Friday, June 2, 2017

विजय मानकर ने विश्व मे सबसे श्रेष्ठ ग्रन्थ गीता के लिए कहा कि फाड़कर कचरे में फेंक देना चाहिए

विजय मानकर ने विश्व मे सबसे श्रेष्ठ ग्रन्थ गीता के लिए कहा कि फाड़कर कचरे में फेंक देना चाहिए

अंबेकराइट पार्टी ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट विजय मानकर एक वीडियो में कह रहा है कि गीता को फाड़कर कूड़ेदान में फेंक देना चाहिए। जो गीता हिंसा को धर्म बताती है और समता को नकारती है उसे इस देश का #राष्ट्रीय ग्रंथ तो क्या,दुनिया के किसी भी ग्रंथ की पंक्ति में बैठने के लायक भी नहीं है।
Azaad Baharat- Vijay Mankar

विजय मानकर पार्टी का गठन 14 अप्रैल 2013 में किया गया था। मुख्यालय नागपुर में है। इस पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनावों में 34 कंडिडेट और पिछले साल केरल के विधानसभा चुनावों में  5 प्रत्याशी उतारे लेकिन सभी को हार ही नसीब हुई। 

विजय मानकर ने भगवान श्री कृष्ण के मुख से निकली #श्रीमद्भगवद्गीता को ठीक से पढ़ा ही नही है और कुछ भी बयान देना शुरू कर दिया । अगर ठीक से पढ़ता तो उसके दिमाग में जो कचरा भरा है वो निकल जाता और #दिव्य ज्ञान से भरपूर #समता के सिंहासन पर बैठाने वाली गीता का ज्ञान पाकर धन्य हो जाता ।

अगर यही किसी धर्म के ग्रन्थ पर बोलता तो अभीतक न जाने कितने उनके खिलाफ प्रदर्शन हुए होते, पत्थरबाजी होती, मीडिया छाती पीटने लगती लेकिन हिन्दू सहिष्णु है इसलिए आज हिन्दू चुप है ।

आइये विजय मानकर को याद सद्बुद्धि देने के लिए जानते है श्रीमद्भगवद्गीता की महिमा...
‘यह मेरा हृदय है’- ऐसा अगर किसी ग्रंथ के लिए भगवान ने कहा हो तो वह #गीता का ग्रंथ है । गीता मे हृदयं पार्थ । ‘गीता मेरा हृदय है ।’ 

#गीता ने गजब कर दिया - धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे... युद्ध के मैदान को भी धर्मक्षेत्र बना दिया । युद्ध के मैदान में गीता ने योग प्रकटाया । हाथी चिंघाड़ रहे हैं, घोड़े हिनहिना रहे हैं, दोनों सेनाओं के योद्धा प्रतिशोध की आग में तप रहे हैं । किंकर्तव्यविमूढ़ता से उदास बैठा हुआ अर्जुन को भगावन श्री कृष्ण ज्ञान का उपदेश दे रहे है । 

‘गीता’ में 18 अध्याय हैं, 700 श्लोक हैं, 94569 शब्द हैं । विश्व की 578 से भी आधीक भाषाओं में गीता का अनुवाद हो चुका है ।

आजादी के समय स्वतंत्रता सेनानियों को जब फाँसी की सजा दी जाती थी, तब ‘गीता’ के श्लोक बोलते हुए वे हँसते-हँसते फाँसी पर चढ जाते थे। 

गीता पढ़कर 1985-86 में गीताकार की भूमि को प्रणाम करने के लिए कनाडा के प्रधानमंत्री मि. पीअर ट्रुडो भारत आये थे । जीवन की शाम हो जाय और देह को दफनाया जाय उससे पहले अज्ञानता को दफनाने के लिए उन्होंने अपने प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया और एकांत में चले गये । वे अपने शारीरिक पोषण के लिए एक दुधारू गाय और आध्यात्मिक पोषण के लिए उपनिषद् और गीता साथ में ले गये । ट्रुडो ने कहा है : ‘‘मैंने बाइबिल पढ़ी, एंजिल पढ़ी और अन्य धर्मग्रंथ पढ़े । सब ग्रंथ अपने-अपने स्थान पर ठीक हैं किंतु हिन्दुओं का यह ‘श्रीमद् भगवद्गीता’ ग्रंथ तो अद्भुत है । इसमें किसी मत-मजहब, पंथ या सम्प्रदाय की निंदा-स्तुति नहीं है वरन् इसमें तो मनुष्यमात्र के विकास की बातें हैं । गीता मात्र हिन्दुओं का ही #धर्मग्रंथ नहीं है, बल्कि मानवमात्र का #धर्मग्रंथ है ।’’
गीता ने किसी मत, पंथ की सराहना या निंदा नहीं की अपितु मनुष्यमात्र की उन्नति की बात कही । 

ख्वाजा दिल मुहम्मद ने लिखा : ‘‘रूहानी गुलों से बना यह गुलदस्ता हजारों वर्ष बीत जाने पर भी दिन दूना और रात चौगुना महकता जा रहा है । यह गुलदस्ता जिसके हाथ में भी गया, उसका जीवन महक उठा । ऐसे गीतारूपी गुलदस्ते को मेरा प्रणाम है । सात सौ श्लोकरूपी फूलों से सुवासित यह गुलदस्ता करोड़ों लोगों के हाथ गया, फिर भी मुरझाया नहीं ।’’

कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रुडो एवं ख्वाजा-दिल-मुहम्मद ही इसकी प्रशंसा करते हैं ऐसी बात नहीं, कट्टर मुसलमान की बच्ची और अकबर की रानी ताज भी इस गीताकार के गीत गाये बिना नहीं रहती । 
सुनो दिलजानी मेरे दिल की कहानी तुम ।
दस्त ही बिकानी, बदनामी भी सहूँगी मैं ।।
देवपूजा ठानी मैं, नमाज हूँ भुलानी ।
तजे कलमा कुरान सारे गुनन गहूँगी मैं ।।
साँवला सलोना सिरताज सिर कुल्ले दिये ।
तेरे नेह दाग में, निदाग हो रहूँगी मैं ।।
नन्द के कुमार कुरबान तेरी सूरत पै ।
हूँ तो मुगलानी, हिन्दुआनी ह्वै रहूँगी मैं ।।

अकबर की रानी ताज अकबर को लेकर आगरा से वृंदावन आयी । कृष्ण के मंदिर में आठ दिन तक कीर्तन करते-करते जब आखिरी घड़ियाँ आयीं, तब ‘हे कृष्ण ! मैं तेरी हूँ, तू मेरा है...’ कहकर उसने सदा के लिए माथा टेका और कृष्ण के चरणों में समा गयी । अकबर बोलता है : ‘‘जो चीज जिसकी थी, उसने उसको पा लिया । हम रह गये...’’ 

इतना ही नहीं महात्मा थोरो भी गीता के ज्ञान से प्रभावित हो के अपना सब कुछ छोड़कर अरण्यवास करते हुए एकांत में कुटिया बनाकर जीवन्मुक्ति का आनंद लेते थे । 


जीवन का दृष्टिकोण उन्नत बनाने की कला सिखाती है गीता ! युद्ध जैसे घोर कर्मों में भी #निर्लेप रहना सिखाती है #गीता ! कर्तव्यबुद्धि से ईश्वर की पूजारूप कर्म करना सिखाती है गीता ! मरने के बाद नहीं, जीते-जी मुक्ति का स्वाद दिलाती है गीता !                        

