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Saturday, December 31, 2016

क्या आप 1 जनवरी के नववर्ष का इतिहास जानते हो...???

क्या आप 1 जनवरी के नववर्ष का इतिहास जानते हो...???

नव वर्ष उत्सव 4000 वर्ष पहले से बेबीलोन में मनाया जाता था। लेकिन उस समय नए वर्ष का ये त्यौहार 21 मार्च को मनाया जाता था जो कि वसंत के आगमन की तिथि (हिन्दुओं का नववर्ष ) भी मानी जाती थी। प्राचीन रोम में भी ये तिथि नव वर्षोत्सव के लिए चुनी गई थी लेकिन रोम के तानाशाह जूलियस सीजर को भारतीय नववर्ष मनाना पसन्द नही आ रहा था इसलिए उसने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, उस समय विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए वर्ष का उत्सव मनाया गया। ऐसा करने के लिए जूलियस सीजर को पिछला वर्ष, यानि, ईसापूर्व 46 इस्वी को 445 दिनों का करना पड़ा था ।
Do You Know Real History of New Year Celebration

उसके बाद ईसाई समुदाय उनके देशों में 1 जनवरी से नववर्ष मनाने लगे ।

हमारे महान भारत में अंग्रेजों ने ईस्ट इंडिया कम्पनी की 1757 में  स्थापना की । उसके बाद भारत को 190 साल तक गुलाम बनाकर रखा गया। इसमें वो लोग लगे हुए थे जो हमारे ऋषि मुनियों की प्राचीन संस्कृति को मिटाने में कार्यरत थे। लॉड मैकाले ने सबसे पहले भारत का इतिहास बदलने का प्रयास किया जिसमें गुरुकुलों में हमारी वैदिक शिक्षण पद्धति को बदला गया ।

हमारा प्राचीन इतिहास बदला गया जिसमें हम अपने मूल इतिहास को भूल गये  और हमें अंग्रेजों के गुलाम बनाने वाले इतिहास याद रह गया और आज कई भोले-भाले भारतवासी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष नही मनाकर 1 जनवरी को ही नववर्ष मनाने लगे ।

हद तो तब हो जाती है कि एक दूसरे को नववर्ष की बधाई देने लग जाते हैं ।

क्या ईसाई देशों में हिन्दुओं को हिन्दू नववर्ष की बधाई दी जाती है..???

किसी भी ईसाई देश में हिन्दू नववर्ष नहीं मनाया जाता है फिर हमारे भोले भारतवासी उनका नववर्ष क्यों मनाते हैं?

यह आने वाला नया वर्ष 2017 अंग्रेजों अर्थात ईसाई धर्म का नया साल है।

मुस्लिम का नया साल होता है और वो हिजरी कहलाता है इस समय 1437 हिजरी चल रही है।

हिन्दू धर्म का इस समय विक्रम संवत 2073 चल रहा है।

इससे सिद्ध हो गया कि हिन्दू धर्म ही सबसे पुराना धर्म है । 

इस विक्रम संवत से 5000 साल पहले इस धरती पर भगवान विष्णु श्रीकृष्ण के रूप में अवतरित हुए । उनसे पहले भगवान राम, और अन्य अवतार हुए यानि कहाँ करोडों वर्ष पुराना हमारा सनातन धर्म और कहाँ हम 2000 साल पुराना नव वर्ष मना रहे हैं!

जरा सोचिए....!!!

सीधे-सीधे शब्दों में हिन्दू धर्म ही सब धर्मों की जननी है। 

यहाँ किसी धर्म का विरोध नहीं है परन्तु  सभी भारतवासियों को बताना चाहते हैं कि इस इंग्लिश कैलेंडर के बदलने से हिन्दू वर्ष नहीं बदलता!

