना पड़ा था।

इन्दिरा गांधी हवाई अड्डा -हवाई अड्डे के टी-2 रनवे नं 10 व 28 पर बनी पीर रोशन खान व काले खान की मजार का रख-रखाव ही नहीं मुस्लिम श्रद्धालुओं को वहां दर्शन कराने के लिए जी.एम.आर. कंपनी अपने वाहन व अन्य सुविधाएं देती है मजारों के कारण रनवे को 'शिफ्ट' किया गया है।

कब्रों पर सिर पटकने वाले हिन्दू ही ज्यादा होते हैं, गुरुवार को बाहरी लोगों (people not working at airport) के लिए भी दर्शन के खास इंतजाम GMR करता है।

दक्षिण दिल्ली में पालम हवाई अड्डे के निकट, सुप्रसिद्ध होटल रेडीसन के सामने स्थित है एक गांव नांगल देवता। इस गांव के दोनों छोर पर मन्दिरों व संतों की समाधियों की एक अविरल श्रृंखला है। मन्दिरों के साथ बगीचे व पेड़ों ने उसे एक आध्यात्मिक व रमणीक स्थल के रूप में प्रसिद्ध किया है। मन्दिर के गुम्बद, उसकी स्थापत्य कला और दीवारों का ढांचा मन्दिर की प्राचीनता का बखान करता है। किन्तु अब नांगल देवत नाम का वह ऐतिहासिक गांव अस्तित्व में नहीं है और प्राचीन ऐतिहासिक मंदिरों को कभी भी ध्वस्त किया जा सकता है। यह सब हो रहा है इंदिरा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के विस्तार के नाम पर, जिसके लिए जी.एम.आर. नामक कम्पनी को ठेका दिया गया है।

1964-65 में जब पालम हवाई अड्डे का विस्तार हुआ तब गांव की बेहद उपजाऊ लगभग 12,000 बीघे जमीन नांगल देवत के ग्रामवासियों से छीन ली गई। इसके बाद सन् 1972 में गांव की आबादी को वहां से कहीं अन्यत्र चले जाने का नोटिस थमा दिया गया, किन्तु एक बड़े जन आन्दोलन की सुगबुगाहट की भनक लगने पर सरकार को अपना फैसला टालना पड़ा। लेकिन सरकार कहां चुप बैठने वाली थी, उसने सन् 1986 में सभी को गांव खाली करने का आदेश दे दिया गया। तब 360 गांवों की पंचायत बुलाई गई, लोगों ने संघर्ष किया। 1998 तक यह मामला निचली न्यायालय में चला। एकदिन 2007 में भवन निर्माण कम्पनी जी.एम.आर. ने भारी संख्या में पुलिस बल लगाकर चारों ओर से बुलडोजर चला दिये और मन्दिर परिसर को छोड़ पूरे गांव को मलवे के ढेर में बदल दिया। लोगों को अपना सामान भी घरों से निकालने का समय नहीं दिया गया। जुलाई, 2007 में जी.एम.आर. ने 28 एकड़ में फैले भव्य मन्दिरों, संतों की समाधियों व शमशान भूमि को अपने कब्जे में ले लिया। धीरे-धीरे जी.एम.आर. ने मन्दिर को न सिर्फ चारों ओर से लोहे की टिन से सील कर दिया बल्कि वहां अपने आराध्य की पूजा-अर्चना करने आने वाले भक्तों को भी रोकना प्रारम्भ कर दिया।

आज वहां न तो भक्तों के अन्दर जाने का सुगम रास्ता है और न ही वाहन खड़े करने के लिए व्यवस्था। सुरक्षा के भारी-भरकम ताम-झाम देखकर लोग काफी हैरान-परेशान हैं। इन मंदिरों के प्रति लोगों की अगाध श्रद्धा का अन्दाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि चारों ओर से भगवान के घर को सीखचों में बन्द करने के बावजूद लोगों ने 'बाउण्ड्री' के नीचे जमीन में गड्ढे खोदकर वहां से मन्दिर में प्रवेश का रास्ता बना लिया है। हर वृहस्पतिवार व अमावस्या के दिन यहां भक्तों का मेला लगा रहता है। श्राद्ध पक्ष में कनागती अमावस्या के दिन तो यहां बड़ा भारी मेला अब भी लगता है, जिसमें महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश सहित अनेक राज्यों के लाखों लोग अपने-अपने पितरों का तर्पण यहां आकर करते हैं।

कानून सभी के लिए समान है तो सभी के धर्मस्थल तोड़ने चाहिए न कि केवल हिंदुओं के ही, सरकार, न्यायालय को इसपर ध्यान देना चाहिए ऐसी जनता की मांग हैं।