#श्रीमद्भगवद्गीता के विषय में संतों एवं विद्वानों के विचार

जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए गीताग्रंथ अद्भुत है । विश्व की 578 भाषाओं में गीता का अनुवाद हो चुका है । हर भाषा में कई चिन्तकों, विद्वानों एवं भक्तों ने मीमांसाएँ की हैं और अभी भी हो रही हैं, होती रहेंगी क्योंकि  इस  ग्रंथ  में  किसी  भी  देश,  जाति, पंथ  के  सभी  मनुष्यों  के  कल्याण  की अलौकिक सामग्री भरी हुई है । अतः हम सबको #गीताज्ञान में अवगाहन करना चाहिए। भोग, #मोक्ष, #निर्लेपता, #निर्भयता आदि तमाम दिव्य गुणों का विकास करानेवाला यह गीताग्रंथ विश्व में अद्वितीय है ।
                                                                           - ब्रह्मनिष्ठ स्वामी श्री 🚩लीलाशाहजी महाराज 


विरागी जिसकी इच्छा करते हैं, संत जिसका प्रत्यक्ष अनुभव करते हैं और पूर्ण ब्रह्मज्ञानी जिसमें ‘अहमेव ब्रह्मास्मि’ की भावना रखकर रमण करते हैं, भक्त जिसका श्रवण करते हैं, जिसकी त्रिभुवन में सबसे पहले वन्दना होती है, उसे लोग ‘भगवद्गीता’ कहते हैं ।                                                                             - संत ज्ञानेश्वरजी

भगवद्गीता कचिदधीता गंगाजललवकणिका पीता। येनाकारिमुरारेरर्र्चा तस्य यमै क्रियते चर्चा ।।
जिस मनुष्य ने #श्रीमद्भगवद्गीता का थोडा भी अध्ययन किया हो, श्रीगंगाजल का एक बिन्दु भी पान किया हो अथवा भगवान श्रीविष्णु का सप्रेम पूजन किया हो, उसे यमराज नजर उठाकर देख भी नहीं सकते । अर्थात् वह संसार-बंधन से मुक्त होकर आत्यन्तिक आनन्द का अधिकारी हो जाता है 
 -जगद्गुरु श्री शंकराचार्यजी

🚩गीता के ज्ञानामृत के पान से मनुष्य के जीवन में #साहस, #समता, #सरलता, #स्नेह, #शांति, #धर्म आदि दैवी गुण सहज ही विकसित हो उठते हैं । अधर्म, अन्याय एवं शोषकों का मुकाबला करने का #सामर्थ्य आ जाता है । #निर्भयता आदि दैवी गुणों को विकसित करनेवाला, भोग और मोक्ष दोनों ही प्रदान करनेवाला यह ग्रंथ पूरे विश्व में अद्वितीय है । - संत आसारामजी बापू


‘गीता’ शास्त्र एक परम रहस्यमय ग्रंथ है । इसका प्रचारक भगवान को अत्यंत प्रिय है । भगवान ने स्वयं कहा है :
‘मनुष्यों में उससे बढकर मेरा प्रिय कार्य करनेवाला कोई भी नहीं है तथा पृथ्वी भर में उससे बढकर मेरा प्रिय दूसरा कोई भविष्य में होगा भी नहीं जो गीता-ज्ञान का प्रचार करता है ।’ -स्वामी रामसुखदासजी
                                                                                      
‘भगवद्गीता’ के उपदेश पर कोई शंका नहीं कर सकता क्योंकि वह मानों ठीक मर्मस्थल को स्पर्श करता है । वह सब आवश्यकताओं की समान रूप से पूर्ति करता है, उसमें विकास की प्रत्येक श्रेणी पर विचार किया गया है । यह एक ही ग्रंथ है, जिसमें छोटे-से-छोटा और बडे-से-बडा मनुष्य, अतिशय प्रखर बुद्धि का विचारक, सभीको कुछ-न-कुछ जानने तथा सीखने की सामग्री मिल जाती है, मार्ग सीखने के लिए कोई-न-कोई ध्रुव तारा मिल जाता है । वे धन्य हैं जो गीता को पढते हैं, सुनते हैं, सुनाते हैं ।                   
                                                                                                        - 🚩रेवरेंड आर्थर

‘गीता’ के संदेश का प्रभाव आचार-विचारों के क्षेत्र में भी सदैव जीता-जागता प्रतीत होता है। 
- श्री अरविन्द घोष (स्त्रोत्र : ऋषि प्रसाद )

जिस पवित्र #गीता जी का विश्व की 578 से भी अधिक भाषाओं में अनुवाद हो चुका है । उसी से ही अंदाजा लगा सकते हैं कि गीता जी कितना लोगों के लिए उपयोगी हो रही होगी ।

#गीता ही एक ऐसा ग्रन्थ है जिसकी आज भी जयंती मनाई जाती है और किसी भी ग्रन्थ की जयंती नही मनाई जाती है ।

पवित्र #गीता ग्रन्थ ही विश्व में सुख, शांति ला सकता है बाकि किसी भी ग्रन्थ में ताकत नही है । 

दुनिया में जितने भी ग्रन्थ हैं वे गीता जी का कुछ न कुछ अंश लेकर ही चमके हैं । #गीता जी के ज्ञान बिना मनुष्य पशुतुल्य है ।

गीता विश्व में श्रेष्ठ ग्रन्थ है उसकी बराबरी में आजतक कोई ग्रन्थ बना ही नही है । ऐसे पवित्र ग्रन्थ के लिए विजय मानकर अपनी तुच्छ बुद्धि का परिचय देते हुए अपना दिमागी कचरा समाज में फैला रहा है । ये कहाँ तक उचित है ???

भारत का #राष्ट्रीय ग्रन्थ #गीताजी को और #राष्ट्रीय पशु #गाय माता को घोषित कर देना चाहिए ।

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Thursday, June 1, 2017

हिन्दू महासभा : हिन्दू धर्म के लिए सर्वस्व न्योछावर करने वाले संत आशारामजी बापू का समय बर्बाद न करें जून 1, 2017

हिन्दू महासभा : हिन्दू धर्म के लिए सर्वस्व न्योछावर करने वाले संत आशारामजी बापू का समय बर्बाद न करें
जून 1, 2017


इंदौर (म.प्र) से 31 अगस्त 2013 को रात को 12:30 बजे बिना सबूत हिन्दू संत आशारामजी बापू को गिरफ्तार कर लिया गया था । तबसे लेकर आज तक अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री कौशिकजी कोई भी हिन्दू पर्व या त्यौहार नही मना रहे हैं उन्होंने प्रतिज्ञा ली है कि जब तक संत आशारामजी बापू बाहर नही आ जाते तब तक दिवाली, होली जैसे कोई हिन्दू त्यौहार नही मनाएंगे ।

Azaad Bharat - Dr. Puja Shakun Pandey

46 महीने से बिना सबूत जोधपुर जेल में बंद हिन्दू संत आशारामजी बापू की रिहाई के लिए अनेक हिन्दू संगठन आगे आये हैं लेकिन कट्टर हिन्दूवादी संगठन अखिल भारतीय हिन्दू महासभा तो संत आशारामजी बापू पर हो रहे घोर अन्याय के खिलाफ सतत आवाज उठाती रही है ।
जंतर-मंतर पर सत्याग्रह करते समय अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय सचिव महंत डॉ. पूजा शकुन पांडे ने हिन्दुओं को संबोधित करते हुए कहा कि जो लोग अपने आप को हिन्दू कहते हैं,पर मेरा अपना मानना है कि सही मायने में आप हिन्दू हैं ये अपने आप से प्रश्न करना चाहिए !! 
अगर सच में हिन्दू हैं,सच्चा हिन्दू है तो उसे सत्य कहने में डर नहीं होना चाहिए ।

उन्होंने आगे कहा कि संत आशारामजी बापू ने हमेशा राष्ट्र हित की बात कही है । बापूजी ने हमेशा सर्वस्व न्यौछावर  किया है सनातन धर्म के लिए, सनातन धर्म यानी हिन्दू धर्म !! 
हिन्दू जीवन शैली है !! 

संत आसारामजी बापू के नाम में राम है और राम अपने आप में पर्याप्त है । बापूजी जैसा आदर्श हमें मिल नहीं सकता हम बहुत भाग्यशाली हैं ।
मैं छोटी थी तब से बापूजी को सुनती आई हूँ, टीवी में देखती आई हूँ, बड़ा सौभाग्य है और कही न कही इस बात का दुर्भाग्य है कि संत आशारामजी बापू को इस प्रकार का संघर्ष करना पड़ रहा है ।

पर कोई बात नहीं !! ये तो हमारे पुराणों का नियम है, भगवान श्री राम ने यातना सही, श्री कृष्ण ने भी सही, बापूजी भी सह रहें हैं । पर मुझे पता है वो साक्षात परमब्रह्म है साक्षात भगवान है और वो जल्दी वापस आएंगे ।

 जिस तरह हमारी प्रज्ञा ठाकुरजी निर्दोष साबित हुई । लेकिन उनके 9 वर्ष जेल में चले गए । ऐसे हमारे संत आशारामजी बापू का और समय न बर्बाद करो ! आज इस देश को बापूजी के संरक्षण की, बापूजी के नेतृत्व के बहुत आवश्यकता है ।

संत आशारामजी बापू के भक्तों को संदेश दिया :-

मैं भक्तजनों के लिए एक ही बात कहूंगी, धैर्य रखें और आपने सच्चे हृदय से गुरु को गुरु माना है तो गुरु ईश्वर से भी बड़ा होता है, ईश्वर हृदय में विद्यमान रहते हैं और बापूजी की इतनी लीलाएं हमने देखी हैं ! धैर्य रखें ! हमारे सबके बापूजी जल्दी वापस आएंगे, विचलित होने की आवश्यकता नहीं है..!!