 जब बच्चा पैदा होता है तो पंडित जी उसका नामकरण हिन्दू कैलेंडर से नहीं करते, हिन्दू पंचांग से किया जाता है । ग्रहदोष भी हिन्दू पंचाग से देखे जाते हैं और विवाह,जन्मकुंडली आदि का मिलान भी हिन्दू पंचाग से ही होता है । सारे व्रत त्यौहार हिन्दू पंचाग से आते हैं। मरने के बाद तेरहवाँ भी हिन्दू पंचाग से ही देखा जाता है।

मकान का उद्घाटन, जन्मपत्री, स्वास्थ्य रोग और अन्य सभी समस्याओं का निराकरण भी हिन्दू कैलेंडर {पंचाग} से ही होता है।

आप जानते हैं कि रामनवमी, जन्माष्टमी, होली, दीपावली, राखी, भाई दूज, करवा चौथ, एकादशी, शिवरात्री, नवरात्रि, दुर्गापूजा सभी विक्रमी संवत कैलेंडर से ही निर्धारित होते हैं  |
 इंग्लिश कैलेंडर में इनका कोई स्थान नहीं होता।

सोचिये! फिर आपके इस सनातन धर्म के जीवन में इंग्लिश नववर्ष या कैलेंडर का स्थान है कहाँ ? 

अतः हिन्दू अपने सनातन धर्म के नव वर्ष को ही मनायें ।


एक देशभक्त ने लिखा है कि..

अपने मन को समझाऊँ कैसे..?
आज मंगलगीत मैं गाऊँ कैसे..?
भगत सिंह को फाँसी पर चढ़ा दिया जिन्होंने,
मैं उनका नववर्ष मनाऊँ कैसे..?

एक कवि ने क्या खूब कहा है कि...

 हवा लगी पश्चिम की , सारे कुप्पा बनकर फूल गए ।
ईस्वी सन तो याद रहा , पर अपना संवत्सर भूल गए ।।
चारों तरफ नए साल का , ऐसा मचा है हो-हल्ला ।
बेगानी शादी में नाचे , जैसे कोई दीवाना अब्दुल्ला ।।
धरती ठिठुर रही सर्दी से , घना कुहासा छाया है ।
कैसा ये नववर्ष है , जिससे सूरज भी शरमाया है ।।
सूनी है पेड़ों की डालें , फूल नहीं हैं उपवन में ।
पर्वत ढके बर्फ से सारे , रंग कहां है जीवन में ।।
बाट जोह रही सारी प्रकृति , आतुरता से फागुन का ।
जैसे रस्ता देख रही हो , सजनी अपने साजन का ।।
लिए बहारें आँचल में , जब चैत्र प्रतिपदा आएगी ।
फूलों का श्रृंगार करके , धरती दुल्हन बन जाएगी ।।
मौसम बड़ा सुहाना होगा , दिल सबके खिल जाएँगे ।
झूमेंगी फसलें खेतों में , हम गीत खुशी के गाएँगे ।।
उठो खुद को पहचानो , यूँ कबतक सोते रहोगे तुम ।
चिन्ह गुलामी के कंधों पर , कबतक ढोते रहोगे तुम ।।
अपनी समृद्ध परंपराओं का , आओ मिलकर मान बढ़ाएंगे ।
आर्यवृत के वासी हैं हम , अब अपना नववर्ष मनाएंगे ।।

Friday, December 30, 2016

यह अंग्रेजी नववर्ष, हमारे दिव्य संस्कारों को खा गया !!

यह अंग्रेजी नववर्ष, हमारे दिव्य संस्कारों को खा गया!!


क्या विडम्भना है भारत की,देख चित घबराता है!
हिन्दू ही भूल गये, नया साल कब आता है!!
शराब, माँस का भोग लगाता, एक त्यौहार आ गया!
यह अंग्रेजी नववर्ष,हमारे संस्कारों को खा गया!!
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अपनी संस्कृति से अपरिचित भ्रमित हिंदुओं द्वारा ही 31 दिसंबर की रात्रि में एक-दूसरे को "हैपी न्यू ईयर" कहते हुए नववर्ष की शुभकामनाएं दी जाती हैं।

वास्तविकता में भारतीय संस्कृति के अनुसार चैत्र-प्रतिपदा ही हिंदुओं के नववर्ष का दिन है । लेकिन भारतीय वर्षारंभ के दिन चैत्र प्रतिपदा पर एक-दूसरे को शुभकामनायें देने वाले हिंदुओं के दर्शन अब दुर्लभ हो गए हैं ।

ऋषि मुनियों के देश भारत में 31 दिसम्बर को त्यौहार के नाम पर शराब और कबाब उड़ाना, डांस पार्टी आयोजित करके बेशर्मी का प्रदर्शन करना क्या हम हिंदुओं को शोभा देता है..???