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Tuesday, October 13, 2020

कानून के रखवाले हिंदुओं को कैसे प्रताड़ित करते हैं पढ़ लीजिये

13 अक्टूबर 2020


वैसे लगता है कि भारत में राष्ट्र एवं भारतीय संस्कृति के उत्थान के कार्य करना अपराध हो गया है, जबकि जो लोग राष्ट्र व भारतीय संस्कृति के खिलाफ़ कार्य कर रहे हैं वे शायद अच्छे कार्य कर रहे हैं क्योंकि कानून इनको आसानी से राहत दे देता है और राष्ट्रहित के कार्य करने वाले सालों से जेल मे प्रताड़ित किये जाते हैं।




आपको ताजा उदाहरण देते हैं जैसे कि न्यायालय ने ड्रग्स मामले में रिया चक्रवर्ती को जमानत दे दी, नाबालिग रेप केस में सपा नेता गायत्री प्रजापति को जमानत मिल गई, करोड़ों रूपये के घोटाले करने वाले लालू प्रसाद यादव को जमानत मिल गई, देशभर में कोरोना फैलाने वाले मौलाना साद को जमानत मिल गई, देश के 'टुकड़े' करने का नारा लगाने वाले उमर खालिद और कन्हैया कुमार को जमानत मिल गई, बलात्कार आरोपी बिशप फ्रेंको व तरुण तेजपाल को जमानत मिल गई , 65 गैर जमानती वारंट होने के बाद भी दिल्ली के इमाम बुखारी को आज तक एरेस्ट नहीं कर पाए और यही न्यायालय राष्ट्र और भारतीय संस्कृति के उत्थान कार्य करने वाले 85 वर्षीय हिंदू संत आशारामजी बापू को 7 साल से आज तक जमानत नहीं दे पाई ।

बता दें कि जब किसी नेता, अभिनेता, जज या पत्रकार अथवा मुस्लिम और इसाई धर्मगुरु आदि पर आरोप लगते हैं तब सभी बुद्धजीवी बोलतें हैं कि जांच चल रही है, कानून अपना काम कर रहा है, कानून सबके लिए समान है आदि-आदि, लेकिन जैसे ही किसी हिंदुनिष्ठ या हिंदू साधु-संत पर झुठे आरोप लगते हैं तो सभी बोलने लग जाते हैं कि आरोपी पर इतने गंभीर आरोप लगे हैं, फिर भी गिरफ्तारी नहीं हो रही है, ये शर्मनाक बात है आदि-आदि, कुछ इस तरह के नारे लगते हैं और उनको आधी रात में गिरफ्तार कर लिया जाता है और सालों तक जमानत भी नहीं दी जाती है।

जैसे कि शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती जी पर हत्या का आरोप लगा और उनको आधी रात में गिरफ्तार कर लिया गया फिर वे बाद में निर्दोष बरी हुए।

वैसे साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, स्वामी असीमानंद, स्वामी नित्यानंद, डीजी वंजारा जी आदि को भी सालों तक जेल में प्रताड़ित किया गया और आखिर में वे निर्दोष बरी हुए।

अभी वर्तमान में हिंदू संत आशाराम बापू का केस तो आप देख ही रहे हैं, उनके पास षडयंत्र के तहत फंसाने और निर्दोष होने के प्रमाण भी हैं फिर भी उनको जमानत नहीं दी जा रही है।

दूसरी ओर सलमान खान को सजा होने के बाद भी 1 घण्टे में ही जमानत मिल जाती है, संजय दत्त को बार-बार पेरोल मिल जाती है, लालू को सजा होने के बाद बेटे की शादी में जाने के लिए जमानत मिल जाती है, पत्रकार तरुण तेजपाल पर आरोप सिद्ध होने के बाद भी जमानत मिल जाती है, बिशप फ्रैंको को 21 दिन में जमानत मिल जाती है, इससे साफ सिद्ध होता है कि कानून केवल समान बोला जा रहा है पर कानून व्यवस्था देखने वाले समानता का व्यवहार नहीं कर रहे हैं।

कानून के हाथ भले ही लम्बे हों परन्तु लगता है कि नीति बहुत ही पक्षपाती है। देश में कई ऐसे कैदी हैं जिनके पास वकील रखने व जमानत लेने के पैसे नहीं हैं इसलिए जेल में सड़ रहे हैं, वे बाहर नहीं आ पा रहे हैं। किसी साधु-संत अथवा आम आदमी पर आरोप लगते ही गिरफ्तार कर लिया जाता है पर बड़े नेता-अभिनेता, अमीर आदि को गिरफ्तारी से पहले ही जमानत हासिल हो जाती है।

इन सब बातों से साफ पता चलता है कि कानून समान बोला जा रहा है पर उसका पालन नहीं हो रहा है इससे हिंदुनिष्ठ और आम जनता को न्याय नहीं मिल पा रहा है, यह जनता के लिए दुःखद बात है इस पर सरकार और न्यायालय को ठोस कदम उठाना चाहिए नहीं तो निर्दोष पीड़ित होते ही रहेंगे।

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Thursday, August 20, 2020

फ़िल्म में हिंदुओं के नरसंहार का जिम्मेदार हाजी बना हीरो, राष्ट्रवादी दिखाने की घोषणा