आपको बता दें कि IBN7 चैनल के डिबेट में अखिल भारत हिन्दू महासभा जनरल सेक्रेटरी मुन्ना कुमार शर्मा जी ने भी कहा था कि  संत आसारामजी बापू ईसाई मिशनरियों के द्वारा जो हिंदुओं को ईसाई बनाये जा रहे हैं, उसके खिलाफ उन्होंने अभियान चलाया और लाखों हिन्दू जो ईसाई बन गए थे उनकी घरवापसी करायी इसलिए उनके विरुद्ध बहुत बड़ा षड़यंत्र कब से हो रहा है। उनको फंसाने का प्रयास तो 2008 से शुरू हो ही गया था।

मुन्ना कुमार ने ये भी कहा कि संत आसारामजी बापू पर लगातार बहुत बड़ी राजनैतिक साजिश हो रही है।


गौरतलब है कि बापू आसारामजी बिना अपराध सिद्ध हुए 43 महीनों से जोधपुर जेल में बंद हैं और उनकी रिहाई के लिए सुब्रमण्यम स्वामी, सुरेश चव्हाणके, टी राजा सिंह, संजय राऊत आदि कई हिंदुत्वनिष्ठ हस्तियों के साथ-साथ सोशल मीडिया पर ट्रेंड्स के द्वारा व ग्राउंड लेवल पर भी उनके समर्थन में हजारों रैलियां, धरने, प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति के नाम से कलेक्टर को ज्ञापन देना, संत सम्मेलन आदि होते आ रहे हैं ।

फिलहाल बापू आसारामजी को कानून से अभी तक  कोई राहत नही मिली है इसलिए जनता अब सोशल मीडिया और ग्राउंड लेवल पर सतत उनकी रिहाई की मांग कर रही है ।

अब देखते हैं कि अनेक हिन्दू संगठनो, हिन्दुत्वनिष्ठो और उनके करोड़ो भक्तों की आवाज सरकार कब सुनती है ???

Wednesday, May 31, 2017

उच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला : गाय राष्ट्रीय पशु घोषित हो, हत्या पर दी जाए उम्रकैद

उच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला : गाय राष्ट्रीय पशु घोषित हो, हत्या पर दी जाए उम्रकैद

मई 31, 2017

केंद्र सरकार ने देश में गो रक्षा के लिए एक बडा कदम उठाया है। पर्यावरण मंत्रालय ने द प्रीवेंशन ऑफ क्रुएलिटी टु एनिमल्स (रेगुलेशन ऑफ लाइवस्टॉक मार्केट्स) नियम 2017 को सूचित कर दिया है। इस नोटिफिकेशन का उद्देश्य मवेशी बाजार में जानवरों की खरीद-बिक्री को रेगुलेट करने के साथ मवेशियों के विरुध्द क्रूरता रोकना है। इस नोटिफिकेशन के बाद नियमों के अनुसार मवेशी बाजार में खरीदने या बेचने लाने वाले को ये सुनिश्चित करना होगा कि मवेशी को बाजार में कत्ल के मकसद से खरीदने या बेचने के लिए नहीं लाया गया है।
Beef Ban

केंद्र के इस फैसले का केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी विरोध कर रहे हैं ।

#केरल में इस फैसले का विरोध करते हुए युवा कांग्रेस ने सार्वजनिक रूप से एक #बछड़े को काट बीफ फेस्ट मनाया था। इसे लेकर कांग्रेस का काफी विरोध हो रहा है और #कांग्रेस की जड़े खत्म होती दिख रही है ।

इन सब विरोध के बीच केंद्र #सरकार का समर्थन करते हुए राजस्थान हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुना दिया। राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए। कोर्ट ने यह भी सिफारिश की है कि कानूनों में बदलाव करके गोहत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा दी जाए। 

आपको बता दें कि मौलाना भी गाय को पशु घोषित करने के लिए आगे आये हैं एक प्रेस कांफ्रेस में जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष #मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि केंद्र सरकार गाय को #राष्ट्रीय पशु घोषित करने का कानून बनाए। हम सभी सरकार के इस फैसले के साथ हैं । मोदी सरकार से #गाय को #राष्ट्रीय पशु घोषित करने की अपील की है ।

गोहत्या पर किसी राज्य में खुली छूट तो कहीं प्रतिबंध

11 राज्यों में गो-हत्या पर प्रतिबंध

11 राज्य ऐसे हैं जहां गाय, बछडा, बैल और सांड की हत्या पर पूरी तरह रोक है। ये रोक जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, #गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ और २ केंद्र शासित राज्यों- देहली, चंडीगढ में लागू है। गो-हत्या कानून के उल्लंघन होने पर इन राज्यों में कड़ी सजा का प्रावधान है।

इन 10 राज्यों में नहीं है कोई #प्रतिबंध

दस राज्यों - केरल, पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम और केंद्र शासित लक्षद्वीप में गो-हत्या पर कोई रोक नहीं है। यहां गाय,बछड़ा, बैल, सांड और #भैंस का मांस खुले बाजार में बिकता और खाया जाता है।

इन राज्यों में है आंशिक प्रतिबंध

गो हत्या पर आंशिक प्रतिबंध वाले आठ राज्यों में बिहार, झारखंड, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, #कर्नाटक, #गोवा और चार केंद्र शासित राज्य दमन और दीव, दादर और नागर हवेली, पांडिचेरी, अंडमान ओर निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं। आंशिक प्रतिबंध से आशय है कि गाय और बछड़े की हत्या पर पूरा प्रतिबंध परंतु बैल, #सांड और भैंस को काटने और खाने की अनुमति है।

आपको बता दें कि भले ही आज गौ-हत्या विरोध में केरल, पश्चिम बंगाल आदि राज्य सरकार विरोध कर रही हो लेकिन #स्वर्गीय श्री #राजीव दीक्षित ने सुप्रीम कोर्ट में साबित कर दिया था कि गाय को काटने पर केवल मांस, चमड़ा, हड्डी आदि को बेचने पर 8-10 हजार ही कमा सकते हो लेकिन गाय माता का पालन करने पर करोड़ो कमा सकते हों और जीवन भर सुखी और स्वस्थ्य जीवन जी सकते हो ।


इस तथ्यों को साबित करने पर सुप्रीम कोर्ट ने 26 अक्टूबर 2005 को 66 पन्ने का जजमेंट दिया ।

ऑडर में #सुप्रीम #कोर्ट ने एक #इतिहास बना दिया और कहा कि गाय को काटना संवैधानिक #पाप है धार्मिक #पाप है और सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गौ रक्षा करना,सर्वंधन करना सरकार एवं देश के प्रत्येक नागरिक का #संवैधानिक कर्त्तव्य है ।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत के सभी राज्यों की सरकार की जिम्मेदारी है कि वो गाय का कत्ल अपने अपने राज्य में बंद कराये और किसी राज्य में गाय का कत्ल होता है तो उस राज्य के #मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी है, राज्यपाल की जवाबदारी, चीफ सेकेट्री की जिम्मेदारी है । अगर वो अपना काम पूरा नहीं कर रहे हैं तो ये राज्यों के लिए #संवैधानिक जवाबदारी है और नागरिको के लिए संवैधानिक कर्त्तव्य है ।

गौमाता हमारे लिए कितनी उपयोगी है जानने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें ।



कई नादान नासमझ लोग बोलते हैं कि गाय का मांस खाने से #पौष्टिकता मिलती है उन नासमझ को कौन समझाएं कि मांस से कई गुणा ज्यादा दूध में #पौष्टिकता होती है , गाय के दूध में सुवर्ण क्षार पाये गये है, गाय का दूध पृथ्वी पर का अमृत है ।


गाय आर्थिक रूप से तो समृद्धि देने वाली है ही साथ-साथ में गाय का #दूध, #दही, #छाछ, #मक्खन, #घी, #मूत्र एवं #गोबर मनुष्य के लिए वरदान है इसके उपयोग से मनुष्य स्वस्थ्य और सुखी जीवन जी सकता है ।

अतः गौ माता की रक्षा करना ही मनुष्य के लिए परम उपयोगी है और गौ हत्या करना विनाश का संकेत है।

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Tuesday, May 30, 2017

जो आत्महत्या करने का सोचते हैं वो हो जाये सावधान

जो आत्महत्या करने का सोचते हैं वो हो जाये सावधान !!