भारतवासी जरा सोचे!

जिन अंग्रेजो ने हमें 200 साल तक गुलाम बनाये रखा, हमारे पूर्वजों पर अत्याचार किया, सोने की चिड़िया कहलाने वाले हमारे भारत को लूटकर ले गए, हमारी वैदिक शिक्षा पद्धति को खत्म कर दिया उनका नया वर्ष मनाना कहाँ तक उचित है..???

जो अंग्रेज हमारे भारत पर 200 साल राज करने के बाद भी,हमारा एक भी त्यौहार नहीं मनाते तो हम उनका त्यौहार क्यों मना रहे हैं..??? 

S.O Chem की रिपोर्ट के अनुसार
14 से 19 वर्ष के बच्चें इन दिनों में शराब का जमकर सेवन करते हैं। जिससे शराब की खपत तीन गुना बढ़ जाती है |

आँकड़े बताते हैं कि अमेरिका व यूरोप में भारत से 10 गुणा ज्यादा दवाईयां खर्च होती हैं ।

वहाँ मानसिक रोग इतने बढ़ गए हैं कि हर दस अमेरिकन में से एक को मानसिक रोग होता है । दुर्वासनाएँ इतनी बढ़ी हैं कि हर छः सेकंड में एक बलात्कार होता है और हर वर्ष लगभग 20 लाख से अधिक कन्याएँ विवाह के पूर्व ही गर्भवती हो जाती हैं । वहाँ पर 65% शादियाँ तलाक में बदल जाती हैं । AIDS की बीमारी दिन दुगनी रात चौगुनी फैलती जा रही है | वहाँ के पारिवारिक व सामाजिक जीवन में क्रोध, कलह, असंतोष,संताप, उच्छृंखता, उद्यंडता और शत्रुता का महा भयानक वातावरण छाया रहता है ।

विश्व की लगभग 4% जनसंख्या अमेरिका में है । उसके उपभोग के लिये विश्व की लगभग 40% साधन-सामग्री (जैसे कि कार, टी वी, वातानुकूलित मकान आदि) मौजूद हैं फिर भी वहाँ अपराधवृति इतनी बढ़ी है कि हर 10 सेकण्ड में एक सेंधमारी होती है, 1 लाख व्यक्तियों में से 425 व्यक्ति कारागार में सजा भोग रहे हैं। 


31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर दारू पीते हैं। हंगामा करते हैं ,रात को दारू पीकर गाड़ी चलाने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी वारदात, पुलिस व प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश होता है और 1 जनवरी से आरंभ हुई ये घटनाएं सालभर में बढ़ती ही रहती हैं ।

जबकि भारतीय नववर्ष नवरात्रों के व्रत से शुरू होता है घर-घर में माता रानी की पूजा होती है।शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है। 
चैत्र प्रतिपदा के दिन से महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् की शुरुवात, भगवान झूलेलाल का जन्म,
नवरात्रे प्रारंम्भ, ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना इत्यादि का संबंध है। 

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ऐसे भोगी देश का अन्धानुकरण न करके युवा पीढ़ी अपने देश की महान संस्कृति को पहचाने।

1जनवरी में नया कलैण्डर आता है। लेकिन
चैत्र में नया पंचांग आता है उसी से सभी भारतीय पर्व ,विवाह और अन्य महूर्त देखे जाते हैं । इसके बिना हिन्दू समाज जीवन की कल्पना भी नही कर सकता इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग। 

स्वयं सोचे कि क्यों मनाये हम एक जनवरी को नया वर्ष..???

केवल कैलेंडर बदलें अपनी संस्कृति नही...!!!

रावण रूपी पाश्‍चात्य संस्कृति के आक्रमणों को नष्ट कर, चैत्र प्रतिपदा के दिन नववर्ष का विजयध्वज अपने घरों व मंदिरों पर फहराएं।

अंग्रेजी गुलामी तजकर ,अमर स्वाभिमान भर ले हम!
हिन्दू नववर्ष मनाकर खुद में आत्मसम्मान भर ले हम!!