20 अगस्त 2020 


 हिंदुस्तान में सदियों से हिंदुओं पर अनगिनत अत्याचार हुए है फिर भी हिंदू प्रगाढ़ निद्रा में है इसके कारण आज भी सनातन धर्म विरोधी अपनी गतिविधियों द्वारा हिंदुओं पर हुए अत्याचार को मिटाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं और हिंदुओं के खिलाफ़ धृणा पैदा करने वाली अनेक इतिहास लिखा जा चुका है और लिख रहे हैं और उसके ऊपर फिल्में बनाकर हिंदू धर्म को नीचा दिखाने व मिटाने की कोशिशें कर रहे हैं।



 आपको बता दे कि साल 1921 में केरल में हुए हिंदुओं के नरसंहार के लिए जिम्मेदार वरियमकुन्नथु कुंजाहम्मद हाजी (Variyam Kunnathu Kunjahammed Haji ) की जिंदगी पर आधारित फिल्म बनने वाली है। इस फिल्म को बनाने वाले का नाम आशिक अबु है। हाजी का किरदार निभाने वाले एक्टर पृथ्वीराज सुकुमारन हैं। और, फिल्म का टाइटल वरियमकुन्नन (Vaariyamkunnan) हैं। ये सब सूचना स्वयं अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन ने अपने फेसबुक पर दी है।

 उन्होंने अपनी नई फिल्म का ऐलान करते हुए हाजी को ब्रिटिशों के ख़िलाफ़ लड़ने वाली शख्सियत बताया है। साथ ही हाजी को न केवल एक नेता के तौर पर दर्शाया, बल्कि उसे एक फौजी और राष्ट्रवादी भी कहा।

 इसके अलावा मालाबार में हुए हिंदुओं के नरसंहार के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को पृथ्वीराज ने मालाबार क्रांति का पहला चेहरा लिखा और जानकारी दी कि इसकी फिल्मिंग हाजी की 100वीं बरसी पर शुरू करेंगे।

 यहाँ बता दें, इस जानकारी के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर एक नया विवाद खड़ा हो गया। लोग पूछने लगे कि आखिर हिंदुओं के नरसंहार के लिए जिम्मेदार व्यक्ति हीरो कैसे हो सकता है? या ये समझें कि ये फिल्म फिर से समुदाय विशेष के कुकर्मों को धोने का एक प्रयास है, जिसके जरिए सच्चाई को छिपाते हुए नया इतिहास समझाने की कोशिश हो रही है।

क्यों है विवाद?

 दरअसल, साल 2021 में रिलीज होने वाली यह फिल्म मोपला समुदाय के उस मुस्लिम नेता की जिंदगी पर आधारित है, जिसे साल 1921 में मालाबार में हजारों हिंदुओं के नरसंहार का जिम्मेदार बताया जाता है।

कौन था वरियम कुन्नथु हाजी कुंजाहम्मद हाजी?

 वरियमकुन्नथु या चक्कीपरांबन वरियामकुन्नथु कुंजाहम्मद हाजी (Variyam Kunnathu Kunjahammed Haji), वही शख्स है जो खुद को ‘अरनद का सुल्तान’ कहता था। उसी क्षेत्र का सुल्तान जहाँ सैंकड़ों मोपला हिंदुओं का नरसंहार हुआ। जहाँ इस्लामिक ताकतों ने मिलकर लूटपाट की और अंग्रेजों के ख़िलाफ़ विद्रोह की आड़ में हिंदुओं का रक्तपात किया। मगर, फिर भी, उन आतताइयों के उस चेहरे को छिपाने के लिए इतिहास के पन्नों में उन्हें मोपला के विद्रोहियों का नाम दिया गया।

 बता दें, मोपला में हिंदुओं का नरसंहार वही घटना है, जब हिंदुओं पर मुस्लिम भीड़ ने न केवल हमला बोला। बल्कि आगे चलकर पॉलिटिकल नैरेटिव गढ़ने के लिए उस बर्बरता को इतिहास के पन्नों से ही गुम कर दिया या फिर काट-छाँटकर इसपर जानकारी दी गई।

 केरल के मालाबार में हिंदुओं पर अत्याचार के उन 4 महीनों ने सैंकड़ों हिंदुओं की जिंदगी तबाह की। बताया जाता है कि मालाबार में ये सब स्वतंत्रता संग्राम के तौर पर शुरू हुआ। लेकिन जब खत्म होने को आया तो उसका उद्देश्य साफ पता चला कि वरियमकुन्नथु जैसे लोग केवल उत्तरी केरल से हिंदुओं की जनसंख्या कम करना चाहते थे।

 खिलाफत आंदोलन का सक्रिय समर्थक वरियमकुन्नथु ने अपने दोस्त अली मुसलीयर के साथ मिलकर मोपला दंगों का नेतृत्व किया। जिसमें 10,000 हिंदुओं का केरल से सफाया हुआ। जबकि माना जाता है कि इसके बाद करीब 1 लाख हिंदुओं को केरल छोड़ने पर मजबूर किया गया। इस दौरान हिंदू मंदिरों को ध्वस्त किया गया। जबरन धर्मांतरण हुए और कई प्रकार के ऐसे अत्याचार हिंदुओं पर किए गए, जिन्हें शब्दों में बयान कर पाना लगभग नामुमकिन है।