भारत में हर साल एक लाख से ज्यादा लोग #आत्महत्या करते हैं, जो विश्व के औसत का बड़ा हिस्सा है। 

सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2014 में 1,31,666 लोगों ने आत्महत्या की। #आत्महत्या करने वालों में 80% लोग साक्षर थे, जो देश की राष्ट्रीय साक्षरता दर 74% से अधिक है। 
suicide

अभी 10वीं और 12वीं के बोर्ड के #रिजल्ट आने के बाद कई #विद्यार्थी जो कम मार्क आने या ना पास हो जाने पर आत्म हत्या कर लेते है । वे बिलकुल उचित नही है ।

जो भी स्वयं या परिचित आत्महत्या का सोचते हो उन्हें जरूर ये लेख पढ़ें और पढ़ाये -

#आत्महत्या : कायरता की पराकाष्ठा

मृत्यु एक ईश्वरीय वरदान है, फिर भी यदि कोई #आत्महत्या करता है तो वह #महापाप है । परमात्मा ने हमें यह अमूल्य मानव चोला दिया है तो हमारा कर्तव्य है कि हम इसे साफ-सुथरा रखें, इसे स्वस्थ-तंदुरुस्त रखें । ऐसा नहीं कि मृत्यु जरूरी है तो अनाप-शनाप खाकर मौत को आमंत्रण दें, आत्महत्या करें । यद्यपि कपड़ा मैला होता है, गलता है, फटता है लेकिन उसे जानबूझकर फाड़ देना तो बेवकूफी है । ऐसे ही शरीर बूढ़ा होता है, बीमार होता है, मरता है- यह प्रकृति की व्यवस्था है, शरीर को जानबूझकर मौत के मुँह में धकेलना ठीक नहीं । 

कुछ विद्यार्थी जो #परीक्षा में #विफल हो जाते हैं, व्यापारी जो बाजार की मंदी की चपेट में आ जाते हैं उनमें से कमजोर मनवाले कई घबराके अथवा चिंता-तनाव से घिरके आत्महत्या कर लेते हैं । ऐसे लोगों को चाहिए कि वे कभी नकारात्मक न सोचें, पलायनवादिता के या हलके विचार न करें । असफल हो जायें तब भी भागने के या आत्महत्या के विचार न करें, फिर से पुरुषार्थ करें तो अवश्य सफल होंगे । 

‘स्कंद पुराण’ के काशी खंड, पूर्वार्द्ध (12.12,13) में आता है : ‘आत्महत्यारे घोर नरकों में जाते हैं और हजारों नरक-यातनाएँ भोगकर फिर देहाती सूअरों की योनि में जन्म लेते हैं । इसलिए समझदार मनुष्य को कभी भूलकर भी आत्महत्या नहीं करनी चाहिए । आत्महत्यारों का न तो इस लोक में और न परलोक में ही कल्याण होता है ।’ 

‘पाराशर स्मृति (4.1,2)’ के अनुसार ‘आत्महत्या करनेवाला मनुष्य 60 हजार वर्षों तक अंधतामिस्र नरक में निवास करता है ।’ 

मनुष्य का जीवन कुदरत ने ऐसा लचीला बनाया है कि वह जितनी चाहे उतनी उन्नति कर सकता है । कठिन-से-कठिन परिस्थिति से जूझकर, दुःख-मुसीबतों और विघ्न-बाधाओं के सिर पर पैर रखके परम पद तक पहुँच सकता है । बस, उस योग्यता का पता चल जाय, उस योग्यता पर विश्वास हो जाय । 

भृकुटि बिलास सृष्टि लय होई । जिसके भौंह के इशारेमात्र से सृष्टि का प्रलय हो जाता है, ऐसा सर्वसमर्थ परब्रह्म परमात्मा तुम्हारा सखा होकर बैठा है और जरा-सी मंदी आयी तो तुम फाँसी लगाकर मर गये, खेत-खली में जरा-सी गड़बड़ हुई और तुम आत्महत्या करने लगे, क्या तुच्छ बुद्धि है ! धिक्कार है आत्महत्या करनेवालों को ! ऐसे लोगों को ‘गधा’ कह दें तो गधे भी नाराज हो जायेंगे । बोलेंगे : ‘बाबा ! हमने कहाँ आत्महत्या की ? हम तो डंडे सहते हैं, सर्दी-गर्मी सहते हैं, दुःख सहते हैं । खाने को मिला-न-मिला तो भी चुप्पी रखकर दूसरे दिन बोझा उठाते हैं, फिर भी हम कभी आत्महत्या नहीं करते ।’


आत्महत्यारे को ‘कुत्ता’ बोलें तो कुत्ता बोलेगा : ‘हम भूख-प्यास, फटकार सहते रहते हैं, डंडे, पत्थर सहते हैं फिर भी आत्महत्या नहीं करते । हमें कहीं पूँछ दबानी पड़ती है, कहीं हिलानी पड़ती है लेकिन हम तो जी रहे हैं ।’ तो आत्महत्यारों को कुत्ता बोलोगे तो कुत्तों की बदनामी होगी । जो आत्महत्या करते हैं उनको गधा कहो, कुत्ता कहो, तो ये सब नाराज हो जायेंगे । 

मनुष्य विषय-विलास, शराब-कबाब और डिस्को करके पिशाच-सा जीवन जीकर मरने को नहीं आया है । #आत्महत्या करना भोगी और #कायर मन की पहचान है । सत्कर्म, सद्गुरुओं का सान्निध्य-सेवन और आत्मसाक्षात्कार करके मुक्त होना यह मनुष्य मन की पहचान है । 

नासमझ लोग क्या करते हैं ? जरा-सा दुःख पड़ता है तो दुःख देनेवाले पर लांछन लगाते हैं, परिस्थितियों को दोष देते हैं अथवा अपनेको पापी समझकर अपनेको ही कोसते हैं । कुछ कायर तो आत्महत्या करने तक का सोच लेते हैं । कुछ पवित्र होंगे तो किन्हीं संत-महात्मा के पास जाकर दुःख से मुक्ति पाते हैं । 

जो गुरुओं के द्वार पर जाते हैं उनको कसौटियों से पार होने की कुंजियाँ सहज में ही मिल जाती हैं । इससे उनके दोनों हाथों में लड्डू होते हैं । एक तो संत-सान्निध्य से हृदय की तपन शांत होती है, समस्या का हल मिलता है, साथ-ही-साथ जीवन को नयी दिशा भी मिलती है । 

मानव को किसी भी परिस्थिति में #आत्महत्या का विचार नहीं करना चाहिए तथा अपने मन को दुःखी होने से बचाना चाहिए । दुनिया में जो भी दुःख है वह अज्ञान का ही फल है, नासमझी का ही फल है । जहाँ-जहाँ दुःख है, वहाँ-वहाँ नासमझी है । बिना नासमझी के दुःख टिक नहीं सकता, हो नहीं सकता । शरीर की बीमारी को अपनी बीमारी मानते हैं यह बेवकूफी है । नश्वर सफलता को अपनी सफलता मानते हैं, नश्वर विफलता को अपनी विफलता मानते हैं, अपने-आपको शरीर मानते हैं और जो छूट जानेवाली हैं उन चीजों को मेरी मानते हैं । यह अज्ञान है कि नहीं है ? मरने के बाद भी जो रहेगा उसको नहीं जानते और जो मर जानेवाला है उसको ‘मैं’ मानते हैं । बेवकूफी है कि नहीं है ? 


