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Wednesday, May 17, 2017

विदेश की किताबों में बच्चे पढ़ रहे रामायण और महाभारत

विदेश की किताबों में बच्चे पढ़ रहे रामायण और महाभारत

17 मई 2017

भारत मे भले ही विदेशी लुटेरे मुगलों का और अंग्रेजों की महिमा मंडन वाला इतिहास पढ़ाया जाता हो लेकिन विदेश में आज भी कई जगह पर भगवान श्री राम और भगवान श्री कृष्ण की महिमा का इतिहास पढ़ाया जा रहा है और वे लोग बौद्धिक, आर्थिक और सभी क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं ।



विदेश की भारत से दूरी लगभग 6 हजार किलोमीटर है ।पर वहां पर मजहबी ठेकेदारों की ठेकेदारी नहीं चलती और वहाँ पर श्रीराम की रामायण और श्री कृष्ण की महाभारत कक्षा 11 के पाठ्यक्रम में पढाई जाती है ।

भगवान श्रीराम , भगवान श्रीकृष्ण , अर्जुन , भीम , नकुल, युधिष्ठिर ऐसी प्रतिमूर्तियां हैं जिनसे कोई बल,कोई बुद्धि , कोई न्याय, कोई त्याग, कोई कर्म और कोई धर्म की शिक्षा ले सकता है । 

आपको ये जान कर आश्चर्य होगा कि दूर देश रोमानिया में कक्षा 11 की पाठ्यपुस्तकों में रामायण और महाभारत के अंश हैं । ये जानकारी भारत में रोमानिया के राजदूत डोबरे ने विशेष बातचीत में कहा ।

भारत और रोमानिया के बीच अत्यंत निकट एवं मजबूत संबंधों को रेखांकित करते हुए रोमानिया के राजदूत राडू ओक्टावियन डोबरे ने बताया कि, दोनों देशों के निकट के सांस्कृतिक संबंध हैं और इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, हमारे यहां 11वीं कक्षा में बच्चों को रामायण और महाभारत के अंश पढाए जाते हैं ! 

इंटरनेशनल कल्चर खंड में बच्चों को यह पढ़ाया जाता है। आगे उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच निकट के सांस्कृतिक संबंध हैं जिन्हें और मजबूत करने की जरूरत है । 

रामायण, महाभारत व गीता में जीवन की हर समस्या का समाधान है....!!!

हम समाज में किस तरह रहें..?
परिवार में किस तरह रहें ...?
अपने कार्य क्षेत्र में कैसे रहें...?
 मित्रों के साथ हमारा व्यवहार कैसा हो...?
ये सभी बातें हम इस ग्रंथ से सीख सकते हैं।


रामायण, महाभारत एवं श्रीमद्भगवद्गीता  #ग्रंथों की बहुउपयोगिता के कारण ही कई स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, प्रबंधन #संस्थान ने इस ग्रंथ की सीख व उपदेश को पाठ्यक्रम में शामिल किया है ।


#आधुनिक काल में जे. रॉबर्ट आइजनहॉवर ने गीता और महाभारत का गहन अध्ययन किया। उन्होंने महाभारत में बताए गए #ब्रह्मास्त्र की संहारक क्षमता पर शोध किया और अपने मिशन को नाम दिया ट्रिनिटी (त्रिदेव)।

रॉबर्ट के नेतृत्व में 1939 से 1945 के बीच #वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह कार्य किया और #अमेरिका में 16 जुलाई 1945 को पहला परमाणु परीक्षण किया ।

हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में छुपे रहस्यों को उजागर करने के लिए विदेशों में अनेकों अनुसंधान चल रहे हैं । उसमें विदेशियों को सफलता भी खूब मिल रही है । उन्हीं रहस्यों को उजागार करने के लिए अब भारत में विश्वविद्यालय खुलने लगे हैं । पटना से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित बिद्दूपुर, #वैशाली में एक विश्वविद्यालय खोला जा रहा है जहाँ रामायण, गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों की पढ़ाई होगी । 