 बाबा साहेब अंबेडकर अपनी किताब में इस नरसंहार का जिक्र करते हैं। वे पाकिस्तान ऑर पार्टिशन ऑफ इंडिया नाम की अपनी किताब में लिखते हैं कि हिन्दुओं के खिलाफ मालाबार में मोपलाओं द्वारा किए गए खून-खराबे के अत्याचार अवर्णनीय थे। दक्षिणी भारत में हर जगह हिंदुओं के ख़िलाफ़ लहर थी। जिसे खिलाफत नेताओं ने भड़काया था।

 इसके अलावा एनी बेसेंट ने इस घटना का जिक्र अपनी किताब में करते हुए बताया कि कैसे धर्म न त्यागने पर हिंदुओं पर अत्याचार हुए। उन्हें मारा-पीटा गया । उनके घरों में लूटपाट हुई। एनी बेंसेंट ने अपनी किताब में बताया कि करीब लाख से ज्यादा हिंदू लोगों को उस दौरान अपने घरों को तन पर बाकी एक जोड़ी कपड़े के साथ छोड़ना पड़ा था। उन्होंने लिखा, “मालाबार ने हमें सिखाया है कि इस्लामिक शासन का क्या मतलब है, और हम भारत में खिलाफत राज का एक और नमूना नहीं देखना चाहते हैं।”

आज मलयालम फिल्म को प्रोड्यूस करने वाले अधिकतर लोग मालाबार मुसलमान हैं। जिन्हें लगता है शायद इस तरह के प्रयासों से वह हिंदुओं पर हुई बर्बरता को लोगों की नजरों में धुँधला कर देंगे और अपनी कोशिशों से एक नया इतिहास नई पीढ़ी के सामने पेश करेंगे।

लेकिन, आपको बता दें, ये पहली बार नहीं है जब हाजी के आतताई चेहरे को नायक में तब्दील करने की कोशिश हुई। इससे पहले भी जामिया प्रदर्शन के समय सुर्खियों में आई बरखा दत्त की शीरो लदीदा ने हाजी का महिमामंडन किया था।

मोपला मुसलमानों के एक अलीम ने यह घोषणा कर दी कि उसे जन्नत के दरवाजे खुले नजर आ रहे हैं । जो आज के दिन, दीन की खिदमत में शहीद होगा वह सीधा जन्नत जाएगा । जो काफ़िर को हलाक करेगा वह गाज़ी कहलाएगा । एक गाज़ी को कभी दोज़ख का मुख नहीं देखना पड़ेगा । उसके आहवान पर मोपला भूखे भेड़ियों के समान हिन्दुओं की बस्तियों पर टूट पड़े । टीपू सुल्तान के समय किये गए अत्याचार फिर से दोहराए गए । अनेक मंदिरों को भ्रष्ट किया गया । हिन्दुओं को बलात मुसलमान बनाया गया, उनकी चोटियां काट दी गई । उनकी सुन्नत कर दी गई । मुस्लिम पोशाक पहना कर उन्हें कलमा जबरन पढ़वाया गया । जिसने इंकार किया उसकी गर्दन उतार दी गई । ध्यान दीजिये कि इस अत्याचार को इतिहासकारों ने अंग्रेजी राज के प्रति रोष के रूप में चित्रित किया हैं जबकि यह मज़हबी दंगा था । 2021 में इस दंगे के 100 वर्ष पूरे होंगे।

 हिंदुओं का नर संहार करने वाले लोगों को आज हीरो बनाया जा रहा है और सबसे बड़ी बात तो यह है कि रोल करने वाला भी हिंदू ही हैं, और देखने वाले भी अधिकतर हिंदू ही है, आज बॉलीवुड में अधिकतर फिल्में भी हिन्दू विरोधी ही बन रही है अभी "आश्रम" नाम की फ़िल्म बनाकर हिंदू धर्म को बदनाम ही किया जा रहा है। हिंदुओं को अब जागरूक होना चाहिए ऐसी फिल्मों का पुरजोर से विरोध करना चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ी को ये लोग गुमराह करके हिंदू धर्म को खत्म न कर सकें।

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Wednesday, July 22, 2020

हिंदुओं को ज्ञान देने वाली PETA बता रही है ईद पर कैसे करनी है पशु की हत्या?