छोटे-मोटे नहीं, गेटे जैसे विद्वान भी कभी आत्महत्या का विचार कर लेते हैं परंतु डर के मारे कर नहीं पाते । कई विद्वान भी आत्महत्या कर लेते हैं क्योंकि वेदव्यासजी का ज्ञान नहीं है । नहीं तो एक कुत्ता जिसकी टाँग कटी है, पूँछ कटी है, शरीर में घाव पड़े हैं उसको कोई मारने जाय तो अपने जीवन की रक्षा के लिए सब प्रयत्न करेगा और आज का मानव आत्महत्या कर लेता है, कितनी बेवकूफी है ! ये बरसात के पतंगे हैं न, दीये में आते हैं और अंग जल जाते हैं, फरफराते हैं, फिर भी आप उनको मारने की कोशिश करो तो बचने के लिए वे भी छटपटायेंगे, वहाँ से भागेंगे । 

जीवनदाता ने जीवन दिया है तो अपनी तरफ से उसको बचाने का सब प्रयत्न करना चाहिए । जो आत्महत्या करते हैं उनको कई वर्षों तक शरीर नहीं मिलता और भटकते रहते हैं । जो आत्महत्या करके मर गया, उसको कंधा देनेवाले को भी हानि होती है, दुःख उठाना पड़ता है । ‘पाराशर स्मृति’ व ‘कौटिल्य अर्थशास्त्र’ में तो यहाँ तक लिखा गया है कि जिसने आत्महत्या की उसने प्रकृति की, ईश्वर की दी हुई शरीररूपी सौगात से खिलवाड़ किया है, उसका अपमान किया है, उस अभागे को कंधा मत दो । किसी गंदगी उठानेवाले को बोलो कि उसका शव रस्सी से बाँधकर मार्ग से घसीटता हुआ ले जाय, ताकि उसको देखकर दूसरा ऐसी बेवकूफी न करे । 

आप सत्य का, ईश्वर का आश्रय लीजिये और परिस्थितियों के प्रभाव से बचिये । जो लोग परिस्थितियों को सत्य मानते हैं वे उनसे घबराकर कभी आत्महत्या की बात भी सोचते-करते हैं; यह बहुत बड़ा अपराध है । 

मैंने सूरत में सत्संग किया (दिसम्बर 2008 में) तब आर्थिक मंदी की चपेट में आये रत्न-कलाकारों को संदेश दिया कि जो मुसीबत में आकर आत्महत्या करने का विचार करते हैं उन्हें चाहिए कि अपनी दैन्य अवस्था का, लाचारी का तो पता चल गया, अब भगवान के सामर्थ्य का थोड़ा चिंतन करो और कमरा बंद करके भगवान को आर्त भाव से प्रार्थना करो, आँसू बहाओ : ‘भगवान ! मैं कुटुम्ब का पालन नहीं कर सकता हूँ और आप सर्वसमर्थ हो...’ ऐसी प्रार्थना करते-करते भगवान को दंडवत् प्रणाम करके लेट जाओ, भगवान के गले पड़ जाओ । अपनी तरफ से पुरुषार्थ में कमी न करो लेकिन जब आत्महत्या करने की नौबत आ रही है तो अहं का विसर्जन करो । उसी समय नहीं तो एकाध दिन में रास्ता निकल आयेगा । 

रात अँधियारी हो, काली घटाएँ छायी हों ।
मंजिल तेरी दूर हो, हर तरफ से मजबूर हों ।।
फिर क्या करोगे ? 
अच्युतानन्त गोविन्द नामोच्चारणभेषजात् ।
नश्यन्ति सकला रोगाः सत्यं सत्यं वदाम्यहम् ।।
‘हे अच्युत ! हे अनंत ! हे गोविंद ! - इस नामोच्चारणरूप औषध से तमाम रोग नष्ट हो जाते हैं, यह मैं सत्य कहता हूँ... सत्य कहता हूँ ।’
आत्महत्या यह मानस रोग है । मन की कायरता की पराकाष्ठा होती है तभी आदमी आत्महत्या का विचार करता है तो उस समय भगवान को पुकारो । 

#मीडिया को समाज की यह सेवा करनी चाहिए कि जो #आत्महत्या करते हैं उनकी तस्वीर देकर नीचे ऐसे कड़क शब्द लिखने चाहिए कि पढ़नेवाले कभी आत्महत्या का विचार ही न करें । 
जहाँ भी आत्महत्याएँ होती हों वहाँ इस सत्संग का जरा प्रचार होना चाहिए । 
(ऋषि प्रसाद, अप्रैल 2009 से)

आत्महत्या महापाप है
‘‘दुःख को सहन करके पापों को नष्ट करो ।’’
चाहे कितनी ही आफतें आ जायें, कितना ही दुःख हो जाये, कितना ही अपमान हो जाय लेकिन आत्महत्या कभी नहीं करना चाहिए । आत्महत्या दुर्बलता, हीन विचार व कायरता की पराकाष्ठा है । हीन विचार आते ही हरि ॐ... ॐ... ॐ... का पवित्र गुंजन 10-15 मिनट तक जोर से करें । 

दस-पन्द्रह श्वास जोर से मुँह से छोड़ें । ‘जीवन रसायन’ पुस्तक को साथ में रखें तथा दिन में थोड़ा-थोड़ा पढ़ा करें । इससे समस्त दुर्बलताओ को कुचलने तथा महान् बनने में मदद मिलेगी । पहले के किये हुए कर्मों के फलस्वरूप जो दुःखदायी परिस्थिति आनेवाली होगी वह तो आयेगी ही ।
अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभम् ।
ना भुक्तं क्षीयते कर्म जन्म कोटिशतैरपि ।।

आत्महत्या करके भी कोई उससे बच नहीं सकता है । उलटे आत्महत्या का एक नया पापकर्म हो जायेगा । परंतु अगर हम दुःखदायी परिस्थिति को सहन कर लेंगे तो पुराने पाप नष्ट होंगे और हम शुद्ध होंगे । कोई भी परिस्थिति सदा रहनेवाली नहीं है । सुख भी सदा नहीं रहता तो दुःख भी सदा नहीं रहता है । सूर्य के उदय होने के बाद अस्त होना और अस्त होने के बाद उदय होना यह प्रकृति का नियम है । अतः दुःखदायी परिस्थिति के आने पर घबड़ाना नहीं चाहिए ।

स्त्रोत्र : संत श्री आशारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से
(लोक कल्याण सेतू, दिसम्बर 1997 से)

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*"गुजरात समाचार" न्यूज पेपर का लोग कर रहे बहिष्कार, बोले पाकिस्तानी पेपर है...*

*"गुजरात समाचार" न्यूज पेपर का लोग कर रहे बहिष्कार, बोले पाकिस्तानी पेपर है...*
2 मई 2017

सुकमा में हमारे देश के #जवानों पर जो हुआ उससे पूरे भारत की जनता #दुःखी हुई लेकिन 
कुछ लोग हिंदुस्तान का ही #अन्न खाकर पाकिस्तान का गुणगान गाने वाले भी हैं जो #खुशियाँ मना रहे हैं ।
गुजरात समाचार

अहमदाबाद से प्रकाशित #न्यूज पेपर "गुजरात समाचार" ने मुख्य पेज पर सबसे ऊपर बड़ा #हेडिंग छापा था कि " छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने 26 जवानों को फूंकी मार्या" अर्थात नक्सलियों ने हमारे 26 जवानों को फूंक (जला) दिया ।

इस तरह की भाषा प्रयोग करने पर जनता की #भावनाओं को बड़ी भारी आहत पहुँची है ।

उसमें कई #देशप्रेमियों ने घर पर बोर्ड लगा दिया है कि गुजरात समाचार #कुत्ता है हम घर में रहने की #परमीशन नहीं देते हैं, कई #एफआईआर करवा रहे हैं तो कई लोग उसको फोन कर रहे हैं और कई #सोशल मीडिया पर वीडियो डालकर देश की जनता को #अपील कर रहे हैं कि गुजरात समाचार का #बहिष्कार करो ।