अमेरिका के #न्यूजर्सी में स्थापित कैथोलिक सेटन हॉ यूनिवर्सिटी में गीता को अनिवार्य पाठ्यक्रम के रूप में शामिल किया है ।

#माध्यमिक_शिक्षा_निदेशालय बीकानेर के डायरेक्टर बी.एल. स्वर्णकार ने आदेश में कहा है कि 'विद्यार्थियों को गीता का उपयोग सुनिश्चित करते हुए अध्ययन के लिए प्रेरित करना होगा, जिससे उनका आध्यात्मिक विकास हो सके ।'

कुछ दिन पहले केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने भी कहा है कि 'गीता-रामायण भारत की #सांस्कृतिक व #आध्यात्मिक धरोहर हैं। इसलिए स्कूलों में इनकी पढ़ाई को अनिवार्य किया जाना चाहिए। 

डीपीएस #भागलपुर की प्रिंसिपल डॉ. #अरुणिमा चक्रवर्ती ने भी बताया है कि रामायण और महाभारत की कथाएँ पढ़ाने से बच्चों में शालीनता पैदा की जा सकेगी ।


प्रोफेसर अनामिका गिरधर का कहना है कि'श्रीमदभगवद्गीता' में चरित्र निर्माण, आचरण,व्यवहार व विचार को सुंदर एवं अनुपम बनाने की सामग्री मिल जाती है । किसी भी सम्प्रदाय,मत या वाद की कोई भी ऐसी पुस्तक नहीं है कि जो इस कसौटी पर खरी उतरी हो । 


कई विशेषज्ञों का मानना है कि गीता में दिया गया ज्ञान आधुनिक मैनेजमेंट के लिए भी एकदम सटीक है और उससे काफी कुछ सीखा जा सकता है। 

 इनका तो यहाँ तक कहना है कि गीता का मैनेजमेंट गुण पश्चिमी देशों के सिर्फ मुनाफा कमाने के मैनैजमेंट वाली सोच से कहीं बेहतर है क्योंकि गीता इंसान के पूरे व्यक्तित्व में आत्मिक सुधार की बात करती है । 

इंसान में सुधार आने के बाद उसके जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति तय है और मैनेजमेंट भी उनमें से एक है । गीता में ऐसे कई श्लोक हैं जो द्वापर युग में अर्जुन के लिए तो प्रेरणादायी साबित हुए ही थे,अब इस युग में आधुनिक मैनेजमेंट के भी बहुत काम के हैं । इसलिए आधुनिक मैनेजर गीता ज्ञान से मैनेजमेंट के गुण सीख रहे हैं ।

#भारत ने वेद-पुराण, उपनिषदों से पूरे विश्व को सही जीवन जीने की ढंग सिखाया है । इससे भारतीय बच्चे ही क्यों वंचित रहे ?

जब मदरसों में कुरान पढ़ाई जाती है, #मिशनरी के स्कूलों में बाइबल तो हमारे स्कूल-कॉलेजों में रामायण, महाभारत व गीता क्यों नहीं पढ़ाई जाएँ ?

 मदरसों व मिशनरियों में शिक्षा के माध्यम से धार्मिक उन्माद बढ़ाया जाता है तो #सेक्युलरवादी उसे संविधान का मौलिक अधिकार कहते है और जब स्कूलों-कॉलेजों में बच्चों को जीवन जीने का सही ढंग सिखाया जाता है तो बोलते हैं कि शिक्षा का भगवाकरण हो रहा है ।


अब समय आ गया है कि पश्चिमी #संस्कृति के #नकारात्मक प्रभाव को दूर किया जाए और अपनी पुरानी #संस्कृति को अपनाया जाए। #हिंदुत्व को बढ़ावा दिया जाना भगवाकरण नहीं है।' अपितु उसमें मानवमात्र का कल्याण और उन्नति छुपी है ।