22 जुलाई 2020

🚩PETA यानी पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स। यह संस्था खुद को पशुओं के अधिकार का संरक्षक कहती है। लेकिन इस मुखौटे के पीछे कई चेहरे छिपे हैं। हिंदुओं से घृणा करने वाली यह संस्था जानवरों की निर्ममता से हत्या भी करती है। दीपावली पर ज्ञान देती है कि पटाखे नही फोड़े नही तो पशु पक्षी डर जाते है लेकिन यही पेटा बकरी ईद पर बता रही है कैसे पशु हत्या करनी चाहिए, पूरा विधि बता रही हैं।

🚩PETA ने जानवरों की हत्या करते समय क्या करना चाहिए और क्या नहीं, इस सम्बन्ध में सलाह जारी की हुई है। हिन्दुओं को शाकाहारी बनने की शिक्षा देने वाला PETA मुसलमानों को जानवरों को किन विधियों से मारने की सलाह दी है, वो देखिए:

🚩जानवरों को मारते समय एकदम सावधानी से हैंडल करें। किसी भी प्रकार का तनाव या क्रूरता हराम है। इससे गलत तरीके से खून निकलने लगेगा और माँस भी ठीक तरह का नहीं मिलेगा। एक जानवर को मारते समय वहाँ दूसरे जानवर को न रखें, ताकि वो एक-दूसरे की हत्या को देख नहीं पाएँ।

🚩चाकू की धार को एकदम तेज़ कर के रखें। उसे बार-बार धार दें। उसकी लम्बाई ठीक रखें। इसकी लम्बाई 45 सेंटीमीटर होनी चाहिए। चाकू को जानवरों को न देखने दें, नहीं तो वो डर जाएँगे।

🚩जानवर को ‘क्विब्ला’ की दिशा में रखें। उसकी गर्दन को किसी छेद या नाले में रख कर उसे मारें ताकि खून वहीं बह जाए। जानवर के ऊपर खड़ा नहीं हों। अगर जानवर बड़े आकार का है तो उसकी हत्या करते समय लोगों की मदद लें, जो उसके पाँवों को पकड़ सकते हैं।

🚩काफी अच्छे तरीके से जानवर की हत्या करें। तीन से ज्यादा बार वार न करें। गले के पास जितनी भी नसें हैं, उन सबको काट डालें। साँस और भोजन की नली को काट डालें। उस समय ‘क़ुर्बानी की दुआ’ पढ़ते रहें। जानवर को हाथ-पाँव मारने दें, ताकि खून जल्दी-जल्दी निकल जाए।

🚩ये याद रखें कि किसी की भी जान लेना सिर्फ अल्लाह के हाथ में है। हम अल्लाह द्वारा बनाई गई दुनिया का एक हिस्सा हैं, इसीलिए ज़िंदा रहने के लिए हम ऐसा करते हैं। दूसरे जीवों की तरह हमें भी अपना अस्तित्व बचाना है।

🚩जानवर को काटने के बाद 6 मिनट तक उसका खून बहने दें। भेंड़ या बकरों के मामले में 5 मिनट तक ब्लीडिंग होने दें।

🚩दूसरे जानवर को काटने से पहले खून को एकदम साफ़ कर दें क्योंकि खून की गंध से दूसरे जानवरों को तनाव होता है।

🚩याद रखें कि ये जानवर अल्लाह द्वारा बनाए हुए हैं और जन्नाह (जन्नत) जाते हैं। अगर हम उसके साथ बुरा व्यवहार करते हैं तो इसके लिए हमें जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

🚩आपको जानकर हैरानी होगी कि इस संस्था पर अमेरिका में मासूम जानवरों की जान लेने के आरोप लगते रहे हैं। यह भी स्पष्ट हो चुका है कि यह संस्था पशुओं को बचाने के नाम पर खुद इन पशुओं की हत्या कर देती है।

🚩वर्जीनिया डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर एंड कंज्यूमर सर्विसेज (VDACS) की रिपोर्ट के मुताबिक PETA ने पिछले साल यानी 2019 में 1,593 कुत्तों, बिल्लियों और अन्य पालतू जानवरों को मार दिया था। वहीं 2018 में 1771 जानवरों की हत्या कर दी गई। इसी तरह 2017 में 1809, 2016 में 1411 और 2015 में 1456 जानवरों को मार दिया गया। रिपोर्ट के अनुसार 1998 से लेकर 2019 तक PETA ने 41539 जानवरों की हत्या कर दी।

🚩इस संबंध में HUFFPOST नामक एक अमेरिकी वेबसाइट पर वर्ष 2017 में एक लेख प्रकाशित हुआ था जिसमें तथ्यों के साथ यह दावा किया गया था कि PETA ना सिर्फ खुद जानवरों को मारता है, बल्कि दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करता है। इसके लिए PETA पशुओं से संबन्धित क़ानूनों का दुरुपयोग करता है। इस लेख के मुताबिक PETA ने अमेरिका के वर्जीनिया में वर्ष 2014 में एक पालतू कुत्ते को बिस्किट का लालच देकर अपने पास बुलाया और उसे पकड़ लिया।