मुम्बई से विनोद बारोट की एक वीडियो वायरल हो रही है उसमें उन्होंने #सख्त गुस्सा करते हुए कहा है कि गुजरात समाचार ने हमारे देश के शहीद जवानों के लिए इतनी #घटिया भाषा का प्रयोग किया है इससे तो लगता है कि ये पेपर भारत में नहीं #बल्कि पाकिस्तान की #कराची में छप रहा है ।

उन्होंने आगे कहा कि हमारे एक भाई ने #मैनेजिंग तंत्री श्रेयंस शाह को फोन किया तो उन्होंने बताया कि इन जवानों को #शहीद नहीं बोला जायेगा इनको तो #फूंकी मार्या (जला दिया ) ही बोला जाएगा इस भाषा से आहत होकर #विनोद बरोट ने एफआईआर भी करवायी है और #देशवासियों को कहा है कि इस #पेपर को अब अपने घर में कोई नहीं #मँगवाये मै तो इस पेपर को आज से #जला देता हूँ और कभी घर में नहीं मँगवाऊँगा ।

ओम 


ओम 
जिगर मेहता ने भी #सोशल मीडिया में एक वीडियो #अपलोड किया है उसमें उन्होंने #गुस्सा व्यक्त करते हुए कहा है कि मेरे #देश के जवान घर-बार छोड़कर देश की रक्षा करते हुए हुए #शहीद हो गए हैं और 26 परिवार बर्बाद हो गए हैं और #गुजरात समाचार बोलता है कि #फूंकी मार्या । क्या समझ रहा है गुजरात समाचार? इस न्यूज पेपर की इतनी #हिम्मत कैसे हुई? हमारे जवानों के खिलाफ #लिखने की । गुजरात समाचार न्यूज पेपर का #बहिष्कार करो ये भारत का नहीं पाकिस्तान का न्यूज पेपर लगता है, देश के जवानों के शहीद होने पर पाकिस्तान से भी अधिक #खुश गुजरात समाचार हुआ है, इसने #हमारे देश का और देश की रक्षा करने वाले जवानों का अपमान किया है, अब हम #सहन नही करेंगे और मैं देशवासियों से अपील करता हूँ कि इस देशविरोधी गुजरात समाचार #न्यूज पेपर का बहिष्कार करें ।

इस तरीके से अनेक लोग गुजरात समाचार का #बहिष्कार कर रहे थे ।

ऐसे एक-दो न्यूज चैनल नहीं बल्कि ऐसे कई न्यूज #चैनल हैं जो खाते है #हिन्दुस्तान का अन्न लेकिन गुणगान गाते हैं #पाकिस्तान का, नही तो जिस पाकिस्तान को हमारी सेना कई बार #धूल चटा चुकी हो उसकी औकात नही वो हमारे देश के सामने #आँख उठाकर भी देखे..

लेकिन पाकिस्तान ने अपने #हमदर्द कुछ सपोले भारत में पाल रखे हैं, इनकी #गद्दारी पाकिस्तान को मजबूती प्रदान करती है..

गड़बड़ वहाँ नही,यहाँ बैठकर पाकिस्तान का गुणगान कर रहे है गड़बड़ उनमें है ।

दो- दिन पहले #आजतक का ऑनलाइन अखबार पढ़ा उसमें लिखा था कि AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी #देशभक्त है और उनके समर्थन में कई बातें #लिखी थी । अब सवाल उठता है कि जो भारत माता की जय बोलने पर भी #इंकार करता है कि मेरा गला #काट दो लेकिन भारत माता की #जय नही बोलूँगा उसको आजतक अखबार #देशभक्त बता रहा है ।

वहीं दूसरी ओर #हिन्दू साधु-संतों, हिंदुत्वनिष्ठ #कार्यकर्ता जो देश में सुख-शांति और #समृद्धि के लिए दिन रात अथाह प्रयास करते हैं उनको #बदनाम करती है और उनके लिए ये घटिया #शब्दों का इस्तेमाल करती है ।

इससे पता चलता है कि अधिकतर #भारतीय मीडिया विदेशी #फंड से चलती है जो हमारे देश के जवानों, देश के हिन्दू साधु-संतों, हिंदुत्वनिष्ठ #कार्यकर्ताओं को बदनाम करती है और जो #देश विरोधी हैं उनका समर्थन करती है ।

अभी JNU में भी #सुकमा हमले के शहीद जवानों को एक प्रोफेसर ने #श्रद्धांजलि दी तो उन पर JNU के कुछ #स्टूडेंटों ने हमला किया फिर भी #मीडिया JNU के स्टूडेंट्स का ही पक्ष लेगी देशभक्त प्रोफेसर का नहीं ।

पाठक अब समझ गए होंगे कि भारतीय मीडिया #विदेशी फंड से चलती है जो #हिन्दुत्वनिष्ठों को बदनाम करके फिर से भारत को गुलाम बनाने की ओर जा रही है अतः हर #हिन्दुस्तानी सावधान रहें, देशविरोधी न्यूज चैनलों और पेपर का #बहिष्कार करें केवल #राष्ट्रवादी न्यूज चैनल ही देखें ।

जय हिन्द!!

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Monday, May 29, 2017

सावधान!!! भारतवासियों को परोसा जा रहा स्लो प्वॉइजन..!!

सावधान!!! भारतवासियों को परोसा जा रहा स्लो प्वॉइजन..!!

26 मई 2017

आप इस शीर्षक से चौक गयें होंगे कि कैसे हमे स्लो #प्वॉइजन दिया जा रहा है?


हां, ये बात यथार्थ सत्य है कि भले आप इसे समझ नही पा रहें लेकिन आप और आपकी आने वाली पीढ़ी खतरे में है ।

अब आपके मन में सवाल उठेगा कि स्लो #पॉइजन कैसे और क्यों दिया जा रहा ?

आपको बता दें कि ये पॉइजन शारीरिक नही बल्कि मानसिक आघात पहुंचाने वाला है । 

यह स्लो #पॉइजन प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक #मीडिया द्वारा दिया जा रहा, जो हमारा ब्रेन वाश करने का कार्य कर रहा।

कैसे?

आपने #"आज तक" चैनल की खबरें टीवी द्वारा या ऑनलाइन देखी या पढ़ी होंगी उसमें अधिकतर भारतीय संस्कृति के विरोध में ही खबरें प्रसारित की जाती हैं।

आइये आपको बताते हैं, कौन सी खबरें हैं जो  हमें गुमराह कर रही हैं?

आज तक ने ये प्रसारित किया कि AIMIM प्रमुख असदुद्दीन #ओवैसी बड़े देशभक्त हैं।

उससे ठीक विपरीत देशभक्त, गायक अभिजीत , अनुपम खेर, सोनू निगम आदि को कोई काम नही हैं इसलिए वे ऐसी ट्वीट करते है और वे देश में अशान्ति फैलाते हैं ।

 #ओवैसी बोलता है कि , गर्दन काट दो तो भी भारत माता की जय नही बोलूंगा वही  गायक अभिजीत और अनुपम खेर देश हित की बात करते हैं अब आप ही बताइए गायक अभिजीत देश भक्त हैं या #ओवैसी?