🚩वर्जीनिया के कानून के मुताबिक PETA जैसी संस्थाओं को सिर्फ आवारा पशुओं को ही अपने कब्जे में लेने की आज़ादी है, लेकिन PETA ने यहाँ साफ तौर पर इस कानून का उल्लंघन किया था। जिस कुत्ते को PETA के कर्मचारियों ने कब्जे में लिया था, वह पालतू था। इसके अलावा कानून के मुताबिक विशेष परिस्थितियों में PETA जैसी संस्थाओं के पास कम से कम जानवरों को 5 दिन अपने पास रखने के बाद उन्हें जान से मारने का अधिकार है।

🚩हालाँकि, PETA ने उस कुत्ते को अपने कब्जे में लेने के महज़ कुछ घंटों में ही मार दिया। इसके बाद उस कुत्ते को पालने वाले परिवार ने PETA पर केस किया और PETA को उस परिवार को 50 हज़ार डॉलर का मुआवजा देना पड़ा।

🚩इस लेख के मुताबिक वर्ष 2014 में PETA ने सिर्फ उस कुत्ते को ही नहीं, बल्कि 2324 पशुओं को मौत के घाट उतार दिया था। जितने भी पशुओं को PETA ने अपने कब्जे में लिया था, उनमें से सिर्फ 1 प्रतिशत पशुओं को ही लोगों ने गोद लिया।

🚩इसमें कहा गया है कि PETA के कार्यकर्ता धोखे से, चोरी से या झूठ बोलकर जानवरों को उठाते हैं और उन्हें जहर देकर मार देते हैं। PETA ये दावा करता है कि जिन पशुओं को वह मारता है, उनमें से अधिकतर गोद लेने के लायक नहीं होते हैं, लेकिन तथ्य इस बात का समर्थन नहीं करते हैं। आगे इस लेख में यह तक दावा किया गया है कि जिन पशुओं को PETA अपने कब्जे में लेता है, उनमें से अधिकतर स्वस्थ होते हैं, लेकिन उन्हें भी कब्जे में लेकर जहर देकर मार दिया जाता है।

🚩साल 2012 में PETA के मीडिया अधिकारी जेन डॉलिंगर ने द डेली कॉलर से कहा था कि संस्था की निगरानी में मौजूद कई जानवर चोट, बीमारी, बुढ़ापा, उत्तेजना या “अच्छे आवास के अभाव” में मर जाते हैं।

🚩द डेली कॉलर की 2012 की रिपोर्ट के अनुसार PETA के दो कर्मचारियों को अमेरिकी पुलिस ने 2005 में जानवरों के शव को नार्थ कैरोलिना डंपस्टर में फेंकते हुए पकड़ा था। इन जानवरों की PETA कर्मचारियों ने संस्था की वैन में “हत्या” की थी। PETA के खिलाफ अभियान चलाने वाली संस्था सेंटर फॉर कंज्यूमर फ्रीडम (सीसीएफ) का आरोप है कि PETA कुत्ते-बिल्लियों के लिए जरूरी आवास के निर्माण के बजाय मीडिया और विज्ञापन पर ज्यादा खर्च करती है। सीसीएफ के अनुसार PETA का सालान बज़ट 3.74 करोड़ डॉलर (करोड़ 254 करोड़ रुपए) है।

🚩साल 2011 में एक इंटरव्यू में PETA ने कहा था कि वो जानवरों को उत्पीड़ित् करने, भूखे रखने या शोध के लिए बेचने” के बजाय उन्हें “दर्दरहित” मौत देना बेहतर समझती है।

🚩बता दें कि यह वही PETA है जो भारत में हिंदुओं के त्योहारों को लेकर हल्ला मचाता है और उन्हें पशुओं के अधिकारों का हनन करने वाला बताता है। उदाहरण के तौर पर तमिलनाडु में हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले जलीकट्टू त्योहार के खिलाफ PETA ने सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी जमकर हल्ला मचाया था।

🚩वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने जल्लीकट्टू पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था और इसमें ‘एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया’ और PETA इंडिया की सबसे बड़ी भूमिका थी। इसके बाद जब वर्ष 2016 में केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर दोबारा से जलीकट्टू के आयोजन को मँजूरी दी थी, तब भी यह PETA ही था जिसने सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट में इस अधिसूचना के खिलाफ याचिका दायर की थी।

🚩हाल ही में PETA इंडिया ने रक्षा बंधन को गाय की रक्षा से जोड़ दिया। इस संगठन ने लोगों से अपील की कि ‘चमड़ा-मुक्त बनो।’ अब सोशल मीडिया पर पेटा से सवाल किया जा रहा है कि राखी का चमड़े से क्या लेना-देना? सोशल मीडिया पर उससे यही पूछा जा रहा है, “आपका मतलब है कि राखियाँ चमड़े से बनती हैं? एक ऐसे त्योहार को क्यों चुना, जिसका जानवरों की हत्या से कोई लेना-देना नहीं है।”

🚩वहीं एक यूजर ने लिखा, “ऐसा लगता है कि पेटा इंडिया तभी नींद से जागता है, जब हिंदुओं का कोई त्योहार आता है और तुमने कहाँ देखा है लोगों को चमड़े की राखी पहनते हुए?? रक्षा बंधन के पवित्र त्योहार पर तो हम मीट या अंडे भी नहीं खाते।”

🚩बता दें कि PETA एक गैर-सरकारी संगठन है जिसका कहना है कि पशुओं का भोजन, वस्त्र, प्रयोग या मनोरंजन के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। पेटा के अनुसार संस्था पशुओं के “कल्याण और पुनर्वास” के लिए काम करती है। - रचना कुमारी

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Thursday, July 2, 2020

पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं को किया जा रहा है भयंकर प्रताड़ित...

02 जुलाई 2020

🚩द हिन्दू अमेरिका फाउंडेशन (एचएएफ) ने दक्षिण एशिया में हिंदुओं और प्रवासियों पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट (यह रिपोर्ट 2017 की है) में कहा कि, समूचे दक्षिण एशिया और दुनिया के अन्य हिस्सों में रह रहे हिन्दू अल्पसंख्यक विभिन्न स्तरों के वैधानिक और संस्थागत भेदभाव, धार्मिक स्वतंत्रता पर पाबंदी, सामाजिक पूर्वाग्रह, हिंसा, सामाजिक उत्पीड़न के साथ ही आर्थिक और सियासी रूप से हाशिये वाली स्थित का सामना करते हैं।

🚩जारी हुई रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘हिन्दू महिलाएं खास तौर पर इसकी चपेट में आती हैं और बांग्लादेश तथा पाकिस्तान जैसे देशों में अपहरण और जबरन धर्मांतरण जैसे अपराधों का सामना करती हैं। कुछ देशों में जहां हिन्दू अल्पसंख्यक हैं वहां ज्यादातर लोग भेदभावपूर्ण और अलगाववादी एजेंडा चलाते हैं जिसके पीछे अक्सर सरकारों का मौन या स्पष्ट समर्थन होता है।’’

🚩अपनी रिपोर्ट में एचएएफ ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया और पाकिस्तान को हिन्दू अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का भीषण उल्लंघनकर्ता माना है। भूटान और श्रीलंका की पहचान गंभीर चिंता वाले देशों के तौर पर की गयी है। रिपोर्ट में भारतीय राज्य जम्मू कश्मीर को भी इसी श्रेणी में रखा गया है।

🚩बांग्लादेश : 10 मंदिरों पर हुआ हमला

🚩बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले महीने यानी मई 2020 में ही हिंदुओं को प्रताड़ित करने वाली कई घटनाएं सामने आई हैं, जो सोचने पर मजबूर तो करती ही है, साथ ही वहां के अल्पसंख्यक हिंदुओं की दयनीय व्यथा को भी बयां करती है। वर्ल्ड हिन्दू फेडरेशन बांग्लादेश चैप्टर (World Hindu Federation – Bangladesh Chapter) द्वारा जारी प्रेस रिलीज के अनुसार मई 2020 में ही हिंदुओं के 10 मंदिरों को तोड़ दिया गया। मूर्तियों को क्षत-विक्षत कर दिया गया।

🚩प्रेस रिलीज के मुताबिक 3 मई 2020 को दिनाजपुर नगरपालिका क्षेत्र में एक लाख टके का भुगतान न करने पर लोकल क्रिमिनल मामून और उसके गिरोह ने पूर्ण चंद्र रॉय के घर एवं मंदिर पर हमला किया और नष्ट कर दिया।

🚩4 मई 2020 को सुबह के लगभग 3 बजे चटगाँव के लोहगारा में शांति बिहार में 40 हथियारबंद लोगों ने मंदिर पर हमला किया। उपद्रवियों ने मंदिर की खिड़कियाँ, दीवारें और बुद्ध की मूर्ति को तहस नहस कर दिया।

🚩इसके बाद 5 मई 2020 को नेत्रकोना जिले के दुर्गापुर उपजिला के बकलजोरा यूनियन में उपद्रवियों ने कुमुदगंज बाजार काली मंदिर की मूर्ति को खंडित कर दिया।

🚩उपद्रवियों ने 8 मई 2020 को सिराजगंज जिले के बेलकुची चावला में जिधुरी साह पारा मंदिर की मूर्तियों को तहस नहस कर दिया। सिराजगंज जिले डब्ल्यूएचएफ बांग्लादेश चैप्टर के नेताओं ने मंदिर का दौरा किया और दोषियों को तत्काल गिरफ्तार करने की माँग की।

🚩9 मई 2020 को रात में बदमाशों ने नेत्रकोना जिले के कलमाकंद उपजिला के नागदरा गाँव में 100 साल पुरानी काली मंदिर की मूर्ति के साथ बर्बरता की।

🚩10 मई 2020 को सुनामगंज जिले के छतक नगर पालिका के टाटीकोना गाँव में फेसबुक पर टिप्पणी करने को लेकर आतंकवादियों ने हिंदू परिवारों पर हमला किया और उनके घरों एवं मंदिरों को नष्ट कर दिया। इस हमले में कम से कम 10 लोग घायल हो गए। घायल व्यक्तियों की पहचान तापस दास (30), शिप्लू दास (28), पाब्लू दास (32), पिपलू दास (26), सुमन दास (28), रतुल चौधरी (31), शिमला दास (28) और अन्य के रूप में हुई।