दूसरी एक खबर में प्रसारित किया गया था कि दंगल, Pk आदि अच्छी फिल्मे हैं वही बाहुबली-2 अच्छी फिल्म नही है ।
भारतीय संस्कृति अनुसार बनाई गई फिल्म बाहुबली को घटिया फिल्म बताया जा रहा और हिन्दू विरोधी# Pk आदि फिल्म को बढ़िया बताया जा रहा , और तो और बाहुबली के खिलाफ कई मनगढंत खबरें भी प्रसारित की गई ।

तीसरी एक खबर में लिखा था कि उत्तर प्रदेश में योगीजी की सरकार आई है तब से मुस्लिमों को घरवापसी करवाया जा रहा है जबकि 46 मुस्लिमों ने अपने धर्म से तंग आकर अपनी मर्जी से #हिन्दू धर्म में वापसी की है।

लेकिन इसके विपरीत जब उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में 300 हिंदुओं का मिशनरियों द्वारा #धर्मपरिवर्तन किया गया  तब एक भी खबर नही दिखाई गई और अभी नागपुर में 60 मासूम हिन्दू बच्चों का ईसाई पादरी धर्म परिवर्तन करवा रहे थे तब एक भी खबर नही दिखाई गई, ऐसे तो देश में विभिन्न स्थानों मे ईसाई मिशनरियां लालच देकर हररोज #धर्मपरिवर्तन करवाती हैं, लेकिन उसके खिलाफ कोई खबर नही बनती है और मुस्लिम या ईसाई धर्म के लोग अपनी मर्जी से #हिन्दू धर्म में वापसी करते हैं तो दिन-रात खबरें बनाते हैं

चौथी एक खबर में लिखा था कि #हिन्दू धर्म के स्वामी नित्यानन्द, संत आसारामजी बापू, गुरमीत राम रहीम आदि साधु-संत सैक्स सकैंडल में लिप्त हैं । जबकि सच्चाई ये है कि इन साधु-संतों पर एक भी आरोप सिद्ध नही हुए हैं।

लेकिन इसके विपरीत चर्च के #ईसाई पादरी, मुस्लिम मौलवी कितने ही हैं जिनपर  छोटे बच्चे-बच्चियों के साथ दुष्कर्म के अपराध सिद्ध हो चुके हैं, उनको कोर्ट ने सजा भी सुनाई है उन्होंने अपने कुकर्म को कबूल भी कर लिया है लेकिन इसकी एक भी खबर नही दिखाई गई ।

इनकी खबरें हमेशा कामवासना भड़ाकाने वाली होती हैं और फिर बोलते हैं कि इतने अपराध क्यों होते हैं जबकि सच्चाई यह है कि वे खबरें ही ऐसी दिखाते हैं कि सज्जन पुरुष-महिला भी ऐसी खबरें और #विज्ञापन देखकर कामुक हो जाते हैं ।

#बीबीसी ने आज एक खबर लिखी कि भारत से ज्यादा खुशहाली पाकिस्तान में है जबकि पाकिस्तान से लौटी उज्मा ने बताया कि पाकितान नर्क से भी बदतर है और वहाँ हररोज बम ब्लास्ट होते रहते हैं । तो फिर वहां खुशहाली कैसे हो सकती है ??

जबकि सच्चाई यह है कि भारत के लोग जितने खुश हैं उतने दुनिया के किसी भी देश में नही होंगे ।

#बीबीसी ने लिखा  कि भारत में सनातन संस्था, बजरंगदल, विश्व हिन्दू परिषद, आर.आर.एस आदि हिन्दू संगठनों में बेरोजगार युवक एवं गुंडे जुड़ते हैं और देश में हिंसा करते हैं ।

लेकिन सच्चाई यह है कि हिन्दू संगठन में पढ़े लिखे बुद्धिमान व्यक्ति होते हैं और देश में जो अशान्ति फैलाते हैं,उनको ठीक करते हैं और देश में शांति की स्थापना करते हैं । वहीं दूसरी ओर दंगा तो #मुस्लिम करवाते हैं जैसा कि हमने देखा कि कश्मीर में से पण्डितों को भगा दिया गया, देश मे कई स्थानों  से #मुस्लिम आतंक से भयभीत होकर हिंदुओं ने पलायन किया है । गोधरा कांड, सहारनपुर हिंसा आदि और हिंदुओं के जुलुस पर पथराव करना, हिंदुओं की बहन-बेटियों के साथ छेड़खानी करना ये सब तो मुसलमान ही करवाते हैं फिर भी देश में शांति की स्थापना करने वाले हिन्दू सगठनों पर उंगली उठाई जा रही है और मुस्लिमों के कुकृत्यों को छुपाया जा रहा है ।

भारत के लुटेरे बाबर द्वारा #राम मंदिर तोड़कर बनाई गई बाबरी मस्जिद के गिरने पर #मीडिया छाती पिटती है और राम मंदिर का विरोध करती है ।

कुल मिलाकर आपको #मीडिया की खबरों द्वारा ऐसा मानसिक स्लो पॉइजन दिया जा रहा कि आपको पता ही नही चल पा रहा है कि सच्चाई क्या है !!

अधिकतर #मीडिया  विदेशी फंड द्वारा संचालित होते हैं , जिनका लक्ष्य है महान भारतीय संस्कृति को नष्ट करके फिर से भारत को गुलाम बनाना ।

अतः हिन्दुस्तानी सावधान रहें, ऐसे न्यूज चैनलों की वेबसाइट पर जाना बन्द करें, इनके पेज को डिसलाइक करें और न्यूज चैनल देखना बन्द करें। तभी इनको पता चलेगा कि हर हिन्दुस्तानी सतर्क है हमारा #षडयंत्र यहाँ नही चलेगा ।

#सुदर्शन न्यूज़ चैनल आदि राष्ट्रवादी चैनल ही देखें बाकी न्यूज चैनल देखना बन्द करें ।

सरकार को भी इन बिकाऊ #मीडिया पर शीघ्र अंकुश लगाना चाहिए , नही तो ये देश की #संस्कृति तोड़ने में सफल हो जाएंगे ।

अभी नही चेते तो भविष्य में इतना नुकसान होगा कि भरपाई करना भी मुश्किल होगा ।

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इंटेलिजेंस रिपोर्ट : भीम सेना को नक्सली एवं वामपंथी दलों का भारी समर्थन, जानिए कौन है वामपंथी

इंटेलिजेंस रिपोर्ट : भीम सेना को नक्सली एवं वामपंथी दलों का भारी समर्थन, जानिए कौन है वामपंथी

मई 29, 2017 

 उत्तर प्रदेश सहारनपुर में कई दिनों से बवाल चल रही है और जातीय हिंसा हुई, उसके लिए जिम्मेदार भीम आर्मी मानी जा रही है ।
Bhim Army

भीम आर्मी का संस्थापक चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण है। खुद को 'रावण' की उपाधि से पुकारा जाना पसंद करता है ये शख्स !!

रिपोट अनुसार भीम आर्मी को विभिन्न दलों के नेताओं के अलावा हवाला के जरिये भी फंडिंग की गई। पिछले दो महीने में भीम आर्मी के एकाउंट में एकाएक 40-50 लाख रुपये ट्रांसफर हुए हैं।

नौ मई को #भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने सहारनपुर में आठ स्थानों पर पुलिस पर पथराव किया था।

श्री हनुमानजी की फोटो पर थूके और जूते फैंके,इसमें भी #भीम आर्मी के सदस्य नजर आये ।

इंटेलिजेंस की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि कई #वामपंथी दल भीम सेना के संयोजक चंद्रशेखर के समर्थन में थे और उससे लगातार संपर्क में बने हुए थे और नक्सलियों से संबंध होने की बात का खुलासा किया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि, #वामपंथी विचारधारा के ये संघटन भीम सेना को नक्सलियों सा #प्रशिक्षण देने के लिए उन्हें छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार और मध्य प्रदेश के उन बस्तियों में भी ले जाया जाता, जहां नक्सली #प्रशिक्षण पाते रहे हैं। 

रिपोर्ट बताती है कि, भीम सेना के लोगों को नक्सलियों जैसा प्रशिक्षण देकर उनका उपयोग #वामपंथी संघटन अपने हित के लिए करने की तैयारी में हैं ।

आखिर कौन हैं #वामपंथी ??  
क्या है इनका इतिहास ??

इतने बड़े विचारकों, विश्व राजनीति-अर्थनीति की गहरी समझ, तमाम नेताओं की अप्रतिम ईमानदारी और विचारधारा के प्रति समर्पण के किस्सों के बावजूद भारत का वामपंथी आंदोलन क्यों जनता के बीच स्वीकृति नहीं पा सका? 
अब लगता है कि भारत की महान जनता इन राष्ट्रद्रोहियों को पहले से ही पहचानती थी, इसलिए इन्हें इनकी मौत मरने दिया। जो हर बार गलती करें और उसे ऐतिहासिक भूल बताएं, वही #वामपंथी हैं।

#वामपंथी वे हैं जिनके लिए 24 मार्च, 1943 को भारत के अतिरिक्त गृह सचिव रिचर्ड टोटनहम ने टिप्पणी लिखी कि ''भारतीय कम्युनिस्टों का चरित्र ऐसा कि वे किसी का विरोध तो कर सकते हैं, किसी के सगे नहीं हो सकते, सिवाय अपने स्वार्थों के।''

ये वही वामपंथी है जिन्हें 'हिन्दुत्व को कमजोर करने का सुख मिलता है। इसीलिए भारतीय #वामपंथ हर उस झूठ-सच पर कर्कश शोर मचाता है जिससे हिन्दू बदनाम हो सकें। न उन्हें तथ्यों से मतलब है, न ही देश-हित से। 

विदेशी ताकतें उनकी इस प्रवृत्ति को पहचानकर अपने हित में जमकर इस्तेमाल करती है। #मिशनरी एजेंसियाँ चीन या अरब देशों में इतने ढीठ या आक्रामक नहीं हो पाते, क्योंकि वहां इन्हें भारतीय #वामपंथियों जैसे स्थानीय सहयोगी उपलब्ध नहीं हैं। चीन सरकार विदेशी #ईसाई मिशनरियों को चीन की धरती पर काम करने देना अपने राष्ट्रीय हितों के विरूद्ध मानती है। किंतु हमारे देश में चीन-भक्त वामपंथियों का भी ईसाई #मिशनरियों के पक्ष में खड़े दिखना उनकी हिन्दू विरोधी प्रतिज्ञा का सबसे प्रत्यक्ष प्रमाण है।

#वामपंथी दलों में आंतरिक कलह, अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की पराकाष्ठा, पश्चिम बंगाल में राशन के लिए दंगा, देश की लगभग हर मुसीबत में विपरीत बातें करना, चरम पर भ्रष्टाचार, देशविरोधी हरकतें, विरोधी राजनीतिक कार्यकर्ताओं की सरेआम हत्या जैसे वाक्यों को लेकर वामपंथ बेनकाब हो चुका है।

पाकिस्तान बनवाने के #आंदोलन में सक्रिय भागीदारी करने वाले भारतीय कम्युनिस्टों का हिन्दू-विरोध यथावत है। किंतु जैसे ही किसी गैर-हिन्दू समुदाय की उग्रता बढ़ती है-चाहे वह नागालैंड हो या कश्मीर-उनके प्रति कम्युनिस्टों की सहानुभूति तुरंत बढऩे लगती है। 
अत: प्रत्येक किस्म के कम्युनिस्ट मूलत: हिन्दू विरोधी हैं। केवल उसकी अभिव्यक्ति अलग-अलग रंग में होती है। 

पीपुल्स वार ग्रुप के आंध्र नेता रामकृष्ण ने कहा ही है कि 'हिन्दू धर्म को खत्म कर देने से ही हरेक समस्या सुलझेगी'। अन्य कम्युनिस्टों को भी इस बयान से कोई आपत्ति नहीं है। सी.पी.आई.(माओवादी) ने अपने गुरिल्ला दस्ते का आह्वान किया है कि वह कश्मीर को 'स्वतंत्र देश' बनाने के संघर्ष में भाग ले। भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में चल रहे प्रत्येक #अलगाववादी आंदोलन का हर गुट के #माओवादी पहले से ही समर्थन करते रहे हैं। अन्य कम्युनिस्ट पार्टियों की स्थिति भी बहुत भिन्न नहीं। माकपा के प्रमुख अर्थशास्त्री और मंत्री रह चुके अशोक मित्र कह ही चुके हैं, 'लेट गो आफ्फ कश्मीर'-यानी, कश्मीर को जाने दो।



वे वही है "जो पाकिस्तान निर्माण के समय "पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगा रहे थे। जो आज तक #JNU  में भी जारी है।

वे वही हैं जो चीन के साथ हुए युद्ध में भारत विरोध में खड़े रहे। क्योंकि चीन के  चेयरमैन माओ उनके भी चेयरमेन थे।

वे वही हैं जो आपातकाल के पक्ष में खड़े रहे।

वे वही हैं जो अंग्रेजों के मुखबिर बने और आज भी उनके बिगड़े शहजादे (माओवादी) जंगलों में आदिवासियों का जीवन नरक बना रहे हैं।

वे वही है, भारत छोड़ो आंदोलन के खिलाफ #वामपंथी अंग्रेजों के साथ खड़े थे।

वे वही है, #मुस्लिम लीग की देश विभाजन की मांग का भारी समर्थन कर रहे थे।

वे वही है, आजादी के क्षणों में नेहरू को 'साम्राज्यवादियों' का दलाल वामपंथियों ने घोषित किया।

वे वही है , वामपंथियों ने कांग्रेस के गांधी को 'खलनायक' और जिन्ना को 'नायक' की उपाधि दे दी थी।

खंडित भारत को स्वतंत्रता मिलते ही वामपंथियों ने हैदराबाद के निजाम के लिए पाकिस्तान में मिलाने के लिए लड़ रहे मुस्लिम रजाकारों की मदद से अपने लिए स्वतंत्र #तेलंगाना राज्य बनाने की कोशिश की।

वामपंथियों ने भारत की क्षेत्रीय, भाषाई विविधता को उभारने की एवं इनके आधार पर देशवासियों को आपस में लड़ाने की रणनीति बनाई।

भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले गांधी और उनकी कांग्रेस को ब्रिटिश दासता के विरुद्ध भूमिगत आंदोलन का नेतृत्व कर रहे जयप्रकाश नारायण, राममनोहर लोहिया, अच्युत पटवर्धन जैसे देशभक्तों पर वामपंथियों ने 'देशद्रोही' का ठप्पा लगाया। भले पश्चिम बंगाल में माओवादियों और साम्यवादी सरकार के बीच कभी दोस्ताना लडाई चल चुकी हो लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर दोनों के बीच समझौता था। चीन को अपना आदर्श मानने वाली कथित #लोकतंत्रात्क पार्टी माक्र्सवादी #काम्यूनिस्ट पार्टी और भारतीय काम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) एक ही आका के दो गुर्गे हैं।

भले चीन भारत के खिलाफ कूटनीतिक युद्ध लड़ रहा हो लेकिन इन दोनों #साम्यवादी धड़ों का मानना है कि चीन भारत का शुभचिंतक है लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत का नम्बर एक दुश्मन।

देश के सबसे बडे #साम्यवादी संगठन के नेता कामरेड प्रकाश करात ने चीन के बनिस्पत देश के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को ज्यादा खतरनाक बताया है।

संत लक्ष्मणानंद की हत्या कम्युनिस्टों और ईसाई मिशनरी गठजोड़ का प्रमाण थी। 

केरल में, आंध्र प्रदेश में, उडीसा में, बिहार और झारखंड में, छातीसगढ में, त्रिपुरा में यानी जहाँ भी #साम्यवादी हावी हैं। वहां इनके टारगेट में राष्ट्रवादी हैं और आरएसएस कार्यकर्ताओं की हत्या इनके एजेंडे में शमिल है।

देश की अस्मिता की बात करने वालों को अमेरिकी एजेंट ठहराना और देश के अंदर #साम्यवादी चरंपथी, #इस्लामी जेहादी तथा ईसाई चरमपंथियों का समर्थन करना इस देश के साम्यवादियों की कार्य संस्कृति का अंग है।

ये वही #साम्यवादी हैं जिन्होंने सन 62 की लडाई में हथियार कारखानों में हडताल का षडयंत्र किया था, ये वही साम्यवादी हैं जिन्होंने कारगिल की लडाई को भाजपा का षडयंत्र बताया था।

ये वही #साम्यवादी हैं जिन्होंने पाकिस्तान के निर्माण को जायज ठहराया था।

ये वही #साम्यवादी हैं जो यह मानते हैं कि आज भी देश गुलाम है और इसे चीन की ही सेना मुक्त करा सकती है। 

ये वही #साम्यवादी हैं जो बाबा पशुपतिनाथ मंदिर पर हुए माओवादी हमले का समर्थन कर रहे थे।

ये वही #साम्यवादी हैं जो महान संत लक्ष्मणानंद सरस्वती को आतंकवादी ठहरा रहे हैं।

ये वही #साम्यवादी हैं जो बिहार में पूंजीपतियों से मिलकर किसानों की हत्या करा रहे हैं, ये वही साम्यवादी हैं जिन्होंने महात्मा गांधी को बुर्जुवा कहा।

अतः राष्ट्रविरोधी #वामपंथी और उनके विचारधाराओं से सावधान रहें नही तो ये देश के टुकड़े कर देंगे ।

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