🚩11 मई 2020 को उपद्रवियों ने लालमोनिरहाट जिले के चपरहट इमेंद्रघाट में प्रसिद्ध श्री श्री माँ बिदवेश्वरी मंदिर की मूर्ति के साथ तोड़ फोड़ की।

🚩12 मई 2020 को लगभग 1 बजे, अपराधियों के एक समूह ने निलफामारी सदर अपजिला में दक्षिण हरो राधागोबिंद मंदिर का ताला तोड़ने और मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की। हालाँकि, स्थानीय लोगों ने उनका पीछा किया और उनमें से एक को पकड़ लिया और उसे सदर पुलिस स्टेशन को सौंप दिया।

🚩13 मई 2020 को ही उपद्रवियों ने रंगमती जिले के श्री श्री मगादेश्वरी मंदिर में मूर्ति के साथ छेड़छाड़ की और मंदिर के दान पेटी से पैसे चुरा लिए।

🚩13 मई को ही चोरों ने पीछे की दीवार को तोड़कर सुइहारी में क्षत्रिय समिति के पर्थ सारथी मंदिर में प्रवेश किया और मंदिर के आभूषण और अन्य कीमती सामान चुरा लिया।


🚩पाकिस्तान में 102 हिंदुओं का जबरन धर्म परिवर्तन

🚩पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक बार फिर से बड़ी संख्या में हिंदुओं के जबरन धर्मांतरण का मामला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक सिंध प्रांत के बाडिन जिले के अंतर्गत आने वाले गोलेरची में 102 हिंदुओं को जबरन इस्लाम में परिवर्तित किया गया है।

🚩टाइम्स नाऊ के अनुसार, इन 102 हिंदुओं में पुरुष, महिलाएँ और बच्चे भी शामिल हैं। इतना ही नहीं यहां के स्थानीय मंदिर में रखी गई हिंदू देवताओं की सभी मूर्तियों को नष्ट कर दिया गया और उसे मस्जिद में बदल दिया गया।

🚩17 मई को सिंध प्रांत में हिंदुओं ने दावा किया था कि तबलीगी जमात के लोगों ने उन्हें प्रताड़ित किया, उनके घरों में तोड़फोड़ की और इस्लाम कबूल नहीं करने पर एक हिंदू लड़के का अपहरण भी कर लिया।

🚩तबलीगी जमात के अपहरणकर्ता उक्त लड़के को छोड़ने के लिए रुपए-पैसे की माँग नहीं कर रहे थे। उनका कहना था कि अगर अपहृत लड़के का परिवार इस्लाम अपना लेता है तो उसे छोड़ दिया जाएगा। लेकिन, परिवार इसके लिए तैयार नहीं था।

🚩पाकिस्तान की हिन्दू महिला को जमीन पर गिर कर रोते हुए देखा जा सकता है, जहां वो अपने बेटे की रिहाई के लिए गुहार लगा रही हैं। महिला के आसपास हिन्दू समाज के अन्य लोग खड़े हैं, जो हाथों में पोस्टर लेकर वहां के मुसलमानों द्वारा किए जा रहे अत्याचार के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।

🚩एक अन्य वायरल वीडियो में वही महिला कहती दिख रही है कि वो मृत्यु को अंगीकार करेंगी लेकिन कभी इस्लाम नहीं अपनाएगी। महिलाओं और बच्चों ने हाथ में पोस्टर रखा था, जिसमें लिखा था, “हम मरना पसंद करेंगे लेकिन कभी भी इस्लाम में परिवर्तित नहीं होंगे।”

🚩प्रदर्शनकारियों की ओर से बोलते हुए, एक महिला ने कहा कि उनकी पिटाई की गई, उनकी संपत्तियों को जबरन ले लिया गया और घरों को नष्ट कर दिया गया। उन्होंने कहा कि अगर वे अपने घरों को वापस लेना चाहते हैं तो उन्हें इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए कहा जा रहा है। पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांतों से हिंदुओं और ईसाइयों के उत्पीड़न की खबरें लगभग नियमित रूप से आती रहती हैं।

🚩यह चिंता की बात है कि विदेशों में रह रहे हिंदुओं पर अत्याचार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन  वहां रह रहे हिंदुओं के हितों की रक्षा के लिए आवाज उठाने वाला कोई नहीं है।

🚩नागरिक संशोधन विधेयक पर कुछ मीडिया, नेता, वामपंथी, सेक्युलर हल्ला मचा रहे है पर इन देशों में हिंदुओं पर इतना अत्याचार हो रहा है इसपर इनकी जुबान खुलती नही है। अब भारत सरकार और संयुक्त राष्ट्र को इसमे हस्तक्षेप करके उनको सुरक्षा प्रदान करना चाहिए।

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